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- बरसात की शुरुआत से ही हरे हरे अमरूद मिलने शुरू हो जाते हैं लेकिन सदियों तक इनका लुफ्त उठाया जा सकता है। अमरुद स्वाद के साथ सेहत के लिए भी अच्छे होते हैं। सर्दियों में अमरुद ज्यादा स्वादिष्ट होते हैं।सर्दियों में इसके सेवन से अनेक पोषक तत्वों की पूर्ति होती है। सिर्फ इतना ही नहीं इसका सेवन अधिक बीमारियों को दूर भी करने में मददगार है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि सर्दियों में हमें अमरूद क्यों खाना चाहिए?अमरूद है हाई एनर्जी फ्रूटजब भी किसी हाई एनर्जी फूड का नाम आता है तो अमरूद को सबसे पहले याद किया जाता है। बता दें कि अमरूद का एक नाम मिनरल्स का पावर हाउस भी है। एक्सपट्र्स की मानें तो एक अमरूद यदि 100 ग्राम का है तो उसके अंदर शरीर की आवश्यकता अनुसार सारे विटामिंस मिनरल्स मौजूद होते हैं। इसके अलावा, अमरूद में विटामिन बी-9 भी मौजूद होता है, जिसके सेवन से कोशिकाओं और डीएनए की सेहत सही रहती है।पोटेशियम स्रोतअमरूद को पोटेशियम का स्रोत भी कहा जाता है। पोटेशियम की मदद से इलेक्ट्रोलाइट नामक फ्लूइड और सोडियम के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। इसीलिए अमरूद खाना बेहद फायदेमंद है। अगर हमारे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट की कमी हो जाए तो हमारा शरीर जरूरत से ज्यादा थकने लगता है। उसका एनर्जी लेवल शून्य हो जाता है। इसके अलावा अमरूद में पाए जाने वाले मैग्नीशियम, पोटेशियम दिल की सेहत के साथ-साथ मांसपेशियों की सेहत के लिए भी मददगार हैं। इन्हीं के कारण शरीर कई बीमारियों से दूर रहता है।सर्दियों में आंखों के लिए अमरूद का इस्तेमालबता दें कि अमरूद के अंदर विटामिन ए, के और ई तत्व पाए जाते हैं। यह पोषक तत्व आंखों की सेहत के साथ-साथ बालों और त्वचा के लिए भी जरूरी होते हैं। अगर सर्दियों में अमरूद का सेवन किया जाए तो यह न केवल आंखों को सुरक्षा प्रदान करेगा बल्कि त्वचा और बालों में भी नमी बनाए रखेगा।अमरूद में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण पोषक तत्वअमरूद के अंदर बीटा कैरोटीन, कॉपर, मैग्नीज, मैग्नीशियम, विटामिन बी 6 आदि मिनरल्स पाए जाते हैं। इन मिनरल्स की मदद से रक्त वाहिका नलियां को तंदुरुस्त रखा जा सकता है। इसके अलावा बीटा कैरोटीन की मदद से त्वचा संबंधित रोग भी दूर हो जाते हैं। ये आंखों की दृष्टि को बढ़ाने के लिए भी मददगार हैं। फाइबर से भरपूर अमरूद का सेवन अगर रोज किया जाए तो इससे पेट की समस्या जैसे कब्ज आदि दूर हो जाते हैं।डायबिटीज के मरीजों के लिए भी अमरुद मददगारअमरूद के अंदर ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम मात्रा में पाया जाता है इसीलिए इसका सेवन डायबिटीज के मरीज भी कर सकते हैं। इसके अलावा यह कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी नियंत्रित रखता है। साथ ही जो लोग डाइटिंग कर रहे हैं वह इसका सेवन नियमित रूप से कर सकते हैं।कुछ लोगों का मानना है कि अमरूद को रात में खाने से बुखार, जुखाम, सर्दी आदि हो जाती हैं पर ऐसा नहीं है। एक्सपर्ट इस बात को गलत मानते हैं। जब भी आप अमरूद खरीदें तो ध्यान रखें कि अमरूद पीले न हों। हरे अमरूद में विटामिन सी पाया जाता है, जो सेहत के लिए बेहद जरूरी है।
- सर्दियों में विटामिन सी को सही मात्रा में सेवन सर्दी-जुकाम से बचाए रखता है। विटामिन-सी शरीर के लिए जरूरी कुछ खास विटामिन्स में से एक है। विटामिन सी की कमी दांत, हड्डियां और त्वचा को खराब कर सकती है।विटामिन सी के फायदे1.दिल से जुड़ी बीमारियों में कमी लाता हैदिल की बीमारी दुनिया भर में मौत का प्रमुख कारण है। इसके कुछ प्रमुख कारकों की बात करें, तो उच्च रक्तचाप, उच्च ट्राइग्लिसराइड या एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) के स्तर और एचडीएल (अच्छे) कोलेस्ट्रॉल के निम्न स्तर हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाते हैं। विटामिन सी इन सभी जोखिम कारकों को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। साथ ही कई शोध बताते हैं कि प्रतिदिन कम से कम 500 मिलीग्राम विटामिन सी लेने या सेवन करने से हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है।इम्युनिटी बढ़ाता हैविटामिन सी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए बहुत जरूरी है। दरअसल, विटामिन सी ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में एक भूमिका निभाता है। ये फाइन रेडिकल्स के कारण शरीर को होने वाले नुकसान को रोकता है और टिशूज और ब्लड सेल्स को स्वस्थ रखता है। जैसे कि विटामिन ष्ट लिम्फोसाइट्स और फागोसाइट्स के रूप में जानी जाने वाली सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को प्रोत्साहित करने में मदद करता है, जो संक्रमण के खिलाफ शरीर की रक्षा करने में मदद करते हैं।-विटामिन सी इन सफेद रक्त कोशिकाओं को अधिक प्रभावी रूप से काम करने में मदद करता है और मुक्त कणों (फाइन रेडिकल्स) द्वारा होने वाले नुकसान से बचाता है। विटामिन सी त्वचा की रक्षा प्रणाली का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह सक्रिय रूप से त्वचा तक पहुंचता है, जहां यह एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य कर सकता है और त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है।यूरिक एसिड के स्तर को कम करता है और गाउट हेल्थ के लिए फायदेमंदयूरिक एसिड शरीर द्वारा उत्पादित एक अपशिष्ट उत्पाद है, जो जोड़ों में जमा हो जाते हैं और हड्डियों से जुड़ी परेशानियां पैदा करते हैं। जिन लोगों को यूरिक एसिड के बढऩे से परेशानी होती है, उनके लिए विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थों को खाना बहुत फायदेमंद है। दरअसल, ये ब्लड में यूरिक एसिड के स्तर को कम कर सकता है और गाउट से जुड़ी परेशानियों को कम करता है।शरीर को एक्टिव रखता हैअपने बायोसिंथेटिक और एंटीऑक्सिडेंट गुणों से विटामिन सी आपको एक्टिव रख सकता है। ये थकान या आलस्य और कमजोरी को दूर करता है। इसके अलावा विटामिन सी के कम स्तर को मेमोरी और सोच विकारों के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है, जिनमें डिमेंशिया और अल्जाइमर शामिल हैं। तो अपने मानसिक स्वास्थ्य को सही रखने के लिए विटामिन सी का सेवन करें।अच्छी स्किन के लिएअगर आप चाहते हैं कि आप हमेशा जवां और खूबसूरत दिखें, तो आपको विटामिन सी का भरपूर सेवन करना चाहिए। ऐसा इसलिए कि विटामिन-सी के सेवन से त्वचा को कोलेजन मिलता है, जो कि एजिंग के लक्षणों को कम कर सकता है। ये टिशूज को अंदर से स्वस्थ रख कर, चेहरे में चमक लाता है। इसके अलावा ये किसी भी घाव को ठीक करने और उसे निशानों को गायब करने में मदद करता है।विटामिन-सी के नुकसानविटामिन सी को अगर प्रति दिन 1,000 मिली ग्राम से ज्यादा लेंगे, तो आपको पेट से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। जैसे कि पेट दर्द और दस्त। इसके अलावा हाई विटामिन सी इंटेक अतिरिक्त आयरन के अवशोषण का कारण बनता है, जिससे आपके टिशूज को नुकसान हो सकता है। हालांकि विटामिन सी सप्लीमेंट लेना बंद करने के बाद ये सारे लक्षण गायब हो जाते हैं।विटामिन सी के स्रोतफल और सब्जियां विटामिन सी का सबसे अच्छा स्रोत हैं। हालांकि अनाज में विटामिन सी स्वाभाविक रूप से मौजूद नहीं होता है पर नाश्ते के रूप में आप विटामिन सी से भरपूर इन खाद्य पदार्थों को खा सकते हैं।लाल मिर्च, हरी मिर्च, ब्रोकली, टमाटर , फूलगोभी, पालक, सरसों का साग, हरी मटर, आंवला, नींबू , अमरूद, लीची, पपीता, नारंगी, संतरे का जूस, अंगूर और अंगूर का रस, कीवी फ्रूट और स्ट्रॉबेरी।विटामिन सी सामग्री को लंबे समय तक स्टोर करके खाने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी नहीं मिल पाएगा। ऐसा इसलिए कि विटामिन सी में मिलने वाला एस्कॉर्बिक एसिड पानी में घुलनशील होता है और अधिक तापमान से नष्ट हो जाता है। इसके अलावा स्टीम या माइक्रोवेविंग से खाना पकाने से भी विटामिन सी का नुकसान हो जाता है। इसलिए विटामिन सी से भरपूर फल और सब्जियों के सेवन का सही तरीका ये है कि इसे कच्चा, हाफ फ्राई करके, सलाद, जूस और स्मूदी के रूप में लें।
