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आज के समय में लोग खुद को हेल्दी और फिट रखने के लिए अपनी डाइट का खासा ख्याल रखने लगे हैं. ऐसे में सोशल मीडिया पर कई तरह की रील और वीडियोज वायरल होते हैं जिसमें कुछ चीजों का सेवन करने का फायदे बताए जाते हैं. आजकल मोरिंगा ( मुनगा) पाउडर का सेवन करने के स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताया जा रहा है. मोरिंगा पाउडर, जिसे 'ड्रमस्टिक पाउडर' भी कहा जाता है, स्वास्थ्य के लिए कई लाभ प्रदान करता है. यह पोषक तत्वों से भरपूर है और इसमें एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और मिनरल्स भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. लेकिन हर चीज जो फायदेमंद हो वो हर किसी के लिए लाभदायी हो ऐसा जरूरी नही है. आज हम आपको बताएंगे कि किन लोगों को मोरिंगा पाउडर का सेवन करने से बचना चाहिए या इसे लेते समय सावधानी बरतनी चाहिए.
1. गर्भवती महिलाएंमोरिंगा के पत्ते और फूल प्रेगनेंसी में फायदेमंद हो सकते हैं, लेकिन इसकी जड़ और छाल का सेवन प्रेगनेंट महिलाओं के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. इस पाउडर में कुछ ऐसे तत्व भी पाए जाते हैं जो गर्भाशय में संकुचन पैदा कर सकते हैं. ऐसे में प्रेगनेंसी में इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें.2. ब्रेस्टफीड करवाने वाली महिलाएंहालांकि मोरिंगा ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं में दूध बनने को बढ़ाने के लिए जाना जाता है, लेकिन इसका सेवन करते समय इसकी मात्रा पर ध्यान देना जरूरी होता है. इसका ज्यादा सेवन बच्चे और मां दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है.3. लो ब्लड प्रेशर के मरीजमोरिंगा पाउडर में पाए जाने वाले तत्व ब्लड प्रेशर को लो करने में मदद करते हैं. ऐसे में जिनको पहले से ही लो बीपी की समस्या है उनको इसका ज्यादा सेवन करने से बचना चाहिए. या फिर डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करना चाहिए.4. डायबिटीज के मरीजमोरिंगा ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करती है, लेकिन अगर आप पहले से ही डायबिटीज कंट्रोल करने वाली दवाएं ले रहे हैं तो इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें.5. गैस्ट्रिक या पाचन समस्याजिन लोगों को गैस्ट्रिक या पाचन संबंधी समस्या होती है उनको मोरिंगा पाउडर का ज्यादा सेवन करने से बचना चाहिए. ये पाचन तंत्र पर असर डाल सकता है और गैस्ट्रिक समस्या या डायरिया जैसी परेशानियां पैदा कर सकता है. - उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर में कई तरह के बदलाव महसूस होते हैं। सामान्यतः अधिकतर बढ़ती उम्र में मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। यही वजह है कि बढ़ती उम्र के कारण लोगों में हड्डियों से जुड़ी समस्याएं जैसे ऑस्टियोपोरोसिस, कैल्शियम की कमी और हड्डियों में दर्द बहुत आम हो जाते हैं। हालांकि, इन समस्याओं को दूर करने के लिए डॉक्टर आपको कुछ सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दे सकते हैंं। लेकिन, यदि आप सही समय पर डाइट में पौष्टिक ड्राई फूट्स को शामिल करते हैं तो इससे आपको हड्डियों से जुड़ी कई समस्या में आराम मिलता है। आहार विशेषज्ञ बताते हैं कि 40 के बाद यदि डाइट में काली किशमिश को शामिल किया जाए तो इससे हड्डियों से जुड़ी समस्यओं से बचाव हो सकता है।बुजुर्गों की हड्डियों के लिए काले किशमिश खाने के फायदेकाली किशमिश में हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम, बोरोन, मैग्नीशियम, आयरन, पोटेशियन, और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। आगे जानते हैं इसके फायदों के बारे में। काले किशमिश में भरपूर मात्रा में कैल्शियम और मैग्नीशियम होता है, जो बोन डेंसिटी (Bone Density) को बनाए रखने में मदद करता है। काली किशमिश के नियमित सेवन से बुजुर्गों की हड्डियां टूटने या फ्रैक्चर होने के खतरे से बचती हैं।ऑस्टियोपोरोसिस से बचावजिन लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या होती है, उनके लिए काले किशमिश एक बेहतरीन घरेलू उपाय मानी जा सकती है। इसमें मौजूद बोरोन हड्डियों में कैल्शियम के अवशोषण को बेहतर बनाता है और हड्डियों के खोखलेपन को रोकता है।हड्डियों में दर्द से राहतबुजुर्गों को अक्सर जोड़ों और हड्डियों में दर्द या सूजन की शिकायत रहती है। काले किशमिश में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण हड्डियों की सूजन को कम करते हैं और दर्द से राहत दिलाते हैं।आयरन की कमी को करता है दूरउम्र बढ़ने के साथ खून की कमी एक आम समस्या है। काले किशमिश में भरपूर आयरन होता है, जो खून की गुणवत्ता बढ़ाकर हड्डियों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति को बेहतर करता है।मांसपेशियों को भी मजबूत बनाएंहड्डियों और मांसपेशियों का संतुलन बनाकर चलना बेहद आवश्यक होता है। काले किशमिश में मौजूद पोटेशियम और मैग्नीशियम मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं, जिससे बुजुर्गों को गिरने या लड़खड़ाने की आशंका कम होती है।काले किशमिश का सेवन कैसे करें?-रात में 6-8 काले किशमिश को गर्म पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट खाएं। इससे इसके पोषक तत्व जल्दी अवशोषित होते हैं।-काले किशमिश को गर्म दूध में डालकर रात को सोने से पहले पिएं। यह नींद को भी बेहतर करता है और हड्डियों के लिए भी लाभकारी है।-काले किशमिश को किसी भी हेल्दी डिश जैसे दलिया, ओट्स या ड्राई फ्रूट खिचड़ी में मिलाकर खाया जा सकता है।-मधुमेह (डायबिटीज) वाले बुजुर्गों को काले किशमिश का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए ,क्योंकि इनमें प्राकृतिक शुगर अधिक होती है।- बुजुर्गों की हड्डियों की सेहत बनाए रखने के लिए काले किशमिश एक सरल, सस्ता और प्रभावशाली उपाय है। इसमें मौजूद कैल्शियम, मैग्नीशियम, बोरोन और आयरन जैसे पोषक तत्व हड्डियों की मजबूती, लचीलापन और लंबी उम्र के लिए आवश्यक हैं। अगर इसे सही मात्रा में और नियमित रूप से सेवन किया जाए, तो हड्डियों की बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है।हड्डियों में ताकत लाने के लिए क्या खाना चाहिए?सफेद तिल, हरी पत्तेदार सब्जियां, अखरोट और पनीर, दूध का सेवन करने से हड्डियांं मजबूत होती है। इसके अलावा, हल्की एक्सरसाइज से भी बोन हेल्थ बेहतर होती है।
- घरेलू उपाय त्वचा की देखभाल के लिए बहुत लाभकारी होते हैं, क्योंकि ये प्राकृतिक होते हैं और किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट्स से मुक्त रहते हैं। बस जरूरी है कि आप सही और ताजगी से भरी सामग्री का चयन करें। ऐसे में यदि आप महंगी क्रीम और पार्लर ट्रीटमेंट पर बार-बार पैसे खर्च कर थक चुके हैं और फिर भी त्वचा में निखार नहीं आ रहा, तो अब समय है प्राकृतिक घरेलू उपाय अपनाने का। कॉफी और एलोवेरा जेल का संयोजन आपकी त्वचा के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह न सिर्फ चेहरे की गहराई से सफाई करता है, बल्कि उसे निखार और नई जान भी देता है।त्वचा को मिलते हैं, कई लाभ- डेड स्किन हटाए: कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा से डेड स्किन सेल्स को हटाने में मदद करते हैं, जिससे त्वचा साफ, ताजगी भरी और चमकदार नजर आती है। यह स्किन को एक्सफोलिएट कर प्राकृतिक निखार लाने में सहायक होता है।-टैनिंग दूर करे: कॉफी त्वचा की टैनिंग को कम करती है और रंगत को निखारती है। इसके नियमित इस्तेमाल से त्वचा में एक समान रंग और प्राकृतिक चमक आती है।- एलोवेरा जेल ठंडक देता है: एलोवेरा में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की जलन, मुंहासों और लालिमा को कम करते हैं, जिससे त्वचा शांत, मुलायम और स्वस्थ बनी रहती है।- त्वचा को करें टाइट: यह कॉफी और एलोवेरा का मिश्रण त्वचा को टाइट करने में मदद करता है, जिससे चेहरे की लचीलापन बढ़ता है और झुर्रियों की दिखावट कम होती है। इससे त्वचा जवान और ताजा नजर आती है।लगाने का सही समयकॉफी और एलोवेरा जेल का फेस पैक रात को सोने से पहले लगाना सबसे फायदेमंद होता है। रात के समय त्वचा विश्राम की अवस्था में होती है, जिससे पैक में मौजूद पोषक तत्व गहराई से त्वचा में समा जाते हैं और सुबह त्वचा ज्यादा चमकदार और तरोताजा नजर आती है।