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 रिलायंस नये स्वच्छ ऊर्जा कारोबार में 75,000 करोड़ रुपये निवेश करेगी

नयी दिल्ली। देश में खानिज तेल और गैस क्षेत्र की दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बृहस्पतिवार को नये हरित ऊर्जा प्रौद्योगिकी एवं विनिर्माण कारोबार में बड़े पैमाने पर कदम रखने की घोषणा की । इसके तहत कंपनी तीन साल में इस क्षेत्र में 75,000 करोड़ रुपये निवेश करेगी। दुनिया की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी चलाने वाली कंपनी वास्तव में इस पहल के जरिये हरित और स्वच्छ ऊर्जा के भविष्य को साधने की महत्वाकांक्षी तैयारी में जुटी है। इसके साथ रिलायंस 2030 तक कम-से-कम 1,00,000 मेगावाट सौर बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित करने के साथ साथ कार्बन फाबइर संयंत्र में निवेश करेगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कंपनी की 44वीं सालाना आम बैठक में कहा कि कंपनी सौर ऊर्जा के लिये सौर फोटोवोल्टिक मोड्यूल, ऊर्जा भंडारण के लिये अत्याधुनिक एनर्जी स्टोरेज बैटरी, हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिये इलेक्ट्रोलाइजर तथा हाइड्रोजन को ऊर्जा (मोटिव और स्टेशनरी पावर) में बदलने को फ्यूल सेल बनाने के चार विशाल स्थापित करेगी लगाएगी। ये कारखाने गुजरात के जामनगर में लगाने की योजना है जहां कंपनी का तेल शोधन कारखाना लगा है।
अंबानी ने कहा, ‘‘अगले तीन साल में, हम इस पर 60,000 करोड़ रुपये निवेश करेंगे। इसके जरिये रिलायंस पूर्ण रूप से एकीकृत और जरूरतों के हिसाब से ऊर्जा परिवेश सृजित करेगी और उसकी पेशकश करेगी।'' एकीकृत सौर फोटोवोल्टिक विनिर्माण संयंत्र सौर ऊर्जा सृजित करेगा। इसका उपयोग उच्च दक्षता के सौर सेल के निर्माण में होगा। अंबानी ने कहा, ‘‘रिलायंस 2030 तक 1,00,000 मेगावाट सौर ऊर्जा स्थापित करेगी और क्षमता सृजित करने में योगदान देगी। इसमें छतों पर लगायी जाने वाले सौर संयंत्रों और गांवों में विकेंद्रित सौर संयंत्रों का बड़ा योगदान होगा।'' वहीं नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादित ऊर्जा के भंडारण के लिये कंपनी अत्याधुनिक ऊर्जा भंडारण बैटरी विनिर्माण संयंत्र लगाएगी। बिजली के अलावा रिलायंस की हरित हाइ्ड्रोजन के उत्पादन की भी योजना है, जिसका उपयोग वाहनों में ईंधन के रूप में हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘कंपनी ऑक्सीजन (हवा से) और हाइड्रोजन लेकर बिजली पैदा करने को लेकर फ्यूल सेल कारखाना लगाएगी। इस प्रक्रिया से कार्बन उत्सजर्न नहीं होता और एकमात्र उत्सर्जन जल वाष्प है, जो प्रदूषण नहीं फैलाता।'' अंबानी ने कहा, ‘‘इसके अलावा, हम इन कारखानों के कच्चे माल और अन्य जरूरी उत्पादों के विनिर्माण के लिये इकाइयां तथा जरूरी ढांचागत सुविधाओं में 15,000 करोड़ रुपये खर्च करेंगे।'' उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रकार, नए ऊर्जा कारोबार में हमारे अपने आंतरिक संसाधनों से कुल शुरूआती निवेश तीन वर्षों में 75,000 करोड़ रुपये (10 अरब डालर से अधिक) रुपये होगा।'' अंबानी ने कहा, ‘‘कंपनी ने जामनगर में 5,000 एकड़ में धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्प्लेक्स (हरित ऊर्जा वृहत परिसर) को विकसित करने का काम शुरू कर दिया है। यह दुनिया में सबसे बड़ी एकीकृत नवीकरणीय ऊर्जा निर्माण सुविधाओं में से एक होगी। अपनी कुल आय का 68 प्रतिशत हाइड्रोकार्बन ऊर्जा कारोबार से हासिल करने वाली कंपनी ने पिछले साल 2020 में अगले 15 वर्ष यानी 2035 तक शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा था। कंपनी ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब दुनिया की तमाम प्रमुख ऊर्जा कंपनियों पर पर्यावरण संरक्षण में मदद के लिये कम कार्बन उत्सर्जन की ओर बढ़ने को लेकर दबाव है। अंबानी ने कहा, ‘‘पिछले साल मैंने 2035 तक शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा था। आज मुझे इसे क्रियान्वित करने के लिये महत्वकांक्षी रणनीति और योजना पेश करने को लेकर खुशी है...जीवाश्म (कोयला, पेट्रोल और डीजल) ईंधन से करीब तीन सदी तक आर्थिक वृद्धि को गति मिली। हम अब बहुत लंबे समय तक इसे जारी नहीं रख सकते।''       उन्होंने कहा, ‘‘जामनगर हमारे पुराने ऊर्जा केंद्र के विकास का केंद्र था अब नये ऊर्जा करोबार के विकास का भी केंद्र बनेगा।'' अंबानी ने कंपनी के भीतर दो अतिरिक्त विभागों- नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना प्रबंधन और निर्माण विभाग तथा नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना वित्त विभाग-के गठन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि ये सभी कदम भारत के विकेंद्रित हरित अर्थव्यवस्था को वास्तविक रूप देने में मददगार होंगे। अंबानी ने कहा, ‘‘इन नये कदमों के साथ, रिलायंस गुजरात और भारत को दुनिया के सौर और हाइड्रोजन मानचित्र पर लाएगा। हमारे सभी उत्पादों गर्व से लिखा होगा- ‘मेड इन इंडिया',भारत द्वारा, भारत के लिए और दुनिया के लिए। साथ ही, रिलायंस नई सामग्री और हरित रसायनों के लिए एक दृष्टिकोण विकसित कर रही है। उन्होंने कहा, "हम अपने हाइड्रोजन और सौर परिवेश तंत्र की मदद के लिए भारत के पहले विश्व स्तर के कार्बन फाइबर संयंत्र में रणनीतिक निवेश करके इसे शुरू करेंगे।" समूह की तेल-रसायन इकाई कार्बन उत्सर्जन को शुद्ध रूप से शून्य स्तर पर लाने के लिये आर्थिक रूप से आकर्षक आधार पर सौर ऊर्जा का उपयोग करेगी और हरित रसायन, उर्वरक और ई-ईंधन विकसित करने के लिए कच्चे माल के रूप में हरित हाइड्रोजन और सीओ2 का उपयोग करेगी। 

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