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नई दिल्ली। जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा है कि अगले दशक में दुनिया की कुल वृद्धि में 20 प्रतिशत योगदान भारत का होगा। इसका प्रमुख कारण यह है कि देश वैश्विक स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।कांत ने यहां आइमा के सम्मेलन में कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगले तीन साल में, हम जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। एक ऐसी दुनिया में जो वृद्धि के लिए आकांक्षी है…दूसरी तरफ भारत वृद्धि को गति देने वाली एक बहुत ही मजबूत शक्ति के रूप में उभरा है।’’कांत ने कहा कि अगले दशक में दुनिया की कुल वृद्धि में 20 प्रतिशत का योगदान भारत का होगा। उन्होंने कहा, ‘‘आज हम जो देख रहे हैं वह हमारी आर्थिक स्थिति में पीढ़ियों में एक बार होने वाला बदलाव है। कुछ साल पहले, हम पांच कमजोर देशों में शामिल थे और एक दशक में हम शीर्ष पांच में आ गए।’’जी-20 शेरपा ने कहा कि देश को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन को बदलने, स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाने और पोषण मानकों को बढ़ाने की जरूरत है। कांत ने कहा कि भारत को भविष्य में वृद्धि के लिए कई ‘चैंपियन’ राज्यों की जरूरत है।उन्होंने कहा, ‘‘यदि भारत को अगले तीन दशकों में नौ से 10 प्रतिशत की दर से वृद्धि हासिल करनी है और 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनना है, तो हमें अपने सीखने के परिणामों (कौशल), अपने स्वास्थ्य क्षेत्रों और पोषण मानकों में बड़े पैमाने पर सुधार करने की आवश्यकता है।’’कांत के अनुसार, इसका मतलब है कि बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों को बदलने की जरूरत है। इन राज्यों में देश की लगभग 50 प्रतिशत आबादी रहती है। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम उन्हें बदलें। यह जरूरी है कि वे मानव विकास सूचकांक में सुधार के मुख्य सूत्रधार बनें।’’ कांत ने कहा कि भारत की शीर्ष 50 प्रतिशत आबादी वास्तव में वृद्धि सृजित करती है और समृद्धि लाती है। वहीं मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में रहने वाली नीचे की 50 प्रतिशत आबादी बुनियादी जीवनस्तर हासिल करने के लिए कृषि श्रम या सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर निर्भर है। उन्होंने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि हम इन लोगों के जीवन में बदलाव लाएं।’’ - नई दिल्ली। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को बताया कि भारत के सेमीकंडक्टर मिशन (सेमीकॉन इंडिया) के दूसरे चरण पर काम आगे बढ़ चुका है और इसे अगले तीन-चार महीनों में शुरू किया जाएगा। इसके तहत सरकार देश में चिप संयंत्र स्थापित करने वाली इकाइयों को वित्तीय मदद मुहैया करवाएगी।वैष्णव ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में सेमीकॉन इंडिया के संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सेमीकॉन 1.0 की तुलना में इस योजना का स्तर कहीं अधिक व्यापक होगा। हालांकि मंत्री ने यह नहीं बताया कि सेमीकॉन कार्यक्रम के अगले चरण के लिए आवंटन राशि कितनी होगी।वैष्णव ने बताया, ‘हम सेमीकॉन कार्यक्रम के प्रथम चरण के व्यावहारिक रूप से पूरा होने के स्तर पर हैं। अब हम सेमीकॉन 2.0 की योजना बना रहे हैं और यह प्रथम चरण से कहीं अधिक विस्तृत होगा।’मंत्री ने घोषणा की कि देश में उत्तर प्रदेश सेमीकंडक्टर संयंत्र वाला चौथा राज्य होगा। अभी तक गुजरात, असम और महाराष्ट्र में चिप इकाइयों को मंजूरी मिली है।वैष्णव ने बताया कि सेमीकॉन 2.0 के तहत इकोसिस्टम साझेदारों, उपकरण विनिर्माताओं, फैब्स, एटीएमपी व संपूर्ण सेमीकंडकर इकोसिस्टम पर बराबर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। नई योजना में तीन मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है : उपकरण विनिर्माताओं को आकर्षित करना, चुनिंदा सामग्री के विकास को बढ़ावा देना और भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए अनिवार्य रासायनिक आपूर्ति को सुनिश्चित करना। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के सेमीकंडक्टर मिशन के प्रथम चरण में पांच चिप परियोजनाओं के लिए 76,000 करोड़ रुपये का परिव्यय मंजूर किया है।
- नई दिल्ली। केंद्र सरकार देश में त्योहारी सीजन के दौरान मिठाई, नमकीन और दुग्ध उत्पादों में मिलावट को रोकने के लिए सक्रिय हो गई है। सरकार त्योहारी सीजन के दौरान खासकर दीवाली पर मिठाइयों, नमकीन, दूध और दूध से बने उत्पादों जैसे घी, खोया, पनीर आदि में मिलावट की जांच के लिए विशेष अभियान चलाने जा रही है।केंद्र सरकार की एजेंसी भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने राज्यों के खाद्य संरक्षा विभागों और FSSAI के सभी क्षेत्रीय निदेशकों को मिलावट खोरों के खिलाफ अभियान चलाने को कहा है।निर्माण व बिक्री पर रखी जाएगी कड़ी नजरFSSAI ने मिठाई, नमकीन और दुग्ध उत्पादों में मिलावट को रोकने के लिए राज्यों के खाद्य संरक्षा विभागों को जारी एक आदेश में कहा कि देश में आने वाले त्योहारी सीजन के दौरान मिठाई, नमकीन, दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे घी, खोया, पनीर आदि की मांग बढ़ जाती है और जिसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता की बढ़ती मांगों को पूरा करने और अधिक कमाई के लिए ऐसे उत्पादों में मिलावट करने की आशंका भी बढ़ जाती है। इसलिए इस मिलावट को रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा विशेष निगरानी अभियान चलाने की जरूरत है।इस अभियान के तहत त्योहारी मौसम के दौरान मिठाई, नमकीन, दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे घी, खोया, पनीर आदि के निर्माण और बिक्री पर कड़ी निगरानी रखी जाए। इस सीजन के दौरान ऐसी किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए लगातार सतर्कता/निगरानी अभियान चलाए जाने चाहिए।साथ ही जहां उपलब्ध हो, वहां प्रमुख बाजारों में या विशिष्ट खुफिया इनपुट के आधार पर चिन्हित स्थानों पर मिलावट की जांच करने के लिए food safety on wheels (FSW) मोबाइल वैन तैनात किए जाने चाहिए। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे उत्पाद खाने के लिए सुरक्षित हैं और संबंधित खाद्य उत्पाद मानकों के अनुसार बने हैं।
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- ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफॉर्म: निर्यात, आयात से जुड़ी हर जानकारी होगी उपलब्ध