लगाने का तरीकाकॉफी और एलोवेरा जेल का यह फेस पैक तैयार करना बेहद आसान है और इसका असर भी जल्दी नजर आता है। इसके लिए सबसे पहले एक चम्मच कॉफी पाउडर लें और उसमें दो चम्मच एलोवेरा जेल मिलाएं। दोनों को अच्छी तरह मिक्स करके एक स्मूथ पेस्ट बना लें। इस मिश्रण को चेहरे और गर्दन पर समान रूप से लगाएं और 15 से 20 मिनट तक सूखने दें। जब पैक सूख जाए, तो गुनगुने पानी से हल्के हाथों से मसाज करते हुए धो लें। यह पैक त्वचा की गहराई से सफाई करता है और चमक बढ़ाता है। हफ्ते में 2-3 बार इसका इस्तेमाल जरूर करें, फर्क महसूस होगा। (आप जरूर करें इस्तेमालकॉफी और एलोवेरा का ये घरेलू उपाय आपकी त्वचा को नेचुरल ग्लो देगा, जो महंगी क्रीम भी नहीं दे पाती। लेकिन इससे पहले जान ले कि किस तरह की त्वचा वालों को किन बातों का ख्याल रखना होता है।- तैलीय (ऑयली) त्वचा: यह पैक अतिरिक्त तेल हटाकर चेहरे को फ्रेश लुक देता है।- ड्राई स्किन: एलोवेरा नमी प्रदान करता है, इसलिए रूखी त्वचा वालों के लिए भी यह फायदेमंद है।- संवेदनशील त्वचा: पहले पैच टेस्ट करें। अगर जलन न हो, तो निश्चिंत होकर इस्तेमाल करें।कॉफी से स्किन को क्या फायदे मिलेंगे?कॉफी में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो स्किन को काफी फायदे पहुंचाते हैं और कई तरह की बीमारियों का खतरा दूर करते हैं।एलोवेरा से स्किन को क्या फायदे मिलेंगे?एलोवेरा में कई खास तरह के प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं, जो स्किन की रंगत को सुधारते हैं और स्किन से जुड़ी अन्य बीमारियों को दूर करते हैं।नेचुरल ग्लो कैसे पाएं?स्किन केयर के साथ-साथ सही डाइट, नियमित एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल की अन्य आदतों का ध्यान रखना भी जरूरी है।
- शरीर में जरूरी न्यूट्रिशन की कमी होने पर कुछ संकेत बाहरी स्किन पर दिखने लगते हैं। विटामिन डी शरीर के लिए बाकी न्यूट्रिशन के जितना ही जरूरी है। यहां तक कि ये शरीर के कई सारे फंक्शन को आसान बनाता है। तभी तो रोजाना धूप से विटामिन डी लेने की सलाह दी जाती है। जिससे कि ये हड्डियों को मजबूत बनाने से लेकर इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाएं। विटामिन डी की इतनी जरूरत होने के बाद भी लगभग एक बिलियन लोग इसकी कमी से जूझ रहे हैं। कई सारी जगह तो लगभग 50 प्रतिशत लोग विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं। विटामिन डी की कमी आमतौर पर स्किन और पैरों पर दिखती है। अगर शरीर में ये समस्याएं दिख रही हैं तो समझ जाएं कि विटामिन डी की कमी हो गई है।घावों का देर से भरनाविटामिन डी कमी जिस भी इंसान को होगी उसके घाव देर से भरेंगे। जरा सी चोट भी ठीक होने में समय लेगी। इसका कारण है कि विटामिन डी स्किन सेल के रिजनरेशन और घाव के रिपेयर करने में खास रोल निभाती है। विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा होने पर ये नए स्किन टिश्यू को बनाने के लिए जरूरी कंपाउंड का प्रोडक्शन करती है। विटामिन डी की कमी होने पर कटने, छिलने, आसानी से इन्फेक्टेड होने का डर सबसे ज्यादा रहता है।स्किन में खुजलाहटस्किन में लगातार खुजली होना भी विटामिन डी की कमी के लक्षण हैं। जिसे आप रिएक्शन समझकर क्रीम और लोशन लगाते हैं। दरअसल, वो विटामिन डी की कमी होती है। विटामिन डी होने पर सबसे आम और दिखने वाला लक्षण ड्राई और खुजली वाली स्किन है। क्योंकि विटामिन डी स्किन बैरियर बनाने में मदद करता है। जो स्किन का मॉइश्चर बरकरार रखता है और स्किन को इरिटेट होने से रोकता है। विटामिन डी कम होते ही स्किन रूखी, बेजान और पतले छिलके की परत की तरह निकलने लगती है।डल स्किनविटामिन डी की कमी की वजह से स्किन बिल्कुल पीली और फीकी सी दिखने लगती है। विटामिन डी स्किन के हेल्दी कॉम्प्लेक्शन के लिए जरूरी होता है। इस न्यूट्रिएंट का असर मेलानिन के प्रोडक्शन पर पड़ता है जो स्किन टोन को रेगुलेट करता है।पैरों में दर्दअगर सीढ़ी चढ़ने या कुर्सी से उठने पर पैरों में दर्द होता है। तो विटामिन डी जरूर चेक करवाएं। विटामिन डी की कमी की वजह से पैरों की हड्डियों में दर्द, मसल्स में वीकनेस होती है। वहीं बच्चों में तो रिकेट्स भी पैरों में होता है। जिससे पैर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं।बहुत ज्यादा पसीनाविटामिन डी के लक्षणों में से एक है बहुत ज्यादा पसीना होना। ज्यादातर लोगों को लगता है कि थकान और गर्मी की वजह से पसीना हो रहा है। लेकिन ज्यादा पसीना खासतौर पर सिर और चेहरे पर अगर हो रहा है तो ये विटामिन डी की कमी का लक्षण है। विटामिन डी पसीने की ग्रंथियों को रेगुलेट करता है। और जब ये कम हो जाता है तो पसीना निकलने का बैलेंस गड़बड़ हो जाता है।
- 35 के बाद अगर स्किन केयर में लापरवाही की जाए तो बड़ी जल्दी एजिंग नजर आने लगती है। ना केवल चेहरे की स्किन ढीली हो जाता है बल्कि चेहरे पर दाग-धब्बे भी दिखने लगते हैं। वहीं स्किन पर डलनेस दिखने लगती है जो मेकअप करने के बाद भी पूरी तरह से नहीं जाती। अगर आपको भी चेहरे पर वो पुरानी वाली रौनक नजर नहीं आती है तो इस नेचुरल सीरम को तैयार कर लें और रोजाना रात को लगाएं। ये चेहरे पर नेचुरल ग्लो देने के साथ ही ढीली हो रही स्किन को भी टाइट करने में मदद करेगा। जान लें कैसे बनाएं सीरम।घर में सीरम बनाने का तरीकाहोममेड सीरम ना केवल स्किन को कई तरह के केमिकल से बचाता है बल्कि नेचुरल ग्लो भी देता है। इसे बनाने के लिए तीन से चार चीजों की जरूरत पड़ती है। तो चलिए जानें किन चीजों को मिलाकर घर में ही सीरम बनाया जा सकता है।नारियल का तेलफिटकरीमुलेठी पाउडरग्लिसरीनकिसी कांच के बर्तन या शीशी में एक चम्मच मुलेठी पाउडर, दो चम्मच नारियल का तेल को मिक्स कर लें। अगर मुलेठी पाउडर ना हो तो मुलेठी की स्टिक को नारियल के तेल में डुबो दें। साथ ही एक चम्मच ग्लिसरी को मिक्स करें और फिटकरी का पाउडर बनाकर मिक्स कर लें। इन सारी चीजों को किसी कांच की शीशी में भरकर रख लें। रोजाना रात को चेहरे को अच्छी तरह से वॉश करने के बाद इसे लगाएं। सुबह हल्के हाथों से मसाज कर चेहरे को धो लें। इससे चेहरे पर नेचुरल ग्लो नजर आने लगेगा।फिटकरी और मुलेठी से स्किन को मिलेगा फायदाफिटकरी स्किन को नेचुरली टाइट करने और दाग-धब्बे हटाने में मदद करता है। वहीं इसमे मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण एक्ने और पिंपल को भी कम करने में मदद करता है। वहीं ग्लिसरीन बढ़ती उम्र के साथ स्किन पर दिखने वाले रूखेपन को खत्म कर मॉइश्चर को लॉक करता है। जिससे स्किन ग्लोइंग और शाइनी दिखने लगती है। नारियल के तेल में मिक्स फिटकरी चेहरे की डेड स्किन और गंदगी को भी हटाता है। जिससे स्किन सॉफ्ट और ब्राइट दिखने लगती है। तो अगर स्किन केयर रूटीन में केमिकल फ्री चीजें शामिल करनी है तो इस होममेड सीरम को जरूर बनाकर यूज करें।
- बारिश के मौसम में पानी से फैलने वाली बीमारियों का खतरा बहुत बढ़ जाता है क्योंकि इस मौसम में पानी और भोजन काफी आसानी से दूषित और संक्रमित हो सकते हैं. यही वजह है कि इस मौसम में डायरिया या कॉलेरा जैसी बीमारियां होने का खतरा रहता है. ऐसे में वक्त रहते हैं इस मौसम में सावधान रहने की जरूरत है. डॉक्टरों का कहना है कि इस मौसम में डायरिया या कॉलेरा जैसी बीमारियां का मेन कारण गंदगी हो सकती है. ऐसे में इस मौसम में साफ-सफाई का प्रॉपर ध्यान रखें तो चलिए जानते हैं कि मानसून में डायरिया या कॉलेरा जैसी बीमारियां से कैसे बचा जा सकता है...हाथों को अच्छे से धोएंबीमारियों से बचने के लिए यह सबसे जरूरी है कि आप अपने हाथों को अच्छे से धोएं. इसके लिए खाने से पहले आपको अपने हाथों को साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोना चाहिए. हाथ धोने से डायरिया पैदा करने वाले सभी कीटाणु मर जाते हैं और आप सेफ रहते हैं.साफ पानी पिएंमानसून में डायरिया और हैजा होने के मुख्य कारणों में से एक पानी है. दूषित पानी आपको कुछ ही समय में बीमार कर सकता है. ऐसे में पानी पीते वक्त ये ध्यान रखें कि वो बिल्कुल साफ हो. हो सके तो पानी उबालकर पिएं.फलों और सब्जियों को अच्छे से साफ करेंआपको अपने फलों और सब्जियों को पकाने और खाने से पहले साफ पानी से अच्छी तरह से धोना चाहिए. वहीं, कटे हुए फलों या सब्जियों को ज्यादा देर तक बाहर न छोड़ें.हमेशा ताजा खाना खाएंहमेशा ताजा खाना खाएं. अगर खाना ठंडा है तो उसे खाने से पहले उसे गर्म कर लें. अगर खान बाहर रखना भी पड़े तो इसे ढककर रखें.बाहर का खाना खाने से बचेंबाहर खाना बेचने वाले ज्यादातर साफ-सफाई का उतना ध्यान नहीं रखते, जिसके कारण उस मौसम में बाहर खाने से डायरिया का खतरा बना रहता है.
