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हमारे लिए बहुत जरूरी पोषक तत्व है। विटामिन सी इम्यूनिटी को बढ़ाने, त्वचा को बेदाग बनाने और बालों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। लेकिन जब बात विटामिन सी युक्त चीजों को डाइट में शामिल करने की आती है, तो लोग अक्सर कंफ्यून वाली स्थिति में रहते हैं। कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि आंवला में ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है। वहीं, कुछ लोग विटामिन सी की पूर्ति के लिए अमरूद को सही विकल्प मानते हैं।आमतौर पर अमरूद और आंवला, दोनों ही विटामिन-C के अच्छे सोर्स माने जाते हैं, लेकिन सवाल यह है कि इनमें से कौन ज्यादा फायदेमंद है?
अमरूद में विटामिन-सी की मात्रा
अमरूद को सर्दियों का सुपर फ्रूट कहा जाता है। अमरूद में विटामिन सी के साथ-साथ फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। बाजार में मिलने वाले 100 ग्राम अमरूद में लगभग 250- 300 मिलीग्राम विटामिन सी पाया जाता है। यह हमारे शरीर की रोजाना की जरूरत का दोगुना है। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें, सर्दियों में आने वाले इस फल का रोजाना सिर्फ 1 टुकड़ा खाने से की विटामिन सी की जरूरत को पूरा किया जा सकता है।
आंवला में विटामिन- C की मात्राआयुर्वेद में आंवला को धात्री फल कहा जाता है। आंवला में विटामिन सी के साथ विटामिन ए, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर पाया जाता है। रोजाना आंवला का सेवन करने से कई प्रकार की बीमारियों को दूर रखा जाता है। आंवला में विटामिन सी की बात की जाए, तो इसके लगभग 100 ग्राम में 600 से 700 मिलीग्राम विटामिन सी पाया जाता है।अमरूद vs आंवला, किसमें पाया जाता है ज्यादा विटामिन- सीअमरूद और आंवला के 100-100 ग्राम की तुलना की जाए, तो आंवला में अमरूद से 3 गुणा ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है। अगर आप सिर्फ विटामिन सी के फायदों के लिए कोई फल या सब्जी खाना चाहते हैं, तो आंवला बेस्ट ऑप्शन है। लेकिन विटामिन सी के साथ डाइट में फाइबर को भी जोड़ना चाहते हैं, तो अमरूद खा सकते हैं। दोनों ही फलों को अपनी डाइट में शामिल करना फायदेमंद होता है।कैसे करें इन दोनों चीजों का सेवन1. अमरूद : अमरूद एक फल है। इसका सेवन आप कच्चा कर सकते हैं। अमरूद को खासतौर पर ताजा काटकर ही खाना चाहिए। ताकि इसके सभी पोषक तत्व शरीर को मिल सके।2. आंवला :आंवला स्वाद में खट्टा होता है। इसलिए आंवले को कच्चा खाना थोड़ा मुश्किल होता है। आप आंवले का जूस, आंवले का मुरब्बा या चटनी बनाकर खा सकते हैं।निष्कर्षअमरूद और आंवला, दोनों ही विटामिन-सी के अच्छे सोर्स हैं। यह दोनों ही कई बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करते हैं। आप अपने शरीर की जरूरत के हिसाब से अमरूद और आंवला का सेवन कर सकते हैं। - आज के जमाने में लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन पर बिताने के कारण लोगों को आंखों से जुड़ी परेशानियां हो रही हैं। स्क्रीन टाइम ज्यादा होने की वजह से आंखों में खुजली, जलन और रैशेज दानों की समस्या होती है। आंखों की परेशानियों से राहत पाने के लिए ज्यादातर लोग दवाएं और आई ड्रॉप का ऑप्शन अपनाते हैं। लेकिन आज भी आयुर्वेद में आंखों की समस्याओं को दूर करने के लिए प्राकृतिक औषधि का इस्तेमाल किया जाता है। आंखों की परेशानियों के लिए आयुर्वेद में त्रिफला के पानी को प्रभावी माना गया है। त्रिफला आयुर्वेद की एक औषधि है, जो तीन प्रमुख फल आंवला, हरड़ और बहेड़ा को मिलाकर बनती है। त्रिफला के पानी नियमित रूप से आंखों की सफाई के लिए उपयोग किया जाए, तो यह आंखों को स्वस्थ और ताजगी भरा बनाए रखता है। आइए जानते हैं त्रिफला के पानी से आंख धोने के फायदों के बारे में।1. दृष्टि को सुधारने में मददगारत्रिफला में मौजूद पोषक तत्व आंखों की कार्यक्षमता में सुधार करते हैं। रोजाना त्रिफला के पानी से आंखें धोने से धुंधलापन और आंखों की कमजोरी की तमाम परेशानियों से राहत मिलती है। जिन लोगों को अक्सर आंखों में दर्द रहता है, उनके लिए भी त्रिफला का पानी बहुत फायदेमंद होता है।2. संक्रमण से करें बचावत्रिफला में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो लंबे समय तक स्क्रीन देखने और प्रदूषण के कारण होने वाले आंखों के संक्रमण से बचाव करते हैं। रोजाना त्रिफला के पानी से आंखों को धोने से खुजली और लालिमा को कम किया जा सकता है।3. आंखों के तनाव को करें कमआजकल मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन का इस्तेमाल करने से आंखों पर तनाव पड़ना एक आम बात है। त्रिफला के पानी से आंखों को धोने से तनाव कम होता है। त्रिफला के पानी के पोषक तत्व आंखों को आराम महसूस करवाते हैं, जिससे कई परेशानियों से राहत मिलती है।4. आंखों की चमक बढ़ाएंत्रिफला के पानी से नियमित तौर पर सफाई करने से, यह आंखों को प्राकृतिक रूप से साफ और सुंदर बनाने में मदद करता है। साथ ही, आंखों की खुजली को भी दूर करता है।5. आंखों की सूजन को करता है कमरात में नींद पूरी न होने या तनाव के कारण आंखों के नीचे सूजन की समस्या होना एक आम बात है। आंखों की सूजन को कम करने में भी त्रिफला का पानी बहुत फायदेमंद होता है।त्रिफला का पानी कैसे तैयार करें?1 चम्मच त्रिफला पाउडर लें। इसे 1 गिलास पानी में रातभर भिगोकर रखें। सुबह इस पानी को छान लें और आंखों को धोने के लिए इस्तेमाल करें।निष्कर्षत्रिफला का पानी आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। रोजाना त्रिफला के पानी से आंखों को धोने से किसी भी प्रकार की गंभीर समस्या नहीं होती है। लेकिन ध्यान रहे जिन लोगों को आंखों से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी है या वो देखने के लिए किसी चश्मे या लेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो त्रिफला के पानी का इस्तेमाल करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- सर्दियों में मौसम में ठंडी हवाओं के कारण बाल ड्राई और डैमेज हो जाते हैं। इतना ही नहीं, ठंड में सर्द हवाएं बालों को काफी कमजोर बना देती हैं, जिसकी वजह से वह टूटने और गिरने लगते हैं। बालों का गिरना, ड्राई और डैमेज नजर आना हमारी पर्सनैलिटी पर गहरा प्रभाव डालता है। इस बार सर्दियों में मौसम में अगर आप इन परेशानियों से जूझ रहे हैं तो आप घर पर ही कुछ आसान और नैचुरल होममेड जेल बनाकर बालों की खूबसूरती में चार चांद लगा सकते हैं। आइए जानते हैं इन होममेड जेल की रेसिपी और लगाने के तरीकों के बारे में।1. अलसी के बीजों का जेल-अलसी के बीजों के पोषण देकर फ्रीकिनेस को दूर करने में मदद करता है। जिन लोगों के बाल घुंघराले हैं, उनके लिए अलसी के बीजों का जेल सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। यह जेल सर्दियों में होने वाले डैंड्रफ और खुजली की समस्या को भी दूर करता है।- अलसी के बीजों का जेल बनाने के लिए सबसे पहले एक कप पानी में 2 बड़े चम्मच अलसी के बीज डालें।- पानी और अलसी के बीजों के मिश्रण को धीमी आंच पर 5-7 मिनट तक उबालें।- जब यह गाढ़ा जेल जैसा बन जाए, तो इसे छानकर एक छोटे बाउल में निकाल लें।- अलसी के जेल को ठंडा होने के बाद इसे बालों पर लगाएं और 20-30 मिनट के बाद धो लें।2. खीरे और एलोवेरा का जेलसर्दियों में बालों की खुजली, रूसी और ड्राइनेस को दूर करने में खीरे और एलोवेरा का जेल बहुत फायदेमंद होता है। खीरे और एलोवेरा जेल स्कैल्प को पोषण देता है, जिससे बाल मुलायम और शाइनी बनते हैं।- खीरे और एलोवेरा का जेल बनाने के लिए आधा खीरा छीलकर उसका पेस्ट बना लें।- ध्यान रहे कि खीरे का जूस नहीं निकलना है, उसका पेस्ट तैयार करना है।- खीरे के जेल में 2 बड़े चम्मच एलोवेरा जेल मिलाकर पेस्ट को तैयार कर लें।- खीरे और एलोवेरा जेल को स्कैल्प से लेकर बालों के सिर पर लगाएं और 30 मिनट तक छोड़ें दें।- जब जेल अच्छे से सूख जाए, तो बालों को नॉर्मल पानी और शैंपू से धोकर साफ कर लें।3. एलोवेरा जेलसर्दियों में अगर आप विभिन्न प्रकार के झंझट और दो चीजों को आपस में मिक्स करने से बचना चाहते हैं, तो बालों में एलोवेरा जेल लगा सकते हैं। एलोवेरा जेल में मौजूद विटामिन ए, बी, सी, ई, फॉलिक एसिड, कोलीन, बी1, बी2, बी3, और बी6 पाया जाता है, जो न केवल स्कैल्प को हाइड्रेट करता है, बल्कि बालों को मुलायम बनाता है।- इस जेल को बनाने के लिए सबसे पहले एलोवेरा की पत्ती लें और इसे काटकर अंदर से जेल निकाल लें।- इस जेल को मिक्सर में ब्लेंड करें ताकि अच्छा सा एक पेस्ट तैयार हो जाए।- एलोवेरा के जेल को स्कैल्प और बालों में आधा घंटा लगाकर रखें। बाद में इस जेल को नॉर्मल शैंपू से धो लें।- सप्ताह में 1 से 2 बार बालों में एलोवेरा जेल लगाने से बालों का झड़ना कम होता है और उनकी लंबाई भी बढ़ती है।इस बार सर्दियों के मौसम में घर पर बनाए जाने वाले इन जेल का इस्तेमाल करने से न सिर्फ आपके बालों की खूबसूरती बढ़ेगी बल्कि आपको केमिकल्स वाले प्रोडक्ट्स से भी छुटकारा मिलेगा।
