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काठमांडू | नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल द्वारा शपथ दिलाई गई। यह कदम प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद उठाया गया है, जिन्होंने युवाओं के नेतृत्व में चल रहे बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के कारण पद छोड़ा। शपथ ग्रहण समारोह आज शाम 8:45 बजे स्थानीय समय पर राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में आयोजित हुआ। प्रमुख राजनीतिक दलों और विरोध प्रदर्शन करने वाले समूहों के बीच बनी आम सहमति के बाद नेपाली राष्ट्रपति कार्यालय ने शुक्रवार को उनके नाम का ऐलान किया। इसके बाद कार्की ने शुक्रवार रात को ही पद की पद की शपथ ली।
नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की इससे पहले जुलाई 2016 में तब सुर्खियों में आईं जब वह नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं थीं। बता दें कि सुशीला कार्की का चयन जन-जेड आंदोलन के युवाओं ने किया, जिन्होंने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को गिराया था। उन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म डिस्कॉर्ड पर हुई वोटिंग में सबसे अधिक समर्थन मिला।कार्की का चयन नेपाल की राजनीति में सहमति का दुर्लभ क्षण माना जा रहा है। उन्हें न केवल युवाओं का बल्कि परंपरागत राजनीतिक दलों का भी समर्थन प्राप्त हुआ है। उनका लक्ष्य व्यवस्था बहाल करना, चुनाव कराना और नेपाल के विकास को गति देना है। उन्हें न्यायपालिका में स्वतंत्रता बनाए रखने और ईमानदारी के लिए जाना जाता है। सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को बिराटनगर के शंकरपुर में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री और 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। 1979 से वकालत शुरू करने के बाद उन्होंने कोशी जोनल बार एसोसिएशन और बिराटनगर अपीलीय बार की अध्यक्षता की। 2009 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 2016 में वह पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बड़े भ्रष्टाचार मामलों पर सख्त फैसले सुनाए।हालांकि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में नेपाली कांग्रेस कोटे से लाया गया था, लेकिन उनके सहयोगियों का कहना है कि उन्होंने हमेशा स्वतंत्रता बनाए रखी और कभी राजनीतिक दबाव में नहीं आईं। 2017 में उनके खिलाफ तत्कालीन शेरबहादुर देउबा सरकार द्वारा महाभियोग प्रस्ताव लाया गया, जिसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई माना गया क्योंकि वह उस समय पुलिस प्रमुख की नियुक्ति पर फैसला देने वाली थीं। कार्की को साहसी और ईमानदार नेता माना जाता है। उनका जीवन सादा और गांधीवादी है। पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज आनंद मोहन भट्टाराय ने कहा कि कार्की और उनके पति दुर्गा सुबेदी ने नेपाल के लोकतांत्रिक आंदोलन में अहम योगदान दिया है। दुर्गा सुबेदी कांग्रेस नेता हैं और 1973 में हुए एक विमान अपहरण में शामिल रहे थे, जिसे पंचायती शासन विरोधी आंदोलन को सहयोग देने के लिए किया गया था।वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता बिपिन अधिकारी का कहना है कि सुशीला कार्की हमेशा से ईमानदार रही हैं और अब उन्हें सरकार चलाने के लिए एक मजबूत टीम की आवश्यकता होगी। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि नई पीढ़ी की सोच के साथ तालमेल बिठाना उनके लिए मुश्किल हो सकता है, लेकिन उनके समर्थकों का विश्वास है कि वह संक्रमण काल में लोकतांत्रिक सिद्धांतों के साथ सफल नेतृत्व करेंगी।
- काठमांडू:। नेपाल में छात्रों के नेतृत्व में हाल ही में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान देशभर में लगभग दो दर्जन होटल में तोड़फोड़, लूटपाट या आगजनी की घटनाएं दर्ज की गईं। इससे पर्यटन आधारित नेपाली अर्थव्यवस्था के राजस्व अर्जित करने वाले महत्वपूर्ण घटक होटल उद्योग को 25 अरब रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। शुक्रवार को प्रकाशित एक खबर में यह जानकारी दी गई है।समाचार पोर्टल 'माई रिपब्लिका' की खबर में होटल एसोसिएशन नेपाल (एचएएन) के हवाले से कहा गया है कि काठमांडू का हिल्टन होटल हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ, जहां आठ अरब रुपये से अधिक का नुकसान दर्ज किया गया है।शुरुआत में तो ये प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया के प्रतिबंध जैसे मुद्दों को लेकर किया जा रहा था, लेकिन कुछ ही समय में इसने हिंसक रूप ले लिया, जिससे इस देश के कई हिस्सों में तोड़फोड़, आगजनी और लूटपाट की घटनाएं सामने आईं. इस हिंसा और प्रदर्शन का सबसे बड़ा नुकसान नेपाल के होटल इंडस्ट्री को हुआ है. एक रिपोर्ट के अनुसार पिछसे एक सप्ताह के भीतर इस देश के होटल इंडस्ट्री को लगभग 25 अरब रुपये का भारी नुकसान हुआ है. इस हिंसक प्रदर्शन में खासकर काठमांडू, पोखरा और अन्य बड़े शहरों के होटल तबाह हो गए, जिससे हजारों लोगों की नौकरी खतरे में आ गई है.इस जेन-जी आंदोलन से सबसे ज्यादा काठमांडू का मशहूर हिल्टन होटल प्रभावित हुआ, जहां अकेले 8 अरब रुपये का नुकसान हुआ है. इसके अलावा पोखरा, बुटवल, झापा, विराटनगर जैसे शहरों के होटलों को भी भारी नुकसान हुआ. होटल एसोसिएशन नेपाल ने बताया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए इस आंदोलन में लगभग 24 होटलों को नुकसान पहुंचा है. इस नुकसान की वजह से कई होटल अभी बंद पड़े हैं और काम फिर से शुरू करने के लिए मरम्मत और इसे फिर से बनाने की जरूरत है. इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि होटल बुकिंग में 50% की गिरावट से होटल मालिकों में भारी चिंता है.
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ह्यूस्टन. कमीशन-मुक्त व्यापार मंच रॉबिनहुड के सह-संस्थापक और भारतीय-अमेरिकी उद्यमी बैजू भट्ट को साल 2025 की फोर्ब्स 400 सूची में अमेरिका के 10 सबसे युवा अरबपतियों में शामिल किया गया है। भट्ट (40) इस प्रतिष्ठित सूची में जगह बनाने वाले भारतीय मूल के एकमात्र व्यक्ति हैं। उन्हें सोशल मीडिया कंपनी मेटा के मार्क जुकरबर्ग जैसे तकनीकी दिग्गजों के साथ फोर्ब्स 400 सूची में शामिल किया गया है। भट्ट की कुल अनुमानित संपत्ति छह से सात अरब अमेरिकी डॉलर के बीच है, जो मुख्य रूप से रॉबिनहुड में उनकी लगभग छह प्रतिशत हिस्सेदारी पर आधारित है। भट्ट के माता-पिता भारत के गुजरात राज्य से अमेरिका के वर्जीनिया प्रांत में जाकर बस गए थे। उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से भौतिकी और गणित विषयों में उच्च शिक्षा हासिल की। इसके बाद 2013 में व्लाद टेनेव के साथ मिलकर रॉबिनहुड की स्थापना की। इस मंच अमेरिका में खुदरा निवेश की सूरत बदल दी है, कमीशन-मुक्त व्यापार की पेशकश की है और बेहतर बचत की संभावनाएं उपलब्ध कराई हैं। फोर्ब्स 400 सूची में भट्ट का शामिल होना युवा तकनीकी उद्यमियों के उदय और अमेरिका के वित्तीय एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में भारतीय मूल के लोगों के बढ़ते दबदबे को रेखांकित करता है।
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ह्यूस्टन. भारत के महावाणिज्य दूतावास ने शहर में प्रवासी संगठनों के सहयोग से दिल्ली के हिंदी 'रॉक फ्यूजन' बैंड 'अंतरिक्ष' का एक संगीत कार्यक्रम आयोजित किया। इस बैंड का नेतृत्व संगीतकार, गायक और गिटारवादक वरुण राजपूत कर रहे थे। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित, अंतरिक्ष-बॉलीवुड लाइव में हिंदी फिल्मों के गीतों की धुनों और वैश्विक रॉक का मिश्रण प्रस्तुत किया गया, जिसमें सांस्कृतिक कूटनीति और लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने में संगीत की भूमिका को दर्शाया गया। राजपूत द्वारा 2012 में स्थापित ‘अंतरिक्ष' बैंड ने भारत में एक प्रमुख स्वतंत्र हिंदी रॉक बैंड के रूप में अपनी पहचान बनाई है। यह बैंड रॉक, जैज, फंक और विश्व संगीत को हिंदी फिल्मों के मशहूर गीतों के साथ मिश्रित करता है। इसने पूर्व मेगाडेथ गिटारवादक मार्टी फ्रीडमैन के साथ भी काम किया है। बॉलीवुड गायिकाओं शिल्पा राव और हर्षदीप कौर के साथ राजपूत की साझेदारी और ‘जी ले जरा' व ‘तस्वीरें' जैसे लोकप्रिय गीत बैंड की बहुआयामी पहचान को दर्शाते हैं। ह्यूस्टन में आयोजित इस संगीत कार्यक्रम में भारतीय-अमेरिकी प्रवासी समुदाय की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखने को मिली। दर्शकों ने बैंड की ऊर्जा से भरपूर प्रस्तुति और आधुनिक व शास्त्रीय संगीत के बेहतरीन मिश्रण की सराहना की। हाल ही में सिएटल में प्रस्तुति के बाद, ‘अंतरिक्ष' बैंड इस बृहस्पतिवार को डलास में अपना ‘डबल बॉलीवुड धमाका' कार्यक्रम लेकर आ रहा है।
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काठमांडू. नेपाल सरकार के लिए अंतरिम प्रमुख के चयन को लेकर गतिरोध बृहस्पतिवार को भी जारी रहा, वहीं राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शांति की अपील करते हुए कहा कि उनका लक्ष्य संवैधानिक ढांचे के भीतर राजनीतिक संकट का समाधान ढूंढना है। अंतरिम सरकार के लिए राजनीतिक बातचीत जारी रहने के बीच काठमांडू और देश के अन्य हिस्सों में स्थिति शांतिपूर्ण बनी हुई है, जहां सेना संवेदनशील इलाकों में गश्त कर रही है। अधिकारियों के अनुसार, सोमवार से शुरू हुए दो दिनों के हिंसक प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 34 हो गई है। सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले ‘जेन जेड' के प्रतिनिधियों ने अंतरिम सरकार के संबंध में शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक की, लेकिन वार्ता में इस मुद्दे पर गतिरोध उत्पन्न हो गया कि इसका नेतृत्व कौन करेगा। वर्ष 1997 से लेकर 2012 तक के बीच जन्में युवाओं को प्राय: ‘जेन जेड' पीढ़ी के नाम से जाना जाता है।
