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- कटहल की सब्जी तो ज्यादातर लोगों ने टेस्ट की होगी. उसका स्वाद कई लोगों को बहुत भाता है. आमतौर पर कटहल के बीजों (Kathal Beej)को फेंक दिया जाता है लेकिन कम ही लोगों को मालूम है कि यह पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. कटहल के बीज आपकी सेहत को कई फायदे पहुंचाते हैं. यह स्किन, आंखों और बालों की हेल्थ में भी फायदेमंद होते हैं. कटहल के बीजों में आयरन, जिंक, कॉपर, कैल्शियम, पोटेशियम जैसे मिनरल्स भी कुछ मात्रा में होते हैं. आइए जानते हैं कि सेहत के लिए कैसे फायदेमंद होते हैं कटहल के बीज.अगर आप किसी स्किन समस्या से जूझ रहे हैं तो कटहल के बीज आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं. इनमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट तत्वों में एंटी एजिंग प्रॉपर्टी होती हैं.आयरन की कमी को करते हैं दूरकटहल के बीज एनीमिया में काफी फायदेमंद होते हैं. ये आयरन का अच्छा सोर्स होते हैं. अगर आप एनीमिया में इसे खाते हैं तो यह इस बीमारी का खतरा कम करते हैं.यह कई फूड डिसऑर्डर के जोखिम को भी कम करते हैं.आंखों और बालों में फायदेमंदकटहल के बीजों में विटामिन ए होता है जो कि आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है. इसे खाने से रतौंधी की समस्या नहीं होती है. इसके अलावा बालों की सेहत भी इसे खाने से अच्छी रहती है.पाचन में फायदेमंदकटहल के बीज पाचन क्रिया में भी फायदेमंद होते हैं. पहले इन बीजों को धूप में सुखा लें और फिर इन्हें पीसकर इस्तेमाल करें तो यह पाचन संबंधी कई समस्याओं में भीराहत पहुंचा सकते हैं. इससे कब्ज दूर करने में भी मदद मिलती है.कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज में देता है राहतकटहल के बीज में घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के फाइबर होते हैं जिसे कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद मिलती है. कटहल बीज में मौजूद डायट्री फाइबर्स कार्बोहाइट्रेड्स के अवशोषण को स्लो कर देता है. जिससे खाने के बाद एकदम से ब्लड शुगर नहीं बढता है.
- बहुत सारे लोगों को पहाड़ों पर घूमने का शौक होता है. वहां जा कर नई-नई डिश ट्राई करना या वहां के खास पकवान की रेसिपी जानना भी उन्हें पसंद होता है. अगर आप हिमाचल घूम चुके हैं तो आपने वहां की पारंपरिक फेमस डिश सिड्डू का स्वाद भी चखा होगा. कोरोना काल में बेशक आप इस बार मनाली-कसोल की ताजी हवा का आनंद न ले पाए हों लेकिन लजीज सिड्डू को घर पर ही बना कर इसका लुत्फ तो उठा ही सकते हैं. आइए, जानते हैं इसे बनाने की बेहद आसान रेसिपी.सिड्डू बनाने के लिए क्या-क्या चाहिए?2 कप आटा1 छोटी चम्मच एक्टिव ड्राई यीस्ट2 चम्मच घीआधा कप बिना छिलके वाली उड़द दाल2 चम्मच बारीक कटा हरा धनिया1 चुटकी हींगआधी छोटी चम्मच हल्दी पाउडरआधी छोटी चम्मच लाल मिर्च पाउडर1 छोटी चम्मच धनिया पाउडरएक छोटी चम्मट अदरक का पेस्ट2 बारीक कटी हरी मिर्चस्वादानुसार नमकसिड्डू बनाने का आसान तरीका----------सबसे पहले उड़द दाल लें और अच्छे से धोकर 2 घंटे के लिए भिगो कर रख दें. इसके बाद एक परात में 2 कप आटा निकालें और उसमें 2 छोटे चम्मच घी, यीस्ट और आधा छोटी चम्मच नमक डालें और मिक्स करने के बाद मुलायम आटा गूंथ लें. अब इसके ऊपर घी लगाएं और ढक कर 1 घंटे के लिए रख दें. अब भीगी हुई दाल में से एक्स्ट्रा पानी निकाल दें. इसके बाद दाल को मिक्सी के जार में डाल कर दरदरा पीस लें. अब पिसी हुई दाल को एक कटोरे में निकाल लें और इसमें 1 छोटी चम्मच नमक, लाल मिर्च पाउडर, अदरक का पेस्ट, हरी मिर्च, हल्दी, हींग, धनिया पाउडर और हरा धनिया डाल कर मिक्स कर लें. इसके बाद आटा लें और उसकी लोई बना लें.अब लोई को चपटा कर लें. इसके बाद इसे सूखे आटे या परोथन में लपेटकर चकले पर रख कर हल्की लंबी में थोड़ी मोटी रोटी बेल लें. अब इसके ऊपर 2 चम्मच तैयार की दाल की स्टफिंग रखें. इसके बाद आटे को उठाकर आधे चांद के आकार का शेप दे दें और स्टफिंग को बंद कर दें. इसके किनारों को अच्छे से चिपका दें. इसी तरह सारे सिड्डू तैयार कर लें.अब इन्हें भाप में पकाने के लिए एक पैन में 2 कप पानी डालें और गैस पर तेज आंच पर ढक कर उबलने के लिए रख दें. इसके बाद छलनी को घी लगाकर चिकना कर लें. इसके बाद पानी में उबाल आने पर, छलनी को बर्तन के ऊपर रख दें. इस पर तैयार किए हुए सिड्डू रखें और ढक कर 20 मिनिट तक भाप में मध्यम तेज आंच पर पकने दें. अब इन्हें चेक कर लें. जब सिड्डू पक जाएं, तब गैस बंद कर दें और छलनी इन्हें से निकालकर एक प्लेट में रख दें. इनके ऊपर हल्का घी लगा दें. अब धनिये चटपटी चटनी मोमोज़ की चटनी के साथ खाएं.
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भारतीय रसोई में मसालों की कोई कमी नहीं है। एक से बढ़कर एक ऐसे मसाले हैं, जो जड़ी-बूटी का काम करते हैं और ये मसाले स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी होते हैं। दरअसल, खाने में कुछ मसालों का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है कि वो इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। डायबिटीज के मरीजों के लिए भी कुछ मसाले बेहद ही फायदेमंद होते हैं। इस बीमारी से पीडि़त मरीजों को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल (नियंत्रण) में रहे, क्योंकि शुगर लेवल का बढऩा बहुत ही खतरनाक साबित होता है। इससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि आहार में अगर कुछ मसालों को शामिल किया जाए तो शुगर लेवल को नियंत्रण में रखा जा सकता है।
लौंग
लौंग के औषधीय गुण सिर्फ पाचन शक्ति को ही मजबूत नहीं बनाते हैं, बल्कि ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि डायबिटीज के मरीज अगर लौंग के पानी का सेवन करें तो इससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।
काली मिर्च
यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के लोकप्रिय मसालों में से एक है। इसे मसालों का राजा यूं ही नहीं कहा जाता है। इसके सेवन से न केवल पाचन शक्ति बढ़ती है, बल्कि यह कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने में भी उपयोगी होती है।
दालचीनी
विशेषज्ञ कहते हैं कि टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के लिए दालचीनी किसी वरदान से कम नहीं है। यह ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य बनाए रखने में शरीर की मदद करता है। डायबिटीज के मरीजों को इसे अपने दैनिक आहार में जरूर शामिल करना चाहिए। दालचीनी वाले दूध को भी शुगर लेवल यानी शर्करा का स्तर नियंत्रण में रखने का एक आसान घरेलू उपाय माना जाता है
मेथी दाना
मेथी के बीज को डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद ही फायदेमंद माना जाता है। इसमें पाए जाने वाले गुण ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक हैं। आप खाली पेट मेथी का पानी पी सकते हैं या उसे चबाकर भी खा सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि मेथी के बीजों का सेवन करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें। - केले को पोषक तत्वों का भंडार माना जाता है. इसमें विटामिन A, B, B6, C, आयरन, कैल्शियम, मैगनीशियम, रिबोफ्लेविन, नियासिन, फोलिक एसिड, पोटैशियम आदि ऐसे तमाम पोषक तत्व पाए जाते हैं, तो इंसान की बेहतर सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं. यदि व्यक्ति एक केले का सेवन नियमित रूप से करे, तो शरीर की तमाम परेशानियों से बच सकता है.महिलाओं को तो खासतौर पर एक केला हर रोज खाना चाहिए क्योंकि दूसरों का खयाल रखने के चक्कर में महिलाएं खुद का ठीक से ध्यान नहीं रख पातीं. वहीं पीरियड्स, प्रेगनेंसी, मेनोपॉज आदि के कारण भी उनके शरीर में आयरन, कैल्शियम आदि पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. जिसके कारण उनका शरीर कमजोर हो जाता है और कई तरह की समस्याएं उन्हें घेर लेती हैं. यहां जानिए नियमित रूप से एक केला खाने के तमाम फायदों के बारे में.1. एनीमिया से बचाव करताभारत में अधिकतर महिलाएं खून की कमी के कारण एनीमिया की शिकार हो जाती हैं. आंकड़े बताते हैं कि करीब 80 फीसदी महिलाएं खून की कमी से जूझ रही हैं. खून की कमी और एनीमिया की समस्या शरीर को पर्याप्त मात्रा में आयरन न मिलने की वजह से होती है. केले में आयरन की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है. ऐसे में रोजाना एक केला खाने से महिला के शरीर में खून की कमी नहीं हो पाती और उसका एनीमिया से बचाव होता है.2. दिल की हिफाजत करतारोजाना एक केला खाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल नियंत्रित होता है. साथ ही बीपी की समस्या कंट्रोल होती है. इन दोनों के नियंत्रित रहने से दिल की सेहत दुरुस्त रहती है और दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोगों से बचाव होता है. इसलिए अगर आप अपने दिल को बीमारियों से महफूज रखना चाहती हैं, तो रोजाना एक केला जरूर खाएं.3. हड्डियों को करता मजबूतमहिलाओं के शरीर में अक्सर कैल्शियम की कमी पाई जाती है, इस कारण समय से पहले ही उन्हें जोड़ों में दर्द, ऑस्टियोपोरोसिस की समस्याएं घेर लेती हैं. केले में भरपूर कैल्शियम होता है. रोजाना एक केला खाने से शरीर में कैल्शियम की कमी दूर होती है और हड्डियां मजबूत होती हैं व हड्डियों से जुड़े रोगों से बचाव होता है.4. डिप्रेशन से करता बचावआज के समय में अधिकतर लोग डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे हैं, वहीं महिलाओं पर दो दोहरी जिम्मेदारी है, साथ ही उनके साथ शारीरिक चुनौतियां भी बहुत हैं. ऐसे में महिलाएं बहुत तेजी से डिप्रेशन की शिकार हो जाती हैं. केला विटामिन-बी6 से समृद्ध होता है, जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने का काम करता है, साथ ही इसमें एक ऐसा प्रोटीन होता है, जो दिमाग को रिलैक्स फील कराता है. ऐसे में रोजाना केले का सेवन करने से दिमाग बेहतर महसूस करता है और डिप्रेशन की स्थिति से बचाव होता है. केले में मौजूद मैगनीशियम नर्वस सिस्टम पर प्रभावी असर डाल सकता है. इसलिए दिमाग की सेहत के लिए रोजाना केला खाएं.5. पाचन तंत्र के लिए अच्छाकेले में पाए जाने वाले फाइबर से पाचन तंत्र दुरुस्त होता है. इसके नियमित सेवन से भोजन सही तरीके से पच जाता है और कब्ज, गैस, एसिडिटी जैसी परेशानियों से बचाव होता है. केले में रेसिस्टेंट स्टार्च भी पाया जाता है, जो पेट के लिए फायदेमंद माना जाता है.