नई दिल्ली। सरकार ने बुधवार को निर्यात और आयात से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी देने के लिए व्यापार पोर्टल शुरू किया। इस कदम से सभी उद्यमियों को मदद मिलेगी। ‘ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफॉर्म’ को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (MSME) मंत्रालय, भारत निर्यात-आयात बैंक, TCS, वित्तीय सेवा विभाग और विदेश मंत्रालय के सहयोग से तैयार किया गया है।वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पोर्टल पेश करते हुए कहा कि यह मंच सीमा शुल्क, नियमों समेत सभी प्रकार की सूचनाएं एक ही जगह पर उपलब्ध कराएगा। पोर्टल निर्यातकों को व्यापक समर्थन और संसाधन प्रदान कर सूचना की कमी की समस्या को दूर करने का काम करेगा।विदेश व्यापार महानिदेशक (DGFT) संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि यह निर्यातकों को तत्काल समय पर महत्वपूर्ण व्यापार-संबंधी जानकारी उपलब्ध कराएगा। साथ ही उन्हें विदेश में भारतीय दूतावास, वाणिज्य विभाग, निर्यात संवर्धन परिषद जैसी प्रमुख सरकारी संस्थाओं और विशेषज्ञों से जोड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह मंच निर्यातकों को निर्यात के हर चरण में सहायता करने के लिए तैयार किया गया है। यह मंच छह लाख से अधिक आईईसी (आयात-निर्यात कोड) धारकों, 180 से अधिक भारतीय दूतावास के अधिकारियों, 600 से अधिक निर्यात संवर्धन परिषद के अधिकारियों के अलावा DGFT, वाणिज्य विभाग और बैंकों के अधिकारियों को जोड़ेगा।गोयल ने कहा कि पोर्टल को नियमित रूप से अद्यतन किया जाएगा और संबंधित पक्षों की प्रतिक्रिया के आधार पर 2025 में इसका दूसरा संस्करण पेश करने में मदद मिलेगी। इसे क्षेत्रीय भाषाओं में भी जारी किया जाएगा।उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक व्यापार संकट की स्थिति में है लेकिन यह दुनिया में भारत की बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने का हमारा प्रयास है।’’ सारंगी ने कहा कि दूसरे संस्करण में बैंक, बीमा और लॉजिस्टिक जैसी अन्य सेवाएं शामिल होंगी। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा, ‘‘यह निर्यातकों के लिए एक चैटजीपीटी होगा… हम चाहते हैं कि उद्यमी व्यापार में आगे बढ़ें। जब तक हमारे पास उद्यमी नहीं होंगे, तब तक (2030 तक) वस्तुओं और सेवाओं के 2,000 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा।’’
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नई दिल्ली। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज ऐलान किया कि 2025 के मध्य तक देश के उन 25 हजार गांवों तक टेलीकॉम और मोबाइल इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जहां अभी तक ये सुविधाएं नहीं उपलब्ध हो पाईं हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य देश के हर इलाके में पूरी तरह से पहुंच सुनिश्चित करना है। सरकारी कपनी BSNL अगले साल के मध्य तक 1 लाख टेलीकॉम टावरों के साथ अपना 4G नेटवर्क लॉन्च करेगी।
लगाए जा चुके कुल 4 लाख 50 हजार टावरसिंधिया ने अखिल भारतीय प्रबंधन संघ के 51वें राष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन में कहा कि देशभर में कुल 4 लाख 50 हजार टावर लगाए जा चुके हैं, लेकिन कुछ गांव अभी भी जुड़े नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘हमने लगभग 20 हजार टावर लगाने और इस पहल के लिए 45 हजार करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता जताई है, जिसे 2025 के मध्य तक पूरा कर लिया जाएगा।’पूर्वोत्तर भारत में सबसे अधिक कनेक्टिविटी की कमीसिंधिया ने बताया कि देश में सबसे ज्यादा बिना कनेक्टिविटी वाले गांव पूर्वोत्तर भारत में हैं, जिनकी संख्या लगभग 6 हजार है। उन्होंने कहा कि इन गांवों में से आधे को टेलीकॉम सेवाओं से जोड़ा जा चुका है। बता दें कि सिंधिया पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्रालय का भी कार्यभार संभालते हैं।उन्होंने यह भी बताया कि कनेक्शन विस्तार, स्वदेशी टेलीकॉम उत्पादन और नई टेक्नोलॉजी का विकास सरकार के तीन प्रमुख लक्ष्यों में शामिल है। देश ‘भारत 6जी एलायंस’ के तहत मोबाइल फोन का उत्पादन कर रहा है और सरकार का लक्ष्य है कि इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पेटेंट का 10 प्रतिशत हिस्सा हासिल करे।पहले की समय सीमाओं में हुई देरीभारत टेलीकॉम कनेक्टिविटी के लिए पहले निर्धारित समयसीमाओं को पूरा करने में संघर्ष करता रहा है। जुलाई 2019 में, तत्कालीन दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कंपनियों से एक साल के भीतर उन सभी 43 हजार गांवों को जोड़ने का आह्वान किया था, जहां बेसिक टेलीफोन सेवाएं नहीं थीं।अप्रैल 2023 में, तत्कालीन दूरसंचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान ने कहा था कि 2024 तक 4G कनेक्शन से रहित 38,000 से अधिक गांवों को जोड़ा जाएगा।BSNL के 4G नेटवर्क रोलआउट के माध्यम से दूर-दराज और कठिन क्षेत्रों के गांवों को जोड़ा जाना था, लेकिन BSNL के 4G सेवा लॉन्च की योजनाएं बार-बार देरी का शिकार हुई हैं, जबकि रिलायंस जियो (Reliance Jio), भारती एयरटेल (Bharti Airtel) और वोडाफोन आइडिया जैसी प्राइवेट टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां पहले ही 4G सेवाएं लॉन्च कर चुकी हैं। BSNL की डेडलाइन्स दिसंबर 2023 और जून 2024 तक कई बार असफल रही हैं। -
तिरुवनंतपुरम. ‘एअर इंडिया एक्सप्रेस' ने केरल से सऊदी अरब की राजधानी रियाद के लिए उड़ान सेवा शुरू करने की प्रवासी भारतीयों की लंबे समय से की जा रही मांग को स्वीकार कर लिया है। तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (टीआईएएल) ने मंगलवार को यह जानकारी दी। टीआईएएल ने कहा कि ‘एअर इंडिया एक्सप्रेस' ने दक्षिणी राज्य के प्रवासियों को ‘ओणम' उपहार के रूप में नौ सितंबर को तिरुवनंतपुरम से रियाद के लिए अपनी उड़ान सेवा शुरू की। उड़ान संख्या -आईएक्स 521 प्रत्येक सोमवार को रात्रि 7:55 बजे तिरुवनंतपुरम से रवाना होगी और रात 10:40 बजे रियाद पहुंचेगी। टीआईएएल ने एक विज्ञप्ति में कहा कि वापसी की उड़ान आईएक्स 522 उसी दिन रात 11:20 बजे रियाद से रवाना होगी और मंगलवार को सुबह साढ़े सात बजे केरल की राजधानी पहुंचेगी। विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘सऊदी अरब में कामकाज कर रहे केरल और तमिलनाडु के प्रवासियों को नई सेवा से लाभ होगा। तिरुवनंतपुरम से सऊदी अरब के दम्माम तक सीधी सेवा है।''
