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- खानपान में गड़बड़ी और लाइफस्टाइल से जुड़ी गलत आदतों की वजह से दुनियाभर में हार्ट के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। दिल को स्वस्थ और बीमारियों से मुक्त रखने के लिए डाइट में हेल्दी चीजों को शामिल करना चाहिए। आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं 5 ऐसे सीड्स के बारे में, जो हार्ट को हेल्दी रखने और बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।हार्ट को हेल्दी और बीमारियों से बचाने के लिए खाएं ये सीड्स-1. चिया सीड्स-चिया सीड्स का सेवन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इनमें मौजूद गुण और पोषक तत्व दिल को हेल्दी रखने और बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद करते हैं। चिया सीड्स में फाइबर, एंटी-ऑक्सीडेंट और ओमेगा 3 फैटी एसिड की मात्रा होती है, जो हार्ट के लिए बहुत जरूरी होते हैं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से हार्ट को हेल्दी रखने में मदद मिलती है।2. अलसी के बीजअलसी के बीज या फ्लैक्स सीड्स हार्ट के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड और अल्फा लिनोलेनिक एसिड की अच्छी मात्रा पायी जाती है। इसका नियमित रूप से सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है और हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को कम करने में मदद मिलती है। यही नहीं अलसी के बीज का सेवन करने से धमनियों में सूजन से भी बचाव होता है।3. सूरजमुखी के बीजसूरजमुखी के बीज अनेकों पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण हार्ट के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसके अलावा सूरजमुखी के बीज में पॉलीसैचुरेटेड फैटी एसिड, विटामिन और फ्लेवोनॉइड जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं, जो दिल से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम करने और हार्ट को हेल्दी रखने में मदद करते हैं।4. तिल के बीजतिल के बीज का सेवन करने शरीर को स्वस्थ रखने के साथ हार्ट को बीमारियों से बचाने में भी मदद मिलती है। इसमें ओलिक एसिड की पर्याप्त मात्रा होती है, जो कोलेस्ट्रॉल को बढऩे से रोकने में मदद करते हैं और शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद मिलती है।5. कलौंजी के बीजकलौंजी के बीज में आयरन, सोडियम, फाइबर, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से हार्ट को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। इसके अलावा, कलौंजी के बीज में प्रोटीन और अमीनो एसिड भी पाया जाता है, जो हार्ट को हेल्दी रखने में मदद करता है।इसके अलावा नियमित रूप से ताजे फल, हरी सब्जियों का भी सेवन करना चाहिए। स्मोकिंग और शराब का सेवन न करने से हार्ट की बीमारियों का खतरा काफी कम होता है। हार्ट को हेल्दी रखने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज जरूर करें।
- यूरिक एसिड हमारे खून में मौजूद एक केमिकल है जो खाद्य पदार्थों के सेवन के बाद निर्मित होता है। शरीर में इसका निर्माण प्यूरीन मटर, पालक, मशरूम, सेम, चिकन आदि खाने से होता है। शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने के कारण जोड़ों में दर्द, हड्डियों से जुड़ी परेशानी और जोड़ों में सूजन का खतरा रहता है। शरीर में बढ़े यूरिक एसिड को कम करने के लिए लोग तमाम तरह के उपाय अपनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, नींबू और शहद का सेवन शरीर में बढ़े यूरिक एसिड को कम करने में मदद करते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं, शरीर में बढ़े यूरिक एसिड को कम करने के लिए नींबू और शहद के फायदे।हाई यूरिक एसिड में नींबू और शहद खाने के फायदेशरीर में जब प्यूरीन की मात्रा बढ़ जाती है तो किडनी से यूरिक एसिड सही ढंग से फिल्टर नहीं हो पाता है जिसकी वजह से शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है। आरोग्यं हेल्थ सेंटर के क्लीनिकल डाइटिशियन डॉ वीडी त्रिपाठी कहते हैं, "शरीर में बढ़े यूरिक एसिड को कम करने के लिए नींबू और शहद का एक साथ सेवन बहुत फायदेमंद होता है। नींबू में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट, साइट्रिक एसिड, विटामिन सी शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। इसके अलावा शहद में भी एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने और यूरिक एसिड को फिल्टर करने में मदद करते हैं।"यूरिक एसिड में नींबू और शहद के फायदे इस तरह से हैं--यूरिक एसिड की मात्रा कम करना- नींबू और शहद में मौजूद विटामिन सी, साइट्रिक एसिड यूरिक एसिड की मात्रा को कम कम करने में मदद करते हैं।-एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण- शहद के एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण भी यूरिक एसिड को कम करने में मदद कर सकते हैं और यूरिक एसिड के निर्माण को रोक सकते हैं।कैसे करें नींबू और शहद का सेवन?1. नींबू पानी- रोजाना सुबह गर्म पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर पीने से यूरिक एसिड की मात्रा को कम किया जा सकता है।2. नींबू और शहद की चाय- नींबू का रस और शहद को चाय के रूप में पिया जा सकता है। यह एक स्वादिष्ट और स्वस्थ विकल्प हो सकता है जो यूरिक एसिड को कम करने में मदद कर सकता है।3. नींबू का रस और शहद का मिश्रण- एक चमच नींबू का रस और दो चमच शहद को गर्म पानी में मिलाकर पीने से भी यूरिक एसिड की मात्रा को कम किया जा सकता है।शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर आपको खानपान और जीवनशैली में सुधार जरूर करना चाहिए। शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर प्यूरीन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे फूड्स जिनमें प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है उसका सेवन बहुत कम मात्रा में करना चाहिए।
- सुबह के समय हर किसी को नाश्ता बनाने् की जल्दी होती है। ऐसे में पोहा बनाने से बेहतर क्या हो सकता है? यह स्वादिष्ट होने के साथ हेल्दी भी होता है। साथ ही, इसे कम लागत में जल्दी तैयार किया जा सकता है। कई लोग अपनी डेली डाइट में पोहे का सेवन जरूर करते हैं। लेकिन क्या हो अगर आप इसे रोज इसे गलत तरीके से बना रहे हो? इससे यह फायदे की जगह शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। आइए इस लेख के माध्यम से जानें पोहा को हेल्दी बनाने के लिए कुछ टिप्स।पोहा हेल्दी बनाने के लिए अपनाएं ये खास टिप्सपोहे में प्रोटीन एड करेंपोहा हल्का होने के कारण आपको इसके सेवन से जल्दी भूख लग सकती है। इसलिए पोहा बनाते वक्त इसमें थोड़ा प्रोटीन एड करें। प्रोटीन बढ़ाने के लिए आप इसमें कद्दुकस किया हुआ पनीर, टोफू या स्प्राउट्स मिला सकते हैं। प्रोटीन बढ़ाने से आपको इसके सेवन से काफी देर तक भूख नहीं लगेगी। साथ ही, आपको नाश्ते में प्रोटीन की अच्छी मात्रा मिलेगी।नमक और चीनी कम रखेंअगर आप भी पोहा में नमक और मीठा ज्यादा लेते हैं, तो यह आपको फायदा नहीं करेगा। इससे आपको कब्ज, गैस या अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए पोहा बनाते वक्त इसमें नमक और मिठास कम ही रखें। हेल्दी ऑप्शन के लिए आप सेंधा नमक और मिठास के लिए शहद ले सकते हैं। इससे इसका स्वाद और पोषक तत्व दोनों बने रहेंगे।ज्यादा सब्जी डालें-पोहे को हेल्दी बनाने के लिए इसमें ज्यादा से ज्यादा सब्जी एड करें। सब्जियों में फाइबर होता है, जिससे इसके सेवन से आपको कब्ज, एसिडिटी या अपच जैसी समस्याएं नहीं होंगी। पोहा बनाने के लिए आप इसमें अपनी पसंद की कितनी भी सब्जियां एड कर सकते हैं।नट्स डालें-पोहे में नट्स डालने से आपको हेल्दी फैट्स भी मिलेंगे। इसलिए पोहा बनने के बाद आप इसमें भूने हुए काजू, बादाम और मूंगफली डाल सकते हैं। इससे आपको पोषक तत्वों की मात्रा भी अधिक मिलेगी।हेल्दी कूकिंग ऑयल इस्तेमाल करेंज्यादातर लोगों को पता नहीं होता कि पोहा बनाने के लिए कौन-सा तेल इस्तेमाल करना चाहिए। अगर तेल इस्तेमाल करने से आपको इसके पोषक तत्व नहीं मिलेंगे। इसलिए पोहा बनाने के लिए सरसों का तेल, नारियल तेल या ऑलिव ऑयल ही इस्तेमाल करें। इसके अलावा, पोहा बनाते वक्त कम से कम तेल ही इस्तेमाल करें।पोहा में नींबू भी डालेंपोहा बनाते वक्त इसमें नींबू का रस डालने से स्वाद बढ़ जाता है। इससे आपको विटामिन-सी भी भरपूर मिलता है। इसलिए पोहा में खट्टा-मीठा स्वाद लाने के लिए आप नींबू का रस डाल सकते हैं। लेकिन अगर आप चाय-कॉफी के साथ पोहा खा रहे हैं, तो इसमें नींबू एड न करें।
- ऐसे बहुत से फूड्स हैं, जो स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं। बहुत से लोग चटनी खाने के शौकीन होते हैं। बाजार में बिकने वाली चटनी खाने के बजाय घर पर चटनी बनाकर खाना ज्यादा हेल्दी विकल्प होता है। इसके लिए आप अमरूद और सोया से बनी चटनी खा सकते हैं। इसे खाने से डायबिटीज से राहत मिलने के साथ ही वेट लॉस में भी मदद मिलती है।सामाग्रियांअमरूद और सोया की चटनी बनाने के लिए आपको कुछ सामाग्रियां लेनी हैं। इसके लिए आपको सोया की पत्तियां लेनी हैं और इसके नीचे के हिस्से को तोड़ लेना है। इसके लिए आपको एक अमरूद लेना है और इसके बीजों को निकालना है। अब 4 से 5 लहसुन और अदरक का छोटा सा टुकड़ा लेना है। इसके बाद इन सभी के उपर हल्का सा काला नमक, नींबू और हरी मिर्च डालें। इसके साथ ही आपको इसमें एक टमाटर काटकर भी डालना है। अब आपको इन सभी सामाग्रियों को मिक्सर में डालना है और इन्हें पीसना है। लीजिए आपकी चटनी बनकर तैयार है।अमरूद सोया की चटनी खाने के फायदे-अमरूद और सोया की चटनी खाना कई तरीकों से फायदेमंद साबित होती है।-इसे खाने से पाचन तंत्र बेहतर रहता है और पाचन शक्ति भी बढ़ती है।-अगर आप वजन घटाना चाहते हैं तो भी इस चटनी को खा सकते हैं।-इसे खाने से डायबिटीज कंट्रोल रहने के साथ ही फ्री रेडिकल डैमेज से छुटकारा मिलता है।-यह हा्र्मोनल इंबैलेंस को ठीक रखने के साथ ही साथ रेस्पिरेटरी इंफेक्शन से भी राहत दिलाता है।पोषक तत्वों से होती है भरपूरअमरूद और सोय की चटनी को एकसाथ मिलाकर खाने से शरीर को कई पोषक तत्व मिलते हैं। इसमें विटामिन डी, ए, और विटामिन सी के साथ ही कॉपर की भी कमी पूरी होती है। इस चटनी में डायट्री फाइबर, जिंक और मैग्नीशियम पाया जाता है। इसमें पोटैशियम, फोलेट और राइबोफ्लेविन नामक पोषक तत्व की भी आपूर्ति होती है।
