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-पंडित प्रकाश उपाध्याय
घर में कई ऐसी चीजें मौजूद होती है, जो नेगेटिविटी का कारण बनती हैं और जिसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यह ऊर्जाएं घर के माहौल को नकारात्मक बनाती है और घर में अक्सर लड़ाई-झगड़े और क्लेश की स्थिति बनी रहती है। चलिए हम आपको घर में मौजूद उन चीजों के बारे में बताते हैं, जो घर की नेगेटिविटी बढ़ाती हैं। इन चीजों को आज ही घर से बाहर निकाल दें।
रुकी हुई घड़ी
घर में कभी लंबे समय से बंद पड़ी घड़ी को ना रखें। वास्तु के अनुसार, इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रसार बढ़ता है। जब घड़िया रुकती हैं तो यह पता चलता है कि समय रुक गया है। इसका एक नकारात्मक अर्थ है, जो नकारात्मक परिणाम ला सकता है।
टूटे हुए ग्लास
घर में टूटे हुए कांच के ग्लास नहीं रखने चाहिए। मान्यता है कि इससे भाग्य के साथ विश्वासघात का सामना करना पड़ता है और आपके बारे में गपशप बढ़ जाती है। आप अपने शब्दों या दूसरों के द्वारा बोले गए शब्दों के कारण भी परेशान हो सकते हैं।
टूटे हुए बर्तन और क्रॉकरी
वास्तु के अनुसार,घर में टूटे हुए बर्तन या क्रॉकरी का इस्तेमाल करना गरीबी के संकेत देते हैं। कभी भी ऐसे ग्लास या बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, जो टूटे हुए हों। यह दुर्भाग्य का कारक माने जाते हैं।
सूखे फूल
ये किसी खूबसूरत चीज के मृत्यु का दुखद संकेत हैं। कभी भी घर में सूखे फूलों को नहीं छोड़ना चाहिए। इससे घर में नकारात्मकता बढ़ती है। इसलिए सूखे फूलों को काटकर बगीचे में फेंक देना चाहिए।
पुराने कैलेंडर
नया सा आते ही या उससे पहले ही पुराने कैलेंडर को बाहर कर देना चाहिए। पुराने कैलेंडर अतीत का संकेत देते हैं, वे पिछले वर्षों की अतीत की ऊर्जाओं को धारण करते हैं और पुरानी बातों को सोचने के बजाय आगे की ओर बढ़ना ज्यादा बेहतर है।
कांटेदार पौधे
घर में कांटेदार पौधे जैसे कैक्टस इत्यादि को नहीं लगाना चाहिए। इससे घर में नेगेटिविटी बढ़ती है। कांटे वाले कैक्टस के पौधों को मेनगेट के बाहर छोड़ना बेहतर होता है। ताकि वे सुरक्षात्मक ऊर्जा ला सकें।
खाली कुर्सी
घर में कभी भी स्थायी रूप से एक खाली कुर्सी रखना शुभ नहीं है। मान्यता है कि यह हानिकारक आत्माओं को घर में आमंत्रित करता है। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि कोई उस पर नियमित रूप से बैठता हो या उसे पूरी तरह से हटा दिया जाए। - -पंडित प्रकाश उपाध्यायहस्तरेखा विज्ञान के जरिए लोगों के भविष्य के बारे में कई तरह के अनुमान लगाए जाते हैं। हाथों की लकीरों का ज्योतिष शास्त्र में अच्छा खासा महत्व है। आपके हाथों की लकीरें आपकी भविष्य, भूत और वर्तमान के बारे में काफी कुछ बता पाने में सक्षम हैं। आज हम आपको बताएंगे हाथ में वी आकार के निशान के बारे में। जिस भी व्यक्ति के हाथ में मध्यमा और तर्जनी के नीचे ये निशान होता है, वह बहुत ही लकी होता है। परिवार से लेकर धन और सुख समृद्धि सभी इस व्यक्ति को नसीब होती है।आइए जानते हैं इस निशान के बारे में ---कहा जाता है कि जिन लोगों के हाथों में वी का निशान है, तो वे बहुत ही भाग्यशाली हैं। वे लोग सकारात्मक विचार के होते हैं और अपने परिवार और दोस्तों की मदद के लिए हमेशा खड़े रहते हैं। अगर भरोसा करने की बात हो , तो इनसे ज्यादा भरोसेमंद इंसान कोई नहीं है। यह भी कहा जाता है कि इस निशान वाले लोगों को अपने शुरू के जीवन में कई संघर्ष झेलने पड़ते हैं, जो चीजें लोगों को आसानी से मिल जाती हैं, इन लोगों को उसे पाने के लिए पापड़ बेलने पड़ते हैं, लेकिन 35 साल की उम्र के बाद से इन लोगों के जीवन में बदलाव आता है और ये लोग जीवन में तरक्की पाने लगते हैं और धन दौलत सब खड़ा करके दिखाते हैं।
- - जानें भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधते हैंबालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायहिंदू पंचांग के अनुसार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। भारत में वैसे तो कई तरह के पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन रक्षाबंधन का अलग ही महत्व है। हर साल ये पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं। वहीं भाई प्रेमरूपी रक्षा धागे को बंधवा कर बहन की उम्र भर रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है, जिसे मनाते तो सिर्फ एक दिन हैं, लेकिन इससे बनने वाले रिश्ते जिंदगी भर निभाए जाते हैं। हालांकि इस साल भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन एक नहीं बल्कि 2 दिन माना जा रहा है। जानिए इसका क्या कारण है और बहनें किस दिन भाइयों की कलाई पर राखी बांधेंगी...रक्षाबंधन पर भद्रा का सायासावन पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है और इस साल सावन माह की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को है, लेकिन कहा जा रहा है कि इस साल 30 अगस्त को पूर्णिमा वाले दिन भद्रा का साया है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि यदि श्रावण पूर्णिमा तिथि पर भद्रा का साया हो तो भद्राकाल तक राखी नहीं बांधी जा सकती है। उसके समापन के बाद ही राखी बांधी जाती है, क्योंकि भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। ऐसे में इस साल रक्षाबंधन का पर्व 30 और 31 अगस्त दो दिन मनाया जाएगा।रक्षाबंधन कब है -30 या 31 अगस्त ?पंचांग के अनुसार सावन महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से हो रही है। इसका समापन 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर होगा। 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि की शुरुआत से ही यानी सुबह 10 बजकर 58 मिनट से भद्रा शुरू हो जा रही है और रात 09 बजकर 01 मिनट तक है।ऐसे में 30 अगस्त को भद्रा के कारण राखी बांधने का मुहूर्त दिन में नहीं है। इस दिन रात में 9 बजे के बाद राखी बांधने का मुहूर्त है। इसके अलावा 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक है और इस समय में भद्रा नहीं है। ऐसे में 31 अगस्त को सुबह 7 बजे तक बहनें भाई को राखी बांध सकती हैं। इस प्रकार से इस साल रक्षाबंधन 2 दिन 30 और 31 अगस्त को मनाया जा सकता है।राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 202330 अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त- रात 09 बजकर 01 से31 अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त: सूर्योदय काल से सुबह 07 बजकर 05 मिनट तकभद्रा में राखी क्यों नहीं बांधते हैंकहा जाता है कि शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्रा काल में राखी बांध दी थी, जिस वजह से रावण के पूरे कुल का सर्वनाश हो गया। इसलिए ऐसा माना जाता है कि भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। यह भी कहा जाता है कि भद्रा में राखी बांधने से भाई की उम्र कम होती है।
- बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायवास्तु शास्त्र की मानें तो घर में मौजूद कई ऐसी चीजें है जिसका प्रतिकूल प्रभाव हमारे जीवन पर देखा जा सकता है जैसे कि घर में खाली पड़ी कोई चीज।अक्सर घर में कुछ ऐसी चीजें होती हैं, जिनका खाली रहना दुष्प्रभाव देने लगता है। घर में कंगाली आती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में रखी खाली चीजों का असर आपकी प्रगति पर पड़ता है। आइए जानते हैं क्या हैं वो चीज़ें।पूजा घर में जलपात्र न रखें खालीपूजा घर में पूजन सामग्री,जैसे घंटी, धूप , जलपात्र आदि रखा जाता है। वास्तु के अनुसार पूजा के बाद जलपात्र को कभी भी खाली नहीं छोडऩा चाहिए । जलपात्र यानि जल कलश में गंगाजल रख कर उसमें तुलसी पत्ता रखना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान को भी प्यास लगती है और जलपात्र भरा रहने से भगवान जल ग्रहण करते हैं। मंदिर में जलपात्र खाली रहने से घर और जीवन में नकारात्मक प्रभाव डालता है जिससे आर्थिक संकट भी आता है।अन्न भंडार न रखें खालीवास्तु शास्त्र के अनुसार कभी भी अन्न का भंडार खाली नहीं रहना चाहिए। खाली होने से पहले ही उसे भर देना चाहिए। भरा हुआ अन्न का भंडार समृद्धि का प्रतीक है। यह जीवन में सकारात्मकता लाता है। मां अन्नपूर्णा धन-धान्य, ऐश्वर्य और सौभाग्य की देवी हैं। इनकी हर रोज पूजा करने से घर अन्न भंडार से भरा रहता है।तिजोरी न रखें खालीघर की तिजोरी हो या पर्स कभी भी खाली नहीं रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार खाली तिजोरी या पर्स हमेशा कंगाली की ओर ले जाते हैं। इसीलिए तिजोरी में हमेशा आप कौड़ी, गोमती चक्र, शंख भी रख सकते हैं। यह आपकी समृद्धि का प्रतीक है।बाथरूम की खाली बाल्टीवास्तुशास्त्र के अनुसार बाथरूम में कभी भी खाली बाल्टी नहीं रखनी चाहिए। बाथरूम में रखी खाली बाल्टी नकारात्मक ऊर्जा को लाती है, जिससे हजार परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर आप बाल्टी का प्रयोग नहीं कर रहे हैं तो उसमें हमेशा पानी भरकर रखें। बाथरूप में नीले रंग की बाल्टी का प्रयोग करें, जब बाल्टी का प्रयोग हो जाए तो उसे जल से भरकर रख दें, उसे खाली न छोड़ें।
- बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायसाल का पुरुषोत्तम मास यानी मल मास शुरू हो चुका है। शास्त्रों में अधिक मास का बड़ा ही महत्व बताया गया है। इस महीने में भगवान पुरुषोत्तम की उपासना करने वाले को हर प्रकार के सुख-साधनों की प्राप्ति होती है। इस मास के दौरान जातक यदि ये उपाय अपनाते हैं, तो उनके जीवन में होनी वाली परेशानियां दूर हो सकती हैं।1. अगर आप अपने किसी विशेष कार्य की सफलता सुनिश्चित करना चाहते हैं तो अधिक मास के दौरान जल में कुछ बूंद दूध और केसर मिश्रित करके प्रतिदिन भगवान विष्णु को अर्पित करें और भी बेहतर होगा, अगर आप दक्षिणावर्ती शंख में डालकर भगवान को अर्पित करें।2. अगर आप या आपके परिवार का कोई भी सदस्य कर्ज की किश्तों से परेशान हैं तो पुरुषोत्तम महीने के दौरान पडऩे वाले शनिवार के दिन स्नान आदि के बाद पीपल के पेड़ में जल डालें और साथ ही तेल का दीपक जलाएं।3. जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए आप इस दौरान श्री विष्णु सहस्त्रनाम् में दिये भगवान विष्णु के इस मंत्र का जप करें। मंत्र है- यस्य स्मरण मात्रेन जन्म संसार बन्धनात्?। विमुच्यते नमस्तमै विष्णवे प्रभविष्णवे॥4. अगर आपको अपनी नौकरी से संबंधित किसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है या आपका प्रमोशन अटक गया है, तो पुरुषोत्तम महीने के दौरान अधिक श्रावण शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानि 27 जुलाई को घर पर पांच छोटी कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित करें और उन्हें भोजन कराएं। भोजन में दूध, चावल से बनी खीर जरूर होनी चाहिए । भोजन कराने के बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेना न भूलें। लेकिन अगर किसी कारणवश कन्याएं आपके घर भोजन करने न आ सकें, तो उनके निमित्त एक थाली में भोजन निकालकर उनके घर दे आएं।5. अगर आपका मन किसी बात को लेकर उलझा हुआ है, तो पुरुषोत्तम महीने के दौरान जब भी आपको मौका मिले, किसी धार्मिक स्थल की यात्रा पर जरूर जाएं। अगर आप कहीं बाहर धार्मिक यात्रा पर जाने में समर्थ नहीं हैं, तो घर के आस-पास किसी विष्णु मंदिर में जाकर या घर पर ही भगवान विष्णु की प्रतिमा के आगे हाथ जोडक़र प्रणाम करें।6. किसी भी तरह के भय, बाधा आदि से छुटकारा पाने के लिए इस अधिक मास के दौरान श्री विष्णु सहस्त्रनाम् में रचित इस मंत्र का जप करें । मंत्र है-नम: समस्त भूतानां आदि भूताय भूभृते। अनेक रुप रुपाय विष्णवे प्रभविष्णवे॥7. अपनी धन-संपदा में वृद्धि करना चाहते हैं, तो पुरुषोत्तम मास के दौरान श्री विष्णु के साथ-साथ माता महालक्ष्मी की भी उपासना करें । साथ ही माता के इस मंत्र का जप करें। मंत्र है- 'श्रीं ह्रीं श्रीं'।8. अपने दांपत्य रिश्ते को मजबूत बनाये रखना चाहते हैं, तो अधिक मास के दौरान पडऩे वाली दो एकादशी तिथि में सवा किलो अनाज लेकर एक पीले रंग के कपड़े की पोटली में बांधकर विष्णु मंदिर में दान कर दें। आपको बता दें कि इस बीच एकादशी तिथि 29 जुलाई और 11 अगस्त को पड़ेंगी।9. समाज में अपना नाम चमकाने के लिए, अपनी अलग पहचान बनाने के लिए आप श्री विष्णु सहस्त्रनाम् में दिये भगवान विष्णु के इस मंत्र का जप करें। मंत्र है- जगत्प्रभुं देव देव मनन्तं पुरुषोत्तमम्?। स्तुवन् नाम सहस्त्रेण पुरुष: सत तोत्थित:।।10. परिवार में सुख-शांति बनाये रखने के लिए पुरुषोत्तम मास के दौरान प्रतिदिन स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु के सामने हाथ जोडक़र गायत्री मंत्र का पाठ करें। गायत्री मंत्र इस प्रकार है- ओम भूर्भुव स्व:। तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्॥11. आर्थिक तरक्की के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य पाने के लिए अधिक मास के दौरान रविवार को छोडक़र बाकी दिनों में स्नान आदि के बाद तुलसी के पौधे में जल डालना चाहिए और शाम के समय घी का दीपक जलाना चाहिए।12. अगर आप अपने करियर को एक ऊंचे मुकाम तक पहुंचाना चाहते हैं तो पुरुषोत्तम मास के दौरान प्रतिदिन इस मंत्र का जप करें। मंत्र है- ईशान: प्राणद: प्राणो ज्येष्ठ: श्रेष्ठ: प्रजापति:। हिरण्यगर्भो भूगर्भो माधवो मधुसूदन:।।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
इस समय अधिक मास चल रहा है। 24 जुलाई को श्रावण अधिकमास का पहला प्रथम सोमवार है। सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित होता है और अधिकमास में भगवान विष्णु की पूजा का बहुत अधिक महत्व होता है। इस माह में विधि- विधान से भगवान शंकर और भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। श्रावण अधिक मास के सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है। भगवान शंकर का दिन सोमवार होता है। 24 जुलाई को श्रावण अधिकमाास का पहला सोमवार है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है।
आइए जानते हें सावन के पहले सोमवार की पूजा- विधि, महत्व और सामग्री की पूरी लिस्ट...