- हाई शुगर लेवल डायबिटीज के मरीजों के लिए चिंता का कारण होते हैं क्योंकि ब्लड शुगर लेवल बढ़ने के कारण डायबिटीज पेशेंट्स की कॉम्प्लिकेशन्स बढ़ सकती हैं। शुगर लेवल लगातार हाई रहने से किडनी, नर्वस सिस्टम और आंखों को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा किडनी फेलियर, पैरों की नसों के डैमेज होने और आंखों की रोशनी कम होने जैसे बड़े जोखिम भी डायबिटीज की बीमारी के साथ जुड़े हुए हैं। डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है लेकिन, ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने से आप डायबिटीज मैनेज कर सकते हैं। शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने के लिए आप अलग-अलग तरह की सब्जियों, फलों और पत्तियों से बने जूस भी आप पी सकते हैं।आंवले का जूसविटामिन सी से भरपूर आंवले के फल क्रोमियम नामक तत्व का भी स्रोत हैं। यह तत्व कार्ब्स को पचाने और शरीर में शुगर के लेवल को संतुलित करने का काम करता है। रोजाना आंवला जूस पीने से डायबिटीज मरीजों को ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद होती है।पालक का रससर्दियों में मिलने वाली पालक की पत्तियों का जूस पीने से भी शुगर लेवल कम होता है। आप पालक के पत्तों को थोड़े-से पानी के साथ पीसकर जूस बना लें और पीएं।मोरिंगा का जूसमोरिंगा की पत्तियां या सहजन की हरी पत्तियों (moringa leaves) का जूस पीना ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिहाज से एक अच्छा ड्रिंक है। मोरिंगा की पत्तियों में एंटीबैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं जो इंफेक्शन का रिस्क कम करते हैं। साथ ही मोरिंगा का जूस पीने से इंसुलिन लेवल को संतुलित करने और शुगर लेवल कम करने में मदद करते हैं।एलोवेरा जूसडायबिटीज कंट्रोल में रखने के लिए आप एलोवेरा का जूस भी पी सकते हैं। इसमें विटामिन सी पाया जाता है जो एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट है। यह शुगर लेवल को कम रखता है और आपका डाइजेशन और इम्यून पॉवर भी बढ़ाता है।लौकी का जूसलौकी की सब्जी का जूस पीना भी ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है। दरअसल, सब्जी एक जूसी और लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली सब्जी है। लौकी का सेवन करे से आपका ब्लड शुगर लेवल तेजी से कम होता है।
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आजकल खराब और अनियमित जीवनशैली के चलते लोगों में वजन तेजी से बढऩे लगा है। वजन घटाने के लिए लोग तरह-तरह के नुस्खे अपनाते हैं, लेकिन कई बार तमाम कोशिशों के बाद भी वजन कम नहीं होता है। कई बार ऐसे में कुछ लोग वेट लॉस दवाओं के साथ-साथ सर्जरी तक का विकल्प चुनते हैं। लेकिन, कई बार वजन घटाने में घरेलु नुस्खे भी कारगर साबित हो जाते हैं। अगर आप अपने बढ़े हुए वजन से परेशान हैं तो ऐसे में उबले हुए चावल का पानी आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। चावल के पानी का सेवन करना आपके वजन को कम कर सकता है। हममें से ज्यादातर लोग चावल को उबालने या पकाने के पानी को फेंक देते हैं। लेकिन, यह त्वचा के लिए हेल्दी होने के साथ-साथ वजन को कंट्रोल करने में भी फायदेमंद होते हैं।
वजन घटाने के लिए चावल का पानी कैसे इस्तेमाल किया जाता है--वजन घटाने के लिए आप उबले हुए चावल के पानी को पी सकते हैं। यह वजन घटाने का सबसे असरदार और प्रभावी नुस्खा है।--चावल के पानी में कैलोरी की मात्रा बिलकुल कम होती है। इसे पीने से आपकी शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी आसानी से कम होती है।-इसके लिए आपको चावल के पानी को कुछ समय तक धीमी आंच पर उबालना चाहिए।-इसके बाद आपको चावल के पानी को ठंडा करके पी लेना चाहिए।-आप चाहें तो चावल के पानी में नमक और काली मिर्च भी मिला सकते हैं।चावल के पानी के अन्य इस्तेमाल-चावल के पानी को आप कई तरीकों से इस्तेमाल कर सकते हैं।-चावल के पानी को आप चेहरे पर लगा सकते हैं। इससे त्वचा का ग्लो बढ़ता है साथ ही झुर्रियों की समस्या भी कम होती है।-चावल के पानी को आप बालों से संबंधित समस्याओं में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे बालों पर लगाने से बाल झडऩे और टूटने से आराम मिल सकता है।-चावल का पानी पीने से पाचन संबंधी समस्याओं में आराम मिलता है.-इस पानी को पीने से कई बार डिहाइड्रेशन में भी फायदा मिल सकता है।-चावल के पानी में मौजूद पोषक तत्व शरीर को पर्याप्त एनर्जी देने का काम करते हैं।ज्यादा चावल का पानी पीने के नुकसान-चावल का पानी ज्यादा मात्रा में पीना नुकसानदेह भी हो सकता है।-इस पानी को ज्यादा पीने से गैस और अपच जैसी समस्या हो सकती है।-इससे कुछ मामलों में आप हाइपरटेंशन के भी शिकार हो सकते हैं।-इससे कई बार डायबिटीज और एलर्जी जैसी समस्या भी हो सकती है।-जरूरत से ज्यादा चावल का पानी पीने से कई बार आपको मोटापा भी हो सकता है। - आयुर्वेद में मेथी के दानों और छुहारे दोनों का अलग-अलग सेवन करने से शरीर को होने वाले फायदों के बारे में बताया गया है। ये दोनों चीजें अलग खाने से आप खुद को कई समस्याओं से बचा सकते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर मेथी दाने और छुहारे का सेवन साथ में किया जाए, तो क्या होगा? अगर नहीं, तो आइए आज के इस आर्टिकल में हम मेथी दाने और छुहारे का पानी पीने से होने वाले फायदों के बारे में बताएंगे।मेथी और छुहारे का पानी कैसे बनाएं?मेथी दाने और छुहारे के पानी को बनाने के लिए आपको कोई राकेट साइंस नहीं लगानी है। इसके लिए आपको मेथी दाने और छुहारों को रात भर पानी में भिगोकर रखना है। अब सुबह उठकर इस पानी को अच्छी तरह उबाल लें। अब मेथी के दाने और छुहारों को छानकर अलग से रख लें। आपका पानी तैयार है, आप इस पानी में भुना हुआ जीरा और सेंधा नमक मिलाकर पी सकते हैं। इसके बाद भीगे हुए मेथी दानों और छुहारों को चबाकर-चबाकर खा लें। इससे कुछ भी चीज बर्बाद नहीं होगी और शरीर को कई फायदे हो सकते हैं।मेथी दाने और छुहारे का पानी पीने के फायदेजोड़ों के दर्द से राहतमेथी दानों और छुहारे के पानी का सेवन करने से जोड़ों में दर्द की समस्या से बचा जा सकता है। अगर आप जोड़ों के दर्द और सूजन की समस्या से बचना चाहते हैं, तो इस नुस्खे को जरूर ट्राई करें। आपको बहुत जल्दी परिणाम दिखने लगेंगे।वजन कम हो सकता हैअगर आप वजन घटना चाहते हैं, तो इस पानी का सेवन कर सकते हैं। इस पानी में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जो पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है। इससे आप ओवरईटिंग से बच जाते हैं और वजन घटाने में मदद मिलती है।पाचन-तंत्र में होगा सुधारजैसा हमने आपको बताया की इस पानी में फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इससे पाचन-तंत्र को फायदा होता है। यह पानी पेट की गैस, अपच और कब्ज जैसी समस्याओं से बचाव करता है। इससे मल सॉफ्ट हो जाता है और आसानी से बाहर आ जाता है।
- ऑलिव ऑयल, जिसे जैतून का तेल भी कहते हैं, एक ऐसा प्राकृतिक उपाय है जो झुर्रियों और फाइन लाइन्स को कम करने में मदद कर सकता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स, विटामिन-ई और फैटी एसिड त्वचा को गहराई से पोषण देते हैं। ऑलिव ऑयल त्वचा में नमी बनाए रखता है, फ्री रेडिकल्स से बचाता है और कोलेजन प्रोडक्शन को बढ़ावा देता है। यह न केवल त्वचा को मुलायम और चमकदार बनाता है, बल्कि झुर्रियों की समस्या को भी प्रभावी ढंग से कम करता है। आइए जानते हैं, झुर्रियों से छुटकारा पाने के लिए ऑलिव ऑयल के इस्तेमाल का सही तरीका।झुर्रियों के लिए क्यों बेस्ट है ऑलिव ऑयल?--ऑलिव ऑयल में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, विटामिन-ई और फैटी एसिड जैसे गुण होते हैं, जो त्वचा को अंदर से पोषण देकर उसे स्वस्थ और जवां बनाए रखते हैं। इसके नियमित इस्तेमाल से त्वचा में नमी बनी रहती है, जिससे झुर्रियों और फाइन लाइन्स की समस्या धीरे-धीरे कम होती है।-ऑलिव ऑयल में मौजूद पॉलीफेनोल्स और विटामिन-ई त्वचा की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं, जो झुर्रियों और एजिंग का मुख्य कारण है।-यह ऑयल, त्वचा की गहराई तक जाकर उसे मॉइश्चराइज करता है, जिससे ड्राई स्किन की समस्या दूर होती है।-ऑलिव ऑयल त्वचा में कोलेजन के उत्पादन को बढ़ाता है, जो त्वचा को लचीला और जवां बनाए रखता है।-ऑलिव ऑयल के नियमित इस्तेमाल से त्वचा के काले धब्बों और पिग्मेंटेशन को भी हल्का करता है।झुर्रियों के लिए ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल कैसे करें?झुर्रियों और फाइन लाइन्स को कम करने के लिए ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करना बेहद आसान है। इसे कई तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है-1. रात में मसाज करें:सोने से पहले चेहरे को अच्छे से साफ करें। 2-3 बूंद ऑलिव ऑयल लें और इसे अपने चेहरे और गर्दन पर हल्के हाथों से मसाज करते हुए लगाएं।पूरी रात इसे लगे रहने दें और सुबह गुनगुने पानी से चेहरा धो लें।