- कब्ज, गैस, बदहजमी जैसी पेट की समस्याओं से आप भी परेशान हैं, तो बथुआ खाएं। बथुआ को पेट के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसकी पत्तियों में विटामिन ए, कैल्शियम, फॉस्फोरस और पोटैशियम होता है इसलिए ये शरीर की कई परेशानियों को ठीक करने में आपकी मदद करता है। बथुआ के साग में आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके साग को नियमित खाने से कई रोगों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। बथुआ को साग के तौर पर खाना पसंद न हो तो इसका रायता बनाकर खाएं। आइए आपको बताते हैं बथुआ कितना फायदेमंद है और पेट के लिए कितना फायदेमंद है।कब्ज और गैस को दूर करे बथुआबथुआ के साग में फाइबर की मात्रा भरपूर होती है। इसके साथ ही इसमें विटामिन ए और पोटैशियम होता है इसलिए ये पेट के लिए फायदेमंद होता है। अगर आपको कब्ज या गैस की समस्या है तो सप्ताह में 3-4 बार बथुआ की सब्जी जरूर खाएं। बथुआ में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स आपके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करेंगे।एनीमिया को दूर करे बथुआएनीमिया में हरी पत्तेदार सब्जियां खाना फायदेमंद होता है। बथुआ में आयरन और फोलिक एसिड होता है इसलिए ये शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को ठीक करता है और रक्त के निर्माण में भी सहायक है। बथुआ के इन्हीं गुणों के कारण ये महिलाओं के मासिक धर्म की अनियमितता में भी फायदेमंद है। अगर किसी के शरीर में खून कम है या ब्लड टेस्ट में हीमोग्लोबिन कम आया है, तो उसे रोजाना एक कप बथुआ का जूस पीना चाहिए।दांत और मसूड़ों के रोगों में चबाएं बथुआमुंह की बीमारियों जैसे मुंह का अल्सर, सांसों में दुर्गंध आना, दांतों से संबंधित रोग आदि समस्याएं होने पर बथुए की पत्तियों को चबाना फायदेमंद हो सकता है। इससे पायरिया में भी लाभ होता है। बथुआ में एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं इसलिए ये आपके मुंह में मौजूद विषाणुओं को मारता है और आंतों को अच्छी तरह साफ करता है।पथरी को जड़ से मिटाए बथुआअगर आप रोजाना बथुआ खाते हैं, तो आपको पथरी होने का खतरा कम हो जाता है। पथरी के रोग में भी बथुआ खाने से लाभ मिलता है। इसके अलावा पेशाब रुक-रुक कर आना, गुर्दे में इंफेक्शन और गुर्दे की पथरी के लिए बथुआ का साग लाभप्रद है। अगर आपको पथरी है तो तीन ग्लास पानी में आधा किलो बथुआ डालकर उबाल लें और इसके पानी को छान कर गुनगुना कर लें। अब बथुए के इस पानी में दो चुटकी काली मिर्च पाउडर, सेंधा नमक और दो चम्मच नींबू का रस मिलाकर रोज पियें। इससे पथरी की समस्या में लाभ मिलेगा।अर्थराइटिस और हड्डी रोगों से बचाए बथुआबथुआ में कैल्शियम और पोटैशियम होता है इसलिए ये हड्डियों के लिए फायदेमंद होता है। अर्थराइटिस से राहत पाने के लिए बथुआ एक जादुई औषधि है। बथुआ की मदद से गठिया रोग से छुटकारा पा सकते हैं। बथुआ के पत्तों का 15 ग्राम रस रोजाना सेवन करने से गठिया रोग से निजात पाया जा सकता है। बथुआ के पत्तों के रस में बिना कुछ मिलाए सेवन करना चाहिए।
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अक्सर कुछ लोगों को पीले और कमजोर दातों के कारण शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। वे ना चाहते हुए भी लोगों के बीच हाईलाइट हो जाते हैं। अगर आप भी अपने दांतों को स्वस्थ मजबूत और चमकदार बनाना चाहते हैं तो ये नुस्खे आजमा सकते हैं। ये सारी चीजें आसानी से आपकी रसोई और घर में मौजूद हैं।
नारियल या तिल का तेलअगर मुंह से दुर्गंध आती है तो एक टीस्पून नारियल या तिल का तेल लें और उसे मुंह के चारों ओर घुमा लें। थोड़ी देर बाद उसे थूक कर गुनगुने पानी से कुल्ला कर लें। इसके बाद तकरीबन 1 घंटे तक कुछ भी ना खाएं। ऐसा करने से मुंह से आने वाली दुर्गंध दूर हो जाएगी।नमक और अमरूद के पत्तेअगर दांतों में दर्द होता है तो एक गिलास पानी में जरा सा नमन घोलें और उसे तीन-चार अमरूद के पत्तों के साथ उबालें। पानी को छान लें और दिन में दो बार इस पानी से कुल्ला करें। ऐसा करने से दांतों के दर्द में राहत मिलेगी।सेंधा नमक और राई का तेलअगर दांत हिलते हैं तो सेंधा नमक में राई के तेल की कुछ बूंदें डालें और एक पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को रोज सुबह और शाम खाने के बाद मंजन की तरह इस्तेमाल करें। दांतों के हिलने की समस्या बंद हो जाएगी।लौंग का पाउडर और सेंधा नमकदांतों के दर्द में ढाई चम्मच लौंग पाउडर और चौथाई चम्मच सेंधा नमक बेहद असरदार साबित हो सकता है। ऐसे में आप सेंधा नमक और लॉन्ग का पाउडर मिलाकर अपने पास रखें और रात को सोते वक्त मंजन की तरह दांतों पर लगा लें। इसे दर्द में आराम मिलेगा।खाने का सोडा पिसी हल्दीअगर दांतों में कमजोरी है और वे हिलते हैं तो पीसी हुई हल्दी और खाने के सोडे को एक साथ मिलाएं और बने पाउडर से मंजन करें। आराम मिलेगा।हल्दी और नमकअगर मसूड़ों से खून निकल रहा है तो एक बोल में नमक, हल्दी और सरसों के तेल की कुछ बूंदे मिलाएं। इससे बने पेस्ट से दांतों की अच्छी तरह से मालिश करें। आपके मसूड़ों से खून निकलना बंद हो जाएगा।फिटकरी और ग्लिसरीनअगर मुंह में अक्सर छाले हो जाते हैं तो भुनी हुई फिटकरी को ग्लिसरीन में मिलाएं और कॉटन के माध्यम से छालों पर लगाएं। ऐसा करने के दौरान अगर लार टपके तो उसे टपकने दें। थोड़ी देर बाद आराम मिल जाएगा।कुछ जरूरी बातें-- पायरिया की समस्या है और उसकी वजह से मुंह से दुर्गंध आती है तो मुंह में सुबह-शाम एक लौंग डालकर रखें। दुर्गंध आनी बंद हो जाएगी।-मसूड़ों की सूजन कम करने के लिए भुनी हुई अजवाइन का पाउडर मंजन की तरह मसूड़ों पर लगाएं। आराम मिलेगा।-दांतों की तकलीफ होने पर तुलसी के पत्ते चबाने से आराम मिलता है।-दांतों को मजबूत करने के लिए पीपल की छाल से बना पाउडर दिन में एक बार अपने दांतों पर मलें। आराम मिलेगा।-अगर पेट खराब हो तब भी दांतों की समस्या हो सकती है। ऐसे में अपनी डाइट में फाइबर की मात्रा को सही रखें। इसके अलावा चॉकलेट, फास्ट फूड आदि को अपनी डाइट से निकाल दें।-अगर आप स्ट्रेस में रहते हैं तभी तो दांतों की समस्या हो सकती है क्योंकि तनाव में रहने से व्यक्ति को एसिडिटी की समस्या होती है और एसिडिटी से दांतों को भी नुकसान पहुंचता है। - सर्दी के दौरान अक्सर लोग गर्म चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने की कोशिश करते हैं, जिसकी मदद से ठंड से बचाव किया जा सके। ऐसे ही गुड़ है जिसे ठंड के दौरान सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है और लोग गुड़ को अलग-अलग चीजों के साथ शामिल करके इसका सेवन करते हैं।गुड़ स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है, इसमें काफी मात्रा में लोहा, विटामिन सी, प्रोटीन, मैग्नीशियम और पोटेशियम मौजूद होता है जो हमे कई तरह से स्वस्थ रखता है। इसके साथ ही ये आपको कई आम संक्रमण जैसे सर्दी और जुकाम में भी राहत पहुंचाता है, ये आसानी से पच जाता है जिससे पेट का स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहता है। ये पाचन तंत्र को काफी मजबूत बनाए रखता है जिसके कारण कब्ज जैसी आम समस्याओं से निजात मिल सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं आप गुड़ को कई चीजों के साथ खा सकते हैं? जानें, ऐसी की कुछ चीजों के बारे में....मूंगफली के साथ गुड़गुड़ और मूंगफली दोनों ही स्वास्थ्य के हिसाब से काफी फायदेमंद होती है, इनका सेवन करने से आप अपने पूर्ण स्वास्थ्य को तो स्वस्थ रख ही सकते हैं बल्कि सर्दी के दौरान ये विकल्प आपको गर्म रखने में भी मदद करते हैं। आप सर्दी के दौरान मूंगफली और गुड़ को आसानी से अपनी डाइट में शामिल कर इसका सेवन कर सकते हैं। इसे आप दिन में कभी भी खा सकते हैं और कोई भी इसका सेवन कर सकता है। आपको बता दें कि मूंगफली और गुड़ का सेवन आपको सर्दी में होने वाली क्रेविंग को भी कम करने का काम करता है।गुड़ और सौंठसौंठ का सेवन भी अक्सर लोग किसी न किसी चीज के साथ किया करते हैं, लेकिन जब आप सौंठ और गुड़ का सेवन एक साथ करते हैं तो ये आपके लिए काफी फायदेमंद होता है। इसका नियमित रूप से सेवन करने से आप आम संक्रमण से आसानी से लड़ सकते हैं और खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। जब आप किसी संक्रमण का शिकार होते हैं तो उस दौरान आप इसका सेवन कर सकते हैं, क्योंकि ये आपको जल्द स्वस्थ करने में काफी मददगार है।गुड़ और घीगुड़ और घी अक्सर सर्दियों में लोगों की पसंद बन जाते हंै जिसका सेवन लोग नियमित रूप से करते हैं। गुड़ और घी का सेवन सर्दी के दौरान आपके लिए बहुत अच्छा होता है। घी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है, जिसकी मदद से आप खुद को मजबूत बना सकते हैं और कई बीमारियों को दूर कर सकते हैं। ये आपके रोजाना की डाइट में शामिल होने से कई फायदे पहुंचाता है।सौंफ के साथ गुड़ का सेवनसौंफ अक्सर लोग कई चीजों में शामिल करके इसका सेवन करते हैं, ऐसे ही गुड़ और सौंफ का मिश्रण कर इसका सेवन किया जा सकता है। ये सांस संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। सर्दी के दौरान रोजाना गुड़ और सौंफ का सेवन किया जा सकता है।मेथी के बीज और गुड़मेथी के बीज स्वास्थ्य के लिए कितने फायदेमंद है ये तो आप सभी जानते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं जब आप मेथी के बीज के साथ गुड़ का सेवन करते हैं तो ये और भी ज्यादा असरदार हो जाता है। ये आपके बालों को मजबूत करने के साथ पूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। वहीं, जिन लोगों को बहुत ज्यादा बाल झडऩे की समस्या होती है उन लोगों को इसका सेवन नियमित रूप से करना चाहिए, क्योंकि ये आपके बालों को झडऩे से रोकने का काम करता है।(नोट-किसी बीमारी से पीडि़त व्यक्ति, इन उपायों का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य सलाह ले लें...)