- विटामिन डी एक आवश्यक पोषक तत्व है जिसकी आपके शरीर को कई फंक्शन्स के लिए जरूरत होती है. विटामिन डी मजबूत हड्डियों का निर्माण और रखरखाव शामिल है. शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी ना मिलने पर आपको थकान, कमजोरी और हड्डियों की कमजोरी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. विटामिन डी को अक्सर सनशाइन विटामिन यानी धूप का विटामिन कहा जाता है क्योंकि सूरज का संपर्क इस पोषक तत्व को हासिल करने में सबसे मददगार होता है. दरअसल आपकी त्वचा में एक प्रकार का कंपाउंड होता है जो विटामिन डी के रूप में कार्य करता है. जब यह कंपाउंड सूर्य से यूवी-बी रेडिएशन के संपर्क में आता है तो यह आपके शरीर में विटामिन डी बन जाता है.त्वचा का रंग करता है प्रभावितऐसे लोग जिनकी त्वचा का रंग गहरा होता है, इन लोगों को हल्के रंग की त्वचा वाले लोगों की तुलना में विटामिन डी का उत्पादन करने के लिए धूप में ज्यादा समय बिताने की जरूरत होती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि गहरे रंग की त्वचा में मेलेनिन अधिक होता है. मेलानिन एक कंपाउंड है जो विटामिन डी के उत्पादन को थोड़ा बाधित कर सकता है.उम्र भी बड़ा फैक्टरजैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपकी त्वचा में विटामिन डी का उत्पादन कम और मेटाबॉलिक हेल्थ लो होती जाती है. ऐसे में विटामिन डी के लेवल बनाए रखने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए.आप ऐसे इलाकों में रहते हैं जहां साल भर ज्यादा गर्मी रहती है तो सूरज की किरणों के साथ आपके शारीरिक का कनेक्शन ज्यादा रहता है इसलिए आपका शरीर भी साल भर उतना ज्यादा विटामिन डी का उत्पादन कर सकता है.सनस्क्रीन और कपड़ेकुछ प्रकार के कपड़े, डिजाइन, फैब्रिक और सनस्क्रीन भी विटामिन डी के उत्पादन में बाधा डाल सकते हैं.विटामिन डी बढ़ाने के लिए क्या खाएं1-फैटी फिशेस और सी फूड्स विटामिन डी के सबसे समृद्ध नैचुरल सोर्से में से एक है.वास्तव में साल्मन की करीब 85 ग्राम की खुराक 570 IU तक विटामिन डी प्रदान कर सकती है जो कि किसी स्वस्थ वयस्क के लिए 600 IU के डेली रिक्वायरमेंट के करीब है.2-मशरूम्स भी विटामिन डी का अच्छा सोर्स हैं और शाकाहारी स्रोत भी है. विटामिन डी की मात्रा मशरूम के प्रकार पर निर्भर करती है.3-अंडे की जर्दी विटामिन डी का एक और स्रोत है जिसे आप आसानी से अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं. बाकी सोर्सेस की तरह अलग-अलग अंडे की जर्दी में भी विटामिन डी की मात्रा अलग-अलग होती है.
- दिनभर की भागदौड़ के बाद कभी-कभी ऐसा होता है कि हम समय पर खाना नहीं खा पाते और देर रात भोजन करना पड़ता है। कई लोगों की जॉब की टाइमिंग ऐसी होती है कि रात का खाना देर से ही हो पाता है। ऐसे में वजन बढ़ने, नींद सही से ना आने या पाचन तंत्र खराब होने की चिंता जरूर होती है। लेकिन अगर कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो देर रात खाना खाने के बावजूद भी आप अपनी सेहत और फिटनेस को बनाए रख सकते हैं। आपको बस थोड़ी सी समझदारी की जरूरत है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे आसान से टिप्स जिनकी मदद से आप देर रात खाना खाने के बाद भी अपने सेहत और फिटनेस का ख्याल रख पाएंगे।देर रात हल्का और संतुलित खाना खाएंदेर रात भारी खाना खाने से पाचन तंत्र पर एक्स्ट्रा बर्डन पड़ सकता है। ऐसे में गैस, अपच और एसिडिटी जैसी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। इसलिए देर रात के खाने में हल्का और पौष्टिक खाना ही शामिल करें। रात के समय आप खिचड़ी, हरी सब्जियों के साथ रोटी, दाल या सूप जैसे ऑप्शंस चुन सकते हैं। देर रात अधिक तला-भुना, मसालेदार और बहुत अधिक मीठा या तेल वाला खाना खाने से बचें। हल्का खाना पचाने में आसान होता है और सेहत के लिए भी सही रहता है।खाने के तुरंत बाद लेटने से बचेंदेर रात खाना खाने के बाद अक्सर लोग थकान के कारण तुरंत बिस्तर पर लेट जाते हैं। लेकिन ये आदत पाचन क्रिया को नुकसान पहुंचा सकती है और एसिड रिफ्लक्स जैसी प्रॉब्लम हो सकती है। खाना खाने के बाद कम से कम 30 से 45 मिनट तक बिस्तर पर ना जाएं। इस दौरान आप थोड़ी देर टहल सकते हैं या कोई हल्का-फुल्का काम कर सकते हैं, इससे खाना आसानी से पच जाएगा जो सेहत के लिए भी सही है और आपकी फिटनेस के लिए भी सही है।रात में सोने से पहले गर्म पानी पिएंअगर आपने रात में देर से खाना खाया है, तो सोने से पहले एक गिलास गुनगुना पानी पीना फायदेमंद रहेगा। ये पेट को साफ रखने में मदद करता है और पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है। गर्म पानी पीने से शरीर से टॉक्सिक एजेंट बाहर निकल जाता है और इससे पेट भी हल्का महसूस होता है। इस बात का ध्यान रखें कि बहुत ज्यादा पानी ना पिएं, बस एक छोटा गिलास गुनगुना पानी ही पिएं।सुबह जल्दी उठकर हल्का व्यायाम करेंअगर रात को देर से खाना खाया है तो अगली सुबह देर तक सोने की बजाय थोड़ा जल्दी उठकर हल्की एक्सरसाइज जरूर करें। योग, प्राणायाम या लगभग 20 मिनट का टहलना आपके शरीर को एक्टिव रखेगा और रात के खाने को अच्छे से डाइजेस्ट करने में मदद करेगा। नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से ना सिर्फ वजन कंट्रोल में रहता है बल्कि इससे शरीर की एनर्जी भी बनी रहती है।
- वेट लॉस करना हो या जनरल फिटनेस लेवल बढ़ाना हो एक्सरसाइज की शुरूआत वॉकिंग से की जा रही है। सुबह या शाम के समय खुली हवा में वॉक करना आपकी हेल्थ के लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। साधारत तरीके से पैदल चलनाया वॉकिंगऔर ब्रिस्क वॉक जैसी एक्सरसाइजेस ना केवल आसान होती हैं बल्कि, यह महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए फायदेमंद होता है। वहीं, सर्दी या गर्मी के मौसम में भी आप बस कुछ बातों का ध्यान रखकर वॉक करने जा सकते हैं। जैसे दिन में किस समय और कितनी देर तक वॉक करनी चाहिए। क्योंकि, गलत समय पर वॉक करने से आपकी हेल्थ को नुकसान हो सकता है। इसीलिए, वॉक करने से पहले इस बात की जानकारी आपको जरूर होनी चाहिए कि आपको कब वॉक करना चाहिए और कब नहीं।गर्मियों के सीजन में वॉक करने का सही समय क्या है?इस समय करें मॉर्निंग वॉकवॉक करने का सबसे ठीक समय है सुबह सूरज उगने के आसपास का समय। सूरज उगने के साथ ही आप टहलने निकल जाएं और सुबह 8 बजे तक वॉक पूरी कर लें। दरअसल, सूरज निकलने से पहले का समय हवा में प्रदूषण का स्तर अधिक होता है। वहीं, सुबह की हल्की धूप में टहलने से आपको तकलीफ भी नहीं होती। इस तरह आप थोड़ी देर धूप में रहकर विटामिन डी भी प्राप्त कर सकते हैं और आपकी हड्डियों को इसका फायदा हो सकता है।इवनिंग वॉक-जो लोग सुबह की बजाय शाम को वॉक करना पसंद करते हैं, उन्हें शाम के समय 4 के बाद और 6-8 बजे तक वॉक करने की सलाह दी जाती है। इस समय हवा में ठंडक भी बढ़ने लगती है और प्रदूषण का स्तर भी कम होता है। सबसे खास बात यह भी है कि शाम 4-7 बजे के दौरान शरीर की मांसपेशियां बहुत फ्लेक्सिबल होती हैं। ऐसे में आपके लिए वॉक करना आसान हो सकता है और इससे आपकी हेल्थ को वॉक करने के फायदे भी हो सकते हैं।सर्दियों में कब करनी चाहिए वॉकठंड के दिनों में सवेरे वॉक करना फायदेमंद होता है लेकिन, सूरज उगने से पहले और कोहरे के माहौल में वॉक करने से हेल्थ पर खराब असर पड़ सकता है। सुबह के समय हवा में ठंड होती है और तापमान भी काफी कम होता है। ऐसे में वॉक करते समय आपको सांस लेने से जुड़ी हुई समस्याएं हो सकती है। इसीलिए, सर्दियों में सूरज उगने के बाद ही वॉक करें।गलत समय पर वॉक करने से हेल्थ को होने वाले नुकसान--तड़के सुबह या बहुत जल्दी सुबह (अंधेरे में) वॉक करना हेल्थ के लिए हानिकारक साबित हो सकता है क्योंकि, ऐसे में हवा में प्रदूषण का स्तर अधिक होता है। जिससे अस्थमा, खांसी और जुकाम जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।-ठंडियों में बहुत सुबह वॉक करने से मसल्स में खिंचाव और जॉइंट पेन की समस्या बढ़ सकती है।-सुबह की ठंडी हवा और प्रदूषण के कारण फेफड़ों पर भी खराब असर पड़ता है जिससे छाती में भारीपन और दर्द जैसी शिकायतें हो सकती हैं।
