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- -भेंट-मुलाकात के दौरान रायपुर संभाग में जिन ग्रामीणों के घर मुख्यमंत्री ने भोजन किया, उन्हें मुख्यमंत्री श्री बघेल ने रात्रि भोज में किया आमंत्रितरायपुर । भेंट-मुलाकात रायपुर संभाग ग्रामीणों के घर मुख्यमंत्री ने भोजन किया उन्हें मुख्यमंत्री श्री बघेल ने रात्रि भोज में किया आमंत्रित उन्हें मुख्यमंत्री श्री बघेल ने रात्रि भोज में किया आमंत्रित उन्हें मुख्यमंत्री श्री बघेल ने रात्रि भोज में किया आमंत्रित उन्हें मुख्यमंत्री श्री बघेल ने रात्रि भोज में किया आमंत्रितभेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रदेश की विधानसभाओं में लोगों से प्रत्यक्ष मुलाकात कर शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन की जमीनी स्थिति जानी थी। साथ ही विधानसभा क्षेत्र के ही ग्रामीण परिवारों के साथ भोजन भी किया था। इन ग्रामीण परिवारों ने पारंपरिक तरीकों से मुख्यमंत्री का स्वागत किया था और उनसे भोजन के दौरान सुख-दुख की चर्चा की थी। मुख्यमंत्री ने इन ग्रामीण परिवारों को अपने घर भोज पर आमंत्रित किया। पिछली बार जिन ग्रामीणों के पहुना मुख्यमंत्री बने थे, वे ग्रामीण अब मुख्यमंत्री के पहुना बन रहे हैं। रायपुर संभाग से इसकी शुरूआत हुई है। आज रायपुर संभाग के 19 विधानसभाओं से ग्रामीण परिवार और सरपंच रात्रि भोज करने मुख्यमंत्री निवास आए। इस मौके पर नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया समेत संबंधित क्षेत्र के विधायकगण उपस्थित थे।मुख्यमंत्री निवास में सभी आगंतुकों का स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि जब मैं आप मन के पहुना रहेंव, तब आप मन ह बढ़िया स्वागत करेंव अउ बहुत बढ़िया भोजन कराएव, ये दरी आप मोर पहुना हव। इस तरह मुख्यमंत्री ने अतिथियों से कहा कि भेंट-मुलाकात के दौरान मेरे सबसे अच्छे अनुभवों में आप लोगों के घरों में खाना, खाना रहा। हम सभी छत्तीसगढ़ की परंपरा के मुताबिक जमीन पर बैठे। घर की महिलाओं ने हमें भोजन परोसा। भोजन के दौरान कितनी सुंदर चर्चा होती रही। पूरे भेंट-मुलाकात के दौरान मुझे महसूस होता रहा कि छत्तीसगढ़ में कितने अलग-अलग तरह की खानपान की परंपरा है और कितने सारे व्यंजन है। बस्तर में अलग तरह की भाजियां, रायपुर में अलग तरह की भाजियां। पकवानों को बनाने का तरीका भी अलग-अलग। पूरी यात्रा के दौरान मुझे इस बात पर भी गर्व होता रहा कि आप लोगों ने पुरखों से सीखी हुई खानपान की परंपराएं कायम रखी हैं। हर जगह खाना इतना बढ़िया बनाया गया था कि मुझे लगा कि भोजन के दौरान मैं कहीं बाहर नहीं हूँ। अपने घर में ही हूँ।मुख्यमंत्री ने चर्चा में कहा कि कई बार मैं सोचता हूँ कि खाने का स्वाद इस पर भी निर्भर करता है कि खिलाने वाला कितनी रुचि से और स्नेह से इसे बना रहे हैं। जब हर जगह स्वादिष्ट भोजन मुझे मिला तो मैंने यह भी महसूस किया कि लोग मुझसे कितना स्नेह करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी से भेंट-मुलाकात के दौरान जो आत्मीय रिश्ता बना है। वो हमेशा कायम रहेगा। आप सभी मेरे परिवार के सदस्य हैं। इस मौके पर अतिथियों ने मुख्यमंत्री से कहा कि हमें तो यही लगा था कि हमें मुख्यमंत्री के साथ समय बिताने का एकमात्र अवसर मिल सका है। जब आपका आमंत्रण मिला तो बहुत खुशी हुई। आप हम सबका बहुत ध्यान रखते हैं।मुख्यमंत्री ने रायपुर संभाग से आये अपने अतिथियों के लिए विशेष तौर पर ऐसे पकवान तैयार किये थे जो स्थानीय स्तर पर बहुत शौक से खाए जाते हैं। इसमें किस्म किस्म की भाजी, चावल से बने हुए पकवान और तरह-तरह की चटनी आदि शामिल रही।उल्लेखनीय है कि सरगुजा संभाग में मुख्यमंत्री ने जिन ग्रामीण परिवारों के साथ भोजन किया था, उन्हें भी उन्होंने दोपहर के भोजन के लिए 29 मई सोमवार को आमंत्रित किया है। 30 मई मंगलवार को वे बस्तर संभाग के ऐसे ग्रामीणों के साथ भोजन करेंगे, जिनके घर उन्होंने भेंट-मुलाकात के दौरान भोजन किया था।ग्रामीणों ने किये अनुभव साझा- रायपुर उत्तर विधानसभा के त्रिमूर्ति नगर से आई कौशल्या सोनी ने कहा कि मैं आंगनबाड़ी सहायिका हूँ। मुख्यमंत्री हमारे घर खाने पर आये थे। आज उन्होंने हमें खाने पर बुलाया। हमें बहुत अच्छा लगा। कोटा से आई सुमन यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री महोदय ने आज हमें भोजन पर आमंत्रित किया। हमसे बातें की। वे जब हमारे घर आये थे तब बहुत अच्छा लगा। आज हम उनके घर आये तो हमें उतनी ही खुशी हो रही है। सेमरा-बी से आये रमेश सिन्हा ने कहा कि मेरे यहां 28 अप्रैल को मुख्यमंत्री भोजन के लिए आये थे। उन्होंने हमें आमंत्रित किया, हमें बहुत अच्छा लगा। बोरियाखुर्द से आई पुष्पा साहू ने कहा कि आज हमें बहुत अच्छा लगा। इससे पहले मुख्यमंत्री हमारे यहां भोजन के लिए आये थे। आज उन्होंने हमें बुला लिया। यहां वे सबसे मिल रहे हैं। हमें बहुत अच्छा लग रहा है।
- बालोद । राज्य शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना पोषण कुमार के लिए उनके सपनों को पूरा करने वाला योजना बन गया है। इस योजना से मिलने वाली आय से वह अपने सपनों को पूरा कर रहा है। बालोेद जिले के डौण्डी विकासखण्ड के ग्राम भर्रीटोला 43 के निवासी श्री पोषण कुमार धनकर ने बताया कि राज्य शासन द्वारा उनके गाॅव में नरवा, गरूवा, घुरवा, बाडी योजना के तहत गौठान बनाया गया है। जहाॅ गोधन न्याय योजना के तहत गोबर की खरीदी की जाती है। वह स्वयं भी गौठान में नियमित रूप से गोबर विक्रय करता है, इससे उसे अच्छी आमदनी भी प्राप्त हो रही है। उसे अब तक लगभग 01 लाख 40 हजार रूपये की आमदनी प्राप्त हो चुकी है। इससे उसने विगत वर्ष 02 भैंस खरीदी है, जिससे वह दुग्ध उत्पादन व विक्रय कर रहा है, जिससे उसे अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है। पोषण कुमार ने बताया कि इस वर्ष वह गोबर विक्रय से मिली राशि का उपयोग अपने मकान के निर्माण कार्य में कर रहा है। गोबर विक्रय से मिल रही राशि का उसके सपनों को पूरा करने में बहुत बडा योगदान है। उसने बताया कि शासन की यह योजना किसानों, पशुपालकों के लिए काफी अच्छा है, इससे अतिरिक्त आय मिलने के साथ ही पशुपालन व आर्गेनिक खेती को बढावा भी मिल रहा है। पोषण कुमार ने छत्तीसगढ शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का बहुत बहुत आभार जताया है।
