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- हमारे शरीर के लिए विटामिन बी7 भी एक महत्वपूर्ण विटामिन है, जिसे बायोटिन के रूप में भी जाना जाता है। शरीर में विटामिन बी7 की कमी तो बहुत कम लोगों को होती है, लेकिन इसकी कमी के कारण सेहत पर बुरा असर पड़ता है। विटामिन बी7 पानी में घुलनशील विटामिन है, जो विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स ग्रूप का हिस्सा होता है। यह विटामिन शरीर में फैट, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के मेटाबॉलिज्म में अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि शरीर में विटामिन बी7 की कमी से क्या होता है?विटामिन B7 की कमी से क्या होता है? -हमारे शरीर में विटामिन बी7 की कमी से न सिर्फ शारीरिक समस्याएं होती है, बल्कि ये मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है। आइए जानते हैं कैसे-1. बालों का झड़नाविटामिन बी7 की कमी का सबसे ज्यादा और पहले असर बालों पर नजर आता है। इस विटामिन की कमी से बालों का झड़ना, बाल पतले होना और कभी-कभी गंजेपन की समस्या भी हो सकती है।2. त्वचा से जुड़ी समस्याएंविटामिन बी7 की कमी से स्किन पर भी लाल चकत्ते, ड्राईनेस, खुजली या स्किन पर पपड़ी जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। इस विटामिन की कमी से आपका चेहरा सबसे ज्यादा प्रभावित होता है, जिसमें आंखों, नाक और मुंह के आसपास की स्किन शामिल है।3. थकान और कमजोरीविटामिन बी7 यानी बायोटिन की कमी से व्यक्ति बिना किसी काम के थका-थका महसूस करता है, उसके शरीर में एनर्जी की कमी होने लगती हैं और मांसपेशियां कमजोर हो सकती है।4. मानसिक स्वास्थ्य पर असरविटामिन बी7 की कमी का असर आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।, जिससे मूड में बदलाव, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशर, भ्रण या याददाश्त कमजोर होने की समस्या शामिल है।5. नाखून का कमजोर होनाविटामिन बी7 की कमी न सिर्फ आपकी स्किन और बालों पर असर डालते है, बल्कि ये आपके नाखूनों को भी कमजोर करते हैं, जिससे वे टूटने लगते हैं और नाखून के आसपास की स्किन में बदलाव और सूजन की समस्या हो सकती है।बायोटिन की कमी से कैसे बचें?विटामिन बी7 से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे अंडा, दालें, नट्स, सीड्स, केला और साबुत अनाज का सेवन करें। लेकिन, ध्यान रहे बायोटिन की कमी होने पर कच्चे अंडे का सेवन करने से बचें, क्योंकि ये विटामिन बी7 की कमी का कारण बन सकता है। इसके अलावा अगर आपके शरीर में ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्टर से कंसल्ट करें और डॉक्टर की सलाह पर जरूरत पड़ने पर बायोटिन सप्लीमेंट लें।निष्कर्षविटामिन बी7 यानी बायोटिन की कमी बहुत कम लोगों में होती है, लेकिन जब होती है तो इसकी कमी आपके शरीर और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करती है। इसलिए, इसके लक्षणों को पहचान कर समय पर इलाज करवाने की कोशिश करें और इस कमी को दूर करें।
- कॉफी आज के समय में हर नौकरी पेशा व्यक्ति की साथी है, जिसे वह अक्सर थकान मिटाने और नींद भगाने के लिए पीते हैं। एक कप कॉफी शरीर में ऊर्जा भर जाती है और आप वापस से पूरी क्षमता के साथ काम में जुट जाते हैं। हालांकि कई शोधों से पता चला है कि कॉफी सिर्फ नींद भगाने वाला एक पेय ही नहीं, बल्कि यह हमारे लिवर स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है। सालों तक किए गए शोधों से आज यह परिणाम सामने आया है कि नियमित रूप से सीमित मात्रा में कॉफी पीने से लिवर से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों का खतरा कम होता है। यह लिवर की सूजन को कम करती है और फैटी लिवर, सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे को घटाती है। इस तरह कॉफी स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभकारी साबित हो रही है। तो आइए आज जानते कॉफी के अन्य लाभों के बारे में।कैसे करती है लिवर की सुरक्षा?कॉफी स्वादिष्ट होती है हम सभी जानते हैं। लेकिन इसमें कई गुण मौजूद होते हैं जैसे- एंटीऑक्सिडेंट्स, क्लोरोजेनिक एसिड और कैफीन। यह तत्व लिवर फाइब्रोसिस और लिवर में सूजन के लक्षण को कम करने मदद करते हैं। शोध बताते हैं कि यह नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज, सिरोसिस और यहां तक कि लिवर कैंसर के जोखिम को भी घटा सकती है। एक अध्ययन के अनुसार, दिन में 2 से 3 कप ब्लैक कॉफी पीने वाले लोगों में लिवर एंजाइम्स बेहतर स्थिति में पाए गए और लिवर से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी कम रहा।कब और कैसे करें सेवन?विशेषज्ञों का मानना है कि सुबह या दोपहर में कॉफी पीना सबसे बेहतर रहता है। देर शाम या रात में इसे पीना नींद न आने का कारण बन सकता है, क्योंकि कॉफी में कैफीन की मात्रा अधिक होती है। वहीं अगर आप दूध वाली कॉफी पीते हैं तो हम आपको बता दे कि ब्लैक कॉफी (बिना चीनी और क्रीम) लिवर के लिए सबसे लाभकारी होती है, न की दूध वाली। वहीं कितनी मात्रा में कॉफी पी जाएं इसके बारे में विशेषज्ञ बताते हैं कि दिन में 2 से 3 कप से अधिक कॉफी न पिएं। अधिक कैफीन से दिल की धड़कन तेज हो सकती है और नींद खराब हो सकती है। वहीं सबसे जरूरी बात कभी भी खाली पेट कॉफी न पिएं। कॉफी को हमेशा किसी हल्के नाश्ते के बाद पीना बेहतर होता है।किन लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए?कॉफी सभी के लिए सही नहीं होती, इसलिए कुछ लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। जैसे- गर्भवती महिलाओं को सीमित मात्रा में ही कैफीन लेना चाहिए, क्योंकि अधिक कैफीन से गर्भस्थ शिशु पर प्रभाव पड़ सकता है। हाई ब्लड प्रेशर या हृदय रोग से पीड़ित व्यक्तियों को भी कॉफी का सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए, क्योंकि कैफीन हृदय की धड़कन बढ़ा सकता है। वहीं जिन लोगों को कैफीन से एलर्जी या संवेदनशीलता है, उन्हें कॉफी से पूरी तरह परहेज करना चाहिए। विशेषज्ञ कहते हैं कि कॉफी यदि सही समय और मात्रा में पी जाए, तो यह लिवर के लिए एक प्राकृतिक टॉनिक का काम कर सकती है। हालांकि किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह के लिए डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
- भारतीय मसालों में से एक सौंफ का इस्तेमाल खाना पकाने के लिए किया जाता है। इसमें विटामिन-ए, सी और फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, साथ ही, इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल के गुण पाए जाते हैं। इसके पानी का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। लेकिन कई बार लोगों के मन में सवाल उठता है कि क्या सौंफ के पानी को पीने से पेट खराब होने या इससे जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।क्या सौंफ का पानी पीने से दस्त हो सकते हैं?सौंफ में अच्छी मात्रा में फाइबर होता है। इसके पानी का सेवन करने से पाचन को दुरुस्त रखने में मदद मिलती है। लेकिन इसका अधिक सेवन करने के कारण लोगों को दस्त होने या पेट खराब होने, पेट दर्द होने मतली होने, उल्टी होने और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती है।अधिक सेवन से बचेंसौंफ के पानी का अधिक सेवन करने से लोगों को पाचन तंत्र में परेशानी होने, मल के नरम होने, हल्की ऐंठन होने और दस्त की समस्या के बढ़ने की समस्या हो सकती है। ऐसे में इसके अधिक सेवन से बचना चाहिए।एलर्जी के कारणकई बार लोगों को सौंफ या इसके पानी से एलर्जी हो सकती है। इसके कारण लोगों को उल्टी, मतली, दस्त होने, पेट में दर्द होने, त्वचा में रेशैज होने की समस्या हो सकती है। ऐसे में एलर्जी की समस्या महसूस होने पर इसके सेवन से बचें।सावधानियां- सौंफ के पानी का अधिक सेवन करने से बचें- धीरे-धीरे शुरु करें, एकदम से सौंफ के पानी का सेवन करने से बचें- एलर्जी होने पर सौंफ के पानी का सेवन करने से बचेंनिष्कर्षसौंफ के पानी का अधिक सेवन करने से लोगों को पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसके कारण लोगों को हल्की ऐंठन होने, दस्त होने, मल के नरम होने, उल्टी, मतली, पेट में दर्द और त्वचा में एलर्जी होने की समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में इसका सेवन सीमित मात्रा में करें। कोई भी परेशानी होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें और एलर्जी होने पर इसका सेवन करने से बचें।