- आयुर्वेद की दुनिया में नीम को एक अनमोल औषधि माना गया है। नीम की पत्तियां, छाल, फूल, बीज और तेल का इस्तेमाल आयुर्वेद में कई प्रकार से किया जा रहा है। आमतौर पर नीम को व्यस्क और उम्रदराज व्यक्तियों के लिए उपयोगी माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चों के लिए भी नीम के पत्ते बेहद लाभकारी होते हैं। बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए रोजाना एक सीमित मात्रा में नीम का सेवन कराना फायदेमंद होता है।नीम के पत्तों की न्यूट्रिशनल वैल्यू-नीम की पत्तियों में कई प्रकार के पोषक तत्व और औषधीय गुण पाए जाते हैं। 100 ग्राम नीम की पत्तियों में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं।-प्रोटीन 7-9 ग्राम-फाइबर 2-4 ग्राम-आयरन 5-8 मिलीग्राम-कैल्शियम 200 मिलीग्राम-मैग्नीशियम 80 मिलीग्रामइन पोषक तत्वों के अलावा नीम की पत्तियों में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, फ्लावोनॉइड्स, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल तत्व भी पाए जाते हैं। ये सभी पोषक तत्व व्यस्कों के साथ-साथ शिशु के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं।बच्चों को नीम के पत्ते खिलाने के फायदे-आयुर्वेद में नीम को "सर्वरोगनाशिनी" कहा गया है, जिसका अर्थ है सभी रोगों को समाप्त करने वाली जड़ी-बूटी। यह कफ, पित्त और वात तीनों दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। नीम का "तिक्त रस" (कड़वा स्वाद) शरीर की अशुद्धियों को बाहर निकालता है। बच्चों को नीम देने से कई प्रकार से फायदा मिलता है।1. इम्यूनिटी स्ट्रांग होनानीम के पत्तों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और फ्लावोनॉइड्स बच्चों की इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं। रोजाना एक सीमित मात्रा में नीम का सेवन करने से बच्चों को सीजन फ्लू, वायरल इंफेक्शन, सर्दी-जुकाम और बुखार से लड़ने की ताकत मिलती है। इम्यूनिटी मजबूत होने से बच्चों को कोरोना वायरस से जैसी संक्रामक बीमारी से भी बचाने में मदद मिलती है।2. पेट के कीड़े होते हैं खत्मजंक फूड, पैकेज्ड जूस का सेवन करने की वजह से बच्चों को अक्सर पेट में कीड़े हो जाते हैं, जिससे उन्हें भूख कम लगती है और वजन नहीं बढ़ता है। नीम की पत्तियां पेट के कीड़ोंको खत्म करने में प्राकृतिक रूप से कारगर होती हैं। सप्ताह में दो बार नीम का रस या पत्तियों का पेस्ट देने बच्चों को खिलाने से पेट के कीड़ों की समस्या दूर होती है।3. मुंह की सफाईबच्चे अक्सर अपने मुंह की सफाई पर ध्यान नहीं देते हैं। मुंह को साफ, दांतों और मसूड़ों को मजबूत बनाने में भी नीम के पत्ते मददगार होते हैं। नीम के पत्तों में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण मुंह में कीटाणुओं को पनपने से रोकते हैं। इससे कैविटी, बदबू और मसूड़े की सूजन में राहत मिलती है।4. स्किन प्रॉब्लम करे दूर -नीम में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं जो बच्चों को एक्जिमा, दाने, खुजली और एलर्जी जैसी त्वचा समस्याओं से बचाने में मदद करते हैं। नीम के पत्ते खाने से बच्चों के शरीर अंदर से साफ होता है और इससे स्किन प्रॉब्लम दूर होते हैं।5. मलेरिया और वायरल बुखार से बचावनीम में ऐसे यौगिक होते हैं जो मलेरिया के परजीवियों को मारने की क्षमता रखते हैं। साथ ही वायरल संक्रमणों जैसे चिकनगुनिया, डेंगू आदि के लक्षणों से लड़ने में नीम असरदार होता है। रोजाना थोड़ी मात्रा में बच्चों को नीम खिलाने से मलेरिया और वायरल बुखार से बचाव होता है।नीम के पत्ते बच्चों को कैसे और कितनी मात्रा में दें?नीम की तासीर ठंडी होती है, इसलिए बच्चों को इसे सीमित मात्रा में और सही तरीके से देना चाहिए।1. उम्र के अनुसार6 महीने से 2 साल तक: इस उम्र के बच्चों को नीम के पत्ते चबाने के लिए नहीं देना चाहिए।2 साल से 5 साल तक: सप्ताह में एक बार एक या दो नीम की कोमल पत्तियों का पेस्ट शहद में मिलाकर दिया जा सकता है।5 साल से ऊपर: सप्ताह में 2 बार 3-4 नीम की पत्तियों को चबाने के लिए देना चाहिए।बच्चों को नीम कैसे देंनीम की पत्तियों को पीसकर इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर बच्चों को देंनीम की 2-3 पत्तियों को उबालकर गुनगुना काढ़ा बनाएं और 1-2 चम्मच दें।नीम के पत्तों को सूखाकर उसका चूर्ण बनाकर आधा चम्मच पानी या शहद के साथ दें।बच्चों को नीम देते वक्त सावधानियां=बच्चों को हमेशा ताजा और साफ नीम की पत्तियां ही खाने के लिए दें।=बच्चों की पाचन शक्ति कमजोर होती है। इसलिए उन्हें खाली पेट नीम की पत्तियां न दें।=नीम के सेवन के बाद कुछ देर तक दूध या मीठी चीज न दें ताकि असर बना रहे।निष्कर्षबच्चों को नीम के पत्ते खिलाना एक आयुर्वेदिक उपाय है। नीम के पत्ते खिलाने से बच्चों की इम्युनिटी मजबूत होती है, पेट साफ रहता है, त्वचा रोगों से बचाव होता है और कई तरह की बीमारियों से सुरक्षा मिलती है। लेकिन यह भी ध्यान रहे कि नीम के पत्ते हर उम्र के बच्चों के लिए सही नहीं है। अगर आप बच्चे को नीम के पत्ते खिलाना चाहते हैं तो इस विषय पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें।FAQनीम की पत्तियां खाने से कौन सी बीमारी ठीक होती है?नीम की पत्तियां खाने से कई बीमारियां ठीक होती हैं। एक रिसर्च बताती है कि रोजाना एक सीमित मात्रा में नीम की पत्तियां खाने से पेट के कीड़े, डायबिटीज, मलेरिया और दांतों की परेशानियां ठीक होती है।रोज सुबह खाली पेट नीम के पत्ते खाने से क्या होता है?रोज सुबह खाली पेट नीम के पत्ते खाने से खून को साफ करने में मदद मिलती है। ये इम्यूनिटी को स्ट्रांग को बनाकर संक्रमित बीमारियों का खतरा कम करता है।नीम का पत्ता कितने दिन तक खाना चाहिए?आयुर्वेद के अनुसार, नीम के पत्ते 15 से 30 दिन तक कोर्स के रूप में खाए जा सकते हैं। लेकिन आप एक महीने से ज्यादा नीम का पत्ता खाना चाहते हैं तो इस विषय पर डॉक्टर से बात करें।
- स्किन को हेल्दी, शाइनी और बेदाग बनाए रखने के लिए त्वचा की देखभाल करना बहुत जरूरी है। चावल का आटा सदियों से स्किन की देखभाल के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके इस्तेमाल से स्किन को एक्सफोलिएट करने में मदद मिलती है। ये त्वचा को मुलायम और चमकदार भी बनाता है। चावल में मौजूद फेरुलिक एसिड और एलेंटोइन त्वचा को मॉइस्चराइज करने के साथ-साथ उसे सूरज की हानिकारक किरणों से भी बचाते हैं। खिली-खिली स्किन पाने के लिए आप इन 4 तरीकों से चावल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके इस्तेमाल से स्किन चंद दिनों में ही रिजल्ट दिखेगा।स्किन पर चावल इस्तेमाल करने के 4 तरीके1) चावल का पानी और गुलाब जलचावल से फेस मिस्ट बनाने के लिए आप चावल के पानी को गुलाब जल के साथ मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए चावल को अच्छे से धोएं और फिर इसे भिगो दें। जब चावल अच्छे से भीग जाएं तो इसे छान लें। इस पानी में गुलाब जल मिलाएं और फिर स्प्रे बोतल में स्टोर करें।2) चावल के पानी से बनाएं बर्फ के टुकड़ेअगर आपके पास समय की कमी है तो आप चावल से बर्फ के टुकड़े बनाकर उनका इस्तेमाल कर सकते हैं। सुबह के समय होने वाली पफीनेस को कम करने के लिए ये बर्फ के टुकड़े खूब काम आते हैं। इसे बनाने के लिए चावल के पानी में एलोवेरा जेल मिलाएं और इसे बर्फ की ट्रे में जमाएं।3) चावल का आटा, कॉफी, चीनी और कच्चा दूधचावल से आप फेस पैक भी तैयार कर सकते हैं। इस फेस पैक का इस्तेमाल करने से आप स्किन को अच्छे से एक्सफोलिएट कर सकते हैं। इसके अलावा इस पैक के इस्तेमाल से टैनिंग की समस्या से भी निपट सकते हैं।4) चावल का आटा, शहद और कच्चा दूधगर्मी के मौसम में चेहरे पर होने वाली रेडनेस और जलन को शांत करने के लिए इस पैक का इस्तेमाल करें। ये फेस पैक ड्राई स्किन के लिए सबसे अच्छा है।
- व्यस्त लाइफस्टाइल और खानपान में गड़बड़ी की वजह से अगर आप हाई ब्लडप्रेशर, डायबिटीज जैसे रोगों से परेशान रहते हैं तो अपनी डाइट में छोटे और गोल आकार वाले नारंगी रंग के फल रसभरी को शामिल कर लीजिए। इस फल का स्वाद खट्टा-मीठा होता है, जिसे गोल्डन बैरीज, केप गूसबेरी, और मकोय नाम से भी जाना जाता है। इस फल में विटामिन-सी, विटामिन-ए, आयरन, कैल्शियम, फोस्फोरस, फैट, प्रोटीन और फाइबर की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। जो इसे सेहत के लिए बेहद फायदेमंद बनाती है। डायबिटीज रोगियों को तो डॉक्टर खासतौर पर एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर रसभरी को खाने की सलाह देते हैं। आइए जानते हैं रोजाना रसभरी का सेवन सेहत को क्या गजब के फायदे देता है ।रसभरी खाने से सेहत को मिलते हैं ये फायदेहाई ब्लड प्रेशर रखें कंट्रोलरसभरी में मौजूद पोटैशियम की अच्छी मात्रा ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मदद कर सकती है। इसके अलावा रसभरी में फाइटो-केमिकल्स जैसे पॉलीफेनॉल्स, केरोटेनॉएड्स होते हैं, जो उच्च रक्तचाप को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। साथ ही इसमें मौजूद सॉल्युबल पेक्टिन फाइबर बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करके दिल की सेहत को भी दुरुस्त रखने में मदद करते हैं।कब्ज की समस्यारसभरी फाइबर का रिच सोर्स होने की वजह से कब्ज,गैस और अपच जैसी समस्याओं को दूर रखकर पाचन तंत्र को बढ़ावा देता है। बता दें, फाइबर मल को भारी बनाता है, जिससे मल त्यागने में आसानी होती है और कब्ज से बचाव होता है।सूजन कम करेरसभरी में अच्छी मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से शरीर में आने वाली सूजन की समस्या में राहत मिल सकती है।डायबिटीजरसभरी टाइप 2 डायबिटीज से जूझ रहे लोगों के लिए एक सुपरफूड के तरह काम करती है। रसभरी में मौजूद हाई फाइबर ब्लड शुगर, इंसुलिन और लिपिड में सुधार करता है। बता दें, शुगर रोगियों में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस के कई लेवल होते हैं, जिन्हें रसभरी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स के साथ नियंत्रित किया जा सकता है।वेट लॉसरसभरी में फैट्स और कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है। जिसकी वजह से वेट लॉस के लिए यह फल आदर्श माना जाता है। वेट लॉस के लिए आप इस फल को सलाद या सब्जी में मिक्स करके अपने ब्रेकफास्ट में शामिल कर सकते हैं।