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नाश्ता में रोटी खाने के फायदे की बात करें तो, इनमें फाइबर के साथ प्रोटीन और कॉपलेक्स फैट होते हैं जो कि एनर्जी देने के साथ शरीर के हर अंग को एक कीक स्टार्ट देते हैं। आज हम नाश्ते में रोटी से बनने वाली ये हेल्दी रेसिपीज बताने जा रहे हैं, जो कि बहुत टेस्टी है।
1. रोटी सैंडविच रेसिपीब्रेड सैंडविच तो आपने बहुत खाई होगी पर रोटी सैंडविच के बारे में आपने कम ही सुना होगा। पर यकीन मानें रोटी सैंडविच आपके ब्रेड सैंडविच से ज्यादा टेस्टी होती है। साथ ही इस बनाने के लिए आपको ज्यादा मेहनत करने की भी जरूरत नहीं है। इसे बनाने के लिए-सबसे पहले आपको सैंडविच वाली स्टफींग तैयार करनी है। स्टफींग के लिए आप प्याज, शिमला मिर्च, गाजर और हरी मिर्च काट कर रख लें। अब इन सब्जियों को मेयोनेज डाल कर मिलाएं। नमक, चार्ट मसाला, हल्का सा लाल मिर्च पाउडर और काली मिर्च पाउडर मिला लें। आप चाहें तो उबले हुए आलू में प्याज, हरी मिर्च और धनिया पत्ता काट कर भी स्टफींग तैयार कर सकते हैं। फिर हमेशा की तरह रोटी बनाएं। अब दो रोटियों के बीच इन स्टफींग को भरे और तवे पर रख दें। अब इनमें बीच से 4 भाग में कट लगाएं। रोटी के चारों तरफ बटर लगाएं। जैसे जैसे रोटी पकेगी चारों भाग अलग हो जाएंगे। सब को थोड़ा कड़क करें, गैस ऑफ कर लें और चटनी के साथ सर्व करें।2. रोटी पनीर रोल रेसिपीअगर आपको एक प्रोटीन से भरपूर नाश्ता चाहिए तो रोटी पनीर रोल रेसिपी पर्फेक्ट है। इसे बनाने में बहुत ज्यादा मेहनत भी नहीं लगती और ये फटाफट तैयार हो जाता है। इस रोल बनाने के लिए एक पैन में बटर डाल कर उसमें बारीक कटे हुए प्याज, टमाटर, गाजर, शिमला और हरी मिर्च डाल कर भूनें। आप इसमें अपने और समय के हिसाब से सब्जियां डालें या मत डालें। कुछ ना हो तो प्याज, टमाटर और मिर्च डालें। फिर इनमें हल्दी, धनिया, मिर्च पाउडर और नमक डाल करें भूनें। अब पनीर को क्रश करके डालें और सबको अच्छे से मिला लें। चाहें तो धनिया पत्ता काट कर मिला लें। अब तवे पर रोटी बना कर रखें और रोटी पकने के बाद उसमें ये पनीर स्टफींग डालें। रोटी को रोल करें। थोड़ा और पकाएं। अब इस रोटी पनीर रोल को सर्व करें।नाश्ते में रोटी खाने के फायदे1. पोषक तत्वों से भरपूर है रोटीनाश्ते में रोटी खाने से शरीर को एक बड़ी मात्रा में पोषक तत्व मिल जाते हैं। इसमें विटामिन बी1, बी2 और बी6 होता है। साथ ही ये आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों से भी भरपूर है। रोटी घुलनशील फाइबर से भी भरपूर है जो कि कोलेस्ट्रॉल कम करने में मददगार है और दिल को हेल्दी रखता है।2. प्रोटीन से भरपूरइन रोटी रेसिपीज में पनीर का इस्तेमाल किया है जो कि प्रोटीन से भरपूर हैं और नाश्ते में प्रोटीन खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। नाश्ते में प्रोटीन के सेवन से शरीर को एनर्जी मिलती है, दिन भर भूख नहीं लगती है और ये वेट लॉस करने वालों के लिए फायदेमंद है।3. फाइबर से भरपूररोटी और इन रसिपीज में इस्तेमाल होने वाली सब्जियां फाइबर से भरपूर हैं। ये सभी जटिल कार्बोहाइड्रेट हैं जो कि कब्ज की समस्या को रोकता है और हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है।---------- -
आज हम आपके लिए लेकर आए हैं इलायची पानी के फायदे, जी हां, इलायची का पानी सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है। आमतौर पर इलायची का उपयोग खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है, लेकिन आपक जानकर हैरान हो जाएंगे कि इलायची के सेवन से आप कई बीमारियों से दूर रह सकते ह।
आयुर्वेद में इलायची का अपना महत्व है। माना जाता है कि रोजाना इलायची का पानी पीने से सेहत को कई तरह से फायदे पहुंचते हैं। यह पाचन में सुधार करता है और गैस की समस्या से छुटकारा दिलाता है।इस तरह तैयार करें इलायची पानी1 लीटर पानी में 5 इलायची छीलकर रातभर के लिए भिगो दें। सुबह उठकर सबसे पहले इस पानी को गर्म करके पी लें। एक बार की जगह आप इस पानी को दिन में 2 से 3 बार पी सकते हैं.इलायची का पानी पीने के फायदे1. वजन करे कंट्रोलइलायची वजन कम करने में भी मददगार है। यह विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों और एंटी-ऑक्सीडेंट्स गुणों से भरपूर होती है, जो शरीर में जमे एक्सट्रा फैट को कम करने में मदद करते हैं। इससे बढ़ते वजन को कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है।2. ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता हैइलायची का पानी पीने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। ऐसे में डायबिटीज के मरीजों को इसका सेवन जरूर करना चाहिए।3. कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता हैइलायची में फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है। लिहाजा यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में मददगार है। इसके अलावा इलायची का पानी शरीर में खून के थक्के बनने का खतरा कम होता है और हार्ट की बीमारियों से बचाता है।4. पाचन करे दुरुस्तअगर आप रोज खाली पेट इलायची का पानी पीते हैं तो पाचन तंत्र मजबूत होता है। ऐसे में आपको पेट संबंधी कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है। - ज्यादार लोग चाय के साथ अपने दिन की शुरुआत करते हैं. इसका लाजवाब स्वाद हम में से ज्यादातर लोगों को पसंद होता है. चाय एक इंसान को दूसरे से जोड़ने का काम करता है. चाय में कई तरह के प्राकृतत्व होते हैं जिसे पीने का बाद हम तरोताजा महसूस करते हैं. ये हमारी एनर्जी को बढ़ाने का कम करते हैं. अक्सर ऑफिस में काम की थकान को दूर करने के लिए चाय पीते हैं. हालांकि कुछ लोगों को जरूरत से ज्यादा चाय पीने की आदत होती है. ऐसे में कई बार हम लोग चाय बनाने में आलस करते हैं जिसकी वजह से एक बार में अधिका मात्रा मे चाय बनाकर रख लेते हैं और उसे समय- समय पर गर्म करके पीते रहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बार- बार चाय को गर्म करके पीना सेहत को काफी नुकसान पहुंचता है. आइए जानते हैं चाय को बार- बार गर्म करके क्यों नहीं पीना चाहिए.स्वाद और स्मेल खराब होता हैबार- बार चाय को गर्म करने से उसका स्वाद और खूशबू उड़ जाती है. ये दोनों चीजें चाय की खासियल होती है. इसके अलावा बार- बार चाय गर्म करने से इसके पौषक तत्व भी कम हो जाते है.बैक्टीरियल ग्रोथ बढ़ जाता हैज्यादा देर बाद बनी हुए चाय को दोबारा पीना सेहत के लिए हानिकारक होता है. क्योंकि चाय में माइक्रोबियल बनने लगते हैं. ये माइल्ड बैक्टीरिया सेहत के लिए हानिकारक होते हैं. ज्यादातर घरों में दूध वाली चाय बनती हैं जिसमें दूध की मात्रा अधिक होती है. इस वजह से माइक्रोबियल खतरा बढ़ जाता है. वहीं, हर्बल चाय को बार- बार गर्म करने से उसके पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं.सेहत के लिए हानिकारकचाय को बार- बार गर्म करके पीना सेहत के लिए खतरनाक होता है. क्योंकि इसमें मौजूद पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं. अगर आप अपनी इस आदत को नहीं बदलते हैं तो लंबे समय बाद पेट खराब होने पेट दर्द. इंफ्लामेशन आदि बीमारियां हो सकती हैं. ये आदत आपके सेहत के लिए नुकसानदायक होता है.चाय से जुड़ी ये बातें जान लें1. चाय बनने के 15 मिनट बाद उसे गर्म करते हैं तो उससे आपको कोई नुकसान नहीं होता है.2. लंबे समय बाद चाय को गर्म करना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है.3. हमेशा उतनी ही चाय बनानी चाहिए जितना आप उस समय में खत्म कर लें ताकि बाद के लिए चाय बचनी ही नहीं चाहिए.-
- करेला बाजार में मौजूद सबसे कड़वी सब्जियों में से एक के रूप में जाना जाता है, लेकिन ये अपने सभी हेल्थ बेनेफिट्स के लिए भी जाना जाता है. करेला कई विटामिन और मिनरल्स जैसे फोलेट, जिंक, आयरन और मैग्नीशियम और विटामिन बी 1, बी 2, बी 3 और विटामिन सी और ऐसी अन्य चीजों का सोर्स है. ये कैल्शियम और पोटेशियम और प्रोटीन में भी रिच है. यही मुख्य वजह है कि लोग इस कड़वे करेले के रस का सेवन करते रहे हैं.दिन में एक बार एक गिलास ताजा करेले का जूस हमारे हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है. ये पोषक तत्वों से भरपूर है और उस परेशानी के लायक है जिससे हम गुजरते हैं लेकिन करेले का रस वजन घटाने में कैसे मदद करता है? क्या इसका हकीकत में आपके शरीर और वजन पर प्रभाव पड़ता है? इन सवालों के जवाब जानने से आपको ये तय करने में मदद मिल सकती है कि आप करेला को अपने वजन घटाने के तरीके का हिस्सा बनाना चाहते हैं या नहीं.यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे करेला जूस वजन घटाने में मदद करता है :1. करेला इंसुलिन को कंट्रोल करने के लिए जाना जाता है और ब्लड शुगर के लेवल को बनाए रखने में मदद करता है. ये आपके इंसुलिन को एक्टिव करता है और चीनी को फैट में बदलने से रोकता है जिसका मतलब है कि आपका शरीर कम फैट पैदा करेगा जिससे आपके शरीर में फैट लॉस होगी.2. करेले में बहुत कम कैलोरी, फैट और कार्बोहाइड्रेट होते हैं. इससे आपका फैट, कैलोरी और कार्ब्स का सेवन कम हो जाता है और आपको एक्स्ट्रा वजन बढ़ने की चिंता करने की जरूरत नहीं है. 100 ग्राम करेले में सिर्फ 34 कैलोरी होती है.3. करेले में ढेर सारे फाइबर होते हैं जो आपके शरीर के लिए अच्छे होते हैं. एक हाई फाइबर डाईट आपको लंबे समय तक फुल महसूस करने में भी मदद करता है जो बदले में क्रेविंग्स को कम करता है और आपको ज्यादा खाने या ओवर खाने से रोकता है. इसमें पानी की मात्रा भी ज्यादा होती है जो इसे आपके आहार में शामिल करने के लिए एक बहुत ही हेल्दी सब्जी बनाती है.4. करेला फैट सेल्स के निर्माण और बढ़ोत्तरी को रोकने के लिए जाना जाता है जो आपके शरीर में फैट को कम करने में मदद करता है और आपको वजन कम करने और साइज में रहने में मदद करता है.-