- हमारे शरीर के सभी अंग ठीक तरीके से काम करते रहें इसके लिए जरूरी है कि आहार के माध्यम से आप नियमित रूप से पौष्टिक चीजों का सेवन करें। अध्ययनकर्ता बताते हैं, भारतीय आहार में शरीर के लिए जरूरी लगभग सभी प्रकार के पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, मतलब आप अगर डाइट को ठीक रख लेते हैं तो ये कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से सुरक्षा देने वाला कारगर तरीका हो सकता है। आहार में सुधार करके हृदय रोग-डायबिटीज सहित कई प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का भी खतरा कम कर सकते हैं।डाइटीशियन कहते हैं, हम सभी तमाम प्रकार के विटामिन्स और अन्य पोषक तत्वों की तो चर्चा कर लेते हैं, पर ब्रोमेलैन एंजाइम और इससे होने वाले फायदों से ज्यादातर लोग अनजान हैं। शरीर की इंफ्लामेटरी समस्याओं को ठीक करने लिए कई शोध में इसके लाभ का जिक्र मिलता है।ब्रोमेलैन से पाचन में लाभअध्ययनों में पाया गया है कि अनानास, ब्रोमेलैन का एकमात्र ज्ञात खाद्य स्रोत है। ये प्रोटीन को पचाने वाले महत्वपूर्ण एंजाइमों में से है। आपके शरीर में, ब्रोमेलैन भोजन को पचाने और उसे अवशोषित करना आसान बनाता है। इतना ही नहीं शरीर में होने वाली इंफ्लामेटरी समस्याओं के लिए भी ब्रोमेलैन को बहुत फायदेमंद माना जाता है। ज्यादातर क्रोनिक बीमारियों के लिए इंफ्लामेशन को प्रमुख कारण माना जाता है, ब्रोमेलैन इन दिक्कतों को कम कर सकता है।कई प्रकार की दवाओं में होता है इसका इस्तेमालशोधकर्ता बताते हैं, ब्रोमेलैन का उपयोग अक्सर टेंडिनिटिस (मांसपेशियों की समस्या) मोच और खिंचाव और अन्य छोटी मांसपेशियों की चोट से होने वाली सूजन को कम करने के लिए किया जाता रहा है। दांत, नाक और पैर की सर्जरी कराने वाले लोगों के अध्ययन में पाया गया कि ब्रोमेलैन से सूजन कम करने में लाभ पाया जा सकता है। यूरोप में, ब्रोमेलैन का उपयोग कान, नाक और गले की सर्जरी या आघात के इलाज के लिए किया जाता है। अनानास को आहार का हिस्सा बनाकर इससे संबंधित कई तरह के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।जोड़ों की समस्या से परेशान लोगों के लिए लाभकारीशोध में पाया गया है कि आहार में अनानास को शामिल करके आर्थराइटिस जैसे जोड़ों के दर्द-सूजन की समस्या में विशेष लाभ मिल सकता है। ब्रोमेलैन सूजन को कम करता है, इसे ऑस्टियोआर्थराइटिस से परेशान लोगों के लिए भी फायदेमंद पाया गया है। दर्द से राहत पाने और जोड़ों के कार्य में सुधार करने के लिए अनानास के सेवन को बहुत फायदेमंद हो सकता है। अनानास में मैंगनीज भी होता है जो हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है।मैगनीज भी हड्डियों के लिए जरूरीअनानास को जिन पोषक तत्वों से भरपूर माना जाता है, मैगनीज भी उनमें से एक है। भोजन के मेटाबॉलिज्म से लेकर, रक्त का थक्का बनाने और हड्डियों को स्वस्थ रखने में इस खनिज की आवश्यक भूमिका होती है। एक कप अनानास से आपकी प्रतिदिन की आवश्यकता का आधे से अधिक मैंगनीज प्राप्त हो सकता है। मैगनीज हड्डियों के घनत्व को ठीक रखने, इसे मजबूती देने के लिए भी आवश्यक पोषक तत्व माना जाता है।
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शरीर को उर्जा प्रदान करने में ग्लूकोज़ का अहम रोल होता है। ग्लूकोज़ की संतुलित मात्रा का होना हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी होता है। ग्लूकोज़ को शुगर भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट होता है, जिसके साथ मोनोसेकेराइड फ्रक्टोज (Monosaccharide Fructose), गैलेक्टोज (Galactose) और राइबोज (Ribose) भी पाए जाते हैं। हमारे शरीर को मिलने वाली उर्जा का सबसे अहम स्रोत ग्लूकोज़ होता है। ग्लूकोज़ शरीर में कार्बोहाइड्रेट के रूप में जाता है जिसके बाद हमारे शरीर का पाचन तंत्र इसे ग्लूकोज़ के रूप में ब्लड तक पहुंचाता है। इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं कि हमारे शरीर में ग्लूकोज़ का क्या काम है? शरीर में ग्लूकोज़ कैसे बनता है? स्वस्थ शरीर के लिए ग्लूकोज़ की कितनी मात्रा जरुरी है? ग्लूकोज़ की कमी से किस प्रकार की दिक्कतें हो सकती हैं और शरीर में इसका स्तर बढ़ने से क्या समस्याएं जन्म लेती हैं?
शरीर में ग्लूकोज का कामजैसा कि आप जानते हैं कि शरीर को सही ढंग से काम करने के लिए इसे एनर्जी की आवश्यकता होती है। शरीर को हेल्दी रखने के लिए ब्लड शुगर यानि ग्लूकोज़ का स्तर संतुलित होना बेहद जरुरी होता है। हम जब कार्बोहाइड्रेट और शुगर की मात्रा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो शरीर का पाचन तंत्र इंसुलिन की सहायता से ग्लूकोज़ बनाता है और इसे खून में भेज देता है। शरीर में ब्लड शुगर (ग्लूकोज़) ही हमें हमेशा उर्जावान बनाये रखने में मदद करता है। शरीर को उर्जावान बनाये रखने के अलावा ग्लूकोज़ का उपयोग शरीर में कई अन्य मॉलिक्यूल्स के निर्माण में भी होता है। ग्लाइकोप्रोटीन कोलेजन जैसे मॉलिक्यूल्स के निर्माण में भी ग्लूकोज़ का उपयोग हमारा शरीर करता है। हमारे शरीर में ग्लूकोज़ के कई प्रकार के ट्रांसपोर्टर्स होते हैं जिन्हें सोडियम-निर्भर ट्रांसपोर्टर्स (SGLTs) और सोडियम-इंडिपेंडेंट ट्रांसपोर्टर्स (GLUT) के नाम से जाना जाता है। इनका काम शरीर के अलग-अलग अंगों तक ग्लूकोज़ को पहुंचाना होता है। शरीर में ग्लूकोज़ की मात्रा कम या अधिक होने पर कई प्रकार की बीमारियां भी होने लगती हैं।हमारे शरीर में ग्लूकोज़ के कुछ प्रमुख काम इस प्रकार हैं--कार्बोहाइड्रेट मेटाबोलिज्म (Carbohydrate Metabolism)- कार्बोहाइड्रेट में ग्लूकोज़, फ्रक्टोज और गैलेक्टोज पाए जाते हैं। इसमें ग्लूकोज का स्तर लगभग 80 प्रतिशत होता है। कार्बोहाइड्रेट मेटाबोलिज्म को संतुलित बनाये रखने में ग्लूकोज़ की अहम भूमिका होती है।-एनर्जी और स्टेमिना (Energy and Stamina)- शरीर में एनर्जी और स्टेमिना बनाये रखने के लिए ग्लूकोज़ यानि कि ब्लड शुगर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ग्लाइकोजिन की मांशपेशियों में मौजूदगी हमारे शरीर की स्टेमिना को बनाये रखती है।-हार्ट (Heart)- शरीर की तमाम आवश्यक प्रक्रियाओं जैसे हृदयगति, श्वसन प्रणाली को सुचारु रूप से काम करने के लिए ग्लूकोज़ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।-शरीर का तामपान (Body Temperature)- मांशपेशियों में पाया जाने वाला ग्लाइकोजिन शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। इसकी मौजूदगी शरीर के तापमान को संतुलित बनाए रखती है।-यकृत (Kidney)- किडनी का ग्लूकोज़ के स्तर को नियंत्रित करने में अहम रोल होता है। ग्लूकोज़ के स्तर को नियंत्रित रखने के साथ ही यह ग्लूकोज़ की संतुलित मात्रा होने पर सही तरीके से काम करता है।कैसे बनता है शरीर में ग्लूकोज़ (Glucose Production in Body)शरीर में ग्लूकोज़ कार्बोहाइड्रेट और शुगर की मात्रा वाले पदार्थों के सेवन से बनता है। जब हम इस प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो हमारा शरीर इसे पचा कर ग्लूकोज़ के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करता है। हमारे पेट में मौजूद एसिड की सहायता से पाचन तंत्र भोजन से स्टार्च और शुगर को ग्लूकोज़ में परिवर्तित करने का काम करता है। आंतों द्वारा इसे अवशोषित कर ब्लड में भेजा जाता है जिसके बाद यह शरीर के सभी अंगों में पहुंचता है।स्वस्थ शरीर में ग्लूकोज़ की सही मात्राशरीर में ब्लड शुगर या ग्लूकोज़ का स्तर सामान्य, अधिक या कम हो सकता है। हमारे शरीर में ग्लूकोज़ का स्तर कई चीजों पर निर्भर करता है, ग्लूकोज़ के स्तर या शरीर में उसकी मात्रा हमारे खानपान पर निर्भर करती है। सामान्य रूप से स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में ग्लूकोज़ का स्तर 90 to 130 mg/dL होना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि शरीर में ग्लूकोज़ का स्तर 140 mg/dL (7.8 mmol/L) से कम होना सामान्य माना जाता है। बॉडी में ग्लूकोज़ का स्तर कई वजह से कम या ज्यादा हो सकता है लेकिन इसका लगातार कम या ज्यादा हो जाना कई बीमारियों को जन्म देने वाला होता है। सामान्य रूप से शरीर में ग्लूकोज़ की मात्रा इन कारणों से प्रभावित हो सकती हैअसंतुलित भोजनशारीरिक गतिविधिदवाएंउम्रतनावपानी की कमीबीमारी का होनामासिक धर्मशराब का सेवनशरीर में ग्लूकोज़ की कमी से होने वाली समस्याएंशरीर में ग्लूकोज़ की कमी की स्थिति को हाइपोग्लाइकेमिया (hypoglycaemia) कहा जाता है। यह स्थिति आमतौर पर ज्यादा खतरनाक मानी जाती है। हाइपोग्लाइकेमिया अधिकतर पहले से डायबिटीज से पीड़ित लोगों को ही होता है।ब्लड शुगर या ग्लूकोज़ के कम होने के कारणदवा के प्रभाव (बहुत अधिक इंसुलिन लेने पर)भोजन की अनियमिततापर्याप्त कार्बोहाइड्रेट वाका सेवन न करनाशराब का अधिक सेवनशरीर में ग्लूकोज़ की कमी होने से कई प्रकार की समस्याएं जन्म लेने लगती हैं। ग्लूकोज़ की कमी होने पर इसके लक्षण समय के साथ बदलते रहते हैं। शुरुआत में लोगों को कुछ इस प्रकार की समस्याएं होती हैंपसीना आनाथकान महसूस करनासिर चकरानाझुनझुनाहट या कंपकपी होनादिला की धड़कन का अचानक बढ़नाव्यवहार में परिवर्तनपीलापनध्यान केंद्रित करने में कठिनाईनींद अधिक आनाशरीर में ग्लूकोज़ की कमी दूर करने के तरीकेशरीर में ब्लड शुगर या ग्लूकोज़ की कमी होने पर चिकित्सक की देखभाल में इलाज करना बेहद जरुरी होता है। इसके अलावा हमारे खानपान का भी असर ग्लूकोज़ की मात्रा पर पड़ता है। कार्बोहाइड्रेट और सुगर की अधिक मात्रा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से इस समस्या को कम किया जा सकता है। शरीर में ग्लूकोज़ की कमी दूर करने के लिए आप इन खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं-रोटी, चावलपास्ताहरी सब्जियांमछली, मांसपनीर और पीनट बटरअंडाआमअंगूरशहदखजूरखीराचुकंदरशरीर में ग्लूकोज़ की अधिकता के नुकसानशरीर में ग्लूकोज़ या ब्लड शुगर की मात्रा अधिक हो जाने की स्थति को हाइपरग्लाइसेमिया (Hyperglycemia) कहते हैं। इस स्थिति में हमारे शरीर के अन्दर कई गंभीर समस्याएं जन्म ले सकती है। शरीर में ग्लूकोज़ लेवल बढ़ने के निम्न कारण हो सकते हैंसमय पर इंसुलिन न लेनाअधिक कार्बोहाइड्रेट का सेवनइन्फेक्शन या बीमारी के समयचिंता और अवसादशारीरिक गतिविधि का कम होनाअसंतुलित खानपानअधिक शराब का सेवनशरीर में ग्लूकोज़ की अधिकता होने पर आपके शरीर में ये लक्षण दिखाई दे सकते हैंप्यास का बढ़नालगातार पेशाब आनाथकानउल्टीसाँसों की कमीपेट दर्दगला सूखनादिल की धड़कन बढ़ जानाइस तरह आप सही खानपान, सही लाइफस्टाइल के साथ-साथ अपने ग्लूकोज लेवल पर नजर रखकर एक स्वस्थ और सेहतमंद जीवन जी सकते हैं। -