- -222 क्विंटल गोबर बिक्री कर 44 हजार 400 रू. की प्राप्त की आमदनी आर्थिक स्थिति में सुधार होने से परिवार में आई खुशहालीबालोद । मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाले छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा में लागू किये गए गोधन न्याय योजना राज्य के पशुपालकों एवं कृषकों के साथ सामाज के सभी वर्गों के लिए हर दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी एवं लाभप्रद सिद्ध हो रहा है। राज्य सरकार के द्वारा भारतीय समाज में प्राचीन समय से चले आ रहें पशुधन के महत्ता एवं उपयोगिता को पुर्नस्थापित कर पशुपालन के कार्य एवं व्यावसाय को लाभकारी बनाने हेतु शुरू किये गए यह योजना वास्तव में इस कार्य से जुड़े लोगों के लिए कामधेनू साबित हो रहा है । राज्य सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना के सफल क्रियान्वयन फलस्वरूप बालोद जिले के कृषकों एवं पशुपालको के आर्थिक स्थिति में सुधार हेतू यह योजना अत्यन्त मददगार साबित हो रहा है। गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर बिक्री से समय पर मिलने वाली राशि के कारण पारिवारिक स्थिति में निरन्तर सुधार होने से यह योजना बालोद जिले के गुण्डरदेही विकास खण्ड के पशुपालक हितेश्वर कुमार यादव के आर्थिक समृद्धि का आधार बन गया है। इस योजना के फलस्वरूप उन्हें मिल रहें लाभ तथा अपने पारिवारिक स्थिति में हो रहें सुधार के संबंध जानकारी देते हुए हितेश्वर ने बताया कि वे अत्यन्त साधारण कृषक परिवार से संबंधं रखतें है। उन्होने बताया कि वे उनका परिवार अपना थोड़ा बहुत पैतृक जमीन से खेती-बाड़ी एवं मेहनत मजदूरी के साथ पशुपालन व्यवसाय कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं । उनके परिवार के पास 10 देशी गाय एवं 4 भैंस हैं, जिनका दुध निकाल कर दुध बेचने का कार्य भी वे करते हैं। लेकिन दुध व्यवसाय से उन्होंने कोई खास आमदानी नही हो पाती थी । इस दौरान वर्ष 2020-21 मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा गोधन न्याय योजना प्रारम्भ किया गया। योजना के शुरू होने के तत्काल बाद मै और मेरे परिवार ने गोबर इंकट्ठा कर डुडिया गोठान में बेचने का कार्य शुरू किया। उन्हाने ने बताया कि अब तक वे 222 क्विंटल गोबर 44 हजार 400 रू. की आमदानी प्राप्त कर चुके हैं। हितेश्वर ने बताया कि गोबर बिक्री से समय पर राशि मिलने से उनके लिए आय का भी स्थायी स्त्रोत निर्मित हो गया है। जिसके फलस्वरूप उनके आर्थिक स्थिति में भी निरन्तर सुधार हो रहा है । इसके अलावा उन्होने गोबर बिक्री से प्राप्त राशि से उन्नत नस्ल के एक गाय की खरीदी कर अपने दुग्ध व्यवसाय को विस्तार करने का कार्य किया है। इस उत्तम नस्ल की गाय से मुझे प्रतिदिन अतिरिक्त आमदानी हो रही है। इस तरह से यह योजना उनके पैतृक पशुपालन एवं दुग्ध व्यवसाय को विस्तारित करने में भी सहयोग प्रदान कर रहा है। इसके अलावा गोबर बिक्री से प्राप्त राशि का उपयोग बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, ईलाज एवं अन्य जरूरी कार्यों में कर रहें हैं।पशुपालक हितेश्वर कुमार यादव ने बताया कि राज्य शासन के द्वारा शुरू किये गये इस योजना के प्रारम्भ के पूर्व मैने और मेरे परिवार ने कभी कल्पना नही किया था। कि गोबर बिक्री से भी हमें राशि प्राप्त होगी और गोबर बिक्री का कार्य हमारे परिवार का आर्थिक समृद्धि का आधार बनेगा। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के द्वारा वास्तव में जमीन से जुड़ें इस महत्वपूर्ण योजना का शुभारंम्भ कर गौमाता एवं उनके सेवा से जुड़े लोगों का सम्मान करने का कार्य किया है। इस योजना के सफल क्रियान्वयन के कारण यह योजना आज सही मायने में हम जैसे अनेक पशुपालकों के लिए मददगार साबित हो कर हमारे आर्थिक समृद्धि का आधार बन गया है। उन्होंने राज्य में इस योजना लागू कर इनके बेहतरीन क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल एवं छत्तीसगढ़ सरकार के प्रति विनम्र आभार व्यक्त करते हुए हृदय से धन्यवाद दिया है।
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सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने, टेल एन्ड तक पेयजल पर्याप्त मात्रा में पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने कहा
रायपुर/ नगर पालिक निगम रायपुर के महापौर श्री एजाज ढेबर ने नगर निगम जोन क्रमांक 4 के तहत आने वाले मौलाना अब्दुल रउफ वार्ड क्रमांक 46 के तहत आने वाले नेहरू नगर, विद्या नगर, हनुमान नगर क्षेत्र का सघन निरीक्षण जोन 4 जोन कमिश्नर श्री हेमन्त शर्मा, कार्यपालन अभियन्ता श्री लोकेश चंद्रवंशी सहित सम्बंधित जोन अधिकारियों की उपस्थिति में करते हुए वार्ड में सफाई एवं पेयजल की स्थिति को प्रत्यक्ष देखा. महापौर श्री एजाज ढेबर ने वार्ड क्रमांक 46 में सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के सम्बन्ध में निर्देश दिये. महापौर ने पूरे वार्ड क्षेत्र की सफाई व्यवस्था को सुधारने आवश्यकता के अनुसार अभियान चलाने के निर्देश दिये हैँ. महापौर ने वार्ड वासियों से सफाई सहित पेयजल को लेकर चर्चा की. महापौर ने वार्ड में टेल एन्ड तक पेयजल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिये. महापौर ने वार्ड में पाईप लाईन लीकेज को सुधारने एवं वार्डवासियों को गर्मी के दौरान मॉनिटरिंग करवाकर निरन्तरता से पर्याप्त प्रेसर के साथ पेयजल आपूर्ति प्राथमिकता से सुनिश्चित करवाने के निर्देश दिये हैँ एवं जोन के अधिकारियों को वार्ड में निरीक्षण करके सफाई एवं पेयजल व्यवस्था को सुचारू तरीके से संचालित करने कहा है.