- अगर आप आलू को गैरफायदेमंद सब्जी मानकर, नहीं खाते हैं, तो एक बार इसके फायदों के बारे में आपको जरूर जानना चाहिए। भारत ही नहीं दुनियाभर में आलू सबसे ज्यादा खाई जाने वाली सब्जी है। आलू आसानी से उगाया जा सकता है इसलिए पूरी दुनिया में इसे खूब उगाया और खाया जाता है। हालांकि अभी भी बहुत सारे लोग हाई-कार्ब होने के कारण वजन बढऩे के डर से आलू नहीं खाते हैं। मगर आलू में विटामिन्स, फाइबर, फोटोकेमिकल्स, मिनरल्स काफी मात्रा में मौजूद होते हैं और आलू हमें कई रोगों से भी बचाता है।कितना पौष्टिक है आलूआलू भी अन्य सब्जियों की ही तरह बहुत पौष्टिक होता है। 100 ग्राम उबले हुए आलू में केवल 72 कैलोरीज, 1.8 ग्राम प्रोटीन, 17 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 0.1 ग्राम फैट, 1.2 ग्राम फाइबर होता है। इसके साथ ही इसमें 15 माइक्रोग्राम फॉलेट, 1.06 मिलीग्राम नियासिन, 0.03 मिलीग्राम राइबोफ्लेविन, 0.08 मिलीग्राम थियामिन, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, मैग्नीज, फास्फोरस और जिंक आदि सभी तत्वों की अच्छी मात्रा होती है। आलू ज्यादा खाने से कुछ लोगों में वजन बढ़ सकता है मगर इसे सप्ताह में 2-3 बार खाया जा सकता है।हड्डियों के लिए फायदेमंद है आलूआलू का सेवन हड्डियों के लिए फायदेमंद होता है। इसका कारण यह है कि आलू में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस तीनों की मात्रा अच्छी होती है। 100 ग्राम आलू में 12 मिलीग्राम कैल्शियम, 23 मिलीग्राम मैग्नीशियम और 57 मिलीग्राम फास्फोरस होता है। ये सभी तत्व हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी हैं। छोटे बच्चों को भी सीमित मात्रा में आलू खिलाना चाहिए। हालांकि आलू को बहुत ज्यादा ऑयल में फ्राई करने से इसके पोषक तत्वों में कमी आ जाती है।ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है आलूस्वस्थ रक्तचाप को बनाए रखने के लिए कम सोडियम आहार आवश्यक है, लेकिन पोटेशियम की उच्च मात्रा भी समान रूप से महत्वपूर्ण होती है। पोटेशियम वासोडिलेशन, या रक्त वाहिकाओं की चौड़ाई को प्रोत्साहित करता है। पोषक तत्व जैसे पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम सभी आलू में मौजूद होते हैं। यह स्वाभाविक रूप से रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।दिल की बीमारियों से बचाए आलूआलू में मौजूद फाइबर, पोटेशियम, विटामिन सी, और विटामिन बी 6 कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। आलू में फाइबर की महत्वपूर्ण मात्रा रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने में मदद करती है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। आलू में मौजूद पोटेशियम की उच्च मात्रा और सोडियम की कम मात्रा से कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का खतरा लगभग न के बराबर होता है।दिमाग के लिए भी फायदेमंद है आलूमस्तिष्क की उचित कार्यप्रणाली बड़े पैमाने पर ग्लूकोज स्तर, विटामिन-बी परिसर के विभिन्न घटकों, ऑक्सीजन आपूर्ति, ओमेगा-3 जैसे फैटी एसिड, कुछ हार्मोन और एमिनो एसिड पर निर्भर करती है। आलू में यह सभी तत्व मौजूद होते हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि आलू मस्तिष्क के लिए भी बहुत लाभकारी है। आलू मस्तिष्क को थकने से रोकता है और आपको हर समय सतर्क रखता है।
- सरसों, लाल भाजी, चौलाई, पालक का साग तो हम खाते ही हैं, जानें सेहत और स्वाद से भरपूर 7 ऐसे साग, जो काफी पौष्टिक हैं।सर्दियों में ज्यादातर लोगों के घरों में साग बनता है। साग के कुछ आम विकल्पों की बात करें, तो सरसों, मेथी, चौलाई और चने का साग अपने यहां सबसे ज्यादा बनाया जाता है। पर इन सबको छोड़ दें, तो साग के कुछ अन्य प्रकार भी हैं, जिन्हें आप अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। साग के इन प्रकारों को खाने के भी अपने ही फायदे हैं ....अरबी का सागअरबी या कोचई को भारतीय प्रदेशों में कई तरीके से खाया जाता है। अरबी के पत्ते को कुछ लोग जहां अरबी के पत्ते की पकौड़ी बनाते हैं, तो वहीं बिहार जैसे राज्यों में इसका कोफ्ता भी बनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में कोचई के पत्ते की स्वादिष्ट कढ़ी बनाई जाती है। अरबी के पत्ते का साग सबसे ज्यादा लाभकारी माना जाता है। अरबी का साग खाने के फायदे की बात करें, तो अरबी में सोडियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे खनिज पाए जाते हैं। इसमें विटामिन ए और विटामिन सी भी पाया जाता है, जो इम्यूनिटी बूस्टर करने के लिए फायदेमंद है। इसके अलावा इसका हाई फाइबर इसे डायबिटीज के रोगी और मोटापे से पीडि़त लोगों के लिए साग का बेहतर विकल्प बनाता है।सहजन का साग (मुनगे का साग)सहजन या मुनगे के पत्ते को खान-पान में कई तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। आप जहां सहजन के पत्तियों की चाय बना कर पी सकते हैं, तो वहीं आप इसके पत्ते से साग भी बना सकते हैं। सहजन के पत्ते कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस का अच्छा सोर्स माने जाते हैं, जो कि हड्डियों के विकास में मददगार हैं। छत्तीसगढ़ में कमरछठ में मुनगे की पत्तियों सहित छह प्रकार के साग का सेवन करने की परंपरा रही है। सहजन की पत्तियों में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं, जो शरीर में इंफ्लेमेशन के कारण होने वाली समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करते हैं और हृदय स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाए रखते हैं। इन सबके अलावा जिन लोगों को एनीमिया है उनके लिए सहजन के साग को खाना रेड ब्लड सेल्स की कमी को पूरा कर सकता है। इसकी पत्तियों को सुखाकर इसके पाउडर का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।चिरोटा का सागचिरोटा का साग सर्दियों के लिए बहुत फायदेमंद है। ऐसा इसलिए कि चिरोटा के साग गर्म तासीर वाला होता है। चिरोटा के साग के फायदे की बात करें, तो ये फाइबर, प्रोटीन और आयरन से भरपूर है। ये जहां पेट के लिए अच्छा है वहीं ये सर्दी-जुकाम में खाने के लिए भी अच्छा है। इस सबके अलावा अस्थमा रोग में इसके फूलों को पकाकर सब्जी के रूप में भी खाया जाता है।नोनिया साग के फायदेनोनिया साग को लोग सुशनी के पत्तों के साथ मिलाकर बनाते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर माना जाता है और शरीर को कई सारे इंफेक्शन से बचाए रखता है। साथ ही इसमें विटामिन सी और कुछ मिनरल्स भी पाए जाते हैं, जो कि पेट के लिए बहुत फायदेमंद है। साग के अलावा लोग सुशनी के पत्तों को चटनी भी बना कर खाते हैं।कश्मीरी हाककश्मीरी हाक का साग पालक के साग जैसा ही होता है। इसे प्याज, लहसुन और सौंठ डाल कर काफी बेहतरीन तरीके से बनाया जाता है। कश्मीरी हाक खाने के फायदे की बात करें, तो ये इस साग में कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है, जो कि हड्डियों के विकास के लिए फायदेमंद है। साथ ही ये काफी गर्म तासीर वाला है,तो आप इस साग को सर्दियों में खा सकते हैं।पुई सागपुई या पोई एक जंगली बेल है, जिसे कई जगहों पर पकौड़ी बना कर खाया जाता है। पुई साग को खाने से गैस की परेशानी से आराम मिलता है। साथ ही इसे खाने से कफ में भी कमी आती है। पुई के पत्तों को साग बनाने के अलावा भी कई तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। माना जाता है कि इसके पत्तों को उबाल कर पीने से ये मुंह के छालों को भी ठीक करने में मदद करता है।कद्दू या कुम्हड़े के पत्ते का सागकद्दू के पत्ते में विटामिन ए और सी आदि पाए जाते हैं। विटामिन ए जहां, आंखों की रोशनी में सुधार करता है और स्वस्थ त्वचा व बालों को बढ़ावा देता है, वहीं विटामिन सी घावों को ठीक करने और हड्डियों, त्वचा और दांतों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसका साग हरा कद्दू मिलाकर बनाया जाता है, जो खाने में काफी स्वादिष्ट होता है।
- गेहूं हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद होता है ये तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं गेहूं के बीज से निकलने वाला तेल भी हमारे लिए फायदेमंद होता है। जी हां, गेहूं के बीज से निकलने तेल उतना ही हमारे लिए अच्छा होता है जितना की गेहूं। गेंहू के बीज के तेल में कई खास पोषक तत्व जैसे विटामिन बी 6, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फास्फोरस मौजूद होते हैं जो हमारे लिए फायदेमंद होता है। आपको बता दें कि आप दूसरे तेल की तरह ही इस तेल का सेवन कर सकते हैं जो आपको पूरी तरह स्वस्थ रख सकता है। ऐसे ही इसके कई स्वास्थ्य और त्वचा संबंधित लाभ है जिसको जानना आपके लिए बहुत जरूरी है। तो आइए इस लेख के जरिए हम आपको बताते हैं कि गेहूं के बीज का तेल आपके लिए स्वास्थ्य और त्वचा के लिए कैसे फायदेमंद है।कैसे फायदेमंद है गेहूं के बीज का तेलबैड कोलेस्ट्रॉल को करता है कमगेहूं के बीज का तेल शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने के साथ शरीर में मौजूद खराब कोलेस्ट्रॉल को दूर करने का काम करता है। इसके साथ ही ये हृदय को स्वस्थ रखने में फायदेमंद होता है। ब्लड सर्कुलेशन के बेहतर होने से कई स्वास्थ्य समस्याओं को बचा जा सकता है और इससे त्वचा भी स्वस्थ रह सकती है।ऊतकों को रखता है स्वस्थअक्सर कई बार ऊतकों के नष्ट हो जाने से कई समस्याएं नजर आती होंगी, लेकिन नियमित रूप से गेहूं के बीज के तेल का इस्तेमाल किया जाए तो ये ऊतकों को स्वस्थ रख सकता है और उनको हुए नुकसान को कम कर सकता है। यही नहीं बल्कि ये सेल्स को भी स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में है मददगारगेहूं के बीज का तेल शरीर को ऊर्जा देने में भी काफी मददगार होता है। ये शरीर में आई कमजोरी को दूर कर शरीर को एक्टिव रखने की कोशिश करता है। गेहूं के बीज का तेल आमतौर पर खिलाड़ी इस्तेमाल करते हैं जिससे कि वो लंबे समय तक ऊर्जावान रह सकें। इसलिए यदि आप भी खुद को एक्टिव और ऊर्जावान रखना चाहते हैं तो आप आज से ही गेहूं के बीज का तेल इस्तेमाल करें जो आपके लिए फायदेमंद साबित होगा।त्वचा संबंधित समस्याएं होती है कमनियमित रूप से त्वचा पर गेहूं के बीज का तेल इस्तेमाल करने से ये लंबे समय तक आपकी त्वचा को स्वस्थ रख सकता है साथ ही ये किसी भी त्वचा संबंधित समस्या को आसानी से दूर कर सकता है। सोरायसिस, एक्जिमा और त्वचा का बार-बार रुखापन आने से रोकने के लिए गेहूं के बीज के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।ब्लड शुगर लेवल होता है बेहतरब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए गेहूं के बीज का तेल बहुत फायदेमंद होता है। इस तेल का इस्तेमाल कर ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखा जा सकता है। इसके साथ ही जिन लोगों डायबिटीज है उन लोगों के लिए भी ये तेल बहुत अच्छा होता है। ये डायबिटीज की स्थिति को बहुत ज्यादा बिगडऩे से रोकता है साथ ही शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।----