बढ़ते तनाव और खानपान की खराब आदतों की वजह से आजकल हाई ब्लड प्रेशर की समस्या लोगों के बीच आम समस्या बन गई है। दरअसल, उच्च रक्तचाप तब होता है जब व्यक्ति की धमनी की दीवारों पर रक्त का दबाव लगातार बहुत अधिक होता है। हाई ब्लड प्रेशर की वजह से व्यक्ति के दिल को पूरे शरीर में खून पहुंचाने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। ज्यादा लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर रहने से हार्ट फेल होने और धमनी में रुकावट आने की समस्या बढ़ सकती है। अगर आपका भी बीपी हाई रहता है तो उसे कंट्रोल में रखने के लिए अपने रूटिन में इन 3 योगासनों को जरूर शामिल करें।
हाई बीपी कंट्रोल रखने में मदद करते हैं ये 3 योगासन-
वीरासन-
वीरासन करने से बीपी के साथ नर्वस सिस्टम भी सही बना रहता है। जिसकी मदद से व्यक्ति को तनाव काफी कम महसूस होता है। वीरासन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर घुटनों के बल बैठकर अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखते हुए अपने हिप्स को एड़ियों के बीच में रखें और घुटनों के बीच की दूरी को कम करें। ऐसा करते हुए नाभि को अंदर की ओर खीचें। कुछ समय तक इसी पोजीशन में बने रहें। 30 सेकंड बाद आराम करें।
शवासन-
शवासन करने से भी हाई बीपी कंट्रोल में रहता है, जिससे व्यक्ति के शरीर को आराम मिलता है। शवासन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेटकर अपनी आंखें बंद करते हुए अपने पैरों को फैला लें। ऐसा करते हुए अपने पैरों को आराम देने की कोशिश करें। अब अपने दोनों हाथों को शरीर के दोनों साइड बिना टच करें रखें और हथेलियों को धीरे धीरे फैलाते हुए पूरे शरीर को आराम दें। अब गहरी और धीमी सांस 30 सेकंड तक लेते हुए फिर आराम करें।
बालासन-
बीपी कंट्रोल रखने के लिए बालासन भी एक अच्छा आसान है। इस आसन का अभ्यास करने से शरीर रिलैक्स होने के साथ हिप्स और रीढ़ की हड्डियों को भी फायदा मिलता है। बालासन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर वज्रासन में बैठकर धीरे-धीरे सांस लें और हाथों को सिर के ऊपर ले जाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़े और आगे की तरफ झुकें और ऐसा करते हुए अपने माथे को जमीन पर टिका लें। अपनी सांसों पर ध्यान देते हुए 30 सेकेंड तक इसी अवस्था में बने रहें और फिर शरीर को आराम दें। -
बाजार में अंकुरित आलू भी देखने को मिल जाते हैं। इनमें आलू में कलियां निकली होती हैं, जिन्हें खाना नुकसानदायक भी हो सकता है। आयुर्वेद में तो इन्हें सेहत के लिए हानिकारक भी माना जाता है। इनके सेवन से सेहत से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं।
अंकुरित आलू खाना क्यों नुकसानदायक है?
अंकुरित आलू में टॉक्सिक कंपाउंड जैसे कि ग्लाइकोअल्केलॉइड्स, सोलनिन और चकोनिन पाए जाते हैं, जो सेहत को नुकसान कर सकते हैं। ग्लाइकोअल्कलॉइड्स पूरे पौधे में मौजूद होता है। जबकि आलू के हरे, अंकुरित और आंखों में ये पदार्थ ज्यादा मौजूद होते हैं। ये सभी कंपाउंड शरीर में टॉक्सिन बढ़ा सकते हैं और पाचन क्रिया को भी धीमा कर सकते हैं।अगर आप खाना बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं, तो आपको ये समस्याएं हो सकती हैं-शरीर में टॉक्सिन्स बढ़ना-ग्लाइकोकलॉइड्स कंपाउंड शरीर में टॉक्सिन की तरह काम करता है। यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का कारण भी बन सकता है। शरीर में ग्लाइकोकलॉइड बढ़ने के लक्षणों में मतली, उल्टी, दस्त, पेट में ऐंठन, सिरदर्द और ज्यादा गंभीर मामलों में कोमा और मृत्यु भी शामिल हो सकती है।कड़वा स्वादग्लाइकोकलॉइड्स ज्यादा होने के कारण आलू का स्वाद कड़वा हो जाता है। अगर आप इस तरह के आलू को व्यंजन में इस्तेमाल करते हैं, तो यह आपके खाने का स्वाद कड़वा कर सकता है।पोषक तत्व कम होते हैंअंकुरित होने के कारण आलू के पोषक तत्व कम हो जाते हैं। ऐसे में इसके सेवन से आपको फायदा नहीं मिलता है। यह शरीर में केवल कैलोरी एड करते हैं और सेहत को नुकसान करते हैं।ब्लड शुगर बढ़ सकती हैनेशनल कैपिटल पॉयजन सेंटर के मुताबिक अंकुरित आलू ब्लड शुगर बढ़ने का कारण भी बन सकता है। ज्यादा समय पर स्टोर करने के कारण इसमें जहरीले तत्व बढ़ने लगते हैं, जो ब्लड शुगर असंतुलित कर सकता है। यह सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। इसलिए अंकुरित आलू को फेंक देना ही सुरक्षित होता है।इन बातों का रखें ध्यान-सप्ताह में एक या दो बार अंकुरित आलू का सेवन किया जा सकता है। लेकिन अगर आप इसका सेवन रोज करते हैं, तो यह नुकसानदेह हो सकता है।-अगर आप अंकुरित आलू खा रहे हैं, तो इसे साफ करके और उबालकर ही इसका सेवन करें।-आलू को हमेशा सामान्य तापमान में ही स्टोर करना चाहिए। फ्रिज में स्टोर करने से इसमें शुगर लेवल बढ़ सकता है। -
प्रत्येक घर में एक रसोई होती है, और इस रसोई में एक डॉक्टर छुपा बैठा होता है, आइए आज अपने उसी डॉक्टर से आपका परिचय करायें ।
1- केवल सेंधा नमक का प्रयोग करने पर आप थायराइड और ब्लडप्रेशर से बचे रह सकते हैं, यही नहीं, आपका पेट भी ठीक रहेगा ।2- कोई भी रिफाइंड न खाकर तिल, सरसों, मूंगफली या नारियल के तेल का प्रयोग आपके शरीर को कई बीमारियों से बचायेगा, रिफाइंड में कई हानिकारक कैमिकल होते हैं ।3- सोयाबीन की बड़ी को दो घंटे भिगोकर मसलकर झाग निकालने के बाद ही प्रयोग करें, यह झाग जहरीली होती है ।4- रसोई में एग्जास्ट फैन अवश्य लगवायें, इससे प्रदूषित हवा बाहर निकलती रहेगी ।5- ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य सही रहेगा ।6- भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा ।7- भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा ।8- भोजन से पहले पिया गया पानी अमृत, बीच का सामान्य और अंत में पिया गया पानी ज़हर के समान होता है ।9- बहुत ही आवश्यक हो तो भोजन के साथ गुनगुना पानी ही पियें, यह निरापद होता है ।10- सवेरे दही का प्रयोग अमृत, दोपहर में सामान्य व रात के खाने के साथ दही का प्रयोग ज़हर के समान होता है ।11- नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें, पोषण, विटामिन व फाईबर मुफ्त में प्राप्त होते रहेंगे ।12- चीनी कम-से-कम प्रयोग करें, ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी । भोजन में गुड़ व देशी शक्कर का प्रयोग बढ़ायें ।13- छौंक में राई के साथ कलौंजी का प्रयोग भी करें, फायदे इतने कि लिखे नहीं जा सकते ।14- एक डस्टबिन रसोई के अंदर और एक बाहर रखें, सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्टबिन में डालना न भूलें ।15- करेले, मेथी और मूली यानि कड़वी सब्जियां भी खाएं, रक्त शुद्ध होता रहेगा ।16- पानी मटके के पानी से अधिक ठंडा न पियें, पाचन व दांत ठीक रहेंगे ।17- पानी का फिल्टर RO वाला हानिकारक है, UV वाला ही प्रयोग करें । सस्ता भी , बढ़िया भी ।18- बिना कलौंजी वाला अचार न खायें, यह हानिकारक होता है ।9- माइक्रोवेव, ओवन का प्रयोग न करें, यह कैंसर कारक है ।20- खाने की ठंडी चीजें ( आइस क्रीम) कम से कम खायें, ये पेट की पाचक अग्नि कम करती हैं, दांत खराब करती हैं । -
ज्यादातर लोग मीठा छोड़ना चाहते हैं लेकिन इसकी क्रेविंग को शांत कर पाना कुछ लोगों के लिए मुश्किल होता है। ऐसे में आप दालचीनी के पानी को पीकर मीठे की क्रेविंग को शांत कर सकते हैं। दालचीनी सेहत के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स की अच्छी मात्रा होती है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करती हैं।
नियमित तौर पर दालचीनी खाने से एलर्जी और इनफेक्शन का खतरा भी कम होने लगता है। अगर आप सही तरीके से दालचीनी खाएंगे तो ये शुगर लेवल के स्पाइक होने का खतरा कम हो जाता है। दालचीनी का पानी स्वाद में मीठा लगता है आप नींबू डालकर इसके स्वाद को बढ़ा भी सकते हैं।
बहुत फायदेमंद है दालचीनी का पानी- दालचीनी का पानी पीने से शरीर में ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन रखने में मदद मिलती है। खाने के बाद ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है
- पीरियडस के समय में पेट के निचले हिस्से में होने वाले दर्द को दूर करने के लिए दालचीनी का पानी फायदेमंद है। मेंस्ट्रूअल क्रैंप्स को दूर करने के साथ ये ब्लीडिंग को भी नियंत्रित करता है।
- पीसीओएस से बचने के लिए भी दालचीनी फायदेमंद होती है। ये शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस की समस्या को संतुलित करके फर्टिलिटी को बढ़ाने में मदद करती है।
- दालचीनी में एंटीऑक्सिडेंट की प्रचुर मात्रा होती है। ये शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचा सकती है। ये सेल्स को डैमेज कर शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। रोजाना इसे खाने से डायबिटीज, कैंसर और हृदय रोग जैसी बीमारियों से दूर रहने में मदद मिल सकती है
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थायराइड एक हॉर्मोनल बीमारी है, जिसपर ध्यान ना दिया जाए तो ये गंभीर साबित हो सकती है। इस समस्या का सबसे ज्यादा खतरा महिलाओं में होता है। थायराइड एक ग्रंथि है, जिसमें असंतुलन को इसी समस्या से संदर्भित किया जाता है। यह ग्लैंड गर्दन के सामने होती है। आजकल बदलते लाइफस्टाइल और खानपान के चलते ये समस्या भी कॉमन होती जा रही है। थायराइड के बढ़ने की स्थिति को हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायरायडिज्म कहा जाता है। हाइपोथायरायडिज्म तब होता है जब थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं बनाती है। वहीं हाइपरथायरायडिज्म वो स्थिति है जब बहुत ज्यादा थायराइड हार्मोन का उत्पादन होता है। थायराइड को भी हो, इसपर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि ये समस्या को बढ़ा सकता है। यहां जानिए शरीर में हो रहे बदलाव कहीं थायराइड के लक्षण तो नहीं।
थायराइड के शुरुआती वॉर्निंग साइन क्या हैं?