- भारत में गुड़ को सिर्फ मिठास का सोर्स नहीं है बल्कि सेहत का खजाना भी माना जाता है। खासकर सर्दियों में तो हर घर की रसोई में गुड़ से बनी मिठाइयां, चाय, लड्डू और चक्की जरूर देखने को मिलती हैं। लेकिन गुड़ को लेकर एक सवाल सबसे ज्यादा पूछा जाता है कि क्या गुड़ खाने से खून सच में बढ़ता है? हमारी बॉडी में हीमोग्लोबिन बनाने के लिए आयरन बेहद जरूरी है। जब शरीर में आयरन की कमी हो जाती है तो खून की मात्रा कम हो जाती है और एनीमिया जैसी समस्या हो सकती है। आयरन से भरपूर भोजन खून की कमी को दूर करने में मदद करता है।'' ऐसे में गुड़ में नेचुरल रूप से आयरन पाया जाता है और यह शरीर में आसानी से अवशोषित हो जाता है। गुड़ में आयरन की मात्रा लोहे के बर्तनों के कारण होती है। दरअसल, पहले गुड़ बड़े लोहे के बर्तनों में बनाया जाता था और इसलिए पुराने तरीकों से बनाए गए गुड़ में आयरन होता है। इसी वजह से कहा जाता है कि नियमित रूप से सीमित मात्रा में गुड़ खाने से खून की कमी पूरी हो सकती है।गुड़ आयरन का अच्छा सोर्स है, लेकिन इसे चमत्कारिक इलाज नहीं माना जा सकता। हल्के एनीमिया या आयरन की कमी वाले लोगों के लिए गुड़ फायदेमंद साबित हो सकता है। रोजाना 10–20 ग्राम गुड़ का सेवन सेहत को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। गंभीर एनीमिया की स्थिति में सिर्फ गुड़ खाना काफी नहीं है, बल्कि डॉक्टर की सलाह से आयरन सप्लीमेंट्स और अन्य ट्रीटमेंट भी जरूरी हैं।गुड़ खाने के फायदे-आयरन कंटेंट की वजह से एनीमिया में लाभकारी।-खाना खाने के बाद गुड़ खाने से गैस, अपच और एसिडिटी की समस्या कम होती है।-गुड़ को नेचुरल एनर्जी बूस्टर माना जाता है।-खून साफ करने से स्किन पर नेचुरल ग्लो आता है।-इसमें मौजूद मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी मजबूत करते हैं।निष्कर्षगुड़ जरूरी मिनरल्स से भरपूर एक नेचुरल स्वीटनर है, जो खून की कमी को पूरा करने में मददगार साबित हो सकता है। हालांकि, यह किसी मेडिकल ट्रीटमेंट का विकल्प नहीं है। यदि किसी को गंभीर एनीमिया या अन्य ब्लड से जुड़ी समस्या है तो डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है। संक्षेप में कहा जाए तो हां, गुड़ खाने से खून बढ़ सकता है, लेकिन संतुलित मात्रा और सही डाइट के साथ ही इसका पूरा फायदा मिलता है।
- कई लोग अपने बालों को काला करने के लिए तरह-तरह की केमिकल वाली डाई का इस्तेमाल करते हैं, जिससे हमारे बाल पहले से ज्यादा रूखे व बेजान हो जाते हैं। साथ ही जब रंग छुटता है तो पहले की तुलना में अधिक बाल सफेद आते हैं। ऐसे में अगर आप सफेद बालों की इस समस्या को अनदेखा कर रहे हैं तो ये बहुत बड़ी गलती है। बालों का सफेद होना सीधे तौर पर दर्शाता है कि आपका शरीर एक विटामिन मिस कर रहा है। आइए आपको बताते हैं ये कौन सा विटामिन है।किस विटामिन की कमी से बाल सफेद होते हैं?हमारे बालों के सफेद होने का कारण है शरीर में विटामिन बी 12 की कमी का होना। विटामिन बी 12 की कमी का सीधा असर हमारे बालों पर पड़ता है, क्योंकि रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन को हेल्दी नर्वस सिस्टम के लिए बहुत जरूरी होता है। अगर इस विटामिन की कमी हो जाए तो मेलेनिन प्रोडक्शन कम होने लगता है जिससे बाल समय से पहले सफेद होने लगते हैं।विटामिन बी 12 की पूर्ति कैसे करें?जरूरी नहीं है कि आप दवाइयां खाकर ही अपने शरीर में विटामिन बी 12 की कमी को पूरा करें। इसके अलावा आप चाहें तो मांस, मछली, अंडा, दूध आदि खाकर इस कमी को पूरा कर सकता है। अगर आप मांस नहीं खाते हैं तो विटामिन बी 12 के सप्लीमेंट्स का सहारा भी ले सकते हैं।बालों को काला करने का नेचुरल तरीकाविटामिन बी 12 की पूर्ति करने के अवाला आप अपनी डाइट में भीगे हुए मेथी के बीज, आंवला, डेयरी प्रोडक्ट, हरी सब्जियां व नट्स खाना शुरू कर दें। इसी के साथ आप समय-समय पर अपने बालों पर तेल लगाएं और उन्हें नरिश रखें। साथ ही बेहतर होगा कि आप केमिकल वाले शैम्पू का कम से कम इस्तेमाल करें।जब हम ज्यादा मात्रा केमिकल वाले हेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं तो ये हमारे हेयर फॉलिकल्स को कमजौर करने का काम करता है। ये हमारे बालों को पतला भी करने का काम करते हैं। इसलिए अगर आप अपने बालों को समय से पहले सफेद होने से बचाना चाहते हैं तो केमिकल की जगह नेचुरल प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें।
- नारियल सेहत को तो कई फायदे पहुंचाता है. साथ ही भारतीय संस्कृति में इसे काफी शुभ भी माना जाता है. भारत के अलावा थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों में भी नारियल लाइफस्टाइल का एक अहम हिस्सा है. हालांकि, आज भी कई लोग इसके फायदों से अनजान है. ऐसे में कोकोनट का महत्व समझाने और इसके फायदों के बारे में लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 2 सितंबर को ‘वर्ल्ड कोकोनट डे’ मनाया जाता है.नारियल की झाल, इसका गूदा, पानी और यहां तक की पत्तियां भी पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं और सेहत के लिए लाभकारी भी. नारियल के बारे में कुछ ऐसी बातें भी हैं, जिनके बारे में हर किसी को पता होना चाहिए. चलिए आज इस आर्टिकल में जानते हैं नारियल से जुड़ी 5 अहम बातें. साथ ही इसके क्या-क्या फायदे हैं और इसे हम अपनी डाइट में कैसे शामिल कर सकते हैं.क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड कोकोनट डे ?इंटरनेट पर मिली जानकारी के मुताबिक, वर्ल्ड कोकोनट डे मनाने की शुरुआत साल 2009 में 2 सितंबर को हुई थी. इस दिन की शुरुआत Asian and Pacific Coconut Community ने की थी. आज भी ये ग्रुप बड़े धूम-धाम से इस दिन को मनाता है. वर्ल्ड कोकोनट डे मनाने का उद्देश्य दुनियभार में नारियल के महत्व और इसके फायदों के बारे में जागरुकता फैलाना है.नारियल से जुड़ी 5 अहम बातें1. ‘जीवन का वृक्ष’ कहलाता है नारियल का पेड़नारियल के पेड़ को Life Of Tree कहा जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि नारियल के पेड़ का हर हिस्सा किसी न किसी काम आता है. चाहे फिर वो नारियल की झाल हो, इसका पानी, गूदा और यहां की पत्तियां भी इस्तेमाल की जाती हैं. इसके अलावा ये भारतीय संस्कृति में शुभ भी माना जाता है. सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में नारियल लाइफस्टाइल का एक अहम हिस्सा बना हुआ है, जिसे खाने बनाने से लेकर कई तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है.2. नारियल तेल पचने में आसाननारियल तेल को सेहत के लिए काफी लाभकारी माना जाता है. इसमें MCT यानी Medium-Chain Triglyceride होता है. ये पचने में आसान होते हैं. इसके अलावा नारियल तेल एनर्जी बढ़ाने का एक बेहतरीन स्त्रोत है और मेटाबॉलिज्म को भी तेज करता है. साथ ही हार्ट के लिए भी अच्छा होता है.3. पोषक तत्वों से भरपूर नारियलनारियल पोषक तत्वों का भंडार है. इसमें फाइबर की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जिससे ये वजन घटाने के लिए काफी अच्छा है. इसके अलावा इसमें सैचुरेटिड फैट पाया जाता है. मैग्निशियम, कॉपर, आयरन और सेलेनियम का भी अच्छा सोर्स है. वहीं, नारियल पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स भरपूर होता है.4. कोकोनट नाम कैसे पड़ा?कोकोनट शब्द पुर्तगाली शब्द ‘कोको’ से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है खोपड़ी, सिर या बंदर. नारियल की शेप इसी तरह की होती है, ऐसे में 16वीं शताब्दी में नारियल को कोकोनट नाम पुर्तगालियों द्वारा दिया गया है.5. द्वितीय विश्व युद्ध में IV ड्रिप की तरह हुआ था यूजनारियल से जुड़ी ये रोचक बात आपको हैरान कर सकती है. कहा जाता है कि, वर्ल्ड वॉर II में नारियल पानी का यूज IV ड्रिप की तरह किया गया था. क्योकि उस समय पर्याप्ट मात्रा में ब्लड प्लाज्मा और कई तरह की मेडिकल सप्लाई कम हो गई थी, जिसके बाद नारियल पानी का इस्तेमाल किया गया था. इसमें इलेक्ट्रोलाइट्स (जैसे पोटेशियम, सोडियम) और विटामिन सी, बी-कॉम्प्लेक्स पाए जाते हैं.
