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नई दिल्ली। भारत का सेमीकंडक्टर बाजार तेज गति से आगे बढ़ रहा है। केंद्र सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के चलते इस क्षेत्र में बड़े निवेश हो रहे हैं। 2024-25 में इस बाजार का कुल मूल्य 52 अरब डॉलर है। 2030 तक सेमीकंडक्टर बाजार 13% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़कर 103.4 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
भारत में सेमीकंडक्टर की सबसे अधिक मांग मोबाइल फोन, आईटी और इंडस्ट्रियल एप्लिकेशंस में है जो इस उद्योग के कुल राजस्व का 70% योगदान देते हैं। इसके अलावा, ऑटोमोबाइल और इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर भी तेजी से उभर रहे हैं।केंद्र सरकार सेमीकंडक्टर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए FABs और OSATs के लिए विशेष प्रोत्साहन, R&D (अनुसंधान और विकास) में निवेश, और उद्योग के साथ मिलकर काम करने जैसी पहल कर रही है। इंडियन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (IESA) के मुताबिक पिछले एक साल में सदस्य कंपनियों ने 21 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है जिससे इस क्षेत्र को और मजबूती मिलेगी।भारत अभी भी सेमीकंडक्टर्स के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर है, लेकिन ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत इस निर्भरता को कम करने की कोशिश की जा रही है। यदि भारत खुद सेमीकंडक्टर निर्माण में आत्मनिर्भर बनता है, तो इससे न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में भी एक मजबूत स्थान हासिल होगा।सरकार ने इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत पांच प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जो देश में सेमीकंडक्टर निर्माण की नींव मजबूत करेंगी। इनमें Micron,Tata Electronics (दो प्रोजेक्ट), CG Power, और Keynes के प्रोजेक्ट शामिल हैं। इन प्रयासों के चलते भारत अब सेमीकंडक्टर उत्पादन के क्षेत्र में एक बड़ा हब बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। -
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार, 7 फरवरी को रीपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है। अब रीपो रेट 6.5% से घटकर 6.25% हो गया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है। मल्होत्रा ने कहा कि मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने यह निर्णय इसलिए लिया क्योंकि महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई है और आगे भी इसके और घटने की संभावना है।
आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) ने चालू वित्त वर्ष की आखिरी मॉनेटरी पॉलिसी में कई बड़े फैसले लिए। एमपीसी की मुख्य बातें इस प्रकार हैं;पांच साल बाद रीपो रेट में कटौतीआरबीआई ने रीपो रेट (शार्ट टर्म लेंडिंग रेट) को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया। केंद्रीय बैंक ने लगभग पांच साल बाद रेपो दर में कटौती की है। इससे पहले मई, 2020 में कोविड-19 महामारी के समय रेपो दर को 0.40 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत किया गया था। फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के जोखिमों से निपटने के लिए आरबीआई ने मई, 2022 में दरों में बढ़ोतरी करनी शुरू की थी और यह सिलसिला फरवरी, 2023 में जाकर रुका था। ।मॉनेटरी पॉलिसी रुख ‘न्यूट्रल’ पर बरकरारभारतीय रिजर्व बैंक ने ‘न्यूट्रल’ मॉनेटरी पॉलिसी रुख को बरकरार रखा है। न्यूट्रल रुख का मतलब है कि भविष्य में रीपो रेट में किसी तरह की घटबढ़ के लिए पहले से कोई प्रतिबद्धता नहीं होगी। इससे बढ़ते महंगाई के दबाव, वैश्विक फाइनेंशियल बाजारों की अस्थिरता और भू-राजनीतिक जोखिमों से निपटने में लचीलापन मिलता है।FY2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 6.7% रहने का अनुमानभारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) के 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी ग्रोथ रेट के 6.4 फीसदी पर रहने के अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में 8.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि के बाद चली वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में नरम विस्तार हो सकता है। केंद्रीय बैंक के अनुसार, आगे चलकर आने वाले साल में आर्थिक गतिविधियों में और सुधार की संभावना है।आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने चालू वित्त वर्ष के लिए आखिरी और अपनी पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि रबी फसल की अच्छी संभावनाओं तथा औद्योगिक गतिविधियों में अपेक्षित सुधार से 2025-26 में आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा।2025-26 में रिटेल महंगाई घटकर 4.2 प्रतिशत पर आने का अनुमानभारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी की उम्मीद के बीच अगले वित्त वर्ष (2025-26) में खुदरा महंगाई दर 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। वहीं चालू वित्त वर्ष में इसके 4.8 प्रतिशत के अनुमान को बरकरार रखा।आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने चालू वित्त वर्ष की अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा कि आपूर्ति के मार्चे पर किसी झटके की आशंका नहीं है। इसके साथ, खरीफ फसलों का उत्पादन बेहतर रहने, जाड़े में सब्जियों के दाम में नरमी तथा रबी फसलों को लेकर अनुकूल संभावनाओं को देखते हुए खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी आनी चाहिए।बैंकिंग फ्रॉड रोकने के लिए RBI का बड़ा एक्शनआरबीआई ने शुक्रवार को एमपीसी बैठक के बाद कहा कि साइबर धोखाधड़ी से लोगों को बचाने के लिए बैंकों और नॉन-बैंकिंग कंपनियों को एक स्पेशल ‘डोमेन नेम’ दिया जाएगा। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बैठक के बाद कहा कि डिजिटल धोखाधड़ी में वृद्धि चिंता का विषय है। इसके लिए सभी को जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ”साइबर धोखाधड़ी रोकने के लिए बैंकों का एक स्पेशल डोमेन ‘एफआईएन.इन’ दिया जाएगा। इसका रजिस्ट्रेशन अप्रैल में शुरू होगा। गवर्नर ने कहा, ”साइबर धोखाधड़ी रोकने के लिए बैंकों को स्पेशल डोमेन नाम ‘bank.in‘ और नॉन-बैंकिंग कंपनियों को ‘fin.in‘ नाम से डोमेन नेम दिया जाएगा।” उन्होंने कहा कि इस बैंकिंग फ्रॉड पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति बढ़ने का अनुमानआरबीआई गवर्नर कहा कि मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति बढ़ने का अनुमान है, लेकिन यह मध्यम स्तर पर रहेगी। मल्होत्रा ने कहा कि दूसरी तरफ ऊर्जा के दाम में अस्थिरता और प्रतिकूल मौसम की घटनाओं के साथ वैश्विक वित्तीय बाजारों में जारी अनिश्चितता को देखते हुए मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम बना हुआ है। उन्होंने कहा कि इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष में 4.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।EMI में आएगी कमीरीपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर कमर्शियल बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इस दर का उपयोग करता है। रेपो दर में कमी करने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (EMI) में कमी आने की उम्मीद है।वैश्विक आर्थिक आउटलुक चुनौतीपूर्णआरबीआई ने वैश्विक आर्थिक आउटलुक को चुनौतीपूर्ण बताया है। जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कहा कि यह मजबूत व जुझारू बनी हुई है।फिस्कल डेफिसिट टिकाऊ स्तर के भीतर बने रहने की उम्मीदइसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू खाते के घाटे (फिस्कल डेफिसिट) के टिकाऊ स्तर के भीतर बने रहने की उम्मीद जताई है। वहीं, 31 जनवरी तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 630.6 अरब अमेरिकी डॉलर था।रुपये के लिए कोई टारगेटआरबीआई गवर्नर ने डॉलर के मुकाबले रुपये में जारी गिरावट पर भी अपनी बात रखी। मल्होत्रा ने कहा कि विनिमय दर नीति पिछले कई वर्षों से एक समान रही है और केंद्रीय बैंक ने रुपये के लिए किसी ‘‘विशिष्ट स्तर या दायरे’’ का लक्ष्य नहीं बनाया है। -