थायराइड के शुरुआती लक्षण इस बात पर निर्भर करते हुए अलग-अलग हो सकते हैं कि समस्या हार्मोन के ज्यादा उत्पादन की है या कम उत्पादन की है। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण हैं जिनको इग्नोर करने से मुश्किल हो सकती है। जैसे-- पर्याप्त नींद के बाद भी थकान या एनर्जी की कमी महसूस होना।
- अचानक वजन कम होना या वजन बढ़ना।
- मूड में बदलाव, चिड़चिड़ापन, चिंता या डिप्रेशन।
- नींद में खलल, अनिद्रा या अत्यधिक नींद आना
- सूखी/खुरदरी त्वचा या बालों का झड़ना
- मांसपेशियों में कमजोरी या जोड़ों में दर्द
- हार्ट रेट का बढ़ना या कम होना
- पीरियड्स में परिवर्तन जैसे हल्का या भारी पीरियड्स, या अनियमित साइकिल।
- गर्दन में सूजन पैदा कर सकती ह
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- जोड़ों में दर्द की समस्या आपके लिए दैनिक कार्यों को काफी कठिन बना सकती है। लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के अलावा जिन लोगों के ब्लड में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है उनको भी जोड़ों में दर्द और कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।यूरिक एसिड शरीर का एक सामान्य अपशिष्ट उत्पाद है। यह प्यूरीन नामक रसायन के ब्रेक डाउन से बनता है। प्यूरीन शरीर में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक पदार्थ है, कई खाद्य पदार्थों में भी इसकी मात्रा होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आमतौर पर गाउड या किडनी में पथरी के लक्षणों के बाद इस समस्या का पता चल पाता है। ब्लड में बढ़ी हुई यूरिक एसिड की स्थिति को हाइपरयुरिसीमिया के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं कि ये स्थिति किस तरह की समस्याओं का कारण बनती है और इससे बचाव के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?हाई यूरिक एसिड की समस्यास्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आमतौर पर हाई यूरिक एसिड को जोड़ों में दर्द की समस्या के रूप में जाना जाता है, पर इसके दुष्प्रभाव यहीं तक सीमित नहीं हैं। ये गाउट और किडनी की बीमारी के जोखिमों को भी बढ़ाने वाली हो सकती है।यूरिक एसिड जोड़ों और ऊतकों में जमा हो जाता है, जिससे दर्द होता है। इसके कारण होने वाली गाउट की समस्या आमतौर पैर के अंगूठे, जोड़ों, टखनों और घुटनों को प्रभावित करती है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि यह हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट फेलियर के भी खतरे को बढ़ाने वाली दिक्कत हो सकती है। कुछ प्रकार के उपाय करके ब्लड में यूरिक एसिड के स्तर को कंट्रोल किया जा सकता है।हाइपरयुरिसीमिया से कैसे बचा जा सकता है?स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, हाइपरयुरिसीमिया को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है आहार को ठीक रखना। ऐसी चीजों के सेवन से बचा जाना चाहिए जिनमें प्यूरीन की अधिकता होती है। कुछ प्रकार के समुद्री भोजन और मछलियों में प्यूरीन की अधिकता होती है। यूरिक एसिड की समस्या से बचने या इसे कंट्रोल में रखने के लिए शराब, चीनी, रेड मीट के भी कम सेवन की सलाह दी जाती है।शराब से बढ़ सकती हैं दिक्कतेंशराब पूरी सेहत के लिए हानिकारक मानी जाती है, इससे यूरिक एसिड और इसके कारण होने वाली दिक्कतें भी बढ़ सकती हैं। डॉक्टर कहते हैं, अल्कोहल का सेवन करने वाले लोगों में गाउट की समस्या बार-बार ट्रिगर होने का जोखिम रहता है। शराब जोड़ों के लिए भी नुकसानदायक मानी जाती है।डॉक्टर कहते हैं, शराब से बिल्कुल दूरी बनाकर रखें। ये इम्युनिटी को कमजोर करने के साथ रक्त से संबंधित समस्याओं को भी बढ़ाने वाली हो सकती है।
- वर्तमान में कई लोग पेट की समस्याओं से काफी परेशान रहते हैं, कुछ लोगों को खाना खाते ही एसिडिटी की शिकायत होने लगती है। आयुर्वेद में हाथ से खाना खाने के अनेक लाभ बताए गए हैं लेकिन आजकल लोग चम्मच, कांटे और छुरी से खाना पसंद करते हैं। जिसका सेहत पर बुरा असर हो सकता है। दरअसल, हाथ से खाना खाने से शरीर में पंचतत्वों का संतुलन बनता है जिससे हाजमा बेहतर हो सकता है। कई लोगों को एसिडिटी के कारण खट्टी डकारें भी आती हैं। अगर आप भी इन समस्याओं से जूझ रहे हैं तो इस लेख में कुछ ऐसे घरेलू उपाय बता रहे हैं, जिन्हें अपनाने से आपको लाभ मिल सकता है।खाना खाते ही एसिडिटी के लिए घरेलू नुस्खे1. अदरक का पानीजिन लोगों को खाना खाते ही एसिडिटी की समस्या होने लगती है, उन्हें अदरक का पानी पीना चाहिए। कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुणों से भरपूर अदरक का पानी पेट की सूजन को कम कर सकता है और अम्लता को कम करने में मदद कर सकता है। अदरक में मौजूद अमीनो एसिड पाचन को बेहतर करने में सहायक होते हैं। इसके साथ ही अदरक के पानी का सेवन डायबिटीज के इलाज में भी मददगार साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह रक्त शर्करा यानी ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में सहायक होता है। विटामिन C और अन्य पोषक तत्वों की भरपूर अदरक का पानी, इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है।2. हरी धनिया और पुदीनाहरी धनिया और पुदीना में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और अन्य पोषक तत्व अम्लता को कम करने में मदद करते हैं। हरी धनिया और पुदीना को अच्छे से धोकर पीस लें और पानी के साथ मिलाकर पिएं। इससे आपको लाभ मिल सकता है और एसिडिटी की समस्या कम हो सकती है। इसका स्वाद बढ़ाने के लिए आप हल्का नमक भी मिला सकते हैं।3. तुलसीतुलसी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण पेट में होने वाली अम्लता के इलाज में मददगार साबित हो सकती है। तुलसी के पत्तों को रोज़ाना खाने से पेट की सूजन और अम्लता के लक्षणों में आराम मिल सकता है। इसके साथ ही तुलसी का सेवन तनाव को भी कम करने में सहायक होता है।4. सौंफ और जीरापोषक तत्वों से भरपूर सौंफ और जीरा का सेवन अम्लता को कम करने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही यह पाचन क्रिया को सुधारता है। सौंफ और जीरा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण सेहत के लिए बेहद लाभदायक होते हैं और पेट की अग्नि को शांत करने में सहायक हो सकते हैं।
- बच्चों को होली का त्योहार काफी पसंद होता है। रंगों के इस त्योहार का वे बेसब्री से इंतजार करते हैं, जिसमें हर तरफ रंग और गुलाल, रंगीन चेहरे, पानी से भरे गुब्बारे और खुशियां ही खुशियां नजर आती हैं। लेकिन होली की इन खुशियों पर पानी न फिर जाए, इसलिए बच्चों के साथ होली खेलते समय कुछ बातों का ध्यान देना बेहद जरूरी है। होली में इस्तेमाल होने वाले रंगों में मौजूद केमिकल बच्चों के लिए भी काफी हानिकारक होते हैं।बच्चों के लिए होली के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?1. प्राकृतिक रंगों का उपयोग करेंकिसी भी तरह की एलर्जी और त्वचा पर होने वाली जलन से बचने के लिए प्राकृतिक रंगों को चुनें। नेचुरल कलर आमतौर पर फूलों के अर्क से बनाए जाते हैं और बच्चों की नाजुक त्वचा के लिए सुरक्षित होते हैं।2. त्वचा और बालों पर तेल लगाएंहोली खेलने के लिए बाहर जाने से पहले, अपने बच्चे की स्किन और बालों पर तेल लगाएं। ऐसा करने से होली खेलने के बाद रंगों को धोना आसान हो जाता है।3. शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनेंबच्चों के पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़ें पहनाएं, जो उनके शरीर को पूरी तरह से ढक सकें और रंगों से उनकी स्किन को बचाने में मदद करें।4. धूप का चश्मा पहनाएंअपने बच्चे की आंखों को रंगों से बचाने के लिए उन्हें धूप का चश्मा पहनाएं। ऐसा करने से हानिकारक केमिकल और रंग आंखों में जाने से बचेंगे और उनकी आंखें सुरक्षित रहेंगी।5. पर्याप्त मात्रा में पानी और जूस पिएंधूप में होली खेलना थका देने वाला हो सकता है और उनके एनर्जी का लेवल भी कम हो सकता है, जिससे डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। खूब पानी और ताजा जूस पीकर पूरे दिन बच्चे को हाइड्रेटेड रखने की कोशिश करें।6. होली खेलने के बाद नहानाहोली खेलने के बाद, सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा अपने शरीर से रंगों को धोने के लिए गुनगुने पानी से अच्छी तरह नहाए। उनके बालों और स्कैल्प को प्रभावी ढंग से साफ करने के लिए शैम्पू का उपयोग करें।7. त्वचा पर मॉइस्चराइजर और बालों में तेल लगाएंनहाने के बाद, अपने बच्चे की स्किन को हाइड्रेट करने और रंगों के कारण होने वाले ड्राईनेस या जलन को कम करने के लिए स्किन पर मॉइस्चराइजर लगाएं। इसके साथ, बालों को हेल्दी रखने के लिए भी स्कैल्प पर ऑयल मसाज करें।8. बड़ों की निगरानी में खेलने देंहोली खेलने के दौरान बच्चों की सुरक्षा के लिए हमेशा उन पर निगरानी बनाए रखें। किसी भी तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उन पर कड़ी नज़र रखें, खासकर अगर वे पानी से खेल रहे हों या छत पर हो। बच्चों के होली खेलने पर इन बातों पर ध्यान रखकर आप उनके लिए होली को सुरक्षित और खुशहाल बना सकते हैं।