- अक्सर लोग मुंह से बदबू आने, छाले होने, दांतों से जुड़ी समस्या होने और मसूड़ों से जुड़ी कई ओरल हेल्थ समस्याओं से परेशान रहते हैं। इससे राहत के लिए अक्सर लोगों को ओरल हेल्थ की खास देखभाल करने और नियमित रूप से दिन में 2 बार ब्रश करने जैसी सलाह दी जाती है। इसके अलावा, आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में से एक और औषधीय गुणों से भरपूर चिरचिटा के पत्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है।ओरल हेल्थ के लिए चिरचिटा के पत्तों के फायदेचिरचिटा के पत्तों में औषधीय गुण होते हैं, साथ ही, इसमें एटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण भी होते हैं। इसका इस्तेमाल करने से ओरल हेल्थ में सुधार करने में मदद मिलती है।मुंह के छालों से दे राहतआयुर्वेद के अनुसार, चिरचिटा के पत्तों का इस्तेमाल करने या इनको कच्चा चबाने से मुंह के छाले को कम करने, इसके घाव को तेजी से भरने और इसके कारण होने वाली दर्द और सूजन की समस्या से भी राहत देने में मदद मिलती है।मसूड़ों की समस्या से दे राहतचिरचिटा के पत्तों में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण होते हैं। इसका इस्तेमाल करने से मसूड़ों में बैक्टीरिया के जमाव को रोकने, सूजन को कम करने, दर्द कम करने, इंफेक्शन से बचाव करने और ब्लीडिंग की समस्या से राहत देने में मदद मिलती है।दांतों के पीलेपन से दे राहतचिरचिटा के पत्तों में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से दांतों के दर्द से राहत देने, प्लाक के निर्माण को कम करने, पीलेपन को कम कर नेचुरली सफेद बनाए रखने, कैविटीज से बचाव करने, दांतों की सड़न और दांतों की सेंसिटिविटी को कम करने में मदद मिलती है।मुंह की बदबू से दे राहतचिरचिटा के पत्तों में एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-बैक्टीरियल के गुण होते हैं। इसका इस्तेमाल करने से मुंह की बदबू से राहत देने, मुंह के इंफेक्शन से बचाव और मुंह में मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद मिलती है।बीमारियों से बचाव करेचिरचिटा के पत्तों में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण ओरल हेल्थ में सुधार करने, बैक्टीरिया को खत्म करने और मुंह से जुड़ी बीमारियों से बचाव करने में मदद मिलती है।ओरल हेल्थ के लिए कैसे करें चिरचिटा के पत्तों का इस्तेमाल?ओरल हेल्थ में सुधार करने के लिए चिरचिटा के पत्तों को कई तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है।- सुबह के समय 1-2 चिरचिटा के पत्तों को चबाने से मुंह को साफ करने, मुंह की बदबू को कम करने और मसूड़ों के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती है।- चिरचिटा के पत्तों को पानी में 10 मिनट के लिए उबाल कर, इस पानी को माउथवॉश की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे मसूड़ों की सूजन को कम करने, इनसे जुड़ी समस्याओं से राहत देने, दांतों में कैविटीज से बचाने और दांतों के पीलेपन को कम करने में मदद मिलती है।- चिरचिटा की ताजा पत्तियों का पेस्ट बनाकर इसको सीधे तौर पर मुंह के छाले, दांतों में दर्द और मसूड़ों पर 5 मिनट के लिए लगाया जा सकता है। इसके बाद कुल्ला कर लें।- चिरचिटा के पत्तों के पाउडर को टूथपेस्ट में मिलाकर इससे ब्रश भी किया जा सकता है।निष्कर्षचिरचिटा के पत्तों का इस्तेमाल करने से ओरल हेल्थ में सुधार करने में मदद मिलती है। लेकिन ध्यान रहे, इससे किसी भी तरह की एलर्जी होने पर इसके इस्तेमाल से बचें। इसके अलावा, किसी मेडिकल कंडीशन से पीड़ित होने, ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं और प्रेग्नेंसी के दौरान इसके इस्तेमाल से बचें। ओरल हेल्थ से जुड़ी अधिक समस्या महसूस होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- आंखों के नीचे नजर आने वाले काले घेरों को लोग अकसर कमजोरी या नींद ना पूरी होने का कारण मानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, ये काले घेरे आपकी सेहत से जुड़े कई महत्वपूर्ण संकेत भी देते हैं। जी हां, आंखों के नीचे के ये काले घेरे शरीर में कुछ खास विटामिन्स की कमी की ओर इशारा करते हैं। अगर आपकी आंखों के नीचे भी काले घेरे बने हुए हैं और आप हैरान हैं कि पूरी नींद लेने के बावजूद ये काले निशान आपकी आंखों की खूबसूरती को क्यों कम कर रहे हैं तो जान लें इसके पीछे इन विटामिन्स की कमी कारण हो सकती है।विटामिन के की कमीविटामिन के शरीर में उचित रक्त संचार और रक्त के थक्के जमने के लिए आवश्यक होता है। शरीर में इसकी कमी से रक्त जमा हो सकता है, जिससे काले घेरे हो सकते हैं। शरीर में इस विटामिन की कमी होने पर त्वचा का पतला होना, आसानी से चोट लगना, और काले घेरे का बढ़ना जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। इस विटामिन की कमी होने पर डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, केल, मछली, अंडे, और मांस शामिल करें।विटामिन बी12 की कमीविटामिन बी12 लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन के लिए जरूरी होता है। लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से एनीमिया हो सकता है, जिससे काले घेरे हो सकते हैं। विटामिन बी12 के लक्षणों में थकान, कमजोरी, पीली त्वचा, और सांस फूलना शामिल होता है। शरीर में इस विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए डाइट में मछली, मांस, अंडे, दूध, और फोर्टिफाइड अनाज शामिल करें।विटामिन सी की कमीविटामिन सी कोलेजन उत्पादन के लिए जरूरी होता है, जो त्वचा की लोच बढ़ाता है। विटामिन सी की कमी होने पर आंखों के नीचे की त्वचा की कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं, जिससे काले घेरे होने लगते हैं। शरीर में विटामिन सी की कमी होने पर त्वचा में रूखापन, थकान, और बार-बार बीमार पड़ने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। इस विटामिन की कमी पूरी करने के लिए डाइट में आंवला, संतरा, नींबू, स्ट्रॉबेरी, शिमला मिर्च, और टमाटर को शामिल करें।विटामिन ईविटामिन ई त्वचा को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाता है। इसकी कमी से त्वचा की चमक कम हो सकती है और आंखों के नीचे काले घेरे बढ़ सकते हैं। विटामिन ई की कमी होने पर त्वचा का रूखापन, झुर्रियां, और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली जैसे लक्षण नजर आते हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए डाइट में बादाम, सूरजमुखी के बीज, एवोकाडो, और हरी सब्जियां शामि करें।विटामिन ए की कमीविटामिन ए त्वचा की मरम्मत और रखरखाव के लिए आवश्यक है। इसकी कमी से त्वचा शुष्क और बेजान हो सकती है, जिससे आंखों के नीचे की त्वचा पतली होकर काले घेरे उभर सकते हैं। इसके लक्षणों में रूखी त्वचा, रतौंधी और आंखों में सूखापन देखा जा सकता है। इस विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए डाइट में गाजर, शकरकंद, कद्दू, पालक, और मछली का तेल शामिल करें।शरीर में इन 5 विटामिन्स के अलावा इन कारणों से भी आंखों के नीचे काले घेरे हो सकते हैंआयरन की कमीशरीर में आयरन की कमी होने पर त्वचा के ऊतकों में रक्त संचार और ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी आ सकती है। जिसकी वजह से आंखों के नीचे की त्वचा पीली और काली पड़ सकती है।नींद की कमी7-8 घंटे की अच्छी नींद न लेने की वजह से भी आपका चेहरा पीला पड़ सकता है। लंबे समय तक जागने से आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स हो सकते हैं।ज्यादा स्क्रीन टाइमफोन और लैपटॉप स्क्रीन का ज्यादा और लंबे समय तक इस्तेमाल करने से आंखों के नीचे काले घेरे हो सकते हैं। यह नीली रोशनी के संपर्क में आने से होता है।
- जब साइटिका नर्व में दर्द होता है, तो उसे हम साइटिका पेन कहते हैं। यह नर्व हमारे शरीर की सबसे लंबी नर्व है, जो कि नितंब से होते हुए पैरों तक जाती है। जब साइटिका नर्व पर दबाव बनता है, तब यह समस्या पैदा होती है। अगर इसके कारणों का जिक्र करें,तो इस बारे में डॉक्टरों का कहना है कि स्लिप्ड डिस्क, स्पाइनल स्टेनोसिस आदि शामिल हैं। साइटिका पेन होने पर पैरों में झुनझुनाहट, सुन्नपन, पैरों में कमजोरी जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं। बहरहाल, माना जाता है कि कभी-कभी खरबा जीवनशैली भी साइटिका का कारण बन सकती हैं। यह भी लोगों के बीच प्रचलित है कि लंबे समय तक बैठे रहने के कारण साइटिका हो सकता है। आइए जानते हैं कि इस बात में कितनी सच्चाई है?क्या लंबे समय तक बैठे रहने के कारण साइटिका हो सकता है?-डॉक्टरों के अनुसार "यह सच है कि लंबे समय तक बैठे रहने के कारण साइटिका हो सकता है। यहां तक कि बैठे रहने से साइटिका का दर्द बढ़ सकता है, जो कभी-कभी असहनीय हो जाता है।" सवाल है, ऐसा क्यों होता है? जब आप लंबे समय तक एक ही अवस्था में बैठे रहते हैं, तो ऐसे में स्पाइन, डिस्क और साइटिका नर्व पर दबाव पड़ता है। पीठ के निचले हिस्से और हिप्स पर भी अतिरिक्त प्रेशर बढ़ने की वजह से साइटिका का दर्द बढ़ने लगता है। यहां तक कि खराब तरीके से बैठने की पोजिशन आपके स्पाइनल में बदलाव कर सकती है, जो कि साइटिका पेन को ट्रिगर करती है।"लंबे समय तक बैठे रहने से साइटिका का दर्द ट्रिगर कैसे होता हैशरीर के निचले हिस्से पर दबावजब आप एक ही अवस्था में लंबे समय तक बैठते हैं और यही प्रक्रिया लंबे समय तक फॉलो करते हैं। इससे एक ही हिस्से पर बार-बार प्रेशर बनता है। खासकर, शरीर के निचले हिस्से पर यह दबाव अधिक पड़ने लगता है, जिससे साइटिका हो सकता है। इसके अलावा, जिन लोगों का वजन ज्यादा है या ओबेसिटी का शिकार हैं, उनमें इस तरह की दिक्कत अधिक देखने को मिलती है।डिस्क डिजनरेशनसमय के साथ और लगातार बैठने के कारण शरीर के निचले हिस्से पर दबाव बढ़ता जाता है, जोकि स्पाइन डिस्क को नुकसान पहुंचाता है, उसे खराब कर सकता है, जो कि हर्निएटेड डिस्क की वजह बनता है। ऐसे में साइटिका का रिस्क भी बढ़ जाता है।स्पाइन पर प्रेशरजब आप बैठते हैं कि आपके शरीर का काफी ज्यादा भार आपकी स्पाइन पर होता है। यह खड़े रहने की तुलना में अधिक है। नतीजतन स्पाइन डिस्क पर नेगेटिव असर पड़ता है और स्पाइनल डिस्क और साइटिका जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ने लगता है।साइटिका दर्द से कैसे आराम पाएं-अपने पोस्चर में सुधार करें।-लंबे समय तक एक पोजिशन पर न बैठें।-अपने कोर मसल्स की स्ट्रेंथ बढ़ाएं।-लंबे समय तक बैठे रहने के बजाय खड़े होकर काम करें।-बैठकर काम करना है, तो समय-समय पर ब्रेक लें।निष्कर्षइस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि लंबे समय तक बैठे रहने के कारण साइटिका का दर्द होता है या इसकी कंडीशन बिगड़ सकती है। इसलिए, आप कोशिश करें कि लंबे समय तक एक ही जगह पर न बैठें। साथ ही, अपनी जीवनशैली में अच्छी आदतों को अपनाकर साइटिका के दर्द को मैनेज कर सकते हैं। जैसे मोटापा कम करना और एक्सरसाइज करना।