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नयी दिल्ली. देश की सबसे बड़ी कार विनिर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया इलेक्ट्रिक वाहन खरीदारों के लिए एक समग्र परिवेश स्थापित करना चाहती है। कंपनी अगले साल की शुरुआत में अपना पहला बैटरी चालित मॉडल पेश करने की तैयारी कर रही है। कंपनी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग संबंधी बुनियादी ढ़ांचा स्थापित करने तथा ऐसे मॉडल को दोबारा बेचने के अवसर जैसे अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी विचार करेगी। उद्योग निकाय सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के 64वें वार्षिक सत्र से इतर मारुति सुजुकी इंडिया (एएसआई) के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी (विपणन व बिक्री) पार्थ बनर्जी ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ हम न केवल उत्पाद पेश करने जा रहे हैं, बल्कि हम मूल रूप से उन ग्राहकों के लिए एक संपूर्ण परिवेश प्रदान करने जा रहे हैं जो इलेक्ट्रिक वाहन परिवार का हिस्सा बनने को तैयार हैं।'' उन्होंने कहा कि ईवी उपयोगकर्ताओं के लिए सबसे बड़ी चिंता बैटरी को एक बार चार्ज करने पर वाहन कितना चलेगा, इसको लेकर है। बनर्जी ने कहा, ‘‘ दूसरा, यह ईवी बुनियादी ढ़ांचा है और तीसरा यह पांच साल बाद पुराने वाहन के लिए क्या मूल्य मिलेगा।
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छत्तीसगढ़ के पांच जिले शामिल
नयी दिल्ली.सरकार झारखंड और छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों और आदिवासी क्षेत्रों में दलहन विशेष रूप से 'अरहर' और 'उड़द' की खेती को प्रोत्साहित कर रही है। इस पहल का मकसद उत्पादन और किसानों की आय को बढ़ावा देना है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह पहल, गैर-परंपरागत दाल उत्पादक क्षेत्रों पर केंद्रित है। यह एक प्रायोगिक परियोजना है। इसे सफल होने पर पूरे देश में विस्तारित किया जा सकता है, जिससे भारत की आयात पर निर्भरता कम हो सकती है। इस परियोजना के संचालन का जिम्मा भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) को सौंपा गया है। उसने झारखंड में चार और छत्तीसगढ़ में पांच जिलों को इसके कार्यान्वयन के लिए चुना है। एनसीसीएफ की प्रबंध निदेशक अनीस जोसेफ चंद्रा ने पीटीआई-भाषा से कहा, “हम झारखंड और छत्तीसगढ़ के चुनिंदा नक्सल प्रभावित और आदिवासी क्षेत्रों में इस खरीफ सत्र में अरहर और उड़द उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसमें महिला किसान भी शामिल हैं।” लक्षित जिलों में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव, जशपुर, बस्तर और मोहला मानपुर तथा झारखंड के पलामू, कटिहार, दुमका और गढ़वा शामिल हैं। चालू खरीफ सत्र के लिए हाइब्रिड बीज वितरित किए गए हैं। किसानों को सहकारी समिति को अपनी उपज बेचने के लिए एनसीसीएफ के पोर्टल पर पहले से पंजीकरण कराने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रौद्योगिकी से कम परिचय वाले किसानों के लिए ऑफलाइन आवेदन उपलब्ध हैं। एनसीसीएफ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दालों की खरीद करेगा, लेकिन अगर बाजार मूल्य एमएसपी से अधिक हो जाता है तो किसान निजी व्यापारियों को बेच सकते हैं। चंद्रा ने कहा, "सुनिश्चित खरीद से किसानों को खेती का विस्तार करने और अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही भारत के दाल आयात को कम करने में मदद मिलेगी।" एनसीसीएफ सरकारी बफर स्टॉक (अतिरिक्त भंडारण) के लिए दालों की खरीद करता है। उसका इस पहल के माध्यम से अपने कुल लक्ष्य की आधी मात्रा प्राप्त करने का लक्ष्य है। सहकारी समिति दाल उत्पादकों के साथ अनुबंध खेती में भी शामिल है, जिससे उन्हें एनसीसीएफ या निजी व्यापारियों को बेचने का विकल्प मिल रहा है। -
नयी दिल्ली. डिजिटल मामलों में महारथ रखने वाली पीढ़ी 'जेनरेशन जेड' उपभोग के रुझानों में बड़े बदलाव की पटकथा लिखकर भारत के उपभोक्ता बाजारों में महत्वपूर्ण जगह बना रही है। बर्नस्टीन की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई। वर्ष 1995 से 2010 के बीच जन्मे लोगों को 'जेनरेशन जेड' में शामिल किया जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न ब्रांड इस पीढ़ी के साथ गहरा संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो डिजिटल रूप से काफी पारंगत और मोबाइल ऐप को तरजीह देने वाली है। यह पीढ़ी सोशल मीडिया से लेकर टैक्सी लेने और खाना मंगाने तक के लिए मोबाइल का सहारा लेती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय जेनरेशन जेड दुनिया में सबसे बड़ी है, जो ऑनलाइन खरीदारी करती है, काम करती है और खाना मंगाती है। इसमें कहा गया कि भारतीय जेनरेशन जेड दुनिया की 20 प्रतिशत और भारत की आबादी का लगभग 27 प्रतिशत हिस्सा है। रिपोर्ट में पाया गया कि जेन जेड डिजिटल रूप से अग्रणी और नए जमाने के ब्रांड्स को प्राथमिकता दे रही है। भारत की कुल खपत में जेन जेड की लगभग 17 प्रतिशत हिस्सेदारी है, और इसमें वृद्धि की काफी गुंजाइश है।
- नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ‘एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक’ नीति के अंतर्गत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) को एकीकृत करने की योजना बना रहा है। इस कदम का उद्देश्य क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की दक्षता में सुधार लाना और प्रायोजक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बीच अनुचित प्रतिस्पर्धा को रोकना है।खबरों के अनुसार ‘एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक नीति पर विचार किया जा रहा है और इस पर काम चल रहा है। इसका लक्ष्य क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या को मौजूदा 43 से घटाकर करीब 30 करने की है।’ इसके परिणामस्वरूप प्रदर्शन के आधार पर एक राज्य के भीतर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का एक प्रायोजक बैंक में विलय किया जाएगा। इससे प्रत्येक राज्य में एक प्रायोजक बैंक होगा जो उस राज्य के अन्य ग्रामीण बैंकों की परिसंपत्तियों को अपने में मिलाएगा।क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक क्षेत्रीय स्तर पर खोले जाते हैं और इनका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों को वित्तीय सेवाएं मुहैया कराना होता है। इस तरह के बैंकों को आरआरबी अधिनियम, 1976 के तहत केंद्र सरकार, राज्य सरकार और प्रायोजक बैंकों की ओर से पूंजी प्रदान की जाती है।