पूजा- विधि ---
सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं।
भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें।
भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।
अधिकमास में ये 2 ग्रह चाल बदलकर मचाएंगे उथल- पुथल, बदल जाएगा इन राशियों का भाग्य, पढ़ें मेष से लेकर मीन राशि तक का हाल
सावन सोमवार व्रत का महत्व---
सावन के सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। सोमवार का व्रत करने से भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सावन का महीना भगवान शिव को अतिप्रिय होता है, जिस वजह से इस माह के सोमवार का महत्व सबसे अधिक होता है।
पूजन सामग्री की लिस्ट-
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायअधिकमास या मलमास आज से शुरू हो गया है। 18 जुलाई से शुरू होकर यह मास 16 अगस्त तक रहेगा। इस महीने को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है क्योंकि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने उनको अपना नाम दिया था। पुरुषोत्तम मास का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस माह भगवान विष्णु की आराधना और भागवत कथा श्रवण करना बेहद पुण्यदायी माना गया है। मान्यता है कि इस मास किए गए धार्मिक कार्यों और पूजा पाठ का फल अधिक मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र में मलमास का महत्व बताते हुए, कुछ ऐसी चीजों के बारे में भी जानकारी दी गई है कि इस अवधि में भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए कौन सी चीजें करनी चाहिए और कौन सी नहीं...1- धर्म कर्म के कार्यों के लिए अधिकमास बेहद उपयोगी माना गया है। इस मास में भगवान कृष्ण और नरसिंह भगवान की कथाओं को सुनना चाहिए। दान पुण्य के कार्य करने चाहिए। अधिकमास में श्रीमद्भगवद्गीता, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, राम कथा और गीता का अध्याय करना चाहिए। सुबह शाम ' ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए।2- अधिकमास में जप तप के अलावा भोजन का भी ध्यान रखना चाहिए। इस पूरे मास में एक समय ही भोजन करना चाहिए। इस मास में चावल, जौ, तिल, केला, दूध, दही, जीरा, सेंधा नमक, ककड़ी, गेहूं, बथुआ, मटर, पान सुपारी, कटहल, मेथी आदि चीजों के सेवन का विधान है। इस मास में ब्राह्मण, गरीब व जरूरतमंद को भोजन करना चाहिए और दान करना चाहिए।3- अधिकमास में दीपदान करने का विशेष महत्व है। साथ ही इस माह एक बार ध्वजा दान भी अवश्य करना चाहिए। इस अवधि में दान पुण्य के कार्य करना, सामाजिक व धार्मिक कार्य, साझेदारी के कार्य, वृक्ष लगाना, सेवा कार्य, मुकदमा लगाना आदि कार्यों में कोई दोष नहीं होता है।4- अधिकमास में विवाह तय कर सकते हैं और सगाई भी कर सकते हैं। भूमि व मकान खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट कर सकते हैं। साथ ही आप शुभ योग व मुहूर्त में खरीदारी भी कर सकते हैं। इसके अलावा आप संतान के जन्म संबंधी कार्य कर सकते हैं, सीमांत, शल्य कार्य आदि कार्य भी कर सकते हैं।मलमास में क्या ना करें1- अधिकमास या मलमास में मांस-मछली, शहद, मसूर दाल और उड़द दाल, मूली, प्याज-लहसुन, नशीले पदार्थ, बासी अन्न, राई आदि चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।2- इस माह नामकरण, श्राद्ध, तिलक, मुंडन, कर्णछेदन, गृह प्रवेश, संन्यास, यज्ञ, दीक्षा लेना, देव प्रतिष्ठा, विवाह आदि शुभ व मांगलिक कार्यों को करना वर्जित बताया गया है।3- अधिकमास में घर, मकान, दुकान, वाहन, वस्त्र आदि की खरीदारी नहीं करना चाहिए। हालांकि शुभ मुहूर्त निकलवाकर आभूषण खरीद सकते हैं।4- अधिकमास में शारीरिक और मानसिक रूप से किसी का अहित नहीं करना चाहिए। इस माह अपशब्द, क्रोध, गलत कार्य करना, चोरी, असत्य बोलना, गृहकलह आदि चीजें नहीं करना चाहिए। साथ ही तालाब, बोरिंग, कुआं आदि का त्याग करना चाहिए।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में सावन के सोमवार का विशेष महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं सावन सोमवार का व्रत और भगवान शिव का विधि-विधान से पूजा करती हैं। मान्यता है कि सावन सोमवार का व्रत रखने से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं और भगवान शिव सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि कुंवारी कन्याओं द्वारा सावन सोमवार के दिन विशेष उपाय करने से मनचाहे वर की मनोकामना पूरी होती है। चलिए सावन सोमवार के उपायों के बारे में जानते हैं।
सावन सोमवार के उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सावन के महीने में सोमवार की शाम को कुछ खास उपायों से लव मैरिज की राह आसान हो जाती है और भगवान भोलेनाथ की कृपा से मनचाहे जीवनसाथी की मनोकामना पूरी होती है।
बेलपत्र के उपाय
सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करते हुए 108 बेलपत्र पर चंदन से श्रीराम लिखें। इस बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है। आपकी भी मनचाहे जीवनसाथी की मनोकामना पूरी होगी।
शिवलिंग पर चढ़ाएं केसर दूध
सोमवार के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक का विशेष महत्व है। ऐसे में जिन जातकों को विवाह में अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है, वह सावन के सोमवार को दूध में केसर मिलाकर भगवान शिव को अर्पित कर सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से विवाह में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं और योग्य वर की प्राप्ति होती है।
108 शिवलिंग बनाएं
सावन के सोमवार को शाम के समय तालाब के साफ मिट्टी से 108 शिवलिंग बनाएं। पान के पत्ते पर एक लौंग और इलायची रखकर भगवान शिव को अर्पित करें। इसके साथ ही 'ओम गौरी शंकराय नम:' और 'ओम पार्वतीपताय नम:' मंत्रों का 108 बार जाप करें। अगले दिन इस शिवलिंग को नदी में प्रवाहित कर दें। मान्यता है कि ऐसा करने से मनपसंद जीवनसाथी से शादी की इच्छा पूरी होती है।
मां पार्वती की अराधना
शास्त्रों के अनुसार, मां पार्वती की विधि-विधान से भी पूजा करने से शादी में आ रही अड़चनों से छुटकारा मिलता है। इसके लिए प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करें और माता को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। साथ ही 'ओम श्री वर प्रदाय श्री नम:' मंत्रों का जाप करते हुए मां को पान के पत्ते से सिंदूर चढ़ाएं। ऐसा करने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
मौली के उपाय
विवाह में आ रही बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए सोमवार की शाम को शिवजी और मां पार्वती की मूर्ति पर 7 बार मौली बांधकर दोनों का बंधन कराएं। मान्यता है कि इस उपाय को करने से विवाह में आ रही सभी अड़चने दूर होती है और मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
व्यक्ति के जीवन में कई समस्याएं आती हैं। कई बार कुछ मुश्किलें हल हो जाती हैं और कुछ परेशानियां मानसिक तनाव बढ़ा देती हैं। कई बार समस्याओं का समाधान व्यक्ति के हाथ में होता है लेकिन उसका ध्यान नहीं जाता है। वास्तु के अनुसार रसोई की व्यवस्था पर भी ध्यान देना चाहिए। रसोई हमारे घर का बहुत महत्त्वपूर्ण भाग होती है। यह सही प्रकार से बनी हो तो हमारे जीवन में सुख, स्वास्थ्य आदि आते हैं। रसोई इस प्रकार होनी चाहिए।
1. वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई में चूल्हा पूर्व दिशा में होना चाहिए। उत्तर या दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए। कहते हैं कि पूर्व दिशा में चूल्हा रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
2. वास्तु शास्त्र के अनुसार, खाना बनाने वाली महिला का मुख खाना बनाते समय पूर्व की ओर होना चाहिए।
3. पानी की व्यवस्था सिंक एवं वाटर फिल्टर उत्तर की ओर हों। वास्तु के अनुसार, ऐसा होने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास नहीं होता है।