सूत्रों ने बताया कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की, काठमांडू के महापौर बालेन्द्र शाह, नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) कुलमन घीसिंग और धरान के महापौर हरका उन लोगों में शामिल हैं, जिनके नाम पर प्रदर्शनकारी ‘जेन जेड' समूह सरकार का नेतृत्व करने के लिए विचार कर रहा है। खबरों के अनुसार, सोमवार को हिंसा शुरू होने के बाद से 25 से अधिक जेलों से 15,000 से अधिक कैदी भाग चुके हैं। नेपाल में हालात धीरे धीरे सामान्य होने के बीच सेना ने बृहस्पतिवार को काठमांडू घाटी के तीन जिलों में निषेधाज्ञा बढ़ा दी, तथा कुछ निश्चित समयावधि के लिए लोगों की आवाजाही की अनुमति दे दी। राष्ट्रपति पौडेल ने कहा, "मैं कानून-व्यवस्था बनाए रखने, लोकतंत्र की रक्षा करने और संवैधानिक ढांचे के भीतर मौजूदा राजनीतिक गतिरोध से बाहर निकलने का हरसंभव प्रयास कर रहा हूं।'' पौडेल वर्तमान में सैन्य सुरक्षा में हैं।
मंगलवार को ‘जेन जेड' के प्रदर्शनकारी समूहों द्वारा राष्ट्रपति कार्यालय और उनके निजी आवास पर आगजनी के बाद से उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया। प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद पहली टिप्पणी में पौडेल ने कहा, "मैं सभी पक्षों से अपील करता हूं कि वे इस बात पर विश्वास रखें कि आंदोलनकारी नागरिकों की मांगों को पूरा करने के लिए समस्या का जल्द से जल्द समाधान निकाला जा रहा है और संयम के साथ देश में शांति और व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें।" सेना के एक प्रवक्ता ने पुष्टि की कि विभिन्न हितधारकों के साथ बातचीत जारी है। हालांकि, उन्होंने किसी का नाम नहीं बताया। उन्होंने कहा, "हम विभिन्न हितधारकों के साथ कई दौर की बातचीत कर रहे हैं। बातचीत मुख्य रूप से मौजूदा गतिरोध से बाहर निकलने का रास्ता खोजने और साथ ही देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखने पर केंद्रित है।" सूत्रों का कहना है कि महापौर शाह ने कार्की के प्रति अपना समर्थन जताया है, लेकिन अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि नए मंत्रिमंडल का नेतृत्व कौन करेगा। कुछ कार्यकर्ताओं ने कार्की के प्रति समर्थन जताया, जबकि कुछ ने घीसिंग के पक्ष में आवाज़ उठाई। इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि सोमवार और मंगलवार को हुए जबरदस्त विरोध प्रदर्शनों में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश भर के अस्पतालों में 1,338 लोग भर्ती हैं, जबकि 949 को पहले ही छुट्टी दे दी गई है। अधिकारियों ने बताया कि बृहस्पतिवार को मधेस प्रांत के रामेछाप जिला जेल में कैदियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक झड़प में तीन कैदियों की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए। मंगलवार से भड़की हिंसा के दौरान सुरक्षा बलों के साथ हुई झड़पों में मरने वाले कैदियों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है। अखबार ‘द काठमांडू पोस्ट' ने पुलिस के हवाले से कहा, ‘‘जेल से भागने की घटनाएं तब शुरू हुईं जब युवा प्रदर्शनकारियों ने कई जेलों में धावा बोल दिया, प्रशासनिक भवनों में आग लगा दी और जेल के दरवाज़े जबरन खोल दिए। बुधवार शाम तक प्रारंभिक रिपोर्ट से पुष्टि हुई कि 25 से ज़्यादा जेलों से 15,000 से ज़्यादा कैदी भाग गए थे, जिनमें से केवल कुछ ही स्वेच्छा से लौटे या फिर से गिरफ्तार किए गए।'' ‘जेन जेड' समूह के कुछ नेताओं ने काठमांडू में एक प्रेस वार्ता आयोजित की, जहां उन्होंने कहा कि संसद को भंग कर देना चाहिए और जनता की इच्छा के अनुरूप संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए। उन्होंने बातचीत और सहयोग के ज़रिए समाधान निकालने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने पुराने राजनीतिक दलों को चेताया कि वे अपने निहित स्वार्थों के लिए उनका इस्तेमाल न करें। एक कार्यकर्ता ने कहा, "यह पूरी तरह से नागरिक आंदोलन है, इसलिए इसमें राजनीति करने की कोशिश न करें।" कार्यकर्ता दिवाकर दंगल ने कहा, "हमारे सामने राष्ट्रीय संप्रभुता, एकता की रक्षा और आत्म-सम्मान बनाए रखने की चुनौती है। हम सभी नेपालियों को इस मुश्किल हालात में नेपाली जनता के कल्याण और हितों की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए।" एक कार्यकर्ता ने कहा कि संसद को भंग कर देना चाहिए और लोगों की भावना के अनुसार संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "हमारा संविधान को ख़त्म करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन हम चाहते हैं कि लोगों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए कुछ बड़े संशोधन किए जाएं।" एक कार्यकर्ता ने कहा, "हम सरकार में भाग नहीं लेंगे, बल्कि एक प्रहरी बने रहना चाहते हैं।"
कर्फ्यू हटते ही लोग ज़रूरी सामान खरीदने के लिए बाज़ारों, दुकानों और किराने की दुकानों की ओर दौड़ पड़े। सड़कों पर इक्का-दुक्का वाहन ही दिखे। बृहस्पतिवार शाम 7 बजे से शुक्रवार सुबह 6 बजे तक रात्रि कर्फ्यू लागू रहेगा। देश भर में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद मंगलवार रात से सुरक्षा का नियंत्रण अपने हाथ में लेने वाली सेना ने चेतावनी दी है कि किसी भी प्रकार के प्रदर्शन, तोड़फोड़, आगजनी या व्यक्तियों और संपत्ति पर हमले को आपराधिक कृत्य माना जाएगा और उसके अनुसार ही निपटा जाएगा। काठमांडू के कुछ हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे प्रमुख दलों के छात्रों के एक छोटे समूह ने चेतावनी दी है कि नयी सरकार के गठन के समय संविधान को संरक्षित किया जाना चाहिए तथा लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए। आव्रजन विभाग ने एक नोटिस में कहा कि जिन लोगों का वीजा आठ सितंबर के बाद समाप्त हो गया है और वे नेपाल में रह रहे हैं, वे बिना किसी शुल्क के निकास परमिट प्राप्त कर सकते हैं। नोटिस में कहा गया है, "जिन विदेशी नागरिकों का वीजा आ सितंबर तक वैध था और जिन्हें कर्फ्यू अवधि के दौरान प्रस्थान करना आवश्यक है, उन्हें संबंधित प्रस्थान बिंदुओं पर आव्रजन कार्यालयों से अतिरिक्त शुल्क के बिना वीजा नियमितीकरण और निकास की अनुमति दी जाएगी।" इसी प्रकार, उन विदेशी नागरिकों के लिए भी वीजा हस्तांतरण की आवश्यक व्यवस्था की गई है, जिन्होंने अशांति के दौरान अपना पासपोर्ट खो दिया और अपने संबंधित दूतावासों से यात्रा दस्तावेज या आपातकालीन पासपोर्ट प्राप्त कर लिया है। नेपाल के केंद्रीय बैंक, नेपाल राष्ट्र बैंक ने सभी वाणिज्यिक बैंकों को पूर्वाह्न 10 बजे से दोपहर दो बजे तक ग्राहकों के लिए अपनी सेवाएं बहाल करने का निर्देश दिया है। ‘जेन जेड' समूह के प्रदर्शन के कारण बैंक बंद रहे। नेपाल सेना ने काठमांडू से लगभग 60 किलोमीटर पूर्व में बनेपा नगर पालिका के नयाबस्ती इलाके से बरामद आठ देशी बम को नष्ट कर दिया है। सुरक्षा बलों ने देश भर की विभिन्न जेलों से भागे 166 कैदियों को काबू कर लिया है। साथ ही, देश के विभिन्न हिस्सों से 97 अवैध हथियार भी बरामद किए हैं। ये हथियार प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षाकर्मियों से कुछ लोगों ने लूटे थे। -
ओरेम (अमेरिका). अमेरिका में उताह के एक कॉलेज में बुधवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी और रूढ़िवादी कार्यकर्ता चार्ली किर्क की गोली मारकर हत्या कर दी गई। किर्क अपने गैर-लाभकारी राजनीतिक संगठन ‘टर्निंग पॉइंट यूएसए' द्वारा ‘उताह वैली विश्वविद्यालय' के ‘सोरेंसन सेंटर' प्रांगण में आयोजित एक बहस में बोल रहे थे। गोलीबारी से ठीक पहले, किर्क एक दर्शक द्वारा भीड़ पर गोलीबारी करने और हिंसा के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। तभी हमलावर ने कुछ दूरी से परिसर की एक छत से गोली चलाई।
अधिकारियों का कहना है कि हमलावर चीख-पुकार और छात्रों में मची भगदड़ के बीच फरार हो गया। संघीय, राज्य और स्थानीय अधिकारी बृहस्पतिवार तड़के तक अज्ञात हमलावर की तलाश में जुटे रहे। उताह के जन सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को दो लोगों को हिरासत में लिया गया था, लेकिन किसी की भी गोलीबारी से कोई संलिप्तता नहीं पाई गई और उन्हें रिहा कर दिया गया। अधिकारियों को अभी तक इस हत्या के मकसद का पता नहीं चल पाया है लेकिन इस घटना ने अमेरिका में बढ़ती राजनीतिक हिंसा को लेकर चिंता को फिर से बढ़ा दिया है, जो पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न विचारधाराओं के लोगों के बीच देखी गई है। डोनाल्ड ट्रंप ने 31 वर्षीय चार्ली किर्क की मृत्यु की खबर सोशल मीडिया पर साझा की। ट्रंप ने किर्क की प्रशंसा करते हुए उन्हें ‘‘महान व्यक्ति'' बताया। किर्क युवा संगठन 'टर्निंग प्वाइंट यूएसए' के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे। ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल' पर पोस्ट किया, ‘‘चार्ली से बेहतर अमेरिका के युवाओं को कोई नहीं समझता था और न ही उनसे दिल से जुड़ पाता था।'' वहीं, उताह के गवर्नर स्पेंसर कॉक्स ने इस घटना को ‘‘राजनीतिक हत्या'' करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे राज्य के लिए एक काला और देश के लिए एक दुखद दिन है। मैं इसे स्पष्ट रूप से एक राजनीतिक हत्या ही कहूंगा।'' सोशल मीडिया पर उपलब्ध एक वीडियो में देखा जा सकता है कि ‘उताह वैली यूनिवर्सिटी' में किर्क एक सफेद टेंट के नीचे माइक हाथ में लेकर बोल रहे थे। टेंट पर ‘‘द अमेरिकन कमबैक'' और ‘‘प्रूव मी रॉन्ग'' जैसे नारे लिखे हुए थे। तभी एक गोली चली, और किर्क को अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाते हुए देखा गया, जबकि उनकी गर्दन के बाईं ओर से काफी खून बह रहा था। -