- हम जो भोजन करते हैं, उसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि खाने के बाद हमारी आदतें भी पाचन पर उतना ही असर डालती हैं? अक्सर लोग पेट भर खाना खाने के बाद तुरंत कुछ ऐसा कर बैठते हैं जो उनके पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है। यह नुकसान धीरे-धीरे बढ़कर गैस, एसिडिटी, अपच, कब्ज और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है। जैसे कुछ लोग खाने के तुरंत बाद पानी पी लेते हैं, कुछ बिस्तर पर लेट जाते हैं या फिर सिगरेट पीते हैं। यह सभी आदतें आपके पेट और पाचन पर बुरा असर डाल सकती हैं।1. खाकर तुरंत सो जाना-अगर आप खाने के तुरंत बाद सोने चले जाते हैं, तो यह भोजन को पूरी तरह पचने का मौका नहीं देता। इससे पेट भारी महसूस होता है, साथ ही एसिडिटी और रिफ्लक्स जैसी समस्याएं हो सकती हैं। खाने के बाद कम से कम 1-2 घंटे तक जगना चाहिए।2. खाने के बाद सिगरेट या तंबाकू का सेवन करना-खाने के बाद सिगरेट पीने से निकोटीन शरीर में तेजी से एब्सॉर्ब होता है, जिससे पाचन क्रिया और ज्यादा प्रभावित होती है। इससे पेट में अल्सर और पाचन से जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।3. खाकर तुरंत पानी पीना-खाने के तुरंत बाद पानी पीना, पेट के पाचन रसों को पतला कर देता है। इससे भोजन के पचने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और गैस और अपच की समस्या हो सकती है। पानी पीने के लिए खाने के 30-40 मिनट बाद का समय बेहतर माना जाता है।4. खाने के बाद तेज एक्सरसाइज करनाभोजन के तुरंत बाद तेज दौड़ना, जिम करना या भारी एक्सरसाइज करना पाचन पर बुरा असर डाल सकता है। इससे पेट में मरोड़, उल्टी या अपच की समस्या हो सकती है। हल्का टहलना बेहतर होता है लेकिन भारी कसरत से बचना चाहिए।5. कसकर बेल्ट या कपड़े पहननाखाने के बाद कसकर बेल्ट बांधना या बहुत टाइट कपड़े पहनना पेट पर दबाव डालता है। इससे पाचन रस ऊपर की ओर जाने लगते हैं और एसिड रिफ्लक्स या पेट में जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। खाना खाने के बाद या सामान्य तौर पर भी ढीले कपड़े पहनना ही बेहतर होता है।पाचन तंत्र को स्वस्थ रखना हमारे रोजमर्रा की आदतों पर निर्भर करता है। खाने के तुरंत बाद की गई गलतियां हमारे पेट के लिए गंभीर समस्याओं की वजह बन सकती हैं। इसलिए इन 5 बातों का ध्यान रखें और भोजन के बाद शरीर को पाचन के लिए आवश्यक समय दें।आपके पाचन तंत्र के लिए कौन सी दो आदतें अच्छी हैं?समय पर हल्का और संतुलित भोजन करना और रोजाना हल्की वॉक करना पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद है। ये आदतें पेट को मजबूत और एक्टिव रखती हैं।पेट का डाइजेशन खराब होने पर क्या करें?पानी की मात्रा बढ़ाएं, हल्का और जल्दी पचने वाला भोजन लें और आराम करें। जरूरत लगे, तो डॉक्टर की सलाह से प्रोबायोटिक या दवाएं लें।कमजोर पाचन तंत्र को मजबूत कैसे बनाएं?कमजोर पाचन तंत्र को मजबूत करने के लिए फाइबर युक्त आहार लें, नियमित एक्सरसाइज करें और समय पर भोजन करें। ज्यादा तला-भुना और प्रोसेस्ड फूड खाने से बचें।
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अक्सर आपने त्वचा विशेषज्ञों को ये कहते सुना होगा कि चेहरे को दिन में कम से कम दो बार धोना चाहिए। चेहरा साफ करने के लिए बाजार में तमाम तरह के स्किन केयर प्रोडक्ट्स मिलते हैं। इन प्रोडक्ट्स में फेसवॉश सबसे अहम है। फेसवॉश के इस्तेमाल से चेहरे की गंदगी साफ की जाती है। ऐसा माना जाता है कि चेहरे पर साबुन की जगह फेसवॉश ही इस्तेमाल करना चाहिए। पर, क्या आप जानते हैं कि फेसवॉश के इस्तेमाल का भी अलग तरीका होता है। आप इससे साबुन की तरह रगड़-रगड़ कर चेहरा साफ नहीं कर सकते। इसके अलावा भी कई बातें हैं जिनका ध्यान आपको फेसवॉश का इस्तेमाल करते समय करना है। इन बातों का ध्यान रखकर आप अपने चेहरे को फेसवॉश की मदद से दमका सकते हैं।
गलत फेसवॉश का चुनावहर किसी की त्वचा अलग होती है। ऐसे में हमेशा अपनी त्वचा के प्रकार के अनुसार फेसवॉश चुनें। गलत प्रोडक्ट से त्वचा में जलन, सूखापन, या अतिरिक्त तेल की समस्या हो सकती है। ऐसे में खरीदने से पहले अपनी स्किन टाइप का ध्यान रखें।बार-बार फेसवॉश इस्तेमाल करनाबहुत से लोग दिन में कई-कई बार फेसवॉश करते हैं। जबकि दिन में दो बार से ज्यादा चेहरा धोने से त्वचा का नेचुरल ऑयल खत्म हो सकता है। बार-बार धोने से त्वचा रूखी हो सकती है।बहुत ज्यादा ठंडा या गर्म पानी का इस्तेमालफेसवॉश करते समय हमेशा गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। ज्यादा गर्म पानी त्वचा को रूखा बना सकता है, और ठंडा पानी गंदगी को ठीक से साफ नहीं कर पाता। ऐसे में हमेशा गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।टाइट से रगड़नाअक्सर लोग चेहरे को टाइट से रगड़ लेते हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। फेसवॉश करते समय चेहरे को हल्के हाथों से मसाज करें। ज्यादा जोर से रगड़ने से त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है।- - शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दिनचर्या और आहार दोनों को ठीक रखना तो जरूरी है ही, इसके साथ ही जरूरी है रोजाना रात में पर्याप्त नींद लेना। शोध बताते हैं कि जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती है उनमें कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा अधिक हो सकता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए रात में अच्छी नींद जरूरी है।अध्ययन बताते हैं कि वयस्कों के लिए रोजाना रात में 6-8 घंटे नींद बहुत जरूरी है। एक दिन भी अगर आपकी नींद पूरी नहीं होती है तो इसका सेहत पर नकारात्मक असर हो सकता है। वयस्कों की ही तरह से बच्चों के लिए भी रात में पर्याप्त नींद जरूरी है, ये उनके शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के विकास के लिए आवश्यक है।क्या आपका बच्चा देर रात तक जागता है या दिन में भी थका-थका दिखता है? तो यह संकेत हो सकता है कि उसे पर्याप्त नींद नहीं मिल रही। बच्चों के विकास में नींद की भूमिका उतनी ही अहम है जितनी पोषण और पढ़ाई की।आइए जानते हैं कि किस उम्र में बच्चों को कितनी नींद की जरूरत होती है?बच्चों की अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद जरूरी--स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, माता-पिता सुनिश्चित करें कि आपके बच्चों को पर्याप्त नींद मिल रही है। नवजात से लेकर किशोरों तक सभी के लिए ये आवश्यक है। नींद के दौरान शरीर ग्रोथ हार्मोन्स बनाता है, जो हड्डियों, मांसपेशियों और ऊंचाई बढ़ाने में मदद करते हैं। इसके अलावा अच्छी नींद दिमाग को दिनभर सीखी बातों को समझने और याद रखने में मदद करती है।कुछ शोध ये भी बताते हैं कि पर्याप्त नींद लेने वाले बच्चे कम चिड़चिड़े होते हैं और भावनाएं बेहतर तरीके से संभालते हैं।अच्छी नींद और अच्छी इम्युनिटी के बीच भी संबंधों का पता चलता है। शोध बताते हैं कि पर्याप्त नींद लेने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है जिससे बच्चा बीमारियों से बचता है।नींद पूरी न होने के कई दुष्प्रभाव--जिन बच्चों की नींद पूरी नहीं होती है उनमें कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बना रहता है। अगर बच्चे पर्याप्त नींद नहीं ले रहे हैं तो उनका विकास प्रभावित हो सकता है। ग्रोथ हार्मोन की कमी से बच्चे का शारीरिक विकास प्रभावित हो जाता है। इतना ही नहीं आगे चलकर उसकी याददाश्त कमजोर हो सकती है और पढ़ने में ध्यान केंद्रित करना मुश्किल होता है। नींद की कमी से भूख बढ़ाने वाले हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं जिससे मोटापा बढ़ता है। मोटापा के कारण डायबिटीज, हृदय रोग और सूजन संबंधित कई प्रकार की समस्याएं होने लगती हैं। बच्चों में बढ़ते मोटापे की समस्या को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को अलर्ट करते रहे हैं।उम्र के हिसाब से कितने घंटे की नींद जरूरी--स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कई अध्ययनों के आधार पर बताया है कि नवजात से लेकर किशोर तक के लिए रात में कितने घंटे की नींद जरूरी है?नवजात (0–3 महीने) 14–17 घंटेशिशु (4–11 महीने) 12–15 घंटेटॉडलर (1–2 साल) 11–14 घंटेप्री-स्कूलर (3–5 साल) 10–13 घंटेस्कूली बच्चे (6–13 साल) 9–11 घंटेकिशोर (14–17 साल) 8–10 घंटेनींद की कमी से डायबिटीज का खतरा--एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती है उनमें डायबिटीज होने का खतरा अधिक हो सकता है। जर्नल डायबिटीज केयर में प्रकाशित इस अध्यययन की रिपोर्ट के मुताबिक नींद हमारी सेहत के लिए बहुत जरूरी है। सप्ताह भर की भी अनियमित नींद मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध लोगों में टाइप 2 डायबिटीज होने के खतरे को 34 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है।