4. वास्तु के अनुसार, फ्रिज रसोई के उत्तर-पश्चिम में होना चाहिए।
5. ओवर हेड कैबिनेट्स दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।
6. वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई में झूठे बर्तन नहीं छोड़ना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से घर में दरिद्रता नहीं आती है। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायऐसी मान्यता है कि जिन घरों का वास्तु ठीक और संतुलित रहता है वहां पर कभी भी दरिद्रता, आर्थिक या मानसिक परेशानियां नहीं रहती है। ऐसे घर में सदैव मां लक्ष्मी का वास होता है जिससे घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता बनी रहती है। वहीं दूसरी तरफ अगर घर में किसी भी प्रकार का कोई वास्तु दोष होता है वहां पर नकारात्मकता और दरिद्रता का बोलबाला होता है। घर में छोटी-छोटी बातों पर अक्सर झगड़े होने लगते हैं। अगर घर के बेडरूम में किसी भी प्रकार का वास्तु दोष होता है तो पति-पत्नी के बीच में वैवाहिक जीवन मधुर नहीं रह पाता है। ऐसे में आइए जानते हैं बेडरूम में वास्तु संबंधित दोष कैसे होते हैं इसके उपाय।1- बेडरूम में नहीं होना चाहिए आईनावास्तु शास्त्र के अनुसार बेडरूम में आईना लगाना वास्तु दोष का कारण माना जाता है। अगर बेडरूम में आइना लगा हुआ है तो वहां पर रहने वाले पति-पत्नी के बीच में अक्सर अनबन होती रहती है। ऐसे में अगर बेडरूम में आइना है तो रात में सोते समय उसे किसी कपड़े से ढक देना चाहिए। रात में पति-पत्नी का आइने में प्रतिबिंब देखने पर मन में एक दूसरे के प्रति सम्मान की कमी आती है जिससे छोटी-छोटी बातों पर झगड़े शुरू हो जाते हैं। अगर संभव हो तो बेडरूम में आइना न रखें।2- बेडरूम में नहीं होनी चाहिए भगवान की तस्वीरवास्तु शास्त्र के अनुसार शयनकक्ष की दीवारों पर देवी-देवताओं की तस्वीरें लगाना शुभ नहीं माना जाता है। अक्सर लोग अपने बेडरूम में भगवान की तस्वीरों को लगा देते हैं। वहीं अगर आपको बेडरूम में भगवान की तस्वीर को लगाना चाहते हैं तो भगवान कृष्ण और राधा रानी की फोटो को लगा सकते हैं।3- आग्रेय कोण में न रखें कोई भारी चीजवास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण-पूर्व की दिशा को आग्रेय कोण कहा जाता है। आग्रेय कोण में कभी भी कोई भारी-भरकम चीज को नहीं रखना चाहिए। इससे घर में बेवजह के लड़ाई-झगड़े बढ़ते हैं और रिश्तों में तनाव पैदा होता है।4- इस दिशा में होना चाहिए बेडवास्तु के अनुसार अगर बेडरूम में बेड सही दिशा में नहीं रखा होता है तो घर में बहुत जल्द ही नकारात्मक ऊर्जा फैलती है और जीवन से सुख-समृद्धि दूर हो जाती है। इसकी वजह से अक्सर परिवार के सदस्यों के बीच लड़ाई- झगड़े होते रहते हैं। वास्तु शास्त्र के नियम के अनुसार कमरे में बेड की दिशा दक्षिण या फिर पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।5- बेड के आसपास न रखें झूठे बर्तनअक्सर कई लोगों की आदत होती है कि वे रात और दिन के समय बेड पर बैठकर खाते-पीते हैं और झूठे बर्तन को वहीं छोड़ देते हैं। ऐसे में इस आदत से घर में लक्ष्मी का वास नहीं होता है और व्यक्ति को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ता है।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
कई बार हमारी अनजाने में की गई गलतियां घर में वास्तु दोष का कारण बन जाती है। अक्सर हम घर में ऐसा सामान रख लेते हैं जो हमारे काम का नहीं होता है और इससे नकारात्मक ऊर्जा आती है। जीवन में कई बार बाधाएं खत्म ही होने का नाम नहीं लेतीं। एक के बाद एक बाधाएं मन को बेचैनी और निराशा से भर देती हैं। अगर ऐसा है तो घर के वास्तु पर ध्यान दें-
1. घर की रसोई का सीधा संबंध परिवार के सदस्यों की सेहत व आर्थिक स्थिति से होता है। ऐसे में ध्यान रहे कि गैस चूल्हा गलती से भी गंदा न छोड़ें। गंदा रहने की स्थिति में आपको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है।
2. कमरों से नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालने के लिए आप धूपबत्ती या अगरबत्ती जला सकते हैं। वास्तु के अनुसार, ऐसा करने से रात को नींद अच्छी आती है।
3. वास्तु के अनुसार, खिड़की या दरवाजों पर आप सेलेनाइट पत्थर रखकर घर पर बाहर से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को रोक सकते हैं। यह एक सफेद रंग का सल्फेट से बना पत्थर होता है।
4. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में रखा बेकार का सामान नकारात्मक ऊर्जा का कारण बनता है। ऐसे में घर में रखा अनुपयोगी सामान बाहर निकाल दें।
5. घर की उत्तर-पूर्व दिशा को बेहद शुभ माना गया है। कहते हैं कि इस दिशा में भगवान का वास होता है। वास्तु के अनुसार, ईशान कोण से भारी वजन की वस्तुएं हटा दें।
6. घर में बिना ताले की चाबी हो अथवा बिना चाबी के ताला हो, इनको तुरंत हटा दें। कहते हैं कि ऐसी चीजें घर में नकारात्मक ऊर्जा का कारण बनती है।
7. घर में जंग लगी वस्तुओं, रद्दी सामान को हटाएं। जंग लगी वस्तुएं नकारात्मक ऊर्जा को तेजी से अपनी ओर खींचती हैं।
8. बंद घड़ी, टूटे बर्तन आदि भी बाहर निकालें। वास्तु के अनुसार, घर में रखी बंद घड़ी या टूटे बर्तन आर्थिक तंगी या दरिद्रता घर में खींचते हैं। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायवैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हैं तो सुख-सुविधाओं में कमी हमेशा ही बनी रहती है। 7 जुलाई को शुक्र सिंह राशि में प्रवेश कर गए हैं। सिंह राशि सूर्यदेव की राशि मानी गई है। फिर शुक्र 7 अगस्त 2023 को वक्री चाल से चलते हुए कर्क राशि में वापस चले जाएंगे। इसके बाद 4 सितंबर 2023 को मार्गी हो जाएंगे। जब भी शुक्र ग्रह की चाल बदलती है तब इसका प्रभाव कुछ राशियों के ऊपर अवश्य पड़ता है। आइए जानते हैं शुक्र के वक्री होने से किन-किन राशि वालों को लाभ मिलने वाला है।मिथुन राशिमिथुन राशि के जातकों के लिए शुक्र का वक्री होना लाभ देने वाला साबित हो सकता है। शुक्र ग्रह आपकी राशि में तीसरे भाव में होने जा रहे हैं। शुक्र की वक्री चाल से मिथुन राशि के जातकों पर अच्छा खासा लाभ मिल सकता है। अचानक धन लाभ के मौके मिल सकते हैं और भाग्य का अच्छा साथ मिलने आपके सभी कार्य समय पर पूरे होंगे। जो जातक किसी व्यापार से संबंधित हैं उनहें मुुनाफा मिलने के आसार हैं। करियर और समाज में इस राशि के जातक का मान-सम्मान बढ़ेगा।सिंह राशिइस राशि के जातकों के लिए शुक्र का वक्री होना शानदार सफलता वाला साबित होगा। धन कमाने के बेहतर अवसरों की प्राप्ति होगी। आपको मेहनत का अच्छा फल आपको मिलेगा। कार्यक्षेत्र में आपको अच्छी सफलता हासिल होगी। धन कमाने की नए-नए रास्ते खुलेंगे। वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा। परिवार संग कहीं बाहर घूमने जा सकते हैं। नौकरी के लिए आपको अच्छे विकल्प की तलाश पूरी होगी। व्यापार में आपके द्वारा किया गया प्रयास सफल होगा। आपके घर में लक्ष्मी जी की विशेष कृपा बरसेगी। सेहत अच्छी रहेगी और लोगों के संग आपका मेल-मिलाप अच्छा रहने वाला होगा।तुला राशिइस राशि के जातकों के लिए शुक्र का वक्री होना वरदान सिद्ध साबित हो सकता है। जो लोग पिछले कई महीनों से नौकरी के लिए परेशान है उनको अब इसकी तलाश पूरी होने वाली है। अच्छी नौकरी मिलने के योग बन रह हैं। कार्यक्षेत्र में आपको अच्छी सफलता हासिल होगी। वैवाहिक जीवन में खुशियां और शांति रहेगी जो आपके रिश्ते को और अधिक मजबूत होने में मददगार साबित होगी।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तु के अनुसार, घर में मौजूद हर एक चीज का हमारे जीवन पर सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। चाहे वह घर की कोई दिशा हो या फिर कोई कोना। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की दिशाएं हमारे जीवन पर खास महत्व डालती हैं। हालांकि घर की एक दिशा ऐसी है जिसके कुछ नियम हैं और उनका पालन करना जरूरी होता है। वास्तु में घर की उत्तर दिशा को मां लक्ष्मी व भगवान कुबेर की दिशा माना गया है। कई बार हमें ऐसा लगता है कि हमारा काम रुक-सा गया है और समझ नहीं आता कि क्या करें। ऐसे में अपने घर की उत्तर दिशा को देखना चाहिए—