- भागदौड़ करने के बाद घर लौटने या गर्मी-उमस के मौसम में लगने वाली तेज प्यास बुझाने के लिए नींबू पानी पीना बहुत फायदेमंद होता है। नींबू पानी पीते ही प्यास तो बुझती ही है साथ ही तुरंत एनर्जी भी मिलती है। वहीं, कुछ लोग सुस्ती-थकान दूर करने के लिए बार-बार नींबू पानी पीते हैं। जबकि वेट लॉस के लिए सुबह खाली पेट नींबू पानी पीने की आदत भी बहुत-से लोगों में देखी जाती है। लेकिन वहीं, कुछ लोगों के लिए नींबू पानी का सेवन बिल्कुल फायदेमंद नहीं होता। यहां पढ़ें कि किन लोगों को नींबू पानी पीने से बचना चाहिए और क्या हैं इसके नुकसान।बढ़ सकती है दांतों में सेंसिटिविटीनींबू के रस में साइट्रिक एसिड पाया जाता है जो आपके दांतों की सबसे ऊपर की लेयर को डैमेज कर सकता है। इससे आपके दांतों में सेंसिटिविटी की समस्या हो सकती है।किडनी की बीमारी मे ना पिएं नींबू पानीअगर किसी को किडनी से जुड़ी कोई समस्या है तो उन्हें नींबू पानी नहीं पीना चाहिए। इससे किडनी को डैमेज पहुंच सकता है।कमजोर पाचन शक्ति वालेजिन लोगों को कमजोर डाइजेशन की समस्या होती है उन्हें नींबू पानी संभलकर पीना चाहिए। दरअसल, नींबू पानी पीने से डाइजेस्टिव सिस्टम का काम बिगड़ सकता है और इससे एसिडिटी और पेट में अल्सर जैसी परेशानियां हो सकती हैं।बढ़ सकता है जॉइंट पेनक्या आप जानते हैं कि नींबू पानी पीने से जोड़ों में दर्द की समस्या बहुत बढ़ सकती है। दरअसलस नींबू में पाए जाने वाले एसिड्स शरीर में कैल्शियम का लेवल कम कर देते हैं। इससे जोड़ों का दर्द बढ़ सकता है।स्किन एलर्जीनींबू पानी पीने के बाद कई लोगों की स्किन में खुजली और रैशेज जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। दरअसल, नींबू पानी एलर्जिक रिएक्शन्स बढ़ा देता है जिससे स्किन पर एलर्जी के लक्षण दिखायी दे सकते हैं।गॉलब्लैडर स्टोन में नींबू पानी है नुकसानदायकपित्त की पथरी या गॉलब्लैडर में स्टोन्स की समस्या हो तो नींबू पानी का सेवन संभलकर ही करें क्योंकि इससे आपकी समस्या गम्भीर हो सकती है।
- हेयर फॉल की समस्या मानसून में बहुत अधिक बढ़ जाती है और इसका सीधा असर मौसम में होने वाले बदलावों से है। दरअसल, मानसून में बालों की जड़ों की मजबूत कम होने लगती है। जिससे बाल कमजोर होकर टूटने लगते हैं और हेयर फॉल की समस्या बढ़ जाती है। बालों के झड़ने की ये समस्या कम करने के लिए नारियल तेल और प्याज का इस्तेमाल कर सकते हैं।प्याज से रोके बालों का झड़नाबालों के लिए प्याज एक गुणकारी नुस्खा है। प्याज में पाए जाने वाले सल्फर और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो बालों को हेल्दी और स्ट्रॉन्ग बनाते हैं। जिससे बालों का टूटना और कमजोर होने जैसी परेशानियां कम होती हैं।बालों में प्याज कैसे लगाएं?1 प्याज को काटकर उसका पेस्ट बना लें। इसे 100 मिली नारियल तेल में मिलाकर अच्छी तरह उबाल लें। प्याज और नारियल तेल को तब तक उबालें जब तक कि तेल का मिश्रण लाल ना हो जाए। जब तेल अच्छी तरह पक जाए तो मिश्रण को आंच से उतारकर ठंडा होने के लिए रख दें।बालों में ऐसे लगाएं प्याज-नारियल का तेलप्याज और नारियल तेल के मिश्रण को ठंडा होने का बाद छान लें और किसी जार में रख दें। फिर, इस तेल से सिर की मालिश करें।कितनी देर तक लगाकर रखें बालों में तेलबालों में 1-2 घंटे तक प्याज वाला नारियल तेल लगाकर रखें। फिर, किसी माइल्ड शैम्पू और पानी से सिर को धो लें।बालों में नारियल तेल-प्याज लगाने के फायदेनारियल तेल बालों के लिए नेचुरल मॉइस्चराइजर की तरह काम करता है। यह ड्राई और अनमैनेजबल बालों को सॉफ्ट बनाता है, जिससे बाल सॉफ्ट और सुलझे हुए बनते हैं।
- क्या आपने कभी नोटिस किया है कि शहरों में कामकाजी लोगों के चेहरों से मुस्कान जैसे गायब होती जा रही है! दिनभर में आप कितने ऐसे लोगों को देखते हैं जिनके चेहरे पर हंसी या मुस्कान रहती है. सड़कों पर चलने या काम पर जाने वाले या फिर काम से लौटकर आने वाले लोगों के चेहरे को देखने से पता चलेगा कि लोगों के जीवन से स्माइल कहीं गायब हो रही है. क्या इसमें लाफ्टर थेरेपी मदद कर सकती है समझेंगे इस आर्टिकल में.आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में तनाव हर किसी की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है. नौकरी का दबाव, पारिवारिक जिम्मेदारियां और हेल्दी न रहने वाली लाइफस्टाइल का असर सबसे पहले हमारे दिमाग और दिल पर पड़ता है. ऐसे में लोग मेडिटेशन, योग और एक्सरसाइज को अपनाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि सिर्फ़ हँसने से भी दिमाग और दिल दोनों हेल्दी रह सकते हैं?क्या होती है लाफ्टर थेरेपी है?गाजियाबाद के जिला अस्पताल में मानसिक रोग विभाग में डॉ. ए. के विश्वकर्मा बताते हैं कि ये एक ऐसा तरीका है जिसमें लोग जोर से हंस-हंसकर तनाव को कम करते हैं. इसे ग्रुप में किया जाता है जिसे हम अक्सर पार्कों या गार्डन में सुबह-सुबह देखते है. यहां लोग जोर जोर से हंसते हैं और अपने तनाव को कम करते हैं. माना जाता है कि खुलकर हंसने से हमारे दिमाग में एंडॉर्फिन हार्मोन रिलीज होते हैं. इस हार्मोन से हमें अच्छा महसूस होता है और तनाव कम रहता है.लाफ्टर थेरेपी का दिमाग पर असरहंसने से दिमाग हल्का और फ्रेश रहता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि लाफ्टर थेरेपी करने वाले लोगों में चिंता और डिप्रेशन के लक्षण कम हो जाते हैं.जब हम हंसते हैं तो हमारे दिमाग में मौजूद स्ट्रेस हार्मोन यानी कॉर्टिसोल का लेवल कम हो जाता है.लाफ्टर थेरेपी करने से मूड भी बेहतर रहता है और सोच भी पॉजिटिव आती है.कई स्टडी में यह भी पाया गया है कि लाफ्टर थेरेपी करने वाले बुजुर्गों की मेमोरी और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी बेहतर हो जाती है.लाफ्टर थेरेपी का दिल पर असरलाफ्टर थेरेपी करने से दिल भी हेल्दी रहता है. जब हम हंसते हैं तो ब्लड वेसल्स फैलती है जिससे खून का सर्कुलेशन बेहतर होता है. जब खून का फ्लो बढ़िया रहता है तो ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है और दिल की धड़कन स्थिर रहती है. डॉक्टरों का कहना है कि खुलकर हंसने से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और धमनियों में जमी चर्बी का असर कम होता जाता है. इसलिए कहा जाता है दिल खोलकर हंसना चाहिए जिससे दिल की बीमारियां दूर रहती है.इम्यूनिटी भी होती है मजबूतलाफ्टर थेरेपी का एक और बड़ा फायदा यह है कि यह हमारी इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है. हंसने के दौरान शरीर में बनने वाले पॉज़िटिव हार्मोन इम्यून कोशिकाओं को सक्रिय करते हैं, जिससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है.लाफ्टर थेरेपी सोशल कनेक्शन भी बेहतरलाफ्टर थेरेपी अक्सर ग्रुप में की जाती है. इसमें लोग मिलकर हँसते हैं, एक्टिविटी करते हैं और बातचीत करते हैं. इससे लोगों के बीच सामाजिक जुड़ाव बढ़ता है. जो लोग अकेलापन महसूस करते हैं या डिप्रेशन में होते हैं, उनके लिए यह थेरेपी बहुत कारगर मानी जाती है.क्या हर किसी के लिए सुरक्षित है?लाफ्टर थेरेपी वैसे तो कोई भी ले सकता है. ज्यादातर से फायदेमंद ही होती है. हालांकि जान लोगों को दिल से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी पहले से है उनको डॉक्टर से सलाह लेकर ही लाफ्टर थेरेपी में शामिल होना चाहिए. बाकि लोग इसे आराम से रोजाना कर सकता है. घर, पड़ोस या काम की जगहों, दफ्तरों में भी लोग लाफ्टर थेरेपी करने के लिए अलग से समय निर्धारित करने लगे हैं.
- कद्दू के बीज (Pumpkin Seeds), कद्दू के अंदर पाए जाने वाले छोटे हरे-भूरे बीज होते हैं। ये बीज, पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन-ई, जिंक, मैग्नीशियम और हेल्दी फैट्स मौजूद होते हैं। ये बीज, स्नैक, सलाद, स्मूदी या सब्जियों में डाले जा सकते हैं। कद्दू के बीज हार्ट, पाचन तंत्र और लिवर की सेहत के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। अक्सर लोग इसे बस एक सामान्य बीज मान लेते हैं, लेकिन कद्दू के बीज पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और लिवर की सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं। इस लेख में हम जानेंगे लिवर के लिए कद्दू के बीज खाने के फायदे।1. ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होता हैकद्दू के बीज में जिंक और विटामिन-ई जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट्स, ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं। ये एंटी-ऑक्सीडेंट्स, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं, जो सूजन और लिवर को नुकसान पहुंचाने का मुख्य कारण है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस वह प्रक्रिया है जिसमें हानिकारक फ्री रेडिकल्स हमारी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।2. लिवर को मजबूत बनाने में मदद मिलती हैकद्दू के बीज में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स लिवर की कोशिकाओं को सुरक्षा देते हैं और फ्री रेडिकल्स को हटाकर, लिवर को रिपेयर और मजबूत होने की प्रक्रिया को बढ़ावा देते हैं।3. लिवर की सूजन कम होती हैकद्दू के बीज में गुड फैट्स जैसे ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं। इन फैटी एसिड्स में सूजन कम करने वाली विशेषताएं होती हैं, जिससे लिवर की कोशिकाओं को रिपेयर करने में मदद मिलती है। चूंकि लिवर में लगातार सूजन फैटी लिवर, फाइब्रोसिस और सिरोसिस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ाती है, इसलिए सूजन कम करने वाले फूड्स जैसे कद्दू के बीज का सेवन जरूरी है।4. लिवर डिटॉक्स में मदद मिलती हैकद्दू के बीज में मैग्नीशियम होता है, जो शरीर में 300 से ज्यादा एंज़ाइम वाली गतिविधियों में मदद करता है, जिसमें लिवर का डिटॉक्सिफिकेशन भी शामिल है। कद्दू के बीज में मौजूद मैग्नीशियम, एनर्जी मेटाबॉलिज्म और लिवर के कामकाज को बेहतर बनाकर यह सुनिश्चित करता है कि लिवर, अपशिष्ट पदार्थों और हानिकारक तत्वों को ठीक से प्रोसेस कर सके।5. लिवर स्ट्रेस कम होता हैकद्दू के बीज में फाइबर और प्लांट-बेस्ड प्रोटीन भी होते हैं, जो आंतों में संतुलित बैक्टीरिया को सपोर्ट करता है। यह हानिकारक बैक्टीरिया और टॉक्सिन्स को लिवर तक पहुंचने से रोकता है। साथ ही स्वस्थ गट फ्लोरा को मेनटेन करता है जिससे लिवर पर तनाव कम होता है।निष्कर्ष:अपने आहार में कद्दू के बीज को शामिल करना, लिवर के साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद है। ये डिटॉक्सिफिकेशन को बढ़ाते हैं, सूजन को कम करते हैं और शरीर को एंटी-ऑक्सीडेंट सुरक्षा देते हैं।
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अक्सर लोगों को सर्दी-जुकाम, नाक, गले और कान से जुड़ी कोई भी समस्या होने पर भाप लेने की सलाह दी जाती है। इससे गले को खोलने, सर्दी-जुकाम की समस्या से राहत देने, सूजन को कम करने और गले की खराश से राहत देने में मदद मिलती है। वहीं, इम्यूनिटी को बूस्ट करने के लिए औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी का सेवन करना भी फायदेमंद है। इससे स्वास्थ्य की कई समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है। लेकिन क्या हल्दी से भाप लेने से क्या होता है? आइए जानें हल्दी के पानी से भाप लेने के क्या फायदे हैं?