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को ऐलान किया कि डिजिटल पेमेंट्स फ्रॉड को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक ‘बैंकडॉटइन’ और ‘फिनडॉटइन’ डोमेन शुरू करेगा। इसमें से ‘बैंकडॉटइन’ भारतीय बैंकों के लिए एक एक्सक्लूसिव इंटरनेट डोमेन होगा, जबकि ‘फिनडॉटइन’ वित्तीय क्षेत्र की गैर-बैंकिंग कंपनियों के लिए होगा।
पहल से सुरक्षित वित्तीय सेवाओं के लिए माहौल होगा तैयारइस पहल का उद्देश्य साइबर सुरक्षा खतरों और फिशिंग जैसी गतिविधियों को कम करना है और सुरक्षित वित्तीय सेवाओं के लिए माहौल तैयार करना है, जिससे डिजिटल बैंकिंग और भुगतान सेवाओं में लोगों का विश्वास बढ़े और बिना किसी चिंता के आसानी से डिजिटल लेनदेन कर सकें।बैंकों के लिए विस्तृत दिशा निर्देश अलग से किए जाएंगे जारीआरबीआई गवर्नर ने कहा कि इसके लिए इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी (आईडीआरबीटी) विशेष रजिस्ट्रार के रूप में कार्य करेगा। वास्तविक पंजीकरण अप्रैल 2025 में शुरू होगा। बैंकों के लिए विस्तृत दिशा निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त वित्तीय क्षेत्र में अन्य गैर-बैंकिंग कंपनियों के लिए एक विशेष डोमेन ‘फिनडॉटइन’ रखने की योजना बनाई गई है।आरबीआई ने सुरक्षा की एक और परत सुनिश्चित करने के लिए क्रॉस बॉर्डर कार्ड नॉट प्रेजेंट लेनदेन में एडिशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन को भी अनिवार्य किया है जैसा कि घरेलू डिजिटल भुगतान करते समय होता है।डिजिटल भुगतान के लिए एडिशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन (एएफए) की शुरुआत ने लेनदेन की सुरक्षा को बढ़ाया है, जिससे ग्राहकों को डिजिटल भुगतान में विश्वास हुआ है। हालांकि, यह आवश्यकता केवल घरेलू लेनदेन के लिए अनिवार्य है।दिशानिर्देशों का उद्देश्य डिजिटल भुगतान की सुरक्षा बढ़ाना हैआरबीआई के अल्टरनेटिव ऑथेंटिकेशन मैकेनिज्म (एएफए) दिशानिर्देशों के अनुसार अधिकांश डिजिटल भुगतानों के लिए ऑथेंटिकेशन की एक अतिरिक्त परत की आवश्यकता होती है। दिशानिर्देशों का उद्देश्य डिजिटल भुगतान की सुरक्षा बढ़ाना है। लेन-देन के लिए उचित एएफए निर्धारित करने के लिए जारीकर्ता जोखिम-आधारित दृष्टिकोण का उपयोग कर सकते हैं। इस दृष्टिकोण में लेनदेन के मूल्य, उत्पत्ति चैनल और ग्राहक और लाभार्थी के जोखिम प्रोफाइल आदि शामिल हैं। - मुंबई । एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने नवी मुंबई और नोएडा (जेवर) अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों के लिए नया एयरस्पेस डिजाइन और उड़ान मार्ग तैयार कर लिया है। इससे विमानों की उड़ानें अधिक तेज, सुरक्षित और ईंधन-किफायती होंगी। यह दोनों एयरपोर्ट्स देश के सबसे व्यस्त हवाई मार्गों के पास बन रहे हैं इसलिए बेहतर एयरस्पेस डिजाइन से भीड़भाड़ कम होगी और संचालन सुचारु रूप से जारी रहेगा।AAI ने ऐसा एयरस्पेस डिजाइन तैयार किया है जिससे विमानों की उड़ान का समय कम होगा और ईंधन की बचत होगी। इस प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने के लिए AAI ने बोइंग इंडिया के साथ मिलकर काम किया है। बोइंग ने सिमुलेशन और टकराव विश्लेषण (Conflict Analysis) के जरिए यह सुनिश्चित किया कि सभी उड़ान मार्ग सुरक्षित और प्रभावी हों। AAI ने बोइंग के “टोटल एयरस्पेस एंड एयरपोर्ट मॉडलर (TAAM)” का उपयोग करके उड़ान भरने (SID) और लैंडिंग (STAR) की नई प्रक्रियाएं तैयार की हैं। इनसे विमानों की आवाजाही आसान होगी और उड़ानों में देरी न के बराबर होगी।AAI के चेयरमैन विपिन कुमार ने कहा, “यह नई प्रणाली नवी मुंबई और नोएडा एयरपोर्ट को दिल्ली IGI और मुंबई CSMIA जैसे बड़े हवाई अड्डों के साथ जोड़ने में मदद करेगी। इससे ईंधन बचेगा, उड़ान मार्ग छोटे होंगे और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स का काम भी आसान होगा।यह “मेट्रोप्लेक्स” हवाई प्रणाली की ओर बढ़ने का पहला कदम है जिससे एक साथ कई बड़े एयरपोर्ट्स को कुशल तरीके से संचालित किया जा सकेगा। इस नई प्रणाली का एक घरेलू एयरलाइन ऑपरेटर द्वारा सफल परीक्षण किया गया इसके बाद डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) इंडिया ने इसे मंजूरी दे दी है। जल्द ही इसे पूरी तरह लागू किया जाएगा।
- नयी दिल्ली. ऑनलाइन ऑर्डर लेकर खानपान और किराने का सामना पहुंचाने वाली कंपनी जोमैटो ने अपना नाम बदलकर इटर्नल कर लिया है। कंपनी के निदेशक मंडल (बोर्ड) ने बृहस्पतिवार को इसे मंजूरी दी। शेयर बाजार को दी जानकारी के मुताबिक इसके लिए कंपनी के शेयरधारकों, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय और अन्य वैधानिक प्राधिकरणों की मंजूरी ली जानी है। हालांकि, कंपनी के खाद्य वितरण व्यवसाय का ब्रांड नाम और ऐप का नाम 'जोमैटो' ही रहेगा।जोमैटो के संस्थापक और सीईओ दीपिंदर गोयल ने शेयरधारकों को लिखे एक पत्र में कहा, ''हमारे बोर्ड ने आज इस बदलाव को मंजूरी दी है और मैं अपने शेयरधारकों से भी इस बदलाव का समर्थन करने का अनुरोध करता हूं। अगर इसे मंजूरी मिल जाती है, तो हमारी कॉरपोरेट वेबसाइट का पता 'जोमैटो डॉट कॉम' से बदलकर 'इटर्नल डॉट कॉम' हो जाएगा।'' उन्होंने बताया कि इटर्नल में अभी चार प्रमुख व्यवसाय शामिल होंगे - जोमैटो, ब्लिंकिट, डिस्ट्रिक्ट और हाइपरप्योर। उन्होंने कहा, ''जब हमने ब्लिंकिट का अधिग्रहण किया, तो हमने कंपनी और ब्रांड/ऐप के बीच अंतर करने के लिए आपस में जोमैटो की जगह इटर्नल का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। हमने यह भी सोचा कि जिस दिन जोमैटो के अलावा कुछ भी हमारे भविष्य का एक महत्वपूर्ण चालक बन जाएगा, हम सार्वजनिक रूप से कंपनी का नाम बदलकर इटर्नल कर देंगे।'' गोयल ने कहा, ''आज, ब्लिंकिट के साथ मुझे लगता है कि हम वहां पहुंच गए हैं। हम कंपनी का नाम (ब्रांड/ऐप नहीं) जोमैटो लिमिटेड से बदलकर इटर्नल लिमिटेड करना चाहेंगे।''
