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बाल गृह के बच्चों को मिलेगी आजीविकामूलक ट्रेनिंग

नियमित स्वास्थ्य परीक्षण की भी पुख्ता सुविधा
कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक में लिया गया निर्णय

भिलाईनगर। बाल गृह के बच्चों को आजीविकामूलक ट्रेनिंग मिलेगी। इन्हें कंप्यूटर सहित विविध विधाओं में प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि उनका कौशल विकास हो सके। कलेक्टर अंकित आनंद की अध्यक्षता में हुई जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक में निर्णय लिया गया। कलेक्टर ने कहा कि बच्चों को कंप्यूटर सहित अन्य विधाओं में प्रशिक्षित किया जाए ताकि उन्हें हुनरमंद बनाया जा सके और भविष्य में उनके लिए आजीविका के बेहतर अवसर उपलब्ध कराये जा सकें। कलेक्टर ने इस मौके पर कहा कि, बाल संरक्षण गृह में सप्ताह में दो बार स्वास्थ्य परीक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएं। सभी बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके, इसके लिए लगातार मानिटरिंग करते रहें। उन्होंने जिला बाल संरक्षण ईकाई में रिक्त पदों की भर्ती की प्रक्रिया शीघ्रताशीघ्र पूरी करने के लिए भी अधिकारियों को निर्देशित किया। बैठक में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय यादव, जिला पंचायत सीईओ कुंदन कुमार एवं बाल संरक्षण समिति के सदस्य सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
कैंपस को अधिक सुरक्षित बनाने शासन को भेजेंगे प्रस्ताव-समिति ने बैठक में निर्णय लिया कि बाल संरक्षण गृह में बच्चों की सुरक्षा को मजबूत करने कैंपस को और सुरक्षित करने की जरूरत है। इसके लिए दीवार की ऊंँचाई बढ़ाने तथा कंटीले तार लगाने की व्यवस्था करनी होगी ताकि कैंपस बच्चों के लिए अधिक सुरक्षित हो सके। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया गया। एसपी ने कहा कि, कैंपस में सुरक्षा उपायों को कार्यान्वित करने के दौरान समिति में आए सुझावों को भी ध्यान में रखते हुए मजबूत सुरक्षा व्यवस्था रहेगी।
आंतरिक परीक्षा भी लें ताकि जानी जा सके शैक्षणिक प्रगति-कलेक्टर ने कहा कि, बच्चों को शिक्षा देने के साथ ही उनके स्तर और ज्ञान में अभिवृद्धि की नियमित जांँच भी जरूरी है। इसलिए समय-समय पर आंतरिक परीक्षा लें। उन्होंने कहा कि जिस विषय के शिक्षकों की कमी है। उस संबंध में तुरंत अवगत कराएं ताकि शिक्षा विभाग को इस संबंध में निर्देशित किया जा सके। उन्होंने कहा कि बाल गृह में पढ़ाने वाले टीचर अपने सामान्य शिक्षण के अतिरिक्त यहाँ समय देंगे, इसलिए उनके लिए अतिरिक्त मानदेय की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी।
कारा के माध्यम से गोद ले सकते हैं बच्चे-जो दंपत्ति बच्चों को गोद लेना चाहते हैं वो कारा के माध्यम से आवेदन दे सकते हैं। अभी दुर्ग जिले में ऐसे चार बच्चे हैं जिन्हें गोद लिया जा सकता है। इसके लिए विस्तृत जानकारी हेतु जिला बाल संरक्षण अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है।

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