- भोजन से जुड़े कुछ मिथक हमेशा से ही हमारे बीच प्रचलित रहे हैं। पर क्या कभी आपने थोड़ा सा वक्त निकाल कर इस बारे में सोचा है कि इनमें आखिर कितनी सच्चाई ङै। जी हां, ज्यादातर लोग खाने से जुड़े मिथकों को बिना सोचे समझे मानते हैं और कभी इस पर प्रश्न नहीं करते। जिससे कई बार इससे उनके स्वास्थ्य को भी नुकसान होता है। आइये जानते हैं इस बार में विशेषज्ञों की क्या राय है....1. ज्यादा खाना खाने से वजन बढ़ता हैहम में से ज्यादातर लोगों को लगता है कि अगर हम ज्यादा खाना खाएंगे तो, हमारा वजन बढ़ जाएगा। इस चक्कर में हम लोग सही से खाना नहीं खाते और इससे हमारे शरीर में स्वस्थ पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। सच्चाई ये है कि हम ज्यादा खाना खाने से मोटे नहीं होते बल्कि गलत समय पर, गलत चीज खाने और गलत मात्रा में खाने से मोटापे के शिकार हो जाते हैं। इसलिए सही समय पर और स्वस्थ मात्रा में भोजन करें। बार-बार छोटे-छोटे भोजन करें जो संतुलित होते हैं। इससे मेटाबोलिज्म तेज होता है जिससे आप जो भी और जितना भी खाएंगे, सब पचा ले जाएंगे। तो, मोटापे के डर से खाना खाना ना छोड़ें।2. चुकंदर हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता हैचुकंदर खाने के फायदे की बात करते ही ज्यादातर लोग यही कहते हैं कि ये शरीर में खून बढ़ता है और हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता है। इसके पीछे लोगों को तथ्य होता है कि ये लाल रंग का है तो खून बढ़ता है। जबकि ये एक मिथक है। दरअसल, चुकंदर में एंटीऑक्सिडेंट, फोलेट, पोटैशियम आदि होते हैं जो दिल के लिए अच्छे होते हैं, कैंसर रोधी गुणों के साथ-साथ ब्लड प्रेशर को भी कम करते हैं।3. अंडे की जर्दी कोलेस्ट्रॉल बढ़ाती हैअंडे की जर्दी में 16 महत्वपूर्ण पोषक तत्व, 3 ग्राम प्रोटीन और कोलेस्ट्रॉल-300 मिलीग्राम होता है। अंडे की जर्दी बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के स्तर का कारण नहीं है, बल्कि अंडे के साथ हाई फैटी फूड्स को खाना कोलेस्ट्रॉल बढऩे का कारण है। साथ ही अगर आप ज्यादा मात्रा में अंडा खाते हैं तो कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। इसलिए पूरा अंडा खाएं और प्रोसेस्ड फूड्स जैसे ज्यादा तेल-मसाले वाले खाने और हाई शुगर वाले फूड्स को खाने से बचें।4. डायबीटीज के मरीजों के लिए उबले चावल और साबूदाना खाना हेल्दी हैसाबूदाना शुद्ध स्टार्च के दाने हैं। इसमें कोई फाइबर नहीं होता है और इससे शुगर बढ़ता है। इसलिए डायबिटीज के मरीज को साबूदाना खाने से बचना चाहिए। साथ ही कुछ लोग कहते हैं चावल को उबाल कर और उसका पानी निकाल कर खाना डायबिटीज में चावल खाने का हेल्दी तरीका है। जबकि ये गलत है। दरअसल, किसी भी विधि द्वारा पकाए गए चावल ग्लाइसेमिक इंडेक्स के समान ही रहते हैं क्योंकि चावल में स्टार्च होता है। डायबिटीज रोगियों के लिए सलाद और सब्जियों के साथ संतुलित नियंत्रित हिस्से में चावल खाने की अनुमति है पर ज्यादा मात्रा में चावल खाने की अनुमति नहीं है।5. डायबिटीज में गुड़ और शहद लें पर चीनी नहींडायबिटीज में शुगर से भरपूर खाद्य पदार्थों की सही पहचान करना बेहद जरूरी है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि डायबिटीज में चीनी की जगह गुड़ और शहद लेना ज्यादा हेल्दी है। पर ये मिथक है। क्योंकि शुगर तो शुगर है,चाहे वो चीनी में हो या शहद में। सैद्धांतिक रूप से ये सभी ग्लूकोज से भरपूर हैं और शरीर इसे केवल ग्लूकोज के रूप में ही संसाधित करेगा। इसलिए इनमें से किसी को भी डायबिटीज में लेना फायदेमंद नहीं है।6. थायराइड में पत्ता गोभी, ब्रोकली और फूलगोभी नहीं खाना चाहिएगोभी, ब्रोकली और फूलगोभी तीनों ही क्रूसिफेरस वेजिटेबल हैं। ऐसा माना जाता है कि थायराइड की समस्या होने पर क्रूसिफेरस वेजिटेबल को खाने से बचना चाहिए। जो कि गलत है। इनमें कुछ हेल्दी तत्व भी होते हैं और कभी कभार इन्हें खाने से आपको नुकसान नहीं होगा। हालांकि, उन्हें अच्छी तरह से पका कर खाना चाहिए और इस परिवार की कच्ची सब्जियों को खाने से बचना चाहिए।7. सर्जरी के बाद झींगा और मछली खाने से बचेंसर्जरी के बाद कई बार झींगा और मछली खाने से बचने के लिए कहा जाता है। खास कर जब आपको टांके लगे हों। पर सर्जरी के बाद टिशूज के उपचार और पुनर्जनन के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है। झींगा और मछली प्रथम श्रेणी के प्रोटीन हैं और उपचार में मदद करते हैं। अगर अच्छी तरह से पका कर इसे खाया जाए तो, इससे आपको कोई नुकसान नहीं होगा।
- लोगों को अक्सर अपच की समस्या हो जाती है। इसके पीछे कई कारण होते हैं, ज्यादा तला-भुना मसालेदार भोजन, जंक फूड, अनियमित दिनचर्या आदि। इसके अलावा ज्यादातर लोगों को आदत होती है कि या तो वे खाना खाने के बाद तुरंत लेट जाते हैं या फिर टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर आदि पर बैठकर काम करने लगते हैं। जिसकी वजह से खाना ठीक प्रकार से नहीं पच पाता है। अगर आप भी आए दिन पाचन की समस्या से जूझते हैं और खाना खाने के बाद टहलने का समय नहीं रहता है तो खाना खाने के बाद एक पांच से दस मिनट तक एक आसान सा योगासन करके आप अपनी पाचन क्रिया को दुरुस्त कर सकते हैं। जिसका नाम है वज्रासन। ये आसन करने से पाचन शक्ति तो मजबूत होती ही है साथ ही इनके कई और फायदे भी हैं। जानते हैं इसे करने की विधि, फायदे, और ध्यान रखने योग्य बातें।खाने के बाद करें वज्रासनवज्रासन जैसा कि इसका नाम है वज्र के समान। ये आसन आपकी पाचन क्रिया को तो दुरुस्त करता ही है साथ ही आपके शरीर को मजबूत और स्थिर भी बनाता है। यहीं एक मात्र ऐसा आसन है जिसे खाने के बाद भी किया जा सकता है। इस आसन को करने से पाचन शक्ति बढ़ाने में मदद मिलती है। आपको गैस और कब्ज की समस्या से भी राहत मिलती है। इस आसन को प्रतिदिन कुछ समय करने से आपके कंधे व रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है। इसके अलावा पैरो की मांसपेशियों को भी मजबूती मिलती है।वज्रासन करने का तरीका-- सबसे पहले दोनों पैरों को पीछे की तरफ मोड़कर घुटनों को सामने से आपस में सटा लें और बैठ जाएं।- आपकी पैरों की एडिय़ां बाहर की ओर हों और उनमें थोड़ी दूरी होनी चाहिए इसी के साथ आपके दोनों पंजे भीतर की तरफ हो दोनों अंगूठे एक दूसरे के आस-पास होने चाहिए।-अब अपने पैरों पर इस तरह से बैठे कि आपके नितंब आपकी एडिय़ों के बीच में रहें।-ऊपर हो दोनों हाथों को घुटनों की ऊपर रखें और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखकर बैठें।- इस अवस्था में कुछ देर बैठें और आराम से लंबी सांस लें।वज्रासन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें-जिन लोगों की हड्डियां कमजोर हो, जोड़ो में दर्द रहता हो, गठिया की परेशानी हो उन्हें ये आसन नहीं करना चाहिए।-वज्रासन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि शरीर को ज्यादा पीछे की ओर न तानें सिर्फ संतुलन बनाते हुए शरीर को सीधा रखें।-इस आसन को करते समय अपना ध्यान सांसो पर रखें इससे आपका मन भी शांत होगा।-भोजन करने के बाद इस आसन को पांच मिनट तक करना चाहिए। इससे आपका भोजन आसानी से पचने लगता है।-अभ्यास हो जाने पर आप इस अवधि को पांच से दस मिनट भी कर सकते हैं।