इन आसान वास्तु टिप्स से घर में आएगी खुशहाली, मिलेगा सौभाग्य व तरक्की
1. वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस दिशा में कोई भारी-भरकम सामान नहीं रखना चाहिए और वहां पर कोई सीढ़ी आदि न हो।
2. घर की उत्तर दिशा में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए और वास्तु के अनुसार, वहां पर शौचालय नहीं होना चाहिए।
3. घर की उत्तर दिशा धन के आगमन की दिशा मानी गई है। इसलिए वास्तु शास्त्र के अनुसार, वहां पर कोई बंद दीवार नहीं होनी चाहिए।
4. वास्तु के अनुसार, घर की उत्तर दिशा भगवान कुबेर का स्थान माना गया है। इसलिए वहां पर रसोई बनाना अच्छा नहीं होता है।
5. वास्तु के अनुसार, घर की इस दिशा में जूते-चप्पल आदि नहीं रखने चाहिए। वहां पर हरे रंग के पौधे शुभ फल देते हैं।
6. वास्तु के अनुसार, घर की उत्तर दिशा में बेकार की चीजों को नहीं रखना चाहिए। इस दिशा में ऐसा करने से घर में बरकत नहीं आती है। सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए इस दिशा में एक फाउंटेन यहां पर चलाएं। - सावन का महीना यानि श्रावण मास पर शिव मंदिरों में जलाभिषेक की तैयारियां पूरी हो गई हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन सोमवार (तीन जुलाई) को सभी प्रमुख शिवालयों में पूजन शुरू हो जाएगा। हालांकि सावन को पहला सोमवार 10 जुलाई को है, लेकिन गुरु पूर्णिमा से ही पूजन व जलाभिषेक शुरू हो जाएंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार सावन का महीना करीब 2 महीने का होने वाला है। सावन मास की शुरुआत 4 जुलाई 2023 से होगी और 31 अगस्त 2023 तक रहेगा। यानी इस बार भक्तों को भगवान शिव की उपासना के लिए कुल 58 दिन मिलने वाले हैं। कहा जाता है कि यह शुभ संयोग 19 साल बाद बना है।दरअसल, इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन अधिकमास रहने वाला है। यानी इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा। यानी इस बार सावन में भगवान शिव के साथ साथ भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होगी।गुरु पूजन के लिए शुभ मुहूर्तगुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 9:12 बजे से लेकर 1:42 बजे दोपहर तक है। इस दिन भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी, शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। गाय का पूजन व दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और शारीरिक कष्ट भी समाप्त होते हैं।शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें, भगवान होंगे प्रसन्न-गाय का दूध- शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से मनुष्य की हर मनोकामना पूर्ण होती है। चंद्रमा प्रबल होता है और उज्ज्वल स्थान प्राप्त होता है।-गन्ने का रस- इसे चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।-सरसों का तेल- शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है। अपार शांति और सकारात्मकता के साथ स्वस्थ मन और उत्तम शरीर का आनंद प्राप्त होता है द्य-शहद- व्यक्ति के अंदर मिठास की तरह उसके कर्म और विचारों में शुद्धता आती है एवं रोगों से मुक्ति मिलती है शरीर एकदम स्वस्थ रहता है द्य-बेलपत्र- दरिद्रता दूर होती है। धन-धान्य में वृद्धि होती है। महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है द्य-गंगाजल- भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं द्य गंगाजल हमेशा ताम्र पात्र में ही चढ़ावें ।सावन सोमवार का महत्वकहा जाता है कि जो व्यक्ति सावन के सोमवार का व्रत करता है उसके वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है साथ ही जीवन में सुख समृद्धि की कमी भी नहीं रहती है। सावन के महीने में भगवान शिव पर धतूरा, बेलपत्र चावल चंदन, शहद आदि जरूर चढ़ाना चाहिए। सावन के महीने में की गई पूजा से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा सावन के सोमवार का व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
- बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायहिंदू नवसंवत्सर के हिसाब से साल 2023 का सावन महीना 59 दिनों का होगा। ऐसा अद्भुत संयोग 19 सालों बाद बनने जा रहा है। इसका मुख्य कारण अधिकमास का होना है। जिसे हिंदू धर्म ग्रंथों में मलमास कहते हैं। क्या होता है मलमास ?हिंदू कैलेंडर में हर तीन साल में एक बार एक अतिरिक्त माह का प्राकट्य होता है, जिसे अधिकमास, मलमास या पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, जब सूर्य राशि बदलते हुए एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहते हैं। सौर मास में 12 संक्रांति और 12 राशियां होती है, लेकिन जिस माह में संक्रांति नहीं होती है। तब अधिक मास या मलमास होता है। अधिकमास, पुरुषोत्तम मास या मलमास में शुभ कार्य वर्जित होते हैं क्योंकि यह मास मलिन होता है। इस लिए इसे मलमास कहते हैं।साल 2023 में मलमास कब से कब तक?इस साल 18 जुलाई से 16 अगस्त 2023 तक मलमास रहेगा।पुरुषोत्तम मास में क्या करें.....साल में अधिक माह होने के कारण अधिकमास और अधिकमास भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इसलिए इस मास में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। मलमास में ग्रह शांति, दान-पुण्य, तीर्थ यात्रा, विष्णु मंत्रों का जाप करना चाहिए। इससे मलमास के अशुभ फल ख़त्म हो जाते हैं और पुण्यफल प्राप्त होते हैं। कहा जाता है कि मलमास में भगवान विष्णु की पूजा करने वाले साधकों को भगवान विष्णु स्वयं आशीर्वाद देते हैं, उनके पापों का शमन करते हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।बहुत से जातक पुरुषोत्तम महीने में उपवास रखते हैं। मास खत्म करने के बाद वे दान- दक्षिणा करते हैं।क्या है अधिकमास का पौराणिक आधारअधिक मास से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने कठोर तप से ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरता का वरदान मांगा, लेकिन अमरता का वरदान देना निषिद्ध है इसीलिए ब्रह्मा जी ने उसे कोई और वरदान मांगने को कहा।तब हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी से कहा कि, आप ऐसा वरदान दे दें, जिससे संसार का कोई नर, नारी, पशु, देवता या असुर उसे मार ना सके और उसे वर्ष के सभी 12 महीनों में भी मृत्यु प्राप्त ना हो। उसकी मृत्यु ना दिन का समय हो और ना रात को। वह ना ही किसी अस्त्र से मरे और ना किसी शस्त्र से। उसे ना घर में मारा जाए और ना ही घर से बाहर। ब्रह्मा जी ने उसे ऐसा ही वरदान दे दिया।इस वरदान के मिलते ही हिरण्यकश्यप स्वयं को अमर और भगवान के समान मानने लगा। तब भगवान विष्णु अधिक मास में नरसिंह अवतार (आधा पुरुष और आधे शेर) के रूप में प्रकट हुए और शाम के समय देहरी के नीचे अपने नाखूनों से हिरण्यकश्यप का सीना चीन कर उसे मृत्यु के द्वार भेज दिया।------
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में शिवभक्त पूरी श्रद्धा के साथ भोलेनाथ का पूजन करते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। इसमें भी सोमवार के दिन भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। शिवभक्तों के लिए अच्छी खबर ये है कि इस साल अधिकमास होने की वजह से सावन के महीने में 8 सोमवार पड़ेंगे। इस साल सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। पंचांग के अनुसार, सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई को पड़ेगा, इसके बाद 17 जुलाई को दूसरा, 24 जुलाई को तीसरा, 31 जुलाई को चौथा, 7 अगस्त को पांचवा, 14 अगस्त को छठा, 21 अगस्त को सातवां और 29 अगस्त को आठवां और अंतिम सोमवार पड़ेगा.