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मुंबई. आलू, दाल और चिकन की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण जनवरी में घर का बना खाना एक साल पहले की तुलना में महंगा हो गया। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक इकाई की बृहस्पतिवार को जारी मासिक रोटी, चावल दर रिपोर्ट के मुताबिक, शाकाहारी थाली की तुलना में पिछले महीने मांसाहारी थाली की कीमतों में अधिक उछाल आया है। चिकन की कीमतें बढ़ने से ऐसा हुआ है। रिपोर्ट कहती है कि आलू की कीमत में 35 प्रतिशत, दालों में सात प्रतिशत और वनस्पति तेलों में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी के कारण शाकाहारी भोजन की कीमत बढ़कर 28.7 रुपये प्रति थाली हो गई। एक साल पहले की अवधि में इसकी कीमत 28 रुपये प्रति थाली थी। हालांकि सालाना आधार पर ईंधन की लागत में 11 प्रतिशत की कमी आने से इस महंगाई को कुछ हद तक सीमित रखने में कामयाबी मिली। क्रिसिल ने कहा कि शाकाहारी थाली की कीमत सालाना आधार पर भले ही बढ़ी है लेकिन एक महीना पहले की तुलना में इसके दाम घटे हैं। दिसंबर, 2024 में शाकाहारी थाली का दाम 31.6 रुपये प्रति थाली था। लेकिन जनवरी में मासिक आधार पर टमाटर की कीमतों में 34 प्रतिशत, आलू में 16 प्रतिशत और प्याज की कीमतों में 21 प्रतिशत की गिरावट के कारण शाकाहारी थाली की लागत घट गई। जहां तक मांसाहारी थाली का सवाल है तो जनवरी, 2025 में इसकी लागत एक साल पहले के 52 रुपये से बढ़कर 60.6 रुपये हो गई। यह बढ़ोतरी ब्रॉयलर मुर्गे के दाम 33 प्रतिशत बढ़ने के मुकाबले कम ही है। दरअसल मांसाहारी थाली में 50 प्रतिशत योगदान ब्रॉयलर मुर्गे का होता है। एजेंसी ने कहा कि टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों में गिरावट के कारण मांसाहारी थाली की कीमत दिसंबर के 63.3 रुपये के मुकाबले घट गई। लेकिन ब्रॉयलर की कीमतों में एक प्रतिशत की वृद्धि होने से यह गिरावट सीमित रही।
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) आज प्रमुख ब्याज दरों पर अपना फैसला सुनाएगी। यह बैठक नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में हो रही है और उनके कार्यकाल की यह पहली मौद्रिक समीक्षा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि देश की आर्थिक विकास दर चार साल के निचले स्तर पर पहुंचने की आशंका को देखते हुए आर्थिक वृद्धि (economic growth) को गति देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है।संजय मल्होत्रा ने दिसंबर के मध्य में गवर्नर का पद संभाला था। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति में बड़े बदलाव के चलते विश्लेषकों का मानना है कि पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास की सख्त नीतियों में बदलाव देखने को मिल सकता है। तीन दिवसीय यह बैठक 5 फरवरी को शुरू हुई थी और आज (7 फरवरी) को समाप्त होगी। गवर्नर संजय मल्होत्रा बैठक के फैसले की घोषणा करेंगे और इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए मीडिया को जानकारी देंगे। - कोलकाता। विविध कारोबारों में सक्रिय कंपनी आईटीसी लिमिटेड ने फ्रोजन, चिल्ड और ‘रेडी-टू-कुक' क्षेत्र के अग्रणी ब्रांड प्रसूमा में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए पक्के समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। आईटीसी इस अधिग्रहण के जरिये 10,000 करोड़ रुपये के कारोबार वाले फ्रोजन फूड क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ाना चाहती है। कंपनी ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अप्रैल, 2027 तक प्रसूमा में 62.5 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने के लिए करीब 187 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। बाकी 37.5 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण मूल्य का आकलन बाद में किया जाएगा। प्रसूमा के अधिग्रहण को तीन वर्षों के भीतर कई किस्तों में पूरा किया जाएगा।आईटीसी पहले चरण में प्रसूमा ब्रांड का स्वामित्व रखने वाली कंपनी एम्पल फूड्स प्राइवेट लिमिटेड (एएफपीएल) में 43.8 प्रतिशत हिस्सेदारी लेगी। इस पर 131 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश किया जाएगा, जिसके मार्च 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। 'मीटिगो' ब्रांड के तहत अपने प्रीमियम फ्रोजन मोमोज, बाओस, कोरियन फ्राइड चिकन और डेलिकेटेसन मीट के लिए मशहूर प्रसूमा की 100 से ज्यादा शहरों में ऑनलाइन और ऑफलाइन खुदरा बिक्री मंचों पर मजबूत मौजूदगी है। आईटीसी के पूर्णकालिक निदेशक हेमंत मलिक ने कहा, "हम प्रसूमा का समर्थन करके और संयुक्त रूप से एक बेजोड़, फ्रोजन, चिल्ड और रेडी-टू-कुक फ़ूड पोर्टफोलियो बनाकर खुश हैं। यह निवेश उच्च-वृद्धि वाले उपभोक्ता क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की हमारी रणनीति के अनुरूप है।" प्रसूमा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी लीसा सुवाल ने कहा कि आईटीसी की वितरण और ब्रांड-निर्माण विशेषज्ञता ब्रांड के विकास को गति देने में मदद करेगी।
- नयी दिल्ली। टायर विनिर्माता कंपनी अपोलो टायर लि. का चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में एकीकृत शुद्ध लाभ 32 प्रतिशत घटकर 337 करोड़ रुपये रहा। अपोलो टायर ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि कंपनी को पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 497 करोड़ रुपये का एकीकृत शुद्ध लाभ हुआ था। कंपनी की चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में एकीकृत परिचालन आय 6,927.95 करोड़ रुपये रही, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 6,595.37 करोड़ रुपये थी। कंपनी ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान कंपनी का कुल खर्च बढ़कर 6,467.4 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 5,877.93 करोड़ रुपये था।
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नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने गुरुवार को वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही के नतीजों का ऐलान किया है। देश के सबसे बड़े बैंक का मुनाफा अक्टूबर-दिसंबर अवधि में सालाना आधार पर 84 प्रतिशत बढ़कर 16,891 करोड़ रुपये हो गया है। बैंक ने पिछले साल समान अवधि में 9,164 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था।
बैंक का कर्मचारियों पर खर्च 17 प्रतिशत गिरकर 16,074 करोड़ रुपये हो गया हैदिसंबर तिमाही में बैंक की शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) सालाना आधार पर 4 प्रतिशत बढ़कर 41,445.5 करोड़ रुपये हो गई है, जो कि पिछले साल समान अवधि में 39,816 करोड़ रुपये थी। बैंक का कर्मचारियों पर खर्च 17 प्रतिशत गिरकर 16,074 करोड़ रुपये हो गया है। एसबीआई के घरेलू लोन में सालाना आधार पर 14.06 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रोविजन पिछले साल के मुकाबले 32.4 प्रतिशत बढ़कर 911.06 करोड़ रुपये हो गया है।बैंक के शुद्ध एनपीए में कोई बदलाव नहींवित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही में एसबीआई का ग्रॉस एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) कम होकर 2.07 प्रतिशत हो गया है, जो कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 2.13 प्रतिशत था। हालांकि, इस दौरान बैंक के शुद्ध एनपीए में कोई बदलाव नहीं आया है और यह 0.53 प्रतिशत पर बना हुआ है।एसबीआई का क्रेडिट ग्रोथ सालाना आधार पर 13.49 प्रतिशत रही हैइसके अलावा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में बैंक का ऑपरेटिंग मुनाफा सालाना आधार पर 15.81 प्रतिशत बढ़कर 23,551 करोड़ रुपये हो गया है। एसबीआई का क्रेडिट ग्रोथ सालाना आधार पर 13.49 प्रतिशत रही है। बैंक के ग्रोड एडवांस 40 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है।एसबीआई ने फाइलिंग में बताया कि पूरे बैंक की जमा सालाना आधार पर 9.81 प्रतिशत बढ़ी है। करंट अकाउंट सेविंग अकाउंट (सीएएसए) जमा सालाना आधार पर 4.46 प्रतिशत बढ़ी है। दिसंबर तिमाही के आखिर में बैंक का कासा रेश्यो 39.20 प्रतिशत रहा है।विदेशी कार्यालयों के एडवांस में 10.35 प्रतिशत की वृद्धिबैंक के मुताबिक, विदेशी कार्यालयों के एडवांस में 10.