2. फेस मास्क में मिलाएं:1 चम्मच ऑलिव ऑयल में शहद और दही मिलाकर एक फेस मास्क बनाएं।इसे चेहरे पर लगाकर 15-20 मिनट तक रखें और फिर ठंडे पानी से धो लें।यह मास्क त्वचा को गहराई से पोषण देता है।3. स्क्रब के रूप में:ऑलिव ऑयल में चीनी और नींबू का रस मिलाकर एक स्क्रब तैयार करें।इसे चेहरे पर सर्कुलर मोशन में लगाएं और 5 मिनट तक मसाज करें। स्क्रब करने के बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें। यह त्वचा को एक्सफोलिएट करने के साथ झुर्रियों को कम करता है।4. आंखों के आसपास लगाएं:आंखों के आसपास की त्वचा बहुत नाजुक होती है।यहां ऑलिव ऑयल की 1-2 बूंदों को हल्के हाथों से लगाएं।यह डार्क सर्कल्स और फाइन लाइन्स को कम करने में मदद करता है।पैच टेस्ट जरूर करेंकिसी भी नई चीज का इस्तेमाल करने से पहले पैच टेस्ट जरूर करें, ताकि एलर्जी की समस्या न हो। इसलिए ऑलिव ऑयल को भी इस्तेमाल करना जरूरी है।अगर आपकी त्वचा ऑयली है, तो ऑलिव ऑयल का कम मात्रा में इस्तेमाल करें।हमेशा शुद्ध और एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल का ही इस्तेमाल करें।ऑलिव ऑयल एक प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है, जिससे झुर्रियों और फाइन लाइन्स की समस्या को कम किया जा सकता है। इसके नियमित इस्तेमाल से आपकी त्वचा न केवल स्वस्थ और ग्लोइंग बनेगी, बल्कि उम्र के प्रभाव भी कम दिखेंगे। आज ही अपनी स्किनकेयर रूटीन में ऑलिव ऑयल को शामिल करें और फर्क महसूस करें।
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भुना चना खाने के ढेर सारे फायदे बताए जाते हैं। काफी सारे लोग इसे रोज खाना पसंद करते हैं। भुने चने में कैलोरी की मात्रा ना के बराबर होती है और प्रोटीन, फाइबर के साथ आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस होता है। जो ना केवल हड्डियों को मजबूत बनाता है बल्कि वेट लॉस में भी मदद करता है। अगर आप कभी घर में चने को भूनकर खाना चाहें तो इस ट्रिक से फटाफट मार्केट जैसे भुने चने बना सकते हैं। बस जान लें चने को मार्केट स्टाइल भुनने का तरीका।
चना ही नहीं इन अनाज को भूनकर खाएं
वैसे तो मार्केट में बहुत आसानी से भुना चना मिल जाता है। लेकिन कई बार जब घर में काले चने रखे हों तो इन्हें भी मार्केट जैसा भूनकर खाया जा सकता है। केवल चना ही नहीं इस तरीके से दूसरे अनाजों को भी भूनकर स्नैक्स में खाना हेल्दी ऑप्शन है।
मार्केट जैसा चना भूनने की ट्रिक
-सबसे पहले किसी कटोरी में पानी एक कप लेंगे। फिर इसमे हल्दी एक चम्मच और एक चम्मच नमक डालकर मिक्स कर लें।
-किसी बड़े बर्तन में चने को लेकर उसमे ये हल्दी वाला पानी डालकर चने को भिगोकर छोड़ दें। आधा घंटा चने को इस हल्दी वाले पानी में भीगा रहने दें।
-अब कड़ाही में एक कप नमक डालें। नमक की मात्रा चने से ज्यादा हो। अब इस नमक को गर्म हो जाने दें। फिर इसमे भीगे चने का पानी छानकर डालें।
-तेज फ्लेम पर करछूल या लकड़ी की मदद से चलाते जाएं।
-नमक के साथ मिलाकर चने को भूनें। नमक की गर्माहट से चने फटाफट मिनटों में ही पॉपअप होकर भुन जाएंगे और बिल्कुल मार्केट जैसे ही क्रिस्पी बनेंगे। -
भागती-दौड़ती जिंदगी में आज हर कोई अपने क्षेत्र में नंबर वन बने रहने का सपना पूरा करना चाहता है। लेकिन इस दौड़ में हिस्सा लेने वाले लोग कुछ समय बाद अकसर गर्दन और पीठ के दर्द से बेहाल हो जाते हैं। जी हां, कॉम्पिटिशन के इस दौर में घंटों लैपटॉप पर झुककर काम करने वाले लोग पीठ और गर्दन के दर्द की शिकायत करते हैं। इसके अलावा यह दर्द कई बार गलत पोस्चर में बैठकर काम करने से भी परेशान करने लगता है। ज्यादा दिन तक इस दर्द को नजरअंदाज करने पर व्यक्ति की समस्या बढ़ सकती है। अगर आप भी इस तरह के दर्द को फिलहाल झेल रहे हैं तो ये 3 योगासन आपकी समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
भुजंगासन
भुजंगासन को कोबरा मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन को करने से कमर की अकड़न दूर होती है और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं में आराम मिलता है। भुजंगासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले पेट के बल सीधा लेटकर अपनी हथेलियों को कंधों के नीचे रखें। अब अपनी उंगलियों को फैलाते हुए छाती को ऊपर की ओर खींचें। इसी अवस्था में बने रहते हुए सांस लें। थोड़ी देर बाद वापस पहले वाली अवस्था में आ जाएं।
मंडूकासन
मंडूकासन को हाफ फ्रॉग पोज या मेंढक मुद्रा भी कहा जाता है। यह छाती और कंधों को खोलने वाला आसन है, जो कूल्हों, जांघों, और पीठ में लचीलापन बढ़ाता है। मंडूकासन करने के लिए सबसे पहले वज्रासन में बैठकर अपनी मुठ्ठी बंद करें और अंगूठे को बाहर की तरफ रखें। अब मुठ्ठी को नाभि चक्र और जांघ के पास ले जाएं। ऐसा करते हुए अपनी सांस बाहर छोड़ते हुए पेट को अंदर की तरफ खींचें। धीरे-धीरे आगे की तरफ झुकें और छाती को जांघ से छूने की कोशिश करें। जब तक इस मुद्रा में रह सकते हैं, बने रहें फिर धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। वापस अपनी पहली स्थिति में आ जाएं। धीरे-धीरे इस आसन की संख्या बढ़ाएं।
ताड़ासन
ताड़ासन या पर्वत मुद्रा योग का एक आसन है, जो शारीरिक और मानसिक संतुलन विकसित करके शरीर के पोस्चर में सुधार लाता है, जांघों, घुटनों और टखनों को मजबूत करता है। ताड़ासन करने के लिए आपको सीधे खड़े होकर अपने दोनों हाथों को ऊपर ले जाते हुए एक दूसरे से जोड़ना है। इसके बाद अपनी एड़ियों के सहारे ऊपर की तरफ बॉडी को स्ट्रेच करें। इसी अवस्था में अपना संतुलन बनाने की कोशिश करें। इसी प्रक्रिया को चार से पांच बार दोहराएं। इससे आपकी पूरी बॉडी को काफी राहत फील होगी। - सर्दियों में अधिकतर लोगों के घरों में ड्राई फ्रूट्स और गोंद के लड्डू बनाएं जाते हैं। दरअसल, इस मौसम में ठंड से बचने और शरीर को गर्म रखने के लिए घर में इस तरह के पौष्टिक लड्डू बनाए जाते हैं। लेकिन, कुछ लोगों को मालूम नहीं होगा कि इन लड्डूओं काले और लाल रंग का गोंद भी मिलाया जाता है। इस गोंद को गोंद चुनिया और पलाश गोंद के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में पलाश के फूल, पेड़ और गोंद से कई तरह के रोगों को दूर करने में मदद मिलती है। कमरकस में एंटीऑक्सीडेंट की उच्च मात्रा पाई जाती है। कमरकस पाउडर का इस्तेमाल रेसिपी में स्वाद बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। इसे अनिद्रा, पेट दर्द और पीठ कमर दर्द जैसी विभिन्न समस्याओं को ठीक करने इस्तेमाल किया जाता है।सर्दियों में महिलाओं के लिए कमरकस के फायदेडिलीवरी के बाद महिला की ताकत बढ़ाएंकमरकस का सेवन प्रसव के बाद शरीर को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है। यह मांसपेशियों को मजबूती देता है और शरीर में ऊर्जा का संचार करता है। इससे डिलीवरी के बाद महिलाओं को रिकवर करने में मदद मिलती है।पीरियड के दर्द को कम करेंकमरकस या पलाश गोंद में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, यह एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पीरियड्स के दौरान महिलाओं को होने वाले ऐंठन को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही, इसके सेवन से पेट के हिस्से की मांसपेशियों को आराम मिलता है।शरीर को गर्म रखेंसर्दियों में कमरकस का सेवन शरीर को अंदर से गर्म रखने में मदद करता है। यह ठंड से बचाव करता है और जोड़ों के दर्द में भी राहत देता है। महिलाओं को सर्दियों में होने वाले दर्द से बचाव करने के लिए भी कमरकस का सेवन किया जाता है।हड्डियों को मजबूती प्रदान करेंकमरकस कैल्शियम और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक है। यह खासतौर पर उन महिलाओं के लिए उपयोगी है जिन्हें हड्डियों की कमजोरी की शिकायत होती है।त्वचा और बालों के लिए फायदेमंदकमरकस में एंटीऑक्सीडेंट्स और पोषक तत्व होते हैं, जो त्वचा को नमी प्रदान करते हैं और सर्दियों में बालों को रूखेपन से बचाते हैं। साथ ही, इसके सेवन से बालों में नई चमक आती है और बाल पहले की अपेक्षा स्वस्थ बनते हैं।कमरकस का सेवन कैसे करेंकमरकस लड्डूइसे बनाने के लिए आप कमरकस, गेंहू का आटा, गुड़, और घी ले लें। सबसे पहले आप घी में कमरकस को भून लें। इसके बाद इसमें गेहूं के आटे को हल्का सुनहरा होने तक भूनें। इसके बाद इसमें गुड़ और सूखे मेवों को मिलाकर लड्डू तैयार करें।कमरकस का दूधगर्म दूध में कमरकस डालकर अच्छी तरह मिलाएं। इसको स्वादिष्ट बनाने के लिए ऊपर से शहद या गुड़ डालकर सेवन करें। इसे आप रात को सोने से पहले पिएं। इससे नींद अच्छी आती है और तनाव कम होता है।कमरकस सर्दियों में महिलाओं के लिए एक वरदान है। यह न केवल शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि सर्दियों की ठंड से भी बचाव करता है। इसे अपनी डाइट में शामिल करें और सर्दियों का आनंद स्वस्थ और ऊर्जावान तरीके से लें।