कब शुरु होगा सावन?
इसका पहला सोमवार 10 जुलाई को होगा और 28 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार का व्रत रखा जाएगा। इस बार सावन दो महीने तक चलेगा और 31 अगस्त को समाप्त होगा। यानी 59 दिनों तक भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय किये जा सकते हैं। इंदौर के पंडित चंद्रशेखर मलतारे ने बताया कि किस विधि से पूजा करने पर महादेव का आशीर्वाद मिलेगा।
पहले सोमवार की पूजा
सावन के पहले सोमवार को पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 22 मिनट तक चलेगा। शास्त्रों के मुताबिक प्रदोष काल में पूजा करने से शिव प्रसन्न होते हैं, इसीलिए शाम के मुहूर्त में पूजा करने से बहुत ही शुभ फल मिलेगा। सबसे पहले भगवान शिव का जलाभिषेक करें। पूजा के दौरान शिव को प्रिय बेलपत्र, धतूरा, भांग, फल और कच्चा दूध अर्पण करें। कुंवारी लड़कियां अगर इस मुहूर्त में महादेव को प्रसन्न करेंगी तो उनको मनचाहा वर शिव से प्राप्त होगा।
सोमवार के व्रत का महत्व
मान्यता है कि सावन के सोमवार को व्रत-पूजन से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। अगर शादी का योग नहीं बन रहा है या अच्छे रिश्ते नहीं मिल पा रहे हैं तो सावन के सोमवार का व्रत जरूर करें। ऐसा करने से विवाह से जुड़ी अड़चनें दूर होती हैं। धन की कमी दूर करने के लिए सोमवार के दिन शमी के पौधे की जड़ में जल अर्पण करें। अधिक मास की वजह से इस बार आप 4 के बजाए 8 सोमवार का व्रत कर सकते हैं। भगवान विष्णु को अधिक मास का स्वामी माना जाता है। इसीलिए शिव साधना के साथ ही भगवान विष्णु की पूजा करना भी बहुत शुभ रहेगा। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
साल 2023 में श्रावण मास का प्रारंभ 4 जुलाई दिन मंगलवार से हो रहा है. सावन का पहला दिन बेहद खास है क्योंकि इस दिन 3 शुभ संयोग बन रहे हैं. जिसके कारण इस साल आपकी झोली भगवान शिव और माता गौरी की कृपा से भर जाएगी. सावन माह भगवान शिव का प्रिय महीना है और इसमें माता गौरी की भी विशेष पूजा अर्चना की जाती है. उनके आशीर्वाद से सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य, संतान और सुखी दांपत्य जीवन प्राप्त होता है. इस बार श्रावण मास का समापन 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा को होगा. अधिक मास जुडऩे के कारण सावन 59 दिनों का हो गया है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं सवन के पहले दिन बने वाले 3 शुभ संयोगों के बारे में.
सावन 2023 का पहला दिन
सावन माह का पहला दिन 4 जुलाई मंगलवार को है. उस दिन श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. सावन कृष्ण प्रतिपदा तिथि दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक है, उसके बाद से द्वितीया तिथि शुरू हो जाएगी.
सावन के पहले दिन इंद्र योग और पूर्वाषाढा नक्षत्र है. पूर्वाषाढा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर सुबह 08:25 बजे तक है, उसके बाद से उत्तराषाढा नक्षत्र प्रारंभ होगा. वहीं इन्द्र योग प्रात:काल से लेकर सुबह 11:50 बजे तक है, उसके बाद से वैधृति योग है. इन्द्र योग और पूर्वाषाढा नक्षत्र शुभ माने जाते हैं.
3 शुभ संयोग में सावन का पहला दिन
इस साल 2023 में सावन के पहले दिन 3 शुभ संयोग बन रहे हैं.
1. पहला सबसे बड़ा संयोग यह है कि श्रावण मास के पहले ही दिन मंगला गौरी व्रत है. इस दिन सुहागन महिलाएं माता पार्वती के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा करती हैं. माता गौरी को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करती हैं. शिव और गौरी कृपा से संतान, सुखी दांपत्य और पति को लंबी उम्र प्राप्त होती है.
2. सावन के पहले दिन दूसरा शुभ संयोग है त्रिपुष्कर योग का. इस दिन त्रिपुष्कर योग दोपहर 01 बजकर 38 मिनट से प्रारंभ हो रहा है और अगले दिन सुबह 05 बजकर 28 मिनट तक रहेगा. त्रिपुष्कर योग में आप जो भी शुभ कार्य और पूजा पाठ करेंगे, उसका तीन गुना फल आपको प्राप्त होगा.
