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चांदी की चमक के आगे फीका पड़ा सोना, इस साल कीमतों में 130 प्रतिशत से अधिक का उछाल

नयी दिल्ली. वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच निवेश के सुरक्षित विकल्प और चुनिंदा उद्योगों में मांग बढ़ने से इस साल चांदी ने रिटर्न के मामले में परंपरागत निवेश विकल्प सोने और शेयर बाजार को भी पीछे छोड़ दिया है। स्थिति यह हो गई है कि सोने ने जहां करीब 70 प्रतिशत रिटर्न दिया है वहां चांदी 130 प्रतिशत से भी अधिक चढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत दर में आगे और कटौती की उम्मीदों के बीच चांदी में अगले साल भी 15 से 20 प्रतिशत तक की तेजी बने रहने की उम्मीद है। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, दिल्ली में चांदी की कीमत सोमवार को 10,400 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़कर 2,14,500 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) के अबतक के उच्चस्तर पर पहुंच गईं। चांदी की कीमत इस साल एक जनवरी को 90,500 रुपये प्रति किलोग्राम थी। इस तरह चांदी में 1,24,000 रुपये यानी 137 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। चांदी में आई तेजी के बारे में आनंद राठी शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स लि. के निदेशक (जिंस और मुद्रा) नवीन माथुर ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय हाजिर बाजार में चांदी ने अब तक लगभग 130 प्रतिशत से अधिक रिटर्न दिया है, जबकि इस वर्ष डॉलर के मुकाबले रुपये के पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ एमसीएक्स वायदा कीमतों में रिटर्न अब तक करीब 138 प्रतिशत तक पहुंच गया है।'' उन्होंने कहा, ‘‘इस उछाल का एक कारण यह है कि निवेशकों का एक हिस्सा सरकारी बॉन्ड एवं मुद्राओं के मुकाबले वैकल्पिक निवेश उत्पादों में निवेश कर रहा है, जिससे सफेद धातु में निवेश की मांग बढ़ी है। औद्योगिक मांग बढ़ने और बाजार में लगातार पांचवें साल आपूर्ति में कमी से भी चांदी के भाव में तेजी आई है।'' मेहता इक्विटीज लि. के उपाध्यक्ष (जिंस) राहुल कलंत्री ने कहा, ‘‘चांदी की कीमतों में उछाल सट्टेबाजी का नहीं बल्कि संरचनात्मक कारकों का नतीजा है। आपूर्ति में लगातार कमी के साथ औद्योगिक मांग बनी हुई है। कृत्रिम मेधा (एआई), ईवी तथा स्वच्छ ऊर्जा जैसे नए क्षेत्रों में बढ़ती मांग कीमत में वृद्धि का प्रमुख कारण है।'' उन्होंने कहा, ‘‘मजबूत औद्योगिक मांग के अलावा, ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) में निरंतर निवेश, भौतिक रूप से खरीद अधिक होने और निवेशकों के जिंस में निवेश बढ़ाने से भी कीमतों को समर्थन मिला है। एक और संकेत सोने-चांदी की कीमतों के अनुपात में तीव्र गिरावट है, जो जोखिम लेने की बढ़ती प्रवृत्ति को बताती है।'' सोने और चांदी के अनुपात में तीव्र गिरावट का मतलब है कि चांदी की कीमत सोने की कीमतों से अधिक तेजी से बढ़ रही हैं। यह संकेत देता है कि सोने के मुकाबले चांदी के मूल्य में वृद्धि हो रही है और यह निवेश का बेहतर अवसर प्रदान करती है। अगर रिटर्न की बात की जाए तो इस साल सोना ने 19 दिसंबर तक लगभग 72 प्रतिशत का रिटर्न दिया है जबकि इक्विटी बाजार के मामले में निफ्टी 50 और निफ्टी 500 सूचकांक ने क्रमशः 7.0 प्रतिशत और 5.1 प्रतिशत का रिटर्न दिया। मांग और आपूर्ति से जुड़े सवाल के जवाब में माथुर ने चांदी उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले वैश्विक निकाय सिल्वर इंस्टिट्यूट के अनुमान का हवाला देते हुए कहा कि चांदी की आपूर्ति में लगातार पांचवें वर्ष लगभग 9.5 करोड़ औंस (एक औंस बराबर लगभग 31.1 ग्राम) की कमी है। आने वाले वर्षों में चांदी की कीमतों में और अधिक सकारात्मक वृद्धि का कारण यह कमी ही रहेगी। लेकिन औद्योगिक मांग भी 2025 में चांदी की ऊंची कीमतों का एक प्रमुख कारण रही और अगले वर्ष भी चांदी के बाजार को इससे मजबूत समर्थन मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों के मुताबिक, आर्थिक गतिविधियों और महंगाई बनी रहने के साथ सौर उपकरणों एवं इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) जैसे उद्योगों में मांग बढ़ने की संभावना ने चांदी की चमक अगले साल भी बनी रह सकती है और यह सोने की तरह सुरक्षित निवेश विकल्प बनती दिख रही है। अगले साल चांदी की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर कलंत्री ने कहा, ‘‘मजबूत औद्योगिक मांग, सीमित आपूर्ति और अनुकूल तकनीकी रुझानों के कारण चांदी का दीर्घकालिक दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है। हालांकि, 2026 के लिए 15 से 20 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, निवेशकों को अस्थिरता और बीच-बीच में होने वाले सुधारों के लिए तैयार रहना चाहिए। किसी भी निवेश संबंधी निर्णय लेने से पहले एक अनुशासित, चरणबद्ध निवेश दृष्टिकोण और पेशेवर वित्तीय सलाह अत्यंत आवश्यक है।'' यह पूछे जाने पर कि वर्तमान में चांदी में निवेश कितना उपयुक्त है, माथुर ने कहा, ‘‘इस वर्ष चांदी में असाधारण रूप से उच्च रिटर्न देखने को मिला है, ऐसे में अगले वर्ष भी इसी तरह के रिटर्न की उम्मीद करना ठीक नहीं है।'' उन्होंने कहा, ‘‘कीमती धातुओं में निवेश 2026 में भी जारी रखना चाहिए लेकिन यह निवेश कीमतों में पांच से आठ प्रतिशत की गिरावट आने पर चरणबद्ध ढंग से ही करना चाहिए। कुल मिलाकर, 2026 की पहली छमाही में मौजूदा स्तरों से 20 से 25 प्रतिशत तक का अतिरिक्त रिटर्न मिलने की उम्मीद की जा सकती है।''

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