- रायपुर। रायपुर-बिलासपुर हाईवे पर आज एक भीषण हादसा हो गया। इस हादसे में बस में सामने की ओर बैठे युवक की मौत हो गई है। मृतक बस का ही स्टाफ बताया जा रहा है। हादसे में 12 यात्री घायल हुए हैं, घायलों को इलाज के लिए बेमेतरा जिले के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। नांदघाट थाना क्षेत्र में ग्राम टेमरी के पास की यह घटना है।माना जा रहा है कि बस के ड्राइवर ने गाड़ी से नियंत्रण खो दिया और ये हादसा हो गया। बस के सामने का हिस्सा ट्रक में जाकर धंस गया। ट्रक और बस के बीच एक युवक दबकर वहीं मारा गया। बस में पिछली सीटों पर सो रहे दूसरे यात्री झटके से गिरकर घायल हो गए। सड़क पर बस में काफी देर तक यात्री फंसे रहे। कुछ लोगों ने स्थानीय पुलिस को खबर दी। इसके बाद एक-एक कर सभी को अस्पताल ले जाया गया। ये बस बिलासपुर से रायपुर आ रही थी।
- राजनांदगांव ।खरीफ फसल की तैयारी में लगे किसानों के लिए राहत वाली खबर है। इस बार उन्हें खाद के लिए भकटना नहीं पड़ेगा। सहकारी समितियों में इस बार लक्ष्य से अधिक खाद का भंडारण कर लिया गया है। प्रशासन ने 30500 टन खाद के भंडारण का लक्ष्य तय किया है जिसमें यूरिया, सुपर फास्फेट, डीएपी, एनपीके और पोटाश शामिल हैं। इसके विरूद्ध अब तक 31195 टन खाद का भंडारण किया जा चुका है, जो लक्ष्य का 102 प्रतिशत है। साथ ही वितरण भी तेजी से किया जा रहा है। अब तक 72 प्रतिशत खाद का वितरण किसानों काे किया जा चुका है।राजनांदगांव सहित दोनों नए जिलों खैरागढ़ और मोहला-मानपुर जिले में पर्याप्त मात्रा में खाद का भंडारण कर लिया गया है। किसानों को वितरण का काम भी तेजी से शुरू कर दिया गया है। यही कारण है कि हर वर्ष शुरुआत से ही होने वाला हल्ला इस बार कहीं पर भी सुनने को नहीं मिल रहा।बताया गया कि बीते तीन साल के हालात देखा जाए तो सबसे अधिक किसानों को डीएपी के लिए परेशान होना पड़ा है। पिछले साल ही अधिकांश सोसायटियों में डीएपी नहीं होने से किसान आक्रोशित हो रहे थे, लेकिन इस बार डीएपी पर्याप्त से भी अधिक मात्रा में है। मिली जानकारी के अनुसार 6400 टन लक्ष्य के मुकाबले 11440 टन डीएपी है। ऐसे ही 14440 टन यूरिया का टारगेट था, जो अभी 11097 टन है। 6500 टन सुफा में से 4026 टन खाद भंडारण किया जा चुका है।
- - शासन की योजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में ला रही सामाजिक बदलाव एवं जागरूकताराजनांदगांव। धुन की पक्की, ऊर्जावान, उत्साही महिलाओं के चेहरे से उनके स्वावलंबी होने की खुशी बयां हो रही है। शासन की योजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक बदलाव एवं जागरूकता ला रही है। महिलाओं को हौसला एवं संबल मिला, शासन की सुराजी गांव योजना एवं गोधन न्याय योजना से। राजनांदगांव जिले के ग्राम सांकरा के गोठान की महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा और वे पहले से निर्भीक और निडर बनी। यह उन अंतर्मुखी एवं संकोची स्वभाव के महिलाओं की कहानी है। जिन्होंने अपने जीवन को बदलने के लिए पुरजोर कोशिश की है। घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर कार्य करना चुनौतीपूर्ण जरूर रहा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। एकता, आपसी मेलजोल एवं सहभागिता से समूह की महिलाएं सशक्त हुई।समूह की अध्यक्ष श्रीमती पूर्णिमा ने बताया कि ज्योति महिला स्वसहायता समूह द्वारा वर्मी कंपोस्ट निर्माण का कार्य गोठान में किया जा रहा है। गोधन न्याय योजना के तहत अब तक 743767 किलो गोबर की खरीदी की गई है और 279910 किलो वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन किया गया है। समूह को वर्मी कंपोस्ट बिक्री से 8 लाख 85 हजार 920 रूपए की लाभांश राशि मिली है। केचुआ संवर्धन से एक लाख 44 हजार, सब्जी-भाजी से 11 हजार तथा रागी के लड्डू बनाकर 10 हजार रूपये की आमदनी हुई है। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बहुत धन्यवाद दिया। पुरसो बाई निषाद ने बताया कि पहले वे बेरोजगार थी। गौठान में कार्य कर आर्थिक रूप से मजबूत बनी। वर्मी कंपोस्ट से प्राप्त राशि से उन्होंने अपने घर के लिए फ्रिज खरीद लिया। दीपिका निर्मलकर ने बताया कि यहां वर्मी कंपोस्ट से प्राप्त राशि से वे अपने बच्चों को अच्छा शिक्षा दिला रही हैं। समूह की महिलाओं ने बताया कि उन्होंने प्राप्त राशि से गहने भी खरीदे हैं। समूह की महिलाओं ने मुख्यमंत्री को तहेदिल से शुक्रिया कहा।
- मनेन्द्रगढ़। वन विभाग में नौकरी लगाने के नाम पर धोखाधड़ी करने के आरोप में मनेन्द्रगढ़ पुलिस ने दो युवकों को गिरफ्तार किया है।पुलिस के हत्थे चढ़े दोनों आरोपियों द्वारा प्रदेश के गौरेला पेंड्रा समेत अन्य कई जिलों में लगभग 20 लाख रुपए से अधिक की ठगी किए जाने की जानकारी मिली है।जिला मुख्यालय मनेन्द्रगढ़ एसडीओपी कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में जानकारी देते हुए एसडीओपी मनेंद्रगढ़ राकेश कुर्रे ने बताया कि मनेन्द्रगढ़ कोतवाली में एक युवक ने आकर इस आशय की रिपोर्ट दर्ज कराई कि वन विभाग में नौकरी लगाने के नाम पर आरोपी प्रवीण प्रधान निवासी डोंगरी पाली थाना बसना जिला महासमुंद एवं आरोपी रामनिवास सेन निवासी झगड़ा खंड द्वारा ?2लाख 35 हजार ले लिए गए हैं।पुलिस ने प्रार्थी की शिकायत पर थाने में अपराध पंजीबद्ध कर दोनों आरोपियों को हिरासत में लिया उनसे पूछताछ शुरू की। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि उसने मनेंद्रगढ़ के कई युवकों के अलावा गौरेला पेंड्रा समेत कई जिलों में ठगी की घटना को अंजाम देकर उन्होंने लगभग 20 लाख रुपए की ठगी की है।
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कवर्धा। कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर ने दो विपत्तिग्रस्त परिवारों को 8 लाख रूपए का चेक वितरण किया। वन मंत्री ने विपत्तिग्रस्त परिवार के सदस्यों से कहा कि वह इस चेक को बैंक में जमा कर राशि प्राप्त कर सकते हैं। चेक वितरण करते समय मंत्री अकबर ने परिजनों से भेंट भी की और अपनी संवेदना प्रकट की।
मंत्री अकबर ने आबीसी-6-4 के तहत कवर्धा विकासखंड के ग्राम रेंगाखारखुर्द निवासी विपत्तिग्रस्त श्रीमती सुनती साहू और कवर्धा के दंतेश्वरी वार्ड निवासी श्रीमती रुखमीण को राजस्व पुस्तक परिपत्र (आबीसी-6-4) के तहत चार-चार लाख रूपए का चेक प्रदान किया। - -863 क्विंटल गोबर बेचकर प्राप्त की 01 लाख 72 हजार रुपये से अधिक की आमदनी-50 हजार रुपये का कर्ज चुकाने के साथ-साथ किया भांजी-भांजा का विवाहबालोद। राज्य शासन के महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना राज्य के पशुपालकों के साथ-साथ किसान, मजदूर सहित समाज के निम्न एवं मध्यम वर्ग के लोगों के लिए अनेक दृष्टि से बहुपयोगी साबित हो रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाले छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू किए गए यह महत्वपूर्ण योजना बालोद जिले के गुंडरदेही विकासखंड के ग्राम देवगहन के पशुपालक श्री रूपलाल के लिए मुश्किल वक्त का सहारा बन गया है। इस योजना के फलस्वरूप किसान रूपलाल ने अब तक 863 क्विंटल गोबर बेचकर 1लाख 72हजार 782 रूपए की आमदनी प्राप्त की है। श्री रूपलाल ने गोबर बिक्री से प्राप्त राशि से 50 हजार रूपए के कर्ज को भी चुकाया है। इसके अलावा उन्होने शेष राशि का उपयोग अपने भांजा-भांजी के शदी के लिए भी किया है।