हल्दी के पानी से भाप लेने के फायदेआयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में से एक और औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-माइक्रोबियल के गुण पाए जाते हैं। इसके पानी से भाप लेने से स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं।साइनस को डिटॉक्स करेहल्दी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण होते हैं। ऐसे में इससे भाप लेने से साइनस को डिटॉक्स करने, बलगम को बाहर निकालने, सूजन को कम करने और साइनस की जकड़न को कम करने में मदद मिलती है।गले की खराश से दे राहतहल्दी की भाप लेने से गले के बैक्टीरिया से राहत देने, सूजन को कम करने, खांसी से राहत देने, कफ को ढीला करने, ब्रोंकाइटिस से राहत देने, गले की जलन और खराश से राहत देने में मदद मिलती है।श्वसन मार्ग के लिए फायदेमंदहल्दी में एंटी-सेप्टिक, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण होते हैं। इससे श्वसन मार्ग को बेहतर करने, बंद नाक, सर्दी-जुकाम, फ्लू से राहत देने, नाक को साफ करने, नाक की सूजन को कम करने और इंफेक्शन से बचाव करने में मदद मिलती है।लंग्स को हेल्दी रखने में सहायकहल्दी की भाप लेने से बलगम को ढीलाकर बाहर निकालने, सूजन को कम करने, लंग्स के कार्यों को बेहतर करने, लंग्स को हेल्दी करने, डिटॉक्स करने, लंग्स का किसी भी इंफेक्शन से बचाव करने और खुलकर सांस लेने में मदद मिलती है।स्किन को डिटॉक्स करेहल्दी की स्टीम लेने से त्वचा में जमा गंदगी को साफ करने, स्किन को हाइड्रेट करने, स्किन को सॉफ्ट करने, दाग-धब्बों को कम करने, स्किन का इंफेक्शन से बचाव करने, मुंहासों को कम करने, त्वचा की सूजन को कम करने, स्किन को सॉफ्ट और शाइनी बनाने में मदद मिलती है।इम्यूनिटी बूस्ट करेहल्दी में एंटी-बैक्टीरियल और कई अन्य गुण पाए जाते हैं। इसका भाप लेने से इम्यूनिटी को बूस्ट करने और संक्रमण से बचाव करने में मदद मिलती है, जिससे बीमारियों से बचाव करने में मदद मिलती है।कैसे लें हल्दी के पानी से भाप?इसके लिए 1 बर्तन में पानी उबालें। इसके बाद इसमें आधा छोटी चम्मच हल्दी पाउडर को डालकर अच्छे से मिला लें। अब सिर को तौलिए की मदद से ढककर सांस लें। इससे कई लाभ मिलते हैं।सावधानियांभाप लंबे समय तक न लें। इसके कारण लोगों को जलन की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, श्वसन मार्ग से जुड़ी किसी भी समस्या से पीड़ित व्यक्ति भाप लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें और भाप लेते समय आंखों को बंद रखें, जिससे आंखों की किसी भी समस्या से बचा जा सकें। -
नारियल तेल (Coconut Oil) न सिर्फ बालों, बल्कि त्वचा के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-ऑक्सीडेंट और मॉइस्चराइजिंग गुण होते हैं, जो चेहरे की गहराई से सफाई करके उसे नमी प्रदान करते हैं। साथ ही यह दाग-धब्बों, मुंहासों के निशान और झुर्रियों को भी धीरे-धीरे कम करने में मदद करता है। अगर आप प्राकृतिक रूप से दमकती और साफ त्वचा पाना चाहते हैं तो रोजाना नारियल तेल से मसाज जरूर करें। आज हम आपको 5 आसान स्टेप्स बता रहा हैं, जिसे अपनाकर आप अपने चेहरे को निखार सकते हैं।
चेहरे की सफाई करेंमसाज से पहले चेहरे को माइल्ड फेस वॉश या गुनगुने पानी से अच्छी तरह धो लें, ताकि सारी गंदगी, धूल और ऑयल हट जाए। इससे तेल बेहतर तरीके से त्वचा में समा सकेगा। अगर आप हार्ड वाटर की जगह सॉफ्ट वाटर का इस्तेमाल करेंगे तो यह आपकी स्किन के लिए और ज्यादा अच्छा रहेगा।नारियल तेल लेंअब एक छोटी कटोरी में शुद्ध नारियल तेल (ऑर्गेनिक वर्जिन कोकोनट ऑयल) लें। ध्यान रखें कि तेल बहुत अधिक गर्म न हो। अगर ठोस रूप में है तो उसे हथेली पर रगड़कर पिघला सकते हैं। नारियल तेल को गर्म करने की जरूरत नहीं है, तो हल्की गर्मी मिलते ही पिघलने लगता है।हल्के हाथों से मसाज करेंतेल को उंगलियों की सहायता से पूरे चेहरे पर लगाएं और हल्के हाथों से 5-10 मिनट तक गोल-गोल घुमाते हुए मालिश करें। खासकर दाग-धब्बों वाले हिस्सों पर थोड़ा ज्यादा ध्यान दें। ध्यान रहे हाथों से चेहरे की त्वचा की जोर से मालिश न करें।मालिश के बाद चेहरे को ऐसे ही 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें, ताकि तेल त्वचा में अच्छे से समा जाए और अंदर से पोषण दे, क्योंकि यही पोषण आपकी त्वचा को निखारेगा। आप चाहें तो आधे घंटे तक भी चेहरे पर लगाकर छोड़ सकते हैं, क्योंकि नारियल तेल स्किन के लिए पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है।गुनगुने पानी से धो लेंअंत में चेहरे को गुनगुने पानी और हल्के फेस वॉश से धो लें। चाहें तो साफ कॉटन कपड़े से भी पोंछ भी सकते हैं। इससे आपकी त्वचा को और समय मिल जाएगा खुद को रिपेयर करने का और आपको चिपचिपाट भी महसूस नहीं होगी। - जैस्मिन यानी चमेली का फूल, इसकी खुशबू इतनी मनमोहक होती है कि यह तुरंत मन को शांत कर देती है और तनाव को कम करने में मदद करती है। चमेली का फूल सिर्फ सुंदरता और सुगंध का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह एक प्राकृतिक औषधि भी है। चमेली के फूलों का इस्तेमाल हार्ट हेल्थ को मजबूत बनाने, दिमाग को शांत रखने और इमोशनल बैलेंस बनाए रखने में किया जा सकता है।चमेली के फूल के फायदेचमेली के फूल हार्ट हेल्थ, दिमाग, डाइजेशन, इमोशनल बैलेंस और अच्छी नींद के लिए बेहद लाभकारी हैं। आइए विस्तार से जानते हैं चमेली के फूलों के फायदे और उपयोग।1. हार्ट हेल्थ के लिए चमेली के फूलआयुर्वेद के अनुसार, चमेली के फूलों की खुशबू मन को तुरंत शांत कर देती है। जब तनाव और चिंता कम होती है तो इसका सीधा असर हार्ट पर भी पड़ता है। हार्ट डिजीज का एक बड़ा कारण बढ़ता तनाव और हाई ब्लड प्रेशर है। चमेली के फूलों की खुशबू दिल की धड़कन को सामान्य रखने और ब्लड फ्लो को बेहतर बनाने में मदद करती है। डॉक्टर किरण बताती हैं कि जो लोग अक्सर हार्टबीट तेज होने, घबराहट या तनाव महसूस करते हैं, वे रोज कुछ समय तक चमेली के फूल पास रखकर या गजरा पहनकर राहत पा सकते हैं।2. दिमाग के लिए उपयोगीचमेली का फूल केवल खुशबू ही नहीं देता, बल्कि यह ब्रेन टॉनिक के रूप में भी काम करता है। इसकी खुशबू से मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे हैप्पी हार्मोन का लेवल बढ़ता है, जिससे मूड बेहतर होता है और मानसिक थकान कम होती है। आयुर्वेदिक मान्यता है कि चमेली का फूल सत्वगुण को बढ़ाता है, जिससे एकाग्रता, स्मृति और मानसिक स्पष्टता बढ़ती है। विद्यार्थियों या दिमागी काम करने वालों के लिए यह बेहद उपयोगी है।3. तनाव और इमोशनल हेल्थ में मददगारआज की तेज-तर्रार जिंदगी में तनाव (Stress) और चिंता (Anxiety) आम समस्या बन गई है। चमेली के फूलों की प्राकृतिक सुगंध मन को तुरंत शांत कर देती है और बेचैनी को कम करती है। आयुर्वेद के अनुसार, यह मन और शरीर दोनों में वात दोष को संतुलित करता है। यही कारण है कि जो लोग भावनात्मक रूप से अस्थिर महसूस करते हैं, उनके लिए चमेली के फूल बेहद फायदेमंद हैं। गजरे या मालाओं में चमेली के फूल पहनने से इमोशनल बैलेंस बना रहता है और दिनभर पॉजिटिव एनर्जी महसूस होती है।4. नींद की समस्या में कारगरअनिद्रा (Insomnia) आजकल एक बड़ी समस्या बन गई है। देर रात तक जागना, तनाव, और मोबाइल स्क्रीन पर अधिक समय बिताना नींद को प्रभावित करते हैं। चमेली की खुशबू दिमाग को शांत करती है और नींद आने में मदद करती है। जैस्मिन एरोमा थेरेपी में उपयोग होता है और यह स्लीप क्वालिटी को सुधारता है। आयुर्वेद में कहा गया है कि रात को सोते समय कमरे में चमेली के फूल रख देने या इसके तेल की कुछ बूंदें डिफ्यूजर में डालने से गहरी और आरामदायक नींद आती है।5. पाचन तंत्र के लिए चमेली की चायचमेली के फूलों से बनी जैस्मिन टी न सिर्फ स्वादिष्ट होती है बल्कि पाचन के लिए भी बेहद फायदेमंद है। यह चाय पेट की गैस, एसिडिटी और अपच की समस्या को दूर करती है। आयुर्वेद के अनुसार, चमेली के फूल पित्त दोष को शांत करते हैं, जिससे पेट की जलन और एसिडिटी से राहत मिलती है। डॉक्टर किरण बताती हैं कि भोजन के बाद चमेली की हल्की गुनगुनी चाय पीने सेडाइजेशन बेहतर होता है और शरीर हल्का महसूस करता है।चमेली के फूलों का उपयोग कैसे करें?-गजरा या माला पहनें-जैस्मिन टी पिएं-कमरे में फूल रखें-जैस्मिन ऑयल इस्तेमाल करेंनिष्कर्षआयुर्वेद में चमेली के फूलों को केवल सजावट और खुशबू तक सीमित नहीं किया गया है, बल्कि इसे शरीर, मन और आत्मा की सेहत से जोड़ा गया है। हार्ट हेल्थ, दिमाग की शांति, पाचन सुधार, तनाव कम करने और अच्छी नींद के लिए यह एक सरल और प्राकृतिक उपाय है। अगर आप रोजमर्रा की जिंदगी में चमेली के फूलों को शामिल करते हैं, तो यह न सिर्फ आपके शरीर को स्वस्थ रखेगा बल्कि मन को भी संतुलित और खुशहाल बनाएगा।