- मूंगफली तो आपने खाई ही होगी? ट्रेन या बसों में अक्सर लोग मूंगफली खाना पसंद करते हैं। इस वजह से इसे 'टाइम पास' भी कहा जाता है। इसका न केवल स्वाद लोगों को बहुत पसंद आता है, बल्कि यह सेहत के लिए भी लाभकारी होती है। इसमें प्रोटीन, तेल और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा मूंगफली में पॉलीफेनोल, एंटी-ऑक्सीडेंट, विटामिन और खनिज भी भरपूर होते हैं। इसका सेवन पुरुषों को बहुत फायदे देता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि नियमित रूप से इसके सेवन से इरेक्टाइल डिसफंक्शन (नपुंसकता) से जुड़ी समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इसमें पाया जाने वाला तत्व पुरुषों की स्पर्म क्वालिटी में भी सुधार ला सकता है। इसका सेवन महिलाओं के लिए भी अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह प्रजनन शक्ति को बेहतर बनाती है।दिल के लिए है फायदेमंदमूंगफली में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड पाए जाते हैं, जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं और गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं। इससे हृदय रोगों का खतरा भी काफी हद तक कम हो जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि रोजाना एक मुट्ठी मूंगफली का सेवन करने से आपको कई रोगों से छुटकारा मिल सकता है।पेट के लिए भी अच्छी है मूंगफलीमूंगफली का सेवन पाचन शक्ति को बढ़ाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि खाना खाने के बाद अगर आप रोजाना एक 50 या 100 ग्राम मूंगफली खाते हैं, तो इससे भोजन को पचाने में मदद मिलती है। इससे शरीर में खून की कमी भी पूरी होती है।वजन कम करने में भी है उपयोगीमूंगफली को वजन कम करने में बहुत उपयोगी माना जाता है। दरअसल, इसमें प्रोटीन और फाइबर होते हैं और ये दोनों ही पोषक तत्व जल्दी-जल्दी भूख लगने की आदत में सुधार लाते हैं, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है। इसलिए रोजाना मूंगफली का सेवन करना चाहिए।त्वचा और बालों को रखता है स्वस्थमूंगफली में बीटा कैरोटीन नाम का एंटी-ऑक्सीडेंट पाया जाता है, जिसे त्वचा के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। इसके अलावा इसमें कई ऐसे पोषक तत्व भी होते हैं, जो बालों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। अगर आप मूंगफली का सेवन करते हैं तो इस बात का भी ध्यान रखें कि इसका अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक भी हो सकता है। इसलिए उचित मात्रा में ही मूंगफली का सेवन करें।
- इमली अपने खट्टे-मीठे स्वाद के कारण देशभर में प्रसिद्ध है। अक्सर इसका नाम लेते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। यूं तो इमली का उपयोग कई चीजों को बनाने में किया जाता है, जैसे गोलगप्पे का पानी तैयार करने, खाद्य पदार्थों को खट्टा बनाने और चटनी बनाने आदि में। लेकिन कुछ लोग इसे ऐसे भी खाना पसंद करते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि इमली न केवल स्वाद में अच्छी होती है बल्कि इसका सेवन सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। शरीर को कई प्रकार के रोगों से बचाने में यह उपयोगी होती है। इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जैसे विटामिन-ए और विटामिन-सी। इसके अलावा इमली कैल्शियम, आयरन, मैंगनीज, फाइबर, पोटैशियम और फास्फोरस जैसे खनिजों से भी भरपूर होता है।दिल के लिए फायदेमंद है इमलीरक्तचाप (ब्लड प्रेशर) और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में इमली बहुत उपयोगी है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करती है और एंटी-ऑक्सीडेंट की मदद से अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाती है। इससे हृदय संबंधी रोगों का खतरा भी कम होता है।पाचन के लिए भी है अच्छाइमली का सेवन पाचन तंत्र के लिए भी अच्छा माना जाता है। दरअसल, इसमें फाइबर अच्छी खासी मात्रा में पाया जाता है, जो पाचन और वजन घटाने में मदद करता है और साथ ही गैस, अपच जैसी समस्याओं को भी दूर करता है।बढ़ती है याददाश्तविशेषज्ञ कहते हैं कि इमली के सेवन से शरीर में रक्त का संचार अच्छे से होता है। साथ ही यह लाल रक्त कोशिकाओं (रेड ब्लड सेल्स) के निर्माण में भी मदद करती है, जिससे शरीर की कमजोरी दूर होती है और याददाश्त बढ़ाने में भी मदद मिलती है।इमली के नुकसानअधिक मात्रा में इमली के सेवन से रक्तस्राव का जोखिम बढ़ सकता है। दरअसल, अधिक सेवन रक्त में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ा देता है, जिससे ब्लीडिंग की समस्या पैदा हो जाती है। गर्भवती महिलाओं को भी इसका सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए।
- करी पत्ता खाने का स्वाद बढ़ाने में इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन आप शायद नहीं जानते कि करी पत्ता में बेहतरीन औषधीय गुण होते हैं, जिससे कई सारे स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं. करी पत्ता का इस्तेमाल हेयर लॉस से लेकर वेट लॉस, डायबिटीज, डैंड्रफ, मुंह के छाले आदि कई समस्याओं का इलाज करने में मदद करता है. आयुर्वेद के मुताबिक, करी पत्ता में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, विटामिन और कई मिनरल्स होते हैं.आयुर्वेदिक एक्सपर्ट का कहना है कि करी पत्ता को इस्तेमाल करने के कई तरीके हैं. आप इसे पाउडर, हेयर मास्क, हेयर ऑयल, चाय के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर कच्चा भी चबा सकते हैं. आइए, इसके सभी फायदे और इस्तेमाल जानते हैं.हेयर फॉल या समय से पहले बाल सफेद होनाएक्सपर्ट के मुताबिक, 1 से 2 कप नारियल तेल या बालों के लिए कोई भी पसंद का तेल लें. इसके बाद इसमें मुट्ठीभर करी पत्ता डालकर पकाएं. जब तेल और करी पत्ता दोनों का रंग गहरा हो जाए, तो तेल ठंडा करके एक गिलास के कंटेनर में रख लें. करी पत्ता के साथ आंवला भी डाला जा सकता है. इस तेल को रात में सिर की त्वचा से बालों के सिरों तक लगाएं और अगली सुबह माइल्ड शैंपू से धो लें.डैंड्रफ और सिर की जुओं का इलाजकरी पत्ता का पतला पेस्ट बना लें और इसे खट्ठे छाछ में मिलाएं. इस मिश्रण को सिर की त्वचा पर लगाएं और सूखने पर अच्छी तरह धो लें. डैंड्रफऔर सिर की जुओं से छुटकारा पाने के लिए हफ्ते में 2 से 3 बार इस उपाय को अपनाएं और बीच में 1 से 2 दिन का गैप जरूर रखें.वेट लॉस के लिए करी पत्ताआयुर्वेदिक एक्सपर्ट के मुताबिक 10 से 20 करी पत्ता लेकर पानी में उबाल लें. कुछ मिनट बाद पानी को छान लें. इसमें एक चम्मच शहद और नींबू का रस डाल लें. आपकी फैट बर्न करने वाली करी पत्ता चाय (curry leaves tea) तैयार है. इसके सेवन से तेजी से वेट लॉस होगा.करी पत्ता के फायदे: मुंह के छालों का इलाजकरी पत्ता के पाउडर को शहद के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें. अब इस पेस्ट को मुंह के छालों के ऊपर लगाएं. 2 से 3 दिन में मुंह के छाले बिल्कुल दूर हो जाएंगे.डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल और पाचन के लिए करी पत्ताएक्सपर्ट के मुताबिक, सुबह खाली पेट 8 से 10 ताजे करी पत्ते को चबाएं या इसका जूस निकालकर पीएं. इसके अलावा इसे ड्रिंक, चावल, सलाद, खाने आदि में शामिल भी कर सकते हैं. करी पत्ता में alpha-amylase नामक पावरफुल एंजाइम होता है. जो डाइटरी स्टार्च को ग्लूकोज में तोड़ता है और ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है. वहीं, आयुर्वेद के मुताबिक कड़वा होने के कारण यह लिवर के लिए काफी फायदेमंद होता है. जिससे पाचन सही होता है.
- पिछले कई सालों में आंखों का स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ा है. आज से सिर्फ 10-15 साल पहले आमतौर पर बुजुर्गों की आंखों पर ही चश्मा लगा देखते थे. लेकिन पिछले कुछ सालों में आंखें कमजोर होने की उम्र बहुत कम हो गई है. चिंता की बात यह है कि आजकल 10-12 साल के बच्चों की आंखों पर भारी-भारी आंखों का चश्मा चढ़ जाता है. अस्वस्थ आंखें सिर्फ रोशनी ही कमजोर नहीं करती हैं, बल्कि मोतियाबिंद (cataract) जैसी समस्याएं भी पैदा कर सकती हैं. आंखों की देखभाल बहुत जरूरी है. जिसके लिए आपको ऐसे पोषक तत्वों से भरपूर फूड्स का सेवन करना चाहिए, जो आंखों के लिए फायदेमंद होते हैं. आइए, हम आंखों के लिए फूड्स के बारे में जानते हैं.आंखे हेल्दी बनाने के लिए निम्नलिखित फूड्स का सेवन जरूर करना चाहिए.American Optometric Association के मुताबिक, आंखों को मोतियाबिंद जैसी बीमारी से दूर बचाने के लिए विटामिन ए, विटामिन ई और विटामिन सी से भरपूर फूड्स मदद कर सकते हैं. इसलिए आपको नट्स, खट्टे फल, फिश और सीड्स को डाइट में शामिल करना चाहिए.पानीकई एक्सपर्ट्स का कहना है कि शरीर में पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन होने के कारण आंखों पर बुरा असर पड़ता है. जिसके कारण आंखों की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और आंखों की रोशनी कम हो जाती है. इसलिए आपको रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए.हरी पत्तेदार सब्जियांहरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन और मिनरल्स कूट-कूटकर भरे होते हैं, जो संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं. The Academy of Nutrition and Dietetics के मुताबिक, हरी पत्तेदार सब्जियों में बीटा-कैरोटीन, विटामिन, lutein और zeaxanthin होते हैं, जो आंखों को हानिकारक किरणों और रेडिएशन से बचाने में मदद करते हैं.
