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 हल्के या बिना लक्षण वाले कोविड मरीजों के गृह पृथक-वास के लिए सरकार का संशोधित दिशानिर्देश जारी

 नयी दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि गृह पृथक-वास के तहत कोविड-19 रोगियों को संक्रमित होने के कम से कम सात दिनों के बाद पृथक-वास से छुट्टी दे दी जाएगी, अगर उन्हें लगातार तीन दिनों तक बुखार नहीं आता हो। 
मंत्रालय ने हल्के या बिना लक्षण वाले मामलों में गृह पृथक-वास के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय ने लोगों को डॉक्टरों के परामर्श के बिना स्वयं दवाइयां लेने, रक्त जांच, छाती का एक्स-रे या सीटी स्कैन आदि के लिए जल्दबाजी नहीं करने की सलाह दी। मंत्रालय ने रेखांकित किया कि खुद से स्टेरॉयड नहीं लेना चाहिए तथा इसके अति प्रयोग या अनुचित उपयोग से अतिरिक्त जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। संशोधित दिशानिर्देशों में कहा गया है कि प्रत्येक रोगी के उपचार की, उसकी विशिष्ट स्थिति के अनुसार व्यक्तिगत रूप से निगरानी की जानी चाहिए और इसीलिए नुस्खे को साझा करने से बचा जाना चाहिए। 
दिशानिर्देशों के अनुसार, संक्रमित होने के कम से कम कम सात दिन बाद गृह पृथक-वास के तहत मरीजों को पृथक-वास से छुट्टी दे दी जाएगी अगर उन्हें लगातार तीन दिनों तक बुखार नहीं आता हो। लेकिन वे मास्क पहनना जारी रखेंगे। इससे पहले लक्षण दिखने के 10 दिन बाद गृह पृथक-वास की अवधि समाप्त होती थी। इसमें कहा गया है कि गृह पृथक-वास की अवधि समाप्त होने के बाद पुन: जांच की कोई आवश्यकता नहीं है। संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए, बिना लक्षण वाले लोगों को कोविड परीक्षण कराने की जरूरत नहीं है और उन्हें गृह पृथक-वास से ही स्वास्थ्य की निगरानी करने की आवश्यकता है। इसमें कहा गया है कि सोशल मीडिया के जरिए गैर-प्रामाणिक और बिना साक्ष्य आधारित इलाज 'प्रोटोकॉल' वाली जानकारी रोगियों को नुकसान पहुंचा सकती है। गलत सूचना से घबराहट पैदा होती है और इससे वे परीक्षण कराए जाते हैं जिसकी आवश्यकता नहीं होती है। 
संशोधित दिशा-निर्देशों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि गृह पृथक-वास वाले मरीजों की निगरानी के लिए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की समग्र निगरानी में जिला प्रशासन जिम्मेदार होगा। जमीनी स्तर की निगरानी टीम की जिम्मेदारियों को सूचीबद्ध करते हुए मंत्रालय ने कहा कि वे मरीज के प्रारंभिक मूल्यांकन के लिए जिम्मेदार होंगी और देखेंगी कि क्या गृह पृथक-वास के लिए आवश्यक सुविधाएं हैं। इसमें कहा गया है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता को रोगी से प्रतिदिन संपर्क करना चाहिए, व्यक्तिगत रूप से या टेलीफोन या मोबाइल से संपर्क कर तापमान, नाड़ी, ऑक्सीजन स्तर, रोगियों का समग्र स्वास्थ्य और लक्षणों का विवरण प्राप्त करना चाहिए। उनकी टीम राज्य सरकार की नीति के अनुसार रोगी व देखभाल करने वाले को गृह पृथक-वास किट भी प्रदान कर सकती हैं। किट में मरीजों और परिवार के सदस्यों को शिक्षित करने के लिए स्थानीय भाषा में विस्तृत पुस्तिका के साथ मास्क, सैनिटाइटर, पैरासिटामोल दवाई आदि को शामिल किया जा सकता है।

 

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