- भारतीय घरों में सबसे अधिक मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। यहां आपको किचन में कई तरह के मसाले मिल जाएंगे। यह मसाले खाने के स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी गुणकारी होते हैं। हल्दी से लेकर मिर्च तक, सभी सेहत के लिए अच्छे माने जाते है। मिर्ची और हल्दी के बिना खाने का स्वाद अधूरा सा लगता है। मिर्च हमारे खाने का जायका बढ़ा देती है। हमारे देश में मिर्च कई वैरायटियों में मिलती है। ये सभी स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं। मिर्च एंटी-ऑक्सीडेंट और विटामिन सी के गुणों से भरपूर होती है। यह वजन घटाने से लेकर आंत को स्वस्थ रखने में हमारी मदद करती है। मिर्च में कैप्साइमिन नामक तत्व होता है, जो ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा को प्रभावित करती है।हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि मिर्च के सेवन जीवनकाल को बढ़ाया जा सकता है। यह दिल से संबंधित बीमारी और कैंसर जैसी घातक बीमारियों के लिए फायदेमंद हो सकती है। यह रिसर्च 2020 में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा किया गया है।शोधकर्ताओं ने दुनियाभर के 5 प्रमुख स्वास्थ्य डेटाबेस से 4,729 लोगों पर यह सर्वेक्षण किया है। ये ऐसे लोग हैं, जो मिर्च बहुत ही कम खाते हैं या फिर बिल्कुल भी नहीं खाते हैं। इस सर्वेक्षण में देखा मिर्च खाने वालों की तुलना में कम मिर्च खाने वालों की मृत्युदर अधिक है।सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक, अधिक मिर्च खाने वालों में दिल से संबंधित होने वाली मृत्युदर 26 प्रतिशत कम होती है। इसके साथ ही इनमें कैंसर से होने वाली मृत्यु 23 फीसदी कम है। वहीं, अन्य किसी कारणों से होने वाली मृत्युदर 25 प्रतिशत कम है।वरिष्ठ लेखक बो जू, एमडी, क्लीवलैंड क्लिनिक हार्ट, वैस्कुलर एंड थोरैसिक इंस्टीट्यूट ऑफ क्लीवलैंड, जो ओहियो में कार्डियोलॉजिस्ट के मुताबिक, जो लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में मिर्च का इस्तेमाल करते हैं। उनमें सीवीडी और कैंसर मृत्यु दर कम देखी गई है। इसके अलावा इस सर्वेेक्षण में यह भी बताया गया है कि यह हमारे पूरे जीवनकाल और स्वास्थ्य के लिए अहम भूमिका निभाताी है।मिर्च खाने के फायदेएंटी ऑक्सीडेंट से भरपूरहरी मिर्च एंटी-ऑक्सीडेंट जैसे तत्वों से भरपूर होती है। इसके अलावा इसमें डाइट्री फाइबर की भी प्रचुरता होती है, जो हमारे पाचनतंत्र को सुचारू रूप से चलाने में हमारी मदद कर सकती है।अर्थराइटिसगठिया रोगियों के लिए भी हरी मिर्च गुणकारी होता है। मिर्च के सेवन से ज्वाइंट्स में होने वाले दर्द से आराम मिलता है। इसलिए गठिया के मरीजों को अपने आहार में कम से कम 2 मिर्च रोजाना शामिल करना चाहिए।आंखों के लिए है फायदेमंदहरी मिर्च में विटामिन ए प्रचुर रूप से होता है, जो आंखों के लिए अच्छा माना जाता है। विटामिन ए आंखों के साथ-साथ स्किन के लिए भी काफी फायदेमंद है। ऐसे में आप अपने डाइट में रोजाना एक हरी मिर्च को जरूर शामिल करें।फेफड़ों के कैंसर का खतरा कमधूम्रपान करने वाले लोगों को अपने डाइट में हरी मिर्च को अधिक से अधिक शामिल करना चाहिए। हरी मिर्च के सेवन से फेफड़ों के कैंसर का खतरा टलता है।
- ज्यादातर रोटियां गेहूं की ही बनाई जाती हैं, लेकिन चने, मक्का और बाजरे की रोटी के भी बहुत फायदे हैं।डायबिटीज के मरीजों को अक्सर अपनी डाइट में कुछ चीजों से परहेज करने को कहा जाता है। नाश्ते से लेकर, लंच और डिनर तक में उन्हें, उन्हीं चीजों का सेवन करने को कहा जाता है, जिनसे कि उनका ब्लड शुगर लेवल संतुलित रहे और डायबिटीज कंट्रोल में रह सके। ऐसे में वे चने की रोटी आराम से खा सकते हैं।सबसे पहली बात कि चना की रोटी ग्लूटेन फ्री जो कि एक बड़ा प्रभावी कारण है कि इसे डाइट में शामिल किया जा सकता है। दरअसल ग्लूटन गेहूं, जौ और जई (बार्ली) जैसे अनाजों में मिलने वाला एक प्रोटीन है, जो कि ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है। वहीं चने की रोटी ग्लूटेन मुक्त है, जो कि ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रख सकता है। वहीं कई और कारण भी हैं, जिसकी वजह से डायबिटीज के मरीजों को अपनी डाइट में काला चना या चने की रोटी को जरूर शामिल करना चाहिए।चने की रोटी खाने के फायदे1.कोलेस्ट्रॉल कम करता है चने की रोटीचने के आटे में ग्लिसेमिक इंडेक्स 70 होता है जबकि गेंहू के आटे में 100 के करीब होता है इसलिए चने की रोटी खाने से शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा नियंत्रित रहती है। वहीं अगर गेंहू के आटे और चने के आटे को मिलाकर सेवन किया जाए तो कोलेस्ट्राल लेवल भी सामान्य रहता है। इसकी मदद से गुड कोलेस्ट्राल बढ़ता है। वहीं चना दाल के आटे में बहुत अधिक घुलनशील फाइबर होता है जो, न केवल ब्लड में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, बल्कि धीरे-धीरे रक्तप्रवाह में भी आराम से अवशोषित हो जाता है, परिणामस्वरूप ये ब्लड शुगर के स्तर को सही रखता है और उसमें अचानक से बढ़ोतरी का कारण नहीं बनता है।2.हाई प्रोटीन वाला होता है चने की रोटीचने की रोटी गेहूं की रोटी की तुलना में अधिक प्रोटीन युक्त होता है। उदाहरण के लिए एक चने की रोटी खाने से आपको लगभग 10 ग्राम प्रोटीन मिलता है, जो कि गेहूं की रोटी की तुलना में ज्यादा है। वहीं इसे खाकर आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगेगी और आप कंप्लीट महसूस करेंगे। इस तरह ये आपको मोटापा और इटिंग डिसऑर्डर से भी बचा सकती है।3.पाचन तंत्र के लिए फायदेमंदचने की रोटी में हाई फाइबर होता है, जो कि आपके पेट के लिए बहुत अच्छा है। दरअसल जिन लोगों को कब्ज और पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियां रहती हैं, उनके लिए ये चने की रोटी खाना इसे ठीक कर सकता है। इसका फाइबर पाचनतंत्र को एक्टिव करता है, जिससे कि आपका पेट साफ रहता है।इस फायदों के अलावा चने की रोटी खाने का एक फायदा ये भी है कि चने की दाल से बनी रोटी में आयरन और कैल्शियम की अधिक मात्रा होती है, जो कि दिमाग से तनाव को कम करने में मदद करता है। वहीं ब्रेकफास्ट में इसे खाना दिनभर काफी एनर्जेटिक महसूस करवा सकता है। इसलिए आपको अपनी रेगुलर रोटी में बदलाव करके कभी कभार चने की रोटी खाने की कोशिश करनी चाहिए। तो अगर आपने आज तक चने की रोटी नहीं खाई है, तो दो कप चने का आटा लेकर गर्म पानी में गू्ंथ लें और फिर इसकी रोटी बना कर खाएं, स्वाद के लिए आप इसमें अजवाइन या फिर मेथी के पत्ते भी डाल सकते हैं। चना आटा में बथुवा भाजी के पत्ते डालकर बनाई गई रोटियां भी शरीर के लिए फायदेमंद है।-----
- दिवाली के बाद भारत के कई राज्यों में वायु प्रदूषण बढ़ गया है। एक तरह जहां, प्रदूषण बढऩे के कारण लोगों को फेफड़ों से जुड़ी परेशानियां हो रही हैं, वहीं कोरोना वायरस का प्रकोप भी थमने का नाम नहीं ले रहा। ज्यादातर लोगों को इस प्रदूषण के कारण सांस लेने में तकलीफ, खांसी-जुकाम, कफ और चेस्ट कंजेशन की परेशानी हो रही है। ऐसे में इस तरीके के मौसमी इंफेक्शन से बचाव एक तरीका ये है कि हम अपने खान-पान में कुछ ऐसी चीजों को शामिल करें, जो कि इस कफ और कंजेशन को कम करे। बड़ी इलायची इन स्थितियों में एक रामबाण उपाय है। ये जहां कफ को कम कर सकती है, वहीं ये फेफड़ों को साफ करके इसके प्रोसेस को बेहतर बना सकती है। तो , आइए जानते हैं बड़ी इलायची के फायदे और इसे इस्तेमाल करने का तरीकाबड़ी इलायची के फायदे1.मौसमी इंफेक्शन से बचाव मेंबड़ी इलायची में एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं। ये तीनों ही शरीर को किसी भी मौसमी इंफेक्शन से बचाए रख सकते हैं। साथ ही ये गुण संयुक्त रूप से श्वसन तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।2.कफ और कंजेशन की परेशानी मेंआयुर्वेद के अनुसार, बड़ी इलायची में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो कि खांसी-जुकाम को ठीक करने के लिए उपयोगी हैं। यह श्वसन मार्ग से अतिरिक्त बलगम को हटाने में मदद करता है और कंजेशन से राहत दिलाता है। सरसों के तेल के साथ एक बड़ी इलायची के सेवन से खांसी और जुकाम के लक्षणों में कमी आ सकती है।3.हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंदबड़ी इलायची में पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे खनिजों की भी एक अच्छी मात्रा है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। साथ ही ये ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जो कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद है।कैसे करें बड़ी इलायची का इस्तेमाल?1.बड़ी इलायची वाली चायबदलते मौसम में बड़ी इलायची की चाय बहुत फायदेमंद होता है। इसे रोज पीने से शरीर में जमा कफ पिघल सकता है और कंजेशन में कमी आ सकती है। बड़ी इलायची की चाय बनाने के लिए चाय के पानी में 2 बड़ी इलायची कूच कर डाल लें। फिर इसमें दालचीनी और चायपत्ती मिला में। अब सबको उबाल लें। छान लें और फिर शहद मिला कर सर्व करें।2. बड़ी इलायची का भाप लेंबड़ी इलायची की भाप सीने के जकडऩ को कम कर सकती है। इसके लिए पानी में तुलसी, पुदीना और बड़ी इलायची डाल कर उबाल लें। अब इसमें थोड़ा सा पिपमिंट ऑयल डाल लें और फिर इस पानी का भाप लें। पानी जब ठंडा होने लगे, तो उसे दोबारा गर्म कर लें और फिर से भाप लें। इसकी गर्मी शरीर को आराम दिलाएगी।3.बड़ी इलायची और शहद का सेवनबड़ी इलायची पाउडर को शहद में मिला कर इस्तेमाल करके कंजेशन से निजात पाया जा सकता है। दरअसल, सूखी खांसी में शहद का उपयोग करना, खांसी को दबाने का और गले की खराश में राहत पाने का एक प्रभावशाली तरीका है। अध्ययनों में पाया गया है कि शहद खांसी में दवाओं से भी ज्यादा फायदा देता है। इसके लिए बड़ी इलायची को हल्का गर्म कर लें और फिर कूट कर पाउडर बना लें और शहद में मिला लें। अब हर रात सोने से पहले इसका सेवन करें। इससे सूखी खांसी कम हो जाएगी।इस तरीके से बड़ी इलायची हर मायने में शरीर के लिए फायदेमंद है। जहां ये सर्दी-जुकाम को ठीक करता है, वहीं ये मेटाबॉलिज्म को भी सही रखता है। साथ ही शरीर की उन रासायनिक प्रक्रियाओं को तेज करता है, जो कि भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करती हैं।
- एसिडीटी में लाभदायक इलायचीसही हाजमे के लिए फायदेमंदहरी इलायची का इस्तेमाल भारतीय रसोईयों में खूब होता है. इसे मसाले, चाय, मिठाई, खुशबू बढ़ाने और माउथ फ्रेशनर के तौर पर भी किया जाता है. यह एक आयुर्वेदिक औषधि भी है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. इलायची शरीर से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में मदद करती है. इसका हर दिन सेवन करना आपको बहुत सारे लाभ देता है.शरीर के विषैले पदार्थ बाहर निकालेइलायची में पौटेशियम, मैग्नेशियम और कैल्शियम जैसे खनिज होते हैं, जो शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं. साथ ही इलायची रक्तचाप भी कंट्रोल करती है.कफ, सर्दी जुकाम में फायदेमंदइलाचयी कफ, सर्दी, जुकाम, खांसी जैसी समस्याओं को भी दूर करती है. इलायची के तेल की कुछ बूंदें गर्म पानी में डालकर 15 मिनट तक भाप लेने से सीने में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ दूर हो जाती है. इससे कफ साफ होता है.हाजमा और मुंह से दुर्गंध कम करेइलायची, हाजमा ठीक करने का भी काम करती है, साथ ही यह एक तरह की माउथ फ्रेशनर भी होती है. इससे मूंह की बदबू कम हो जाती है. मुंह से दुर्गंध आने की परेशानी है, तो खाना खाने के बाद एक या दो इलायची चबा लेनी चाहिए.एसिडिटी में लाभपेट में गैस की समस्या होने से सिर में भी दर्द होने लगता है. इसलिए ऐसा कभी फील (महसूस) हो तो इलायची का सेवन करें. आप बस खाना खाने के बाद मुंह में पांच मिनट तक इलायची डालकर चबा लें. इससे पाचन की प्रक्रिया भी सही रहती है.