- अंकुरित मूंग सेहत के लिए बेहद लाभकारी है. इसमें काफी सारे इंजाइम होते हैं जो पाचन के लिए बेहतर होते हैं. ये कब्ज को भी ठीक करने के साथ ही मेटॉबालिजम को बूस्ट करता है. शरीर के सभी अंगों के सही से काम करने के लिए प्रोटीन की सबसे ज्यादा जरुरत होती है जो कि अंकुरित अनाज में सबसे ज्यादा पाया जाता है. अंकुरित मूंग खाने से शरीर में शुगर का लेवल बढ़ता नहीं है.अंकुरित मूंग में पाए जाने वाले पोषक तत्वमूंग साबुत हो या धुली, पोषक तत्वों से भरपूर होती है. अंकुरित होने के बाद तो इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों केल्शियम, आयरन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन्स की मात्रा दोगुनी हो जाती है.डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंदजाने माने आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, अंकुरित मूंग की दाल में ग्लूकोज का स्तर बहुत कम पाया जाता है. इसकी वजह से डाइबिटीज के रोगी इसे आसानी से खा सकते हैं. अंकुरित दाल में ऐसे गुण होते हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देते हैं.अंकुरित मूंग खाने के जबरदस्त फायदेइसमें पाया जाने वाले सॉल्यूबल फायइबर आपको वजन को कम करने में बहुत फायदेमंद होता है.इसमें आयरन की अच्छी मात्रा है, जिस वजह से आपकी स्किन हेल्दी बनी रहती है.इसके सेवन से शरीर में फाइबर की भरपूर मात्रा जाती है, जिससे कब्ज की समस्या खत्म होती है.मूंग स्प्राउट्स का रोजाना सेवन इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है.मूंद स्प्राउट्स पेट की गर्मी को शांत करने काम करता हैकिस समय करें अंकुरित मूंग का सेवनअंकुरित मूंग का सेवन सुबह या शाम के नाश्ते में सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है.
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हमारी गर्दन की त्वचा में कोलेजन की मात्रा कम होती है और तेल ग्रंथियां कम होती हैंं। इसका मतलब है कि चेहरे से ज्यादा हमारी गर्दन में झुर्रियां, असमान त्वचा टोन, रूखापन और काले धब्बे होने का खतरा रहता हैं। चेहरे के अलावा गर्दन और शरीर के बाकी हिस्सों को भी साफ रखना चाहिए। कई बार गर्दन और बाकी के हिस्से पर जमा मैल आपकी खूबसूरती पर दाग लगा सकता है। ऐसे में आप कुछ घरेलू उपाय अपना सकते हैंं। ये गर्दन को साफ करने में मदद करेंगें।
बेकिंग सोडा और पानी - थोड़ा सा बेकिंग सोडा और पानी मिलाएंं। इसका पेस्ट बनाकर गर्दन पर लगाएं और सर्कुलर मोशन में हल्के हाथों से मसाज करें. इसे कुछ मिनट तक लगा रहने दें और फिर धो लेंं। गर्दन को साफ करने के लिए आप इसका इस्तेमाल नियमित रूप से कर सकते हैंं।
चावल का आटा और दूध - एक कटोरी में एक बड़ा चम्मच चावल का आटा लें और इसमें थोड़ा दूध डालेंं। इसे मिलाकर पेस्ट बना लेंं। इसे गर्दन की असमान त्वचा पर लगाएं और अपनी उंगलियों से धीरे से मसाज करेंं। इसे 8-10 मिनट तक त्वचा पर लगाकर रखें और फिर सादे पानी से धो लेंं। इसे हफ्ते में 2-3 बार दोहरा सकते हैंं।
टमाटर का गूदा लगाएं - ताजे टमाटर के कुछ छोटे टुकड़े काट लेंं। इन्हें ब्लेंडर में डालकर टमाटर के टुकड़ों को पीसकर टमाटर का पल्प तैयार कर लेंं। इसे अपनी उंगलियों से धीरे-धीरे गर्दन पर मसाज करेंं। ताजे, ठंडे पानी से धोने से पहले इसे 5-10 मिनट के लिए त्वचा पर छोड़ देंं। प्राकृतिक रूप गर्दन को साफ करने के लिए हर दूसरे दिन इसे फिर से लगाएंं।
नींबू का रस और हल्दी - ताजे नींबू के रस में 1-2 चम्मच हल्दी पाउडर मिलाएं और इसमें सादे पानी की कुछ बूंदें भी मिलाएं। एक पेस्ट बनाने के लिए सब कुछ एक साथ मिलाएं। पेस्ट को गर्दन पर लगाएं और सर्कुलर मोशन में हल्के हाथों से मसाज करेंं। इसे 8-10 मिनट तक लगा रहने देंं और फिर ठंडे पानी से धो लेंं। प्राकृतिक रूप गर्दन को साफ करने के लिए इसे हफ्ते में दो या तीन बार दोहराएं।
बेकिंग सोडा और एलोवेरा - बेकिंग सोडा और एलोवेरा जेल को बराबर मात्रा में मिलाएं। इसे गर्दन पर लगाएं और कुछ मिनटों के लिए धीरे से मलेेंं। फिर सादे पानी से धो लें। साफ गर्दन के लिए हर 2-3 दिनों में एक बार इसका इस्तेमाल करें। -
स्वस्थ रहने के लिए पौष्टिक आहार और स्वस्थ जीवन शैली होना बहुत जरूरी है। ऐसे में व्यायाम के साथ आप डाइट में कई तरह की जड़ी-बूटियां, नट्स और फल शामिल कर सकते हैं। इसमें खुबानी से लेकर जिनसेंग जैसे कई फूड्स शामिल है । ये न केवल हमें कई बीमारियों से बचाने में मदद कर सकते हैं बल्कि इम्युनिटी बढ़ाने और वजन कंट्रोल करने में भी मदद कर सकते हैं । हेल्दी रहने के लिए आप कौन से फूड्स डाइट में शामिल कर सकते हैं...आइए जानें .....
खुबानी - खुबानी विटामिन और मिनरल से भरपूर होते हैं ये हेल्दी शरीर के लिए आवश्यक हैं । खुबानी खाने से कैंसर, कम कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग के जोखिम को रोकने का एक शानदार तरीका है । खुबानी आंखों की रोशनी और पाचन में सुधार करता है। इसके अलावा, ये वजन घटाने में भी मदद करता है । इससे त्वचा हेल्दी रहती है। खुबानी में डायट्री फाइबर मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। ये मानव शरीर के पाचन में सुधार करता है और कब्ज को रोकता है। खुबानी आयरन का एक अच्छा स्रोत है जो इसे एनीमिया के इलाज के लिए फायदेमंद है।
सी-बक्थोर्न फल - इसमें कई औषधीय गुण और विटामिन, अमीनो एसिड और फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व होते हैं। ये इम्युनिटी बढ़ाने के लिए अच्छे होते हैं। सी बक्थॉर्न का इस्तेमाल कॉस्मेटिक उपचार जैसे सनस्क्रीन या त्वचा की समस्याओं के किसी अन्य उपाय के रूप में भी किया जाता है। हर्बल दवा में, सी बकथॉर्न का इस्तेमाल पाचन तंत्र को उत्तेजित करने और हृदय को स्वस्थ रखने के लिए किया जाता है। ये डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर, सूजन और गठिया जैसे अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
गिलोय - गिलोय का इस्तेमाल भारतीय चिकित्सा में अपने औषधीय गुणों के कारण बहुत लंबे समय से किया जाता रहा है। गिलोय एंटीऑक्सीडेंट का एक पावरहाउस है जो फ्री-रेडिकल्स से लड़ते हैं और बीमारियों से बचाते हैं। ये खून को साफ करने में मदद करता है। गिलोय का सेवन बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि ये पाचन में सुधार करता है और कब्ज जैसी समस्याओं का इलाज करता है। गिलोय के रस का नियमित सेवन हाई ब्लड शुगर लेवल और श्वसन समस्याओं को कम करने में मदद करता है। ये गठिया के इलाज में भी फायदेमंद है।
आंवला - आंवला किसी भी अन्य फल की तुलना में शक्तिशाली होता है और इसे सुपरफूड में से एक माना जाता है। आंवला में विटामिन सी जैसे पोषक तत्व होते हैं। अध्ययनों के अनुसार नियमित रूप से आंवले का सेवन आंखों के स्वास्थ्य में सुधार करता है। आंवला फैट बर्न करने में मदद करता है। खाने से पहले आंवला का सेवन करने से पेट भरा हुआ महसूस होता है और कम खाने में मदद मिलती है। आंवला मेटाबॉलिज्म को भी बूस्ट करता है जो तेजी से वजन घटाने में मदद करता है। ये सुपरफूड डैंड्रफ को भी रोकता है और बालों के रोम को मजबूत बनाता है जिससे बाल सुंदर दिखते हैं।