- गर्मियां शुरू होते ही मच्छरों का आतंक भी बढ़ने लगता है। जिससे छुटकारा पाने के लिए लोग बाजार में मिलने वाले कई तरह के कोइल या लिक्विड रिपेलेंट का इस्तेमाल करने लगते हैं। चिंता की बात यह है कि मच्छरों को भगाने वाले ये प्रोडक्ट बेहद हार्ड केमिकल से बने होते हैं। जिसकी वजह से कई बार लोगों को सांस से जुड़ी दिक्कतें भी परेशान करने लगती हैं। ऐसे में बीमारियों और मच्छरों को घर से दूर रखने के लिए आप रसोई में मौजूद ये घरेलू नुस्खे अपना सकते हैं।मच्छर भगाने में बेहद असरदार हैं ये नुस्खे-नींबू-सरसों का तेल-मच्छरों से निजात पाने के लिए नींबू और सरसों का तेल बेहद कारगार उपाय है। इस उपाय को आजमाने के लिए एक नींबू को आधा काटकर उसका गूदा निकाल दें। इसके बाद नींबू के छिलके में सरसों का तेल और लौंग-कपूर डालकर जलाएं। इस उपाय को करने से मच्छर पास नहीं फटकेंगे।तुलसी के पत्ते-औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी का उपयोग सिर्फ सेहत से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने के लिए ही नहीं बल्कि मच्छर भगाने के लिए भी किया जा सकता है। घर में मच्छरों को भगाने के लिए घर के दरवाजे और खिड़की पर तुलसी की पत्तियां रख दें।कॉफी स्प्रे-कॉफी का इस्तेमाल सिर्फ दिनभर की थकान मिटाने के लिए ही नहीं बल्कि मच्छरों को भी घर से बाहर निकालने के लिए किया जाता है। कॉफी की खुशबू मच्छरों को बेहद नापसंद होती है। कॉफी के इस उपाय को करने के लिए सबसे पहले एक बोतल में पानी भरकर उसमें 1 चम्मच कॉफी मिलाकर स्प्रे तैयार कर लें। कॉफी के स्प्रे से कुछ ही देर में आपको मच्छरों से छुटकारा मिल जाएगा।लहसुन-लहसुन भी मच्छरों को भगाने का एक अच्छा तरीका है। मच्छर भगाने के लिए लहसुन की 2 से 4 कलियों को हल्का सा मसलकर 1 गिलास पानी में उबाल लें। इस पानी को ठंडा करके एक स्प्रे बोतल में भरकर स्टोर कर लें। शाम के समय लहसुन के इस पानी को पूरे घर में छिड़क दें। इस उपाय को करने से मच्छर पूरी तरह से घर से दूर भाग जाएंगे।
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1 = केवल सेंधा नमक प्रयोग करें, थायराईड, बी पी और पेट ठीक होगा।
2 = केवल स्टील का कुकर ही प्रयोग करें, अल्युमिनियम में मिले हुए लेड से होने वाले नुकसानों से बचेंगे।3 = कोई भी रिफाइंड तेल ना खाकर केवल तिल, मूंगफली, सरसों और नारियल का प्रयोग करें। रिफाइंड में बहुत केमिकल होते हैं जो शरीर में कई तरह की बीमारियाँ पैदा करते हैं ।4 = सोयाबीन बड़ी को 2 घण्टे भिगो कर, मसल कर ज़हरीली झाग निकल कर ही प्रयोग करें।5 = रसोई में एग्जास्ट फैन जरूरी है, प्रदूषित हवा बाहर करें।6 = काम करते समय स्वयं को अच्छा लगने वाला संगीत चलाएं। खाने में भी अच्छा प्रभाव आएगा और थकान कम होगी।7 = देसी गाय के घी का प्रयोग बढ़ाएं। अनेक रोग दूर होंगे, वजन नहीं बढ़ता।8 = ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा।9 = ज्यादा से ज्यादा चीजें लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं। आयरन की कमी किसी को नहीं होगी।10 = भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा। भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा।11 = नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें। पोषक विटामिन और फाइबर मिलेंगें।12 = सुबह के खाने के साथ देशी गाय के दूध का बना ताजा दही लें, पेट ठीक रहेगा।13 = चीनी कम से कम प्रयोग करें, ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी।14 = चीनी की जगह बिना मसले का गुड़ या देशी शक्कर लें।15 = छौंक में राई के साथ कलौंजी का भी प्रयोग करें, फायदे इतने कि लिख ही नहीं सकते।16 = चाय के समय, आयुर्वेदिक पेय की आदत बनाएं व निरोग रहेंगे।17 = एक डस्टबिन रसोई में और एक बाहर रखें, सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्ट बिन में डालें।18 = रसोई में घुसते ही नाक में घी या सरसों का तेल लगाएं, सर और फेफड़े स्वस्थ रहेंगें।19 = करेले, मैथी और मूली यानि कड़वी सब्जियां भी खाएँ, रक्त शुद्ध रहेगा।20 = पानी ज्यादा ठंडा न पिएं, पाचन व दांत ठीक रहेंगे।21 = प्लास्टिक और अल्युमिनियम रसोई से हटाएं, दोनों केन्सर कारक हैं।22 = माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग कैंसर कारक है।23 = खाने की ठंडी चीजें कम से कम खाएँ, पेट और दांत को खराब करती हैं।24 = बाहर का खाना बहुत हानिकारक है, खाने से सम्बंधित ग्रुप से जुड़कर सब घर पर ही बनाएं।25 = तली चीजें छोड़ें, वजन, पेट, एसिडिटी ठीक रहेंगी।26 = मैदा, बेसन, छौले, राजमां और उड़द कम खाएँ, गैस की समस्या से बचेंगे।27 = अदरक, अजवायन का प्रयोग बढ़ाएं, गैस और शरीर के दर्द कम होंगे।28 = बिना कलौंजी वाला अचार हानिकारक होता है।29 = पानी का फिल्टर R O वाला हानिकारक है।30 = रसोई में ही बहुत से कॉस्मेटिक्स हैं, इस प्रकार के ग्रुप से जानकारी लें।31 = रात को आधा चम्मच त्रिफला एक कप पानी में डाल कर रखें, सुबह कपड़े से छान कर इस जल से आंखें धोएं, चश्मा उतर जाएगा। छानने के बाद जो पाउडर बचे उसे फिर एक गिलास पानी में डाल कर रख दें। रात को पी जाएं। पेट साफ होगा, कोई रोग एक साल में नहीं रहेगा।32 = सुबह रसोई में चप्पल न पहनें, शुद्धता भी, एक्यू प्रेशर भी।33 = रात का भिगोया आधा चम्मच कच्चा जीरा सुबह खाली पेट चबा कर वही पानी पिएं, एसिडिटी खतम।34 = एक्यूप्रेशर वाले पिरामिड प्लेटफार्म पर खड़े होकर खाना बनाने की आदत बना लें तो भी सब बीमारियां शरीर से निकल जायेंगी।35 = चौथाई चम्मच दालचीनी का कुल उपयोग दिन भर में किसी भी रूप में करने पर निरोगता अवश्य होगी।36 = रसोई के मसालों से बनी चाय मसाला स्वास्थ्यवर्धक है।37 = सर्दियों में नाखून के बराबर जावित्री कभी चूसने से सर्दी के असर से बचाव होगा।38 = सर्दी में बाहर जाते समय 2 चुटकी अजवायन मुहं में रखकर निकलिए, सर्दी से नुकसान नहीं होगा।39 = रस निकले नीबू के चौथाई टुकड़े में जरा सी हल्दी, नमक, फिटकरी रख कर दांत मलने से दांतों का कोई भी रोग नहीं रहेगा।40 = कभी - कभी नमक - हल्दी में 2 बून्द सरसों का तेल डाल कर दांतों को उंगली से साफ करें, दांतों का कोई रोग टिक नहीं सकता।41 = बुखार में 1 लीटर पानी उबाल कर 250 ml कर लें, साधारण ताप पर आ जाने पर रोगी को थोड़ा थोड़ा दें, दवा का काम करेगा।42 = सुबह के खाने के साथ घर का जमाया देशी गाय का ताजा दही जरूर शामिल करें, प्रोबायोटिक का काम करेगा। -
कमजोर हड्डियों को ठीक करने के लिए वैसे तो मार्केट में कई हेल्थ प्रोडक्ट मौजूद हैं, लेकिन उनका सही इस्तेमाल कैसे किया जाए इसकी जानकारी किसी को नहीं है। लोग बिना किसी डॉक्टरी सलाह के हड्डियों को ठीक करने वाले प्रोडक्ट का सेवन कर रहे हैं। जिसकी वजह से यह प्रॉब्लम और भी ज्यादा बढ़ रही है। इसलिए आज हम आपको हड्डियों को नेचुरल तरीकों से कैसे मजबूत बनाया जा सकता है, इसके बारे में बताने जा रहे हैं।हड्डियों को मजबूत बनाने के 5 उपाय
1. कैल्शियम युक्त डाइट लेंएक्सपर्ट का कहना है कि हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके लिए रोजाना कम से कम एक गिलास दूध जरूर पिएं। जिन लोगों को दूध पसंद नहीं है वह तिल और रागी जैसे विकल्प को चुनकर शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा कर सकते हैं।2. विटामिन डी है जरूरीविटामिन डी को हड्डियों के विकास के लिए जरूरी माना जाता है। शरीर में विटामिन डी की पूर्ति करने के लिए रोजाना कम से कम 15 से 20 मिनट धूप में जरूर बैठें। जहां तक संभव हो धूप में सुबह के समय बैठें। ऐसा कहा जाता है कि सुबह की पहली धूप में ज्यादा विटामिन डी पाया जाता है।3. मैग्नीशियम का भी रखें ध्यानहड्डियों के विकास और उसकी मजबूती के लिए मैग्नीशियम भी बहुत ज्यादा जरूरी है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि विटामिन डी का सेवन कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। जबकि मैग्नीशियम विटामिन डी का लेवल ठीक रखने में मददगार है। मैग्नीशियम के लिए आप डाइट में बादाम, केला और हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल कर सकते हैं।4. सॉफ्ट ड्रिंक न पिएंसॉफ्ट ड्रिंक या सोडा युक्त ड्रिंक का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से हड्डियां कमजोर हो सकती है। दरअसल, सॉफ्ट ड्रिंक्स में फॉस्फेट होता है, जो कैल्शियम के अवशोषण को रोकता है। जिसकी वजह से हड्डियां कमजोर होती हैं और फ्रैक्चर का खतरा भी बढ़ता है। गर्मियों में जिन लोगों को सॉफ्ट ड्रिंक, सोडा या कोला की ज्यादा क्रेविंग होती है वह लस्सी, छाछ और नींबू-पानी जैसे ऑप्शन ट्राई कर सकते हैं।5. कोलेजन का करें सेवनज्यादातर लोग कोलेजन को स्किन और बालों से जोड़कर देखते हैं, लेकिन यह हड्डियों के लिए भी बहुत जरूरी है। कोलेजन एक प्रोटीन होता है, जो हड्डियों के विकास में भी मददगार है। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए सुबह 11 बजे के आसपास कोलेजन पाउडर का सेवन करना चाहिए। आपकी शारीरिक संरचना के हिसाब से कौन सा कोलेजन आपके लिए सही है, इसकी जानकारी आप डॉक्टर से प्राप्त कर सकते हैं। -