- देश में कोरोना वायरस का प्रकोप पिछले 1 साल से जारी है। कोरोना के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना वायरस की इस तबाही के बीच बोलीविया में एक और वायरस ने दस्तक दी है। जी हां, हाल ही में अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इस वायरस की पुष्टि की है। वैज्ञानिकों ने इस वायरस का नाम चपारे दिया है। चपारे वायरस के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि यह खतरनाक वायरस इंसानों से इंसानों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है। इतना ही नहीं यह वायरस इबोला जैसे हेमोरैजिक फीवर का कारण बन सकता है। हालांकि, इबोला फैलने के शुरुआत में इबोला वायरस को भी खतरनाक माना गया था, लेकिन वैज्ञानिकों ने इबोला पर काबू पाने में कामयाबी हासिल की थी। अमेरिकन सोसायटी ऑफ ट्रोपिकल मेडिसीन एंड हाइजीन की सालाना मीटिंग में चापरे वायरस की रिपोर्ट पेश की गई थी।साल 2019 में पहला मामला हुआ था उजागरकोरोना वायरस की तरह की चपारे वायरस का पहला मामला साल 2019 में सामने आया है। बताया जा रहा है कि साल 2019 में बोलीविया के ला पाज शहर में दो मरीज संक्रमित हुए थे, जिसके बाद उन्हीं मरीजों से 3 स्वास्थकर्मी संक्रमित हुए थे। इन में से 1 मरीज और 2 स्वास्थ्य कर्मी की मौत हो गई थी। यह वायरस बोलीविया के चपारे इलाके से उजागर हुआ है, इसलिए इसका नाम चपारे रखा गया था। चपारे ला पाज से 370 मील दूर है।अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के संक्रामक रोग विशेषज्ञ केटलिन कोसाबूम ने बताया कि चपारे वारयस शरीर में मौजूद तरल पदार्थों से पूरे शरीर में फैल सकता है। माना जा रहा है कि यह वायरस चूहों से इंसानों के बीच फैला है। केटलिन ने कहा कि शारीरिक तरल पदार्थों से फैलने वाले वायरस को श्वसन द्वारा फैलने वाले वायरस से अधिक आसानी से काबू पाया जा सकता है।चपारे वायरस के लक्षणसंक्रामक रोग विशेषज्ञ के अनुसार, चपारे वायरस के प्रमुख लक्षणों में आंखों में दर्द, बुखार, उल्टी, लाल चकत्ते और पेट में दर्द शामिल हैं। इस वायरस का कोई खास इलाज अभी दुनिया में मौजूद नहीं है, इसलिए इसका इलाज नसों में मौजूद तरल पदार्थों का किया जाता है।इंसानों से इंसानों पर कर सकता है प्रहारइस वायरस को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वायरस इंसानों से इंसानों को संक्रमित कर सकता है। इसे लेकर और अधिक रिसर्च की जरूरत है, जिससे भविष्य में फैलने वाले खतरे को रोका जा सके। अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के पैथोलोजिस्ट मारिया मोराल्स ने इस बारे में कहा कि हमने वायरस पर जांच शुरू कर दी है, फिलहाल हमें यह आम बीमारी होने की उम्मीद है। अभी इस पर और अधिक जांच की जरूरत है।
- जब शरीर को पर्याप्त पोषण देने की बात आती है, तो विशेषज्ञ नट्स यानी सूखे मेवे खाने की सलाह जरूर देते हैं। जिम जाने वाले बॉडी बिल्डर भी शरीर को पोषण देने के लिए कई तरह के नट्स का सेवन करते हैं। ब्राजील नट्स भी इन्हीं में से एक हैं, जो पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसके 5 से 7 बीज पूरे दिन के लिए जरूरी पोषण देने का काम कर सकते हैं।ब्राजील नट्स के पेड़ सबसे पहले साउथ अमेरिका में पाए गए। मौजूदा समय की बात करें, तो कुछ गिने-चुने देशों में ही इसका उत्पादन होता हैं। इसका ज्यादातर निर्यात अमेरिका से ही होता है। इसके फल स्वाद में क्रीम की तरह लगते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें ब्राजील नट्स का स्वाद पसंद नहीं आता। ऐसे में वो इसे भून कर भी खा सकते हैं। इसके सेवन से कई तरह की शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।ब्राजील नट्स का उपयोग करने से कई तरह के शारीरिक और मानसिक फायदे हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं-1. थायराइड स्वास्थ्यथायराइड से बचने के लिए ब्राजील नट्स का उपयोग लाभदायक हो सकता है। दरअसल, यह सेलेनियम का अच्छा स्रोत होता है। सेलेनियम थायराइड हार्मोन के स्तर में सुधार करने का कार्य करता है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि थायराइड हार्मोन की कमी के कारण होने वाली समस्याओं में ब्राजील नट्स सहायक साबित हो सकते हैं।2. हृदय रोगएक अध्ययन में पाया गया है कि रक्त में सेलेनियम की कमी के कारण हृदय रोग के जोखिम उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाता है। चूंकि, ब्राजील नट्स में सेलेनियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इस कारण यह हृदय रोग के जोखिमों को कम करने में सहायक साबित हो सकता है । वहीं, सेलेनियम को एक प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट भी माना गया है, जो रक्तचाप को संतुलित रखने में मदद करता है ।3. सूजन से राहतएक शोध के अनुसार, ब्राजील नट्स के सेवन करने से शरीर की सूजन में राहत पाई जा सकती है। सूजन को कम करने में ब्राजील नट्स में पाए जाने वाला सेलेनियम मुख्य भूमिका निभाने का काम करता है। दरअसल, सेलेनियम, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। इस कारण यह सूजन को कम करने के साथ-साथ रक्त संचार में भी सुधार करने में सहायक साबित होता है ।4. कैंसर उपचारब्राजील नट्स सेलेनियम का अच्छा स्रोत हैं। वहीं, सेलेनियम को कई गंभीर समस्याओं को दूर करने में सहायक माना जाता है। कैंसर भी इन्हीं में से एक है। विशेषज्ञों के मुताबिक, सेलिनियम कई प्रकार से कैंसर से छुटकारा दिलाने में सकारात्मक परिणाम दे सकता है । इस कारण हम कह सकते हैं कि ब्राजील नट्स का उपयोग कैंसर के जोखिमों को दूर करने में भी लाभकारी साबित हो सकता है।5. वजन घटाने के लिएब्राजील नट्स के फायदे वजन को कम करने के लिए भी हो सकते हैं। कारण यह है कि ब्राजील नट्स में फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो वजन घटाने में आपकी मदद कर सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, फाइबर पाचन क्रिया में सुधार करता है। साथ ही भूख को लंबे समय तक शांत रखने में भी मददगार होता है। इस कारण अन्य कुछ भी खाने का मन नहीं होता और वजन घटाने में मदद मिलती है।6. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिएशरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और रोग के कारण बनने वाले बैक्टीरिया को दूर करने में जिंक की भूमिका पाई गई है। वहीं, ब्राजील नट्स जिंक का अच्छा स्रोत है। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि ब्राजील नट्स का उपयोग प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए लाभदायक हो सकता है।7. मस्तिष्क स्वास्थ्यब्राजील नट्स के फायदे मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए भी हो सकते हैं। ब्राजील नट्स में पॉलीफेनोल पाया जाता है, जो एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। एंटीऑक्सीडेंट ब्रेन को डैमेज होने से बचाने का कार्य कर सकता है। इसलिए, इसका उपयोग मस्तिष्क स्वास्थ्य बेहतर बनाने के लिए हो सकता है ।8. पाचन क्रिया के लिएपाचन क्रिया को सुचारू रूप से बनाए रखने के लिए फाइबर अहम भूमिका निभा सकता है। फाइबर मल को नर्म करके बाहर निकालने का काम करता है। इससे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखा जा सकता है । वहीं, ब्राजील नट्स फाइबर का अच्छा स्रोत हैं । इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि ब्राजील नट्स पाचन क्रिया के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।9. टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ाएंब्राजील नट्स को टेस्टोस्टेरोन में वृद्धि के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, ब्राजील नट्स में सेलेनियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है । वहीं, सेलेनियम शरीर में फर्टिलिटी को विकसित करने में मदद करता है। साथ ही फर्टिलिटी में सहयोगी टेस्टोस्टेरोन हार्मोन और स्पर्म की मात्रा को बढ़ाने में सहायता करता है ।10. मुंहासे से छुटकाराब्राजील नट्स में जिंक पाया जाता है, जो त्वचा को लाभ पहुंचाने का काम कर सकता है । जिंक मुख्य रूप से मुंहासों को दूर करने का काम कर सकता है। इसलिए, ब्राजील नट्स के सेवन से मुंहासे को हटाने में सहायता मिल सकती है ।11. बालों की वृद्धि के लिएबालों के विकास और उनकी मजबूती के लिए विटामिन-सी, विटामिन-बी, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम की अधिक जरूरत होती है । वहीं, ब्राजील नट्स में ये सभी तत्व प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं । इस कारण ब्राजील नट्स के सेवन से बालों की वृद्धि में मदद मिल सकती है।ब्राजील नट्स के नुकसानब्राजील नट्स में सेलेनियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यही वजह है कि ब्राजील नट्स का सेवन अधिक मात्रा में करने से कुछ समस्या उत्पन्न हो सकती है। इससे होने वाले दुष्प्रभाव कुछ इस प्रकार से हो सकते हैं, जैसे कि मतली, दस्त, त्वचा में रैशेज, बाल झडऩा, चिड़चिड़ापन, मुंह का स्वाद खराब होना, नर्वस सिस्टम की समस्या और सांस लेने में दिक्कत।
- केला ही नहीं, बल्कि इसका जड़ भी हमारे सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। आइए जानते हैं केले के जड़ों से होने वाले फायदे....केलों का सेवन आपने कई बार किया होगा, लेकिन क्या आपने कभी केले की जड़ का सेवन किया है? केला खाने से सेहत को कई लाभ होते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी जड़ें भी हमारे सेहत के लिए लाभाकारी होती हैं। केला ही नहीं, बल्कि इसकी जड़ों में भी कई पोषक तत्व भरपूर होते हैं, जो हमारे सेहत के लिए लाभकारी है। आइए आज जानते हैं केले की जड़ का सेवन करने से शरीर को क्या-क्या फायदे होते हैं।गले में सूजन और खराश से छुटकारागले में सूजन और खराश की समस्याओं को दूर करने में केले का जड़ काफी फायदेमंद हो सकता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए केले की जड़ लें, इसे बहुत ही अच्छे से साफ करें। अब इसे अच्छे से निचोड़ें। इसके बाद इसे एक बर्तन में रखें और 3/4 कप पानी डालकर उबालें। अच्छी तरह से उबाल आने के बाद केले की जड़ को इसमें अच्छे से मैश करें। अब इस पानी से दिन में 4 से 5 बार कुल्ला करें। नियमित रूप से ऐसा करने से गले की सूजन और खराश दूर हो जाएगी।हाई ब्लड प्रेशर को करे कंट्रोलहाई ब्लड प्रेशर की समस्या को भी केले की जड़ के सेवन से कम किया जा सकता है। नियमित रूप से केले के जड़ का सेवन करने से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल कर सकते हैं। इसका सेवन करने के लिए सबसे रहले 30 से 120 ग्राम केले की जड़ लें। इसे अच्छे से साफ करें और पानी में उबालें। इस काढ़े का नियमित रूप से सेवन करें। अगर आप अच्छे परिणाम चाहते हैं, तो दिन में करीब 3 से 4 बार इसका सेवन करें। इससे सर्दी, जुकाम जैसी समस्या चुटकियों में गायब हो जाएगी।बुखार से मिलेगी राहतबुखार होने पर भी केले की जड़ों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें एंटीपायरेटिक के गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को ठंडा रखने में मदद कर सकते हैं। एंटीपायरेटिक, ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने और बुखार को कम करने में मदद कर सकता है। केले की जड़े से शरीर में काफी पसीना होता है, जिससे शरीर के अंदर की गर्मी बाहर निकल जाती है। इसलिए बुखार होने पर आयुर्वेद में केले की जड़ का सेवन करने की सलाह दी जाती है।अस्थमा रोगियों के लिए लाभकारीसांस से संबंधी समस्याओं में भी केले की जड़ लाभकारी हो सकती है। इसमें सूजन को कम करने और एंटीपायरेटिक के गुण पाए जाते हैं, जो अस्थमा जैसे गंभीर रोगों से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते हैं। अस्थामा या फिर किसी सांस संबंधी समस्या से पीडि़तों के लिए केले की जड़ों से तैयार काढ़े का सेवन करना लाभप्रद होता है।आंखों के लिए है फायदेमंदकेले की जड़ में विटामिन ए भरपूर रूप से होता है। विटामिन ए आंखों की समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है। नियमित रूप से केले की जड़ से तैयार काढ़े का सेवन करने से आंखों से जुड़ी कई समस्याएं ठीक की जा सकती हैं।पेट में अल्सरकेले की जड़ें ठंडी होती हैं, इसलिए यह पेट की गर्मी को शांत रखने में आपकी मदद कर सकता है। इसमें डोपामाइन भरपूर रूप से होता है, जो गैस्ट्रिक एसिड को खत्म करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा पेट के अल्सर को भी खत्म करने में यह गुणकारी है। पेट में अल्सर की शिकायत होने पर इसकी जड़ से तैयार काढ़े का नियमित रूप से सेवन करने से आराम मिलता है।(केले की जड़ के काढ़े का इस्तेमाल करने से पहले एक बार किसी योग्य चिकित्सक से सलाह अवश्य ले लें। हम यहां केवल इसके फायदे की जानकारी दे रहे हैं।)
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त्योहार मनाते वक्त कैलरी, फैट, मोटापा और बढ़ता वजन किसे याद आते हैं! सच तो यह है कि इस दौरान हममें से कोई इन सबके बारे में सोचना भी नहीं चाहता। आइए, यहां जानते हैं कि दिवाली पर जो एक्स्ट्रा कैलरी शरीर में गई हैं, उन्हें कैसे बर्न करना है...? हमारे देश का सबसे बड़ा त्योहार है दीपावली। खुद में तो दिवाली सिर्फ एक दिन का त्योहार होता है। लेकिन धनतेरस, छोटी दीपावली, लक्ष्मी पूजा, गोवर्धन पूजा और भाई दूज इत्यादि को मिलाकर यह त्योहार मुख्य रूप से 5 दिन तक चलता है। इस दौरान हम सभी अपने डायट चार्ट और फिटनेस रुटीन को साइड में रखकर जमकर त्योहार का आनंद लेते हैं। ये और बात है कि बाद में बढ़ी हुई कैलरी, हाई ब्लड शुगर और गजब की थकान के कारण परेशान रहें। इन सब दिक्कतों के चलते हम त्योहार मनाना तो नहीं छोड़ सकते हैं ना। इसलिए हम आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स लेकर आएं हैं, जिनके जरिए आप दिवाली की थकान दूर करके अपने शरीर का एक्स्ट्रा फैट भी लूज कर सकते हैं और अपने ब्लड शुगर को भी नॉर्मल कर सकते हैं। आइए, जानते हैं कि आपको अगले एक सप्ताह तक किन चीजों का सेवन करने से लाभ होगा।
खाने में यह शामिल करें....