जिनसेंग - जिनसेंग एक हल्के रंग और कांटे के आकार की जड़ी बूटी है। ये ऊर्जा को बढ़ाता है, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है। ये उन लोगों के लिए शारीरिक और मानसिक गतिविधि को बढ़ावा देने में मदद करता है जो ज्यादातर समय कमजोर और थका हुआ महसूस करते हैं। अध्ययनों के अनुसार जिनसेंग कैंसर से संबंधित कमजोरी को कम करता है। एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण जिनसेंग सूजन को कम करता है।
ब्लूबेरी - ब्लूबेरी पौष्टिक और व्यापक रूप से लोकप्रिय हैं. ये सुपरफूड के रूप में जाने जाते हैं। ब्लूबेरी में कैलोरी की मात्रा कम होती है। इसमें फाइबर, विटामिन सी, विटामिन के और मैंगनीज के साथ-साथ अन्य पोषक तत्व भी होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर ब्लूबेरी आपके शरीर को जल्दी उम्र बढऩे और कैंसर जैसी अन्य बीमारियों को रोकने वाले फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं। हाई ब्लड प्रेशर की समस्या वाले लोग अपने दैनिक आहार में ब्लूबेरी शामिल कर सकते हैं। ये हृदय रोगों को भी रोकता है और मस्तिष्क के कार्यों को बनाए रखने और याददाश्त में सुधार करने में भी मदद करता है।
- गोलमटोल कॉमेडी क्वीन भारती ने अपना 15 किलो वजन कम कर लिया है। उनका वजन पहले 91 था अब उनका वजन 76 है। इसके लिए भारती ने इंटरमिटेंट फास्टिंग का सहारा लिया। जो भी भारती को देख रहा है वो उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह पा रहा है। अब भारती पहले से ज्यादा फिट और हेल्दी नजर आ रही हैं। अभिनेत्री नीतू सिंह समेत कई सेलिैब्रिटी भारती की तारीफ कर रहे हैं। भारती ने लॉकडाउन का पूरा फायदा उठाते हुए खुद पर फोकस किया और फैट से फिट तक का सफर तय कर लिया है। आज जानते हैं कि भारती ने ऐसा कैसे किया.....भारती के मुताबिक उन्होंने इंटरमिटेंट फास्टिंग करके वजन घटाया है। वो शाम को 7 बजे से अगले दिन 12 बजे तक कुछ नहीं खाती हैं। भारती के मुताबिक मैं 12 बजे के बाद अपनी पसंद का खाना खाती हूं। मेरी बॉडी शाम को 7 बजे के बाद डिनर एक्सेप्ट नहीं करती है। मैंने बीते 30 सालों में ढेर सारा खाना खाया है अब मैंने खुद को वक्त देना शुरू किया है तो बॉडी भी साथ दे रही है। इंटरमिटेंट फास्टिंग में आप क्या खा रहे हैं इससे ज्यादा फोकस इस बात पर किया जाता है कि आप किस समय खा रहे हैं,। ज्यादातर लोग शाम के बाद कुछ नहीं खाते जिससे अगले दिन सुबह तक उन्हें अच्छा गैप मिल जाता है।भारती डायबिटीज की मरीज हैं और उन्हें अस्थमा भी है पर वजन घटाने के बाद से उन्हें लग रहा है कि बीमारियां कंट्रोल हो गई हैं।क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंगभारती ने इंटरमिटेंट फास्टिंग के सहारे देखते ही देखते 15 किलो वजन कम कर लिया है। इंटरमिटेंट फास्टिंग में एक तय समय तक कुछ खाना नहीं होता है। आज कल वजन घटाने के लिए लोग इसे अपना रहे हैं। इस डाइट में खाने का समय और कैलोरीज पर ध्यान रखा जाता है। इस डाइट में आप दिन में दो या तीन बार खा सकते हैं पर रात के समय आपको कुछ भी खाना नहीं है। हालांकि डॉक्टर मानते हैं कि हर कोई ये डाइट फॉलो नहीं कर सकता खासकर वो लोग जो नाइट शिफ्ट में काम करते हैं। ये डाइट व्यस्त शेड्यूल वालों के लिए या ऐसे लोगों के लिए अच्छी है जो एक्सरसाइज को ज्यादा समय नहीं दे सकते। इंटरमिटेंट फास्टिंग के जरिए आप भी कम समय में अपना वजन घटा सकते हैं।इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान इन बातों का ध्यान रखें-इस दौरान हल्के योग और व्यायाम करें। अपनी कैलोरी इंटेक को ज्यादा कम नहीं करना है, बस कुछ चीजों से परहेज कर सकते हैं जैसी अधिक मीठी चीजें या तेल-युक्त आहार।-आपको अपनी डाइट को लक्विड डाइट बनाना चाहिए साथ ही फल और सब्जिों को अपनी डाइट का हस्सिा बनाना चाहिए।-आपको एक बार में 24 घंटों का फास्ट नहीं करना है, इसमें केवल 12 से 14 घंटे का ही फास्ट रखा जाता है।-गर्भवती स्त्रियों को ये डाइट फॉलो नहीं करनी चाहिए।-अगर भोजन विकार से पीडि़त या बुलमियिा जैसी बीमारी या भूख कम लगना या ज्यादा लगने की शिकायत है तो पहले डॉक्टर से संपर्क करें।-जो लोग क्राॅिनक स्ट्रेस के मरीज हैं या अनिद्रा की शिकायत ह,ै उन्हें भी इंटरमिटेंट फास्टिंग या अन्य किसिी भी प्रकार कीू डाइटिंग नहीं करनी चाहिए।
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बादाम (Almonds) खाना प्राचीन काल से ही ताकत बढ़ाने का एक बढ़िया तरीका माना जाता है. कई लोग बादाम को यूं हीं चबाकर खा लेते हैं. जबकि काफी लोग उसे पीसकर दूध में मिलाकर खाते हैं.
अगर हम बादाम के फायदों (Benefits of Eating Almonds) की बात करें तो वह एक नहीं बल्कि अनेक हैं. इसे खाने से न केवल शरीर को ताकत मिलती है बल्कि कई बीमारियों से भी बचाव होता है. बादाम खाने से हमारे खून में एंटीऑक्सीडेंट्स लेवल बढ़ता है और ब्लड प्रेशर कम करता है. टाइप 2 डायबिटीज के वे रोगी, जो नियमित रूप से बादाम का सेवन करते हैं. उनका मैग्नीशियम ब्लड शुगर लेवल भी कंट्रोल में रहता है.
ब्रेस्ट कैंसर से मिलता है बचाव
एक रिपोर्ट के मुताबिक मूंगफली, अखरोट और बादाम (Almonds) खाने वाले लोगों में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा दूसरे लोगों की तुलना में कम रहता है. वजन कम करने, हड्डी को मजबूत और दिल की बीमारियों का जोखिम कम करने में बादाम को फायदेमंद माना गया है. सही मायने में कहा जाए तो बादाम पौष्टिकता से भरपूर और फाइबर, प्रोटीन्स, विटामिन ई, मैग्नीशियम, कॉपर, फॉस्फोरस का शानदार स्रोत है. जिन्हें नियमित रूप से खाया जाए तो बहुत सारे फायदे हैं.
बादाम के सेवन का ये तरीका बेहतर
कई सारे लोग इस बात को लेकर भ्रम में रहते हैं कि हमें बादाम (Almonds) के कड़वेपन को खत्म करने के लिए छिलका उतारकर खाना चाहिए या फिर उसे भिगोने के बाद छिलके समेत खा लेना चाहिए. एक्सपर्टों के मुताबिक अगर पाचन के लिहाज से देखा जाए तो भिगोने के बाद खाया गया बादाम बेहतर माना जाता है. इसकी वजह ये है भीगी हुई चीज को चबाने और पचाने में शरीर को आसानी होती है. साथ ही उसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स और फाइबर के फायदे बढ़ जाते हैं. वहीं सूखे बादाम को खाने के बाद उसे पचाने के लिए शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. जिसकी वजह से उसे उतना फायदा नहीं मिल पाता. जितना मिलना चाहिए. -
हम सब के घरों में लौकी खाई जाती है और वो हमारी सेहत के लिए फायदेमंद भी होती है। कई बीमारियों जैसे डायबिटिज, मोटापा आदि में लौकी फायदेमंद होती है पर क्या आप जानते हैं कि लौकी के बीज भी हमारी सेहत के लिए कितने फायदेमंद होते हैं? जी हां, जिन बीजों को आप फेंक देते हैं दरअसल उनमें भी कई गुण होते हैं। आइये जानते हैं लौकी के बीजों के फायदे.....