- दलिया, हमेशा से ही लोगों के हेल्दी नाश्ते का हिस्सा रही है। दलिया खाने के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि यह लंबे समय तक पेट भरा रखता है और सुपाच्य भी होता है। कुछ लोग इसे ज्यादा हेल्दी बनाने के लिए इसमें सब्जियों और दाल को भी शामिल करते हैं तो कुछ लोग दूध वाला दलिया खाना पसंद करते हैं। इसके अलावा भी दलिया खाने के कई फायदे हैं लेकिन, आज हम बात करेंगे हाई बीपी के मरीजों के लिए दलिया खाने की। क्या फाइबर से भरपूर यह डिश बीपी मैनेज करने में मददगार है?क्या दलिया हाई बीपी में खा सकते हैं-दलिया हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) के लिए एक बहुत ही अच्छा और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है। दलिया में फाइबर और पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं, जो बलड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायता करते हैं। इसमें सोल्युबल फाइबर होता है, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और हृदय के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। दलिया का नियमित सेवन ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है क्योंकि यह शरीर में रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ रखता है और रक्त प्रवाह को सुचारू करता है। इसके अलावा इन कारणों से आपको दलिया को अपनी डाइट का हिस्सा बनना चाहिए। जैसे किदलिया में नहीं होता सोडियमहाई बीपी के मरीजों की सबसे बड़ी समस्या होती है सोडियम लेवल को कंट्रोल में रखना जो कि ब्लड प्रेशर बढ़ाने में एक मुख्य भूमिका निभाती है। ऐसे में दलिया जो कि कम सोडियम वाला होता है, हाई बीपी वाले लोगों के लिए जरूरी है। इससे बीपी आसानी से मैनेज होती रहती है।रक्त वाहिकाओं को आराम मिलता हैदलिया में पोषक तत्व जैसे मैग्नीशियम, पोटैशियम और कैल्शियम भी होते हैं, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में भूमिका निभाते हैं। ये मिनरल्स रक्त वाहिकाओं को आराम देते हैं और रक्त प्रवाह को सुधरते हैं। इससे अलावा इसका फाइबर कोलेस्ट्रॉल कम करने और धमनियों को साफ रखने में अपनी भूमिका निभाते हैं जिससे बीपी मैनेज करने में मदद मिलती है।अतिरिक्त चीनी या नमक के बनाए दलियाहाई बीपी के मरीजों को दलिया बनाते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि इसे अतिरिक्त चीनी या नमक के बनाएं। अगर आप नमकीन दलिया बना रहे हैं तो इसमें मौसमी सब्जियों को जरूर मिलाएं। इससे इसकी पौष्टिकता बढ़ती है। अगर आप दलिया को दूध या पानी के साथ बना रहे हैं तो ताजे फल या अच्छे नट्स डालकर इसे और पोषणयुक्त बनाया जा सकता है।साथ ही, स्वस्थ आहार के साथ नियमित व्यायाम और तनाव नियंत्रण भी ब्लड प्रेशर के प्रबंधन में जरूरी हैं। कुल मिलाकर, दलिया को हाइपरटेंशन वाले लोगों के लिए एक स्वस्थ आहार विकल्प माना जाता है, जो उनकी सेहत को बेहतर बनाने में मदद करता है, तो इसे अपनी डाइट का हिस्सा जरूर बनाएं।
- आजकल सोशल मीडिया पर हर दूसरी रील मॉर्निग डिटॉक्स वॉटर से जुड़ी मिल जाती है। इसी वजह से morning detox water आजकल बहुत ट्रेंड भी कर रहा है। इसी वजह से लोग बिना सोचे-समझे नींबू पानी से लेकर खीरा,नींबू अदरक का वॉटर पी रहे हैं। इससे होने वाले नुकसान के बारे में रील्स में कुछ भी नहीं बताया जाता। अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या खाली पेट सुबह उठकर ये डिटॉक्स वॉटर पीना सेहतमंद है या फिर सिर्फ ट्रेंड ही है। सबसे पहले जानते हैं कि मॉर्निंग डिटॉक्स वॉटर क्या होता है?मार्निंग डिटॉक्स वॉटर क्या है?आयुर्वेद के अनुसार, रोज सुबह शरीर से टॉक्सिन्स निकालना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए प्राकृतिक तरीके अपनाने चाहिए ताकि पेट का डायजेशन सही रहे और मेटाबॉल्जिम तेज हो। लेकिन इसके साथ यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि सभी डिटॉक्स वॉटर हर किसी को फायदा नहीं पहुंचाते। मार्निंग वॉटर लेने से पहले वात, पित्त, कफ चेक करना जरूरी है। इसके साथ प्रत्येक व्यक्ति की पाचन शक्ति के बारे में जानना भी जरूरी है।"सुबह लेने वाले डिटॉक्स वॉटरगुनगुना नींबू पानी" नींबू का रस शरीर को Alkaline असर देता है। इससे पाचन ठीक होता है और साथ ही कब्ज से भी राहत देता है। नींबू में विटामिन C होता है, जो शरीर की इम्यूनिटी के लिए फायदेमंद होता है। गुनगुना नींबू पानी खाली पेट पीने से शरीर के टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं। लेकिन इसके साथ नींबू पानी का रोजाना इस्तेमाल दांतों के इनेमिल को नुकसान पहुंचा सकता है। जिन लोगों को एसिडिटी की समस्या होती हैं, उनके लिए ये नुकसानदायक हो सकता है। जिन लोगों को कफ की समस्या होती हैं, उनके लिए नींबू पानी अच्छा नहीं है।ग्रीन टीवैसे तो ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स को कम करते हैं। इससे मेटाबॉल्जिम में सुधार होता है और जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, उनके लिए ग्रीन टी फायदेमंद है लेकिन ग्रीन टी में कैफीन होता है, जो खाली पेट पीने से एसिडिटी को बढ़ा देता है। इससे कई लोगों को घबराहट भी होने लगती है। जो लोग दिनभर कई कप ग्रीन टी के पीते हैं, उन्हें नींद की समस्या भी हो सकती है।खीरा, नींबू, हल्दी और अदरक का पानी"खीरा शरीर को हाइड्रेट करता है और अदरक पाचन बढ़ाता है और सूजन कम करता है। हल्दी में तो एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो जोड़ों के दर्द को कम करने और इम्यूनिटी को बढ़ाने का काम करते हैं। लेकिन जिन लोगों का पाचन कमजोर होता है, उन्हें ये डिटॉक्स वॉटर नहीं पीना चाहिए। जो लोग सारा दिन पानी पीते हैं, उन्हें गैस की समस्या बढ़ सकती है।"हल्का गुनगुना पानीआयुर्वेद के अनुसार खाली पेट गुनगुना पानी पीना सबसे असरदार है। यह वात, पित्त और कफ वाले सभी लोगों को फायदा पहुंचाता है। इससे शरीर से आम यानी कि टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं। पाचन दुरुस्त करता है और कब्ज में कमी लाता है। दिनभर पेट में हल्कापन महसूस होता है। इससे किसी भी तरह के साइड इफैक्ट्स नहीं होते ।-सुबह उठकर सिर्फ गुनगुना पानी पिएं।-बाकी डिटॉक्स वॉटर दिन में कभी भी ले सकते हैं।-अपने शरीर की जरूरत को देखते हुए ड्रिंक्स चुनें।-अगर किसी भी तरह की तकलीफ हो तो तुरंत बंद कर दें।-आयुर्वेदाचार्य से सलाह लेकर मॉर्निंग डिटॉक्स वॉटर लें।
- किशमिश एक ऐसा ड्राई फ्रूट्स है जिसे सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. इसे कई तरह से डाइट में शामिल किया जा सकता है. आपको बता दें कि इसमें आयरन, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्निशियम और फाइबर जैसे गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को कई समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं. अगर आप रोजाना भीगी किशमिश (Raisins Health Benefits) का सेवन करते हैं, तो कई लाभ मिल सकते हैं. तो चलिए जानते हैं किन लोगों को करना चाहिए भीगी किशमिश का सेवन.भीगी किशमिश खाने के 9 फायदे1. वजन बढ़ाने-अगर आपका शरीर दुबला-पतला है और आप हेल्दी तरीके से वजन को बढ़ाना चाहते हैं, तो भीगी किशमिश का सेवन कर सकते हैं.2. हड्डियों-किशमिश को कैल्शियम का अच्छा सोर्स माना जाता है. कैल्शियम हड्डियों के लिए बेहद जरूरी है. रोजाना भीगी किशमिश के सेवन से हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है.3. खून की कमी-अगर आप भी शरीर में आयरन की कमी को पूरा करना चाहते हैं, तो आप भीगी किशमिश का सेवन कर सकते हैं. क्योंकि इसे आयरन का अच्छा सोर्स माना जाता है.4. पाचन-सुबह खाली पेट भीगी किशमिश के सेवन से पाचन को बेहतर रखने में मदद मिल सकती हैं. क्योंकि इसमें फाइबर अच्छी मात्रा में पाया जाता है.5. ब्लड प्रेशर-किशमिश में पोटैशियम होता है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है. आप सुबह इसका सेवन कर सकते हैं.6. इम्यूनिटी-भीगी किशमिश में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकते हैं.7. स्किन-भीगी किशमिश में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट स्किन को हेल्दी और चमकदार बनाने में मदद कर सकते हैं.8. आंखों-भीगी किशमिश में विटामिन ए और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो आंखों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं.9. हार्ट-भीगी किशमिश में पोटैशियम और फाइबर होते हैं, जो हार्ट को हेल्दी रखने में मदद कर सकते हैं.