-आज से आप अपनी डायट में कढ़ी-चावल, बथुए का रायता, मेथी की भाजी (भुज्जी) पालक और बीन्स शामिल कर लीजिए। ये सभी फूड्स बहुत लाइड होते हैं लेकिन शरीर को तुरंत एनर्जी देने का काम करते हैं।
सलाद में खाएं ये चीजें
-शरीर से विषैले और हानिकारक तत्वों को निकालने के लिए हर दिन दोपहर के समय या लंच और डिनर के बीच के समय में आप सलाद खाएं। इस सलाद में गाजर, शलजम, मूली, देसी टमाटर और चुकंदर को जरूर शामिल करें।
-ये सभी मौसमी सब्जियां यदि कच्ची खाई जाएं तो शरीर को जरूरी मात्रा में विटमिन्स और फाइबर्स की प्राप्ति होती है। इनका सेवन करने से शरीर के सभी टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं और आपका शरीर अंदर से स्वस्थ बनता है।
ग्रीन-टी जरूर पीएं
-शरीर में पहुंचे गैरजरूरी फैट (वसा) को पिघलाने और नई ऊर्जा प्राप्त करने के लिए हर दिन ग्रीन-टी का सेवन करें। यह आपको तरोताजा रखने, मोटापा घटाने और गले की समस्याओं से बचाने का काम करेगी।
दही और छाछ का सेवन है अनिवार्य
-इस एक सप्ताह में आप छाछ और दही का सेवन जरूर करें। छाछ को हींग, जीरा और अजवाइन का तड़का लगाकर उपयोग में लाएं। साथ ही दही को दोपहर के समय खाएं। दूध से बने ये दोनों ही प्रॉडक्ट प्रोटीन की मात्रा से भरपूर होते हैं और इनमें फैट की मात्रा बहुत ही कम होती है। ये शरीर को प्राकृतिक मॉइश्चर देते हैं और हानिकारक तत्वों को शरीर से बाहर निकालते हैं।
छाछ और दही का सेवन जरूर करें
-इस बात का ध्यान रखें कि दही और छाछ दोनों में से कुछ भी खाली पेट नहीं खाना है। साथ ही इनका सेवन शाम के समय नहीं किया जाता है। इसलिए रात के भोजन में इन्हें ना लें। दही और छाछ से शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए इनका सेवन दोपहर के समय करना चाहिए। - क्या कभी किसी ने सोचा है कि नंगे पांव चलने से क्या होता है? समुद्र किनारे, पहाड़ पर, या किसी बाग में नंगे पांव चलने का आनंद कैसा होता होगा। बहुत से लोगों को इसके बारे में पता भी हो सकता है और किसी को नहीं भी। आज हम जानते हैं कि मिट्टी में नंगे पांव टहलने से कैसे पहुंचता है शरीर को फायदा जानते हैं-ब्लड प्रेशर कम करता हैनंगे पांव जमीन पर चलने से ब्लड प्रेशर की समस्या का प्रभाव कम होता है। जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की परेशानी रहते हैं उन्हें 10 से 15 मिनट रोजाना चलना चाहिए। इसके साथ ही नंगे पांव चलने से शरीर में ताजगी रहती है। इसके साथ ही ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में मदद होती है । पैरों के नीचे वाला हिस्सा मजबूत होता है। साथ ही जिन लोगों को ज्यादा तनाव रहता है उन्हें हर रोज सुबह नंगे पांव जरूर घूमना चाहिए।शरीर में सूजन और दर्द कम करने में मददगारजिन लोगों को शरीर में सूजन या अक्सर दर्द रहता है इनके लिए सुबह नंगे पांव जमीन पर चलना बेहद ही फायदेमंद होता है क्योंकि जमीन में खास विद्युत पॉवर होती है जो शरीर को महत्वपूर्ण बल देती है।माइग्रेन में राहत मिलेनंगे पांव चलने से शरीर कई बीमारियों से दूर रह सकता है। वहीं जिन लोगों को माइग्रेन के दर्द से जूझना पड़ता है उनके लिए नंगे पांव चलना फायदेमंद होता है। इससे उन्हें आराम मिलता है।शरीर में एनर्जी बढ़ाता हैनंगे पांव चलने से शरीर मे एनर्जी लेवल बढ़ता है इसलिए लोगों को कराटे, योगा आदि चीजें नंगे पांव ही कराया जाता है। इससे शरीर में नई ऊर्जा बनी रहती है।इम्युनिटी और आंत के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करता हैजमीन में शक्तिशाली सूक्ष्म जीव प्राकृतिक तरीके से इम्युनिटी बनाने में मदद करते हैं। इसलिए हर किसी को मिट्टी के संपर्क में जरूर रहना चाहिए। हमारे नाखून और त्वचा के जरिए सूक्ष्म जीव शरीर में जाते हैं, जिससे वह आंतों को अच्छे बैक्टीरिया की खुराक मुहैया कराते हैं। व्यक्ति की आंतों में माइक्रोफ्लोरा होता है जो कि सूक्ष्मजीवी बैक्टीरिया के कारण बनता है और इसकी वजह से इम्यून सिस्टम ज्यादा मजबूत और ज्यादा स्वस्थ रहता है।जानें क्या कहते हैं वैज्ञानिकजमीन पर नंगे पांव चलने से प्रकृति के साथ जोडऩे में मदद मिलती है। रोजाना सुबह 30 मिनट अपने लिए निकालकर नंगे पांव सैर करनी चाहिए। इससे आप बीमारियों से दूर रह सकते हैं और स्वास्थ्य भी सही रहता है।
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मशरूम तो आपने अकसर खाई होगी, पर आज हम आपको ऑएस्टर मशरूम के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका सेवन आपको नॉनवेज से भी ज्यादा पोषक तत्व दे सकता है।
मशरूम कई तरह की होती है। सफेद मशरूम, बटन मशरूम और शिटेक को अकसर आपने पिज्जा या सूप में इ्रसतेमाल किया होगा। पर क्या आप जानती हैं कि ऑएस्टर मशरूम इन सबसे ज्यादा पौष्टिक होती है। कई विटामिन्स और माइक्रो न्यूट्रीएंट्स से भरपूर ऑएस्टर मशरूम आपकी इम्युनिटी बढ़ाकर कई गंभीर बीमारियों से बचा सकती है।
क्या है ऑएस्टर मशरूम
इसे इसके आकार के कारण ऑएस्टर मशरूम या सीप मशरूम कहा जाता है। यह बिल्कुल किसी सीप की तरह दिखती है पर बेहद नाजुक होती है। लेकिन इसकी नजाकत पर न जाएं यह इतनी ज्यादा पौष्टिक होती है कि इसका सेवन आपको नॉन वेज से ज्यादा पोषक तत्व देता है।
ऑएस्टर या सीप माशरूम में मौजूद पोषक तत्व
रिसर्च गेट में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार ऑएस्टर मशरू में बटन मशरूम या शिटेक से ज्यादा पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स मौजूद होते हैं। जो मौसम में हो रहे बदलावों से मुकाबला करने के लिए आपको तैयार करते हैं। इसके अलावा इसमें 1.6 से 2.5% प्रोटीन होता है।
सूक्ष्म पोषक तत्वों का खजाना है सीप मशरूम
ऑएस्टर मशरूम या सीप मशरूम उन सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी भंडार है जिनकी जरूरत आपके शरीर को सुचारू रूप से काम करने के लिए होती है। -
मोटापा कम करने में असरदार
गुड़ के सेवन से इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है. वजन कम करने से लेकर, कई बीमारियों के लिए गुड़ की चाय बहुत जरूरी होती है. गुड़ की चाय सर्दियों में एनर्जी बूस्ट करने का काम करती है. आपको बताते हैं कि सर्दियों में कैसे आप बड़ी आसानी से घर पर गुड़ की चाय बना सकते हैं, जानें इसके फायदे.
ये सामग्री चाहिए
तीन चम्मच बारीक गुड़
2 चम्मच चाय की पत्ती
2 इलायची
1 चम्मच सौंफ
और एक कप पानी के साथ दो कप दूध.
आधा चम्मच काली मिर्च पाउडर और अदरक
ऐसे बनाएं
पैन में एक कप पानी में उसमें अदरक, इलायची, कालीमिर्च, सौंफ मिलाकर उबाल लें. उबलने के दौरान दूध मिलाकर इस फिर उबालें. अब गुड़ डालें और अच्छी तरह मिला लें. ज्यादा देर तक इसे उबालें नहीं वरना चाय फट सकती है.
पेट कम होता है
सर्दियों में गुड़ की चाय पीने से पेट की चर्बी खत्म होती है और इंसान स्वस्थ भी रहता है.
पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है
गुड़ की चाय पाचन तंत्र में सुधार लाती है. सीने की जलन को कम करने में मददगार होती है. गुड़ में बहुत कम कृत्रिम स्वीटनर होते हैं. गुड़ में चीनी से ज्यादा विटामिन और खनिज होते हैं, जो स्वास्थ्य में फायदेमंद होते हैं.