- सर्दियों के मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए भारतीय घरों में पंजीरी बनाई जाती है। पंजीरी खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही सेहत के लिए लाजवाब होती है। इसे खाने से शरीर को कई छोटी-बड़ी समस्याओं से बचाया जा सकता है। आजतक अपने आटे से बनी पंजीरी, तो कई बार खाई होगी। आज हम आपको हल्दी से बनी पंजीरी खाने से होने वाले फायदों के बारे में बातएंगे। हल्दी सर्दियों में सुपरफूड की तरह काम करती है। इसमें ढेरों पोषक-तत्व पाए जाते हैं। ऐसे में आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि हल्दी से पंजीरी किस तरह बनाई जा सकती है और इससे शरीर को क्या फायदे होते हैं।हल्दी पंजीरी कैसे बनाएं?हल्दी पंजीरी बनाने के लिए आपको सबसे पहले एक पैन में घी डालना है। अब इस घी में कच्ची हल्दी को अच्छी तरह से भून लें। घी गुड़ फैट होता है, जिसमें हल्दी को भुनने से इसकी बायोअवेलेबिलिटी बढ़ जाती है। इसके बाद गेहूं के आटे को ब्राउन होने तक भून लें। अब हल्दी और भुने हुए आटे को मिला लें। इसके बाद अपने पसंदीदा ड्राई फ्रूट्स को मिलाएं। आखिर में आप मिठास के लिए गुड़ डालें। इससे आपकी पंजीरी कई गुना हेल्दी बन जाएगी। आपकी कच्ची हल्दी से बनी पंजीरी तैयार है।हल्दी पंजीरी खाने के फायदे- हल्दी पंजीरी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह पंजीरी सर्दियों में होने वाली सूजन की समस्या से इंसान को बचाने का काम करती है। इससे शरीर में होने वाली सूजन और दर्द को कम किया जा सकता है।- हल्दी पंजीरी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं। इससे शरीर को कई तरह के संक्रमण और चोटों से बचाया जा सकता है।- जैसा हम सभी जानते हैं कि हल्दी की तासीर गर्म होती है। ऐसे में हल्दी से बनी पंजीरी खाने से शरीर में गर्माहट आती है। इससे इम्यून सिस्टम को भी मजबूत किया जा सकता है।- हल्दी में करक्यूमिन पाया जाता है, जो लिवर की समस्याओं से बचाता है। इससे लिवर को आसानी से डिटॉक्स किया जा सकता है।- हल्दी पंजीरी में प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इससे शरीर को बहुत फायदे हो सकते हैं। इससे शरीर में ताकत आती है।- हल्दी पंजीरी में मौजूद घी गुणों की खान होता है। इसमें विटामिन-बी और ई की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इससे पेट की समस्याओं से राहत मिलती है। इससे कब्ज जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है।- इसके अलावा, हल्दी पंजीरी में मौजूद फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा रखता है। साथ ही, इसमें कार्बोहाइड्रेट और गुड फैट पाए जाते हैं, जो हार्ट को हेल्दी रखने में मदद करते हैं।- हल्दी पंजीरी को बनाने में ड्राई फ्रूट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे भूख जल्दी नहीं लगती है और आप ओवरईटिंग से बच जाते हैं। इससे वजन कम करने में मदद मिलती है।
- कब्ज की समस्या शरीर में होने वाली कई बीमारियों का कारण बन सकता है। कब्ज के कारण इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम, इन्फ्लेमेटरी बाउल डिजीज, कोलन कैंसर, डायबिटीज, बवासीर और फिशर जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। खराब लाइफस्टाइल, डाइट और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण कई लोगों को सुबह पेट साफ करने या मल त्याग में समस्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन, अगर आप अपने खान-पान का खास ध्यान रखें और लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव करें तो कब्ज की समस्या से राहत मिल सकता है।कब्ज से राहत के लिए डाइट प्लानकब्ज की समस्या के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव के लिए जरूरी है कि आप एक हेल्दी डाइट फॉलो करें। ऐसे में आइए डाइटिशियन गीतांजलि सिंह से जानते हैं कब्ज होने पर कैसी डाइट प्लान क्या होना चाहिए?कब्ज में सुबह क्या खाना चाहिए?कब्ज की समस्या होने पर आप सुबह के नाश्ते में केला, ओटमील, बादाम और शहद से भरपूर एक हेल्दी बाउल का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा आप, 1 कप जामुन का सेवन करें और 1 गिलास गर्म नींबू का पानी पिएं। ओटमील बाउल फाइबर, पौटेशियम, प्रोटीन और एंटी-बैक्टीरियाल गुण होते हैं, जो निमयित मल त्याग को आसान बनाता है। जबकि जामून एंटी-ऑक्सिडेंट, फाइबर और पानी से भरपूर होता है, जो पाचन को बढ़ावा देकर कब्ज की समस्यो को रोकता है। नींबू वाला गर्म पानी पीने से मल त्याग को बढ़ावा मिलता है और यह पाचन के लिए भी अच्छा माना जाता है।कब्ज में मिड मिल में क्या खाएं?मिड मिल यानी सुबह करीब 11 बजे के नाश्ते में आप 1 सेब में 1 बड़ा चम्मच बादाम का मक्खन मिलाकर खाएं। सेब में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, जो पाचन स्वास्थ्य को बेहतर रखने में मदद करता है। इसके साथ हेल्दी फैट और प्रोटीन से भरपूर बादाम मक्खन खाने से मल त्याग को मैनेज करने में मदद मिल सकती है।कब्ज में दोपहर के भोजन में क्या खाना चाहिए?कब्ज की समस्या होने पर आप अपने दोपहर के भोजन में ग्रिल्ड चिकन ब्रेस्ट या टोफू, 1 कप पका हुआ क्विनोआ, स्टीम्ड ब्रोकली और एवोकाडो शामिल करें। चिकन या टोफू प्रोटीन से भरपूर होता है, जो मल त्याग को कंट्रोल करने और कब्ज को रोकने में मदद कर सकते हैं। क्विनोआ फाइबर का अच्छा स्रोत है, जो मल त्याग को बढ़ावा देने औऱ कब्ज की समस्या को रोकने में मदद कर सकता है। ब्रोकली फाइबर, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होती है जो पाचन के बेहतर रखने और कब्ज को रोकने का काम करती है। जबकि एवोकाडो हेल्दी फैट और फाइबर जैसे विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होती है, जो पाचन में मदद कर सकती है।कब्ज में शाम के स्नैक्स में क्या खाएं?कब्ज की समस्या होने पर आप बैरीज और कद्दी के बीज के साथ दही का सेवन करें। दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो आपके पाचन को बढ़ावा देने और नियमित मल त्याग को आसान बनाने में मदद कर सकते हैं। जबकि बैरीज में एंटीऑक्सिडेंट, फाइबर और पानी की मात्रा ज्यादा होती है और कद्दू के बीज हेल्दी फैट और प्रोटीन से भरपूर होते हैं, जो आपके पाचन स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।कब्ज दूर करने के लिए रात में क्या खाना चाहिए?कब्ज होने पर रात को आप अपनी डाइट में हल्का खाना शामिल करें। ऐसे में आप1 कप पका हुआ ब्राउन राइस, 1 कली लगसुन के साथ सॉते किया हुआ 1 कप पालक और 1 नाशपाती, का सेवन करें। ब्राउन राइस फाइबर से भरपूर होती है, जो नियमित मल त्याग को बढ़ावा देने और कब्ज की समस्या को रोकने में मदद कर सकती है। लहसुन के साथ पालक को भूनकर खाने से पाचन में मदद मिल सकती है, और कब्ज को रोका जा सकता है। नाशपाती में फाइबर और पानी की मात्रा ज्यादा होती है, जो पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करता है।कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए आप इस डाइट प्लान को फॉलो कर सकते हैं। लेकिन, इसके साथ दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, क्योंकि हाइड्रेटेड रहने से कब्ज की समस्या को रोकने और पाचन को बेहतर रखने में मदद मिल सकती है। साथ ही आप खाने को धीरे-धीरे और चबाकर खाने की कोशिश करें।
- अगर आप भी खराब पाचन के कारण परेशान रहते हैं तो मसाला अजवाइन पाचक का सेवन कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसके फायदे और बनाने का तरीका-पाचन बेहतर रखने के लिए अजवाइन पाचक के फायदे1. पाचन में सुधार करता हैअजवाइन थाइमोल जैसे एक्टिव कंपाउंड्स से भरपूर होता है, जो पाचन एंजाइमों को बढ़ावा देता है, जिससे खाने को तेजी से पचाने में मदद मिलती है। यह ब्लोटिंग, अपच और गैस बनने की समस्या को कम करने में मदद करता है।2. एसिडिटी को कम करता हैअजनवाइन के क्षारीय गुण पेट की परत को शांत करते हैं, जो पेट में अतिरिक्त एसिड को बेअसर करते हैं और किसी भी तरह की जलन और एसिड रिफ्लक्स को बढ़ने से रोकते हैं।3. मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता हैमसाला अजवाइन पाचक में मौजूद मसाले मेटाबॉलिक एक्टिविटी को बढ़ाते हैं, जिससे फैट ब्रेकडाउन में सुधार होता है। यह वजन कंट्रोल करने में भी फायदेमंद है और पाचन तंत्र को भी स्वस्थ रखता है।4. खांसी और कंजेशन को कम करेंअजवाइन में मौजूद प्राकृतिक यौगिक ब्रोन्कोडायलेटर के रूप में काम करता है, जो सांस के रास्ते को साफ करके खांसी, कंजेशन और गले की जलन की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं।5. विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालेइसके डिटॉक्सिफिकेशन गुण सिस्टम को साफ करते हैं, लिवर को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करते हैं और टॉक्सिक पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का काम करते हैं, जिससे आपकी सेहत बेहतर रहती है।मसाला अजवाइन पाचक कैसे बनाएं?सामग्रीअजवाइन- 10 ग्रामनींबू का रस- 3 चम्मचकाला सेंधा नमक- स्वादानुसारइसे भी पढ़ें: आयुर्वेद के अनुसार पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं ये 5 फूड कॉम्बिनेशनबनाने की विधि--एक बाउल में अजवाइन, सेंधा नमक और नींबू का रस डालें।-अब सभी सामग्रियों को अच्छी तरह मिलाएं।-इस मिश्रण को एक एयर टाइट कंटेनर में रखकर लगभग 3-4 घंटे धूप में रखें-धूप में रखने के बाद इसे लगभग 5 से 6 मिनट तक धीमी से माध्यम आंच पर भूनें।-बस आपको मसाला अजवाइन पाचक तैयार है आप इसे स्टोर करके 7 से 10 दिनों तक खा सकते हैं।-इस मसाला अजवाइन पाचक को आप दिन में दो बार यानी खाना खाने से 30 मिनट बाद खा सकते हैं।निष्कर्षमसाला अजवाइन पाचक का नियमित सेवन, स्वस्थ पाचन तंत्र को बनाए रखने, पाचन संबंधी समस्याओं को कम करने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर रखने में मदद कर सकता है। लेकिन सीमित मात्रा में इसका सेवन करें, अधिक सेवन से बचें।