पशुपालक कृषक रूपलाल ने इस योजना के फलस्वरूप उनके जैसे अनेक लोगों को मिल रहे मदद के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि वे बहुत ही निम्न मध्यम वर्ग के पशुपालक कृषक परिवार से संबंध रखते हैं। उन्होंने बताया कि थोड़ी बहुत पैतृक जमीन एवं पशुपालन के व्यवसाय से अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। श्री रूपलाल ने बताया कि आज से कुछ वर्ष पहले तक थोड़ी बहुत खेतीयुक्त जमीन से समुचित उत्पादन नहीं होने तथा दुग्धपालन व्यवसाय से कोई खास आमदनी नहीं होने के कारण अपने एवं अपने परिवार का देखभाल करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इसके अलावा इस योजना के प्रारंभ होने के पूर्व वे काफी दिनों तक अपने गांव देवगहन में चरवाहा के रूप में भी काम कर रहे थे। लेकिन इससे भी कोई खास आमदनी नहीं हो पाती थी। राज्य शासन के गोधन न्याय योजना के शुरूआत से ही मैं और मेरा परिवार नियमित रूप से गोबर एकत्र कर बिक्री का कार्य कर रहे हैं। राज्य सरकार के गोधन न्याय योजना के माध्यम से हम किसानों एवं पषुपालकों के माध्यम से गोबर खरीदी कर एवं समय पर इसका भुगतान किए जाने से यह योजना वास्तव मे हम जैसे लोगों के लिए बहुत ही मददगार साबित हो रहा है। अब हमें अपनी छोटी-मोटी पारिवारिक जरूरतों को पूरा करने तथा बच्चों की पढ़ाई-लिखाई एवं ईलाज आदि के खर्च के वहन के लिए समय पर राशि उपलब्ध हो रहा है। जो हमारे जैसे गरीब परिवार के लोगों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। अब इस योजना के फलस्वरूप समय पर राषि मिलने से हमारी आर्थिक स्थिति भी सुधरा है और परिवार में खुशहाली आयी है। जिससे मैं और मेरा परिवार सुखद भविष्य की आस लेकर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। श्री रूपलाल ने कहा कि यह योजना उनके अलावा उनके जैसे अनेक गरीब लोगों के लिए मुश्किल वक्त का सहारा बनकर वरदान साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस योजना के माध्यम से उनके पषुओं के गोबर कीमती होने तथा उनके आर्थिक संबलता के आधार बनने से ग्रामीणों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही है। रूपलाल ने बताया कि हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि गोबर बिक्री से भी कभी हमें राषि प्राप्त होगी और गोबर हमारे आर्थिक संबलता का आधार बनेगा। रूपलाल ने इस योजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेष बधेल ने एक सच्चे अभिभावक की भांति हम पशुपालकों एवं किसानों के महत्व को समझते हुए एवं उनका सम्मान करने का अभिनव प्रयास किया है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल एवं छत्तीसगढ़ सरकार के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया है।
- बालोद । राज्य शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के तहत वर्मी कम्पोस्ट विक्रय कर ग्राम अरौद की जय राधा कष्ण स्वसहायता समूह की महिलाएं अपने सपने साकार कर रही हैं। समूह की मालती बाई ने बताया कि पहले वह सिर्फ अपने घर का कार्य करती थी जब से उनके ग्राम में गौठान बना है तब से वहां वर्मी कंपोस्ट बनाने का कार्य कर रही है, जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ है उन्होंने बताया कि उनके समूह को अब तक लगभग 06 लाख रुपये का आय प्राप्त हुआ है, जिससे वे सभी अपने सपने साकार कर रही हैं। मालती बाई ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट से होने वाली आय से उन्होंने अपने घर में टाइल्स लगवाया है अपने घर को सजाने और संवारने में इस योजना को अहम योगदान बताते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को इसके लिए धन्यवाद कहा है। समूह की सदस्य श्रीमती गणेशिया बाई ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट के विक्रय से जो आय प्राप्त हुई, उससे उन्होंने 20 हजार रुपए की सोने की माला खरीदी है, इसी प्रकार अमरिका बाई ने बताया कि वह वर्मी कंपोस्ट से हो रही आय का उपयोग अपनी खेती किसानी के कार्य में करती है इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। उन्होंने शासन की गोधन न्याय योजना की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया है।
- -अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन के लिए दी शुभकामनाएंबालोद। कलेक्टर श्री कुलदीप शर्मा से 26 मई को संयुक्त जिला कार्यालय स्थित अपने कक्ष में बालोद जिले के डौण्डीलोहारा विकासाखण्ड के ग्राम कोबा निवासी अंतर्राष्ट्रीय मार्शल आर्ट खिलाड़ी कुमारी दीप्ती साहू ने मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कुमारी दीप्ती साहू को रूस में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मार्शल आर्ट प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए बधाई दी। श्री शर्मा ने कुमारी दीप्ती साहू को रूस में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मार्शल आर्ट प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर अपने देश, छत्तीसगढ़ एवं बालोद जिले का नाम रौशन करने के लिए शुभकामनाएं दी। उल्लेखनीय है कुमारी दीप्ती साहू माप्सा गोवा एवं नेपाल के काठमांडू में आयोजित मार्शल आर्ट प्रतियोगिता में शामिल होकर दो बार गोल्ड मेडल भी हासिल कर चुकीं है।
- -मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की एक अपील पर गाँव में आ गई दुग्ध क्रांति-कोंडागांव का छोटा सा गांव हुआ दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर-इतना दुग्ध का उत्पादन कि दूसरे गांवों को भी हो रही आपूर्ति-आदिवासी अंचलों में गौठान बन रहे दुग्ध क्रांति के केन्द्ररायपुर, 28 मई 2023/ ग्राम पंचायत बोलबोला की कहानी की शुरूआत 29 अप्रैल 2022 से होती है। विश्व पशु चिकित्सा दिवस का अवसर था। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस दिन पशु चिकित्सकों को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ को दुग्ध उत्पादन-व्यवसाय में अग्रणी बनाने का आव्हान किया था। इससे प्रेरित होकर कोंडागांव जिला प्रशासन ने उन गाँवों के लिए रणनीति बनाई, जहां दुग्ध उत्पादन नहीं होता था। जिले के बोलबोला ग्राम पंचायत में सामूहिकता, लगन और प्रशासन के सहयोग से ऐसा परिवर्तन आया कि जहां कोई दूधारू पशु था ही नहीं अब वहां दुग्ध का भरपूर उत्पादन हो रहा है, बल्कि जिला मुख्यालय और आस पास के गांवों को आपूर्ति की जा रही है। ग्राम बोलबोला अब मिल्क रूट से जुड़ने वाला है। एक ऐसे गाँव के लिए जहाँ एक भी दुधारू पशु नहीं था, अब आजीविका के लिए सबसे बड़े साधन के रूप में पशुपालन का बदलता जाना वहां के लिए क्रांति से कम नहीं है।इस बदलाव के पीछे छत्तीसगढ़ शासन की सुराजी गांव योजना के तहत बनाया गया गौठान की महती भूमिका है। आदिवासी बहुल कोण्डागांव जिले में दुग्ध उत्पादन की कमी को देखते हुए जुलाई 2022 शासन ने हमर गरूवा हमर गौठान कार्यक्रम चलाया गया। पहले चरण में कोण्डागांव के नजदीक बोलबोला ग्राम पंचायत को चुना गया। कोण्डागांव जिले में मुख्यमंत्री श्री बघेल द्वारा वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से गाय खरीदने के लिए राशि दी गई।