- बारिश का मौसम शुरू हो गया है और इस मौसम में पैरों का भीगना काफी आम बात है। दरअसल, बारिश में जगह-जगह पर पानी भर जाता है, ऐसे में हम सभी कितना भी बच लें, लेकिन पैर तो भीगते ही हैं। बारिश के गंदे पानी में भीगने की वजह से पैरों की ड्राईनेस बढ़ती जाती है।अगर इनका ध्यान सही समय पर न रखा जाए तो एड़ियां फटने लगती हैं और नाखूनों के न्यूटिकल्स वीक हो जाते हैं। ऐसे में हम आपको बताएंगे कि आप इस मौसम में अपने पैरों का ध्यान किस तरह से रखें। पैरों का सही से ध्यान रखकर आप इन्हें रूखे होने से बचा सकते हैं। इसके लिए आपको सिर्फ कुछ घरेलू नुस्खे आजमाने हैं।नारियल के तेल की मालिश आएगी कामहर भारतीय घर में नारियल का तेल तो होता ही है। अगर नहीं है तो इसे खरीदकर रख लें। ये रूखी त्वचा को मॉइश्चराइज करता है और एंटीबैक्टीरियल गुण भी देता है। इसलिए यदि आपके पैर रूखे हो रहे हैं तो आप नारियल के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए हर रोज रात को सोने से पहले पैरों में नारियल के तेल से मसाज करें। इसके बाद ऐसे ही सो जाएं। एक हफ्ते में आपको इसका असर दिखने लगेगा।एलोवेरा जेल लगाएंएलोवेरा जेल त्वचा संबंधी तकरीबन हर दिक्कत को दूर करने का काम करता है। ऐसे में इसका इस्तेमाल आप पैरों के रूखेपन को दूर करने के लिए भी कर सकते हैं। इस्तेमाल के लिए सबसे पहले ताजा एलोवेरा जेल निकालकर या बाजार से शुद्ध जेल लेकर पैरों पर लगाएं। ध्यान रखें कि ये केमिकल वाला न हो, वरना दिक्कत हो सकती है। अब चाहें तो इसे 15-20 मिनट बाद धो लें या रात भर के लिए लगा रहने दें। इसका असर भी आपको जल्दी ही दिखने लगेगा।शहद लगाएंशहद भले ही खाने की चीज है, लेकिन इसकके इस्तेमाल से त्वचा का रूखापन दूर होता है। ऐसे में आप रात को पहले पैरों को अच्छी तरह से धोएं। इसके बाद अपने पैरों में शहद की एक पतली लेयर अप्लाई करें। कुछ देर इसे ऐसे ही लगा रहने दें और फिर बालों को धो लें, इससे भी आपके पैरों का रूखापन खत्म हो जाएगा।मॉइस्चराइजरबाजार में अब पैरो के लिए खास मॉइस्चराइजर भी आने लगे हैं, जिसका इस्तेमाल आप दिन में दो बार आसानी से कर सकते हैं। अब जब आपके पैर सूख रहे हैं तो दिन में जितनी बार पैर धोएं, उतनी ही बार पैरों में मॉइस्चराइजर अप्लाई करें। इससे भी आपके पैर अपने आप नरम होने लगेंगे।इन बातों का रखें ध्यानयदि आप नहीं चाहते है कि आपके पैर रूखे हों, तो इससे बचने के लिए हर 15 दिन में पेडिक्योर करा लें। इससे भी आपके पैरों की डेड स्किन निकल जाएगी और पैरों का रूखापन अपने आप ही कम हो जाएगा।--
- आजकल के गलत खानपान और खराब जीवनशैली के कारण मोटापा एक गंभीर समस्या बन चुका है। आज के समय में अधिकतर लोग बढ़ते वजन से परेशान हैं। मोटापा न केवल देखने में खराब लगता है, बल्कि कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है। ऐसे में, अपने बढ़ते वजन को कंट्रोल करने के लिए लोग तरह-तरह के डाइट प्लान फॉलो करते हैं और जिम में वर्कआउट करते हैं। लेकिन अगर आप अपने बिजी शेड्यूल के कारण जिम नहीं का पा रहे हैं, तो घर पर ही कुछ योगासन कर सकते हैं। आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे योगासनों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके नियमित अभ्यास से वजन घटाने में मदद मिल सकती है। तो आइए, जानते हैं इन योगासनों के बारे में विस्तार से -त्रिकोणासनइस आसन को करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों के बीच 3-4 फीट की दूरी बनाकर रखें।अपने दोनों हाथों को जांघों के बगल में रखें और अपनी बाहों को कंधे तक फैलाएं। फिर धीरे-धीरे सांस लेते हुए, दाएं हाथ को सिर के ऊपर ले जाएं। इस दौरान आपका हाथ कान को छूना चाहिए। अब सांस छोड़ते हुए, अपने शरीर को बाईं तरफ को झुकाएं। ध्यान रखें कि इस दौरान आपके घुटने मुड़ने नहीं चाहिए।इस मुद्रा में कुछ देर बने रहें।इसके बाद प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।आप इस आसन को 3 से 5 बार दोहरा सकते हैं।भुजंगासनइस आसन को करने के लिए योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं।अपनी कोहनियों को कमर से सटा के रखें और हथेलियां ऊपर की ओर रखें।अब धीरे-धीरे सांस भरते हुए, अपनी छाती को ऊपर की ओर उठाएं।उसके बाद अपने पेट को धीरे-धीरे ऊपर उठा लें। इस स्थिति में 30 सेकंड तक रहें।अब सांस छोड़ते हुए, सिर को धीरे-धीरे जमीन की ओर नीचे लाएं।इस प्रक्रिया को आप 3 से 5 बार दोहराएं।हलासनइस आसन को करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।अपने हाथों को शरीर के पास रखें और हथेलियां को जमीन की तरफ रखें।इसके बाद सांस अंदर लेते हुए पैरों को धीरे-धीरे उठाएं और और 90 डिग्री का कोण बनाएं।अब अपनी पीठ को भी ऊपर उठाते हुए सांस बाहर छोड़ते हुए ले जाएं।फिर धीरे-धीरे पैरों के पंजों को जमीन से छूने की कोशिश करें।इस स्थिति में 30 सेकंड के लिए रहें।फिर धीरे-धीरे प्रारंभिक अवस्था में लौट आएं।इस प्रक्रिया को 3-5 बार दोहराएं।नौकासनइस आसन को करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर बैठ जाएं।अब अपनी टांगो को सामने की तरफ फैलाएं।अपने दोनों हाथों को हिप्स से थोड़ा पीछे जमीन पर रखें।अब दोनों पैरों को सीधा रखते हुए ऊपर की तरफ उठाएं।अब धीरे-धीरे सांस को बाहर की तरफ छोड़ते हुए पैरों को जमीन से 45 डिग्री तक उठाएं।सांस लेते हुए नाव के आकार में लगभग 10 से 20 सेकंड तक रहें।इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामान्य मुद्रा में आएं।धनुरासनइस आसन को करने के लिए योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं।अपने दोनों हाथों को सीधा रखें।अब अपने घुटनों को मोड़ते हुए सांस छोड़ें।अपनी एड़ी को अपने नितंबों के पास लाएं।अब धनुषाकार होते हुए, अपने पैरों की उंगलियों को हाथों से पकड़ें।अब गहरी सांस लेते हुए अपनी छाती को जमीन से ऊपर उठाएं।फिर सांस छोड़े हुए, वापस प्रारंभिक मुद्रा में आ जाएं।इस आसन को आप 3 से 5 बार कर सकते हैं।
- बारिश का मौसम अपने साथ कई तरह का बीमारियां भी लेकर आता है। इस मौसम में सर्दी-जुकाम, खांसी, गले में खराश और बुखार होना आम बात है। शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए इम्यूनिटी मजबूत होना बहुत जरूरी है। इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय आजमाते हैं। तुलसी और अदरक की चाय बारिश के मौसम में होने वाली कई स्वास्थ्य समस्याओं से राहत दिला सकती है। दरअसल, तुलसी और अदरक, दोनों में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जो कई तरह की बीमारियों को दूर करने में मदद करते हैं। तुलसी में विटामिन-ए, विटामिन-सी, कैल्शियम, जिंक और आयरन जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसके अलावा, इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी- बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी मौजूद होते हैं। वहीं, अदरक में आयरन, जिंक, मैंगनीज, कैल्शियम, फास्फोरस, एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं। तुलसी और अदरक की चाय पीने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है, जिससे कई तरह की बीमारियों से बचाव में भी मदद मिलती है।इम्यूनिटी बूस्ट करेतुलसी और अदरक की चाय पीने से शरीर की इम्यूनिटी बूस्ट हो सकती है। दरअसल, इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं, जो इम्यूनिटी मजबूत करने में मदद कर सकते हैं। नियमित रूप से तुलसी और अदरक की चाय का सेवन करने से कई तरह के संक्रमण और मौसमी बीमारियों से बचाव हो सकता है।गले की खराश और दर्द में आराम दिलाएतुलसी और अदरक की चाय पीने से गले में खराश की समस्या दूर हो सकती है। साथ ही, गले में होने वाले दर्द से भी राहत मिल सकती है। अगर आप भी गले में खराश और दर्द की समस्या से जूझ रहे हैं, तो तुलसी और अदरक की चाय का सेवन करें।वजन घटाने में मददगारतुलसी और अदरक की चाय का सेवन करने से वजन घटाने में भी मदद मिल सकती है। दरअसल, इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है, जिससे शरीर के एक्स्ट्रा फैट को बर्न करने में मदद मिल सकती है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से बॉडी डिटॉक्स होती है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है।सांस संबंधी समस्याओं से राहत दिलाएतुलसी और अदरककी चाय का सेवन करने से सांस संबंधी समस्याओं से राहत मिल सकती है। दरअसल, इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीबायोटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो फेफड़ों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही, छाती में जमा कफ को बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं, जिससे खांसी की समस्या कम होती है।तुलसी और अदरक की चाय बनाने का तरीकातुलसी और अदरक की चाय बनाने के लिए पैन में दो कप पानी गर्म कर लें। फिर इसमें चाय पत्ती, तुलसी की कुछ पत्तियां और एक इंच अदरक का टुकड़ा डालकर उबाल लें। उसके बाद इस चाय को किसी कप में छान लें। अब आप इस चाय का सेवन करें।