देश का सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक सर्वाधिक 14 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का प्रायोजक है। इसके बाद पंजाब नैशनल बैंक 9, केनरा बैंक 4, बैंक ऑफ बड़ौदा तथा इंडियन बैंक 3-3, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 2, यूको बैंक, जम्मू ऐंड कश्मीर बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र 1-1 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के प्रायोजक हैं।राज्यों की बात करें तो आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में 3-3 आरआरबी हैं, जबकि बिहार, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना में 2-2 आरआरबी हैं। वित्त वर्ष 2024 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने अभी तक का सर्वाधिक 7,571 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था और उनके सकल गैर-निष्पादित आस्तियों का अनुपात 6.1 फीसदी रहा, जो 10 साल में सबसे कम है।पिछले महीने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के शीर्ष अधिकारियों की बैठक हुई थी। इसमें प्रायोजक बैंकों को व्यावसायिक प्रदर्शन में सुधार लाने, डिजिटल प्रौद्योगिकी सेवाओं को उन्नत बनाने और एमएसएमई क्लस्टरों में विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया गया था। आरआरबी से कहा गया था कि समय के साथ प्रासंगिक बने रहने के लिए वे अपनी प्रौद्योगिकी को अपडेट करें। वित्त मंत्री ने कहा कि मोबाइल बैंकिंग जैसी डिजिटल बैंकिंग सेवाएं चुनौतीपूर्ण यातायात संपर्क वाले क्षेत्रों, जैसे पूर्वोत्तर के राज्यों और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होंगी।
- मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के नए बाहरी सदस्यों की नियुक्ति समय पर हो जाएगी। यहां वार्षिक ‘फिबैक' कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से दास ने कहा कि एमपीसी की बैठक सात अक्टूबर से शुरू हो रही है। यह तभी हो सकती है जब सभी सदस्य मौजूद होंगे। उन्होंने कहा, “नए सदस्यों की नियुक्ति तो होनी ही चाहिए तभी हम बैठक कर सकते हैं। ऐसा होना चाहिए। हमें उम्मीद है कि नए सदस्य समय पर नियुक्त हो जाएंगे।” तीन बाहरी सदस्यों - आशिमा गोयल, जयंत वर्मा और शशांक भिड़े का चार साल का कार्यकाल चार अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। समिति में नियुक्तियां सरकार द्वारा की जाती हैं। एमपीसी की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर करते हैं और इसमें छह सदस्य होते हैं। इसमें गवर्नर समेत रिजर्व बैंक के तीन प्रतिनिधि होते हैं, जबकि अन्य तीन बाहरी सदस्य होते हैं। प्रस्ताव को सार्वजनिक किए जाने से पहले सदस्य दर निर्धारण पर मतदान करते हैं और बराबरी की स्थिति में गवर्नर के पास निर्णायक मत होता है। दर निर्धारण समिति में हाल ही में कुछ असहमति देखी गई है, जिसमें गोयल ने ब्याज दरों में कटौती के पक्ष में वर्मा का साथ दिया है, जबकि अन्य चार ने लगातार मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने का पक्ष लिया है। इससे लगातार नौ एमपीसी बैठकों में केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखी है। असहमत एमपीसी सदस्यों के अनुसार, ब्याज दरों में कटौती में देरी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर में कमी आ सकती है।
- मुंबई. बैंकों में घटते जमा स्तर को लेकर जताई जा रही चिंताओं के बीच भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने बृहस्पतिवार को कहा कि आसान नियमों के कारण खुदरा जमा बैंकों से म्यूचुअल फंड योजनाओं में जा रही है। आईबीए के चेयरमैन एम वी राव ने यहां आयोजित सालाना फिबैक सम्मेलन में कहा कि म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए आसान नियमों की वजह से निवेशकों को अधिक रिटर्न दे पाना आसान होता है। हालांकि, कोटक म्यूचुअल फंड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नीलेश शाह ने इस दावे को समझ पाने में असमर्थता जताई कि बैंकों की धीमी जमा वृद्धि का दोष म्यूचुअल फंड कंपनियों पर किस तरह डाला जा सकता है। दरअसल, एक साल से अधिक समय से बैंकिंग प्रणाली में कम जमा वृद्धि देखी जा रही है। ऐसे में ऋण मांग को बनाए रखने की इसकी क्षमता पर चिंता जताई जा रही है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास सहित उद्योग का मानना है कि बचतकर्ता अपना पैसा उच्च प्रतिफल वाले म्यूचुअल फंड (एमएफ) में लगाना पसंद करते हैं और म्यूचुअल फंड योजनाओं का प्रबंधन करने वाली कंपनियों के मासिक प्रवाह में वृद्धि से इसकी पुष्टि भी होती है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के प्रमुख राव ने कहा कि बैंकों के लिए कोष का निवेश विनियमों से तय होता है जबकि एमएफ कंपनियों पर ऐसे प्रतिबंध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि एमएफ कंपनियों को कोई अंतिम उपयोग सत्यापन का सामना नहीं करना पड़ता है और बैंक ग्राहकों को अपना फंड उनके पास रखने का ‘निर्देश' नहीं दे सकते हैं। राव ने यह भी कहा कि 99 प्रतिशत म्यूचुल फंड निवेशक कोई शोध नहीं करते हैं और अपने दांव लगाने के लिए एक समूह के रूप में कार्य करते हैं, जिसके जोखिम भरे नतीजे सामने आ सकते हैं। इसके उलट प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य शाह ने धीमी जमा वृद्धि के लिए सरकारी शेष राशि को बैंकिंग प्रणाली से बाहर ले जाने, छोटी बचत योजनाओं की मौजूदगी और मुद्रा वितरण को बैंकों के विशेष अधिकार में रखने जैसे कारकों की ओर इशारा किया। शाह ने अमेरिका और अन्य बाजारों के अनुभव भी साझा किए, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में जमा वृद्धि सुस्त पड़ने के ऐसे आरोप नहीं लगाए जाते हैं। हालांकि, शाह ने कहा कि उन्होंने मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सरकारी शेष राशि बैंकों में जमा हो जिससे सरकार को सालाना 12,000 करोड़ रुपये तक का ब्याज भी मिलेगा।