न्यूयॉर्क/वाशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता के ‘‘सफल निष्कर्ष'' पर पहुंचने में ‘‘कोई मुश्किल'' नहीं होगी और वह जल्द ही ‘‘अपने अच्छे दोस्त'' प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात करेंगे। इसे भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंगलवार को ‘ट्रुथ सोशल' पर एक पोस्ट में कहा कि उन्हें यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते में जो बाधाएं हैं, उन्हें दूर करने के लिए बातचीत जारी है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आने वाले हफ्तों में अपने सबसे अच्छे दोस्त, प्रधानमंत्री मोदी से बात करने के लिए उत्सुक हूं। मुझे भरोसा है कि हमारे दोनों देशों के बीच वार्ता ठीक तरह से पूरी हो जाएगी, कोई मुश्किल नहीं आएगी।'' ट्रंप की यह टिप्पणी द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण सुधार का संकेत देती है। अमेरिका की ओर से शुल्क (टैरिफ) लगाए जाने और भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर दोनों देशों के बीच संबंध दो दशकों में संभवत: सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क और रूसी तेल की खरीद के लिए अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाया है। इससे भारत पर कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। भारत ने इन शुल्कों को ‘‘अनुचित और विवेकहीन'' बताया है।
रूसी कच्चे तेल की अपनी खरीद का बचाव करते हुए भारत का कहना है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की परिस्थितियों से प्रेरित है। कई महीनों तक भारत की आलोचना करने के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते कहा था कि दोनों देशों के बीच ‘विशेष संबंध' हैं और चिंता की कोई बात नहीं है। ट्रंप ने ‘व्हाइट हाउस' में अपने कार्यालय ‘ओवल ऑफिस' में शुक्रवार को कहा, ‘‘मैं हमेशा (नरेन्द्र) मोदी का दोस्त रहूंगा... वह शानदार प्रधानमंत्री हैं लेकिन मुझे इस समय उनके द्वारा किए जा रहे काम पसंद नहीं आ रहे हैं। भारत और अमेरिका के बीच विशेष संबंध है, चिंता की कोई बात नहीं है। बस कभी-कभी कुछ ऐसे पल आ जाते हैं।'' इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि वह भारत-अमेरिका संबंधों के सकारात्मक आकलन के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सराहना करते हैं। मोदी ने कहा, "हम राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और हमारे संबंधों को लेकर उनकी सकारात्मक राय की सराहना करते हैं और उसका पूरी तरह से समर्थन करते हैं।"
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वाशिंगटन. अमेरिका की एक संघीय अदालत ने मंगलवार को फैसला दिया कि फेडरल रिजर्व गवर्नर लिसा कुक अपने पद पर बनी रह सकती हैं। यह फैसला अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के फेडरल रिजर्व पर नियंत्रण के प्रयासों के लिए झटका है। फेडरल रिजर्व एक स्वतंत्र संस्था है जो कम अवधि के लिए ब्याज दरें तय करती है ताकि कीमतें स्थिर रहें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को नौकरी मिले। कुक के वकीलों ने कहा कि उन्हें हटाना गलत है क्योंकि राष्ट्रपति फेडरल गवर्नर को काम में लापरवाही, जिम्मेदारी न निभाना या पद पर रहते हुए कोई गलत काम करने जैसे ठोस कारणों से ही हटा सकते हैं। वकीलों ने यह भी कहा कि कुक को आरोपों पर जवाब देने का मौका और सुनवाई का मौका मिलना चाहिए था लेकिन उन्हें यह नहीं दिया गया। दायर याचिका में लिसा ने आरोपों से इनकार किया है लेकिन ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है। ट्रंप ने 25 अगस्त को कहा था कि वह कुक को हटा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि वह कुक को इसलिए बर्खास्त कर रहे हैं क्योंकि उन पर संपत्ति ऋण धोखाधड़ी का आरोप है। कुक पर यह आरोप ऋण क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों ‘फैने मेई' और ‘फ्रेडी मैक' को नियंत्रित करने वाली एजेंसी में ट्रंप द्वारा नियुक्त बिल पुल्टे ने कई हफ्तों पहले लगाए थे। कुक को पद से हटाने का यह कदम तब उठाया गया जब उन्होंने कहा कि ट्रंप द्वारा इस्तीफा मांगे जाने के बावजूद वह अपना पद नहीं छोड़ेंगी।
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पेरिस. फ्रांस में प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू की सरकार गिरने के एक दिन बाद राजधानी पेरिस और अन्य स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने सड़कें अवरुद्ध कर दीं, आगजनी की और पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले दागे। गृह मंत्री ने राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के शुरुआती घंटों में लगभग 200 लोगों की गिरफ्तारी की घोषणा की। विरोध प्रदर्शन हालांकि ऑनलाइन शुरू हुआ था लेकिन बाद में यह तीव्र होता गया और 80,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती को चुनौती देते हुए प्रदर्शनकारियों ने अवरोधकों को तोड़ दिया जिसके बाद पुलिस ने तेजी से गिरफ्तारियां कीं। गृह मंत्री ब्रूनो रिटेलेउ ने कहा कि पश्चिमी शहर रेन्नेस में एक बस में आग लगा दी गई और दक्षिण-पश्चिम में एक बिजली लाइन को नुकसान पहुंचने से रेलगाड़ियां बाधित हुईं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारी “विद्रोह का माहौल” बनाने का प्रयास कर रहे हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने मंगलवार देर रात रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। लगभग एक साल में देश को चौथी बार नया प्रधानमंत्री मिला है।
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नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने न्यूयॉर्क में आज बुधवार को आपात बैठक बुलाने का फैसला किया है। यह कदम इजरायल द्वारा कतर की राजधानी दोहा में हमास नेताओं पर किए गए हवाई हमले के बाद उठाया गया है। यह हमला ऐसे समय हुआ जब हमास प्रतिनिधि अमेरिकी समर्थन वाले युद्धविराम प्रस्ताव की समीक्षा कर रहे थे।
वहीं इजरायल के संयुक्त राष्ट्र में राजदूत डैनी डैनन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी दी कि यह बैठक आज बुधवार को दोपहर 3 बजे (स्थानीय समयानुसार) होगी। डैनन ने कहा कि इजरायल आतंकवादियों को कहीं भी सुरक्षित नहीं रहने देगा और निर्णायक कार्रवाई जारी रखेगा। उन्होंने लिखा, “दोहा में हमास नेतृत्व पर हुए हमले के बाद UNSC आज आपात बैठक करेगा। मैं परिषद को स्पष्ट संदेश दूंगा कि आतंकियों को गाजा, लेबनान या कतर कहीं भी छिपने की जगह नहीं मिलेगी।”वहीं सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को इजराइल ने “समिट ऑफ फायर” नामक अभियान के तहत दोहा के वेस्ट बे लगून इलाके में हमास के ठिकानों को निशाना बनाया। यह क्षेत्र एक उच्चस्तरीय आवासीय इलाका है, जहां कतर के विदेश मंत्रालय के मुताबिक हमास का राजनीतिक ब्यूरो रह रहा था। हमले में हमास के छह सदस्य मारे गए जिनमें मुख्य वार्ताकार खलील अल-हैया के बेटे और उनके कार्यालय के निदेशक शामिल थे। इसके अलावा एक कतरी सुरक्षा अधिकारी की भी मौत हो गई। हालांकि, अल-हैया खुद इस हमले में सुरक्षित बच गए।हमले के तुरंत बाद कतर के विदेश मंत्रालय ने इसे “कायरतापूर्ण” और “आपराधिक” हमला बताते हुए कड़ी निंदा की। मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल अंसारी ने कहा कि यह हमला अंतरराष्ट्रीय कानून और मानदंडों का उल्लंघन है और कतर की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। उन्होंने यह भी कहा कि जांच उच्च स्तर पर शुरू कर दी गई है और सभी जिम्मेदार एजेंसियां हालात को नियंत्रित करने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में जुटी हैं।कतर ने चेतावनी दी कि वह इस तरह के “लापरवाही भरा इजरायली व्यवहार” को बर्दाश्त नहीं करेगा और क्षेत्रीय शांति को बिगाड़ने वाली किसी भी कार्रवाई का विरोध करेगा। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया को भी जन्म दिया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इजराइल के इस हमले की निंदा करते हुए कहा, “आज कतर पर हुए इजरायली हमले किसी भी कारण से स्वीकार्य नहीं हैं। मैं कतर और उसके अमीर शेख तमीम अल थानी के साथ एकजुटता व्यक्त करता हूं। किसी भी हालत में यह युद्ध पूरे क्षेत्र में नहीं फैलना चाहिए।”यह हमला खास तौर पर इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि कतर गाजा युद्धविराम वार्ताओं में अमेरिका का प्रमुख साझेदार और मध्यस्थ रहा है। अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इस आपात बैठक और उसमें लिए जाने वाले निर्णयों पर टिकी हैं। - -
नई दिल्ली। नेपाली सेना ने देश में जारी अशांत स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कर्फ्यू की अवधि बढ़ाने की घोषणा की है। सेना ने एक बयान जारी कर कहा कि वह देश में शांति और सुरक्षा बनाए रखने की अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस कठिन समय में नागरिकों के सहयोग के लिए सेना ने उन्हें धन्यवाद दिया है। साथ ही, हाल के आंदोलन के दौरान हुई जानमाल की हानि पर गहरा दुख व्यक्त किया।