- अगर आप बाल से जुड़ी समस्या से परेशान हैं तो इसके लिए ग्वार की गोंद का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल करने से बालों की ग्रोथ होती है साथ ही साथ बाल का टूटना और झड़ना काफी हद तक कम होता है।बालों की ग्रोथ के लिए ग्वार की गोंद कैसे फायदेमंद होती है?बालों को बढ़ाएंग्वार की गोंद बालों के लिए कई तरीकों से फायदेमंद साबित होती है। ग्वार गम या गोंद में मौजूद प्रोटीन और पोषक तत्व बालों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं, जिससे उनका टूटना और झड़ना काफी हद तक कम होता है। इसका इस्तेमाल करने से नए बाल आते हैं साथ ही पुराने बालों की भी ग्रोथ होती है। इसे लगाने से स्कैल्प को पोषण मिलता है, जिससे हेयर फॉलिकल्स ब्लॉक नहीं होते हैं और बालों की ग्रोथ भी होती है।बालों को नमी प्रदान करेंग्वार गम या गोंद का इस्तेमाल करना बालों को नमी देने का भी काम करता है। यह एक प्रकार के नैचुरल कंडीशनर का काम करता है, जो बालों में नमी बनाए रखने में मददगार साबित होता है। अगर आपके बाल ड्राई हैं या बिलकुल बेजान लगते हैं तो ऐसे में आप बालों पर ग्वार गोंद का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे लगाने से सूखे और बेजान बाल हाइड्रेट होते हैं साथ ही बालों की शाइनिंग भी बनी रहती है।डैंड्रफ की समस्या को कम करेंग्वार गम का इस्तेमाल करना आपके डैंड्रफ की समस्या को भी कम करने में मददगार साबित हो सकती है। दरअसल, इसमें एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो स्कैल्प पर जमा होने वाले बैक्टीरिया और फंगस का सफाया करते हैं, जिससे डैंड्रफ की समस्या कम होती है। इसे लगाने से आपका डैंड्रफ की समस्या से राहत मिलती है।बालों को उलझने से बचाएंग्वार गम का इस्तेमाल आप एक नैचुरल कंडीशनर के रूप में कर सकते हैं। अगर आपके बाल उलझते या टूटते हैं तो इसके लिए आप बालों पर ग्वार गम का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बालों को चिकना और सिल्की बनाने का काम करता है, जिससे प्रबंधनीय बनाता है, जिससे उलझने की समस्या खत्म हो जाती है।बालों का टूटना कम करनाग्वार गम बालों की जड़ों को मजबूत करता है और टूटने-फूटने से बचाता है। इसके नियमित उपयोग से बालों का घनत्व बढ़ता है।ग्वार गम का उपयोग कैसे करें?-ग्वार गम हेयर मास्क बनाकर कर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप 1 चम्मच ग्वार गम पाउडर लें। इसमें 2-3 चम्मच पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं। ऊपर से नारियल तेल या एलोवेरा जेल मिलाएं। इस पेस्ट को बालों और स्कैल्प पर लगाएं और 30 मिनट बाद धो लें।-ग्वार गम को शैंपू में मिलाकर उपयोग करें। इसके लिए आप अपने शैंपू में ग्वार गम पाउडर मिलाएं। इससे बालों को अतिरिक्त नमी और पोषण मिलेगा।- ग्वार गम एक प्रभावी और प्राकृतिक उपाय है जो बालों को घना, स्वस्थ और चमकदार बनाने में मदद करता है। इसे सही तरीके से उपयोग करके आप बालों की समस्याओं से निजात पा सकते हैं और बालों की वृद्धि को बढ़ावा दे सकते हैं। नियमित उपयोग से आपको इसके अद्भुत लाभ देखने को मिलेंगे।
- त्वचा को सर्दियों में भी निखारना और मॉइश्चराइज रखना चाहते हैं, तो शहद और अलसी एक बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं। ये दोनों नेचुरल चीजें आपकी त्वचा को न केवल पोषण देती हैं, बल्कि इसे चमकदार और हेल्दी भी बनाती हैं।चेहरे पर शहद और अलसी का उपयोग कैसे करें?1. शहद और अलसी का फेस पैकइसे फेस पैक के बनाने के लिए 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच अलसी का पाउडर और जरूरत अनुसार गुलाबजल चाहिए होगा। इन तीनों सामग्रियों को अच्छे से मिला लें और फिर इसे अपने चेहरे और गर्दन पर लगाएं और 15-20 मिनट तक छोड़ दें और फिर ताजे पानी से धो लें। यह फेस पैक त्वचा को नमी और पोषण प्रदान करता है, जिससे त्वचा सॉफ्ट और ग्लोइंग हो जाती है।2. शहद और अलसी का स्क्रबत्वचा को निखारने के लिए शहद और अलसी का इस्तेमाल स्क्रब के रूप में भी किया जा सकता है। स्क्रब बनाने के लिए 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच अलसी के बीज (दरदरे पिसे हुए) और 1 चम्मच नींबू का रस चाहिए होगा। इन सामग्रियों को मिलाकर एक स्क्रब तैयार करें। हल्के हाथों से इसे चेहरे पर लगाकर मसाज करें, 5-10 मिनट बाद ताजे पानी से धो लें। यह स्क्रब त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाकर उसे निखारता है।3. शहद और अलसी का मॉइश्चराइजिंग लोशनमॉइश्चराइजिंग लोशन बनाने के लिए आपको 2 चम्मच शहद, 1 चम्मच अलसी का तेल और 1 चम्मच एलोवेरा जेल चाहिए होगा। सभी सामग्रियों को अच्छी तरह मिलाकर लोशन तैयार करें और एक शीशी में स्टोर करें। इस लोशन को नहाने के बाद त्वचा पर लगाएं। यह लोशन त्वचा को गहरी नमी और पोषण देता है, जिससे त्वचा की ड्राईनेस कम होती है और उसमें नेचुरल ग्लो आता है।त्वचा के लिए शहद और अलसी के फायदे-शहद में नमी बनाए रखने के गुण होते हैं, जो त्वचा को हाइड्रेटेड रखते हैं।-शहद में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो त्वचा को नुकसान से बचाते हैं।-यह त्वचा को सॉफ्ट बनाता है।-अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाए जाते हैं, जो त्वचा की इलास्टिसिटी को बनाए रखते हैं।-अलसी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा की जलन और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।-अलसी त्वचा को गहराई से पोषण प्रदान करता है और झुर्रियों को कम करती है।सर्दियों में शहद और अलसी का उपयोग त्वचा को ग्लोइंग और मॉइश्चराइज बनाए रखने का एक बेहतरीन तरीका है। इन दोनों सामग्रियों के प्राकृतिक गुण त्वचा को न केवल पोषण देते हैं, बल्कि इसे ड्राईनेस और जलन से भी बचाते हैं। शहद और अलसी से बने फेस पैक, स्क्रब और लोशन को अपने डेली स्किनकेयर रूटीन में शामिल करें और सर्दियों में भी अपनी त्वचा को खूबसूरत और हेल्दी बनाएं।
- महिलाओं को अपनी डाइट में काली किशमिश को जरूर शामिल करना चाहिए। काली किशमिश का सेवन करना उनके लिए कई तरीकों से फायदेमंद हो सकता है।काली किशमिश खाने से महिलाओं की पीरियड्स में अनियमितता से लेकर पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं कई समस्याओं में भी फायदेमंद होती है। काली किशमिश में कई पोषक तत्व होते हैं, जो आपको लंबे समय तक एनर्जेटिक बनाए रखने के साथ ही चुस्त और तंदुरस्त बनाने में भी मददगार होते हैं।एनीमिया से दिलाए राहतमहिलाओं में मासिक धर्म के दौरान कई बार ज्यादा ब्लीडिंग हो जाती है, जिसमें काफी ब्लड लॉस होता है। इसका नतीजा कई बार महिलाओं में एनीमिया का भी कारण बन सकता है। ऐसे में डाइट में काली किशमिश शामिल करने से एनीमिया से राहत मिलती है। काली किशमिश में आयरन की अच्छी मात्रा होती है, जिसे खाने से शरीर में आयरन की कमी पूरी होती है और हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है।पीसीओएस में फायदेमंदपीसीओएस में अक्सर महिलाओं की शरीर में आयरन की कमी हो जाती है। पीसीओएस में काली किशमिश खाने (PCOS me Kali Kishmish Khane ke Fayde) से न केवल आयरन बढ़ता है, बल्कि हार्मोनल इंबैलेंस से भी राहत मिलती है। इसे खाने से महिलाओं में शुगर की क्रेविंग शांत होती है, जिससे पीसीओएस के लक्षणों में सुधार होता है। अगर आपको पीसीओएस है तो आप काली किशमिश को अपनी रेगुलर डाइट में शामिल कर सकती हैं।पीरियड्स में फायदेमंदपीरियड्स के दौरान काली किशमिश का सेवन (Periods me Kali Kishmish Khane ke Fayde) करने से पीरियड्स के दौरान होने वाली दर्द कम होता है। इसके साथ ही पीरियड्स के दौरान कब्ज, अपच और मूड स्विंग्स से भी राहत मिलती है। काली किशमिश खाने से महिलाओं का मासिक चक्र सुचारू रूप से चलता रहता है। काली किशमिश खाने से पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लड क्लॉटिंग से भी बचाव होता है।हड्डियों और जोड़ों के लिए फायदेमंदकुछ महिलाओं अक्सर हड्डियों की समस्या के साथ-साथ जोड़ों के दर्द से भी परेशान रहती हैं। ऐसे में काली किशमिश खाना लाभकारी हो सकता है। काली किशमिश में कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है। वहीं, इसमें मैग्नीशियम भी पाया जाता है, जो कैल्शियम को अवशोषित कर हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसे खाने से बोन मिनरल डेंसिटी भी बढ़ती है, जिससे ओस्टियोपोरोसिस और अर्थराइटिस से बचाव होता है।काली किशमिश खाने के तरीके-काली किशमिश को आप कई तरीकों से डाइट में शामिल कर सकती हैं।-आप चाहें तो काली किशमिश को रातभर के लिए भिगोकर रखें और सुबह उठकर उसका पानी पी लें।-काली किशमिश को भिगोकर भी खाया जा सकता है।-आप चाहें तो दूध के साथ भी काली किशमिश (Black Raisins with Milk) का सेवन कर सकती है।
- आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही प्रकृति में मौजूद लगभग हजारों जड़ी बूटियों से व्यक्ति के रोगों को दूर किया जा रहा है। इसी तरह कुलेखरा (Hygrophila Spinosa) में एक औषधीय जड़ी बूटी है, जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में उपायोग की जाती है। कुलेखरा के पत्तों में विटामिन, कैल्शियम, आयरन, और एंटीऑक्सिडेंट्स पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। यह सभी शरीर को पोषक तत्व प्रदान करते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।कुलेखरा की पत्तियों के फायदेकिडनी संबंधी समस्याओं को दूर करेंकुलेखरा के पत्तों का जूस मूत्रवर्धक गुणों से भरपूर होता है, जो किडनी से अतिरिक्त यूरिक एसिड और पथरी जैसे पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके सेवन से किडनी की हेल्थ बेहतर होती है और यूरिन इंफेक्शन व अन्य समस्याओं का जोखिम कम होता है।आयरन की कमी को दूर करेंकुलेखरा की पत्तियों में आयरन की मात्रा पाई जाती है, जिन लोगों को खून की कमी होती है उनको हिमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए कुलेखरा की पत्तियों का जूस पीने की सलाह दी जाती है। इससे हिमोग्लोबिन में बढ़ोतरी होती है, जिससे शरीर के सभी अंगों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है और सभी अंग बेहतर तरीके से कार्य करते हैं। इसके सेवन से व्यक्ति को कमजोरी और थकान में भी राहत मिलती है।लिवर के लिए आवश्यककुलेखरा की पत्तियों का जूस एक नेचुरल डिटॉक्सिफायर की तरह कार्य करता है। यह लिवर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन्स) को बाहर निकालने में मदद करता है। साथ ही, लिवर के कार्य में सुधार करता है। इससे फैटी लिवर, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों से भी बचाव होता है। साथ ही, अपच और पाचन तंत्र बेहतर बनता है।इम्यूनिटी को मजबूत बनाता हैकुलेखरा के पत्तों में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और विटामिन C शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं। यह सर्दी, खांसी और वायरल संक्रमण से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। ऐसे में आपको बार-बार संक्रमण होने का जोखिम कम होता है।त्वचा और बालों के लिए फायदेमंदकुलेखरा के पत्तियों का जूस त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह त्वचा में निखार लाने और बालों को मजबूत व घना बनाने में मदद करता है। त्वचा में होने वाले दाग-धब्बों को आसानी से कम करता है और बालों के झड़ने की समस्या को रोकता है।कुलेखरा की पत्तियों के जूस का सेवन कैसे करें? --कुलेखरा की ताजी पत्तियों को लें।-इसके बाद आप इन पत्तियों को पीस कर इसका जूस निकाल लें।-शुरुआत में आप खाली पेट करीब आधा गिलास पानी में इस जूस की तीन से चार चम्मच मिलाकर पीना शुरू करें।-कुछ ही दिनों में आपको शरीर में फर्क दिखने लगेगा।कुलेखरा की पत्तियों का जूस बाजार में भी उपलब्ध होता है। यह डायबिटीज को कम करने और पाचन क्रिया को भी बेहतर करता है। इसके सेवन से पहले आप किसी आयुर्वेदाचार्य की सलाह अवश्य लें। डॉक्टर आपकी मौजूदा स्थिति के आधार पर आपको निश्चित मात्रा पीने की सलाह दे सकते हैं।
- बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों में दर्द होना आम बात है। उम्र बढ़ने के साथ या फिर खराब लाइफस्टाइल के कारण अक्सर लोगों में गठिया की समस्या होने लगती है। लेकिन आज के समय में कम उम्र के युवाओं में भी जोड़ों से जुड़ी समस्याएं काफी ज्यादा बढ़ गई है। हर तीसरा व्यक्ति अपने जोड़ों में दर्द, अकड़न या किसी न किसी तरह की समस्या होने की शिकायत करता है। दरअसल, आपके जोड़ों में होने वाला दर्द, सिर्फ शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं, बल्कि कई बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। जी हां, जोड़ों में होने वाले दर्द आपको शरीर से जुड़ी अन्य बीमारियों के बारे में संकेत दे सकते हैं।कौन सी बीमारी से जोड़ों में दर्द होता है?1. नॉक-नीजअगर आपके पैर धनुषाकार में मुड़ें हुए हैं या आपको नॉक नीज की समस्या है तो यह शरीर में विटामिन डी की कमी के कारण हो सकता है। इस समस्या को बढ़ने से रोकने के लिए आप सूरज की रोशनी में बैठे, डाइट और सप्लीमेंट के जरिए विटामिन डी की कमी पूरी करने की कोशिश करें।2. बुजुर्गों में ऑस्टियोआर्थराइटिसबुजुर्गों में जोड़ों का दर्द और अकड़न ऑस्टियोआर्थराइटिस का संकेत हो सकता है। ऐसे में उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी के स्तर की नियमित जांच करना जरूरी है। DEXA स्कैन के जरिए ऑस्टियोपोरोसिस का पता लगाने से फ्रैक्चर की समस्या को रोकने में मदद मिल सकती है।3. गाउटगाउट, गठिया का एक रूप है, जिसमें आपके शरीर में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ जाता है और जोड़ों में यूरिक एसिड के क्रिस्टल जमा हो जाते हैं। इस समस्या में खासकर आपके पैर के अंगूठे में ज्यादा दर्द और सूजन हो सकती है। इसका इलाज करने के लिए आप अपनी डाइट में बदलाव या यूरिक एसिड को कम करने वाली दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह पर कर सकते हैं।4. रुमेटीइड गठियारुमेटीइड गठिया, एक ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें आपके शरीर के एंटीबॉडी ही आपके टिशू पर हमला करते हैं, जिससे सूजन की समस्या हो सकती है। इसके इलाज के लिए आप आरए फैक्टर और एंटी-सीसीपी एंटीबॉडी के लिए ब्लड टेस्ट करवा सकते हैं। साथ ही, लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए और बीमारी को बढ़ने से रोकने के लिए डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें।5. फ्रोजन शोल्डरफ्रोजन शोल्डर की समस्या अक्सर डायबिटीज या हाइपोथायरायडिज्म जैसी बीमारियों का संकेत हो सकती है। इन स्थितियों को कंट्रोल करने के लिए आप कंधे से जुड़ा एक्सरसाइज कर सकते हैं, जिससे आपको दर्द से भी राहत मिल सकती है।
- साबुत अनाज पोषक-तत्वों से भरपूर होते हैं। आमतौर पर इन अनाजों को डाइट में शामिल करने से शरीर को फायदे होने चाहिए। मगर यहां सवाल यह उठता है कि क्या सच में साबुत अनाज का सेवन शरीर के लिए फायदेमंद होता है या नहीं? विशेषज्ञों के अनुसार साबुत अनाज का सेवन शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद है। साबुत अनाज में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और फाइबर जैसे पोषक-तत्वों की अच्छी मात्रा पाई जाती है। बता दें कि फाइबर गट हेल्थ के लिए बहुत अच्छा होता है। साथ ही, यह शरीर को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है। इससे वजन घटाने में मदद मिल सकती है। इसके बाद भी व्यक्ति को साबुत अनाज का सेवन करते हुए मात्रा का ख्याल रखना चाहिए। उदाहरण के लिए आप साबुत अनाज से बने हेल्दी बिस्कुट को खाते हैं, लेकिन इसमें शुगर की मात्रा ज्यादा होती है। ऐसे में ये बिस्कुट सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। यही कारण है कि आपको पूरी तरह से साबुत अनाज के सेवन पर निर्भर नहीं होना चाहिए। आप इसे अन्य हेल्दी चीजों के साथ कम मात्रा में खा सकते हैं। आइए साबुत अनाज खाने से होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं।साबुत अनाज खाने से शरीर को होते हैं ये फायदेहार्मोनल इंबैलेंस की समस्या से बच सकते हैंसाबुज अनाज के सेवन से हार्मोनल इंबैलेंस की समस्या से बचा जा सकता है। इसमें विटामिन-बी6 होता है। यह हार्मोन को बैलेंस करने में मदद करता है। ऐसे में आप पीरियड्स की समस्या में होने वाले मूड स्विंग्स, दर्द और ब्लोटिंग की समस्या से बच सकते हैं।वजन कम करने में फायदेमंदजैसा हमने आपको बताया कि साबुत अनाज खाने से वजन कम करने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखता है। इस कारण आप ओवर ईटिंग से बच जाते हैं और वजन कम हो सकता है।पाचन-तंत्र के लिए है गुणकारीसाबुत अनाज के सेवन से आप खुद को पाचन से जुड़ी समस्याओं से बचा सकते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जो कब्ज को दूर करने के साथ पेट में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं। इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म प्रोसेस तेज होता है।डायबिटीज होगी कंट्रोलसाबुत अनाज खाने से डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इसमें फाइबर होता है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है। इससे कोलेस्ट्रॉल को भी कम किया जा सकता है।आप हेल्दी जीवन जीने के लिए साबुत अनाज का सेवन कर सकते हैं। हालांकि, आपको इन्हें ज्यादा मात्रा में नहीं खाना चाहिए। इससे शरीर को फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है। आप इसे अन्य हेल्दी चीजों के साथ कंबाइन करके खा सकते हैं। आप डाइट में साबुत अनाज को शामिल करने से पहले इसकी मात्रा और खाने के समय जैसी जानकारियां डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से ले सकते हैं।