पशुपालन विभाग के अधिकारी डॉ. नीता मिश्रा बताती हैं कि राज्य में की गई 19वीं पशु संगणना में बोलबाला ग्राम पंचायत में दूधारू गाय नहीं थी। लेकिन गांव में गौठान बनने से लोग गौपालन के लिए आगे आए और यहां पशुपालन विभाग द्वारा गौठानों में महिला समूह को गौपालन के लिए प्रशिक्षण दिया गया। यहां पर गौठान से जुड़ी महिला समूहों को गौ-पालन के लिए तैयार किया गया। इसके बाद उन्हें प्रशिक्षण और ऋण अनुदान सहित गौठनों में चारा पानी और टीकाकरण सहित कई सुविधाएं उपलब्ध करायी गई।इन महिला समूहों के साथ उनके परिवार के पुरूष सदस्य तथा गांव के अन्य ग्रामीण भी गौपालन करने और सहयोग करने के लिए आगे आए। इसके साथ ही गाय खरीदने और दुग्ध चिंलिंग प्लांट लगाने के लिए हितग्राहियों को ऋण अनुदान दिया गया। जिला प्रशासन द्वारा पशुपालन के लिए डीएमएफ और मनरेगा से शेड तैयार कराया गया। समूह के सदस्य तथा अन्य ग्रामीणों को दुग्ध चिलिंग प्लांट के संचालन के लिए ओडिशा में प्रशिक्षण भी दिया गया।तमाम प्रक्रियाओं के बाद समूह के लोगों द्वारा डेयरी व्यवसाय का कार्य शुरू किया गया। बोलबाला गौठान के सामुदायिक डेयरी में हितग्राहियों ने दूधारू पशु रखे और दूध उत्पादन शुरू किया। इस समय हितग्राहियों के पास 32 दूधारू पशु हैं जिनसे प्रतिदिन 300 लीटर दुग्ध का उत्पादन हो रहा है। दूधारू पशु खरीदने के लिए 16 पशुपालकों को आदिवासी परियोजना, राज्य डेयरी उद्यमिता योजना से सहायता उपलब्ध करायी गई है। पशुओं को हरे चारे की व्यवस्था के लिए गौठान में नेपियर घांस की खेती की जा रही है, जिससे पशुओं को हरे चारे की उपलब्धता हर समय बनी रहे।दुग्ध की बिक्री से प्रतिदिन करीब 13 हजार रूपए की हो रही आयअब बोलबोला ग्राम पंचायत गांव में दुग्ध की कमी नहीं है बल्कि यहां से अब कोण्डागांव और आस-पास के गांवों में दुग्ध विक्रय के लिए जाने लगा है। दुग्ध की बिक्री से प्रतिदिन गौठान से जुड़े समूह को करीब 13 हजार रूपए मिल रहे हैं। गौठान में प्रतिदिन 640 किलो गोबर की भी बिक्री की जा रही है। गोबर से 1280 रूपए की अतिरिक्त आमदनी मिल रही है। गौमूत्र से कीटनाशक बनाने के लिए जल्द काम शुरू किया जाएगा। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। बोलबोला गांव की सफलता से प्रेरित होकर छोटे बंजोड़ा ग्राम पंचायत में भी दुग्ध उत्पादन की ओर अग्रसर होने जा रहे हैं।घर में दूध वाली चाय पी रहे हैं, बच्चों भी दूध पिला रहे हैं - श्रीमती कोयली मंडावीग्राम जरे बेंदरी पंचायत बोलबाला के नई रोशनी महिला स्व-सहायता समूह की सचिव श्रीमती कोयली मंडावी बताती हैं कि पहले हमारे यहां दुग्ध उत्पादन नहीं होता था अब दुग्ध उत्पादन हो रहा है। उसे घर-घर जाकर 50 रूपए प्रति लीटर बेच रहे हैं। जो दुग्ध बचता है उसका पनीर बनाकर भी बेच रहे हैं। यहीं नहीं पहले हम बिना दुग्ध वाली लाल चाय पीते थे। अब दुग्ध वाली चाय पी रहे हैं और बच्चों को भी दुग्ध पिला रहे हैं।गांव की आर्थिक स्थिति में आया सुधार - सरपंच श्री पोयामसरपंच श्री रत्नूराम पोयाम ने बताया कि गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति तो बढ़िया हुई ही है। गांव के बच्चों के स्वास्थ्य में भी सुधार आया है। इसके साथ ही यहां के लोगों का दुग्ध का उपभोग भी बढ़ा है। पशुपालक पिलसाय और केशूराम मरकाम बताते हैं कि हमारे गांव के लिए हर तरह से सुखद बदलाव आ रहे हैं। समूह की महिलाओं के पास पैसा आया है। मिल्क रूट से जुड़ने की संभावनाओं के चलते आर्थिक आय और भी बढ़ेगी। गांव में हम लोग नैपियर घास आदि भी लगा रहे हैं जिससे हमारी गायों का दुग्ध उत्पादन भी काफी बढ़ा है। सरकार की योजनाओं से हमारे गांव को नई दिशा मिली है।गौरतलब है कि नई रोशनी स्वसहायता समूह के सदस्यों ने मिलकर फार्मर इंट्रेस्ट ग्रुप बनाया है और समिति का नाम है मावा बोलबोला कोंडानार डेयरी प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति बनाई है। कोण्डागांव जिला प्रशासन ने जिले के गौठानों को दुग्ध क्रांति केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए योजना बनायी जा रही है। गौठनों को मिल्क रूट से जोड़ने के साथ ही दुग्ध उत्पादकों की सहकारी समिति बनाने की योजना पर भी काम शुरू कर दिया गया है। बोलबोला ग्राम में चिलिंग प्लांट प्रारंभ करने की तैयारी है। साथ ही दूध की बिक्री के लिए जिला मुख्यालय में आउटलेट खोलने की योजना है।
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रायपुर/ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने दिल्ली तथा उत्तरप्रदेश प्रवास के उपरांत 28 मई की शाम 4:00 बजे रायपुर पहुंचेंगे।
- रायपुर, /छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना पशुपालकों, महिलाओं, किसानों और आमजनों के लिए तरक्की के रास्ते खोल रही है। गौठान में आयमूलक गतिविधियों से जुड़़ने से स्थानीय स्तर महिलाओं को रोजगार मिल रहा है और उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है। अपने और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने में उनकी भागीदारी बढ़ी है। वास्तव में इस योजना ने महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ाया है।जिले के मोहला विकासखंड के रानाटोला गौठान में मां ममता स्वसहायता समूह की महिलाएं गौठान में गोबर से वर्मी खाद बनाने का काम कर रही है। अब तक महिला समूह को वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट का विक्रय कर 2 लाख रूपए का लाभ मिल चुका है। मां ममता स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती तारामती ने बताया कि पहले गांव में कृषि कार्य या मजदूरी करते थे। जब से हमारे गांव में गौठान बना है, हम गोबर से वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक स्वसहायता समूह की महिलाओं ने 973.30 क्विंटल वर्मी खाद तैयार किया है, जिसमें से 959 क्ंिवटल खाद का विक्रय कर चुके है। तारामती ने आगे बताया कि गौठान में केंचुआ भी तैयार कर विक्रय किया जा रहा है। खाद बेच कर कमाए पैसों से तारामती ने अपने लिए चांदी की पायल और करधन खरीदी है।समूह से जुड़ी अन्य महिलाओं ने बताया कि वर्मी कम्पोस्ट बेचकर प्राप्त आय से वे अब परिवार के घर खर्च में भागीदारी देती है तथा अपना और बच्चों की जरूरतों को भी पूरा कर रही हैं। सभी ने अपनी-अपनी जरूरतों के हिसाब से किसी ने मोबाईल फोन, तो किसी ने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए पैसे खर्च किये हैं।
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रायपुर । पं.ज.ने. स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर में आज 27 मई को देश के प्रथम प्रधानमंत्री भारत रत्न पण्डित जवाहर लाल नेहरू के पुण्यतिथि के अवसर पर महाविद्यालय भवन के प्रवेश स्थान पर स्थापित उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पण कर उसका पुण्य स्मरण किया गया। 60 वर्ष पूर्व 9 सितंबर 1963 को स्थापित छत्तीसगढ़ प्रदेश के सबसे पुराने और सबसे बड़े चिकित्सा महाविद्यालय का नामकरण पण्डित नेहरू की पुण्य स्मृति में किया गया है।