मोटापा घटाना चाहते हैं तो करें ये उपाय
1. नींबू पानीसबसे पुराना एवं कारगर उपाय नींबू पानी है जो पाचन क्रिया को ठीक करता है। विषहरन की प्रक्रिया को बढ़ाता है। मोटापा घटाने के लिए पाचन क्रिया ठीक होना बेहद जरूरी है क्योकि यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को जलाने में पोषक तत्व प्रदान करता है। साथ ही ये मेटाबोलिस्म को कम करने वाले विषैले पदार्थों को बॉडी से बाहर निकलता है। तीन चम्मच नींबू के रस में एक चोथाई चम्मच कालीमिर्च को एक ग्लास गरम पानी में डालकर घोलकर रोज सुबह खाली पेट पिये और कम से कम तीन महीनो तक ऐसा करे रिज़ल्ट आपके सामने होगा। आप नींबू को केवल पानी के साथ भी मिलकर पी सकते है।2. करी के पतेकरी के पते में alkaloid पाया जाता है जो वजन कम करने के लिए एक अच्छा उपाय है। रोज सुबह 10 करी के पतो का सेवन करने से मोटापा कम होता है साथ ही मोटापा के कारण हुए मधुमेह को भी यह कम करने में मदद करता है।3. टमाटरटमाटर में विटामिन ए, सी और के के साथ मैग्नीशियम, मेंगनीस, कोलिन, फोलेट और अन्य पोषक तत्व होते है जो body के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। ये आपके हॉरमोन के स्तर को भी ठीक करता है और अत्यधिक भुख को कम करता है। इसलिए अगर आप रोज सुबह खाली पेट दो टमाटर को छिलके एवं बीज के साथ ही सेवन करे, तो आपको फ़ाइबर भी भरपूर मिलेगा.4. दालचीनीदालचीनी मिलाकर बनी चाय का सेवन से मेटाबोलिज़म तेज होता है, ऊर्जा बढ़ती है और बॉडी के विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं । आप खाने के 15 मिनट पहले सौफ, अर्जुन, दालचीनी और मुलेठी की चाय को भी पी सकते है। चाहे तो एक कप गरम पानी में डेढ़ चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाये और इसको सुबह खाली पेट और रात को सोने से फेले सेवन करे।5. सौफसौफ के बीजो में मूत्रवर्धक गुण होते है जो मोटापा कम करने में लाभकारी माना जाता है। सौफ के बीजो को सुखा कर भून ले और फिर इसको पीस कर पाउडर बना ले. इस पाउडर को रोज दिन में दो बार डेढ़ डेढ़ चम्मच लेकर गरम पानी के साथ सेवन करे। इससे आपकी गैस, अपच और कब्ज की समस्या भी दूर होजाएगी।6. फ़ास्ट फूड्स बिलकुल भी न खायेबाज़ार की चीजों में फेट अधिक होता है जिससे हमारा वजन आसानी से बढ़ने लगता है। फास्ट फूड्स बॉडी के लिए नुकसानदायक तो होता ही है। इसलिए बाज़ार के बने समोसा, कचोरी, पिज्जा, बर्गर, चिप्स, कोलड्रिंक आदि न खाये या पिये।7. हरी सब्जियों का सेवन करेहरी सब्जिया खाने से हमारा वेट बढ़ता नहीं है। हमे रोज़ ग्रीन vegetables जैसे लौकी, गिलकी आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए.8. चबा चबा कर भोजन करनाहमे हमेशा अपने खाने को चबा कर खाना चाहिए जिससे खाना खाने के बाद आलस्य नहीं होता है। हर एक व्यक्ति को लगभग 25 से 30 बार चबा कर खाना चाहिए, जल्दी जल्दी नहीं खाना चाहिए।9. दोपहर की नींद न लेआपको जितनी भी नींद लेनी हो रात के समय एक बार ही ले लेनी चाहिए क्यूंकी दोपहर की नींद मोटापा बढाती है। हमे रोज 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। न ज्यादा न कम । इसलिए रात को समय से सोना चहिए।10. सुबह का वॉक करना एवं शाम को भी वॉक करने के फायदेरोज सुबह जल्दी उठकर मॉर्निंग वॉक पर जाना चाहिए। कम से कम 15 मिनट वॉकिंग करना चाहिए. साथ ही शाम को भी खाना खाने के बाद वॉक करना चाहिए। यह मोटापा घटाने का सरल एवं प्राकृतिक उपाय है जिससे आपका शरीर निरोगी रहेगा।11. फ्रूट जूसवजन घटाने के लिए कभी कभी भोजन की जगह फ्रूट जूस का सेवन कर लिया करे । फ्रूट जूस और फ्रूट का सेवन करने से मोटापा नहीं बढ़ता है और जब बॉडी की चर्बी नहीं बढ़ेगी, तो मोटापा कम होने लगेगा।सप्ताह में 2 से 3 बार खाना खाने की जगह सिर्फ फल लें यानि फास्टिंग विथ फ्रूट्स। फल मे आप अमरूद, नाशपाती, संतरे सेव, नाशपाती, मौसंबी, सलाद, आड़ु आदि का सेवन करे।12. सीढ़ियो का उपयोग करेआप अगर बाहर मॉर्निंग वॉक या ईवनिंग वॉक पर नहीं जा पते तो घर पर ही सीढ़ियो का उपयोग वजन घटाने के लिए कर सकते है। सीढ़ियो पर बार-बार चढ़ना उतरना करे और लिफ्ट का उपयोग न कर के जब भी आपको कही जाना हो, तब सीढ़ियो का इस्तमाल करे। इससे फ़िज़िकल exercise होगी और मोटापा घटेगा। क्यूंकी सीढ़ियो के चढ़ने उतारने से आपका फेट कम होने लगता है।13. पैदल चलेआज की डिजिटल दुनिया में थोड़ी सी दूर आने-जाने के लिए भी लोग स्कूटर या कार का उपयोग करते हैं जिससे उन्हें हैल्थ प्रॉब्लेम्स होने लगती है। आज हमारी नवजवान पीढ़ी की भी यह आदत हो गयी है कि जब भी उनको बाज़ार जाना होता है, तो वे बाइक या टॅक्सी या कार का उपयोग कर लेते हैं. आपको अपना मोटापा अगर कम करना है, तो आज से ही आप जब भी बाज़ार जाए, तो पैदल चलना शुरू कर दे। अगर आपकी मार्केट का काम बहुत दूर का हो तो आप टॅक्सी या बाइक का प्रयोग करे नहीं तो पेदल ही चले तो आपके स्वस्थ के लिए बहुत अच्छा होगा।14. मोटापा घटाने के लिए लाभदायक एक्सर्साइज़मोटापा घटाने के लिए jump squats exercise आपकी पेट की चर्बी को घटाने मे मदद करेगी । सीधे खड़े हो जाए,अपने दोनों हाथो को सर पर या कमर पर रख कर jump करे। इस squats को सुबह खाली पेट ही करे।मोटापा घटाने के लिए रस्सी कूदने से belly, thighs, शोल्डर की फेट कम होती है। ये बहुत ही सरल एवं असरदार उपाय है। इस एक्सर्साइज़ को आप सुबह और शाम दोनों समय कर सकते है।मोटापा घटाने के लिए उल्टे लेट कर अपने दोनों हाथो के जरिये अपने शरीर को up and डाउन करे। इस एक्सर्साइज़ से आपकी सारी चर्बी घट जाएगी और आपको खुद को शेप में लाने में मदद करेगी।15. भुजंगासनपेट की चर्बी घटाने के लिए भुजंगासन भी करें. यह भी चर्बी गलाने के लिए बहुत अच्छी रहती है. भुजंगासन चेस्ट और बेल्ली मसल्स को अच्छी तरह stretching देता है और इसको सुंदर बनाता है। ये हैल्थ बेनेफिट्स के साथ spiritual बेनेफिट्स भी देता है।16. कपालभाती प्राणायामकपालभाती प्राणायाम भी बहुत अदभूत है, इससे हमारे बॉडी पर ढेरो फायदे होते हैं. जिनको अपना वजन घटना है, उनके लिए ये बहुत ही अच्छा प्राणायाम है। पेट की चर्बी और चेहरे की चर्बी को ये बहुत आसानी से कम कर देता है।17. सुबह जल्दी उठेंमोटापा घटाने या वजन कम करने के लिए रोज सुबह 6 बजे उठने की कोशिश करनी चाहिए, अगर आप इस तरीके को एक महीने लगातार फॉलो करते है तो पक्का आपका मोटापा कम हो जाएगा।18. खाना दो बार समय पर लेमोटापा कम करने के लिए आपको कभी भी खाना नहीं छोड़ना चाहिए। दिन भर में दो बार भोजन जरूर करना चाहिए। आपको अपने खाने में हेल्दी फ्रूट्स एवं vegetables को भी रखना चाइए। रात का खाना आपको रोज शाम 7 बजे के पहले ही ले लेना चाहिए। इस समय दाल, राजमा, चावल के सेवन से बचे क्योकि ये आसानी से पचते नहीं हैं और फिर जिससे आपके शरीर में फेट्स बढ़ने लगता है। - कहते हैं कि बीमारियों से बचे रहना है तो अपने पेट को दुरुस्त रखें. खराब डाइजेशन आपकी सेहत का दुश्मन हो सकता है. पेट में मौजूद हेल्दी बैक्टीरिया भोजन को ठीक तरह से पचाने के साथ-साथ पोषक तत्वों का अवशोषण करते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि हमारी आंतों में कई सारे माइक्रो ऑर्गेनिज्म होते हैं. इनमें बैक्टीरिया और फंगस शामिल होते हैं. इन्हें गट बैक्टीरिया के नाम से भी जाना जाता है.इन्हीं की वजह से हमारा डाइजेशन ठीक रहता है और भोजन को पचाने में दिक्कत नहीं आती. अगर आप गट बैक्टीरिया को बढ़ाना चाहते हैं तो कुछ आयुर्वेदिक चीजों और जड़ी-बूटियों को अपनी डाइट में शामिल करनी चाहिए. एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर ये चीजें पेट में से खराब बैक्टीरिया का भी सफाया करती हैं.हल्दीआयुर्वेद में हल्दी बेहद अहम मानी गई है. आपको बता दें कि हल्दी में करक्यूमिन नामक एंटीऑक्सीडेंट होता है. ये आंतों की सूजन तो कम करता ही है लेकिन इसके साथ ही ये गट बैक्टीरिया को भी संतुलित रखती है. नियमित हल्दी का इस्तेमाल करने से पेट की दिक्कतें दूर होती है.अदरकअदरक की चाय तो सभी लोग चुस्की लेकर पीते हैं. लेकिन इसे कच्चा भी खाया जा सकता है. इसमें पाचक गुण होते हैं, जो हमारे डाइजेशन को मजबूत करते हैं. इसके साथ ही यह हेल्दी बैक्टीरिया को भी बढ़ावा देता है.लहसुनलहसुन में भी प्रीबायोटिक गुण पाए जाते हैं, जो गट बैक्टीरिया को संतुलित करते हैं. लहसुन में पाए जाने वाले एंटी माइक्रोबियल गुण हमारे पाचन तंत्र को मजबूत रखते हैं. इससे हमारा डाइजेशन ठीक रहता है.अजवाइनपेट में गैस हो या ब्लोटिंग अजवाइन को नुस्खा तो शायद सभी ने फॉलो किया होगा. सदियों से इसका इस्तेमाल पेट को दुरुस्त रखने के लिए किया जाता रहा है. इसमें थाइमोल जैसे कंपाउंड पाए जाते हैं. ये आंतों को सेहतमंद रखने में मदद करते हैं.पुदीनापुदीना खाने से भी हमारा पेट साफ रहता है. ये हमारी पाचन क्रिया को तेज करता है. इसके साथ ही, यह गैस, सूजवन और अपच जैसी दिक्कतों से भी राहत दिलवाता है.