- हल्दी आयुर्वेद से लेकर घरेलू नुस्खों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली नेचुरल चीजों में से एक है। हल्दी का लेप लगाकर जहां चोट से आराम पाने की कोशिश की जाती है वहीं, हल्दी वाला दूध उन सभी हेल्थ प्रॉब्लम्स से आराम दिलाता है जो मौसम बदलने के साथ लोगों को महसूस होती हैं। दादी-नानी के नुस्खों में भी हल्दी का इस्तेमाल स्किन से लेकर पेट की समस्याओं के लिए किया जाता है। इसी तरह हल्दी वाला पानी पीने से भी कई हेल्थ प्रॉब्लम्स में आराम मिल सकता है। जैसे वेट लॉस के लिए हल्दी वाला पानी पीना बहुत लाभकारी हो सकता है। इसी तरह पेट और कमर के आसपास जमा फैट या बेली फैट भी हल्दी का पानी पीने से तेजी से कम हो सकता है। आइए जानएं कि हल्दी वाला पानी पीने का सही समय क्या है और किस तरह से तैयार किया जाता है हल्दी वाला पानी।बेली फैट कम करने में हल्दी वाला पानी कैसे है कारगरआप अगर अपना वजन कम करना चाहते हैं तो आप घर पर ही हल्दी वाला पानी तैयार करके पी सकते हैं। हल्दी का पानी सुबह खाली पेट पीने से शरीर का मेटाबॉलिज्म तेज होता है। हल्दी वाला पानी पीने से बॉडी फैट को कम करने में भी मदद होती है।हल्दी वाला पानी बनाने का तरीका2 गिलास पानी लें और इसमें एक चम्मच अदरक का पेस्ट मिलाएं।फिर इस पानी में कच्ची हल्दी का पेस्ट मिला दें। आप कच्ची हल्दी की गांठ को कूटकर उसका दरदरा पेस्ट बना सकते हैं और इस पानी में मिला सकते हैं।रातभर के लिए इस मिश्रण को ढंककर रख दें।फिर, अगले दिन सुबह हल्दी-अदरक वाला पानी को अच्छी तरह उबालकर पका लें।फिर, इस पानी को छानकर पिएं।सुबह खाली पेट हल्दी वाला पीने से क्या फायदे होते हैं?-हल्दी में मौजूद एंटीबैक्टेरियल और एंटीऑक्सीडेंट्स आपके इम्यून सिस्टम को मजबूती देते हैं और आपके शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाते हैं। जिससे आप बार-बार बीमार नहीं पड़ते।-हल्दी वाला पानी पीने से हार्ट हेल्थ बूस्ट होती है।-सर्दियों में होनेवाले जॉइंट पेन की समस्या भी हल्दी का पानी पीने से कम होती है।-यह पानी पीने से लिवर की सफाई भी हो जाती है।=हल्दी का पानी पीने से डाइजेशन बेहतर होता है और डाइजेस्टिव पॉवर बढ़ने से पेट की समस्याएं कम होती हैं।
- कुछ लोग खुद को सेहतमंद रखने के लिए अलग-अलग तरह के हर्ब्स को अपनी डाइट का हिस्सा बनाते हैं। इन्हीं जड़ी-बूटियों में कुसुम का फूल भी शामिल है। कुसुम का फूल दिखने में काफी सुंदर लगता है। लेकिन, क्या आपको पता है, इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में औषधि के रूप में किया जाता है।कुसुम के फूल क्या है?कुसुमा, जिसे कार्थमस टिंक्टरियस के नाम से भी जाना जाता है, एक बहुमुखी फूल है, जिसका उपयोग सदियों से आयुर्वेद में अलग-अलग बीमारियों के इलाज के लिए किया जा रहा है। आयुर्वेद में, कुसुम के फूल को त्रिदोषों को संतुलित करने वाली जड़ी बूटी मानी जाती है, जिसका मतलब है कि यह तीनों दोषों- वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है। यह अपने औषधीय गुणों के लिए कई तरह की दवाइयों में भी इस्तेमाल किया जाता है, जो आपके ओवरऑल हेल्थ को बेहतर रखने में मदद करता है। यह पुष्प केसरिया लाल रंग के फूल होते हैं, जो गोल गुच्छों में मिलते है।कुसुम के फूल की तासीर क्या होती है?कुसुम के फूल का शरीर पर ठंडा प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण यह शरीर की सूजन को कम करने और स्किन पर होने वाली जलन को शांत करने में बेहद फायदेमंद माना जाता है। इस फूल का कड़वा और कसैला स्वाद पाचन तंत्र को संतुलित करने, अपच और ब्लोटिंग के लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है।कुसुम खाने से क्या फायदा होता है? -कुसुम के सेवन के कई स्वास्थ्य फायदे हैं। दरअसल, यह विरेचन गुणों से भरपूर होता है, जो आपके शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकाल कर पेट साफ करने में मदद करता है। इसके साथ ही, यह वात कारक होने के कारण यूरीन से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करता है। कुसुम के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण इसका सेवन करने से शरीर में सूजन और दर्द को कम करने में मदद मिलती है। इतना ही नहीं कुसुम का कड़वा और कसैला स्वाद आपके पाचन तंत्र को बेहतर रखने और अपच के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। सेहत के साथ-साथ कुसुम के फूल आपकी त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। कुसुम का ठंडा प्रभाव आपकी स्किन पर एक्ने, एक्जिमा और डर्मेटाइटिस जैसी स्थितियों के कारण होने वाली जलन को शांत करने में मदद करता है। पीलिया के मरीजों को ठीक करने के लिए भी कुसुन के फूलों का पानी पिलाया जाता है, क्योंकि ये पसीने की मदद से पीलिया को ठीक करने में मदद करता है।कुसुम का सेवन किसे नहीं करना चाहिए?आमतौर पर कुसुम के फूल को सेवन के लिए सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कुछ स्थितियों और व्यक्तियों को इसके सेवन से बचना चाहिए या फिर इसका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। कुसुम का फूल गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये फूल गर्भाशय को उत्तेजित कर सकता है और संकुचन की समस्या पैदा कर सकता है, जो गर्भावस्था के दौरान परेशान का कारण बन सकता है। कुछ लोगों को कुसुम के फूल से एलर्जी हो सकती है, जिससे एलर्जी रिएक्सन हो सकता है, इसिलए, एलर्जी वाले व्यक्ति को भी इसका सेवन किसी भी रूप में करने से बचना चाहिए। इसके अलावा, ब्लीडिंग डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को भी कुसुम के फूल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये शरीर में रक्त के थक्के को धीमा कर सकता है, जो हीमोफिलिया जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है।कुसुम का सेवन कैसे करना चाहिए?कुसुम के फूल का सेवन चाय, तेल या पाउडर के रूप में कई तरह से किया जा सकता है। अपनी डाइट में आप रोजाना 2 ग्राम से 4 ग्राम कुसुम का फूल शामिल कर सकते हैं। आप इसका सेवन थोड़ी मात्रा से शुरू करें और जरूरत के हिसाब से धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ाएं। कुसुम के फूल को आप हल्दी और अदरक जैसी अन्य जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर भी खा सकते हैं। लेकिन, ध्यान रहे आप इसके औषधीय लाभों को बढ़ाने के लिए अच्छी क्वालिटी का कुसुम खरीदें या फिर घर में ही इसका पौधा लगाएं।आयुर्वेद में कुसुम एक औषधीय जड़ी बूटी है, जो कई तरह के स्वास्थ्य लाभों से भरपूर होता है। ऐसे में अपनी डाइट में कुसुम के फूल को शामिल करने से आप अपने ओवरऑल हेल्थ को बेहतर रखते हैं और अच्छी सेहत को बढ़ावा दे सकते हैं। कुसुम के फूल का सेवन आपके पाचन को बेहतर रखने, स्किन की जलन को कम करने आदि तरीके से फायदेमंद हो सकता है। लेकिन अगर आप किसी तरह की दवाइ का सेवन करते हैं तो इसे अपनी डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।
- आजकल के गलत खानपान और खराब जीवनशैली के कारण हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या लोगों में आम हो गई है। दरअसल, कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में मौजूद एक चिपचिपा पदार्थ होता है। हमारे शरीर में दो तरह का कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है, गुड कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) और दूसरा बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल)। गुड कोलेस्ट्रॉल शरीर के बेहतर कामकाज के लिए जरूरी होता है। वहीं, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर यह नसों में जमा होने लगता है और धमनियों को ब्लॉक कर सकता है। इसके कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करना बहुत जरूरी हो जाता है। शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए आपको अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर आप शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करना चाहते हैं, तो गेहूं आटे में एक खास चीज को मिक्स करके इसकी रोटियां बनाकर खा सकते हैं। आइए, जानते हैं बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए गेहूं के आटे में क्या मिलाकर खाएं?बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए गेहूं के आटे में मिक्स करें अजवाइनशरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए आप रोटी बनाते समय गेहूं के आटे में अजवाइन मिला सकते हैं। दरअसल, अजवाइन में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं, जो शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स लेवल को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही, यह गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में भी मदद करता है। इसके अलावा, इसमें थायमिन और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में मदद कर सकते हैं, जिससे दिल की बीमारियों का जोखिम कम हो सकता है। नियमित रूप से इस तरह से बनी रोटियों का सेवन करने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है। साथ ही, डायबिटीज और मोटापे की समस्या से भी छुटकारा मिल सकता है।कैसे बनाएं गेहूं के आटे और अजवाइन की रोटी?सबसे पहले एक कप गेहूं का आटा लें। इसमें 1-2 चम्मच अजवाइन डालकर मिक्स कर लें। अब इसमें पानी डालकर अच्छी तरह से आटा गूंथ लें। फिर इसे 15-20 मिनट के लिए ढककर रख दें। अब इस आटे से रोटियां बनाकर सेंक लें। नियमित रूप से इस तरह से बनी हुई रोटी खाने से बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है। साथ ही, सेहत को कई लाभ भी मिल सकते हैं।