इस अवसर पर महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. तृप्ति नागरिया, डॉ. अरविन्द नेरल, डॉ. आर.के.सिंह, डॉ. निर्मल वर्मा, डॉ. निधि पांडे, डॉ. पी. के. खोडियार, डॉ. जागृति अग्रवाल, डॉ. उषा जोशी, डॉ. चन्द्रकला जोशी, डॉ. वर्षा पांडे, डॉ. दिवाकर धुरंधर, डॉ. पीयूष भार्गव और अन्य चिकित्सा शिक्षक व कर्मचारी गण उपस्थित थे। - बिलासपुर /कोटा ब्लॉक के करगीकला गोठान में संचालित रीपा में कामन सर्विस सेन्टर (डिजिटल सेवा) का शुभारंभ किया गया । इस सुविधा के शुरु होने से ग्रामीणों को काफी सहूलियत हो रही है। शुभारंभ के पहले ही दिन 128 हितग्राहियों ने इसका लाभ उठाया। इनमें 30 हितग्राहियों ने आयुष्मान कार्ड, 45 हितग्राहियों ने आधार सीडिंग एवं 53 हितग्राहियों ने पैसा निकासी का कार्य करवाया। शुभारंभ अवसर पर ग्रामीणों को बताया गया कि कॉमन सर्विस सेंटर की शुरुआत होने से सबको इसका लाभ मिलेगा। शासन की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली सुविधा का लाभ अब सीएससी के माध्यम से आसान हो जायेगा।
- -अब तक 13 हजार लीटर गोमूत्र की खरीदी-महिलाओं ने गोठानो में 12 हजार लीटर से ज्यादा बनाया गोमूत्र कीटनाशक-योजना से मिला आजीविका का नया जरियाबिलासपुर /छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में कृषि की लागत को कम करने, विष रहित खाद्यान्न के उत्पादन तथा जैविक खेती को बढ़ावा देने की लगातार सार्थक पहल की जा रही है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर गोठानों में गोमूत्र की खरीदी 4 रूपए प्रति लीटर की दर से की जा रही है। रासायनिक कीटनाशकों का खेती में कम उपयोग करने के उद्देश्य से गोमूत्र खरीदी की प्रभावी योजना शुरू की गई है। इस योजना से लोगों को आजीविका का जरिया मिल गया है। जिले के दो गोठानों शिवतराई एवं पौंसरी में चार रूपये प्रति लीटर की दर से लगभग 13 हजार लीटर गौमूत्र खरीदी कर 7226 लीटर वृद्धिवर्धक एवं 5183 लीटर कीट नियंत्रक निर्माण किया गया, जिसे विक्रय कर 4 लाख 24 हजार 100 रुपए की आमदनी इन गोठानों को हुई है।गोमूत्र कीटनाशक बाजार में मिलने वाले पेस्टीसाइड का बेहतर और सस्ता विकल्प है। इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता रासायनिक कीटनाशक से कई गुना अधिक है। विकासखण्ड कोटा के शिवतराई गोठान में मां महामाया स्व सहायता समूह की गोमूत्र से जीवामृत वृद्धिवर्द्धक और ब्रम्हास्त्र कीटनाशक बना रही है। महिलाओं ने यहां जीवामृत एवं ब्रम्हास्त्र बनाया है। महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे वृद्धिवर्धक एवं कीट नियंत्रक फसलों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसी प्रकार विकासखण्ड बिल्हा के पौंसरी गोठान में श्रद्धा स्व सहायता समूह की महिलायें भी गोमूत्र से कीटनाशक बनाने में जुटी हुई है। समूह की महिलायें कहती है कि अभी तक हम केवल गोबर और उससे बने उत्पाद की बिक्री कर रहे थे, लेकिन अब गोमूत्र का उपयोग कर आय के नये स्त्रोत का सृजन हुआ है। जीवामृत के छिड़काव से पौधे में वृद्धि होगी। इसी प्रकार नीम, धतूरा, बेसरम, ऑक, तथा सीताफल और गोमूत्र के मिश्रण से ब्रम्हास्त्र बनाया गया है। इसका प्रयोग खेतों में कीटनाशक के रूप में किया जा रहा है।
- - समूह की अध्यक्ष ने प्राप्त राशि से 10 वीं कक्षा में पढ़ रहे अपने बेटे के पढ़ाई के लिए खरीदा मोबाईल फोनदुर्ग / पुरई गौठान में जन जागृति आत्मा समूह की दीदियों के द्वारा वृहद स्तर पर मशरूम का उत्पादन विगत 2 वर्षों से किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत अब तक उन्होंने 2 वर्षों में 10 क्विंटल मशरूम का उत्पादन गौठान में किया है। जिसके विक्रय से उन्हें 3 लाख की राशि प्राप्त हुई है। समूह के सदस्य श्रीमती संतोषी साहू द्वारा बताया गया कि उत्पादित मशरूम का विक्रय दीदियों के द्वारा ही विभिन्न मार्केट स्थल पर किया जाता है। इसके साथ ही समूह द्वारा ऐसे बडे़ होटलों से भी संपर्क किया जा रहा है जहां मशरूम की डिमांड है। समूह की अन्य सदस्य श्रीमती मधु राजपुत ने बताया कि क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी श्री अमित वर्मा के मार्गदर्शन में समूह की दीदियों ने मशरूम उत्पादन को लेकर प्रशिक्षण प्राप्त किया और प्रशिक्षण पश्चात् समूह के सभी 10 सदस्य सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं जिसके अंतर्गत वह मशरूम के अन्य उत्पाद जैसे अचार, बड़ी और मशरूम पाऊडर भी निर्मित कर रहे हैं।समूह की अध्यक्ष श्रीमती निर्मला साहू ने बताया कि उनका लड़का इस वर्ष कक्षा 10 वी में है। जिसके लिए उन्होंने मशरूम उत्पादन से प्राप्त आमदनी से एक मोबाईल खरीदा है, ताकि उनका बेटा मोबाईल के एजुकेशनल विडियो के माध्यम से बोर्ड परीक्षा में बेहतर परिणाम हासिल कर सके। उन्होंने गौठानों में संचालित की जाने वाली विभिन्न आजिविका गतिविधि के लिए राज्य शासन को आभार भी व्यक्त किया और कहा कि जिस तरह जन जागृति आत्मा समूह की दीदियां इससे आर्थिक दृष्टिकोण से आत्मनिर्भर बन रही हैं ठीक उसी तरह जिले के अन्य स्व सहायता समूह की दीदियां भी गौठानों के माध्यम से अपने पैरों पर सशक्त रूप से खड़ी हैं।
- -अपना मटेरियल-अपना प्रोडक्ट की थीम पर ओटगन गौठान में हो रहा रागी लड्डू का उत्पादन-साठ रुपए पैकेट लड्डू की स्थानीय मार्केट में भारी माँग, शुरुआत में ही दस हज़ार रुपए का फ़ायदारायपुर। ज़िले के तिल्दा विकासखंड के ओटगन गौठान अब अपना मटेरियल-अपना प्रोडक्ट की राह पर चल पड़ा है। इस गौठान में महिला स्व सहायता समूह की सदस्य गौठान की बाड़ी में उपजाई रागी से लड्डू बनाने का काम शुरू कर चुकी है । पहले ही ऑर्डर पर इन महिलाओं को लगभग दस हज़ार रुपए का फ़ायदा हुआ है। ओटगन गौठान के रागी के लड्डुओं की स्थानीय बाज़ार में ख़ासी माँग है। महिला समूह अपने इस स्पेशल प्रोडक्ट को साठ रुपये प्रति पैकेट के दाम पर स्थानीय बाज़ार में बेच रही है। ख़ास बात ये है कि कामधेनु स्व सहायता समूह की सदस्य लड्डू बनाने के लिए रागी बाज़ार से नहीं ख़रीदती। लड्डू बनाने के लिए रागी का उत्पादन गौठान से लगी बाड़ी में खेती कर हो रहा है।ओटगन ग्राम पंचायत की सचिव श्रीमती शकुंतला नारंग ने बताया कि ओटगन गौठान से लगी बाड़ी में एक एकड़ रकबे में महिला समूह की सदस्य रागी की खेती कर रही है।पिछले सीजन रागी के लड्डू बेचकर दस हज़ार रुपये के फ़ायदे ने महिलाओं की इस व्यवसाय को बढ़ाने की तरफ़ प्रेरित किया है । इसके साथ ही मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सरकार के मिलेट मिशन ने कामधेनु समूह की आशाओं को नए पंख लगा दिए है।ओटगन गौठान में कई आय मूलक गतिविधियाँ की जा रही है । महिलाएँ गोबर के दिए बनाने से लेकर पापड़, साबुन, पंचगव्य से कीटनाशक ब्रह्मास्त्र तक बना रही है। मुर्गीपालन और बकरीपालन से भी इन महिलाओं को अच्छा लाभ हो रहा है।कामधेनु महिला स्व सहायता समूह की सदस्य श्रीमती रेखा राजपूत ने बताया कि ओटगन गौठान जब से बना है तब से लगातार गोबर ख़रीदी हो रही है। महिलाओं ने दो लाख रुपए से अधिक की वर्मी कम्पोस्ट बेची है । सब्ज़ी उत्पादन से भी लगभग एक लाख रुपए की आय हुई है। श्रीमती राजपूत बताती है कि गौठान की गतिविधियों से महिलाओं को लगातार निश्चित समय अंतराल पर आय हो रही है । इस से उनका पारिवारिक स्तर तो बढ़ ही रहा है, अपने काम व्यवसाय को भी बढ़ाने की ललक भी बढ़ गई है। इस गौठान में मछलीपालन भी किया जा रहा है । पिछले सीजन में डेढ़ लाख रुपए की मछली भी समूह की महिलाओं ने बेची है। मिनी-रीपा के रूप में तेज़ी से विकसित हो रहे ओटगन गौठान ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सुनियोजित तरीक़े से आजीविका के साधन निर्मित किए है। इस से समूह की महिलाओं को अभी औसतन साढ़े पाँच हज़ार रुपए महीने की आय हो रही है।