- व्यस्त जीवनशैली की वजह से लोगों की खानपान की आदतों में भी काफी बदलाव आया है। लोग आज समय बचाने के लिए भोजन में मौजूद न्यूट्रिएंट्स से ज्यादा पेट भरने पर ध्यान दे रहे हैं। जिसकी वजह से अनजाने में मोटापा, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसे कई रोग लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अगर आप बढ़ते वजन को कंट्रोल रखते हुए डायबिटीज और हार्ट डिजीज से दूर रहना चाहते हैं तो अपनी डाइट में रोजाना एक कटोरी दलिया जरूर शामिल करें। दलिया में प्रचुर मात्रा में फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है। आप इसे और हल्दी बनाने के लिए पकाते समय इसमें अपनी मनपसंद सब्जियां भी डाल सकते हैं। आइए जानते हैं रोजाना दलिया खाने से सेहत को मिलते हैं क्या फायदे।दलिया खाने से मिलते हैं ये 5 फायदेवेट लॉसअगर आप बढ़ते मोटापे से निजात पाना चाहते हैं तो दलिया आपकी डाइट चार्ट में जरूर शामिल होना चाहिए। इसमें कैलोरी और फैट की कम मात्रा के साथ फाइबर भरपूर मात्रा में मौजूद होता है। जो पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखता है। इसका सेवन करने से व्यक्ति को बार-बार भूख नहीं लगती और वो ओवरईटिंग करने से बच जाता है। जिसकी वजह से वेट लॉस में मदद मिलती है।शरीर की सूजन कम करेंकई बार व्यक्ति शरीर की सूजन की वजह से भी मोटा लगने लगता है। ऐसे में दलिया का सेवन शरीर में इंफ्लेमेशन को कम करके गट हेल्थ में सुधार करता है।बेहतर पाचन तंत्रफाइबर से भरपूर दलिया पाचन तंत्र को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है। इसके सेवन से कब्ज की समस्या दूर होने के साथ आंतों को साफ रखने में भी मदद मिलती है। रोजाना दलिया का सेवन पाचन तंत्र मजबूत बनाकर गैस, अपच जैसी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है।डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंददलिया का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिसकी वजह से यह शुगर को धीरे-धीरे रिलीज करता है। इसमें मौजूद फाइबर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करके इंसुलिन के प्रभाव को बेहतर बनाए रखने में भी मदद करता है।हार्ट डिजीज का जोखिम कमदलिया में मौजूद बीटा-ग्लूकन नाम का फाइबर, कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में मदद करता है। यह बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करके गुड कोलेस्ट्रॉल को अच्छा बनाए रखने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और मैग्नीशियम हार्ट डिजीज के जोखिम को कम करने में भी मदद करते हैं।
- मौसम में बदलाव, प्रदूषण, या फिर अनहेल्दी लाइफस्टाइल, कारण चाहे जो मर्जी हो, लेकिन कई बार लोगों के लिए चेस्ट कंजेशन का कारण बन जाता है। वहीं बात अगर शिशुओं की हो तो उनकी इम्यूनिटी पहले से काफी कमजोर होती है। जिसकी वजह से बदलते मौसम का सबसे पहला असर उनकी सेहत पर ही पड़ता है, जो छाती पर जमे बलगम के रूप में नजर आता है। छाती में बलगम जमने से शिशु को सांस लेने में तकलीफ, बेचैनी, भूख में कमी, चिड़चिड़ापन और नींद में कमी जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। अगर मौसम में बदलाव होते ही आपके बच्चे को भी जल्दी-जल्दी छाती में कफ जमने लगता है तो ये घरेलू उपाय आपकी मुश्किल को आसान बनाने वाले हैं।छाती में जमा बलगम निकालने के लिए घरेलू उपायकपूर और नारियल तेल की मालिशशिशु की छाती पर कपूर और नारियल तेल की मालिश करने से सीने की जकड़न दूर करने में मदद मिल सकती है। इस उपाय को करने के लिए एक पैन में नारियल तेल गरम करके उसमें कपूर का एक छोटा टुकड़ा डाल दें। अब तेल को ठंडा करके शिशु की छाती पर गोलाकार गति में धीरे से लगाएं।हल्दी के तेल की मालिशहल्दी के तेल की मालिश शिशु की छाती की जकड़न को कम करने में मदद कर सकती है। हल्दी में मौजूद सूजन-रोधी गुण संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं। इस उपाय के लिए एक कड़ाही में सरसों/नारियल का तेल हल्का गरम करके उसमें एक चुटकी हल्दी डालें। अब इस तेल के हल्का ठंडा होने पर शिशु की छाती पर धीरे से लगाते हुए अच्छी तरह मालिश करें।सलाइन ड्रॉप्सशिशु को सलाइन ड्रॉप्स देने से भी छाती की जकड़न ठीक हो सकती है। सलाइन ड्रॉप्स नाक के रास्ते को साफ करने में मदद करती है। आप किसी भी दवा की दुकान से सलाइन ड्रॉप्स ले सकते हैं। इस उपाय को करने के लिए अपने शिशु को बिस्तर पर लिटाकर उसके नाक में धीरे से 2-3 बूंदें डालें।स्तनपानशिशु को हाइड्रेटेड रखकर भी छाती की जकड़न को दूर किया जा सकता है। मां का दूध बलगम को पतला करने में मदद करता है। मां के दूध में प्राकृतिक गुण मौजूद होते हैं जो छाती की जकड़न को कम करने में मदद कर सकते हैं।सलाहअगर इन नुस्खों को अपनाने के बाद भी आपके शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, तो तुरंत उसके डॉक्टर से संपर्क करें।
- आजकल के बदलते लाइफस्टाइल, खान-पान की गलत आदतों, जंक फूड का इस्तेमाल, स्ट्रेस के चलते पेट में कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं जबकि पेट का काम सिर्फ पाचन करना नहीं है, बल्कि इम्यूनिटी बढ़ाने, एनर्जी और मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने का भी काम करता है। आयुर्वेद के अनुसार, पाचन तंत्र को अग्नि माना जाता है और यह अग्नि शरीर को पोषक तत्व देती है। इसलिए पेट को सेहतमंद रखना बहुत महत्वपूर्ण है और अगर पेट सही रहता है तो शरीर की लगभग सभी परेशानियां दूर हो जाती है। इसके लिए आयुर्वेद के अनुसार कुछ आदतों को अपनी जीवनशैली में शामिल करना जरूरी है।पेट को सेहतमंद रखने के 7 आयुर्वेदिक तरीके1. सोने से पहले त्रिफला चूर्ण“त्रिफला चूर्ण मे आंवला, हरड़ और बहेड़ा का मिश्रण होता है। इसे आयुर्वेद में काफी पावरफुल हर्बल माना जाता है। इसे रात को आधा चम्मच गुनगुने पानी के साथ लें। यह चूर्ण पाचन शक्ति को बढ़ाता है और आंतों की सफाई करता है। इससे पेट में जमा विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और कब्ज से राहत मिलती है। अगर पेट साफ होता है, तो इसका असर त्वचा पर भी पड़ता है। पेट हल्का रहता है तो फूलने जैसी दिक्कतें नहीं है।”2. सुबह कॉपर के जग का पानीतांबे के बर्तन में रातभर भरकर रखे पानी को पीना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार कॉपर के बर्तन में रातभर पानी रखें और फिर सुबह खाली पेट इसे धीरे-धीरे पी लें। इससे लिवर डिटॉक्स होने में मदद मिलती है और पाचन में सुधार होता है। इससे इम्युनिटी बढ़ाने में भी मदद मिलती है। माना जाता है कि यह शरीर में तांबे की कमी को भी पूरा करता है।3. खाली पेट घी का सेवन“गाय का शुद्ध देसी घी सुबह खाली पेट लेने से आंतों को लुब्रिकेशन मिलता है जो शरीर के वात दोष को संतुलित करता है। इससे कब्ज, गैस और सूखेपन जैसी दिक्कतों से भी राहत मिलती है। देसी घी को सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लें। अगर किसी को डायबिटीज या मोटापे की समस्या है, तो डॉक्टर की सलाह लेकर ही इसे शुरू करें। आयुर्वेद के अनुसार, खाली पेट देसी घी लेने से जोड़ों को भी पोषण मिलता है। इसलिए जिन लोगों को गाय का शुद्ध देसी घी मिलता है, वे लोग इसे सुबह की आदत में जरूर शामिल करें।”4. नाभि में हींग का तेलहींग को प्राकृतिक पाचन करने वाली औषधि मानी जाती है। यह पेट की गैस को दूर करने में मदद करती है। नाभि पर हींग का तेल लगाने से पेट दर्द, गैस, अपच और पेट फूलने जैसी दिक्कतों से राहत मिलती है। इसे लगाने के लिए तिल के तेल को हल्का गर्म कर लें और फिर उसमें थोड़ी सी हींग मिला दें। इस तेल को नाभि के आसपास लगाकर दो से तीन मिनट तक हल्के हाथ से मालिश करें। इससे पेट सेहतमंद रहता है।5. इमली के पानी में पैर डुबोना“आयुर्वेद के अनुसार, जब आप पैर पानी में डुबोकर बैठते हैं, तो इससे शरीर की गर्मी बाहर निकलती है और मन शांत होता है। अगर पानी में इमली के गूदे को डाल दिया जाए और फिर 15 से 20 मिनट तक उस पानी में पैर भिगोकर बैठा जाए तो शरीर की गर्मी तो कम होती ही है, साथ ही पाचन बेहतर होता है। पाचन के अंगों को रिलैक्स महसूस होता है और स्ट्रेस कम होता है। इसलिए हफ्ते में एक से दो बार इस प्रक्रिया को किया जा सकता है।”6. खाने से पहले अदरक-नींबूखाने से पहले अदरक-नींबू लेने से भूख बढ़ती है, गैस की समस्या नहीं रहती और भोजन आसानी से पचता है। इसे लेने के लिए अदरक का छोटा टुकड़ा, नींबू की कुछ बूंदें और सेंधा नमक मिलाकर खाने से पहले ले सकते हैं। अदरक को चबाकर खाना चाहिए ताकि पूरा फायदा मिले।7. सुबह टहलना“सूर्यादय के समय सभी को कम से कम 15 से 20 मिनट तक वॉक करनी चाहिए। इससे न सिर्फ पेट को बल्कि पूरे शरीर को फायदा मिलता है। मेटाबॉल्जिम बढ़ता है और स्ट्रैस घटता है। Morning Walk के दौरान बस कोशिश यह रखें कि पार्क या खुले स्थान पर ही वॉक करें और गहरी लंबी सांस लें। इससे शरीर को ताजगी महसूस होती है और सारा दिन खुशनुमा बीतता है। मार्निग वॉक हर किसी को करनी चाहिए।”निष्कर्षआयुर्वेद के अनुसार अगर पेट सही है तो पूरा शरीर सेहतमंद रहता है। स्वस्थ पेट ही बीमारियों के खिलाफ इम्युनिटी बनाने में सक्षम होता है। अगर आप रोजाना इन 7 आयुर्वेदिक तरीकों को अपनी आदत में शामिल कर लेंगे तो पेट से जुड़ी बीमारियों से राहत मिल सकती है। अगर आप किसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो इनमें कुछ आदतों को शुरू करने से पहले अपने अपने डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य से सलाह जरूर लें।