सेना की ओर से जारी बयान के मुताबिक, विभिन्न अराजक तत्व और समूह अभी भी घुसपैठ कर रहे हैं और आंदोलन का फायदा उठाकर तोड़फोड़, आगजनी, लूटपाट, हिंसक हमले और महिलाओं पर अत्याचार की कोशिश जैसी गतिविधियों में लिप्त हैं।सेना ने सभी नागरिकों से सहयोग की अपील कीइन घटनाओं को रोकने के लिए सेना ने सभी नागरिकों से सहयोग की अपील की है। शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान कर्फ्यू को 10 सितंबर शाम 5 बजे तक पूरे देश में लागू रखा जाएगा। इसके बाद, कर्फ्यू अगली सुबह 6 बजे तक जारी रखा जाएगा। आगे की स्थिति का आकलन करने के बाद नई जानकारी जारी की जाएगी।नेपाल में बीते कुछ दिनों से जेन-जी के नेतृत्व में हो रहे प्रदर्शननेपाल में पिछले कुछ दिनों से जेन-जी (Gen Z) के नेतृत्व में प्रदर्शन हो रहे हैं, जो सरकार के भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंधों के खिलाफ हैं। इन प्रदर्शनों में अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हुए हैं। हिंसा के कारण काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी बंद करना पड़ा, जिससे उड़ानें प्रभावित हुई हैं।कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास जारीसेना ने कहा कि वह स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर स्थिति पर नजर रख रही है और कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सेना ने नागरिकों से अपील की है कि वे अफवाहों से बचें और शांति बनाए रखने में सहयोग करें। वहीं, आपात स्थिति में लोगों को सेना और पुलिस से संपर्क करने की सलाह दी गई है। ( - काठमांडू,। नेपाली सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों ने मंगलवार को एक संयुक्त अपील जारी कर प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए संकट का समाधान करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री (के पी शर्मा ओली) का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है, इसलिए हम सभी से संयम बरतने और इस कठिन परिस्थिति में जान-माल को और नुकसान न होने देने की अपील करते हैं।'' उन्होंने सभी संबंधित पक्षों से राजनीतिक बातचीत के जरिए समस्या का शांतिपूर्ण समाधान निकालने की भी अपील की। संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण समाधान ही व्यवस्था और स्थिरता बहाल करने का एकमात्र तरीका है।'' बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में नेपाली सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल, नेपाल सरकार के मुख्य सचिव ई. नारायण आर्यल, गृह सचिव गोकर्ण दावडी, सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) के प्रमुख राजू आर्यल, पुलिस महानिरीक्षक चंद्र कुबेर खापुंग और राष्ट्रीय जांच विभाग के प्रमुख हुतराज थापा शामिल हैं। यह अपील ऐसे समय में की गई है, जब प्रदर्शनकारियों ने संसद, सिंह दरबार परिसर, उच्चतम न्यायालय, राजनीतिक दलों के कार्यालयों और वरिष्ठ नेताओं के आवास में आग लगा दी।काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के मेयर बालेन शाह ने एक अलग बयान में सभी से शांति बनाए रखने का आग्रह किया। उनका यह बयान प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की घोषणा के तुरंत बाद आया। उन्होंने सभी से सेना प्रमुख से बातचीत के लिए तैयार रहने को भी कहा, लेकिन जोर देकर कहा कि पहले संसद भंग होनी चाहिए। उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘‘हमने शुरू से ही स्पष्ट कर दिया था -- यह पूरी तरह से ‘जेन ज़ी' का आंदोलन है। प्रिय ‘जेन-ज़ी', आपके उत्पीड़क का इस्तीफा पहले ही आ चुका है। अब, कृपया शांत रहें।'' आंदोलनकारी युवकों ने पूर्व प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस प्रमुख शेर बहादुर देउबा के काठमांडू के पूर्व में बूढ़ा नीलकंठ स्थित घर को जला दिया। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें प्रदर्शनकारियों को देउबा और उनकी पत्नी एवं पूर्व विदेश मंत्री आरजू राणा को उनके आवास से बंधक बनाते हुए देखा जा सकता है। इस झड़प में उन्हें मामूली चोटें आई हैं। प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू स्थित पांच सितारा होटल हिल्टन में भी आग लगा दी। माना जाता है कि देउबा के बेटे जयबीर की इस होटल में बड़ी हिस्सेदारी है। उन्होंने ललितपुर के खुमालतार स्थित आरजू के स्वामित्व वाले उल्लेंस स्कूल में भी तोड़फोड़ की। स्थिति तनावपूर्ण है, क्योंकि प्रदर्शनकारियों को विभिन्न सरकारी कार्यालयों पर कब्जा करते और उनमें तोड़फोड़ करते देखा गया। सुरक्षाकर्मी लगभग तमाशबीन बन गए। अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत होने को लेकर ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए सैकड़ों आंदोलनकारियों के उनके कार्यालय में घुसने के तुरंत बाद, मंगलवार को उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
- काठमांडू,। नेपाल में के. पी. शर्मा ओली ने 2024 में तीसरी बार सत्ता संभालते समय देश में राजनीतिक स्थिरता आने की उम्मीद जगाई थी लेकिन सोशल मीडिया पर पाबंदी और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं के जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन के कारण प्रधानमंत्री पद से उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। विरोध प्रदर्शन के परिणामस्वरूप पुलिस गोलीबारी में कम से कम 19 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए हैं।ओली को चीन समर्थक रुख रखने के लिए जाना जाता है। उनके इस्तीफे ने नेपाल को एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता की ओर धकेल दिया है, जहां पिछले 17 वर्षों में 14 सरकारें रही हैं। अपने मित्र रहे पुष्प कमल दाहाल 'प्रचंड' का साथ छोड़ने और प्रतिद्वंद्वी से मित्र बने शेर बहादुर देउबा के साथ हाथ मिलाने के बाद जुलाई 2024 में ओली सत्ता में आए थे। देउबा प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी - नेपाली कांग्रेस - का नेतृत्व कर रहे थे।सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष ओली ने 'प्रचंड' को छोड़कर नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनाने के अपनी पार्टी के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि देश में राजनीतिक स्थिरता और विकास बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है। ओली, जो किशोरावस्था में एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में शामिल हुए और अब समाप्त हो चुकी राजशाही का विरोध करने के लिए 14 साल जेल में बिताए थे, अक्टूबर 2015 में पहली बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे। उनके 11 महीने के कार्यकाल के दौरान, काठमांडू के नयी दिल्ली के साथ संबंध तनावपूर्ण रहे थे। उन्होंने नेपाल के आंतरिक मामलों में कथित हस्तक्षेप के लिए भारत की सार्वजनिक रूप से आलोचना की और नयी दिल्ली पर उनकी सरकार गिराने का आरोप लगाया। हालांकि, उन्होंने दूसरे कार्यकाल के लिए पदभार ग्रहण करने से पहले आर्थिक समृद्धि की राह पर आगे बढ़ने को लेकर भारत के साथ साझेदारी करने का वादा किया था। ओली फरवरी 2018 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, जब सीपीएन (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और 'प्रचंड' के नेतृत्व वाली सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) के गठबंधन ने 2017 के चुनावों में प्रतिनिधि सभा में बहुमत हासिल किया। उनकी जीत के बाद, मई 2018 में दोनों दलों का औपचारिक रूप से विलय हो गया।अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान, ओली ने दावा किया कि नेपाल के राजनीतिक मानचित्र को फिर से तैयार करने और उसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तीन भारतीय क्षेत्रों (लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा) को उनकी सरकार द्वारा शामिल किये जाने के बाद, उन्हें अपदस्थ करने के प्रयास किये गए। बाईस फरवरी 1952 को पूर्वी नेपाल के तेरहथुम जिले में जन्मे ओली, मोहन प्रसाद और मधुमाया ओली की सबसे बड़ी संतान हैं। उनकी मां की चेचक से मृत्यु के बाद उनकी दादी ने उनका पालन-पोषण किया। उन्होंने नौवीं कक्षा में ही स्कूल छोड़ दिया और राजनीति में आ गए। हालांकि, बाद में उन्होंने जेल से मानविकी विषयों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई की। उनकी पत्नी, रचना शाक्य, भी एक कम्युनिस्ट कार्यकर्ता हैं। ओली ने 1966 में राजा के प्रत्यक्ष शासन के तहत निरंकुश पंचायत प्रणाली के खिलाफ लड़ाई में शामिल होकर एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। वह फरवरी 1970 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए। पार्टी की सदस्यता लेने के तुरंत बाद भूमिगत हो गए। उसी वर्ष, उन्हें पंचायत सरकार ने पहली बार गिरफ़्तार किया। 1971 में, उन्होंने झापा विद्रोह का नेतृत्व संभाला, जिसकी शुरुआत जिले के जमींदारों का सिर कलम करके की गई थी। ओली नेपाल के उन गिने-चुने राजनीतिक नेताओं में से एक हैं जिन्होंने कई साल जेल में बिताए। वह 1973 से 1987 तक लगातार 14 साल जेल में रहे। जेल से रिहा होने के बाद, वह यूएमएल की केंद्रीय समिति के सदस्य बने और 1990 तक लुम्बिनी क्षेत्र के प्रभारी रहे। पंचायत शासन को गिराने वाले वर्ष 1990 के लोकतांत्रिक आंदोलन के बाद ओली ने देश में लोकप्रियता हासिल की।
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नई दिल्ली। Gen-Z के विरोध प्रदर्शनों के चलते बढ़ते दबाव और 19 लोगों की मौत के बाद, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार दोपहर अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। उन्होंने देशभर में अपने शासन के ख़िलाफ़ तेज़ होते प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल को इस्तीफ़ा पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने देश में “असामान्य स्थिति” का हवाला दिया।