1. कोलेस्ट्रॉल कम करेलौकी के बीज से निकलने वाले तेल से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल होता है और हार्ट की बीमारियों को दूर करने के लिए भी लौकी का बीज फायदेमंद माना जाता है। लौकी के बीज का पेस्ट बनाकर आप नमक काली मिर्च, और अन्य मसाले डालकर उसका सूप बनाकर भी पी सकते हैं। ब्लड वैसल्स के लिए लौकी का बीज फायदेमंद माना जाता है।2. यूरिन पास करते समय जलन या दर्द दूर करेअगर आपको यूरिन पास करते समय परेशानी होती है या जलन महसूस होती है तो दूध के साथ लौकी के बीज चबाकर खाएं। इससे यूरिन के समय जलन या दर्द से राहत मिलेगी।3. घबराइट होने पर चबाएं लौकी के बीजघबराहट होने पर या बीपी की समस्या होने पर आप लौकी के बीज का सेवन करें। इससे छाती की घबराहट दूर होती है। जिन लोगों अक्सर बुखार के लक्षण नजर आते हैं उन्हें भी लौकी के बीज का सेवन करना चाहिए। लौकी के बीज से दिमिाग भी तेज होता है। गर्मी की तेजी को शांत करने के लिए भी लौकी के बीज का सेवन फायदेमंद माना जाता है।4. लौकी के बीज से अनिद्रा की समस्या दूर होती हैअगर आपको नींद न आने की समस्या है तो आप लौकी के बीज का सेवन कर सकते हैं। लौकी के बीज को पीसकर आप पेस्ट बना लें, और उस पेस्ट को गुनगुने पानी के साथ लें या आप पेस्ट को मिश्री के साथ मिलाकर दूध में डालकर भी पी सकते हैं। इससे अनिद्रा की समस्या से राहत मिलेगी।5. लौकी के बीज से कफ की समस्या दूर होती हैमानसून के दौरान अक्सर लोगों के गले में खराश होना, सर्दी-जुकाम जैसी शिकायतें होती हैं, उसे दूर करने के लिए आप लौकी के बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं। लौकी के बीज से गले में खराश की समस्या दूर होती है। आप लौकी के बीज का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं। लौकी के बीज का काढ़ा बनााने के लिए बीज को पीस लें और उसमें काली मिर्च मलि लें, फिर दो कप पानी में इस मिश्रण को डाल दें, जब पानी आधा हो जाए तो उसका काढ़ा तैयार हो जाएगा आप उसे पी सकते हैं। इस काढ़े को पीने से कफ की समस्या दूर होगी।अगर लौकी के बीज खाकर आपको पेट में दर्द या अन्य कोई समस्या हो तो उसका सेवन न करें। - सफेद इलायची यानी खुशबू का खजाना. हर घर की किचन में मसाले के तौर पर इस्तेमाल होने वाली छोटी इलायची सेहत से भरपूर है. इलायची का सेवन कई मायनों में आपके लिए फायदेमंद रहता है. अधिकतर लोग इलायची को स्वादिष्ट मसाले के रूप में ही प्रयोग करते हैं और इसके सेवन से सेहत को होने वाले फायदों के बारे में अनजान रहते हैं. ऐसे में हम आज आपको बताते हैं इलायची खाने से होने वाले फायदों के बारे में विस्तार से. आमतौर पर इसका प्रयोग अलग-अलग प्रकार के मीठे में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है.ज्यादा खाना भी नुकसानदेहऐसा नहीं कि सेहत के लिए फायदेमंद सफेद इलायची को आप ज्यादा खाने लगे. इसका ज्यादा सेवन भी आपके लिए अच्छा नहीं रहेगा. इलायची दो प्रकार की होती है यानी बड़ी और छोटी. दोनों ही इलायची का प्रयोग मसालों के रूप में किया जाता है. लेकिन यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि छोटी इलायची का ज्यादा सेवन भी आपको नुकसान दे सकता है. इसलिए हर दिन दो से तीन इलायची खाना आपके लिए सही रहेगा.शरीर को कई फायदेकई बार लोग स्वाद के चक्कर में ज्यादा इलायची का सेवन करने लगते हैं, यह भी उनके लिए सही नहीं होता. इसलिए इस लेख के जरिए आज हम आपको बता रहे हैं इलायची के सेवन से आपके शरीर को होने वाले फायदे. साथ ही यह भी बताएंगे कि यह आपके स्वाद के अलावा भी कई तरह से आपको फायदा पहुंचाती है.दिल की धड़कन को सुधारती हैआजकल हृदय रोग आम हो गया है यानी अक्सर लोगों की दिल की धड़कन कम हो जाती है. लेकिन क्या आपको पता है कि दिल की धड़कन को सही रखने में छोटी इलायची का सेवन बहुत कारगर साबित होता है. इलायची में पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नेशियम जैसे खनिज पदार्थ मौजूद हैं. इंसान के रक्त, शरीर में मौजूद तरल और ऊतकों का प्रमुख तत्व पोटेशियम है. इलायची के सेवन से पोटेशियम की पर्याप्त मात्रा शरीर में बनी रहती है.फेफड़ों की परेशानी दूर करेंछोटी इलायची से फेफड़ों में रक्तसंचार तेज गति से होने लगता है. इससे सांस लेने की समस्या जैसे अस्थमा, तेज जुकाम और खांसी से राहत मिलती है. आयुर्वेद में इलायची की तासीर गर्म मानी गई है, जो कि शरीर को गर्मी देती है. इसलिए इसके सेवन से आपके शरीर पर ठंड का असर कम होता है.रक्तचाप नियंत्रित करती हैछोटी इलायची का सेवन रक्तचाप नियंत्रण में कारगर होती है. मानव शरीर में अधिकतर बीमारियां उच्च रक्तचाप के कारण जन्म लेती हैं. यदि आप भी प्रतिदिन दो से तीन इलायची का सेवन करें तो जिंदगीभर आपका रक्तचाप नियंत्रित रहेगा.मुंह की बदबू को दूर करेंछोटी इलायची स्वाद बढ़ाने के साथ ही माउथ फ्रेशनर का भी काम करती है. इसे खाने से मुंह की बदबू में राहत मिलती है. यदि आपके मुंह से तेज दुर्गंध आती है और लोग आपसे बात करने में संकोच करते हैं तो आप हर समय एक इलायची अपने मुंह में रख सकते हैं.कब्ज से राहत देंपेट में कब्ज यानी बीमारियों को न्योता. इसलिए हर किसी की कोशिश रहती है कि उसे कब्ज की समस्या न हो. यदि आपको कब्ज है तो छोटी इलायची का सेवन या छोटी इलायची को पकाकर तैयार किए गए पानी का सेवन आपको फायदा पहुंचाएगा. यह आपकी पाचन क्रिया को दुरुस्त कर कब्ज से राहत देती है.वैवाहिक जीवन को सुखद बनाएयह शायद ही आपको पता हो कि इलायची के सेवन से आपकी सेक्स लाइफ भी बेहतर होती है. प्रतिदिन तीन या चार इलायची का सेवन करने से आपकी सेक्स लाइफ अच्छी रहती है और आपका पार्टनर हमेशा खुश रहता है. नपुंसकता में भी छोटी इलायची का सेवन फायदा देता है.उल्टी की समस्या में राहतक्या आपको भी चंद किलोमीटर का सफर करने पर उल्टी आने की समस्या है. यदि हां तो सफर शुरू करने से पहले इलायची का सेवन आपको इस समस्या से राहत देगा. यदि आपको यह लग रहा है कि सफर में पूरे समय उल्टी की समस्या हो सकती है तो आप पूरे रास्ते छोटी इलायची मुंह में डाले रखें.गले की खराश को दूर करेंयदि मौसम बदलने पर या सामान्य दिनों में भी आपको गले की खराश की शिकायत है तो छोटी इलायची का सेवन आपके गले की खराश को दूर कर देगा. इसका सेवन करने से गले में होने वाले दर्द से भी आराम मिलता है.विषाक्त पदार्थों से छुटकाराइलायची का सेवन शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को दूर करने में कारगर है. कई बार शरीर में विषाक्त पदार्थों की अधिकता से आपकी तबियत ज्यादा खराब हो जाती है. इसलिए जरूरी है कि यदि आप प्रतिदिन इलायची का सेवन नहीं कर सकते तो हफ्ते में तीन से चार बार इलायची का सेवन अवश्य कर लें.एसिडिटी से दें राहतशायद ही आपको पता हो कि इलायची में तेल भी मौजूद होता है. इलायची में मौजूद इसेंशियल ऑयल पेट की अंदरुनी लाइनिंग को मजबूत करता है. एसिडिटी की समस्या में पेट में एसिड जमा हो जाते हैं. इसके सेवन से वो धीरे-धीरे हट जाते हैं.तनाव मुक्त रखेंयदि आप अक्सर तनाव में रहते हैं तो इलायची का सेवन आपके लिए गुणकारी साबित होगा. कई बार होता है कि आप अकेले हैं और ज्यादा तनाव से गुजर रहे हैं तो ऐसे में दो इलायची मुंह में डालकर चबाएं. इलायची चबाने से हार्मोन में तुरंत बदलाव हो जाता है और आप तनाव से मुक्त हो जाते हैं.
- क्या आपने कभी मिट्टी के बर्तनों में जमी दही का स्वाद चखा है? अगर नहीं, तो एक बार जरूर चखिएगा, क्योंकि साधारण बर्तनों में जमी दही की तुलना में मिट्टी के बर्तनों में जमी दही का स्वाद काफी ज्यादा बेहतर होता है. साथ ही यह सेहत के लिहाज से भी काफी फायदेमंद माना जाता है. आप सभी को याद होगा कि दादी-नानी के जमाने में मिट्टी की हांडी (clay pot) में दही (Curd) जमाने की परंपरा थी, लेकिन समय बदला और इन बर्तनों की जगह स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों ने ले ली. लेकिन आज भी गांवों में मिट्टी की हांडी में दही जमाना ही बेहतर माना जाता है.मिट्टी के बर्तन में क्यों जमाना चाहिए दही?मिट्टी के बर्तन में जमा हुआ दही बेहद फायदेमंद होता है. मिट्टी की हांडी प्राकृतिक तौर पर तापमान को कंट्रोल करती है, जो दही के लिए काफी उपयुक्त है. अगर दही में मौजूद गुड बैक्टीरिया को ज्यादा ठंडा और गर्म माहौल मिले तो ये सही तरह से जमते नहीं हैं. यही नहीं, सेहत पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जब हम मिट्टी की हांडी में दही जमाते हैं तो इसमें बहुत सारे प्राकृतिक मिनरल्स जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम, सल्फर और अन्य प्राकृतिक तत्त्व बढ़ जाते हैं. इन तत्वों से दही का स्वाद और न्यूट्रीशन वैल्यू दोनों ही बढ़ जाता है.दही ज़माने का सही समयदही को हम किसी भी समय जमा सकते हैं. सुबह के समय दही जमाकर शाम को नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इससे दही में गाढ़ापन और मिठास कम हो जाती है. आप गर्मियों में शाम 4-5 बजे के करीब दही जमाएं, जिससे रात के 10-11 बजे तक दही जम जाएगा.मिट्टी के बर्तन में जमें दही को खाने के फायदेफायदा नंबर1दही जमाने के लिए जिस जोरन का प्रयोग किया जाता है वह दही को बहुत ज्यादा खट्टा या एसिडिक बना सकता है, लेकिन अगर आप मटके में दही जमा रहे हैं तो मिट्टी एल्कलाइन होने की वजह से काफी सारे एसिड को बैलेंस कर देती है और दही का स्वाद मीठा बना रहता है.फायदा नंबर 2मिट्टी के हांडी में चीजें जल्दी गर्म नहीं होतीं. यह गर्म तापमान को अवशोषित कर लेता है. ऐसे में जब इसमें दही जमाया जाता है तो इसके तापमान में बदलाव नहीं होता और दही लंबे समय तक खराब होने से बचा रहता है.फायदा नंबर 3जिस दही को मिट्टी के बर्तन में जमाया जाता है उसमें कई सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं. इनमें मैग्नीशियम, आयरन, सल्फर और अन्य कई प्राकृतिक लवण शामिल हैं, जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी माने जाते हैं.=