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं, एसएमई एडवांस में 18.71 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इसके बाद कृषि एडवांस में 15.31 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि कॉर्पोरेट एडवांस और खुदरा व्यक्तिगत एडवांस में क्रमशः 14.86 प्रतिशत और 11.65 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। नतीजों के बाद एसबीआई का शेयर 1.74 प्रतिशत गिरकर 752.70 रुपये पर कारोबार कर रहा था। - नयी दिल्ली। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी दर को तर्कसंगत बनाने के लिए गठित मंत्री समूह अपने काम में जुटा है और इस पर रिपोर्ट अंतिम चरण में है। इसे जल्द ही जीएसटी (माल एवं सेवा कर) परिषद के समक्ष रखे जाने की उम्मीद है। प्रत्यक्ष कर मोर्चे पर आयकर दरों में छूट के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि उपभोक्ता मांग को और गति देने के लिए जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाया जा सकता है। अग्रवाल ने कहा, ‘‘ मंत्री समूह विभिन्न वस्तुओं पर जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए काम कर रहा है। रिपोर्ट अंतिम चरण में है और इसे जल्द ही जीएसटी परिषद के समक्ष रखे जाने की उम्मीद है।'' माल एवं सेवा कर (जीएसटी) वर्तमान में चार-स्तरीय कर संरचना है, जिसमें पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत के चार ‘स्लैब' हैं। विलासिता एवं समाज के नजरिये से नुकसानदेह वस्तुओं पर सबसे अधिक 28 प्रतिशत कर लगाया जाता है। दूसरी ओर पैकिंग वाले खाद्य पदार्थों और जरूरी वस्तुओं पर सबसे कम पांच प्रतिशत कर लगता है। रिपोर्ट आने में देरी के सवाल पर अग्रवाल ने कहा, ‘‘ जीएसटी में दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए लगभग तीन वर्ष पहले मंत्री समूह का गठन किया गया था। बाद में उसका दायरा बढ़ाया गया, नियम शर्तों में बदलाव हुए। सदस्यों में बदलाव आया। इससे रिपोर्ट आने में देरी हुई है, लेकिन अब यह अंतिम चरण में है।'' '' अमेरिका के कुछ देशों के खिलाफ शुल्क दर में अच्छी-खासी वृद्धि के जरिये एक तरह से व्यापार युद्ध शुरू करने पर अग्रवाल ने कहा कि अमेरिका से आयातित उत्पादों पर शुल्क दरें पहले से ही कम हैं लिहाजा भारत से निर्यात होने वाले सामान पर अमेरिका में अधिक शुल्क लगाने का कोई मतलब नहीं दिखता। उन्होंने कहा, ‘‘ अमेरिका से जो आयात होते हैं, उनमें से अगर शीर्ष 30 उत्पादों को लें, तो उन पर शुल्क कोई ज्यादा नहीं है। उदाहरण के लिए, सबसे ज्यादा आयात होने वाला कच्चा तेल है, उस पर सीमा शुल्क मात्र एक रुपया प्रति टन है। इसी तरह एलएनजी पर पांच प्रतिशत, कोयला पर 2.5 प्रतिशत, हवाई जहाज पर तीन प्रतिशत, कच्चे हीरे पर शून्य प्रतिशत एवं तराशे गए हीरों पर पांच प्रतिशत शुल्क है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ जब हमने बहुत ज्यादा शुल्क नहीं लगाया तो मेरे हिसाब से ऐसे में कोई मामला नहीं बनता है कि भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाया जाएगा। हालांकि यह तो भविष्य ही बताएगा कि इस मामले में क्या होता है।''
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नयी दिल्ली। ओला इलेक्ट्रिक रोडस्टर एक्स श्रृंखला के साथ इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल खंड में उतर गई है। कंपनी ने बुधवार को स्केलेबल मोटरसाइकिल मंच पर निर्मित रोडस्टर एक्स श्रृंखला के 2.5 केडबल्यूए, 3.5 केडबल्यूएच और 4.5 केडबल्यूएच संस्करण पेश किए। इनकी कीमत क्रमशः 74,999 रुपये, 84,999 रुपये और 94,999 रुपये है। ओला इलेक्ट्रिक के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक भविष अग्रवाल ने कहा, ‘‘मोटरसाइकिल भारत के परिवहन परिदृश्य के केंद्र में है। अपनी इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल के साथ हम भारतीय परिवहन के मूल में ईवी क्रांति को और गहराई तक ले जा रहे हैं।'' कंपनी ने कहा कि रोडस्टर श्रृंखला तीन साल/50,000 किलोमीटर की मानक वारंटी के साथ आती है। रोडस्टर श्रृंखला के लिए डिलिवरी मार्च के मध्य से शुरू होगी।
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नई दिल्ली। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) द्वारा शुरू की गई वित्तीय सहायता योजनाओं की श्रृंखला के कारण भारत के फल और सब्जी निर्यात में पिछले पांच वर्षों में 47.3 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि देखी गई है। एपीडा ने बुनियादी ढांचे, गुणवत्ता और बाजार विकास के लिए नई योजनाओं के साथ निर्यातक विकास को मजबूत किया है। यही नहीं भारत का फल और सब्जी निर्यात 123 देशों तक पहुंच गया है, 3 वर्षों में 17 नए बाजार जुड़े हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार 2019-20 से 2023-24 तक ताजे फलों और सब्जियों का निर्यात मूल्य भी 41.5% बढ़कर 2023-24 में 1.81 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया।वाणिज्य विभाग के अधीन कार्यरत एपीडा, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात संवर्धन योजना के माध्यम से निर्यातकों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। यह समर्थन तीन व्यापक क्षेत्रों में विभाजित है, जैसे- बुनियादी ढांचे का विकास, गुणवत्ता सुधार और बाजार संवर्धन।इंफ़्रास्ट्रक्चर विकास के लिए योजना – पैकिंग और ग्रेडिंग लाइनों के साथ पैकहाउस सुविधाएं स्थापित करने, शीत भंडारण और प्रशीतित परिवहन आदि के साथ प्री-कूलिंग यूनिट, केले जैसी फसलों की हैंडलिंग के लिए केबल प्रणाली, विकिरण, वाष्प ताप उपचार, गर्म पानी डिप उपचार जैसी शिपमेंट पूर्व उपचार सुविधाएं और सामान्य इंफ़्रास्ट्रक्चर सुविधाएं, रीफर वैन और व्यक्तिगत निर्यातकों के मौजूदा अवसंरचना में अंतर को दूर करने के लिए वित्तीय सहायता जैसी योजना निर्यातकों की मदद करती है।गुणवत्ता विकास योजना – प्रयोगशाला परीक्षण उपकरणों की खरीद, गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली की स्थापना, पता लगाने के लिए खेत स्तर के निर्देशांक प्राप्त करने के लिए हस्तचालित उपकरणों और जल, मिट्टी, अवशेषों और कीटनाशकों आदि के परीक्षण के लिए वित्तीय सहायता।बाजार संवर्धन योजना – इस सहायता में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में निर्यातकों की भागीदारी, क्रेता-विक्रेता बैठकें आयोजित करना, नए उत्पादों के लिए पैकेजिंग मानक विकसित करना तथा मौजूदा पैकेजिंग मानकों को उन्नत करना शामिल है।इन योजनाओं के अतिरिक्त, एपीडा ने भारतीय उपज के लिए नए बाजार तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम किया है।गौरतलब हो वित्त वर्ष 2023-24 में भारत के ताजे फलों और सब्जियों का निर्यात 123 देशों तक पहुंच गया। पिछले 3 वर्षों में, भारतीय ताजा उपज ने 17 नए बाजारों में प्रवेश किया, जिनमें से कुछ ब्राजील, जॉर्जिया, युगांडा, पापुआ न्यू गिनी, चेक गणराज्य, युगांडा, घाना आदि हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में भागीदारी, बाजार पहुंच वार्ताओं को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाना, क्रेता-विक्रेता बैठकें आदि आयोजित करके इन लक्ष्यों को हासिल किया गया हैं।वहीं, पिछले तीन वर्षों में भारत ने सर्बिया में आलू और प्याज, कनाडा में बेबी कॉर्न और ताजे केले तथा ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में अनार के बीजों सहित कई वस्तुओं के लिए बाजार तक पहुंच प्राप्त की है। हालांकि, देश को अभी भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन बाधाओं को दूर करने के लिए, एपीडा और कृषि मंत्रालय बेहतर बाजार पहुंच के लिए बातचीत करने, रसद खर्च को कम करने के लिए समुद्री प्रोटोकॉल स्थापित करने और निर्यातकों के लिए पंजीकरण प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। -