- आजकल की लाइफस्टाइल और खान-पान इतना बदल गया है कि उसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने लगा है। घंटों-घंटों मोबाइल देखना और लैपटॉप पर काम करने की वजह से लोगों न सिर्फ आंखें दुखने लगी हैं, बल्कि इसके साथ-साथ आंखों के नीचे गहरे काले निशान भी आने लगे हैं।यदि शुरुआती दिनों में इन डार्क सर्कल पर ध्यान न दिया जाए तो ये इतना बढ़ जाते हैं, कि इसकी वजह से चेहरा भी अजीब दिखने लगता है। अगर आप भी इसी दिक्कत से परेशान हैं तो हमारे बताए गए तीन नुस्खों को आजमाकर देख लें। यहां हम आपको कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में बताएंगे, जिनके इस्तेमाल के बाद एक महीने में आंखों के काले घेरे एकदम कम हो जाएंगे।खीरायदि आप भी घरेलू नुस्खों की मदद से डार्क सर्कल को कम करना चाहते हैं तो उसके लिए खीरा आपकी मदद करेगा। दरअसल, खीरे में एंटीऑक्सिडेंट और ठंडक देने वाले तत्व होते हैं जो आंखों को आराम देते हैं और काले घेरों को कम करते हैं।इसके इस्तेमाल के लिए आपको सबसे पहले खीरे को पतले स्लाइस में काटना है। अब इसे अपनी आंखों पर रख लेना है। कोशिश करें कि ये खीरा ठंडा हो, इससे आपकी आंखों को भी राहत मिलेगी। 20 मिनट के लिए दिन में दो बार ऐसा ही करें। इससे आंखों के नीचे आए काले घेरे खुद ब खुद कम हो जाएंगे।आलू का रसहर भारतीय घर में आलू बड़ी ही आसानी से मिल जाता है। इसका इस्तेमाल सब्जी बनाने के साथ-साथ स्किन केयर में भी किया जाता है। दरअसल, आलू में पाए जाने वाले एंजाइम और विटामिन C डार्क सर्कल को हल्का करने में मदद करते हैं।इसके इस्तेमाल के लिए सबसे पहले कच्चे आलुओं को कद्दूकस कर लें। अब इसे कॉटन के कपड़े में बांधकर उसका रस निकाल लें। रस निकालने के बाद इसे रुई की मदद से अपनी आंखों के नीचे अप्लाई करें। 20 मिनट के बाद अपने चेहरे को धो लें। हफ्ते में कम से कम 5 बार ऐसा करें और फिर इसका असर देखें।बादाम तेल और नारियल तेल की मसाजये दोनों तेल यदि आपके घर में मौजूद हैं तो इनके इस्तेमाल से डार्क सर्कल को कम करें। दरअसल, ये दोनों तेल त्वचा को पोषण देते हैं और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करके डार्क सर्कल को कम करते हैं। इसका इस्तेमाल भी काफी आसान है।बादाम तेल और नारियल तेल की मसाजइसके इस्तेमाल के लिए आपको सबसे पहले बराबर मात्रा में बादाम तेल और नारियल तेल मिक्स करना है। इसे बाद इस तेल से आंखों के नीचे हल्के हाथों से 5 मिनट मसाज करें। हर रात सोने से पहले इस तेल से मसाज करें और इसे ऐसे ही रातभर छोड़ दें। सुबह ठंडे पानी से धो लें। एक महीने में इसका असर दिखने लगेगा।
- आज के समय में एक बड़ी समस्या वजन का बढ़ना भी है, जिसे कम करने के लिए कोई जिम जा रहा है तो कोई इंटिमेट फास्टिंग कर रहा है। लेकिन आज हम आपको वजन घटना ने 3-3-3 वाला एक बहुत ही आसान और असरदार तरीका बताने वाले हैं, जिसके लिए आपको कही जाने और खाना छोड़ने की जरूरत नहीं है। तो बिना देर किए आइए जानते हैं वजन घटाने का 3-3-3 नियम। (क्या है वजन घटाने का 3-3-3 नियम?किसी भी काम को करने के लिए कुछ नियम बनाए जाते हैं, उसी तरह ये 3-3-3 का नियम वजन घटाने के लिए फायदेमंद है। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि न ही आपको जबरदस्ती ऑवर एक्सरसाइज करनी पड़े और न ही भूखा रहना पड़े। आइए अब हम वेट लॉस करने के 3-3-3 नियम का मतलब और इनके फायदों के बारे में जानते हैं।1. दिन में तीन बार खाएं खानाखाना न खाने से वजन नहीं घटता है, बल्कि जब हम अपनी हद से ज्यादा खाने की आदत को कम करना शुरू कर देते हैं तो शरीर में असर दिखना शुरू हो जाता है। इसलिए 3-3-3 का पहला नियम है समय । टाइम टू टाइम खाना और असमय होने वाली क्रेविंग को कम करना, क्योंकि इससे हमारे शरीर में फैट बढ़ने लगता है, जो अत्यधिक वजन बढ़ने का कारणबनता है। ऐसे में आप रोजाना फिक्स टाइम पर नाश्ता, लंच और डिनर करना शुरू करें। ऐसा करने से आपको असमय भूख लगना बंद हो जाएगी और शरीर को पोषण भी मिलेगा।2 . दोपहर तीन बजे से पहले 3 बोतल पानी पीनावजन घटाने का दूसरा नियम दिन में 3 बजे से पहले 3 बोतल पानी पीने का है। ऐसा इसलिए क्योंकि पानी हमारे शरीर को हाइड्रेट रखता है, डाइजेस्टिव सिस्टम को हेल्दी बनाता है और बार-बार भूख लगने की इच्छा को कम करता है। अगर आप ज्यादा मात्रा में पानी पीते हैं तो ये शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालता है, जिससे बॉडी की अंदर से सफाई होती है।3. हफ्ते में एक दिन 3 घंटे का व्यायामव्यायाम हमारे शरीर को एक्टिव रखता है और रोजाना के 5-10 मिनट भी आपके शरीर में सकारात्मक प्रभाव दिखा सकते हैं। लेकिन अगर ऑफिस या बाकी कामों के चलते आपको समय नहीं मिल पा रहा है तो हफ्ते में एक दिन जरूर निकालें, जिसमें आप 3 घंटे व्यायाम को दें। इससे आपकी मसल खुलेंगी और वजन घटाने में मदद मिलेगी।वजन घटाने के अन्य तरीकेअगर आप तेजी से अपना वजन घटाना चाहते हैं और कुछ एक्स्ट्रा करना चाहते हैं तो हफ्ते में किसी एक दिन फास्ट भी रख सकते हैं। ऐसा करने से आपको भूखा रहने में और क्रेविंग को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी। इसी के साथ आप ऑफिस में बैठे-बैठे की जाने वाली एक्सरसाइजको अपने डेली रूटीन में शामिल कर सकते हैं।
- आपने घर के बड़े-बूढों को कई समस्याओं में नाभि में तेल डालने की सलाह देते तो जरूर देखा होगा। यह देसी नुस्खा लंबे समय से कई समस्याओं के लिए फॉलो किया जा रहा है। त्वचा में निखार बढ़ाना हो या तेज पेट दर्द नाभि में तेल डालना काफी असरदार होता है। इसी तरह पाचन से जुड़ी समस्याओं में भी नाभि में तेल डालना फायदेमंद होता है। लेकिन, क्या कब्ज और एसिडिटी होने पर भी नाभि में तेल डालना फायदेमंद होता है?हींग का तेलहींग का तेल केरियर ऑयल में हींग मिलाकर तैयार किया जाता है। इसे बच्चों को बड़ों दोनों के लिए फायदेमंद माना जाता है। गैस या ब्लोटिंग होने पर हींग के तेल से मसाज करना फायदेमंद माना जाता है। यह पेट में गैस को निकालती है और बॉवेल मूवमेंट इंप्रूव करती है। गुनगुने तेल या पानी में हींग मिलाकर नाभि पर मसाज करने से इन समस्याओं से काफी राहत मिलती है।अरंडी का तेलअरंडी के तेल से नाभि की मसाज करने से पाचन से जुड़ी समस्याओं से राहत मिलती है। इससे पेट दर्द, इंफ्लेमेशन और ब्लोटिंग से राहत देता है। इसमें लैक्सेटिव और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो पाचन तंत्र को आराम देते हैं। इस तेल को हल्का गर्म करके सोने से पहले नाभि के आसपास मसाज करें।सरसों का तेलपाचन संबंधित समस्याओं खासकर कब्ज और ब्लोटिंग होने पर सरसों के तेल से मसाज करनी चाहिए। हल्का गर्म करके नाभि में मसाज करने से डाइजेशन इंप्रूव होता है और गैस से राहत मिलती है। इसे हल्का गर्म करके नाभि और पेट के आसपास मसाज करें। इससे गैस और ब्लोटिंग दोनों से राहत मिलती है।नारियल तेल-बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए नारियल तेल फायदेमंद माना जाता है। इससे मसाज करने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और मॉइस्चराइजिंग गुण मौजूद होते हैं, जो कब्ज से राहत देते हैं। इसे नाभि में लगाने से त्वचा में निखार भी सामने आता है। इसे गुनगुना करके नाभि और पेट के आसपास लगाकर मसाज करें। इससे पाचन से जुड़ी समस्याओं से तुरंत राहत मिलती है।इन बातों का रखें ध्यान-तेल को ज्यादा गर्म न करें। गुनगुना करने के बाद ही नाभि पर लगाएं। इसे 5 से 10 मिनट तक हल्के हाथों से मसाज करें।-रात को सोने से पहले लगाना ज्यादा फायदेमंद होगा।-अगर आपको लंबे समय से पेट से जुड़ी समस्याएं हो रही हैं, तो यह ज्यादा फायदेमंद नहीं होगा। ऐसे में आपको डॉक्टर से इलाज ही लेना होगा।-अगर नाभि के आसपास इंफेक्शन या चोट है, तो तेल लगाना अवॉइड करें। क्योंकि इससे आपकी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।-अगर आपकी सेंसिटिव स्किन है या आप पहली बार तेल लगा रहे हैं, तो पैच टेस्ट जरूर करें।
- आजकल की लाइफस्टाइल में खाना खाते वक्त फोन चलाना आम बात हो गई है. कई लोग यह नहीं समझ बाते लेकिन आपकी यह आदत आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकती है. एक्सपर्ट के अनुसार खाते समय फाेन चलाने से न केवल ध्यान भटकता है बल्कि यह ब्लड शुगर और वजन को बढ़ाने की भी बड़ी वजह बन सकता है.मोबाइल में बिजी रहने से खाने की मात्रा का नहीं रहता पताखाना खाते समय मोबाइल पर बिजी रहने से लोग अपने खाने की मात्रा और पोषण पर ध्यान नहीं देते हैं. ऐसा करने से लोग अक्सर पोसेस्ड या फिर कम पौष्टिक खाना खा लेते हैं जिससे यह हमारे शरीर में ब्लड शुगर लेवल को तेजी से बढ़ा सकता है. वहीं बार बार ऐसा होने से इंसुलिन रेसिस्टेंस का खतरा भी बढ़ जाता है. यह आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज जैसी बीमारियों में बदल सकता है. इसे लेकर एक्सपर्ट भी मानते हैं कि जब लोग खाने में पूरी तरह ध्यान देकर खाना नहीं खाते हैं तो वह अपने शरीर में भूख के संकेतों को अनदेखा करते हैं जिससे ओवरईटिंग होने लगती है और वजन बढ़ने लगता है. इस तरह से वजन बढ़ना मेटाबॉलिक हेल्थ के लिए खतरनाक हो सकता है .खाने की मात्रा और प्रकार ब्लड शुगर लेवल को करते हैं प्रभावितखाने का प्रकार और उसकी मात्रा सीधे तौर पर ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करते हैं. खाने में मौजूद कार्बोहाइड्रेट, खासकर प्रोसेस्ट और रिफाइंड जैसे सफेद ब्रेड, पास्ता, शक्कर वाले ड्रिंक तेजी से पचते हैं और ब्लड शुगर को भी तेजी से बढ़ाते हैं.रोटी दाल की तुलना में कोल्ड ड्रिंक जैसे फूड से तेजी से बढ़ता शुगरलिक्विड रूप में लिए गए कर्बोहाइड्रेट जैसे कोल्ड ड्रिंक ठोस खाने जैसे रोटी या दाल की तुलना में शरीर में तेजी से शुगर में बदलते हैं. वहीं फाइबर युक्त खाना जैसे साबुत अनाज और हरी सब्जियां ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखने में मदद करते हैं क्योंकि ये धीरे धीरे पचते हैं.मांइडफुल ईटिंग से ब्लड शुगर और बढ़ते वजन को रोक सकते हैंध्यानलगाकर खाना खाना ऐक ऐसी आदत है जिसमें व्यक्ति अपने खाने के हर एक बाइट पर ध्यान देता है जैसे वह क्या खा रहा है कितना खा रहा है और कब पेट भर गया है. यह आदतें ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करती है. साथ ही नियमित रूप से व्यायाम करने से ब्लड शुगर को एनर्जी के रूप में इस्तेमाल करवाता है जिससे शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती है. इसका मतलब होता है कि शुगर आसानी से सेल्स में पहुंचती है और यह ब्लड में जमा नहीं होती है.