- -महिला समूहों को 43.20 लाख रूपए की आमदनी-पौष्टिक साग-सब्जियों के उत्पादन के साथ-साथ पर्यावरण सुरक्षा भीरायपुर / राज्य शासन की विशेष प्राथमिकता वाले महत्वाकांक्षी नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना के अंतर्गत गौठानों में शुरू की गई बाड़ी योजना अत्यंत लाभप्रद एवं बहुउपयोगी सिद्व हो रहा है। इस योजना के फलस्वरूप गौठानों में बारहमासी फल, फूल एवं सब्जियां लहलहा रही हैं। गौठानांे में बाड़ी योजना के अंतर्गत पौष्टिक साग- सब्जियों के उत्पादन के साथ साथ गौठानांे में उगाए गए पेड़-पौधे पर्यावरण के संरक्षण एवं संर्वधन के साथ-साथ यह योजना इस काम में लगे स्व-सहायता समूह की महिलाओं के लिए अतिरिक्त आय का जरिया बन गई है। बालोद जिले के महिला समूहों ने फल, फूल एवं सब्जियांे को बेचकर 43.20 लाख रूपए की आमदनी अर्जित की है।बालोद जिले के गुरूर विकासखण्ड के अरमरीकला गौठान में बाड़ी योजना के अंतर्गत 1.40 एकड़ जमीन पर बरबट्टी, बैगन, टमाटर, भिड़ी, प्याज एवं गोभी वर्गीय फसल के उत्पादन के साथ साथ अदरक ब्रीडर कंद से बीजोत्पादन का कार्य किया जा रहा है। इसकी जवाबदारी उज्ज्वला योजना स्व सहायता समूह की महिलाओं को दी गई है। जिसमें समूह की अध्यक्ष श्रीमती उषा बाई के अलावा 12 महिलाएं कार्यरत हैं। उद्यानिकी विभाग द्वारा आदान सामाग्री के रूप में 57 हजार 600 रूपये की राशि का 7.20 क्विंटल बीज अनुदान के रूप में उपलब्ध कराया गया है। सब्जियों के उत्पादन में समूह द्वारा 60 हजार रूपये की लागत लगाकर 01 लाख 80 हजार रूपये की आमदनी बाजार में सब्जी बिक्री कर की गई है। इसके अलावा अदरक बीजोत्पादन योजना से 18 क्विंटल का उत्पादन किया गया जिससे एक लाख 40 हजार की आमदनी हुई।इसी तरह अरमरीकला के एकता स्वसहायता समूह एवं आत्मा स्वसहायता समूह द्वारा भी 2.40 एकड़ भूमि में सामुदायिक बाड़ी योजना से सब्जी की बिक्री कर 01 लाख 04 हजार रूपये का लाभ अर्जित किया गया है। वर्तमान में खरीफ 2023 में सब्जी लगाने की तैयारी की जा रही है। जिससे निर्धारित समय में सब्जी उत्पादन कर अधिक से अधिक लाभ अर्जित किया जा सकता है।138 महिला समूहों की 2308 महिलाएं कर रही है साग-सब्जियों की खेतीजिले के चयनित 185 गौठानांे में सामुदायिक बाड़ी निर्मित की गई है। जिसमें 138 महिला स्वसहायता समूह द्वारा सब्जी उत्पादन किया जा रहा है। इस प्रकार जिले में महात्वाकांक्षी योजनांतर्गत 2308 महिलाएं सब्जी उत्पादन के कार्य में लगी हैं। महिला स्वसहायता समूह को सुराजी ग्राम योजना के अंतर्गत भूमि एवं पानी की सुविधा तथा तकनीकी जानकारी के साथ साथ समय-समय पर आदान सामाग्री के रूप में बीज उपलब्ध कराया जाता है।बालोद जिले के गौठानों में संचालित सामुदायिक बाड़ी योजना के अंतर्गत महिला स्वसहायता समूहों द्वारा फल-फूल एवं कंदवर्गीय उत्पादों के विक्रय से अब तक 43 लाख 20 हजार रूपए की आमदनी अर्जित की जा चुकी है। इस तरह से राज्य शासन की सामुदायिक बाड़ी कार्यक्रम पौष्टिक साग-सब्जियों एवं फलों की समुचित आपूर्ति के साथ-साथ ग्रामीणों को अतिरिक्त आय प्रदान कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने तथा स्वरोजगार प्रदान करने का अत्यंत कारगर माध्यम साबित हो रहा है। उज्जवला स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती उषा बाई साहू ने राज्य शासन की सामुदायिक बाड़ी कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसे ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार तथा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताते हुए छत्तीसगढ़ सरकार एवं मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को हृदय से धन्यवाद दिया है।
- -गौठान में वर्मी कम्पोस्ट बनाकर हासिल किया अतिरिक्त आय का जरियारायपुर / प्रदेश सरकार की महती गोधन न्याय योजना आज ना केवल पशुपालकों को लाभान्वित कर रही है, बल्कि हर वर्ग को इससे कुछ ना कुछ फायदा मिल रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण है धमतरी शहर की स्वच्छता दीदी। धमतरी शहर की विभिन्न डेयरियों से गोबर एकत्रित कर पशुपालक स्थानीय दानीटोला वार्ड स्थित गौठान में बेचते हैं। इससे डेयरी संचालकों को तो उनके पशुओं के गोबर से आय तो मिलता ही है, साथ ही सुबह सात बजे से 10 बजे तक घर-घर कचरा कलेक्शन करने के बाद शहर की स्वच्छता दीदियों ने भी गौठान में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर आय का अतिरिक्त जरिया हासिल कर लिया है।गोधन न्याय योजना के तहत दानी टोला वार्ड स्थित गौठान में अब तक 49.30 लाख रूपये की 24 हजार 650 क्विटंल गोबर खरीदी की गई। वहीं 2 हजार 769 क्विटंल वर्मी खाद का उत्पादन कर महिलाओं द्वारा 2 हजार 243 क्विटंल वर्मी खाद का विक्रय किया गया। वर्मी निर्माण कार्य में लगीं स्वच्छता दीदी श्रीमती पूजा साहू, श्रीमती द्रोपति जांगड़े, श्रीमती आशा महिंलांग, श्रीमती सुलोचना बंजारे, श्रीमती ज्योति कॉलखोर, श्रीमती नीलम बंजारे खुश होकर कहतीं हैं कि कचरा कलेक्शन के बाद के समय का सदुपयोग कर वे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहीं हैं। वाकई प्रदेश के मुखिया श्री भूपेश बघेल ने गोधन न्याय योजना शुरू कर हम महिलाओं की आर्थिक स्थिति को काफी मजबूत बनाने में मदद की है।