नई दिल्ली। देश के प्रीमियम स्मार्टफोन सेगमेंट में साल 2024 में भी दोहरे अंकों की मजबूत वृद्धि दर बरकरार रही। मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कैलेंडर वर्ष की चौथी तिमाही में पहली बार एप्पल शीर्ष पांच स्मार्टफोन ब्रांड में जगह बनाने में कामयाब रहा। 2014 में केवल 2 इकाइयों से बढ़कर आज देश भर में 300 से अधिक इकाइयां चालू हैं, केंद्रीय रेल और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
99.2 प्रतिशत मोबाइल फोन अब भारत में बन रहेभारत में बिकने वाले लगभग 99.2 प्रतिशत मोबाइल फोन अब स्थानीय स्तर पर बनाए जाते हैं क्योंकि विनिर्माण मूल्य बढ़कर 4,22,000 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि 2024 में निर्यात 1,29,000 करोड़ रुपये को पार कर जाएगा। 2014-15 में देश में बिकने वाले केवल 26 प्रतिशत मोबाइल फोन भारत में बनाए जाते थे और बाकी आयात किए जाते थे।मोबाइल फोन के निर्यात में काफी वृद्धिकेंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में हर साल 325 से 330 मिलियन से ज्यादा मोबाइल फोन बनाए जा रहे हैं और औसतन भारत में लगभग एक बिलियन मोबाइल फोन इस्तेमाल किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “भारतीय मोबाइल फोन ने घरेलू बाजार को लगभग संतृप्त कर दिया है और मोबाइल फोन के निर्यात में काफी वृद्धि हुई है। 2014 में जो निर्यात लगभग न के बराबर था, वह अब 1,29,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है।”वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की ओर भारतउन्होंने कहा कि पीएम मोदी का ‘मेक इन इंडिया’ विजन भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने में मदद कर रहा है। इस क्षेत्र का विस्तार एक प्रमुख रोजगार चालक भी रहा है, जिसने एक दशक में लगभग 12 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा की हैं। मंत्री के अनुसार, इन रोजगार अवसरों ने न केवल कई परिवारों की आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाया है, बल्कि देश के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने में भी योगदान दिया है।‘मेक इन इंडिया’ पहल की अहम भूमिकाइन मील के पत्थरों को हासिल करने में ‘मेक इन इंडिया’ पहल की अहम भूमिका रही है। इसने चार्जर, बैटरी पैक, सभी प्रकार के मैकेनिक्स, यूएसबी केबल्स, और लिथियम आयन सेल, स्पीकर और माइक्रोफोन, डिस्प्ले असेंबली और कैमरा मॉड्यूल जैसे अधिक जटिल घटकों जैसे महत्वपूर्ण घटकों और उप-असेंबली के घरेलू उत्पादन को सक्षम किया है। केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने दोहराया, “आगे देखते हुए, मूल्य श्रृंखला में गहराई से आगे बढ़ने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, विशेष रूप से घटकों और अर्धचालकों के उत्पादन में। यह बदलाव आत्मनिर्भरता बढ़ाने और भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में अग्रणी प्लेयर के रूप में स्थापित करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।” देश में सेमीकंडक्टर विनिर्माण आधार की स्थापना ‘मेक इन इंडिया’ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है, जिसे भारत छह दशकों से हासिल करने का प्रयास कर रहा है। भारत सेमीकंडक्टर मिशन के शुभारंभ और माइक्रोन से शुरू होने वाली पांच प्रमुख परियोजनाओं, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स की दो परियोजनाओं, सीजी पावर की एक परियोजना और कीन्स की अंतिम परियोजना के साथ, इस देश में सेमीकंडक्टर का वास्तविक विनिर्माण आधार भारत में स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “खिलौनों से लेकर मोबाइल फोन, रक्षा उपकरणों से लेकर ईवी मोटर्स तक, उत्पादन भारत में वापस आ रहा है।”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी -
नई दिल्ली। चीनी स्मार्टफोन कंपनी Vivo भारत में अपनी V50 सीरीज लॉन्च करने के लिए तैयार है। कंपनी ने X (पहले Twitter) पर एक पोस्ट के जरिए पुष्टि की कि Vivo V50 जल्द आ रहा है और इसका मुख्य फोकस कैमरा और फोटोग्राफी होगा। हालांकि, इस पोस्ट में Pro वेरिएंट का जिक्र नहीं किया गया, जिससे यह संकेत मिलता है कि इसे अलग समय पर लॉन्च किया जा सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, Vivo V50 स्मार्टफोन फरवरी के तीसरे हफ्ते में लॉन्च हो सकता है।
Vivo V50: क्या हो सकता है खास?हालांकि, कंपनी ने आगामी Vivo V50 स्मार्टफोन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी है, लेकिन कंपनी ने अपने पोस्ट में इसकी फोटोग्राफी क्षमताओं को खास तौर पर हाइलाइट किया गया है। इससे संकेत मिलता है कि यह अपने पहले के मॉडल्स की तरह कैमरा-केंद्रित (camera-centric) स्मार्टफोन हो सकता है।इस पोस्ट में “ZEISSPortraitSoPro” हैशटैग का इस्तेमाल किया गया है, जिससे पता चलता है कि Vivo V50 का कैमरा सिस्टम जर्मन ऑप्टिक्स ब्रांड Zeiss के साथ मिलकर विकसित किया गया है।91Mobiles की एक रिपोर्ट के अनुसार, Vivo V50 का डिज़ाइन Vivo S20 स्मार्टफोन पर आधारित हो सकता है, जिसे पिछले साल चीन में लॉन्च किया गया था।Vivo V50 स्मार्टफोन में Qualcomm Snapdragon 7 Gen 3 चिपसेट दिया जा सकता है और इसमें 6000mAh की बैटरी हो सकती है। इसके अलावा, इसमें 6.7-इंच का क्वाड-कर्व्ड डिस्प्ले दिया जा सकता है, जिसमें 120Hz रिफ्रेश रेट होगा।कैमरा कॉन्फ़िगरेशन की बात करें तो, Vivo V50 का कैमरा सेटअप इसकी चीनी वेरिएंट (Vivo S20) से थोड़ा अलग हो सकता है। Vivo S20 में 50MP + 8MP का रियर कैमरा सेटअप था, जबकि Vivo V50 में 50MP + 50MP का डुअल कैमरा सेटअप दिया जा सकता है।Vivo V50: ये मिल सकते हैं स्पेसिफिकेशनडिस्प्ले: 6.7-इंच क्वाड-कर्व्ड AMOLED, 120Hz रिफ्रेश रेटप्रोसेसर: Qualcomm Snapdragon 7 Gen 3RAM: 12GB तकस्टोरेज: 512GB तकरियर कैमरा: 50MP प्राइमरी + 50MP अल्ट्रा-वाइडफ्रंट कैमरा: 50MPबैटरी: 6000mAhचार्जिंग: 90W वायर्ड चार्जिंगऑपरेटिंग सिस्टम: Android 15-आधारित FunTouchOS 15प्रोटेक्शन: IP68 + IP69 - नयी दिल्ली. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने रविवार को कहा कि 12 लाख रुपये तक की आय पर कर नहीं लगाने और सभी कर स्लैब में बदलाव की बजट घोषणा के बाद 90 प्रतिशत से अधिक व्यक्तिगत करदाता नई कर व्यवस्था को अपना सकते हैं। फिलहाल यह आंकड़ा लगभग 75 प्रतिशत है। अग्रवाल ने बजट के बाद कहा कि सरकार और आयकर विभाग का दर्शन एवं काम करने का तरीका देश में बिना हस्तक्षेप वाला कर प्रशासन सुनिश्चित करना है। नियमित मानव-आधारित खुफिया जानकारी जुटाने के अलावा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का बेहतर ढंग से इस्तेमाल करके ऐसा किया जाता है। सीबीडीटी प्रमुख ने कहा कि एक आम करदाता के लिए अपनी आय बताने की उपलब्ध कर प्रक्रियाएं बहुत जटिल नहीं हैं। इसके लिए उन्होंने सरलीकृत आईटीआर-1, पहले से भरे आयकर रिटर्न, स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की स्वचालित गणना का उदाहरण दिया। उन्होंने नई कर व्यवस्था (एनटीआर) का भी हवाला दिया जिसमें करदाता के लिए सरल गणनाएं हैं। ऐसे में वह किसी पेशेवर की मदद के बिना अपना आईटीआर दाखिल कर सकते हैं। इसमें पुरानी व्यवस्था की तरह किसी कटौती या छूट की अनुमति नहीं होती है। सीबीडीटी, केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत आयकर विभाग का प्रशासनिक निकाय है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट भाषण में मध्यम वर्ग के लिए महत्वपूर्ण आयकर कटौती की घोषणा की। उन्होंने कहा कि नई कर व्यवस्था के तहत सालाना 12 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई कर नहीं देना होगा। छूट की यह सीमा वर्तमान में सात लाख रुपये है। वेतनभोगी वर्ग के लिए 75,000 रुपये की अतिरिक्त मानक कटौती भी उपलब्ध है। बजट दस्तावेजों के अनुसार, सीतारमण ने इस सीमा से अधिक आय वाले लोगों के लिए कर स्लैब में भी बदलाव किया। इससे सालाना 25 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों को हर साल 1.1 लाख रुपये तक कर बचाने में मदद मिलेगी। अग्रवाल ने माना कि आगे बढ़ने के लिए हमेशा सुधार की गुंजाइश बनी रहती है और यह हर क्षेत्र में सच है, जिसमें जटिल व्यावसायिक संरचनाएं भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, ''मैं कहूंगा कि आम करदाता के लिए, चीजों को काफी हद तक सरल बनाया गया है।''