ओली ने अपने इस्तीफ़ा पत्र में कहा कि उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 77(1) के तहत पद छोड़ा है ताकि मौजूदा संकट का संवैधानिक समाधान निकाला जा सके। ओली 14 जुलाई 2024 को प्रधानमंत्री बने थे, जो नेपाली कांग्रेस (संसद की सबसे बड़ी पार्टी) के साथ बनी सहमति के तहत हुआ था। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, काठमांडू के मेयर बालेन शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।सोमवार को 19 प्रदर्शनकारियों की मौत के बाद मंगलवार को प्रदर्शन और उग्र हो गए, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन में एक के बाद एक दरारें दिखने लगीं। विशेष रूप से नेपाली कांग्रेस से जुड़े कई मंत्रियों ने इस्तीफ़ा देकर सरकार पर और दबाव बनाया। सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा और विश्वप्रकाश शर्मा ने पहले ही प्रधानमंत्री ओली से इस्तीफ़ा देने और आगे का रास्ता साफ़ करने का आग्रह किया था।थापा और शर्मा ने एक बयान में कहा कि सरकार गठन के समय नेपाली कांग्रेस और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के बीच हुआ सात सूत्रीय समझौता अब प्रासंगिक नहीं रह गया है।फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि नेपाल की राजनीति अब किस दिशा में जाएगी, क्योंकि चौथी सबसे बड़ी पार्टी — राष्ट्रीय स्वतन्त्र पार्टी — के सभी सांसदों ने भी इस्तीफ़ा देकर अंतरिम सरकार की मांग की है।सोमवार को भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के ख़िलाफ़ जवाबदेही की मांग को लेकर जनरेशन-ज़ेड द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में लोगों की मौत से ग़ुस्साए प्रदर्शनकारियों ने देशभर में नेताओं के घरों और सरकारी भवनों पर हमला शुरू कर दिया।मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू के बानेश्वर में संसद भवन में घुसकर उसमें आग लगा दी। सोमवार को भी वे इमारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर चुके थे, जिसके जवाब में पुलिस की सख़्त कार्रवाई हुई और कई लोगों की जान गई।प्रदर्शनकारी सिंह दरबार (नेपाल सरकार का मुख्य प्रशासनिक केंद्र) में भी घुस गए और मुख्य द्वार को आग के हवाले कर दिया।काठमांडू घाटी में स्थित सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) [CPN (UML)] और नेपाली कांग्रेस के मुख्यालयों को भी आग के हवाले कर दिया गया और तोड़फोड़ की गई।देश के कई हिस्सों में सरकारी दफ्तरों में भी तोड़फोड़ और आगज़नी की घटनाएं स्थानीय मीडिया द्वारा रिपोर्ट की गई हैं। प्रशासन के अनुसार, काठमांडू में हालात बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं। स्थानीय प्रशासन द्वारा कर्फ्यू लगाए जाने के बावजूद घाटी के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन तेज़ होते जा रहे हैं।गृह मंत्री और कृषि मंत्री के बाद, स्वास्थ्य और जनसंख्या मंत्री प्रदीप पौडेल और युवा एवं खेल मंत्री तेजु लाल चौधरी ने भी Gen-Z प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ बल प्रयोग पर खेद जताते हुए अपने-अपने पदों से इस्तीफ़ा दे दिया।प्रधानमंत्री ओली के बालाकोट (काठमांडू के भक्तपुर) स्थित आवास में आगज़नी का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। प्रदर्शनकारियों ने सिंह दरबार में भी जबरन प्रवेश किया।ललितपुर जिला प्रशासन कार्यालय के मुख्य जिला अधिकारी सुमन घिमिरे ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री दाहाल के आवास को आग के हवाले कर दिया और वे अब सरकार के मंत्रियों के लिए निर्धारित आवासों के बाहर एकत्र हो रहे हैं।उन्होंने कहा, “जिले के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भड़क उठे हैं और स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।”इसी तरह, भक्तपुर ज़िले के मुख्य जिला अधिकारी नमराज घिमिरे ने भी ज़िले में हालात तनावपूर्ण बने रहने की पुष्टि की।उन्होंने कहा, “हमने अब तक अत्यधिक संयम बरता है और प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के आदेश नहीं दिए हैं।”स्थानीय मीडिया ने पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और पूर्व गृहमंत्री रमेश लेखक के आवासों को जलाए जाने की खबरें भी दी हैं। -
न्यूयॉर्क/वाशिंगटन. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भारत का नाम लिए बिना कहा है कि रूस के साथ सौदा करने वाले देशों पर टैरिफ (शुल्क) लगाना ‘‘सही विचार'' है। जेलेंस्की ने रविवार को एबीसी न्यूज के ‘‘दिस वीक'' कार्यक्रम में प्रसारित एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उन देशों पर टैरिफ लगाने का विचार सही है जो रूस के साथ सौदे करना जारी रखे हुए हैं...मुझे लगता है कि यह सही विचार है।'' जेलेंस्की से पूछा गया था कि क्या उन्हें लगता है कि तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की तस्वीरें देखकर प्रतिबंध लगाने की उनकी योजना उल्टी पड़ गई। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ दोगुना करके 50 प्रतिशत कर दिया है, जिसमें रूसी कच्चे तेल की भारत द्वारा खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है। भारत ने अमेरिकी कार्रवाई को ‘‘अनुचित और अविवेकपूर्ण'' करार दिया है।
तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर पुतिन के साथ मोदी की बैठक से दो दिन पहले, जेलेंस्की ने 30 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री को फोन किया था। उन्होंने रूस के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक के लिए अपनी उत्सुकता जाहिर की और कहा कि युद्ध की समाप्ति तत्काल युद्धविराम से होनी चाहिए। फोन पर बातचीत के बाद, भारत द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि मोदी ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारत के ‘‘दृढ़ और एक समान रुख'' तथा शीघ्र शांति बहाल करने के प्रयासों के प्रति समर्थन को दोहराया। - नई दिल्ली। जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने आज रविवार को पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि हाल के लगातार चुनावी हार की जिम्मेदारी लेते हुए वे पद छोड़ रहे हैं। 68 वर्षीय इशिबा ने टेलीविजन पर प्रसारित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मैंने लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। मैंने महासचिव मोरियामा से कहा है कि वे अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया शुरू करें।”इशिबा ने पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री पद संभाला था। तब से वे इस्तीफे की मांगों का सामना कर रहे थे, लेकिन अब पार्टी के भीतर दबाव बढ़ने के कारण उन्होंने पद छोड़ने का निर्णय लिया। उन्होंने चेतावनी दी कि उनका इस्तीफा जापान को राजनीतिक खालीपन में डाल सकता है, जबकि देश अमेरिकी टैरिफ, बढ़ती महंगाई, चावल नीति सुधार और क्षेत्रीय तनाव जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है।यह फैसला हाल ही में हुए ऊपरी सदन (Upper House) के चुनावों में एलडीपी-कोमेटो गठबंधन की करारी हार के बाद आया है। इन चुनावों में गठबंधन को बहुमत गंवाना पड़ा, जिसे जापान टाइम्स ने बड़ी राजनीतिक हार बताया है। इससे पहले इशिबा ने शुक्रवार को यह कहा था कि वे आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज लागू करने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का दबाव लगातार बढ़ता गया। उनका कहना था कि अगर इशिबा नेतृत्व चुनाव से पहले नहीं हटते तो पार्टी में और गहरी फूट पड़ सकती है।इमोशनल अंदाज में इशिबा ने कहा, “जापान ने व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर लिए हैं और अध्यक्ष ने कार्यकारी आदेश पर दस्तखत कर दिए हैं। हमने एक बड़ा पड़ाव पार कर लिया है। अब मैं यह जिम्मेदारी अगली पीढ़ी को सौंपना चाहता हूं।”एलडीपी अब आपातकालीन नेतृत्व चुनाव कराएगी। संभावित उत्तराधिकारियों में पार्टी की वरिष्ठ नेता साने ताकाइची शामिल हैं, जो बैंक ऑफ जापान की ब्याज दर बढ़ाने की नीति की आलोचक रही हैं। वहीं, कृषि मंत्री और जापानी राजनीति में तेजी से उभर रहे सितारे शिंजिरो कोइजुमी भी प्रमुख दावेदारों में हैं। गौरतलब है कि पिछले साल एलडीपी के अध्यक्ष पद के रन-ऑफ में इशिबा ने ताकाइची को मामूली अंतर से हराया था।-
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न्यूयॉर्क/वाशिंगटन. शुल्क और रूसी तेल खरीद को लेकर अमेरिका और भारत के मध्य मौजूदा तनाव के बीच, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि दोनों देशों के बीच ‘विशेष संबंध' हैं और चिंता की कोई बात नहीं है बस “कभी-कभी कुछ ऐसे पल आ जाते हैं”। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में अपने कार्यालय ‘ओवल ऑफिस' में शुक्रवार को कहा, ‘‘मैं हमेशा (नरेन्द्र) मोदी का दोस्त रहूंगा... वह शानदार प्रधानमंत्री हैं लेकिन मुझे इस समय उनके द्वारा किए जा रहे काम पसंद नहीं आ रहे हैं। लेकिन भारत और अमेरिका के बीच विशेष संबंध है, चिंता की कोई बात नहीं है। बस कभी-कभी कुछ ऐसे पल आ जाते हैं।'' राष्ट्रपति इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या वह भारत के साथ संबंधों को फिर से सुधारने के लिए तैयार हैं, क्योंकि दोनों देशों के बीच संबंध पिछले दो दशकों में संभवतः सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। ट्रंप ने यह भी कहा कि वह इस बात से “बहुत निराश” हैं कि भारत रूस से ‘इतना ज्यादा' तेल खरीद रहा है।