- आप भी बढ़ते वजन से परेशान हैं और अलग-अलग तरीके आजमाकर परेशान हो चुके हैं तो जान लीजिए कि न सिर्फ हेल्दी फूड बल्कि टाइम के हिसाब से खाया गया खाना ही वेट कंट्रोल कर सकता है. अगर जल्दी और हेल्दी तरीके से वेट लॉस करना है तो खाने पीने की चीजें न्यूट्रिशन रिच होने के साथ ही टाइम से खाना भी जरूरी है. तो चलिए जानते हैं कैसा रहना चाहिए वेट कंट्रोल डाइट प्लान.हाइड्रेटिंग है सबसे जरूरीवेट लॉस के लिए सबसे जरूरी है कि बॉडी हाइड्रेट रहनी चाहिए. इसके लिए अपनी सुबह की शुरुआत किसी डिटॉक्स ड्रिंक से कर सकते हैं. इसके बाद पूरे हफ्ते सुबह 9 से लेकर रात के 9 बजे तक यानी कम से कम 12 घंटों में 2.5 से 3 लीटर पीने का गोल सेट करें.ऐसे सेट करें डाइट गोलवेट लॉस के लिए पहले दिन ब्रेकफास्ट 8 से 9 बजे के बीच कर लें. जिसमें दही, दलिया, ओट्स, स्प्राउट्स, नट्स, ग्रीन टी जैसी चीजें शामिल करें. वहीं मिड स्नैक्स में सलाद और फल खाएं, लेकिन ध्यान रखें कि इसमें नमक यूज न करें, दोपहर में 1 से 2 के बीच लंच खाएं और इसमें दाल, मिक्स वेज, रोटी और प्रोटीन रिच फूड्स लें. रात को 7 से 8 के बीच यानी डिनर में सलाद और लाइट वेट खाना खाएं. इसके बाद एक कप कैमोमाइल टी ले सकते हैं.ये चीजें करें अवॉइडहेल्दी डाइट प्लान फॉलो करने के साथ ही ध्यान रखें कि मार्केट से मिलने वाले फ्रूट जूस और एनर्जी ड्रिंक्स न लें. इसके अलावा अनहेल्दी ईटिंग बिल्कुल भी न करें. कैफीन के सेवन को सीमित करें और ज्यादा नमक ज्यादा चीनी वाली चीजें न लें. खानपान के अलावा लेट नाइट तक जागना भी अवॉइड करें, क्योंकि देर रात तक जागने का असर आपके मेटाबॉलिज्म पर भी पड़ता है, जिससे वेट गेन हो सकता है.वर्कआउट और डाइट का कॉम्बिनेशन है जरूरीजितना जरूरी है कि आप वेट लॉस के लिए सही डाइट प्लान फॉलो करें, उतना ही जरूरी है कि फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान दिया जाए. इसलिए डेली रुटीन में रोजाना 30 से 40 मिनट वर्कआउट या फिर योगा के लिए जरूर निकालें, क्योंकि डाइट और फिजिकल एक्टिविटी के सही कॉम्बिनेशन से ही वेट को मैनेज किया जा सकता है.
- नट्स की बात करें तो बादाम को बेहद ताकतवर नट माना जाता है, क्योंकि इसमें गुड फैट्स ओमेगा 3 से लेकर विटामिन ई, बी, बी2, कैल्शियम, पोटेशियम, प्रोटीन, फाइबर जिंक जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. रोजाना बादाम का सेवन दिल और दिमाग दोनों को दुरुस्त रखने के लिए फायदेमंद माना गया है, वहीं इसका तेल भी खूबियों का खजाना है, जिसके इस्तेमाल से आप कई हेल्थ और स्किन प्रॉब्लम से निजात पा सकते हैं.रोजाना भीगे हुए बादाम खाने के फायदे तो ज्यादातर लोग जानते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि बादाम का तेल भी न्यूट्रिएंट्स का खजाना है और ये आपको कई समस्याओं से छुटकारा दिला सकता है. तो चलिए जानते हैं इसको इस्तेमाल करने के कुछ तरीके.कब्ज से राहत के पाने लिए ऐसे करें बादाम तेल का सेवनअगर कोई व्यक्ति हमेशा कब्ज से परेशान रहता हो तो रात को सोते वक्त गुनगुने दूध में एक चम्मच बादाम तेल ले, इससे आंतों में जमा गंदगी साफ करने में मदद मिलती है, जिससे कब्ज की समस्या से राहत मिलेगी.स्किन के लिए बादाम तेलरोजाना अगर सोते वक्त बादाम तेल से चेहरे पर मसाज की जाए तो प्रीमेच्योर एजिंग साइन झुर्रियां, झाइयां, डलनेस से बचा जा सकता है. इससे आपकी त्वचा का रूखापन दूर होता है और चेहरे पर नेचुरल ग्लो आता है. बादाम तेल एक्ने, टैनिंग जैसी समस्याओं को दूर करने और रंगत निखारने में भी कारगर है.बालों के लिए ऐसे करें बादाम तेल का यूजबादाम का तेल आपके बालों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. हफ्ते में दो बार बालों को धोने से 1.5 या 2 घंटे पहले बालों में बादाम तेल अप्लाई करें. इससे हेयर फॉल से छुटकारा मिलने के साथ ही बाल शाइनी और स्ट्रॉन्ग बनेंगे. डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए नींबू के रस के साथ बादाम तेल लगा सकते हैं.हड्डियां बनेंगी मजबूतबादाम का तेल बच्चों की मालिश के लिए भी बेहतरीन माना जाता है, क्योंकि ये मांसपेशियों को मजबूत बनाने में हेल्प करता है. इसके अलावा दूध में बादाम तेल लिया जा सकता है जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करेगा. इस तेल की मसाज से जोड़ों के दर्द में भी आराम मिलता है.
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मार्च का आधा महीना गुजर चुका है और मौसम भी काफी गर्म होने लगा है, ऐसे में अब खानपान में भी बदलाव होने लगेगा. गर्मियों में हेल्दी रहने के लिए शरीर को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी होता है. इसके लिए भरपूर मात्रा में पानी और इलेक्ट्रोलाइट चीजें लेने के साथ ही जरूरी है कि ऐसे फूड्स डाइट में शामिल किए जाएं जो बॉडी को हाइड्रेट रखने में मदद करें, नींबू, संतरा, मौसंबी जैसे खट्टे फल विटामिन सी और अन्य न्यूट्रिएंट्स से रिच होने के साथ ही ये पानी से भी भरपूर होते हैं और गर्मियों में बेहद फायदेमंद हैं.