- -गौपालकों और चरवाहों के जीवन में आई खुशहालीरायपुर । गोधन न्याय योजना से गौपालकों और चरवाहों के जीवन में खुशहाली आई है। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि गोबर को पैसा में खरीदा जाएगा और इसको बेचने से आमदनी भी होगी। लेकिन छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना से जिंदगी बदल गई है। छत्तीसगढ़ सरकार ने जब से 02 रूपए प्रति किलो में गोबर की खरीदी प्रारंभ की तब से गोबर का मोल मिलने लगा है। अब यह आय का जरिया बन गया है, जिससे गौपालक और चरवाहे आमदनी पाकर अपनी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।ग्राम बिरकोना के चरवाहा श्री रामजी यादव ने बताया कि वे सुबह और शाम गाय चराने गौठान में आते है। उन्होंने कहा कि जब से गोधन न्याय योजना की शुरूआत हुई है, तब से दोहरा लाभ मिलने लगा है। एक ओर चराई का मेहताना मिल रहा है, दूसरी ओर गोबर बेचकर अच्छी-खासी आमदनी भी प्राप्त कर रहे है। उन्होंने बताया कि गोबर बेचकर 18 हजार रूपए की आमदनी प्राप्त हुई है। इसके लिए वे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद देते नहीं थकते।कवर्धा विकासखंड के ग्राम बिरकोना निवासी श्रीमती गायत्री यादव बताती हैं कि गोधन न्याय योजना के तहत अब तक 40 हजार रूपए का गोबर विक्रय कर चुकी है। उन्होंने बताया कि शासन की गोधन न्याय योजना में गोबर बेचने से अतिरिक्त आय मिल रही है। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि गोबर का मोल मिलेगा। लेकिन मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने योजना के तहत गोबर खरीदकर गोबर के महत्व को और अधिक बढ़ाया है। उन्होंने बताया कि गोबर बेचकर प्राप्त आमदनी से अपने परिवार के सदस्य के विवाह के लिए जरूरी समान की खरीदी की है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद देते हुए कहा कि शासन की इस योजना ने गाय के महत्व को बढ़ाया है। उन्होंने बताया कि वे गोबर को 02 रूपए प्रतिकिलो के मूल्य से गौठान में विक्रय करती हैं। इसके बाद समूह की महिलाओं द्वारा वर्मी कम्पोस्ट बनाकर विक्रय किया जाता है।
- -एनीमिया दूर करने अलग-अलग आयु वर्ग के बच्चों, किशोर/किशोरियों, गर्भवती व शिशुवती महिलाओं को नियमित रूप से प्रदान किया जा रहा है आईएफए सप्लीमेंटेशनरायपुर। एनीमिया मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत बच्चों, किशोरों, गर्भवती तथा शिशुवती महिलाओं को आईएफए (आयरन एवं फॉलिक एसिड) सप्लीमेंटेशन उपलब्ध कराने में छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर है। पूरे देश में छत्तीसगढ़ से आगे केवल तेलंगाना और तमिलनाडू ही हैं। एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत छह माह से 19 वर्ष तक के बच्चों, किशोर/किशोरियों तथा गर्भवती व शिशुवती महिलाओं को आईएफए की खुराक दी जाती है। मितानिनों द्वारा छोटे बच्चों को आयरन एवं फॉलिक एसिड सिरप, स्कूलों में शिक्षकों के माध्यम से एवं आंगनवाड़ी केंद्रों में शाला त्यागी किशोरियों को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से आईएएफ प्रदान किया जा रहा है तथा गर्भवती व शिशुवती महिलाओं को नियमित प्रसव पूर्व जांच एवं अस्पतालों के माध्यम से आयरन एवं फॉलिक एसिड टेबलेट प्रदान किया जा रहा है।भारत सरकार द्वारा हर तिमाही एवं वार्षिक एनीमिया मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आईएफए सप्लीमेंटेशन का स्कोर कॉर्ड जारी किया जाता है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी वार्षिक एनीमिया मुक्त भारत स्कोर कार्ड में छत्तीसगढ़ राज्य पूरे देश में आईएफए सप्लीमेंटेशन में तीसरे स्थान पर रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य एनीमिया मुक्त भारत अभियान में लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहा हैं आईएफए सपलिमन्टेंशन में राज्य वर्ष 2021-22 में आठवें स्थान में था जो वर्तमान में वर्ष 2022-23 में तीसरे स्थान में पहुंच गया हैं।एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. वी.आर. भगत ने बताया कि छत्तीसगढ़ एनीमिया दूर करने आईएफए सप्लीमेंटेशन में उत्तरप्रदेश, बिहार, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक जैसे कई बड़े राज्यों को पीछे छोड़ते हुए लगातार तीसरे स्थान पर काबिज़ है। प्रदेश में पिछले कुछ महीनों में इस अभियान में खासी तेजी आई है।भारत सरकार द्वारा वर्तमान में वर्ष 2022-23 हेतु राज्यवार आईएफए सप्लीमेंटेशन के जारी आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में छह माह से 59 माह के 78.5 प्रतिशत बच्चों को और पांच वर्ष से नौ वर्ष के 83.6 प्रतिशत बच्चों को आईएफए सप्लीमेंटेशन दिया गया है। प्रदेश में इस दौरान दस वर्ष से 19 वर्ष के 86.4 प्रतिशत बच्चों व किशोरों, 95 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं तथा 74.4 प्रतिशत शिशुवती महिलाओं (Lactating Mothers) को आईएफए सप्लीमेंटेशन की खुराक दी गई है। इन सभी समूहों को मिलाकर छत्तीसगढ़ में आईएफए सप्लीमेंटेशन का ओवरऑल स्कोर 83.6 प्रतिशत है।
- -रीपा अमलीडीह के आजीविका वर्कशेड में उद्यमियों को मिला अच्छा कार्यस्थल-समूह की महिलाओं को वर्मी कम्पोस्ट एवं केंचुआ संवर्धन की बिक्री से हुई 10 लाख की आमदनी-शिवराज ने सोफा एवं दीवान की बिक्री से कमाए 25 हजार रूपए-आरूग जैविक कीटरोधक नीमास्त्र एवं आरूग जैविक टॉनिक द्रव्य जीवमृत का निर्माण कर रही समूह की महिलाएं-मुर्गीपालन, बकरी पालन, मशरूम उत्पादन, सामुदायिक बाड़ी एवं पशुपालन जैसी गतिविधियां संचालित हैं रीपा मेंरायपुर । ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए एवं सस्टेनेबल मॉडल की संकल्पना साकार हो रही है, रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में। रीपा के एक नवाचार से कैसे लोगों की जिंदगी बदलती है और खुशहाली के रास्ते खुलते हैं। इसकी एक बानगी ग्राम अमलीडीह के रीपा गौठान में देखने को मिली, जहां रीपा की अधोसंरचना अंतर्गत विभिन्न वर्क शेड बनाये गये हैं और वहां विभिन्न समूहों, उद्यमियों को कार्य करने के लिए एक अच्छा स्थान उपलब्ध कराया गया है। रीपा के प्रोडक्ट सी-मार्ट में भी उपलब्ध रहेंगे। जिससे उद्यमियों के उत्पाद को मार्केट उपलब्ध हो रहा है, जनसामान्य की उम्मीदें पूरी हो रही हैं और तरक्की के नये रास्ते खुल रहे हैं। ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में शासन की यह योजना प्रभावी है। रीपा गौठान अमलीडीह की श्रीमती लक्ष्मी वैष्णव ने बताया कि जय माँ गायत्री स्वसहायता समूह में सहभागिता से सभी महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण कर रही हैं और साथ ही आरूग जैविक कीटरोधक नीमास्त्र एवं आरूग जैविक टॉनिक द्रव्य जीवमृत का निर्माण कर रहे हैं। अब तक गौठान में 4 लाख 94 हजार 36 क्विंटल गोबर की खरीदी हुई है। जिससे 1 लाख 88 हजार 380 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण हुआ है। वर्मी कम्पोट की बिक्री से लाभांश राशि 8 लाख रूपए तथा केंचुआ संवर्धन एवं बिक्री से 2 लाख रूपए प्राप्त हुए हैं। इतना अच्छा कार्य मिलने पर महिलाओं ने शासन को धन्यवाद दिया है।जय गंगा मैया स्वसहायता समूह की श्रीमती पूर्णिमा साहू ने बताया कि रीपा में कैरी बैग निर्माण की मशीन दी गई है और हमने कैरी बैग बनाना शुरू कर दिये हैं। हमें उम्मीद है कि इससे हमारी आय बढ़ेगी और हमारा घर-परिवार अच्छे से चलेगा। रीपा के कारपेंटर वर्क शॉप में कार्य कर रहे श्री शिवराज साहू ने बताया कि उन्हें अब तक सोफा एवं दीवान की बिक्री से 25000 रूपए की आय हुई है। उन्हें फर्नीचर बनाने के लिए लगातार ऑर्डर मिल रहा है। रीपा में समूह की महिलाओं को पंचगव्य साबुन, एवं गौ फिनाइल बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। यहां गौठान में साहीवाल, राखी एवं जर्सी गाय का पशुपालन भी किया जा रहा है। इसके अंतर्गत डेयरी उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्कशेड में मुर्गीपालन, बकरी पालन, मशरूम उत्पादन जैसी गतिविधियों भी संचालित हैं। सामुदायिक बाड़ी में पत्तागोभी, केला, बरबट्टी, कांदाभाजी, भाटा, भिण्डी की सब्जी से भी आमदनी हो रही है।