3. सावन के पहले दिन तीसरा शुभ संयोग है शिववास का. 4 जुलाई को प्रात:काल से ही शिववास मां गौरी के साथ है. यह दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक है. शिववास में ही रुद्राभिषेक करते हैं. जो लोग सावन के पहले दिन रुद्राभिषेक कराना चाहते हैं, उनके लिए शुभ संयोग बना है. -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
कई बार वास्तु की सही जानकारी न होने पर लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। घर में वास्तु दोष होने पर नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। परिवार में सदस्यों के बीच कलह होती रहती है। यहां तक इसका वैवाहिक जीवन पर भी बुरा असर पड़ता है। जानें घर में किन चीजों का बदलाव करके वास्तु दोष से निजात पाया जा सकता है।
जानें वास्तु दोष दूर करने के आसान उपाय-
1. उत्तर दिशा में फाउंटेन रखना आर्थिक रूप से लाभकारी होता है। पर घर में द्वार के सामने दूसरा द्वार बनवाने से बचें, इससे धन संचय नहीं हो पाता।
2. रसोई में काले रंग के पत्थर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इससे स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
3. घर में जगह-जगह धार्मिक या देवी-देवताओं के चित्र ना लगाएं।
4. घर में रंगों का चुनाव करते समय ध्यान दें कि दक्षिण पश्चिम दिशा में हरा रंग होने से आपसी संबंध प्रभावित होते हैं।
5. अगर अग्नि कोण में कोई पानी की टंकी, कुआं, बोरिंग है, तो ऐसे में हमारे जीवन में धन का आगमन बाधित हो जाता है, क्योंकि यह अग्नि का स्थान है और जल तत्व यहां पर नकारात्मक प्रभाव देता है। ऐसे में कर्ज होने की भी संभावना बनती है तथा नकद पैसा नहीं आ पाता। पैसे को लेकर निरंतर संघर्ष और चिंता बनी ही रहती है। पैसा फंसने की भी संभावना बनी रहती है।
6. इसके उपाय में किसी भी प्रकार के पानी के गड्ढे, बोरिंग, टंकी को बंद कर दें, तो बहुत राहत आती है तथा धन आगमन के स्रोत खुलने शुरू हो जाते हैं।
7. आपको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है, धन आगमन में दिक्कत हो रही है, तो अपने घर के अग्नि कोण अर्थात दक्षिण पूर्व दिशा को देखें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में चीजों को सही दिशा में रखना बहुत जरूरी होता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार अगर चीजों को सही दिशा में नहीं रखा जाए तो वास्तुदोष लग सकता है। घर में घड़ी का सही दिशा होना बहुत जरूरी होता है। अगर घड़ी गलत दिशा में लगी हुई है तो आर्थिक, मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
आइए जानते हैं घड़ी को लेकर क्या कहता है वास्तुशास्त्र...
सही दिशा एवं सही स्थान पर लगी हुई घड़ी हमारे भाग्य को सही दिशा में ले जा सकती है। दिशा ही नहीं, घड़ी का रंग एवं उसका आकार भी महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं कि घड़ी किस दिशा में और कैसे लगानी चाहिए।
●पूर्व दिशा में लगी हुई घड़ी शुभ होती है। उत्तर दिशा में लगी घड़ी भी शुभ फल देती है।
●पश्चिम दिशा में घड़ी नहीं लगानी चाहिए। यदि लगानी पड़े, तो गोल घड़ी लग सकती है।
●दक्षिण दिशा में घड़ी किसी भी सूरत में नहीं लगानी चाहिए। यह घड़ी आपके लिए बुरा समय लाती है तथा घर/ऑफिस में परेशानियां बढ़ाती है।
●दरवाजे के ऊपर घड़ी कभी नहीं लगानी चाहिए। बंद घड़ी कभी ना रखें। इसे हमेशा समय पर ही रखना चाहिए। सूइयां समय से आगे या पीछे नहीं रखनी चाहिए।
● घर में कभी भी टूटी हुई घड़ी नहीं रखनी चाहिए। टूटी हुई घड़ी रखने से घर का वातावरण खराब होता है। टूटी हुई घड़ी को दुर्भाग्य का सूचक माना जाता है।
● घर में हल्के रंग की घड़ी लगानी चाहिए। गहरे रंग की घड़ी लगाने से घर में नकारात्मकता आती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
विदेश से पढऩे का सपना हर किसी का होता है। हर कोई विदेश से पढ़कर सफल होना चाहता है। अगर आप भी विदेश से पढ़ाई का मौका देख रहे हैं, तो वास्तु टिप्स की मदद ले सकते हैं। घर में पढ़ाई के कमरे में कुछ वास्तु नियमों को अपनाकर आप विदेश में पढ़ाई करने का सपना साकार कर सकते हैं। आचार्य मुकुल रस्तोगी के अनुसार शयन कक्ष उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें। पलंग भी इसी दिशा में होना चाहिए। शयन कक्ष में लाल रंग का कम प्रयोग करें या न करें तो बेहतर है।
कमरे की उत्तर-पश्चिम दीवार पर एक विश्व का मानचित्र लगाएं। इस दिशा में एक ग्लोब भी लगाएं तथा बच्चे को बोलें कि उसे रोज घुमाए। यह दिशा चंद्रमा से संबंधित होने के कारण विदेश जाने में सहायता करती है। इस दिशा में चंद्रमा का चित्र लगाएं।हर मंगलवार हनुमानजी की पूजा करके प्रसाद बाटें तथा हनुमान चालीसा का पाठ करें।जिस कॉलेज में पढऩा चाहते हैं, उस कॉलेज का चित्र अपने बेड के सामने लगाएं ताकि वह हर समय दिखता रहे।
सुबह उठकर ईश्वर से भी कामना करें कि आपको वो अपने कार्य में सपलता प्रदान करें। पढ़ाई के लिए विदेश जाने का सपना देख रहे हैं, तो अपना कोई भी डॉक्यूमेंट और पर्सनल चीजों जैसे बैग, किताबें दक्षिण-पश्चिम को छोड़कर किसी और दिशा में रखें। अगर आपकी विदेश यात्रा के लिए कई अड़चने आ रही हैं, तो दक्षिण-पूर्व दिशा में भी कम चीजें रखें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष शास्त्र में हस्तरेखा का बहुत ही बड़ा महत्व है। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि हस्तरेखा की सहायता से किसी व्यक्ति के भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है। हस्तरेखा ज्योतिष में किसी व्यक्ति के हाथ के आकार, हथेली की लकीर आदि का अध्ययन करके उस व्यक्ति के भविष्य की जानकारी का पता लगाया जाता है। आइए जानते उन रेखाओं के बारे में जिनसे जिंदगी की महत्वपूर्ण बातों का पता लगाया जा सकता है।
धनपति योग बनाती हैं यह रेखाएं
अगर आपकी हथेली पर जीवन रेखा भाग्य रेखा से दूर है तो यह धनपति योग बनाता है। जिस व्यक्ति की हथेली पर यह दोनों रेखाएं दूर होती हैं वे काफी भाग्यशाली होते हैं। ऐसे व्यक्ति के लिए चारों तरफ से धन का आगमन होता है।
लक्ष्मी योग
शुक्र पर्वत पर कमल का चिह्न होना लक्ष्मी योग बनाता है। ऐसे योग वाले व्यक्ति ना सिर्फ खुद धनवान होते हैं बल्कि जो इनके संपर्क में आते हैं यह उनके भाग्य को भी जगा देते हैं।
भाग्यलक्ष्मी योग
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, अगर हथेली पर भाग्य रेखा सूर्य पर्वत पर आकर रुक जाए तो यह भाग्यलक्ष्मी योग बनाता है। ऐसे लोगों को राजयोग का सुख मिलता है और भौतिक सुख-सुविधाओं की कोई कमी नहीं होती है। -
- पं. प्रकाश उपाध्याय
पूजा-पाठ, पितृ तर्पण आदि कामों में लौंग का इस्तेमाल किया जाता है. मान्यता है कि लौंग में सकारात्मक ऊर्जा होती है. ज्योतिष शास्त्र में भी लौंग के कई सारे उपाय बताए गए हैं, जिन्हें करने से छोटी-बड़ी सभी समस्याओं का समाधान होता है. कहा जाता है कि लौंग के टोटके करने से धन से जुड़ी समस्या, शारीरिक और मानसिक तनाव के साथ ही साथ नजर दोष से भी छुटकारा मिलता है. तो चलिए जानते हैं ज्योतिष शास्त्र के इन उपायों के बारे में.
लौंग के उपाय-
- अगर आपके काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं या उनमें कोई भी बाधा उत्पन्न होती है तो आपको हनुमानजी की पूजा करते समय सरसों के तेल का दीपक जलाना है और इसमें 2 लौंग डाल कर उनकी आरती करें. इससे आपको हर काम में सफलता प्राप्त होगी.
- घर में किसी सदस्य या बच्चे को बुरी नजर लग गई है तो आप 5 सबूत लौंग लें और उसे 7 बार सीधा और 7 बार उल्टा वारकर (सिर से पैर तक उतार) लें और जला दें. ऐसा करने से नजरदोष खत्म हो जाएगा.