गर्मियों में शरीर को हाइड्रेट रखना है तो भरपूर मात्रा में पानी पीने के अलावा खट्टे फल जैसे मौसंबी, संतरा, नींबू, आंवला को डाइट में शामिल करना बेहतरीन ऑप्शन है. इन फलों के सेवन से आपकी पूरी सेहत को फायदा मिलता है, लेकिन खट्टे फलों को खाने से पहले जान लें कि क्या रहता है सही समय और कब नहीं खाने चाहिए खट्टे फल.खट्टे फल होते हैं न्यूट्रिएंट्स का खजानान्यूट्रिशनल वैल्यू की बात करें तो साइट्रेस यानी खट्टे फलों में विटामिन सी अच्छी मात्रा में होता है जो इम्यूनिटी बूस्ट करने में कारगर होता है. इसके अलावा ये फल फाइबर, मिनरल और अन्य विटामिन का भी अच्छा सोर्स हैं. सबसे अच्छी बात होती है कि इन फलों में कैलोरी की मात्रा कम होती है, जिससे वेट बढ़ने का डर नहीं रहता है. खट्टे फलों का सेवन आपकी सेहत के साथ ही त्वचा के लिए भी फायदेमंद है.किस वक्त न खाएं खट्टे फलखट्टे फलों को सुबह उठते ही खाली पेट या फिर रात को सोते वक्त नहीं खाना चाहिए. इसमें मौजूद साइट्रिक एसिड से एसिडिटी महसूस हो सकती है. जिससे बेचैनी, सीने में जलन जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. इसके अलावा खाने के तुरंत बाद खट्टे फल न खाएं.कौन सा वक्त रहता है सहीखट्टे फलों को दिन के मिड स्नैक्स में शामिल कर सकते हैं. वहीं खाने से करीब 30 मिनट पहले खट्टे फल खाए जा सकते हैं और खाना खाने के करीब 1 घंटे बाद खट्टे फल लेने से कोई समस्या नहीं होती है.एक दिन में कितने खट्टे फल खाना है सही?एक व्यस्क पुरुष को एक दिन में करीब 90 मिलीग्राम विटामिन सी की जरूरत होती है, जबकि एक महिला को लगभग 75 मिलीग्राम विटामिन सी की प्रतिदिन आवश्यकता होती है, इसलिए रोजाना 100 से 200 ग्राम खट्टे फल लिए जा सकते हैं, हालांकि यह सोर्स पर निर्भर करता है कि उसमें कितना विटामिन सी है. -
अपने आहार में कुछ विशेष जड़ी-बूटियों को शामिल करके आप अपने दिमाग को तेज कर सकते हैं।
जटामांसी :-जटामांसी औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी-बूटी है। इसे जटामांसी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी जड़ों में जटा बाल जैसे तंतु लगे होते हैं। यह दिमाग के लिए एक रामबाण औषधि है, यह धीमे लेकिन प्रभावशाली ढंग से काम करती है। इसके अलावा यह याददाश्त को तेज करने की भी अचूक दवा है। एक चम्मच जटामासी को एक कप दूध में मिलाकर पीने से दिमाग तेज होता है।ब्राह्मी :-बाह्मी नामक जड़ी-बूटी को दिमाग के लिए टॉनिक भी कहा जाता है। यह दिमाग को शांति और स्पष्टता प्रदान करती है और याददाश्त को मजबूत करने में भी मदद करती है। आधे चम्मच बाह्मी के पाउडर और शहद को गर्म पानी में मिलाकर पीने से दिमाग तेज होता है।शंख पुष्पी :-शंख पुष्पी दिमाग को बढ़ाने के साथ-साथ दिमाग में रक्त का सही सर्कुलेशन करके हमारी रचनात्मकता को भी बढ़ावा देता है। यह जड़ी-बूटी हमारी याद करने की क्षमता और सीखने की क्षमता को भी बढ़ाती है। दिमाग को तेज करने के लिए आधे चम्मच शंख पुष्पी को एक कप गरम पानी में मिला कर लें।दालचीनी :-दालचीनी सिर्फ गर्म मसाला ही नहीं, बल्कि एक जड़ी-बूटी भी है। यह दिमाग को तेज करने की बहुत अच्छी दवा है। रात को सोते समय नियमित रूप से एक चुटकी दालचीनी पाउडर को शहद के साथ मिलाकर लेने से मानसिक तनाव में राहत मिलती है और दिमाग तेज होता है।हल्दी :-हल्दी दिमाग के लिए बहुत अच्छी जड़ी-बूटी है। यह सिर्फ खाने के स्वाद और रंग में ही इजाफा नहीं करती है, बल्कि दिमाग को भी स्वस्थ रखने में मदद करती है। हल्दी में पाया जाने वाला रासायनिक तत्व कुरकुमीन दिमाग की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को रिपेयर करने में मदद करता है और इसके नियमित सेवन से एल्जाइमर रोग नहीं होता है।जायफल :-दिमाग को तेज करने वाली जड़ी-बूटियों में जायफल भी एक उपयोगी जड़ी-बूटी है। गर्म तासीर वाले जायफल की थोड़ी मात्रा का सेवन करने से दिमाग तेज होता है। इसको खाने से आपको कभी एल्जाइमर यानी भूलने की बीमारी नहीं होती।अजवाइन की पत्तियां :-अजवाइन की पत्तियां खाने में सुगंध के अलावा शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में भी मदद करती है। इसमें भरपूर मात्रा में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट दिमाग के लिए एक औषधि की तरह काम करता है।तुलसी :-तुलसी कई प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए एक जानी-मानी जड़ी बूटी है। इसमें मौजूद शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट हृदय और मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में सुधार करता है। साथ ही इसमें पाई जाने वाली एंटी-इंफ्लेमेटरी अल्जाइमर जैसे रोग से सुरक्षा प्रदान करता हैं।केसर :-केसर एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जिसका उपयोग खाने में स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ अनिद्रा और डिप्रेशन दूर करने वाली दवाओं में किया जाता है। इसके सेवन से दिमाग तेज होता है।नोट- इन जड़ी बूटियां का प्रयोग करने से पहले एक बार किसी योग्य चिकित्सक से सलाह अवश्य ले लें। - अगर आप बॉडी डिटॉक्स के लिए कोई विकल्प ढूंढ रहे हैं, ऐसे में यह ड्रिंक आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। इसे सब्जियों और फलों से तैयार किया जाता है। इसके सेवन से बॉडी के टॉक्सिन शरीर से बाहर आ सकते हैं। आइये इस लेख के माध्यम से जानें डिटॉक्स ड्रिंक बनाने का तरीका।कब्ज और ब्लोटिंग से राहत पाने के लिए बनाएं ये डिटॉक्स ड्रिंकसामग्रीस्ट्रॉबेरी- 2 से 3संतरा- 1खीरा- आधाचिया सीड्स- 1 चम्मचनींबू- 1बनाने का तरीका-डिटॉक्स ड्रिंक बनाने के लिए बाउल में सभी सब्जियों और फलों को वॉश करके काट लें।-अब एक कांच की बोतल में स्ट्रॉबेरी, खीरा, नींबू, संतरा और चिया सीड्स डालें।-ध्यान रखें कि आप इसे कांच या अच्छी प्लास्टिक की बोतल में ही बनाएं।-इस डिटॉक्स ड्रिंक को बनाकर 5 से 6 घंटे तक रखें। आप इसे दिन में कई बार सेवन कर सकते हैं।सेहत के लिए कैसे फायदेमंद है यह डिटॉक्स ड्रिंकपाचन स्वस्थ बनाए रखे- अगर आपको कब्ज, एसिडिटी या ब्लोटिंग की समस्या रहती है, तो ऐसे में यह ड्रिंक फायदेमंद हो सकता है। नींबू और चिया सीड्स पाचन क्रिया तेज करने में मदद करते हैं। इसके जरिए बॉडी से टॉक्सिन भी बाहर आ पाते हैं।स्किन ग्लोइंग बनाएं- स्किन को हेल्दी और ग्लोइंग बनाए रखने के लिए भी आप यह ड्रिंक ले सकते हैं। इसमें विटामिन-सी के साथ एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं, जो स्किन को हेल्दी रखने के लिए जरूरी है।इम्यूनिटी के लिए फायदेमंद- फलों और सब्जियों से बने इस ड्रिंक में विटामिन-सी काफी ज्यादा होता है। इससे इम्यूनिटी बनी रहती है और बीमारियों का खतरा कम होता है। यह लिवर को डिटॉक्स करने में भी मदद करता है।वेट लॉस में मदद करे- अगर आप जल्द वजन घटाना चाहते हैं, तो ऐसे में यह ड्रिंक फायदेमंद हो सकता है। इसमें विटामिन्स और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो वेट लॉस के लिए जरूरी हैं। इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म भी बूस्ट होता है। जितना बेहतर आपका मेटाबॉलिज्म होता है उतनी जल्दी वेट लॉस में मदद मिलती है।बॉडी को हाइड्रेट रखे- बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए भी यह डिटॉक्स ड्रिंक फायदेमंद है। इसमें विटामिन-सी, एंटीऑक्सीडेंट जैसे कई मिनरल्स पाए जाते हैं। यह बॉडी से टॉक्सिन बाहर निकालता ही है। साथ ही, बॉडी को हाइड्रेट रखने में भी मदद करता है।
- एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स ऐसा मानते हैं कि अगर आप हर दिन 7 से 8 घंटे की नींद नहीं लेंगे, तो पूरे दिन थकान व कमजोरी महसूस करेंगे। लेकिन हर किसी के लिए सुकून भरी नींद लेना संभव नहीं। दिनभर की थकान के बाद भी रात को इंसान सो नहीं पाता। इसका कारण मानसिक समस्याएं जो व्यक्ति की नींद छीन लेती हैं। अगर आप भी अनिद्रा की समस्या से परेशान हैं, तो इस लेख में हम आपको बताएंगे कुछ आयुर्वेदिक तरीके जिनकी मदद से आप सुकून भरी नींंद लेकर सो पाएंगे।1. शांभवी महामुद्रा करेंशांभवी महामुद्रा की मदद से तनाव कम होता है, नींद आती है और आंखें हेल्दी रहती हैं। ध्यान आसन में आराम से बैठ जाएं। रीढ़ और सिर को सीधा रखें। अपने हाथों को अपने घुटनों पर रखें।अंगूठे और पहली उंगली के ऊपरी भाग को जोड़ें और बाकी अंगुलियों को सीधा रखें। अपनी हथेलियों को घुटनों पर रखें। फिर अपनी आंखें बंद करें। ऊपर देखते हुए अपनी भौंहों के केंद्र पर ध्यान केंद्रित करें। अपनी आंखों को ऊपर उठाते हुए धीरे-धीरे सांस लें। सिर को हिलाना नहीं है। जब यह मुद्रा सही ढंग से किया जाता है, तो दो घुमावदार भौहें नाक पर एक वी-आकार की छवि बनाएंगी। अगर वी शेप दिखाई नहीं दे रहा है, तो समझ जाएं कि आंखें सही ढंग से फोकस नहीं कर रही हैं। शुरुआत में थोड़े समय के लिए ही फोकस बनाएं और अगर असुविधा महसूस हो तो इसे छोड़ दें। पूरी प्रक्रिया के दौरान आंखें बंद रखनी चाहिए और आराम करना चाहिए। जैसे ही आपका ध्यान केंद्रित हो धीरे-धीरे सांस छोड़ें। धीरे-धीरे मूल स्थिति में आएं और अपनी आंखें खोलें।2. नस्य थेरेपी लें-नस्य थेरेपी एक आयुर्वेदिक इलाज है जिसकी मदद से सिर दर्द और अनिद्रा जैसी कई समस्याओं का इलाज किया जाता है। इस थेरेपी के मुताबिक, नस्य यानी नाक से दी जाने वाली दवा मस्तिष्क तक जाती है और रोग पैदा करने के लिए जिम्मेदार दोष को खत्म करती है। इस प्रक्रिया को करने के लिए नाक के प्रत्येक नथुने में नस्य तेल की 2-3 बूंदे डालें। सावधानी के साथ एक-एक बूंद डालें। इसके बाद एक लंबी सांस लें और कुछ मिनटों के लिए रिलैक्स करें। सांस की समस्या में इसे ट्राई न करें।3. जीभ को साफ करें-आयुर्वेद में जीभ साफ करने की प्रक्रिया या टंग स्क्रेपिंग को मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए लाभदायक बताया गया है। जीभ को साफ करने से जीभ पर चिपकी गंदगी हट जाती है और हमें ताजगी महसूस होती है। जीभ पर लगी गंदगी, खराब पाचन का कारण बन सकती है जिससे नींद भी प्रभावित हो सकती है इसलिए रोज जीभ और दांतों को साफ करके लेटने से आप नींद को बढ़ावा दे सकते हैं।4. पादाभ्यंग करेंआयुर्वेद में पैरों का बहुत अधिक महत्व होता है और पैर की मालिश करने की विधि को पादाभ्यंग कहते हैं। पैर हमारे शरीर का जरूरी हिस्सा है। पैर में ऐसे प्रेशर प्वॉइंट्स होते हैं जो ऊर्जा के केंद्र होते हैं। अगर आप सुकून भरी नींद लेना चाहते हैं, तो तेल से पैरों की मालिश करें, इससे आराम मिलेगा और आप सो सकेंगे।5. सूर्य उगने की दिशा में सोना लाभदायकआयुर्वेदिक शास्त्र यह कहता है कि अगर आप पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध यानी नॉर्थन हेमिस्फियर (Northern Hemisphere) में रहते हैं, तो आपको ईयर (East) यानी पूर्व की ओर सिर करके सोना चाहिए। इस डायरेक्शन में सूरज उगता है। इससे आपको सुकून भरी नींद आएगी। उत्तर यानी नॉर्थ (North) की ओर सिर करके सोने से बचना चाहिए। ऐसा करने से दिमाग पर पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति का जोर पड़ता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन बिगड़ता है और आपको सोने में अड़चन महसूस हो सकती है।