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 एक आयात प्रतिस्थापन नीति पर विचार कर रही है सरकार- गडकरी

नई दिल्ली। केंद्रीय एमएसएमई और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने जानकारी दी है कि कोविड-19 महामारी द्वारा उत्पन्न नई आर्थिक स्थिति के बाद एक आयात प्रतिस्थापन नीति पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने विभिन्न हितधारकों से नवोन्मेषणों एवं लागत में कमी लाने के माध्यम से गुणवत्ता में सुधार लाने के जरिये ज्ञान को संपदा में रूपांतरित करने की अपील की। 
उन्होंने एक नागपुर स्थित एमएसएमई आरेंज क्लस्टर का उदाहरण दिया जिसने स्क्रैच से पीपीई का निर्माण किया। इन पीपीई का मूल्य 550 रुपये से 650 रुपये है जबकि इनका बाजार मूल्य लगभग 1200 रुपये है और देश इसके लिए आयात पर काफी हद तक निर्भर है। यह क्लस्टर बड़ी मात्रा में पीपीई की आपूर्ति करने की स्थिति में है।
 श्री गडकरी स्टार्टअप इको सिस्टम एवं एमएसएमई तथा तकनीकी सेवा प्रदाताओं और मनोरंजन उद्योग के कलाकारों पर कोविड-19 के प्रभाव पर भारतीय महिला उद्यमी संगठन (एएलईएपी) के प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठकों को संबोधित कर रहे थे। इसमें भाग लेने वाले अन्य लोगों में प्रसिद्ध गायक  सोनू निगम,   नितिन मुकेश , तलत अजीज शामिल थे।
 केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि निर्यात बढ़ाने पर विशेष फोकस आज की महत्वपूर्ण आवश्यकता है और बिजली की लागत, संभार तंत्र की लागत और उत्पादन लागत को कम करने के लिए आवश्यक प्रचलनों का अनुपालन किया जाना चाहिए जिससे कि वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बन सकें। इसके अतिरिक्त, उन्होंने उल्लेख किया कि घरेलू उत्पादन द्वारा विदेशी आयातों को प्रतिस्थापित करने के लिए आयात प्रतिस्थापन पर फोकस करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उद्योग को नवोन्मेषण, उद्यमशीलता, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अनुसंधान कौशल तथा अनुभवों पर अधिक फोकस करना चाहिए जिससे कि ज्ञान को संपदा में रूपांतरित किया जा सके।
 श्री गडकरी ने मनोरंजन उद्योग में असंगठित क्षेत्र के वृहद औपचारिकीकरण पर भी जोर दिया। उन्होंने एमएसएमई मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने के लिए एमएसएमई के रूप में पंजीकरण कराने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि संकट से उबरने के लिए सभी हितधारकों को लोगों की आजीविका सुनिश्चित करते हुए अनिवार्य रूप से समेकित दृष्टिकोण का अनुसरण करना चाहिए। श्री गडकरी ने उद्योग से इस संकट से उबरने के लिए इस अवधि के दौरान एक सकारात्मक मनोवृति रखने का भी आग्रह किया।
 इस परस्पर बातचीत के दौरान जिन कुछ मुद्दों को रेखांकित किया गया और जो सुझाव दिए गए, उनमें शामिल हैं एसएमई को प्रौद्योगिकियों के अंतरण के लिए कोई लाईसेंसिंग शुल्क नहीं, जनजातीय क्षेत्रों के लिए आजीविका को बढ़ावा देने वाली योजनाओं का प्रसार, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में फार्मा सेक्टर एसएमई को सहायता और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए 3 महीने के ऋण स्थगन को और बढ़ाना, सुलभ ऋण विस्तार, जीएसटी का स्थगन/कमी आदि।
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