- नयी दिल्ली. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माताओं को सब्सिडी जारी रखने की जरूरत से इनकार करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि अब लोग खुद ही ईवी या सीएनजी वाहनों को लेना पसंद कर रहे हैं। गडकरी ने बीएनईएफ सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पहले इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण की लागत बहुत अधिक थी लेकिन अब मांग बढ़ चुकी है और इसकी उत्पादन लागत भी घट गई है। ऐसी स्थिति में ईवी विनिर्माताओं को सब्सिडी देने की जरूरत नहीं रह गई है। उन्होंने कहा, ‘‘उपभोक्ता अब अपनी पसंद से ईवी और सीएनजी वाहनों को खरीदने लगे हैं। मुझे नहीं लगता है कि हमें अब इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अधिक सब्सिडी देने की जरूरत रह गई है। सब्सिडी की मांग अब उचित नहीं रही।'' उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर लगने वाला माल एवं सेवा कर (जीएसटी) पेट्रोल और डीजल वाहनों की तुलना में कम है। फिलहाल हाइब्रिड एवं पेट्रोल-डीजल इंजन वाले वाहनों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों पर सिर्फ पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे विचार से इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को अब सरकार द्वारा सब्सिडी दिए जाने की जरूरत नहीं है। सब्सिडी की मांग अब उचित नहीं रह गई है।'' हालांकि, उन्होंने ईवी को प्रोत्साहन देने के लिए पेट्रोल एवं डीजल वाहनों पर अतिरिक्त कर लगाने की संभावना को नकार दिया। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल की जगह वैकल्पिक ईंधन की तरफ रुख करना एक क्रमिक प्रक्रिया होगी। उन्होंने कहा कि ईवी में इस्तेमाल होने वाली लिथियम-ऑयन बैटरी की लागत में आगे चलकर और कमी आने से इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें घटेंगी। गडकरी ने कहा, ‘‘दो साल के भीतर डीजल, पेट्रोल और इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत बराबर हो जाएगी। शुरुआती दौर में ईवी की लागत बहुत अधिक होती थी लिहाजा हमें ईवी विनिर्माताओं को सब्सि़डी देना जरूरी था।'' जब उनसे फेम योजना की अवधि बढ़ाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘फेम योजना के तहत सब्सिडी एक बढ़िया बात है। हालांकि, यह मसला मेरे मंत्रालय से संबंधित नहीं है।'' भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने एक दिन पहले कहा था कि सरकार को अपनी इलेक्ट्रिक परिवहन क्रियान्वयन योजना ‘फेम' के तीसरे चरण को एक-दो महीने में अंतिम रूप देने की उम्मीद है। फेम-3 योजना अस्थायी इलेक्ट्रिक परिवहन प्रोत्साहन योजना, 2024 की जगह लेगी जो इसी महीने खत्म होने वाली है। फेम योजना का दूसरा चरण 2019 में तीन वर्षों के लिए 10,000 करोड़ रुपये के शुरुआती परिव्यय के साथ शुरू किया गया था। बाद में इसे 1,500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त परिव्यय के साथ मार्च, 2024 तक बढ़ा दिया गया था। इस योजना का प्रारंभिक लक्ष्य 10 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया, पांच लाख इलेक्ट्रिक तिपहिया, 55,000 यात्री कारों और 7,000 इलेक्ट्रिक बसों को समर्थन देना था।
- नयी दिल्ली। सरकार ने बुधवार को कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को एसीसी बैटरी भंडारण के लिए 3,620 करोड़ रुपये की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत 10 गीगावाट घंटा की बैटरी विनिर्माण इकाई लगाने की मंजूरी दी गई है। भारी उद्योग मंत्रालय को उन्नत रसायन सेल (एसीसी) विनिर्माण की पीएलआई योजना के लिए जारी वैश्विक निविदा के तहत सात बोलियां मिली थीं। इसमें 10 गीगावाट घंटे की एसीसी बैटरी भंडारण इकाई के लिए 3,620 करोड़ रुपये का अधिकतम बजट रखा गया था। इस निविदा में बोलियां लगाने वाली कंपनियों की सूची में एसीएमई क्लीनटेक सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, अमारा राजा एडवांस्ड सेल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, अन्वी पावर इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, जेएसडब्ल्यू नियो एनर्जी लिमिटेड, लुकास टीवीएस लिमिटेड, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और वारी एनर्जीज लिमिटेड शामिल थीं। मंत्रालय ने सभी सात बोलियों का मूल्यांकन करने के बाद वित्तीय आकलन के लिए छह कंपनियों को चुना था।मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा, ‘‘रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को गुणवत्ता एवं लागत आधारित चयन प्रणाली (क्यूसीबीएस) के आधार पर पीएलआई योजना के तहत 10 गीगावाट घंटे एसीसी क्षमता के लिए चुना गया है।'' मंत्रालय ने कहा कि इस इकाई की स्थापना के लिए बोलीदाता यानी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का चयन अधिकतम कुल स्कोर के आधार पर किया गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मई, 2021 में पीएलआई योजना के तहत ‘उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम' पर 18,100 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 50 गीगावाट घंटा की विनिर्माण क्षमता हासिल करने का लक्ष्य घोषित किया था।
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नयी दिल्ली. भारत के सेवा क्षेत्र की वृद्धि अगस्त में जुलाई की तुलना में बढ़ी। इसमें मार्च के बाद से सबसे तेज विस्तार देखा गया। एक मासिक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई है। मौसमी रूप से समायोजित एचएसबीसी इंडिया भारत सेवा पीएमआई कारोबारी गतिविधि सूचकांक जुलाई में 60.3 से बढ़कर अगस्त में 60.9 हो गया। यह मार्च के बाद सबसे तेज विस्तार है। इसे काफी हद तक उत्पादकता लाभ और सकारात्मक मांग के रुझान से समर्थन मिला। खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब गतिविधियों में विस्तार से और 50 से कम अंक का आशय संकुचन से होता है। एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री (भारत) प्रांजुल भंडारी ने कहा, ‘‘ भारत के लिए समग्र पीएमआई में अगस्त में मजबूत वृद्धि रही जो सेवा क्षेत्र में त्वरित व्यावसायिक गतिविधि से प्रेरित है। इसमें मार्च के बाद से सबसे तेज विस्तार हुआ। यह वृद्धि मुख्य रूप से नए ठेकों खासकर घरेलू ठेकों में वृद्धि से प्रेरित रही।'' कीमतों की बात करें तो कच्चे माल की लागत में छह महीने में सबसे कम वृद्धि हुई, विनिर्माण तथा सेवा दोनों क्षेत्रों में भी यही रुख देखने को मिला। इससे अगस्त में ‘आउटपुट' मूल्य मुद्रास्फीति में कमी आई। सर्वेक्षण में कहा गया, ‘‘ भारत की सेवा अर्थव्यवस्था में शुल्क मुद्रास्फीति की समग्र दर मध्यम रही। जुलाई में देखी गई वृद्धि की तुलना में भी यह वृद्धि धीमी रही।'' वहीं रोजगार का स्तर मजबूत बना रहा, हालांकि जुलाई की तुलना में नियुक्ति की गति मामूली धीमी रही।
इस बीच, एचएसबीसी इंडिया कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स जुलाई की तरह ही अगस्त में भी 60.7 रहा।