- आजकल के समय में सर्दी के मौसमी केहर के साथ-साथ प्रदूषण भी लोगों को बीमार बनाने में एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। ऐसे में कई लोग छाती और गले में बलगम जमने की समस्या का सामना कर रहे हैं। आमतौर पर बलगम की समस्या से बचने के लिए लोग अंग्रेजी दवाइयों और कफ सिरप का सेवन करते हैं। हालांकि, इससे बलगम की समस्या का हल नहीं होता है। अगर आप भी छाती और गले में जमे बलगम के कारण परेशान हैं, तो कुछ आसान और असरदार नुस्खे अपना सकते हैं।सरसों के तेल की मालिशगले और छाती में जमे बलगम से बचने के लिए आप सरसों के तेल से मालिश कर सकते हैं। इसके लिए आपको सरसों के तेल में नमक डालना है। अब इस तेल को गर्म करें और अपनी छाती पर मालिश करें। यह नुस्खा वयस्कों, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिए कारगर साबित होगा।शहद और त्रिकटु चूर्णआयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों को मिलाकर चूर्ण बनाया जाता है। इन्हीं में से एक त्रिकटु चूर्ण होता है। इसे काली मिर्च, पिप्पली और सौंठ को मिलाकर बनाया जाता है। ऐसे में आप शहद के साथ त्रिकटु चूर्ण को मिलाकर खाना खाने के बाद खा सकते हैं। इससे बलगम की समस्या से बचा जा सकता है।सितोपलादि चूर्णबलगम की समस्या से बचने के लिए आप शहद के साथ सितोपलादि चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन कर सकते हैं। त्रिकटु चूर्ण की ही तरह सितोपलादि चूर्ण भी होता है। इसे बनाने के लिए मिश्री को काटकर उसका पाउडर बनाया जाता है। इसके बाद पिपली और वंशलोचन को पीसकर पाउडर बना लेते हैं। आपका सितोपलादि चूर्ण तैयार है। शहद और सितोपलादि का कॉम्बिनेशन बलगम की समस्या के लिए फायदेमंद होता है।अगर आप लंबे समय से गले और छाती में जमे बलगम की स्थिति का सामना कर रहे हैं, तो शरीर को ढेरों फायदे हो सकते हैं। आप ऊपर बताए इन नुस्खों से बलगम की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। इसके साथ ही, आपको सर्दी और प्रदूषण दोनों से खुद को बचाना चाहिए। ऐसे में आप मास्क लगा सकते हैं। इससे दूषित हवा शरीर के अंदर नहीं जाएगी। साथ ही, चेहरे के आसपास गर्मी भी बनी रहेगी।
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हॉलीवुड के बड़े अदाकार हैं जेसन चेम्बर्स. इन दिनों स्किन कैंसर से लड़ाई लड़ रहे हैं। . इसकी तस्दीक अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए की। . बताया कि मेलेनोमा से जूझ रहे हैं। . अपने प्रशंसकों को एक हिदायत भी दी.। आखिर मेलेनोमा होता क्या है? कैसे सूरज जो जीवन को रोशन करता है,। उससे मिलने वाला विटामिन डी जो हड्डियों के लिए वरदान होता है जान के लिए आफत का सबब बन सकता है? सूर्य की तेज किरणों के संपर्क में आने पर स्किन कैंसर होने का खतरा रहता है। सूर्य की पराबैंगनी किरणें त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं इसलिए सावधानी रखना बेहद जरूरी है। .
डब्ल्यूएचओ के इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के मुताबिक 2022 में मेलेनोमा से लगभग 60,000 लोगों की मौत हो गई। . दुनिया के अधिकांश क्षेत्रों में, मेलेनोमा से महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा पीड़ित बताए गए.। वहीं, ‘मैकेनिकल बिहैवियर ऑफ बायोमैटीरियल्स’ पत्रिका में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार सूर्य की पराबैंगनी किरणें त्वचा की सबसे ऊपरी परत (स्ट्रेटम कॉर्नियम) में कोशिकाओं के बीच पहुंचकर उसे कमजोर करती है.। लिहाजा, धूप में ज्यादा समय तक रहने से त्वचा सनबर्न का शिकार हो जाती है और स्किन कैंसर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.। स्किन कैंसर के कई प्रकार होते हैं। . हालांकि, इनमें से तीन बेसल सेल - कार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, मेलेनोमा सबसे आम हैं.।बेसल सेल कार्सिनोमा त्वचा कैंसर का सबसे आम प्रकार है। . यह आमतौर पर त्वचा के उन हिस्सों को प्रभावित करता है, जिस पर बहुत अधिक धूप पड़ती है. । जैसे चेहरा, हाथ है। . स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा त्वचा कैंसर का दूसरा सबसे आम प्रकार है.। यह अक्सर सूरज के संपर्क में आने वाली त्वचा पर भी विकसित होता है, जैसे कि चेहरा, कान, होंठ, हाथों के पीछे, हाथ और पैर पर। .मेलेनोमा त्वचा कैंसर का सबसे घातक रूप है.। यह त्वचा पर या किसी मौजूदा तिल में विकसित हो सकता है। . ऐसे तिल जिनका आकार, रंग या आकृति बदल जाती है या जिनमें दर्द और खुजली जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। . गर्मी हो या जाड़ा, हर मौसम में सूर्य की विकिरण हमारे त्वचा को नुकसान पहुंचाती है.। विशेषज्ञों के अनुसार चाहे कोई भी मौसम हो विकिरण से अपनी त्वचा की सुरक्षा के लिए सचेत रहना चाहिए.।सुरक्षित रूप से धूप का आनंद लेने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि अपनी त्वचा की सुरक्षा के लिए छाया में रहें,। त्वचा को हमेशा कवर करके रहें और सनस्क्रीन का इस्तेमाल करते रहें। . जैसा जेसन चैम्बर ने अपने अनुभव के आधार पर बताया भी.। हालांकि, ऐसा नहीं है कि सनस्क्रीन लगाने के बाद आप धूप में ज़्यादा समय बिता सकते हैं., लेकिन यह त्वचा के उन हिस्सों की सुरक्षा के लिए सही रहता है जिसे आप कपड़ों या छाया से ढक नहीं सकते.।सूरज से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं और त्वचा कैंसर का कारण बन सकती हैं.। आप कुछ आसान सी टिप्स को फॉलो कर अपनी त्वचा की रक्षा कर सकते हैं.। इसके लिए सबसे पहले है छाया में रहना। . सुबह 12 बजे से दोपहर 3 बजे तक की धूप सबसे तेज होती है. । इस दौरान छाया में समय बिताएं.। बाहर निकलते वक्त या घर में रहने के दौरान यदि आप धूप में बैठना चाहते हैं तो भी अपने शरीर को कपड़े से ढकें, सिर पर टोपी पहनें और धूप के चश्मे लगाएं.।धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन लगाना फायदेमंद हो सकता है.। कम से कम एसपीएफ 30 वाला सनस्क्रीन लगाएं । . इसे धूप की संपर्क में आने से पहले बिना लापरवाही किए लगाएं.धूप में सीधे तौर पर या ज्यादा समय तक रहने से किसी को भी सनबर्न हो सकता है। . हर तरह के त्वचा वालों में सनबर्न के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं. । गहरे रंग वालों में यह खुजली के रूप में तो गोरे त्वचा वालों के लिए सनबर्न लाल या गुलाबी भी दिख सकता है.। -
एक्सपर्ट के मुताबिक वेट लॉस में आप दोनों तरह की इडली खा सकते हैं। लेकिन वजन घटाने के लिए सूजी की इडली ज्यादा बेहतर है। सूजी की इडली में फाइबर अधिक होता है। जबकि चावल की इडली को दाल के साथ मिलाकर बनाया जाता है। इसलिए उसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट दोनों ज्यादा होता है। लेकिन आप जो भी ऑप्शन चुनें मात्रा का ध्यान जरूर रखें। क्योंकि ज्यादा मात्रा में खाने से वजन बढ़ सकता है।
ब्रेकफास्ट के लिए क्या बेहतर ऑप्शन है?अगर आप सूजी की इडली खाते हैं, तो शरीर को फाइबर मिलेगा और वेट लॉस में मदद मिलेगी। लेकिन अगर आप चावल की इडली खाते हैं, तो आपको पोषक तत्व ज्यादा मिलेंगे। इसलिए अगर आपको हेल्दी ब्रेकफास्ट ऑप्शन चुनना है तो आप चावल की इडली खा सकते हैं। लेकिन अगर आप कैलोरी डेफिसिट डाइट पर हैं तो आपको सूजी की इडली खानी चाहिए।इन बातों का रखें ध्यान-ध्यान रखें कि इडली बनाते वक़्त उसमें सब्जियां जरूर एड करें। इससे शरीर को खाने के सभी पोषक तत्व मिलेंगे।-ज्यादा से ज्यादा सब्जियां एड करने से इडली में फाइबर भी बढ़ जाएगा। इसमें इसमें प्याज, शिमला मिर्च, गाजर जैसी सब्जियां जरूर एड करें।-इडली का सेवन कम मात्रा में ही करें। क्योंकि ज्यादा मात्रा में खाने से पाचन तंत्र को नुकसान हो सकता है।-ज्यादा मात्रा में सेवन से कैलोरी इंटेक भी बढ़ सकता है। इसकी वजह से वजन कम होने के बजाय बढ़ सकता है।-इडली के साथ साम्भर या चटनी जरूर एड करें। इससे शरीर को बैलेंस्ड मील मिलेगा और इसे पचाना भी आसान होगा।