माइग्रेन से राहत, लाल रक्त कोशिकाओं में वृद्धि
माइग्रेन या सिरदर्द के मरीजों को गाय के दूध में गुड़ की चाय बनाकर पीनी चाहिए. इससे आराम मिलता है. साथ ही खून की कमी वालों के लिए भी गुड़ खाना या इसकी चाय पीना फायदेमंद होता है. - भाग्यश्री फिल्म अभिनेत्री होने के साथ डाइटिशियन और न्युट्रिशियन भी हैं। जो अपने इंस्टाग्राम पर स्किन केयर से लेकर स्वास्थ्य पर देसी उपाय बताती रहती हैं। अभी के समय में लोग वायु प्रदूषण की वजह से परेशानी से गुजर रहे हैं इसका असर फेफड़ों पर देखने को मिल रहा है। हमारे शरीर का अहम हिस्सा होते हैं फेफड़े। इसके अस्वस्थ रहने की वजह से कई अन्य बीमारियों से गुजरना पड़ता है जैसे कि अस्थमा, टीबी, कैंसर, निमोनिया, फेफड़ों का कैंसर आदि। फेफड़े हवा ही नहीं, प्रदूषण व स्मोकिंग की खतरनाक हवा को भी भीतर लेते हैं। फेफड़ों को स्वस्थ रखने का आसान तरीका है कि नियमित रूप से व्यायाम और हेल्दी फूड खाएं। फिल्म अभिनेत्री भाग्यश्री ने फेफड़ों में असाधारण जमाव को साफ करने के लिए साधारण घरेलू इलाज साझा किया है। जानते हैं क्या हैं वो टिप्स।भाग्यश्री ने इंस्टाग्राम एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा, "हम सभी ये बात जानते हैं कि धूम्रपान करने से हमारे फेफड़ों प्रभावित होते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि ये परेशानी प्रदूषण, आपके किचन से निकलने वाला खराब धुआं और यहां तक तक कि लंबे समय तक साइनस के कारण भी हो सकती है? फेफड़े शरीर से खराब पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं।, लेकिन इसके लिए फेफड़ों की देखभाल करना जरूरी है? आपके किचन में मौजूद सामान्य मसाले ऐसा कर सकते हैं। "भाग्यश्री के घरेलू टिप्स--दो कुचली हुई काली मिर्च के साथ एक छोटा चम्मच जीरा लें और उसे पानी में उबालें और इसका सेवन गर्म चाय की तरह करें। भाग्यश्री ने आगे बताया कि शानदार पाचक होने के साथ जीरा में असाधारण जमाव को साफ करने वाले गुण पाए जाते हैं। जीरा पानी छाती में जमी बलगम संचय को साफ करने में मदद करता है और जबरदस्त हाइड्रेटेर होता है।- सेब का सेवन करें- फेफड़ों को हेल्दी रखने के लिए विटामिन सी, विटामिन ई और बीटा कैरोटिन वाले आहार का सेवन करना चाहिए। सेब में एंटी-ऑक्सीडेंट्स भी पाए जाते हैं जो फेफड़ों को हेल्दी बनाने में मदद करते हैं।-घर की हवा साफ रखें- घर में पौधों को लगाकर आप घर की हवा साफ रख सकते हैं जो आपके फेफड़ों को भी सेहतमंद रखने में मदद करते हैं। इसके लिए आप घर में स्पाइडर प्लांट्स, मनी प्लांट्स, एलोवेरा और बोस्टन फन्र्स जैसे पौधे लगा सकते हैं।-एक्सरसाइज करें- अगर आप हर समय बैठे रहते हैं तो ये आपकी खराब सेहत का कारण बन सकता है। आप अपने लिए एक नियम बना लें कि आपको दिन में 20 मिनट एक्सरसाइज जरूर करनी है और पसीना निकालना है। इसके लिए आप कोई भी एक्सरसाइज कर सकते हैं या फिर तेज-तेज चल सकते हैं।-खूब पानी पीएं- शरीर के लिए पानी से अच्छा कुछ नहीं होता, इससे शरीर डिटॉक्सीफाई होता है। इसलिए, दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पीना चाहिए।भाग्यश्री ने कहा शरीर को हर हिस्सा जरूरी होता है इसलिए हर अंग का ख्याल सही तरीके से करना चाहिए। हम अपने आंख, नाक . कान, दांत, दिल और किडनी को लेकर हमेशा सतर्क रहते हैं, लेकिन जब बात फेफड़े की आती है तो हम डर जाते हंै। ये हमेशा ढंग से काम करते रहते हैं और हमें परेशान नहीं करते, इसलिए हम इनकी ज्यादा फिक्र भी नहीं करते, लेकिन सही समय पर इनका ध्यान रखना जरूरी है।
- मिठाई का नाम लेते ही मुंह में पानी तो आता ही है। यदि दीवाली जैसा खास त्यौहार को तो फिर मिठाई खाना तो बनता है। त्योहार में पारंपरिक मिठाइयों की अपनी एक जगह है। आज हम आपको एक ऐसी मिठाई की रेसिपी बता रहे हैं, जो अलग स्वाद तो देगी ही बल्कि ये सेहत से भरपूर भी है और ये है मखाना के लड्डू.....सामग्री3 या 4 कप - मखानाड्राई फ्रूट्स- नारियल, किशमिश, काजू, बादाम, चिरौंजी, अलसी के बीज आदि यदि अलसी के बीज नहीं लेना चाहते हैं तो मत डालिए।1 कप - पीसी हुई चीनी वैकल्पिक2 कप घीमखाना लड्डू बनाने का तरीकाआप सबसे पहले एक पैन लें और उसमें 1 या 2 चम्मच घी डालकर मखाना को रोस्ट कर लें। इसके बाद आप मखानों को अलग निकाल लें और उसी पैन में आप ड्राई फ्रूट्स डालकर, उन्हें भून लें। नारियल को आप कद्दूकश करके रख सकते हैं। इसके बाद आप इन्हें ग्राइंडर में दरदरा पीस लें। अब आप इसमें कद्दूकश किया हुआ नारियल डालें और इसमें चाहें, तो पीसी हुई चीनी भी डाल सकते हैं। इसके बाद आप इसमें घी डालें और इन सबको अच्छे से मिलाएं। अब आप इस तैयार मसाले से अपने मनचाहे आकार के लड्डूू तैयार करें। इसके बाद आप इन्हें कम से कम 3 महीने के लिए स्टोर करके रख सकते हैं।मखाना लड्डू के फायदेयदि आप इस मखाना लड्डू का सेवन करते हैं, तो यह आपके स्वाद के साथ और कई फायद भी देगा। यदि डायबिटीज रोगी भी मखाना लड्डू का सेवन बिना किसी टेंशन के कर सकते हैं। यह मखाना लड्डू एक शुगर फ्री मिठाई का विकल्प भी है। इसके अलावा, यह मखाना लड्डू स्वाद और सेहत दोनों के लिए बेस्ट हैं क्योंकि इसमें मौजूद ड्राई फ्रूट्स या नट्स में शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व मौजूद हैं। इतना ही नहीं, अगर जो लोग वजन घटाने की भी कोशिश कर रहे हैं, तो वे बेफ्रिक होकर ये लड्डू तो खा ही सकते हैं। दरअसल इस लड्डू में इतनी कम कैलोरी है, जिसे आप आसानी से बर्न हो जाती है। इसलिए देर किस बात की इस त्योहार में घर पर ही बना डालिए ये सेहत से भरे लड्डू।
- नमक हमारी भोजन में एक अहम भूमिका अदा करता है। ऐसे में हमें पता होना चाहिए कि नमक की कितनी मात्रा हमारे शरीर में जानी चाहिए।नमक के बिना खाने में स्वाद की कल्पना करना भी असंभव है। नमक की जरूरत हमारे शरीर को बहुत होती है, लेकिन इसकी अधिकता भी हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह है। नमक केवल हमारी भोजन के स्वाद को नहीं बढ़ाता बल्कि यह हमारे जीवन में भी एक अहम भूमिका निभाता है। नमक एक बहुत महत्वपूर्ण मिनरल है जिसे सोडियम क्लोराइड के नाम से भी जाना जाता है अगर इसकी मात्रा हमारे शरीर में ज्यादा हो जाए तो अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है जैसे हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, ऑस्टियोपोरोसिस आदि समस्याएं इसके अधिकता के कारण हो सकती हैं।इसके अलावा अस्थमा, स्टमक कैंसर, किडनी से जुड़ी बीमारियां भी इसके अधिक मात्रा में सेवन करने से होती हैं। इसके अलावा कुछ लोग जिनको नमक खाने की आदत को नियंत्रण नहीं कर पाते वह लो सोडियम सॉल्ट का सेवन करते हैं। लेकिन आपको बता दें कि इस सॉल्ट का सेवन भी सीमित मात्रा में करना चाहिए।नमक की कितनी मात्रा अच्छीअक्सर जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है वे नमक खाना बिल्कुल ही बंद कर देते हैं पर ऐसा करना गलत है। एक्सपट्र्स की मानें तो एक साथ नमक बंद करना सही नहीं है। धीरे-धीरे नमक की मात्रा को कम करना ही लाभदायक है। अगर पानी की मात्रा को बढ़ा दी जाए तो नमक से होने वाले नुकसान यूरिन के जरिए बाहर निकल जाएंगे। बता दें कि शरीर में मौजूद सोडियम और पोटेशियम यूरिन के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं। लेकिन हां, अगर किसी को किडनी की समस्या है तो इस प्रक्रिया में बाधा आती है। जिन लोगों को किडनी की समस्या होती है वे खुद को ज्यादा नमक खाने से रोकें।लो सोडियम सॉल्ट कितना सहीजो लोग ज्यादा नमक खाने की आदत से परेशान हैं वह लो सोडियम सॉल्ट का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या इसका नियमित रूप से सेवन करना सेहत के लिए अच्छा है। इस नमक का स्वाद नमक जैसा होता है पर इसमें सोडियम क्लोराइड के अधिकांश मात्रा को पोटेशियम सॉल्ट में बदल दिया जाता है जो दिल और किडनी पर बहुत प्रभाव डालता है। ऐसे में इसके सेवन से बचना चाहिए। और साथ ही कुछ लोग खाने को जल्दी पकाने के चक्कर में मीठा सोडा या यानी सोडियम बाइ कार्बोनेट डाल देते हैं, जिसकी वजह से हमारी पाचन तंत्र की प्रक्रिया में गड़बड़ आनी शुरू हो जाती है। इसके अलावा व्रत के दौरान जो लोग सामान्य नमक की बजाय सेंधा नमक का सेवन करते हैं उन्हें पता होना चाहिए कि सेंधा नमक में आयोडीन नहीं होता है क्योंकि आयोडीन हमारी स्वास्थ्य और मस्तिष्क के लिए एक जरूरी तत्व है। इसलिए सेंधा नमक का प्रयोग सामान्य नमक की तुलना में करना उचित नहीं। ऐसे में केवल वही नमक खरीदें जो आयोडीन युक्त हो।जंक फूड के सेवन से बचें।-अगर आप खाने का स्वाद बढ़ाना चाहते हैं तो नमक के साथ हरा धनिया, पुदीना, नींबू का इस्तेमाल करें। इससे नमक की मात्रा पूरी हो जाएगी। चूंकि पालक, मेथी जैसी हरी सब्जियों में प्राकृतिक नमक होता है इसलिए उसे बिना नमक के ही पकाएं।-जो लोग अपने घर में सेंधा नमक, काला नमक और चार्ट मसाले का इस्तेमाल करते हैं वे इनका सीमित मात्रा में सेवन करें।-अपनी डाइट में फलों और सब्जियों को भरपूर मात्रा में शामिल करें।-अगर आप किसी होटल में जाते हैं तो वहां के सूप या चाइनीस फूड का ऑर्डर ना करें। ऐसे खाने में नमक की मात्रा ज्यादा होती है।-अपने घरवालों को नमक की आदत छुड़वाने के लिए डाइनिंग टेबल पर नमक ना रखें।-अगर आप खाने में सोया या पिज़्ज़ा सॉस का इस्तेमाल कर रहे है तो ऊपर से नमक डालने की भूल ना करें।
