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- माखन लाल या माखन चोर कहे जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव पर मनाया जाने वाला त्योहार जन्माष्टमी काफी लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन घर में कई खास पकवान और आयोजनों के साथ त्योहार को मनाया जाता है। कृष्ण भक्त और कई श्रद्धालु इस दिन व्रत करते हैं और भगवान कृष्ण की मूर्तियों को सजाते हैं। वहीं घर के छोटे बच्चों को नंदलाल की वेशभूषा में सजाया जाता है और इस दिन झूला झूलने की भी परंपरा है। इन सब चीजों के साथ श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है और जन्माष्टमी को बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी का त्योहार, खासकर मथुरा और वृन्दावन में काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। मथुरा भगवान कृष्ण की जन्मभूमि है।जन्माष्टमी पर घरों में विभिन्न प्रकार की मिठाइयां भोग के रूप में बनाई जाती हैं। इनमें से एक है माखन मिश्री और श्रीखंड ।माखन मिश्री रेसेपीप्यारे कान्हा की पसंदीदा, माखन मिश्री को ज्यादातर जन्माष्टमी के त्योहार में भोग के रूप में बनाते हैं। यह स्वादिष्ट माखन मिश्री, ताजा सफेद मक्खन और मिश्री के साथ तैयार की जाती है। इसे बनाना भी काफी आसान है, आइए यहां आप माखन मिश्री बनाने की रेसेपी जानें।माखन मिश्री बनाने की विधिसामग्री- दही या फिर सफेद मक्खन ,मिश्री ,पिस्ताविधि- सबसे पहले आप 1 किलो दही लें और उसे एक बड़े बर्तन में डाल लें। हालांकि, अगर आपके पास सफेद मक्खन उपलब्ध है, तो आपको दही की आवश्यकता नहीं है। अब आप दही को मथनी या मिक्सर की मदद से ब्लेंड करें। अब इससे निकलने वाले मक्खन को अलग निकाल लें। मक्खन निकल जाने के बाद आप इस एक कांच के कटोरे में लें और इसमें 200 या 250 ग्राम बारीक मिश्री और कटे हुए पिस्ता डालकर मिला लें। मिला लेने के बाद आप कुछ मिश्री और पिस्ता से इसकी गार्निशिंग कर लें। आपकी माखन मिश्री तैयार है। वहीं यदि आप डायबिटीज या हार्ट के रोगी हैं, तो आप कुछ डायबिटीज और हार्ट फ्रेंडली रेसेपीज ट्राई कर सकते हैं।श्रीखंड रेसेपीश्रीखंड भी माखन लाल कन्हैया का पसंदीदा है। यह गाढ़े दही और शुगर पाउडर के साथ बना जाता है। इतना ही नहीं, श्रीखंड एक लोकप्रिय भारतीय मिठाई है जिसे आप इस शुभ दिन तैयार कर सकते हैं।श्रीखंड बनाने की विधिसामग्री- गाढ़ा दही ,केसर ,इलायची ,सूखे मेवे ,कुछ फल।श्रीखंड को बनाना काफी आसान है। इसे बनाने के लिए आप सबसे पहले 1 किलो गाढ़ा दही लें। अब आप दही को किसी मलमल या सूती के कपड़े में डालकर कपड़े को बांध लें और लटका दें। इसका सारा पानी निकल जाना चाहिए। यानि कि जिस तरह घर पर पनीर बनाया जाता है, वैसे ही आपको दही के साथ भी करना है। इसके बाद आप कपड़े से दही की बनी पनीर को बाहर निकालें और उसे फेंट लें। आप इसमें आधा कटोरी या उससे ज्यादा कटे हुए सूखे मेवे जैसे कि बादाम, पिस्ता, किशमिश और कुछ कटे हुए फूट्स डालें। अब आप इसमें 2 चम्मच शुगर पाउडर डालें और फिर केसर डालकर मिला लें। केसर श्रीखंड के स्वाद को बढ़ा देता है। इस प्रकार आप घर पर श्रीखंड को बनाकर कान्हा जी को भोग लगा सकते हैं और खुद भी इस खास डेर्जट का आंनद ले सकते हैं।---
- छोले हम सबके घरों में बनते हैं और हम सभी उसका सेवन करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है ये आपकी सेहत के लिए कितना अच्छा होता है। छोले फाइबर का एक समृद्ध स्रोत हैं, इसमें वसा, काब्र्स और कई दूसरे विटामिन मौजूद होते हैं। इसके साथ ही आपको बता दें कि ये प्रोटीन में भी काफी उच्च होते हैं, इसलिए ये शाकाहारियों के लिए एक महान डाइट के रूप में अच्छा विकल्प है। ऐसे ही इसके कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं जो आपको हैरान कर सकते हैं। आइए हम आपको इस लेख के जरिए चने से मिलने वाले कुछ स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताते हैं, जिससे आप भी रोजाना सेवन कर खुद को स्वस्थ रख सकते हैं।वजन कम करनाछोलों में मौजूद प्रोटीन और फाइबर पाचन को धीमा कर सकते हैं और आपके पेट को भरने की भावना दे सकते हैं। वे भूख और भोजन का सेवन कम करने में भी मदद करते हैं जिससे आप कम दिनों में ही अपने वजन को कम कर सकते हैं। अगर आप भी अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं तो आप रोजाना छोलों का सेवन कर सकते हैं ये आपके वजन को कम करने में काफी मदद करेगा।हड्डियों को करता है मजबूतहड्डियों की कमजोरी हर किसी की बहुत बड़ी समस्या बन जाती है, ऐसे में छोले आपकी हड्डियों को मजबूत कर सकते हैं। छोले कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, जिंक और विटामिन के और ए का अच्छा स्रोत माने जाते हैं। ये आपके शरीर की हड्डियों के विकास, हड्डियों के खनिज और कोलेजन के उत्पादन के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं। अगर आपकी हड्डियों में दर्द या कमजोरी होती है तो आप रोजाना छोलों का सेवन जरूर करें।