उन्होंने कहा कि आयकर भुगतान के संबंध में बजट में की गई घोषणाओं के साथ आने वाले वक्त में अधिक से अधिक करदाता नई कर व्यवस्था (एनटीआर) का विकल्प चुनने के लिए प्रेरित होंगे। अग्रवाल ने कहा, ''अगर 100 प्रतिशत करदाता नहीं, तो अगले साल से हमें 90 प्रतिशत या शायद उससे भी अधिक के आंकड़े देखने को मिलेंगे।'' मौजूदा आंकड़ों के अनुसार, लगभग 74-75 प्रतिशत व्यक्तिगत करदाता एनटीआर को अपना चुके हैं, जिसे सरकार कुछ साल पहले ही लेकर आई थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आयकर भुगतान से संबंधित बजट प्रावधानों से न केवल उन लोगों को लाभ होगा जो सालाना 12 लाख रुपये कमाते हैं, बल्कि इससे सभी को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इन निर्णयों के पीछे मूल रूप से मध्यम वर्ग के हितों का ध्यान रखने और उन्हें पर्याप्त राहत देने की सोच थी। सीबीडीटी चेयरमैन ने कहा, ''ये सभी चीजें अर्थव्यवस्था में बहुत सकारात्मक धारणा पैदा करती हैं और यह अपने आप में वृद्धि को बढ़ावा देती है। इसलिए, एक बार जब वृद्धि होती है, तो लोग उपभोग करते हैं, और व्यय होता है और फिर अर्थव्यवस्था बढ़ती है। जब अर्थव्यवस्था बढ़ती है, तो यह करों के जरिये किसी-न-किसी रूप में वापस आती है।'' यह पूछने पर कि विभाग कर आधार को व्यापक बनाने के लिए क्या करेगा, सीबीडीटी प्रमुख ने कहा कि वह एआई, मानव बुद्धिमत्ता और विभिन्न आंकड़ों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से संग्रहित करने में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ''हमें विभिन्न डेटा स्रोतों से जानकारी मिल रही है, हम उस डेटा को एकत्रित कर रहे हैं और करदाता के लिए इसे उपलब्ध करा रहे हैं।'' अग्रवाल ने कहा कि अब अधिक से अधिक करदाता अपने विभिन्न प्रकार के लेनदेन के बारे में जागरूक हो रहे हैं और इस तरह कर आधार बढ़ रहा है। सीबीडीटी प्रमुख ने बताया कि पिछले वर्ष गलत या फर्जी कटौती का दावा करने वाले लगभग 90,000 करदाताओं ने संशोधित रिटर्न दाखिल किया और 1,000 करोड़ रुपये का कर चुकाया।
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नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के बाद एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में कहा कि केंद्र ने यह सुनिश्चित करने के लिए सीमा शुल्क को तर्कसंगत बनाया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़े और आत्मनिर्भर बने।वित्त मंत्री ने ये बयान एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया के उस सवाल के जबाव में दिया, जिसमें उन्होंने यह पूछा था कि क्या कई ऑटोमोबाइल पर सीमा शुल्क कम करने की बजटीय घोषणा, जिससे टेस्ला और हार्ले डेविडसन जैसी कंपनियों को फायदा होगा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ घोषणाओं के बीच एक संकेत देने की कोशिश है।
बजट में सीमा शुल्क कम करने की घोषणा का उद्देश्य एमएसएमई के लिए सस्ता कच्चा माल उपलब्ध कराना हैउन्होंने कहा, “हम अपनी अर्थव्यवस्था पर ध्यान दे रहे हैं। हम भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव को मजबूत करना चाहते हैं और इसे मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना चाहते हैं।” वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्रीय बजट में सीमा शुल्क कम करने की घोषणा का उद्देश्य एमएसएमई के लिए सस्ता कच्चा माल उपलब्ध कराना, महत्वपूर्ण खनिज प्राप्त करना और भारतीय कंपनियों को सामग्री आयात करने और उच्च मूल्य के तैयार उत्पाद का निर्यात करने की अनुमति देना है।मोटर वाहनों के आयात पर सीमा शुल्क किया गया कमप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित अमेरिका यात्रा से पहले हार्ले डेविडसन बाइक पर टैरिफ और कम कर दिया गया है। 1600 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाली मोटरसाइकिलों के लिए सीबीयू (पूरी तरह से निर्मित इकाइयों) पर शुल्क 50 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है। हालांकि, कारों और अन्य मोटर वाहनों के आयात पर सीमा शुल्क भी कम कर दिया गया है, लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि उनकी प्रभावी शुल्क दरों में बदलाव होगा या नहीं।बजट ‘विकसित भारत’ की नींव को मजबूत करेगावित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने ‘विकसित भारत’ की नींव को मजबूत करने और कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर समान रूप से ध्यान केंद्रित करने के बीच संतुलन बनाया है। उन्होंने विपक्ष की उन आलोचनाओं को भी खारिज कर दिया, जिसमें यह कहा जा रहा था कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार केंद्रीय बजट में घोषणाओं के माध्यम से केवल बिहार और दिल्ली में मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है। सीतारमण ने शनिवार को केंद्रीय बजट 2025-26 पेश किया था। यह उनका लगातार आठवां बजट था। - नयी दिल्ली। सरकार को वित्त वर्ष 2025-26 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से 2.56 लाख करोड़ रुपये का लाभांश मिल सकता है। संसद में शनिवार को पेश बजट दस्तावेजों में यह अनुमान जताया गया। चालू वित्त वर्ष में आरबीआई, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) और वित्तीय संस्थानों से लाभांश/अधिशेष के रूप में 2.34 लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है, जो पिछले अनुमानों से लगभग 1,410 करोड़ रुपये अधिक है। बजट दस्तावेजों में कहा गया कि 'सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और अन्य निवेशों से लाभांश' से केंद्र सरकार की कुल प्राप्तियां 2.89 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3.25 लाख करोड़ रुपये होंगी। उधारियों के अलावा कुल प्राप्तियां 34.96 लाख करोड़ रुपये तथा कुल व्यय 50.65 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। शुद्ध कर प्राप्तियां 28.37 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष के दौरान केंद्र का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। सकल बाजार उधार 14.82 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
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पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के चेयरमैन प्रदीप टंडन ने बजट की सराहना की
कहा, बजट से स्वास्थ्य एवं शिक्षा आदि नियामक सुधारों में सुधार शुरू करते हुए देश की क्षमता को खोलना