अगस्त के सर्वेक्षण के आंकड़ों से यह भी पता चला कि भारतीय वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए दाम जुलाई की तुलना में कम बढ़े। विनिर्माण कंपनियों तथा उनकी सेवा समकक्षों दोनों ने अगस्त में लागत दबाव में कमी देखी। सर्वेक्षण में कहा गया कि मुद्रास्फीति की कुल दर छह महीने के निचले स्तर पर आ गई है। - नयी दिल्ली. मारुति सुजुकी इंडिया ने मंगलवार को कहा कि उसने विभिन्न राज्यों में बाढ़ राहत के लिए ‘पीएम केयर्स फंड' में तीन करोड़ रुपये का योगदान किया है। मारुति ने बयान में कहा कि कंपनी के योगदान का मकसद देशभर में सरकार के राहत और पुनर्निर्माण प्रयासों का समर्थन करना है। मारुति सुजुकी इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) हिसाशी ताकेउची ने कहा, ‘‘हम हाल की प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित व्यक्तियों और परिवारों के साथ एकजुटता से खड़े हैं। संकट के समय में साथ मिलकर पुनर्निर्माण करना सामूहिक जिम्मेदारी है।'' उन्होंने कहा कि यह योगदान प्रभावित समुदायों के लिए सरकार के राहत और पुनर्वास प्रयासों का समर्थन करने के लिए एक विनम्र पहल है।
- नयी दिल्ली. जीएसटी नेटवर्क एक अक्टूबर से बिल प्रबंधन प्रणाली (आईएमएस) की शुरुआत करेगा। इसकी मदद से करदाता सही इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ उठाने के लिए आपूर्तिकर्ताओं की तरफ से जारी रिकॉर्ड/ बिलों का मिलान कर पाएंगे। जीएसटी नेटवर्क ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) भुगतानकर्ताओं को जारी किए गए परामर्श में कहा कि करदाताओं को पोर्टल के माध्यम से अपने आपूर्तिकर्ताओं के साथ बिलों में सुधार/ संशोधनों के कुशल प्रबंधन के लिए आईएमएस नाम की नई संचार सुविधा शुरू की जा रही है। जीएसटी रिटर्न दाखिल करने और कर देनदारियों के भुगतान मंच के तौर पर जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) का इस्तेमाल किया जाता है। जीएसटीएन ने कहा, ‘‘आईएमएस सुविधा से करदाताओं को सही आईटीसी का लाभ उठाने के लिए अपने आपूर्तिकर्ताओं द्वारा जारी किए गए रिकॉर्ड/ बिल का मिलान करने में भी सुविधा होगी।'' आईएमएस करदाताओं को चालान को स्वीकार या अस्वीकार करने या इसे प्रणाली में लंबित रखने की अनुमति देगा, जिसका लाभ बाद में उठाया जा सकता है। यह सुविधा करदाताओं को एक अक्टूबर से जीएसटी पोर्टल पर उपलब्ध होगी।परामर्श फर्म मूर सिंघी के कार्यकारी निदेशक रजत मोहन ने कहा कि सभी चालान पर की गई सभी कार्रवाइयों का विस्तृत रिकॉर्ड रखने से आईएमएस जीएसटी ऑडिट के लिहाज से एक मजबूत आधार तैयार करता है। यह सुविधा कर अधिकारियों को आईटीसी दावों के प्रबंधन में प्राप्तकर्ता की उचित सावधानी का स्पष्ट सबूत देती है।
- नयी दिल्ली. वैश्विक कृषि कंपनी सिंजेन्टा भारत को दुनियाभर में अपने सबसे महत्वपूर्ण बाजारों में से एक मानती है, जहां भारतीय किसानों के लिए नवाचार लाने और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) जेफ रोव ने यह जानकारी दी। रोव ने भारतीय बाजार में अद्वितीय चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘‘बाजार का तेजी से विकास करना, एक चुनौती और अवसर दोनों है। हालांकि, इसमें कुछ बाधाएं हैं, लेकिन अवसर चुनौतियों से कहीं अधिक हैं।'' सिंजेन्टा की पेशकश भारतीय किसानों की विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार की गई है।उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास कुछ बेहतरीन नए उत्पाद हैं जिन्हें हम बाजार में ला रहे हैं। 100 से अधिक देशों में काम करने वाली एक वैश्विक कंपनी के रूप में, हम अपने नवाचारों को भारत में जल्दी लाने को प्राथमिकता देते हैं।'' भारत में कंपनी की विस्तार योजनाएं अधिक टिकाऊ, प्रभावी और लाभदायक खेती के लिए नई उत्पादन पद्धतियों को पेश करने पर केंद्रित हैं। रोव ने भारत भर में संभावनाएं देखीं, लेकिन देश के अन्न भंडार के रूप में उत्तरी क्षेत्र के महत्व को भी रेखांकित किया। सिंजेन्टा फसल सुरक्षा, जैविक उत्पादों और सब्जी बीज किस्मों में नई तकनीकें शुरू करने की योजना बना रही है। रोव ने कहा कि नवाचार रणनीति का केंद्र है। उन्होंने आगे कहा, ‘‘हम वैश्विक स्तर पर कृषि में नवाचार की महाशक्ति बनना चाहते हैं।'' भारत में ड्रोन कंपनियों के साथ सहयोग सहित हाल की साझेदारियों का उद्देश्य किसानों तक सटीक प्रौद्योगिकी पहुंचाना है। रोव ने कहा, ‘‘यह भारतीय किसानों के लिए टिकाऊ तकनीकें पेश करने का एक बेहतरीन उदाहरण है।
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नयी दिल्ली. देश में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 47.8 प्रतिशत बढ़कर 16.17 अरब डॉलर रहा। सेवा, कंप्यूटर, दूरसंचार और औषधि क्षेत्रों में बेहतर पूंजी प्रवाह से एफडीआई बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इससे पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल-जून के दौरान एफडीआई प्रवाह 10.94 अरब डॉलर था। आंकड़ों के अनुसार, मई में विदेशी निवेश बढ़कर 5.85 अरब डॉलर और जून में 5.41 अरब डॉलर हो गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में क्रमशः 2.67 अरब डॉलर और 3.16 अरब डॉलर था। एफडीआई प्रवाह अप्रैल में मामूली गिरावट के साथ 4.91 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले इसी महीने में 5.1 अरब डॉलर था। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के अनुसार, कुल एफडीआई प्रवाह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 28 प्रतिशत बढ़कर 22.49 अरब डॉलर रहा, जो बीते वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल-जून में 17.56 अरब डॉलर था। कुल एफडीआई प्रवाह में इक्विटी प्रवाह, पुनर्निवेश आय और अन्य पूंजी शामिल है। इस अवधि के दौरान, मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका, नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, केमैन द्वीप और साइप्रस सहित प्रमुख देशों से एफडीआई इक्विटी प्रवाह बढ़ा। हालांकि, जापान, ब्रिटेन और जर्मनी से एफडीआई में कमी आई।
क्षेत्रवार देखा जाए तो सेवा, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, दूरसंचार, औषधि और रसायन क्षेत्र में पूंजी प्रवाह बढ़ा। आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान महाराष्ट्र को सबसे अधिक 8.48 अरब डॉलर का पूंजी निवेश प्राप्त हुआ। इसके बाद कर्नाटक (2.28 अरब डॉलर), तेलंगाना (1.08 अरब डॉलर) और गुजरात (1.02 अरब डॉलर) का स्थान रहा। दिल्ली और राजस्थान में पिछले साल की तुलना में एफडीआई में गिरावट आई है। -