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘मुझे इस बात से बहुत निराशा है कि भारत रूस से इतना तेल खरीदेगा और मैंने उन्हें यह बता दिया है। हमने भारत पर बहुत ज्यादा शुल्क लगाया है, 50 प्रतिशत शुल्क, बहुत ज्यादा शुल्क। मेरे (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी से बहुत अच्छे रिश्ते हैं, वह बहुत अच्छे हैं। वह कुछ महीने पहले यहां आए थे।'' ट्रंप से पूछा गया था कि क्या अमेरिका ने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है।
दरअसल ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल' पोस्ट में कहा था कि , ‘‘लगता है हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। ईश्वर करे कि उनका भविष्य दीर्घकालिक और समृद्ध हो।'' ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के नेता शी चिनफिंग के साथ मोदी की एक पुरानी तस्वीर भी पोस्ट की थी। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप का सोशल मीडिया पोस्ट उस समय आया है जब कुछ ही दिन पहले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच गर्मजोशी भरे संबंधों ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। भारत और अन्य देशों के साथ व्यापार वार्ता कैसी चल रही है, इस सवाल पर ट्रंप ने कहा, “वे बहुत अच्छी चल रही हैं। अन्य देश भी अच्छा कर रहे हैं। हम उन सभी के साथ अच्छा कर रहे हैं। हम यूरोपीय संघ से नाराज हैं क्योंकि सिर्फ गूगल के साथ ही नहीं, बल्कि हमारी सभी बड़ी कंपनियों के साथ जो हो रहा है, उससे हम नाराज हैं।” इस बीच, ट्रंप प्रशासन के व्यापार और विनिर्माण मामलों के वरिष्ठ सलाहकार पीटर नवारो ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि भारत के उच्चतम शुल्क से अमेरिकी नौकरियों पर असर पड़ रहा है। नवारो ने कहा, “भारत रूस से तेल सिर्फ मुनाफा कमाने के लिए खरीदता है। इस मुनाफे से रूस की संघर्ष क्षमता को ताकत मिलती है। यूक्रेनी और रूसी लोग मारे जा रहे हैं। अमेरिकी करदाता इसकी कीमत चुका रहे हैं। भारत सच्चाई का सामना नहीं कर सकता, बस बहानेबाजी करता है।” नेशनल इकनॉमिक काउंसिल के निदेशक और ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने भारत को लेकर एक गंभीर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप और उनकी व्यापारिक टीम इस बात से निराश हैं कि भारत रूस से तेल खरीद के माध्यम से रूस-यूक्रेन युद्ध को परोक्ष रूप से आर्थिक मदद पहुंचा रहा है। हैसेट ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, “मुझे लगता है कि व्यापार टीम और राष्ट्रपति इस बात से निराश हैं कि भारत रूस के यूक्रेन युद्ध को धन देना जारी रखे हुए है,यह एक कूटनीतिक मुद्दा है और उम्मीद है कि इसमें जल्द ही सकारात्मक प्रगति होगी। - लंदन। ब्रिटिश प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर ने कम कर भुगतान विवाद के कारण एंजेला रेनर के इस्तीफे के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल करते हुए विदेश मंत्री डेविड लैमी को शुक्रवार को उप प्रधानमंत्री नियुक्त किया।रेनर ने घर खरीद पर कर का कम भुगतान किये जाने के मामले में स्वतंत्र जांच के बाद शुक्रवार को उपप्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।लैमी (53) को उप प्रधानमंत्री के पद पर पदोन्नत किया गया है तथा उन्हें न्याय मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है।फेरबदल के तहत, गृह मंत्री यवेट कूपर विदेश मंत्री के रूप में उनकी जगह लेंगी वहीं ब्रिटिश पाकिस्तानी शबाना महमूद को न्याय मंत्रालय की जगर गृह मंत्रालय का प्रभार दिया गया है।लेबर पार्टी की प्रभावशाली नेता रेनर ने अपना इस्तीफा सौंप दिया, क्योंकि जांच में यह निष्कर्ष निकला कि उन्होंने इंग्लैंड के दक्षिणी तट पर स्थित संपत्ति पर सही स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञ कर सलाह नहीं लेकर मंत्री आचार संहिता का उल्लंघन किया है।रेनर ने अपने मामले को मंत्रिस्तरीय मानकों पर स्वतंत्र सलाहकार लॉरी मैग्नस के पास भेजा था, जिन्होंने शुक्रवार को प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर को अपनी रिपोर्ट सौंपी।ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर ने वरिष्ठ मंत्री रेनर के इस्तीफे पर अफसोस जताया।स्टार्मर ने कहा, ‘‘व्यक्तिगत तौर पर, मुझे आपके सरकार से बाहर जाने पर बहुत दुख हो रहा है। आप कई वर्षों से एक भरोसेमंद सहयोगी और सच्ची मित्र रही हैं। राजनीति में आपकी उपलब्धियों के लिए मेरे मन में अपार सम्मान है।’’ब्रिटेन में संपत्ति की खरीद पर शुल्क लगाया जाता है तथा अधिक महंगे आवासों पर अधिक शुल्क देना पड़ता है। रिपोर्टों से पता चला है कि रेनर ने स्टाम्प शुल्क का भुगतान न करके 40,000 पाउंड बचाए।
- बीजिंग. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत और चीन जैसी ‘‘सशक्त अर्थव्यवस्थाओं'' के खिलाफ उपनिवेशकालीन दौर की दबाव बनाने वाली रणनीति अपनाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की निंदा की है। पुतिन ने यह भी कहा है कि साझेदार देशों के साथ इस तरह का व्यवहार उचित नहीं है। चीन की विजय परेड में भाग लेने यहां पहुंचे पुतिन ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि भारत और चीन जैसे भारी जनसंख्या वाले शक्तिशाली देशों की अपनी घरेलू राजनीतिक प्रणाली और कानून हैं।पुतिन ने कहा, ‘‘जब कोई आपसे कहता है कि वह आपको सजा देगा, तो आपको यह सोचना चाहिए कि इन बड़े देशों के नेता, जिनका इतिहास भी कठिन दौरों से गुजरा है, कैसे प्रतिक्रिया देंगे।'' उन्होंने कहा कि इन देशों को लंबे समय तक उपनिवेशवादियों और उनकी संप्रभुता पर हमलों का सामना करना पड़ा है। पुतिन ने कहा, ‘‘आपको यह समझना चाहिए कि अगर इनमें से कोई एक भी कमजोरी दिखाता है, तो उसका राजनीतिक करियर खत्म हो सकता है और यही बात उनके व्यवहार को प्रभावित करती है।'' उन्होंने कहा, ‘‘उपनिवेश युग समाप्त हो चुका है। उन्हें यह समझना चाहिए कि वे अपने साझेदारों से बातचीत में अब उस भाषा का प्रयोग नहीं कर सकते।'' पुतिन ने ट्रंप पर आरोप लगाया कि उनमें इन देशों और उनके नेताओं के बारे में समझ की कमी है।गौरतलब है कि ट्रंप ने भारत को निशाना बनाते हुए रूस से तेल खरीदने पर 50 प्रतिशत शुल्क लगा दिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने शुरुआत में चीन पर 145 प्रतिशत शुल्क लगाया, लेकिन बाद में उसे कम करके एक अंतरिम समझौता किया, जिसके तहत चीनी सामानों पर शुल्क 145 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया, जबकि अमेरिकी सामानों पर चीन का शुल्क 125 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत किया गया।
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बीजिंग. चीन में बुधवार को आयोजित सैन्य परेड में हाइपरसोनिक, लेजर और लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों सहित कुछ अत्याधुनिक साजो सामान का पहली बार प्रदर्शन किए जाने के साथ राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि उनके देश का कायाकल्प ‘‘निर्बाध जारी'' रहेगा। द्वितीय विश्व युद्ध में जापानी आक्रमण के विरुद्ध चीन की जीत की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित एक भव्य परेड को संबोधित करते हुए शी ने कहा, "चीन कभी भी किसी भी धौंस से नहीं डरता और हमेशा आगे बढ़ता रहता है।" उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ (शुल्क) धमकियों के संदर्भ में परोक्ष रूप यह बात कही। शी ने कहा, "इतिहास हमें सचेत करता है कि मानवता एक साथ उठती और गिरती है।" शी ने जन मुक्ति सेना (पीएलए) से राष्ट्रीय पुनरुद्धार के लिए रणनीतिक सहयोग प्रदान करने तथा विश्व शांति एवं विकास में अधिक योगदान देने का आह्वान किया। चीनी सेना ने पहली बार परेड में अपने कुछ सबसे उन्नत सैन्य उपकरणों का प्रदर्शन किया, जो दुनिया, विशेषकर अमेरिका के समक्ष शक्ति प्रदर्शन था। पीएलए की सर्वोच्च कमान केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के प्रमुख शी ने चीनी सेना से खुद को विश्व स्तरीय सुरक्षा बल बनाने और राष्ट्रीय संप्रभुता, एकता एवं क्षेत्रीय अखंडता की दृढ़ता से रक्षा करने को कहा। अमेरिका के बाद चीन दूसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट वाला देश है। इस साल इसका वार्षिक रक्षा बजट 250 अरब अमेरिकी डॉलर का है। सैन्य साजो-सामान के अलावा परेड में चीन की कूटनीतिक शक्ति का भी प्रदर्शन हुआ, क्योंकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन सहित 26 विदेशी नेताओं ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। भारत के पड़ोसी देशों से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने परेड में भाग लिया। सूत्रों के अनुसार, चीन में भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत इस कार्यक्रम में शामिल हुए। जापान और दक्षिण कोरिया के अलावा अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रमुखों ने परेड से दूरी बनाए रखी।
