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भारत ने किया आगाह, तेल की ऊंची कीमतों का वैश्विक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल असर होगा

नयी दिल्ली।  दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता देश भारत ने बुधवार को आगाह करते हुए कहा कि तेल की ऊंची कीमतें शुरुआती और नाजुक वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल असर डालेंगी। भारत ने सऊदी अरब और ओपेक (तेल निर्यातक देशों के संगठन) के अन्य सदस्य देशों से सस्ती और भरोसेमंद आपूर्ति की दिशा में काम करने को कहा। साथ ही भारत ने दीर्घकालीन आपूर्ति अनुबंधों का विचार रखा। इससे भरोसेमंद और स्थिर कीमत व्यवस्था सुनिश्चित हो सकेगी। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सेरा वीक के ‘इंडिया एनर्जी फोरम' में कहा कि तेल की मांग और ओपेक और उससे जुड़े सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) जैसे उत्पादकों की तरफ से होने वाली आपूर्ति में अंतर है। ऐसे में उत्पादन बढ़ाये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया को कोविड-पूर्व स्तर पर आने के लिये भरोसेमंद, स्थिर और सस्ती कीमत की जरूरत है।'' पेट्रोलियम सचिव तरुण कपूर ने कहा कि भारत जैसे आयातक देश फिलहाल सऊदी अरब और इराक जैसे ओपेक देशों से तेल खरीदने को लेकर अनुबंध करते हैं। इन अनुबंधों से केवल मात्रा को लेकर निश्चितता रहती है। जबकि कीमत डिलिवरी के समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रचलित मूल्य के आधार पर तय होती है। उन्होंने कहा, ‘‘गैस के मामले में अनुबंध 25 साल तक की अवधि के लिये होता है और कीमत का निर्धारण तय मानकों पर होता है। तेल के लिये भी दीर्घकालीन अनुबंध के साथ कीमत को लेकर मानक होने चाहिए। यह मानक कोयला या फिर गैस जैसे वैकल्पिक ईंधन की कीमतों के आधार पर हो सकता है।'' सचिव ने कहा कि ओपेक और सहयोगी देशों को इस मौके पर आगे आना चाहिए और ग्राहकों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिये उत्पादन बढ़ाना चाहिए। इस साल मई से कीमतों में वृद्धि के साथ देशभर में पेट्रोल और डीजल के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गये हैं। पुरी ने कहा, ‘‘अगर ऊर्जा की कीमतें ऊंची बनी रहीं, तो वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उतार-चढ़ाव से न केवल भारत बल्कि औद्योगिक देश भी प्रभावित होंगे।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह सबके हित में है कि हम वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार को बनाये रखें। इसीलिए स्थिर और सस्ती ऊर्जा उत्पादक और आयातक देशों दोनों के हित में है।'' मंत्री ने कहा कि ऊर्जा विनाशकारी महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिये महत्वपूर्ण है। तेल की ऊंची कीमतें आर्थिक पुनरुद्धार की गति को धीमा करेंगी। 

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