नयी दिल्ली. श्रम और रोजगार मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि उसने आर्थिक रूप से कमजोर श्रमिकों को प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) का लाभ देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मंत्रालय ने बयान में कहा कि उसने राज्य सरकारों से प्रवासी श्रमिकों, भवन निर्माण मजदूरों, बीड़ी श्रमिकों, सिनेमा श्रमिकों, गैर-कोयला खदान श्रमिकों, ठेका मजदूरों और अन्य असंगठित श्रमिकों को पीएमएवाई के तहत शामिल करने को कहा है। यह निर्णय पीएमएवाई के कार्यान्वयन को वित्त वर्ष 2024-25 से वित्त वर्ष 2028-29 तक बढ़ाने के प्रस्ताव पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद लिया गया है। इसके जरिये पात्र लाभार्थियों को दो करोड़ अतिरिक्त घर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस पहल में आर्थिक रूप से कमजोर श्रमिकों को घर की जरूरत पूरी करने पर जोर दिया गया है।
श्रम मंत्रालय के मुताबिक, ये श्रमिक समाज के वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं और पीएम आवास योजना के दायरे में उन्हें लाना सामाजिक न्याय का मामला होने के साथ उनके जीवनस्तर को बेहतर बनाने की दिशा में एक जरूरी कदम भी है। मंत्रालय ने कहा कि निर्माण और प्रवासी श्रमिकों के लिए 21 अगस्त, 2024 को शुरू किया गया प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) पोर्टल अब पूरी तरह से चालू हो गया है। इस पोर्टल को आंकड़ों के संग्रह और विश्लेषण की सुविधा के लिए बनाया गया है। इसमें बीमा, स्वास्थ्य लाभ और आवास योजनाओं जैसी विभिन्न केंद्रीय एवं राज्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत कोष के उपयोग और श्रमिकों के कवरेज की जानकारी शामिल है। केंद्रीकृत डेटा प्रबंधन प्रणाली राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को सटीक निर्णय लेने और इन वंचित श्रमिकों की जरूरतों के अनुरूप अधिक प्रभावी कल्याणकारी नीतियां विकसित करने में सक्षम बनाएगी। मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों में तैनात कल्याण आयुक्तों को इन पहल के सफल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने का निर्देश दिया है। इस बीच, रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना पर हितधारक परामर्श की कड़ी के तहत केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को राजधानी में नियोक्ता संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की। मांडविया ने कहा कि रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना अधिक समृद्ध और समावेशी भारत बनाने के साझा लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मंडाविया ने कहा, ‘‘हम एक ऐसी योजना तैयार करने के लिए हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो मजबूत, समावेशी और अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुरूप हो। -
नई दिल्ली। शेयर बाजार में रिकॉर्ड उछाल का सिलसिला लगातार जारी है। NSE का बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी-50 आज लगातार 13वें दिन बढ़त पर बंद हुआ तो वहीं S&P BSE सेंसेक्स भी लगातार 10वें दिन रिकॉर्ड बनाने में कामयाब रहा। इंट्रा डे ट्रेड के दौरान आज लगातार चौथे दिन निफ्टी और तीसरे दिन सेंसेक्स ने लाइफ टाइम हाई दर्ज किया।क्लोंजिंग की बात की जाए आज S&P BSE सेंसेक्स 194.07 अंक या 0.24% की बढ़त के साथ 82,559.84 के लेवल पर क्लोज हुआ। जबकि, निफ्टी 50 0.17% या 42.80 अंक की बढ़ोतरी के साथ 25,278.70 के लेवल पर क्लोज हुआ। इंट्रा डे ट्रेड के दौरान सेंसेक्स 82,725.28 के आल टाइम हाई लेवल और निफ्टी 25,333.65 के रिकॉर्ड हाई तक पहुंच गए थे।
सेक्टोरल इंडेक्स में देखा जाए तो निफ्टी FMCG (0.82%), निफ्टी IT (0.44%), निफ्टी PSU बैंक (0.51%) और निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज (0.66%) के दम पर शेयर बाजार को बढ़त बनाने में मदद मिली। आज ट्रेड के दौरान IT इंडेक्स लाइफटाइम हाई पर पहुंच गया। जबकि, निफ्टी मेटल (-1.04%), फार्मा (-0.99%), ऑटो (-0.39%) और मीडिया (0.47%) ने बाजार पर जबरदस्त दबाव बनाया।एनालिस्ट्स का मानना है कि अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और नए सिरे से विदेशी फंड प्रवाह (FPI Fund inflow) घरेलू इक्विटी में तेजी को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके अलावा, आंकड़ों से यह पता चलता है कि वैश्विक मंदी के बावजूद भारत की आर्थिक वृद्धि ने प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ दिया, जिससे निवेशकों का सेंटिमेंट मजबूत हुआ है शेयर बाजार में तेजी आ रही है।S&P BSE सेंसेक्स पर आज 30 शेयरों में से 18 शेयर हरे निशान में बंद हुए, जबकि Nifty50 के 50 शेयरों में से 27 शेयर हरे निशान में बंद हुए। सेंसेक्स पर बजाज फिनसर्व के शेयरों ने सबसे शानदार परफॉर्मेंस दिखाते हुए टॉप गेनर्स की लिस्ट में नंबर 1 रहा। बजाज फिनसर्व के शेयर आज 3.23% की बढ़त के साथ 1840.10 रुपये पर बंद हुए। दूसरे नंबर पर बजाज फाइनेंस (3.18% की बढ़त के साथ) रही। गौरतलब है कि 9 सितंबर को बजाज फाइनेंस की सब्सिडियरी कंपनी बजाज हाउसिंग फाइनेंस का 6560 करोड़ रुपये का IPO ओपन होने जा रहा है।सेंसेक्स पर आज सबसे खराब परफॉर्मेंस करने वाले शेयरों में टॉप पर NTPC के स्टॉक्स रहे। इसके शेयर आज 1.57% की गिरावट के साथ 409.85 रुपये पर क्लोज हुए। इसके अलावा, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M), भारती एयरटेल, पावरग्रिड, L&T, TCS, HDFC बैंक, सनफार्मा, नेस्ले इंडिया, JDW स्टील और ICICI बैंक के शेयर लाल निशान में बंद हुए।एशियाई बाजारों में, सियोल और टोक्यो पॉडिटिव नोट पर बंद हुए, जबकि शंघाई और हांगकांग निचले स्तर पर बंद हुए। यूरोपीय बाज़ार नकारात्मक दायरे में कारोबार कर रहे थे। शुक्रवार को अमेरिकी बाजार बढ़त के साथ बंद हुए।एक्सचेंज डेटा के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने शुक्रवार को 5,318.14 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी। -
नई दिल्ली। चीन की कंपनी रियलमी ने घोषणा की है कि वह 9 सितंबर को भारत में अपना नया स्मार्टफोन Narzo 70 Turbo लॉन्च करेगी। यह स्मार्टफोन पहले ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Amazon India पर लिस्ट हो चुका है, जहां इसके फीचर्स और डिज़ाइन का पहला लुक सामने आया है। कंपनी ने इस आगामी स्मार्टफोन के कुछ प्रमुख फीचर्स का भी खुलासा किया है।