परेड में विदेशी नेताओं की उपस्थिति, जापान और चीन के बीच कूटनीतिक विवाद का विषय बन गई है, क्योंकि तोक्यो ने विश्व नेताओं से इसमें भाग न लेने का आग्रह किया था। चीन ने विश्व नेताओं से इस कार्यक्रम में शामिल न होने के अनुरोध को लेकर जापान के समक्ष कूटनीतिक विरोध दर्ज कराया है। अपने भाषण में शी चिनफिंग ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के खिलाफ जीत आधुनिक समय में विदेशी आक्रमण के खिलाफ चीन की पहली पूर्ण विजय है। शी ने कहा कि यह जीत सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के नेतृत्व में जापानी आक्रमण के खिलाफ एक राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चे के तहत हासिल की गयी थी। उन्होंने कहा कि चीनी लोगों ने युद्ध में अपार बलिदान देकर मानव सभ्यता के उद्धार और विश्व शांति की रक्षा में एक बड़ा योगदान दिया था। पुतिन और किम की मौजूदगी में उन्होंने कहा, ‘‘जब दुनिया भर के देश एक-दूसरे के साथ बराबरी का व्यवहार करेंगे, सद्भाव से रहेंगे और एक-दूसरे का सहयोग करेंगे, तभी साझा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है, युद्ध के मूल कारण को खत्म किया जा सकता है और ऐतिहासिक त्रासदियों को दोबारा होने से रोका जा सकता है।'' शी ने कहा, ‘‘आज मानवता को फिर से शांति या युद्ध, संवाद या टकराव, तथा लाभ या नुकसान के बीच चुनाव करना पड़ रहा है।'' बाद में एक स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चीनी सरकार और लोग उन विदेशी सरकारों और अंतरराष्ट्रीय मित्रों को कभी नहीं भूलेंगे जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी आक्रमण के खिलाफ प्रतिरोध में चीनी लोगों का समर्थन और सहायता की थी। परेड में चीन ने पहली बार नयी हथियार प्रणालियों की एक श्रृंखला प्रदर्शित की, जिसमें नए प्रकार की डीएफ-5सी तरल-ईंधन वाली अंतरमहाद्वीपीय सामरिक परमाणु मिसाइलें शामिल थीं। सरकारी ‘ग्लोबल टाइम्स' अखबार ने बताया कि इस मिसाइल की अनुमानित सीमा 20,000 किलोमीटर से अधिक है तथा इसमें सटीक निशाना लगाने की क्षमता है। अखबार ने एक विशेषज्ञ के हवाले से बताया कि यह मिसाइल दुनिया के किसी भी हिस्से तक पहुंच सकती है।
परेड में जिन अन्य हथियार प्रणालियों का प्रदर्शन किया गया, उनमें वाहन-आधारित लेजर रक्षा हथियार, चार प्रकार के विमानवाहक-आधारित जेट लड़ाकू विमान, समुद्र में गहरायी तक मार करने वाले ड्रोन, एच-6जे लंबी दूरी के बमवर्षक, हवाई पूर्व चेतावनी विमान, सेना और नौसेना के ड्रोन, 5000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली डीएफ-26डी जहाज-रोधी बैलिस्टिक मिसाइलें, सीजे-1000 लंबी दूरी की हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें, वायु रक्षा प्रणालियां, एचक्यू-29 बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर, ‘कैरियर किलर' मिसाइलें, नया युद्धक टैंक टाइप 99बी और कई रॉकेट लॉन्चर शामिल हैं। -
न्यूयॉर्क/वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा कि उन्होंने रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर अभी शुरुआती दौर के प्रतिबंध लगाए हैं और संकेत दिया कि उन्होंने अब तक ‘‘चरण दो या चरण तीन'' के तहत प्रतिबंध नहीं लगाये हैं। पोलैंड के राष्ट्रपति करोल नवरोकी के साथ ओवल ऑफिस में द्विपक्षीय बैठक में भाग लेते समय ट्रंप उस समय नाराज हो गये जब उनसे एक पोलिश पत्रकार ने पूछा कि उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रति निराशा और हताशा व्यक्त की थी, लेकिन इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की। ट्रंप ने पोलिश पत्रकार से कहा, ‘‘आपको कैसे पता कि कोई कार्रवाई नहीं हुई? चीन के बाद सबसे बड़े खरीदार भारत पर प्रतिबंध लगाना, क्या आप कहेंगे कि कोई कार्रवाई नहीं हुई? इससे रूस को सैकड़ों अरब डॉलर का नुकसान हुआ। आप इसे कोई कार्रवाई नहीं कहेंगे? और मैंने अब तक दूसरा या तीसरा चरण पूरा नहीं किया है।
लेकिन जब आप कहते हैं कि कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो मुझे लगता है कि आपको कोई नयी नौकरी ढूंढ लेनी चाहिए।'' ट्रंप ने कहा कि दो सप्ताह पहले उन्होंने कहा था, ‘‘अगर भारत तेल खरीदता है, तो भारत को बड़ी समस्याएं होंगी, और यही होता है। इसलिए, मुझे इसके बारे में मत बताइए।'' जब उनसे चीन की सैन्य परेड में पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के साथ चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की उपस्थिति को लेकर सवाल किया गया और पूछा गया क्या वह मास्को पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं, तो ट्रंप ने कहा, ‘‘मैंने भारत के संबंध में पहले ही ऐसा कर दिया है और हम अन्य चीजों के संबंध में भी ऐसा कर रहे हैं।'' ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ (शुल्क) लगाया है और भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जिससे भारत पर लगाया गया कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है और यह शुल्क 27 अगस्त से प्रभावी हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि वह किसानों, पशुपालकों, लघु उद्योगों के हितों से समझौता नहीं कर सकते। उन्होंने आगाह किया कि ‘‘हम पर दबाव बढ़ सकता है, लेकिन हम इसे सहन करेंगे। भारत ने अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ को ‘‘अनुचित'' बताया है। भारत ने कहा कि किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, वह अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठायेगा। -
बीजिंग. चीन के नेता शी चिनफिंग ने एक ‘‘पुराने मित्र'' के रूप में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का स्वागत किया और दोनों नेताओं ने मंगलवार को कई बैठकें कीं। ये बैठकें ऐसे समय में हुईं जब दोनों देशों को अमेरिका से विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हाल के वर्षों में, खासकर 2022 की शुरुआत में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से चीन और रूस के बीच संबंध और गहरे हुए हैं। पुतिन ने शी को ‘‘प्रिय मित्र'' कहकर संबोधित किया और कहा कि चीन के साथ रूस के संबंध ‘‘अभूतपूर्व रूप से उच्च स्तर पर'' हैं। शी और पुतिन ने औपचारिक बैठक के बाद झोंगनानहाई में अपने शीर्ष सहयोगियों के साथ चाय पर चर्चा की। यह चीन द्वारा इस रिश्ते को दिए जाने वाले महत्व को दर्शाता है। झोंगनानहाई परिसर चीन में सत्ता का केंद्र है और यहां उसके शीर्ष नेताओं के आवास एवं कार्यालय हैं।
वार्ता के बाद चीन ने घोषणा की कि वह इस महीने के अंत से रूसी यात्रियों को 30 दिन की वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा प्रदान करेगा। यह वार्ता चीनी शहर तियानजिन में दोनों नेताओं के शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के एक दिन बाद और द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में बीजिंग में आयोजित एक भव्य चीनी सैन्य परेड से एक दिन पहले हुई है। सोवियत संघ एशिया में युद्ध के अधिकतर समय तटस्थ रहा, लेकिन 1930 के दशक में आक्रमणकारी जापानी सेना के खिलाफ शुरुआती लड़ाई में उसने चीन की सहायता की। उसने द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम दिनों में जापान के खिलाफ युद्ध की घोषणा भी की और जापान के कब्जे वाले पूर्वोत्तर चीन में सेना भेजी। पुतिन ने कहा, ‘‘हम तब भी साथ थे, अब भी साथ हैं।''
चीन का कहना है कि वह यूक्रेन युद्ध में तटस्थ है लेकिन पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद व्यापार जारी रखकर उसने रूस को आर्थिक जीवनदान दिया। उसकी कुछ कंपनियों पर सैन्य उद्योग को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। रूस की ‘इंटरफैक्स' समाचार एजेंसी के अनुसार, गैजप्रोम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एलेक्सी मिलर ने बीजिंग में कहा कि चीन तक एक और प्राकृतिक गैस पाइपलाइन बनाने के लिए एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। दस सदस्यीय शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में शी और पुतिन के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मौजूद थे। मोदी ने तियानजिन बैठक के दौरान दोनों नेताओं के साथ अलग-अलग वार्ता की। ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए भारी शुल्क और अमेरिका के रुख ने नयी दिल्ली को चीन और रूस के करीब ला दिया है। मोदी हालांकि चीन की सैन्य परेड में शामिल नहीं होंगे। शी चिनफिंग ने चीन को उन देशों के नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश की है जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की अमेरिकी प्रभुत्व वाली व्यवस्था से वंचित महसूस करते हैं। पुतिन और शी ने अपनी वार्ता से पहले मंगोलिया के राष्ट्रपति खुरेलसुख उखना के साथ त्रिपक्षीय बैठक की। घास के मैदानों और खनिज खदानों से संपन्न मंगोलिया चीन एवं रूस के बीच स्थित है। पुतिन ने अपने वक्तव्य की शुरुआत में कहा कि तीनों देश अच्छे पड़ोसी हैं और संबंधों को विकसित करने में उनकी साझा रुचि है। उन्होंने कहा, ‘‘हम तीनों देशों में बहुत कुछ समान है।'' पुतिन ने 2024 में मंगोलिया की आधिकारिक यात्रा की थी जहां मंगोलिया सरकार ने यूक्रेन पर आक्रमण से जुड़े कथित युद्ध अपराधों के लिए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के वारंट पर पुतिन को गिरफ्तार किए जाने की अपीलों को नजरअंदाज कर दिया था। -
काहिरा. सूडान के पश्चिमी क्षेत्र दारफुर में विनाशकारी भूस्खलन ने एक गांव को तबाह कर दिया, जिसमें कम से कम 1,000 लोग मारे गए। यह अफ्रीकी देश के पिछले कुछ साल के इतिहास की सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक है। इस क्षेत्र पर नियंत्रण रखने वाले एक विद्रोही समूह ने सोमवार देर रात यह जानकारी दी। सूडान लिबरेशन मूवमेंट-आर्मी ने एक बयान में कहा कि यह त्रासदी अगस्त के अंत में कई दिनों की भारी बारिश के बाद मध्य दारफुर के मर्राह पर्वतों में स्थित तरासिन गांव में रविवार को हुई। बयान में कहा गया, ‘‘प्रारंभिक जानकारी से पता चलता है कि गांव के सभी निवासियों की मौत हो गई है, जिनकी संख्या एक हजार से ज्यादा होने का अनुमान है। केवल एक व्यक्ति ही बचा है।'' समूह ने कहा कि गांव ‘‘पूरी तरह से जमींदोज हो गया है'', और शवों को निकालने में मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय सहायता समूहों से अपील की गई है।