- आक या मदार का धार्मिक महत्व भी है और औषधीय तथा वास्तु शास्त्रीय महत्व भी इसका कम नहीं है। यह एक जहरीला पौधा है, लेकिन इसके फायदे भी हैं। आज हम जानेंगे इसके फूल के फायदे....लोगों ने पूजा के लिए आक के फूल का इस्तेमाल किया होगा। इस पौधे को उगाया नहीं जाता बल्कि अपने आप ही किसी भी जगह उग जाता है। इस पौधे की जड़ में मंडारएल्बन और फ्युएबिल पाया जाता है, जो कई बीमारियों के इलाज में कारगर है। आक के पौधे से ज्यादतर लोग दूर रहते हैं क्योंकि लोगों को ये जहरीला पौधा लगता है लेकिन यह सत नहीं हैं क्योंकि लोगों को इसके गुणो के बारे में नहीं पता होता। इस पौधे से शरीर के कई समस्या दूर हो सकती है।एलर्जीअगर किसी को स्किन एलर्जी की समस्या हो जाती है तो इस परेशानी से निजात पाने के लिए आके की जड़ को जलाकर चूर्ण बना लें और उसे कड़वे तेल में मिलाकर एलर्जी वाले हिस्से पर लगाएं।बवासीर की समस्या दूर करने में लाभदायकबवासीर की समस्या होने पर लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आक के पत्ते और जड़ बहुल गुणकारी होती है। इसके लिए पानी में आक के पत्ते और उसका डण्ठल भिगो दें और फिर इस पानी को पीएं। इससे जल्द बवासीर की परेशानी खत्म हो जाती है।डायबिटीज कंट्रोल करने में मदद करेंलोग डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए दवाइयों का सहारा लेते हैं, लेकिन इस समस्या के लिए आप हर रोज सुबह आक के पत्तों को पैर के नीचे लगाकर रखें और रात को सोने से पहले हटा दें। ऐसा करने से शुगर कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।चेहरे से झुर्रियां व दाग-धब्बे दूर करेंउम्र के बढऩे के साथ चेहरे पर झुर्रियां की परेशानी होने लग जाती है, जिसके लिए लोग अलग-अलग तरह की क्रीम और उपाय अपनाते हैं। लेकि इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप हल्दी में गुलाब जल और आक का दुध मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। इससे चेहरे की झुर्रियां और दाग-धब्बे दूर हो जाएंगे। लेकिन इस पेस्ट को लगाते समय ध्यान रखे कि ये आंखों में न जाएं।सिर दर्द से राहत दिलाएजिन लोगों को माइग्रेन की वजह से अक्सर सिर दर्द रहता है या कान में दर्द हो, तो ऐसे में आक के फूल का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। सिर दर्द से राहत के लिए इसमें से निकलने वाला दूध सिर पर लगाएं।घाव भरने में करे मददचोट लगने के बाद उसका घाव भरने में समय लगता है। तो इसे जल्द सही करने के लिए आप आक की पत्तियों को पीस कर इसमें सरसों का तेल मिला लें और इसे घाव पर लगाएं। जब तक घाव भर न जाए नियमित रूप से ऐसा करें।खांसी सही न होने पर करें आक के फूल का इस्तेमालकई लोगों को अक्सर खांसी की परेशानी रहती है, जिसके लिए वह दवा का सहारा लेते हैं पर ज्यादा अराम नहीं मिलता। ऐसे में उन लोगों के लिए आक का पौधा रामबाण औषधि होता है। इस समस्या से जल्द राहत पाने के लिए आक के फूल मे लौंग और काली मिर्च मिलाकर पीस लें और इसे रोज सुबह गर्म पानी से पीएं। खांसी के साथ जिन लोगों को सांस की समस्या है उसमें ये लाभकारी होगा।आक के पौधे को लेकर अक्सर लोग इसे जहरीला समझकर इससे दूर रहते हैं ऐसा इसलिए क्यों इस पौधे से निकलने वाली दूध आंखों के लिए परेसानी ला सकता है। पर अगर ध्यान से इसका इस्तेमाल किया जाए तो सेहत के लिहाज से बहुत फायदेमंद होता है आक को पौधा और इसके फूल।(सावधानी- बिना अनुभवी चिकित्सक या वैद्य की सलाह से इसका इस्तेमाल न करें। इस आलेख में हम केवल इसके फायदों की जानकारी दे रहे हैं।)
- शोध से एक बात सामने आई है कि कद्दू यानी कुम्हड़ा के बीज गंजेपन का रामबाण इलाज बन सकते हैं। तो आइए जानते हैं इसे इस्तेमाल करने का सही तरीका और इसके खास लाभ।कद्दू छत्तीसगढ़ में बड़े शौक से खाया जाता है। सूखी सब्जी के अलावा इसकी कढ़ी, भजिया जिसे तलन कहते हैं और हलुआ...भी बनाया जाता है। कुम्हड़ा के अलावा इसके बीज भी काफी फायदेमंद हैं। इसे जहां लोग डायबिटीज में इंसुलिन की मात्रा को संतुलित करने के लिए इस्तेमाल करते हैं, वहीं ये ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए भी फायदेमंद है। इसमें पाया जाने वाला मैग्नीशियम जहां दिल को स्वस्थ रखता है, वहीं जिंक आपनी इम्यूनिटी बूस्ट करता है, तो कुल मिला कर समझें, तो ये स्वास्थ्य के लिए हर तरह से फायदेमंद है। कद्दू का बीज बालों के लिए भी बहुत लाभकारी है। ये न सिर्फ बालों की जड़ों को मजबूत बनाते बल्कि स्कैल्प इंफेक्शन और बाल झडऩे की भी परेशानी को भी कम करते हैं।बालों के लिए कद्दू के बीज का लाभकद्दू के बीज में बालों को कई पोषण प्रदान करते हैं। इसमें जिंक, सेलेनियम, मैग्नीशियम, ऑयरन, कैल्शियम, और विटामिन ए, बी और सी आदि होता है, जो कि बालों की ग्रोथ को ट्रिगर कर सकते हैं। ये न सिर्फ पतले बालों को मोटा बनाने के लिए फायदेमंद है बल्कि ये बालों की गुणवक्ता को भी बेहतर बनाते हैं। वहीं जिन लोगों में विशेष रूप से अधिक टेस्टोस्टेरोन के कारण गंजेपन की परेशानी होती है उनके लिए भी ये बहुत फायदेमंद है। इसे आप पीस कर ही खाने के अलावा बालों में लगा सकते हैं। वहीं इसका तेल भी बालों के लिए बहुत फायदेमंद है।बालों के लिए कद्दू के बीज का उपयोग कैसे करेंकद्दू के बीज से हेयर पैक बनाया जा सकता है। . ये बालों की जड़ों को खास फायदा पहुंचाने का काम करेंगे। ये स्कैल्प में ठंडक लाने का काम करता है और बालों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं। इसे बनाने के लिए ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं है बस कद्दू के बीज को पीस कर दही और शहद में मिला कर बालों में लगा लें। फिर इसे आधा घंटे तक ऐसे ही छोड़ दें और फिर बालों को ठंडे पानी से धो कर शैंपू कर लें। कुछ दिनों तक कद्दू के बीज का रेगुलर इस्तेमाल करने से आप पाएंगे कि आपके बालों की रंगत बेहतर बन गई और बाल टूटने में भी कमी आएगी।कद्दू के बीज का तेलकद्दू के बीज के तेल आमतौर पर तेल या जेल कैप्सूल के रूप में बेची जाती है। कद्दू के बीज का तेल घर पर भी बनाया जा सकता है। इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना बस इसके बीज को पीस कर पाउडर बना कर रख लें। फिर इसे जैतून के तेल के साथ मिला कर हल्का गर्म कर लें और फिर ठंडा होने पर इससे स्कैल्प पर लगा लें। आप चाहें, तो इसमें विटामिन-ई की गोलियां भी मिल सकते हैं। ये बालों को अतिरिक्त लाभ पहुंचाने का काम करेगी। हर हफ्ते दो बार बालों की इस तरह से चंपी करने से आप अपने बालों को मजबूत और घना बना सकते हैं।इस तरह से कद्दू के बीजों का रेगुलर इस्तेमाल करना आपको बालों को मजबूती प्रदान करेगा। वहीं जिन लोगों को गंजेपन की परेशानी है उनके लिए तो ये रामबाण इलाज बन सकता है।
- दांतों को स्वस्थ रखने के लिए लोग अलग-अलग तरीके अपनाते हैं, ज्यादातर लोगों को नीम की दातुन से दांतों की सफाई और ब्रश करते देखते हैं। लोगों का मानना है कि नीम की दातुन से दांतों की सफाई करने से दांतों में संक्रमण पर रोकथाम होती है और दांत अच्छी तरह से चमक सकते हैं। लेकिन कई लोग ऐसे भी होंगे जो इस पर यकीन नहीं करते होंगे। कई लोगों के बीच ये सवाल होता है कि क्या दातुन से दांतों की सफाई करना सही है या नहीं और कैसे ये हमारे दांतों को स्वस्थ रखने में मददगार है। आइये जानते हैं नीम दातून करना फायदेमंद है या नुकसानदायक।दांतों के लिए कैसे फायदेमंद है नीम की दातुनबरसों से लोग नीम की दातुन से अपने दांतों की सफाई करते आ रहे हैं। भारत में इसे आयुर्वेदिक ब्रश के रूप में देखा जाता है। जर्नल 'फार्माकोग्नॉसी रिव्यू' में 'अजादिराचट्टा इंडिका: अ हर्बल पैनेशिया इन डेंटिस्ट्री - एन अपडेट नाम से प्रकाशित एक अध्ययन में दिखाया गया है कि नीम की छाल दांतों के लिए एक सक्रिय घटक के रूप में काम करती है। सामने आए अध्ययन के मुताबिक, नीम की छाल का मसूड़ों की समस्या और दांतों में संक्रमण को दूर करने का काम करते हैं। इस अध्ययन में नीम की छाल को दांतों के इलाज के लिए एक बेहतरीन तरीके के रूप में देखा जाता है।क्या कहते हैं एक्सपट्र्सविशेषज्ञों के अनुसार नीम अपने बहुत से फायदेमंद गुणों के साथ जाना जाता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन होते हैं। लेकिन नीम की दातुन से लगातार और ज्यादा देर तक दांत को साफ करना नुकसानदायक हो सकता है। अगर हम बहुत देर तक दांतों को दातुन से साफ करते हैं तो इस कारण हमारे दांत भी घिसने लगते हैं जिस कारण ये कमजोर हो जाते हैं। जबकि जिन लोगों का ये मानना है कि दातुन से आपके दांत मजबूत होते हैं तो ये धारण गलत है। विशेषज्ञों के अनुसार हकीकत है कि नीम कई संक्रमण और वायरस का खात्मा करता है लेकिन इसकी दातुन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल नुकसानदायक है।- नीम की जड़ की छाल का चूर्ण 50 ग्राम, सोना गेरू 50 ग्राम तथा सेंधा नमक 10 ग्राम, इन तीनों को मिला कर खूब महीन पीस लें। इसे नीम के पत्ते के रस में भिगो कर छाया में सुखा दें। इस चूर्ण से दांतों को मंजन करने से दांतों से खून गिरना, पीव निकलना, मुंह में छाले पडऩा, मुंह से दुर्गन्ध आना, जी का मिचलाना आदि रोग दूर होते हैं।- 100 ग्राम नीम की जड़ को कूट कर आधा लीटर पानी में एक चौथाई शेष रहने तक उबालें। इस पानी से कुल्ला करने से दांतों के अनेक रोग दूर होते हैं।नीम की दातून में कौन से प्रभावी गुण हैं?नीम सदियों से कई इलाज के काम आती है, आयुर्वेद में इसे ज्यादातर इलाज के लिए एक बेहतरीन विकल्प के रूप में देखा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि नीम में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो हमारे बालों, त्वचा, संपूर्ण स्वास्थ्य और दांतों को फायदा पहुंचाते हैं। नीम में फाइटोकेमिकल और एंटी माइक्रोबियल एजेंट गुण होते हैं जो इसे फायदेमंद बनाते हैं।