Realme Narzo 70 Turbo 5G: क्या होगा खास?Narzo 70 Turbo की प्रोडक्ट लिस्टिंग के अनुसार, इस स्मार्टफोन का डिज़ाइन मोटर-स्पोर्ट्स से प्रेरित है, जिसमें डुअल टोन फिनिश दी गई है। फोन के बैक पैनल का रंग पीला है, जिस पर किनारों के साथ डार्क ग्रे स्ट्राइप्स दी गई हैं। फोन में फ्लैट फ्रेम डिज़ाइन है और इसका रियर कैमरा मॉड्यूल स्क्वायर-ऑफ डिजाइन में है, जो कि स्टैंडर्ड Realme Narzo 70 स्मार्टफोन के सर्कुलर डिज़ाइन से अलग है। फ्रंट में, Realme Narzo 70 Turbo में फ्लैट डिस्प्ले है, जिसमें फ्रंट कैमरा के लिए पंच होल डिज़ाइन है।कंपनी ने बताया है कि इस स्मार्टफोन की मोटाई 7.6 मिमी होगी और इसका वजन 185 ग्राम है। Realme ने पुष्टि की है कि Narzo 70 Turbo स्मार्टफोन को MediaTek Dimensity 7300 Energy चिप से पावर मिलेगा, जो अपने सेगमेंट में सबसे तेज़ चिप है।यह स्मार्टफोन 12GB तक की RAM और 256GB तक के ऑन-बोर्ड स्टोरेज के साथ आ सकता है। फोटोग्राफी के लिए, Narzo 70 Turbo में 50 MP का प्राइमरी कैमरा सेंसर हो सकता है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक इमेज स्टेबिलाइजेशन (EIS) भी होगा। फ्रंट कैमरा 8MP का होने की संभावना है।Realme Narzo 70 Turbo 5G: संभावित स्पेसिफिकेशंस-डिस्प्ले: 6.67-इंच FHD+, फ्लैट डिस्प्ले, पंच-होल डिज़ाइन-प्रोसेसर: MediaTek Dimensity 7300 Energy-RAM: 12GB तक-स्टोरेज: 256GB तक-रियर कैमरा: 50 MP प्राइमरी कैमरा EIS के साथ-फ्रंट कैमरा: 8MP-बैटरी: 5000mAh -
नयी दिल्ली. अगस्त में कुल जीएसटी संग्रह 10 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1.75 लाख करोड़ रुपये हो गया। रविवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। पिछले साल अगस्त में माल और सेवा कर (जीएसटी) राजस्व 1.59 लाख करोड़ रुपये था, जबकि इस साल जुलाई में यह 1.82 लाख करोड़ रुपये था। अगस्त 2024 में घरेलू राजस्व 9.2 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये हो गया। वस्तुओं के आयात से सकल जीएसटी राजस्व 12.1 प्रतिशत बढ़कर 49,976 करोड़ रुपये रहा। समीक्षाधीन महीने में 24,460 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए, जो सालाना आधार पर 38 प्रतिशत अधिक है। रिफंड समायोजन के बाद शुद्ध जीएसटी राजस्व आलोच्य महीने में 6.5 प्रतिशत बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपये रहा।
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गुवाहाटी. घरेलू खपत में धीमी वृद्धि, बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति और कोविड महामारी के बाद निर्यात में धीमी गति से सुधार चाय उद्योग के समक्ष प्रमुख चुनौतियां हैं। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया टी ट्रेडर्स एसोसिएशन के एक अधिकारी ने यह कहा। चाय उत्पादक संघ और टी बोर्ड इंडिया देश में धीमी मांग वृद्धि से चिंतित हैं।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया टी ट्रेडर्स एसोसिएशन (एफएआईटीटीए) के अध्यक्ष संजय शाह ने शनिवार शाम यहां अपनी 10वीं वार्षिक आम बैठक के दौरान कहा कि खुदरा विक्रेताओं के रूप में, हम बाजार की गतिविधियों को करीब से देख रहे हैं। खाद्य मुद्रास्फीति का बढ़ता स्तर भी चिंता का विषय बना हुआ है, क्योंकि इसका उपभोग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। शाह ने कहा, ‘‘आवश्यक वस्तुओं में उच्च मुद्रास्फीति गैर-आवश्यक वस्तुओं की मांग पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। आवश्यक वस्तुओं में भी, उपभोक्ता कम कीमत वाले गैर-प्रीमियम उत्पादों की ओर रुख कर सकते हैं।'' एफएआईटीटीए के चेयरमैन ने यह भी कहा कि बाजार में चाय की कीमतों में कई दौर की वृद्धि को सहन करने की क्षमता को लेकर चिंताएं हैं। यह वृद्धि पिछले साल मुख्य कच्चे माल की कीमतों में तेज वृद्धि को देखते हुए अपरिहार्य हो गई हैं। उन्होंने कहा कि महामारी की अवधि से मांग में कुछ सुधार के साथ, 2022-23 में औसत कीमतें 180 रुपये प्रति किलो थीं। शाह ने कहा कि 2022 में, ‘ऑर्थोडॉक्स' (खुली) चाय बाजार में उछाल था क्योंकि श्रीलंका की स्थिति भारत के पक्ष में हो गई थी। हालांकि, 2023 में निर्यात दबाव में रहने से चाय की कीमतों में सुस्ती आई। उन्होंने कहा, ‘‘2024 में स्थिति में काफी बदलाव आया है। उत्तर भारतीय संयुक्त पत्ती और ‘डस्ट' चाय दरों को देखते हुए, कीमतें पिछले साल के इसी स्तर की तुलना में लगभग 46 प्रतिशत अधिक हैं।'' शाह ने कहा कि वर्ष 2023 में चाय का उत्पादन 139.3 करोड़ किलोग्राम पर रहा। जबकि 2022 में यह 136.6 करोड़ किलो था। उन्होंने कहा कि निर्यात कई साल 25 करोड़ किलो के स्तर पर रहने के बाद 2020 और 2021 में इसमें कमी आई। उसके बाद इसमें कुछ सुधार आया है। 2023 में निर्यात 22.8 करोड़ किलो रहा जो 2022 में 23.1 करोड़ किलो था। शाह ने कहा कि कई वर्षों के ठहराव के बाद, भारतीय चाय निर्यात उच्च वृद्धि के रास्ते पर है। -
नयी दिल्ली. ज्यादातर मोबाइल ग्राहकों का कहना है कि उन्हें हर दिन परेशान करने वाली कॉल आती हैं, जिनमें से ज्यादातर वित्तीय सेवाओं और रियल एस्टेट से संबंधित होती हैं। ऑनलाइन सर्वेक्षण फर्म लोकलसर्किल्स ने रविवार को यह जानकारी दी।
कंपनी के सर्वेक्षण के अनुसार 95 प्रतिशत मोबाइल ग्राहकों ने हर दिन परेशान करने वाली कॉल आने की पुष्टि की है। इनमें से 77 प्रतिशत को रोजाना तीन या इससे अधिक ऐसी कॉल आती हैं। सर्वेक्षण में भाग लेने वाले ज्यादातर लोगों ने यह भी कहा कि उन्होंने ट्राई की 'डू नॉट डिस्टर्ब' (डीएनडी) सूची में पंजीकरण कराया है, इसके बावजूद पिछले 12 महीनों में उन्हें ऐसी कॉल आई हैं। सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, ''डीएनडी सूची में पंजीकृत 96 प्रतिशत मोबाइल उपभोक्ताओं ने कहा कि पिछले 12 महीनों में उनके नंबर पर परेशान करने वाली कॉल आई हैं। डू नॉट डिस्टर्ब सेवाओं का असर भी कम हो गया है, क्योंकि 96 प्रतिशत ने डीएनडी में पंजीकृत होने के बावजूद इस तरह के कॉल आने की पुष्टि की है।'' छह महीने पहले लोकलसर्किल्स के सर्वेक्षण में 90 प्रतिशत ने ऐसा कहा था।
सर्वेक्षण के अनुसार, 66 प्रतिशत मोबाइल उपभोक्ताओं ने कहा कि अधिकांश परेशान करने वाले फोन कॉल अलग-अलग मोबाइल नंबरों से आती हैं, जो व्यक्तियों के होते हैं। दूसरी ओर 18 प्रतिशत ने कहा कि ये कॉल कंपनियों और ब्रांडों से संबंधित मोबाइल नंबरों से आते हैं। सर्वेक्षण में भारत के 371 जिलों से 71,000 प्रतिक्रियाएं मिलीं।