- अगर आप वजन कम करने के बारे में सोच रहे हैं, तो काली मिर्च आपकी मदद कर सकती है। काली मिर्च भारतीय रसोई में हमेशा मिलती है, इसका इस्तेमाल भी अधिक्तर घरों में खूब किया जाता है। इसका इस्तेमाल अलग-अलग सब्जी, करी, काढ़ें में इसके अद्भुत स्वाद और खुशबू के लिए किया जाता है। इसके अलावा, काली मिर्च में कई मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छे होते हैं। काली मिर्च की चाय हर्बल है, जिसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। आइए, जानते हैं इसके स्वास्थ्य लाभों के बारे में और इसे बनाने के तरीके के बारे में।काली मिर्च की चाय वजन घटाने में कैसे करती है मददकाली मिर्च वजन कम करने में मदद करती है। इसमें एक मसालेदार स्वाद होता है, जिसके बारे में माना जाता है कि इसमें थर्मोजेनिक प्रभाव होता है, जो भोजन को और मेटाबॉलिज्म को और अधिक करता है। यह तेजी से कैलोरी बर्न करने में मदद करता है। काली मिर्च में पिपेरिन होता है। जो पाचन और शरीर में जमा फैट को कम करता है। काली मिर्च की चाय का सेवन करने से वजन नियंत्रित करने में मदद मिलती है।कैसे बनाएं काली मिर्च की चायसामग्री2 कप पानी1 छोटा चम्मच काली मिर्च पाउडर1 बड़ा चम्मच शहद1 छोटा चम्मच नींबू का रस1 छोटा चम्मच कटा हुआ अदरककाली मिर्च की चाय बनाने का तरीकाएक पैन में पानी डालें और उबाल आने दें। पैन में सभी सामग्री डालकर धीमी आंच पर पकाएं। 3 से 5 मिनट के बाद छान लें। अब इसमें शहद मिलाएं। ज्यादा कड़क बनाने के लिए अधिक समय के लिए पकाएं।काली मिर्च की चाय पीने के फायदेइम्यूनिटी बूस्ट करती हैकाली मिर्च की चाय में पिपेरिन होता है, जो इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के लिए जाना जाता है। साथ ही, काली मिर्च में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर में मौजूद रेडिकल्स से लड़ते हैं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर रखते हैं।सर्दी खांसी से बचाता हैसर्दी के मौसम में सर्दी खांसी की समस्या आम है। ये चाय मौसमी समस्याओं से बचाती है। अस्थमा से पीडि़त लोगों के लिए फायदेमंद होती है।मूड में सुधारकाली मिर्च की चाय पीने से आपके मूड को बूस्ट करने में मदद मिलती है। ये आपके दिमाग को शांत रखती है। हालांकि इसे अधिक मात्रा में नहीं पीना चाहिए।ध्यान देंकाली मिर्च की चाय के कई सारे फायदे हैं, लेकिन इसका अधिक सेवन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। अगर आप काली मिर्च की चाय को अपनी डाइट में शामिल कर रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- आयुर्वेद के लिए तांबा एक अत्यंत महत्वपूर्ण धातु है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि हजारों सालों तक भारत और अन्य एशियाई देश तांबे के बड़े बर्तनों में पानी जमा करते थे। लोग गर्मी की तेज धूप में ठंडक महसूस करने के लिए तांबे के छोटे बर्तनों का पानी पीते थे। इस धातु में और भी बहुत कुछ था और तांबे के बर्तन से पानी पीने के कई फायदे हैं।शरीर को बैक्टीरिया से बचाता है तांबासबसे अच्छे लाभों में से एक तांबे के बर्तन की रोगाणुओं, विशेष रूप से बैक्टीरिया को नष्ट करने की क्षमता है। वास्तव में, तांबा ई.कोली और एस.ऑरियस (दो प्रकार के बैक्टीरिया जो दस्त और पेचिश का कारण बन सकते हैं।) से निपटने के लिए उत्कृष्ट है। स्वच्छ पेयजल के दुर्लभ स्रोतों वाले ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इसे शुद्ध करने के लिए तांबे के बर्तनों में पानी जमा करते हैं। इन बर्तनों में 16 घंटे तक रखा हुआ पानी पीने से डायरिया के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं।मस्तिष्क के लिए फायदेमंदकॉपर एक धातु है जो माइलिन के निर्माण में मदद कर सकती है। यह एक शीट है जो तंत्रिका कोशिकाओं (nerve cells) की सुरक्षा करती है और आपके सभी कॉग्निटिव फंक्शन के लिए महत्वपूर्ण है। एक अध्ययन से पता चला है कि जिन लोगों को दर्दनाक मस्तिष्क की चोट (traumatic brain injury) लगी है, यदि उनका कॉपर लेवल कम है तो इसे ठीक करना बेहद कठिन होगा।बैलेंस करता है मेटाबॉलिक एनर्जीआयुर्वेद के अनुसार, हर किसी के पास एक प्रमुख चयापचय ऊर्जा (dominant metabolic energy) होती है। इन्हें वात, पित्त और कफ के नाम से जाना जाता है। यदि इन ऊर्जाओं में कोई असंतुलन है, तो आपको चिकित्सा संबंधी समस्याओं और परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आयुर्वेद मानता है कि तांबे के बर्तन का पानी पीने से इन सभी तरह की एनर्जी को बैलेंस करने में मदद मिलती है।शरीर में कॉपर की कमी से हो जाती है ये बीमारीकॉपर शरीर के लिए बेहद जरूरी है। यह लोहे और अन्य महत्वपूर्ण मस्तिष्क कार्यों को तोड़ने में मदद करने के लिए शरीर में कम मात्रा में पाया जाता है। हालांकि, तांबे की कमी के कारण दुर्लभ हाइपोक्यूप्रेमिया होना संभव हो सकता है। इसलिए अगर सुबह सबसे पहले तांबे के बर्तन का पानी पीने की आदत डालते हैं तो आपमें इसकी कमी से होने वाले बीमारी नहीं होगी।तांबे के बर्तन से पानी पीने का सही तरीकाऐसा गिलास चुनें जो पूरी तरह से तांबे से बना हो और अन्य धातु के निशान के साथ मिश्रित न हो, अन्यथा, आपको तांबे के उपयोग का पूरा लाभ नहीं मिलेगा।तांबे के बर्तन का इस्तेमाल करने से पहले उसे नींबू और पानी से धो लें। किसी डिशवॉशिंग साबुन का उपयोग न करें, क्योंकि यह बहुत नुकसानदायक हो सकता है।अपने बर्तन में पानी भरकर अपने पलंग के पास रख दें और सुबह सबसे पहले इसे पिएं। ऐसा करने से पानी का स्वाद थोड़ा धात्विक लग सकता है लेकिन आपको समय के साथ इसकी आदत हो जाएगी।इसके अलावा, सुबह सबसे पहले शरीर को ऊर्जावान बनाने के लिए एक गिलास साफ, ठंडे पानी से अच्छा कुछ नहीं है।आपको तांबे के बर्तनों के साथ क्या नहीं करना चाहिए?आयुर्वेद तांबे के बर्तन से दिन में केवल दो बार पीने की सलाह देता है और इससे ज्यादा नहीं। विशेषज्ञ तांबे के बर्तनों को लगातार तीन महीने तक इस्तेमाल करने के बाद आपके शरीर को एक महीने का अंतराल देने की सलाह देते हैं।जबकि तांबे के बर्तन से पानी पीना बिल्कुल ठीक है लेकिन उनमें खाना न पकाएं। कॉपर टॉक्सिटी एक वास्तविकता है। तांबे के बर्तन में खाना पकाने से हमारे भोजन में और हमारे सिस्टम में तांबे का रिसाव हो सकता है। यदि आपके के शरीर में अत्यधिक मात्रा में तांबा चला गया , तो आपको मतली और दस्त का लग सकते हैं।यदि आप तांबे में खाना बनाना जारी रखते हैं, तो आप अपने लिवर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। यही कारण है कि तांबे के खाना पकाने के बर्तन स्टेनलेस स्टील या टिन के साथ बने होते हैं।
- बाग फूल के नाम से जाने जाने वाली भारंगी सेहत के लिए बेहद उपयोगी है। इसे ग्लोरी बोवल के रूप में भी जाना जाता है। इसकी जड़ें, पत्ते और छाल कफ और वात दोष को शांत करने के लिए बेहद उपयोगी है। भूख बढ़ाने हो या कफ को दूर करना हो, बुखार को कम करना हो या सूजन को कम करना है, भारंगी बेहद उपयोगी है। बता दें कि इसके अंदर एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटी टॉक्सिक, एंटीसेप्टिक ऐपेटाइजर, एस्ट्रीनजेंट आदि पाया जाता है जो शरीर को कई समस्याओं से दूर रख सकता है।आज जानते हैं भारंगी के फायदों के बारे में .....1 - सिर दर्द को दूर करें भारंगीजो लोग सिरदर्द की समस्या से परेशान रहते हैं या जिन लोगों को माइग्रेन रहता है , वे भारंगी की जड़ से बने पाउडर को पानी में मिलाकर उसका पेस्ट बनाएं और उसे अपने माथे पर लगाएं। ऐसा करने से सिर दर्द की समस्या दूर हो जाती है।2 - बुखार से लड़े भारंगीभारंगी के अंदर एंटीपायरेटिक गुण मौजूद होते हैं जो सर्दियों में होने वाले बुखार को दूर करने के साथ-साथ सर्दी, जुकाम से भी लडऩे में मदद करते हैं। यह गंभीर बुखार जैसे मलेरिया आदि को भी दूर रखते हैं। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने और शरीर में ठंडक पहुंचाने का काम करते हैं।3 - फोड़े और घाव कुमारी भारंगीघाव को भरने में भी भारंगी बेहद उपयोगी है। यह एंटीसेप्टिक गुणों से भी भरपूर है। इसके उपयोग के तौर पर आपको भारंगी के पत्तों का पेस्ट बनाना होगा और उसे घाव पर लगाना होगा ऐसा करने से घाव जल्दी भरता है।4 - त्वचा के लिए भारंगीभारंगी के पत्तों से बना पेस्ट और जड़ चेहरे की कई समस्याओं को दूर करने में बेहद उपयोगी है। पर इसे त्वचा पर लगाने से पहले एक बार टेस्ट अवश्य कर लें।5 - जोड़ों के दर्द के लिए भारंगीयदि कोई व्यक्ति अर्थराइटिस, सूजन, दर्द, गाउट आदि से परेशान है तो इस समस्या से लडऩे में भारंगी की मदद ली जा सकती है। वहीं अगर किसी व्यक्ति को जोड़ों को हिलाने में कठिनाई महसूस होती है या जोड़ों में सूजन है तो वे भारंगी के उपयोग से इस समस्या को दूर कर सकते हैं।6 - सांस से संबंधित परेशानी के लिए भारंगीसांस से संबंधित परेशानी जैसे अस्थमा, राइनाइटिस, सर्दी, जुकाम आदि को दूर करने में भी भारंगी बेहद उपयोगी है।भारंगी के नुकसानबता दें कि किसी भी चीज की अति सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है ऐसा ही भारंगी के साथ भी है। अगर इसका सेवन सीमित मात्रा से बाहर किया जाए तो यह शरीर में कई प्रकार की एलर्जी को पैदा कर सकती है। हालांकि अभी तक इस तरह के कोई मामले सामने नहीं आए हैं। फिर भी इसके सेवन करने से पहले एक बार एक्सपर्ट से इसकी सीमित मात्रा का ज्ञान लेना जरूरी होता है।