रायपुर। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के चेयरमैन प्रदीप टंडन ने कहा कि बजट का उद्देश्य विकास को गति देना और कराधान, शहरी विकास, खनन, वित्तीय क्षेत्र, बिजली और नियामक सुधारों में सुधार शुरू करते हुए देश की क्षमता को खोलना है। समावेशी विकास और अर्थव्यवस्था को समृद्ध बनाने के लिए मध्यम वर्ग के खर्च को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। एमएसएमई वर्गीकरण के लिए 2.5 गुना की निवेश सीमा से इस सबसे बड़े क्षेत्र में अवसरों को बढ़ावा मिलेगा। फुटवियर, चमड़ा और खिलौने उद्योग को बढ़ावा देने से 22 लाख नौकरियां, 4 लाख करोड़ का राजस्व और 1.1 लाख करोड़ से अधिक का निर्यात होगा। मछली उत्पादन और जलीय कृषि, समुद्री क्षेत्र में समुद्री खाद्य निर्यात भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र से मत्स्य पालन के स्थायी दोहन के लिए एक सक्षम ढांचा लाएगा और उच्च समुद्र नए अवसर पैदा करेगा और अर्थव्यवस्था को समृद्ध करेगा। हर जिले में कैंसर अस्पताल खोलना और शहरों को बदलने के उद्देश्य से शहरी चुनौती निधि, प्राथमिक विद्यालयों में ब्रॉडबैंड सुविधा से शिक्षा और सामाजिक चेतना के नए रास्ते खुलेंगे। विस्तारित जल जीवन मिशन के साथ बढ़ी हुई लागत से न केवल पीने योग्य पानी उपलब्ध होगा बल्कि पाइप निर्माण को और बढ़ावा मिलेगा। 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन से नए रास्ते खुलेंगे। संशोधित उड़ान योजना, चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ 120 नए गंतव्यों को जोड़कर यात्रा-पर्यटन और बुनियादी ढांचा उद्योग को बढ़ावा देगी, जिससे 4 करोड़ यात्रियों को सुविधा मिलेगी। बीमा एफडीआई को 74% से बढ़ाकर 100% करने से नई और सस्ती योजनाएं शुरू होंगी। एलआरएस प्रेषणों पर टीसीएस की सीमा 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये, टीडीएस सीमा 6 लाख रुपये, निर्दिष्ट वित्तीय संस्थानों से 10 लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण पर टीसीएस हटाने से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और खर्च करने की शक्ति को बढ़ावा मिलेगा। करदाताओं के लिए बिना किसी शर्त के दो स्व-कब्जे वाली संपत्तियों के वार्षिक मूल्य को शून्य के रूप में दावा करने की सुविधा से भवन बुनियादी ढांचा उद्योग को और बढ़ावा मिलेगा। -
नयी दिल्ली. ओला इलेक्ट्रिक की जनवरी में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन खंड में हिस्सेदारी बढ़कर 25 प्रतिशत हो गई और इसके साथ ही कंपनी ने इस खंड में अपना खोया दबदबा वापस हासिल कर लिया। कंपनी बयान के अनुसार इस महीने उसने 22,656 वाहनों का पंजीकरण किया। इलेक्ट्रिक स्कूटर एसवन श्रृंखला की मजबूत बिक्री और भारत में सेवा स्टोर की संख्या को 4,000 तक बढ़ाना इसकी मुख्य वजह रही। ओला इलेक्ट्रिक ने कहा कि मासिक आधार पर उसकी बिक्री 65 प्रतिशत बढ़ी और इसी के दम पर उसकी बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 25 प्रतिशत हो गई। कंपनी ने शुक्रवार को अपने ‘जनरेशन 3' प्लेटफॉर्म पर विकसित एस1 ब्रांड के तहत आठ स्कूटर मॉडल पेश किए, जिनकी कीमत 79,999 रुपये से 1,69,999 रुपये के बीच है।
- नयी दिल्ली. मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने शुक्रवार को कहा कि भू-राजनीतिक और नीतिगत अनिश्चितताओं के बीच वैश्वीकरण का स्वर्णिम दौर शायद खत्म हो रहा है जिसके चलते वृद्धि में सुस्ती आई है। बजट से पहले संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, आने वाले वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 6.3-6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। यह वृद्धि दर विकसित देश बनने के लिए जरूरी आठ प्रतिशत वृद्धि से बहुत कम है। नागेश्वरन ने कहा, ''वैश्वीकरण का युग खत्म हो गया है... वैश्वीकरण की अनुकूल हवाएं अब अधिक प्रतिकूल होती जा रही हैं... निवेश के मोर्चे पर और व्यापार के मोर्चे पर भू-राजनीतिक और नीतिगत अनिश्चितता है। वृद्धि अनुमान भी इसे दर्शा रहा है।'' समीक्षा से संकेत मिलता है कि भारत की वृद्धि दर धीमी पड़ रही है, जबकि 2047 तक विकसित देश के लक्ष्य को हासिल करने के लिए लगभग सालाना आठ प्रतिशत की दर से बढ़ने की जरूरत है। आर्थिक सुस्ती के लिए बाहरी क्षेत्र को दोषी ठहराते हुए नागेश्वरन ने कहा, ''1980 के बाद से वैश्वीकरण का स्वर्णिम युग, जो शायद 2016 तक था, अब खत्म होने वाला है।'' हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि कुछ सकारात्मक बातें भी हो सकती हैं, जिनसे आने वाले वर्षों में अनुकूल माहौल बन सकता है। नागेश्वरन ने कहा, ''अभी हम उतार-चढ़ाव की स्थिति में हैं। हमें अपनी योजना और वृद्धि के लिए अपने नीतिगत ढांचे में ध्यान में रखना होगा, जो इस वैश्विक वातावरण में भारत की आकांक्षाओं का ख्याल रखेगा।
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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में आईआईटी को लेकर बड़ी घोषणा की है। उन्होंने ऐलान किया है कि आईआईटी की क्षमता को बढ़ाया जाएगा। वित्त मंत्री ने बजट में घोषणा करते हुए कहा कि पांच आईआईटी में एडिशनल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जाएगा। इसके साथ ही आईआईटी पटना का विस्तार भी किया जाएगा।
5 नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर स्किलिंग की स्थापना की जाएगीनिर्मला सीतारमण ने कहा, “कौशल और उच्च स्तरीय शिक्षा में निवेश ‘मेक फॉर इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ विनिर्माण के लिए आवश्यक है, युवाओं को कौशल से लैस करने के लिए वैश्विक विशेषज्ञता और साझेदारी के साथ 5 नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर स्किलिंग की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा, 2014 के बाद से आरंभ किए गए पांच आईआईटी में 6500 अतिरिक्त छात्रों को शिक्षा सुविधा देने के लिए एडिशनल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया जाएगा।”अगले वर्ष मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में 10हजार अतिरिक्त सीटों को जोड़ा जाएगाउन्होंने आगे बताया, “500 करोड़ रुपये के व्यय के साथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फॉर एजुकेशन की स्थापना की जाएगी। साथ ही, आगामी पांच वर्षों में अतिरिक्त 75,000 सीटों की वृद्धि के लक्ष्य के साथ, अगले वर्ष मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में 10,हजार अतिरिक्त सीटों को जोड़ा जाएगा।”सार्वजनिक शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश को लेकर बड़ी घोषणावित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश को लेकर बड़ी घोषणा की है। उन्होंने बताया, “जिज्ञासा, नवाचार और युवा मस्तिष्कों में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए आगामी पांच वर्षों में सरकारी स्कूलों में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा, भारतनेट परियोजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के सभी सेकेंडरी स्कूलों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जाएगी। स्कूल तथा उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं की डिजिटल पुस्तकों को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारतीय भाषा पुस्तक परियोजना का कार्यान्वयन किया जाएगा।”सभी जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर केंद्र स्थापित किए जाएंगेउन्होंने कहा, “आगामी तीन वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर केंद्र स्थापित किए जाएंगे। वित्तीय वर्ष 2025-26 में 200 केंद्र स्थापित किए जाएंगे।” वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों में हमारे विकास के ट्रैक रिकॉर्ड और ढांचागत सुधारों ने विश्व का ध्यान हमारी ओर खींचा है। इस अवधि के दौरान, भारत की योग्यता और सामर्थ्य में भरोसा बढ़ा है। -