- आज हम आपको एक ऐसे ही घरेलू नुस्खे के बारे में बताने वाले हैं, जो आपके दांतों को मोतियों सा चमकाएगा और मसूड़ों को मजबूत बनाएगा, जिससे कीड़े लगने बंद हो जाएंगे और दांतों से जुड़ी अन्य समस्याओंका खतरा भी कम हो जाएगा। जिस नुस्खे के बारे में हम आपको बताने वाले हैं वो एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है। इसलिए ये आपकी डेंटल हेल्थ को मजबूत बनाने का काम करेगा।मंजन बनाने के लिए क्या चाहिए?लौंग- 10 ग्रामफिटकरी- 20 ग्रामसेंधा नमक- 30 ग्रामहल्दी- 40 ग्रामनीम- 50 ग्रामसरसों का तेल- 3-4 बूंदनेचुरल मंजन बनाने का तरीकानेचुरल टूथपेस्ट बनाने के लिए सबसे पहले आप एक एयर टाइट कंटेनर लें और उसमें लौंग, फिटकरी, हल्दी, सेंधा नमक और नीम पाउडर डालकर अच्छे से मिक्स कर लें।इस सभी चीजों को आप महीनों तक स्टोर करके रख सकते हैं। जब भी सुबह और रात को सोने से पहले आप ब्रश करें तो इसे 1/2 चम्मच पाउडर अपने हाथ पर रखें और उसमें 4-5 बूंद सरसों के तेल के साथ मिक्स करके पेस्ट बना लें।अब आप इस पेस्ट को अपने ब्रश में लें और दांतों को साथ करना शुरू कर दें।ये घरेलू नुस्खा आपके दांतों से जुड़ी हर समस्या को सुलझाने में मदद करेगा।
- सफर का मजा कुछ लोगों के लिए परेशानी में बदल जाता है, जब उन्हें मोशन सिकनेस यानी ट्रैवल के दौरान चक्कर, उल्टी, मतली और ठंडा पसीना आने जैसी दिक्कत होती है। यह समस्या बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं और माइग्रेन के मरीजों में ज्यादा देखी जाती है, लेकिन सही जानकारी और सावधानियों को अपनाया जाए तो इससे बचा जा सकता है।मोशन सिकनेस के कारणमोशन सिकनेस एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को ट्रैवल के दौरान विजुअल और बैलेंस सिस्टम के बीच तालमेल न बैठने के कारण असहजता महसूस होती है। जब हमारा दिमाग आंखों, कानों और शरीर से मिलने वाले संकेतों में अंतर महसूस करता है, तो यह उल्टी, चक्कर और मतली का कारण बन सकता है। उदाहरण के लिए, बस में बैठकर मोबाइल देखने पर आंखें स्थिर चीज देख रही होती हैं, लेकिन कान और शरीर गति को महसूस कर रहे होते हैं, यही मोशन सिकनेस ट्रिगर करता है। ये समस्या ज्यादातर प्रेग्नेंट महिलाओं, बच्चों, माइग्रेन के मरीजों, सेंसिटिव नर्वस सिस्टम वाले लोगों और जिनके जिनके परिवार में मोशन सिकनेस का इतिहास है उन लोगों में ज्यादा होती है।1. इंटरनल ईयर का असंतुलनहमारे कान के अंदर एक सिस्टम मौजूद होता है, जो संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। ट्रैवल के दौरान अगर यह सिस्टम अचानक गति, दिशा या वाइब्रेशन में बदलाव महसूस करता है, तो यह दिमाग को कंफ्यूज कर देता है, जिससे मोशन सिकनेस के लक्षण शुरू हो जाते हैं।2. आंखों और दिमाग के बीच सही तालमेल की कमीजब आंखों और दिमाग को एक जैसी जानकारी नहीं मिलती, तो यह मोशन सिकनेस का कारण बन सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आप हिलती गाड़ी में किताब पढ़ रहे हैं, तो आंखें स्थिर किताब देख रही हैं, लेकिन कान और शरीर गति को महसूस कर रहे हैं इससे दिमाग कंफ्यूज हो जाता है।3. सेंसेटिव नर्वस सिस्टमकुछ लोगों का नर्वस सिस्टम ज्यादा संवेदनशील होता है, जिससे उन्हें हल्के मूवमेंट पर भी मोशन सिकनेस हो सकती है। यह समस्या बच्चों और माइग्रेन से पीड़ित लोगों में ज्यादा पाई जाती है।4. हार्मोनल बदलावप्रेग्नेंसी या पीरियड्स के दौरान महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कारण मतली और उल्टी की प्रवृत्ति बढ़ जाती है, जिससे सफर के समय मोशन सिकनेस का खतरा बढ़ जाता है।5. मानसिक तनाव और थकानअगर किसी व्यक्ति को ट्रैवल से पहले ज्यादा थकान, चिंता या तनाव होता है तो ये समस्याएं भी मोशन सिकनेस को ट्रिगर कर सकते हैं।मोशन सिकनेस से बचाव के आसान उपाय-गाड़ी या बस में आगे की सीट, ट्रेन में खिड़की के पास बैठने से मोशन सिकनेस की संभावना कम होती है। ऐसे में जब भी आप सफर करें तो इस बात का ख्याल रखें।-ट्रैवल के दौरान सफर से साथ आगे की तरफ देखें या दूर दिख रही चीजों को देखें और इस दौरान मोबाइल या किताब पढ़ने से बचें।-ट्रैवल से पहले ज्यादा ऑयली या मसालेदार खाना न खाएं। हर्बल चाय जैसे कि अदरक की चाय या नींबू पानी मोशन सिकनेस को रोकने में मदद कर सकता है।-थकान मोशन सिकनेस को बढ़ा सकती है, इसलिए हमेशा ट्रैवल करने से पहले अच्छी नींद लें।-जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से एंटी-मोशन सिकनेस दवाएं ली जा सकती हैं। लेकिन ध्यान रखें कि इन दवाओं को बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।निष्कर्षमोशन सिकनेस कोई गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन यह ट्रैवल के सफर को खराब कर सकती है। सही जानकारी, समय पर पहचान और कुछ आसान उपाय अपनाकर इसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। खासकर बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं और माइग्रेन के मरीजों को ट्रैवल के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए।
- आजकल लोगों की लाइफस्टाइल इतनी अनहेल्दी हो चली है कि छोटी-बड़ी बीमारियां और हेल्थ प्रॉब्लम्स तेजी से बढ़ रही हैं। नसों में ब्लॉकेज भी ऐसी ही एक समस्या है जो इन दिनों अनहेल्दी डाइट और अनहेल्दी लाइफस्टाइल की वजह से बढ़ रही है। नसें ब्लॉक हो जाने से शरीर में कई तरह की समस्याएं बढ़ सकती हैं। नसों में ब्लॉकेज की समस्या हार्ट को भी नुकसान पहुंचा सकता है। नसों की इस ब्लॉकेज को नेचुरली साफ करने के लिए आप लहसुन का सेवन कर सकते हैं। लहसुन एंटीऑक्सीडेंट्स और एलिसिन जैसे तत्वों से भरपूर होता है जो हार्ट और नसों की हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं। यहां पढ़ें लहसुन का सेवन करने के तरीके ( और इसके सभी फायदे।नसों में ब्लॉकेज के कारण क्या हैं?शरीर की नसें ब्लॉक होने का एक बड़ा कारण है शरीर में पोषक तत्वों की कमी। इसी तरह शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक ना रहना, ब्लड क्लॉटिंग, हाई बीपी, हाई ब्लड शुगर लेवल और एक ही जगह पर कई घंटों तक बैठकर काम करने से नसें दब जाती हैं और नसों में ब्लॉकेज बढ़ने लगती है।नसों में ब्लॉकेज के लक्षणनसें बंद हो जाने के बाद हाथों-पैरों में झुनझुनी, शरीर में तेज दर्द. नसों में भारीपन, घुटनों के नीचे हिस्से में दर्द और सूजन जैसे परेशानियां हो सकती हैं।बंद नसें खोलने के लिए खाएं कच्चा लहसुनदिन में 1 से 2 बार कच्चा लहसुन खाने से नसों की ब्लॉकेज खुल सकती हैं। बेहतर रिजल्ट के लिए आप सुबह खाली पेट कच्चा लहसुन खा सकते हैं।पिएं लहसुन का पानीसुबह खाली पेट 2-3 लहसुन को कूटकर गर्म पानी में मिलाएं। फिर, इस पानी का सेवन जरूर करें।लहसुन खाने के फायदेखाली पेट लहसुन का सेवन करने से नसों की ब्लॉकेज खुलने के साथ-साथ बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कम होता है। जिससे हार्ट हेल्थ भी बेहतर होती है।Disclaimer- यह आर्टिकल केवल सामान्य जानकारी और सलाह देता है। यह किसी भी तरह से चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। इसलिए अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।