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तियानजिन (चीन). प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा कि भारत और रूस हमेशा कठिन परिस्थितियों में भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे हैं। मोदी की पुतिन की मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब भारत एवं अमेरिका के संबंध पिछले दो दशक के संभवतः सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। मोदी और पुतिन ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के इतर बैठक की, जिसमें आर्थिक, वित्तीय और ऊर्जा क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। आधिकारिक वार्ता से पहले, दोनों नेताओं ने एससीओ शिखर सम्मेलन में अपने कार्यक्रम समाप्त करने के बाद एक ही कार में बैठक स्थल तक एक साथ यात्रा करते हुए 40 मिनट से अधिक समय तक अनौपचारिक बातचीत की। मोदी ने कहा कि भारत यूक्रेन में शांति स्थापित करने के लिए हाल ही में किए गए सभी प्रयासों का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन संघर्ष को यथाशीघ्र समाप्त करना मानवता का आह्वान है। प्रधानमंत्री मोदी ने टेलीविजन पर प्रसारित अपने वक्तव्य की शुरुआत में कहा, ‘‘हम यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर नियमित रूप से चर्चा करते रहे हैं। हम शांति स्थापित करने की दिशा में हाल में किए गए सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं।" उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि सभी पक्ष रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ेंगे। इस संघर्ष को समाप्त करने और स्थायी शांति स्थापित करने का रास्ता अवश्य निकाला जाना चाहिए। यह संपूर्ण मानवता की आकांक्षा है।" समझा जाता है कि भारतीय पक्ष ने पुतिन को शनिवार को मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के बीच हुई बातचीत के बारे में जानकारी दी। मोदी से बात करने के बाद, ज़ेलेंस्की ने कहा कि भारत यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए आवश्यक प्रयास करने और रूस को उपयुक्त संकेत देने के लिए तैयार है। पुतिन ने कहा कि रूस और भारत ने दशकों से "विशेष मैत्रीपूर्ण और विश्वास-आधारित" संबंध बनाए रखे हैं, और यह संबंधों के भविष्य के विकास की नींव है। उन्होंने कहा, "ये संबंध पूरी तरह से दलगत राजनीति से ऊपर हैं और इन्हें हमारे अधिकांश लोगों का समर्थन प्राप्त है।" भारत के बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन में संघर्ष को हल करने के लिए हाल में की गई पहल के प्रति अपना समर्थन दोहराया, तथा संघर्ष को शीघ्र समाप्त करने तथा "स्थायी शांति" की आवश्यकता पर बल दिया। मोदी-पुतिन वार्ता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा युद्ध समाप्त करने के प्रयासों के तहत रूस के राष्ट्रपति के साथ शिखर बैठक आयोजित करने के दो सप्ताह बाद हुई है। भारत पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि दोनों नेताओं ने वाहन में अनौपचारिक बातचीत के दौरान इस पर चर्चा की। ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना कर 50 प्रतिशत कर दिए जाने के बाद भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया, जिसमें भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है। ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों द्वारा भारत की लगातार आलोचना से संबंधों में तनाव और बढ़ गया है। अपने संबोधन में, मोदी ने यह भी कहा कि भारत के 140 करोड़ लोग दिसंबर में भारत में रूसी नेता के स्वागत के लिए "उत्सुकता से प्रतीक्षा" कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "यह हमारी विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की गहराई और दायरे का प्रतिबिंब है। भारत और रूस हमेशा सबसे कठिन परिस्थितियों में भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे हैं।" मोदी ने कहा, "हमारा घनिष्ठ सहयोग न केवल दोनों देशों के लोगों के लिए, बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है।" मोदी ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में पुतिन के साथ अपनी वार्ता को "शानदार" बताया और कहा कि उन्होंने व्यापार, उर्वरक, अंतरिक्ष, सुरक्षा और संस्कृति सहित सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने के तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘हमने यूक्रेन में संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान सहित क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रम पर विचारों का आदान-प्रदान किया। हमारी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनी हुई है। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर अपनी और पुतिन की एक तस्वीर भी पोस्ट की, जिसमें वे एक कार में साथ-साथ यात्रा कर रहे हैं। मोदी ने कहा, ‘‘एससीओ शिखर सम्मेलन स्थल पर कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद राष्ट्रपति पुतिन और मैं द्विपक्षीय बैठक स्थल पर साथ-साथ पहुंचे। उनके साथ बातचीत हमेशा सार्थक होती है।'' भारत के बयान में कहा गया है कि मोदी और पुतिन ने आर्थिक, वित्तीय और ऊर्जा क्षेत्रों सहित द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की और इन क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों में निरंतर वृद्धि पर संतोष व्यक्त किया। इसमें कहा गया, "दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की।" अपने संबोधन में, पुतिन ने भारत-रूस संबंधों को 15 वर्षों के दौरान विशेष विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक पहुंचाने का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, "यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि हमारे बहुआयामी रूसी-भारतीय संबंध इन सिद्धांतों पर सक्रिय रूप से विकसित होते रहेंगे।" पुतिन ने कहा, "हमने बहु-स्तरीय सहयोग स्थापित किया है। समग्र रूप से व्यापार और आर्थिक संबंध सकारात्मक माहौल प्रदर्शित कर रहे हैं। पर्यटन आदान-प्रदान बढ़ रहा है। हम अंतरराष्ट्रीय मंच-संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स, जी-20 और निश्चित रूप से शंघाई सहयोग संगठन में घनिष्ठ समन्वय के साथ काम कर रहे हैं।"
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तियानजिन (चीन). प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में कहा कि पहलगाम में हुआ भयावह आतंकवादी हमला न केवल भारत के लिए एक झटका था बल्कि मानवता में विश्वास रखने वाले हर देश के लिए एक खुली चुनौती भी था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की उपस्थिति में मोदी ने यह भी जोर देकर कहा कि एससीओ को आतंकवाद पर ‘‘दोहरे मानदंडों'' को स्पष्ट रूप से और सर्वसम्मति से नकारना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यह मानवता के प्रति हमारा कर्तव्य है।''
पाकिस्तान का नाम लिए बिना मोदी ने कहा कि यह सवाल उठना स्वाभाविक है: ‘‘क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद का खुला समर्थन हमें स्वीकार्य हो सकता है?'' प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘कई माताओं ने अपनी संतानें खो दीं और कई बच्चे अनाथ हो गए। हाल में हमने पहलगाम में आतंकवाद का एक बेहद घृणित रूप देखा।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह हमला न केवल भारत की अंतरात्मा पर एक आघात था, बल्कि यह हर उस देश, हर उस व्यक्ति के लिए एक खुली चुनौती था जो मानवता में विश्वास रखता है।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि एससीओ को आतंकवाद से निपटने के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें स्पष्ट रूप से और सर्वसम्मति से कहना होगा कि आतंकवाद पर कोई भी दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं होगा। हमें आतंकवाद के सभी रूपों और रंगों का मिलकर विरोध करना चाहिए।'' मोदी ने पहलगाम हमले के बाद भारत के साथ खड़े होने वाले मित्र देशों के प्रति भी आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद किसी भी राष्ट्र की शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि एससीओ का क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचा आतंकवाद से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रधानमंत्री ने ‘कनेक्टिविटी' (संपर्क) के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि संपर्क के हर प्रयास में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संप्रभुता को दरकिनार करने वाली ‘कनेक्टिविटी' विश्वास और अर्थ खो देती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एससीओ सदस्य देश वैश्विक संस्थाओं में सुधार के लिए आपसी सहयोग बढ़ा सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम सर्वसम्मति से संयुक्त राष्ट्र में सुधार का आह्वान कर सकते हैं।''
प्रधानमंत्री ने ‘ग्लोबल साउथ' के विकास को सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ' की आकांक्षाओं को पुराने ढांचों में सीमित रखना भावी पीढ़ियों के साथ घोर अन्याय है। ‘ग्लोबल साउथ' से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है और ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं। भारत की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा कि देश ‘‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म'' (सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन) के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि चाहे कोविड-19 महामारी हो या वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, हमने हर चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश की है।