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज (1 फरवरी) बजट भाषण में सीनियर सिटिजन्स के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। उन्होंने कहा, “सीनियर सिटिजन्स के लिए इंटरेस्ट इनकम पर टैक्स डिडक्शन लिमिट को बढ़ाकर 1 लाख रुपए किया जाएगा।”
सीनियर सिटिजन्स के लिए इंटरेस्ट इनकम पर टैक्स डिडक्शन की मौजूदा लिमिट 50,000 थी, जिसे अब डबल करते हुए 1 लाख रुपए कर दिया गया है। इसके अलावा, सरकार ने सीनियर और सुपर सीनियर सिटिज़न्स को भी राहत दी है, जिनके पास पुराने नेशनल सेविंग्स स्कीम (NSS) अकाउंट्स हैं। जिन अकाउंट्स में अब इंटरेस्ट नहीं मिलता, उन पर किए गए विड्रॉल्स को 29 अगस्त 2024 के बाद टैक्स फ्री कर दिया जाएगा।साथ ही, सरकार ने NPS वत्सल्य अकाउंट्स को भी उसी तरह का टैक्स बेनिफिट देने का प्रस्ताव रखा है जैसा सामान्य NPS अकाउंट्स को मिलता है, हालांकि यह ओवरऑल लिमिट्स के तहत ही रहेगा।सरकार करेगी TDS को आसान: निर्मला सीतारमणवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को TDS (स्रोत पर कर कटौती) के नियमों को सरल बनाने की घोषणा की है, जिससे अनुपालन (compliance) का बोझ कम होगा। 2025-26 का बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि नई कर योजनाएं मुख्य रूप से मध्यम वर्ग के लिए आयकर सुधार (income tax reforms), TDS में बदलाव और अनुपालन में आसानी लाने पर केंद्रित होंगी।इसके साथ ही, सरकार अगले हफ्ते संसद में नया आयकर (Income Tax – I-T) विधेयक पेश करेगी। सीतारमण ने कहा कि सुधार कोई मंजिल नहीं होते बल्कि अच्छे शासन और मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए माध्यम होते हैं। उन्होंने बताया कि नया आयकर विधेयक मौजूदा कानून के मुकाबले आधा छोटा होगा और इसमें स्पष्ट और सरल भाषा का प्रयोग किया जाएगा। सरकार ने RBI की उदार प्रेषण योजना (liberalised remittance scheme) के तहत विदेश प्रेषण (remittances) पर TCS की सीमा को ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, वित्त मंत्री ने बताया कि EV बैटरी उत्पादन के लिए 35 नई वस्तुओं और मोबाइल फोन बैटरी उत्पादन के लिए 28 नई वस्तुओं को पूंजीगत वस्तुओं (capital goods) की छूट सूची में शामिल किया जाएगा। -
नई दिल्ली। केंद्रीय बजट से पहले एलपीजी सिलेंडर के दामों में बड़ी राहत दी गई है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 19 किलो के एलपीजी कमर्शियल सिलेंडर की कीमत में 7 रुपये की कटौती की है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने एलपीजी गैस सिलेंडरों के दामों में यह संशोधन संसद में आज सुबह 11 बजे पेश होने वाले वित्तीय बजट से पहले किया है।
14 किलोग्राम के घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत में कोई संशोधन नहींगैस सिलेंडर के दामों में कटौती के बाद दिल्ली में 19 किलोग्राम के कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1,809 रुपये से घटकर 1,797 रुपये हो गई है। हालांकि, 14 किलोग्राम के घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत में कोई संशोधन नहीं किया गया है। कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की मुंबई में पुरानी दरें 1,756 रुपये, कोलकाता में 1,911 रुपये और चेन्नई में 1,966 रुपये थीं।कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर होटल और रेस्टोरेंट में किया जाता है इस्तेमालकमर्शियल एलपीजी सिलेंडर को होटल और रेस्टोरेंट जैसे व्यवसायों में इस्तेमाल किया जाता है। संशोधित दरें वैश्विक बाजार की स्थितियों में उतार-चढ़ाव से प्रभावित ईंधन मूल्य समायोजन के एक व्यापक पैटर्न का हिस्सा है। तेल कंपनियां अक्सर कच्चे तेल की दरों और अन्य आर्थिक कारकों में बदलाव के आधार पर एलपीजी की कीमतों में बदलाव करती हैं। इससे पहले पिछले दिसंबर में तेल कंपनियों ने 19 किलोग्राम के कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 62 रुपये की बढ़ोतरी की थी। एलपीजी की कीमतें स्थानीय करों और परिवहन लागत में अंतर के कारण राज्यों में अलग-अलग होती हैं।एविएशन टर्बाइन फ्यूल की कीमतों में भी 1.5 प्रतिशत की कमीयह संशोधन 1 जनवरी को इसी तरह की कीमतों में कटौती के बाद किया गया है, जब लगातार पांच बढ़ोतरी के बाद कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में 14.5 रुपये की कमी की गई थी। उस दौरान दिल्ली में कीमत 1,804 रुपये प्रति सिलेंडर थी। इस बीच, एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) की कीमतों में भी 1.5 प्रतिशत की कमी देखी गई है। दिल्ली में इसकी कीमत 1,401.37 रुपये प्रति किलोलीटर घटकर 90,455.47 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई है। -
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया बजट, कहा- मध्यम वर्ग की बढ़ेगी खर्च करने की क्षमता
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को आम बजट 2025-26 पेश किया। बजट भाषण की शुरुआत करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह बजट आम आदमी की खर्च करने की क्षमता बढ़ाने वाला होगा।बजट 2025: गरीब, युवा, अन्नदाता और महिलाओं पर केंद्रितइसके अलावा उन्होंने कहा कि बजट का उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर को बढ़ाना, समावेशी विकास सुनिश्चित करते हुए निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ाना, घरेलू भावना को ऊपर उठाना और बढ़ते हुए मध्यम वर्ग की खर्च करने की क्षमता को बढ़ाना है। वित्त मंत्री ने कहा कि बजट 2025 में गरीब, युवा, अन्नदाता और महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए 10 व्यापक क्षेत्रों को शामिल किया है। कृषि, एमएसएमई, निवेश और निर्यात विकास के इंजन हैं।”किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया हैबजट में वित्त मंत्री द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की लिमिट को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है। इससे किसानों को सस्ता लोन पाने में मदद मिलेगी। इससे पहले वित्त मंत्री द्वारा शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया गया। सर्वेक्षण में बताया गया कि वित्त वर्ष 2025-26 में वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत की जीडीपी 6.3-6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, महंगाई नियंत्रण में है। वित्त वर्ष 25 के अप्रैल- दिसंबर की अवधि में औसत महंगाई कम होकर 4.9 हो गई है, जो कि वित्त वर्ष 24 में 5.4 प्रतिशत थी।महंगाई को स्थिर करने में सरकार के सक्रिय नीतिगत हस्तक्षेप महत्वपूर्णसर्वेक्षण में कहा गया कि महंगाई को स्थिर करने में सरकार के सक्रिय नीतिगत हस्तक्षेप महत्वपूर्ण रहे हैं। इन उपायों में आवश्यक खाद्य पदार्थों के लिए बफर स्टॉक को मजबूत करना, समय-समय पर खुले बाजार में सामान जारी करना और आपूर्ति की कमी के दौरान आयात को आसान बनाने के प्रयास शामिल हैं। चुनौतियों के बावजूद भारत में महंगाई प्रबंधन के लिए सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का अनुमान है कि भारत की खुदरा महंगाई धीरे-धीरे वित्त वर्ष 2026 में लगभग 4 प्रतिशत के लक्ष्य के अनुरूप हो जाएगी।