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भोजन का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। पौष्टिक आहार का सेवन करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है। यह शरीर को काम करने, बढ़ने और स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। ऐसे में जैसा भोजन आप करते हैं, वैसा ही स्वास्थ्य लाभ मिलता है लेकिन कुछ खराब आदते हैं जो पौष्टिक आहार के सेवन के बाद भी शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। यह आदते खाने के बाद की होती है।
आप चाहे जितने पौष्टिक आहार का सेवन कर लें लेकिन अगर खाने के बाद कुछ आदतों को नहीं बदलेंगे तो पाचन तंत्र पर दुष्प्रभाव होगा। अक्सर हम अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो पेट की गड़बड़ी से लेकर गंभीर बीमारियों तक की वजह बन सकती है। भोजन के बाद सही आदतें अपनाकर आप पाचन तंत्र को मजबूत रख सकते हैं और स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। इस लेख में आपको ऐसी बात गलतियां बताई जा रही हैं जो आमतौर पर लोग खाना खाने के बाद करते हैं, जिसका बुरा असर उनकी सेहत पर पड़ता है।तुरंत पानी पीनाकुछ लोग खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीते हैं। इससे पाचन क्रिया बाधित होती है। अगर आप खाना खाने के तुरंत बाद पानी पिएंगे तो खाना पचने में समय ज्यादा लगता है और एसिडिटी व ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है। सही तरीका है कि खाने के लगभग 30 मिनट बाद ही पानी पिएं। अगर बहुत प्यास लगे तो गुनगुना पानी बहुत कम मात्रा में लें।तुरंत सोना या लेटनाअक्सर लोग खाने के बाद तुरंत आराम करने के लिए लेट जाते हैं। खाने के बाद लेटने से पेट का एसिड भोजन के साथ ऊपर की ओर आ सकता है जिससे एसिड रिफ्लक्स, सीने में जलन और बदहजमी हो सकती है। आप इन समस्याओं से बचना चाहते हैं तो खाने के बाद कम से कम 30-40 मिनट तक बैठे रहें या हल्की वॉक करें।धूम्रपान करनावैसे तो धूम्रपान करना ही सेहत के लिए नुकसानदायक होता है, लेकिन भोजन के तुरंत बाद धूम्रपान करना सेहत के लिए ज्यादा घातक हो सकता है। इससे निकोटिन का अवशोषण दोगुना हो जाता है, जिससे आंतों को नुकसान पहुंचता है और पाचन तंत्र कमजोर होता है। धूम्रपान पूरी तरह छोड़ना बेहतर है, लेकिन खासकर भोजन के एक घंटे पहले और बाद में न करें।व्यायामखाने के तुरंत बाद सामान्य गति से टहल सकते हैं, लेकिन व्यायाम करने के बारे में भी न सोचें। खाना खाने के बाद व्यायाम करना सेहत के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। इससे उल्टी, मतली, पेट दर्द और पाचन से जुड़ी कई बड़ी समस्याएं झेलनी पड़ सकती है। अगर आप व्यायाम करना ही चाहते हैं तो भोजन के एक से डेढ़ घंटे बाद व्यायाम करें।नहानाखाना खाने के तुरंत बाद नहाने से रक्त का प्रवाह बदल सकता है, जिससे पाचन क्रिया धीमी हो सकती है। खाने के बाद पाचन तंत्र सबसे ज्यादा एक्टिव होता है। लेकिन, आपके नहाने से शरीर का तापमान बदल जाता है और खाना ठीक से पच नहीं पाता है। - गर्मियों की चिलचिलाती गर्मी आपको थका हुआ और डिहाइड्रेटेड महसूस करा सकती है. वहीं, इन दिनों तो दिल्ली समेत पूरा उत्तर भारत गर्मी और तपिश की मार झेल रहा है. ऐसे में शरीर को हाइड्रेट और स्वस्थ रखना किसी चुनौती से कम नहीं है.गर्मियों में आप खुद को हाइड्रेटेड और स्वस्थ रखने के लिए तरबूज, खरबूजा, आम, बेर, बेल और जामुन जैसी चीजें खा सकते हैं. गर्मियों के फल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं जो आपको गर्मी से लड़ने और स्वस्थ रहने में मदद कर सकते हैं. लेकिन यहां हम आपको बता रहे हैं कि दोनों में कौन आपके लिए गर्मी में खाना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है.बेर के फायदेबेर में करीब 87% पानी होता है. यह ठंडा और हाइड्रेटेड रखने वाला फल है. यह फाइबर का पावरहाउस है जो गर्म मौसम के दौरान पेट के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है.यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बूस्ट करता है क्योंकि यह विटामिन सी से भरपूर होता है, साथ ही यह आपको गर्मियों में स्वस्थ रखता है.एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होने की वजह से बेल आपकी त्वचा को सूरज की क्षति से बचाते हैं और हील भी करते हैं.ताजा बेर को आप ऐसे ही खा सकते हैं. साथ ही इसे सलाद, दही, जूस या स्मूदी में मिलाकर भी खा सकते हैं.जामुन के फायदेजामुन में 84% पानी होता है जो डिहाइड्रेशन से लड़ता है और आपको अंदर से ठंडा रखता है.जामुन पाचन में मददगार होते हैं. यह स्वाद में कसैले और मीठे होते हैं. इनमें जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो सूजन और पेट फूलने जैसी दिक्कतों को दूर करते हैं.जामुन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स लो होता है और ये ब्लड शुगर के नियंत्रण में सहायता करता है.जामुन खाने से आपको चमकती त्वचा मिल सकती है क्योंकि ये एंटीऑक्सिडेंट्स का रिच सोर्स होता है. यह त्वचा के तेल को नियंत्रित करने और पोर्स को कसने में मदद करते हैं जिससे त्वचा साफ होती है.जामुन को खाने के कई तरीके हैं. इसे आप ताजा खाएं, जैम या जूस बनाएं या इसे दही और सलाद में मिलाएं, हर तरह से फायदे ही होंगे.दोनों में क्या ज्यादा फायदेमंदबेर और जामुन दोनों ही गर्मियों के लिए अच्छे फल हैं. यह एक करीबी मुकाबला है क्योंकि दोनों ही विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट के पावरहाउस हैं. अगर आपको हाइड्रेशन और अच्छे फाइबर वाले फल की जरूरत है तो बेर को चुनेंलेकिन अगर आप पाचन से जुड़े लाभ चाहते हैं, साथ ही ब्लड शुगर को नियंत्रित करना चाहते हैं तो जामुन आपके लिए बेहतर होगा.आखिरकार सबसे अच्छा विकल्प आपकी जरूरतों पर निर्भर करता है. आप जो भी चुनें, आपको दोनों ही फलों से गर्मियों में हाइड्रेशन, ताजगी और फायदे मिलेंगे.
- गर्मी के मौसम के बाद आने वाला मॉनसून अपने साथ सिर्फ राहत की बूंदें ही नहीं, बल्कि कुछ स्वास्थ्य चुनौतियां भी लेकर आता है। इन्हीं में से एक है पैरों में फंगल इन्फेक्शन का होना, जिसे आमतौर पर 'फुट फंगस' के नाम से जाना जाता है। पसीने और लगातार बनी रहने वाली नमी के कारण यह समस्या तेजी से पनपती है और कई लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाती है।कई बार यह सिर्फ मामूली खुजली नहीं, बल्कि जलन, त्वचा का फटना, लालिमा और असहनीय बदबू का कारण बन सकती है। खासकर 'एथलीट फुट' (पैर की उंगलियों के बीच का इन्फेक्शन) और 'टोनेल फंगस' (नाखूनों का इन्फेक्शन) जैसी बीमारियां इस मौसम में बहुत आम हो जाते हैं। त्वचा विशेषज्ञों का कहना है कि यह संक्रामक भी हो सकता है। अच्छी बात यह है कि सही देखभाल और थोड़ी सी सावधानी से इस समस्या से बचा जा सकता है। अब क्योंकि मानसून आने वाला है, तो आइए इस लेख में इस समस्या से बचने चार उपाय के बारे में जानते हैं।पैरों को साफ और सूखा रखेंगर्मी में पसीने के कारण पैर नम रहते हैं, जो फंगस के लिए आदर्श वातावरण बनाता है। रोजाना पैरों को एंटी-बैक्टीरियल साबुन से धोएं, खासकर उंगलियों के बीच। टिप: धोने के बाद तौलिए से अच्छी तरह सुखाएं। नहाने के बाद पैरों को हेयर ड्रायर के ठंडे मोड से सुखाना भी प्रभावी है। साफ मोजे पहनें और रोजाना बदलें।वेंटिलेटेड जूते और मोजे चुनेंटाइट या प्लास्टिक के जूते पैरों में हवा को रोकते हैं, जिससे नमी बढ़ती है और फंगस पनपता है। चमड़े या मेश वाले वेंटिलेटेड जूते पहनें। सूती या नमी सोखने वाले मोजे चुनें। गर्मी में बंद जूतों की जगह सैंडल या ओपन-टो जूते बेहतर हैं। जूतों को धूप में सुखाएं और डीओडरेंट पाउडर का इस्तेमाल करें।एंटी-फंगल प्रोडक्ट्स का उपयोग करेंफुट फंगस से बचाव के लिए एंटी-फंगल पाउडर या क्रीम का इस्तेमाल करें, खासकर यदि आप जिम, स्विमिंग पूल या सार्वजनिक शावर का उपयोग करते हैं। रात को पैर धोने के बाद एंटी-फंगल क्रीम लगाएं। नीम का तेल या टी ट्री ऑयल भी प्राकृतिक रूप से फंगस को रोकने में मदद करते हैं।साझा चीजों के इस्तेमाल से बचेंसार्वजनिक स्थानों पर नंगे पैर चलने से फंगस का जोखिम बढ़ता है। दूसरों के जूते, मोजे या तौलिए का इस्तेमाल न करें। स्विमिंग पूल या जिम में चप्पल पहनें। नाखूनों को छोटा और साफ रखें, क्योंकि लंबे नाखूनों में फंगस आसानी से पनप सकता है। नेल कटर को भी नियमित रूप से साफ करें। इसके बाद भी यदि पैर में खुजली या लालिमा हो, तो तुरंत त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लें।