- कुंडली में राहु-केतु दोष है तो आपको हर शनिवार को लौंग का दान करना चाहिए. इसके अलावा शिवलिंग पर भी लौंग अर्पित करें. ऐसा करने से राहु-केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं.
- अगर आप किसी जरूरी काम के लिए बाहर जा रहे हैं तो घर से निकलते समय मुंह में 2 लौंग रखकर निकलें. और वहां जाकर लौंग के कुछ अवशेष मुंह से फेंक दें. ऐसा करने से आपको कार्य में सफलता मिल सकती है.
- आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए धन की देवी मां लक्ष्मी को लाल गुलाब के साथ 2 लौंग अर्पित करें. ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. साथ ही धन-धान्य की कमी नहीं होती है. -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
अक्सर माता-पिता को यह बात परेशान करती है कि उनके बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता। अगर ऐसा है तो कुछ बातों का ध्यान रखना अच्छा साबित होगा। जिसमें से सबसे प्रमुख उनके कमरे का वास्तु है। कई बार बच्चे वास्तु दोष के कारण तनाव में रहते हैं और उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता है। ऐसे में वास्तु के कुछ उपाय बच्चों के भविष्य व करियर के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं।
जानें इनके बारे में-
1. कमरे की पूर्व दिशा में एक उगते हुए सूर्य का चित्र लगाएं। साथ ही उसके पीछे कोई दरवाजा खिड़की न हो, इससे ध्यान ज्यादा भटकेगा।
2. प्रयास करें कि कमरे में सूर्य के प्रकाश की समुचित व्यवस्था हो। कमरे की पूर्व दिशा या ईशान कोण में देवी सरस्वती का चित्र लगाएं।
3. पढ़ते समय मेज पर एक पानी का गिलास भरकर रखें। अध्ययन कक्ष में कोई भारी सामान न रखें। कमरा जितना खाली और साफ-सुथरा होगा, पढ़ाई में उतना मन लगेगा।
4. वास्तु के अनुसार, बच्चों के स्टडी रूम में हमेशा हल्के रंग का कलर करवाना चाहिए। हल्का पीला, हल्का गुलाबी, हल्का हरा यह रंग उन्हें पढ़ाई व लक्ष्य में ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं।
5. वास्तु के अनुसार, बच्चों के स्टडी रूम मे ग्लोब रखना शुभ माना जाता है। कमरे में ग्लोब को उत्तर पूर्व दिशा में रखने से बच्चों का पढ़ाई में मन लगता है और उन्हें सफलता हासिल होती है। -
पं. प्रकाश उपाध्याय
घर में मनी प्लांट, तुलसी के पौधे सभी लगाते हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि घर में नीम का पेड़ लगाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि नीम का पेड़ लगाने से कई ग्रहों से राहत मिलती है। इसके अलावा नीम के पेड़ से राहु दोष भी कम होते हैं। यही नहीं इसकी लकड़ी से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। घर में अगर नीम का पेड़ हो तो राहु-केतु के खराब दोषों से राहत मिलती है। नीम का पेड़ जहां औषधि युक्त माना गया है, वहीं इसकी लकड़ी शनि के कई दोषों को दूर करती है। कहते हैं कि शनि के अशुभप्रभावों को कम करने के लिए गले में नीम की लकड़ी की छोटी सी माला पहननी चाहिए।
अगर आपकी राशि कुंभ है या फिर आप उत्तर भादपद नक्षत्र में पैदा हुए हैं, तो नीम का पेड़ घर में जरूर लगाएं, ये आपको लाभ देता है और आपके आर्थिक पक्ष को मजबूत करता है। इसके अलावा मकर राशि के लोग भी अपने घर में नीम का पेड़ लगाएं, ऐसा करने से उन्हें काफी लाभ होगा। इसके अलावा इसकी लकड़ी भी यज्ञ और फर्नीचर के काम आती है। अगर आपको स्किन से जुड़ी कोई समस्या है तो नीम की लकड़ी से पलंग बनवाकर उस पर सोना चाहिए, इससे स्किन समस्या कम होती है।
इसके अलावा नीम की लकड़ी से हवन करने से भी घर में नकारात्मक शक्तियां नहीं रहती और घर में सुख शांति रहती है।जिस पर पितृदोष होता है उन्हें घर की दक्षिण दिशा में नीम का पेड़ लगाने से पितृ प्रसन्न होते हैं और वास्तु दोष समाप्त होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार आपको अपने घर के उत्तर-पश्चिम कोने में नीम का पेड़ लगाना चाहिए। अगर पेड़ लगाने की जगह न हो तो आप घर में बड़े गमले में भी इसे लगा सकते हैं। - हमारे रसोईघर में 9 ग्रहों का वास होता है। जिनमें मुख्य रूप से 9 प्रकार के मसालों को मान्यता दी गई है, जो अपने गुणों, स्वाद व रंगों के आधार पर भिन्न-भिन्न ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसीलिये इन मसालों को रसोईघर की मसालदानी में एक साथ रखने का विधान है। भारतीय रसोई में मिलने वाले मसाले सेहत के लिए तो अच्छे होते ही हंै साथ ही उन के सेवन से ग्रहों पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है।इन आवश्यक मसालों के रसोई घर में रखने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। आइये जान लें ये 9 मसाले कौन-कौन से हैं और ये किस प्रकार ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं1. नमक - सूर्य2. सौंफ- शुक्र , चन्द्र3. लाल मिर्च, दालचीनी, मेथी- मंगल4. जीरा - राहु केतु5. धनिया, हरी इलायची, हींग -बुध6. काली मिर्च - शनि7. अमचूर - केतु8. गर्म मसाला - राहु9. जौ- सूर्य, गुरुनमकइनमें नमक रसोई का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। नमक का सेवन करने से हमारा सूर्य ग्रह मजबूत होता है। सूर्य को कॅरिअर और निरोगी शरीर का कारक माना जाता है। सूर्य को प्रसन्न करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और करिअर में भी काफी तरक्की होती है।सौंफसौंफ खाने से हमारा शुक्र और चंद्र अच्छा होता है , इसे मिश्री के साथ या उस के बिना भी खाने के बाद लेना चाहिए। इससे एसिडिट जैसी समस्या कम होती। मंगलवार को सौंफ को गुड़ के साथ सेवन करें जब आप घर से किसी काम के लिए निकल रहे हों, इससे आप का मंगल काम पूरा करने में आपका साथ देगा।दालचीनीअगर किसी का मंगल और शुक्र कुपित है,तो थोड़ी सी दालचीनी को शहद में मिलाकर पानी के साथ लें । इस से आप के शरीर में शक्ति बढ़ेगी और स्वास्थ्य में सुधार होगा और कफ की समस्या में राहत मिलेगी।काली मिर्चकाली मिर्च के सेवन से शनि देव प्रसन्न होते हैं। इस के सेवन से कफ की समस्या कम होती है और हमारी स्मरण शक्ति भी बढ़ती है। तांबे के किसी बर्तन में काली मिर्च डालकर खाने की टेबल पर रखें ये घर को नकारात्मक शक्तियां से बचाता है।जौजौ के प्रयोग से सूर्य ग्रह और गुरु ग्रह ठीक होते हंै। जौ का प्रयोग हवन में भी किया जाता है। ऐसा करने से सूर्य ग्रह और गुरु ग्रह मजबूत होते हैं। जौ हमारी रसोई में आसानी से मिल जाती है। शनिवार को जौ और काले तिल बहते पानी में प्रवाहित करने से शनि की दशा में भी लाभ मिलता है।हरी इलायचीइस के प्रयोग से बुध ग्रह मजबूत होता है। अगर किसी को दूध पचाने में परेशानी होती है तो हरी इलायची उस में पकाकर फिर दूध का सेवन करें।