त्वचा को बनाए बेहतरछोले में मौजूद विटामिन सी, ई और के आपकी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। छोलों का सेवन करने से ये त्वचा के घावों को ठीक करने, झुर्रियों को खत्म करने, शुष्क त्वचा को रोकने और सूरज की रोशनी से होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं।ब्लड शुगर लेवल को करता है कमछोले में फाइबर और प्रोटीन बहुत ज्यादा मात्रा में होता है, जिसके कारण ये हमारे शरीर में ब्लड शुगर लेवल के स्तर को कम करने का काम करता है। इसके साथ ही खाना खाने के तुरंत बाद बढऩे वाले रक्त शर्करा के स्तर को भी रोकने में मदद करते हैं, जो मधुमेह के प्रबंधन के लिए भी महत्वपूर्ण है। छोलों का सेवन कर आप टाइप-2 मधुमेह के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं।पाचन क्रिया होती है मजबूतफाइबरयुक्त आहार आपके पेट के स्वास्थ्य को मजबूत कर उसे सक्रिय रखने में मददगार होता है, ऐसे ही छोलों में काफी मात्रा में फाइबर मौजूद होता है जो पाचन को सुधारने में काफी मदद करते हैं। इसके साथ ही इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम के खतरे को कम करने के लिए आप छोले को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।बालों को बढ़ाने में भी है फायदेमंदझड़ते बाल और बालों को स्वस्थ रखने के लिए आप छोलों को अपनी डेली डाइट में जोड़ सकते हैं। ये आपके बालों के बढऩे की प्रक्रिया को तेज कर उन्हें झडऩे से रोकते हैं। छोले में मौजूद प्रोटीन, विटामिन ए और बी, और दूसरे पोषक तत्व बालों के झडऩे को रोकने और बालों के विकास को बढ़ावा देने फायदेमंद होते हैं।अपने आपको स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि आप अपनी डाइट को हेल्दी बनाएं, इसके लिए आप रोजाना छोले का सेवन कर सकते हैं जो आपकी सेहत को कई तरह से फायदा पहुंचाता है।----
- पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस के साये में जी रही है। भारत में भी यह महामारी फैल चुकी है। ऐसे में अगर आप घर से बाहर निकलते हैं और अंजाने लोगों के संपर्क में आते हैं, तो आपको सिर्फ और सिर्फ एक चीज ही इस वायरस से बचा सकती है और वो है फेस मास्क। कोरोना संक्रमित मरीज के बात करने, छींकने और खांसने के दौरान ये वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर सकता है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि आप फेस मास्क का इस्तेमाल करें।लोगों ने कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क पहनना शुरू भी कर दिया है, लेकिन ज्यादातर लोग इसे गलत तरीके से पहन रहे हैं, जिसके कारण उन्हें वायरस से कोई सुरक्षा नहीं मिल रही और वायरस फैलता ही जा रहा है। अगर आप घर पर कपड़े से बना मास्क, बाजार में बिकने वाले फैब्रिक से बने मास्क या किसी अन्य नॉन-मेडिकल मास्क का प्रयोग करते हैं, तो आपको इसे सही तरीके से पहनना चाहिए, ताकि आपको वायरस से पूरी सुरक्षा मिल सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने नॉन मेडिकल फैब्रिक मास्क के इस्तेमाल को लेकर जरूरी निर्देश जारी किए हैं। डब्ल्यूएचओ ने बताया है कि आपको मास्क कैसे पहनना चाहिए और इसके इस्तेमाल में कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए।डब्ल्यूएचओ के अनुसार क्या है मास्क पहनने का सही तरीका?- मास्क को छूने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह धोएं और साफ करें। अब मास्क को डोरी पकड़कर उठाएं और देखें कि मास्क कहीं से डैमेज या गंदा तो नहीं है। अब मास्क को अपने चेहरे पर एडजस्ट करें। ध्यान रखें कि मास्क आपके चेहरे से पूरी तरह चिपका हो, इसमें साइड से या ऊपर से खुला स्थान न हो। मास्क से अपने मुंह, नाक और ठुड्डी को पूरी तरह कवर करें। मास्क को उतारने या छूने से पहले अपने हाथों को दोबारा अच्छी तरह साबुन या सैनिटाइजर से साफ करें। अब कान के पीछे की तरफ जो डोरी है, वहां से पकड़कर मास्क को उतारें।अगर आप इसी मास्क को दोबारा इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो इसे किसी प्लास्टिक के पाउच या बैग में सावधानी से भरें। इसके बाद अपने हाथों को अच्छी तरह साबुन और पानी से 20 सेकेंड तक धोएंअगली बार इस्तेमाल से पहले इस मास्क को इस पाउच से डोरी पकड़कर ही निकालें और फिर साबुन या डिटर्जेंट में इसे धोएं। अगर मास्क को धोने के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल करें, तो और भी अच्छा है।मास्क को एक दिन में कम से कम 1 बार जरूर धोएं। बिना धोए मास्क का दोबारा इस्तेमाल न करें।कोरोना वायरस से बचना है तो मास्क पहनते समय न करें ये गलतियांअगर मास्क डैमेज है, उसमें कहीं से छेद है या वो गंदा और पहले से इस्तेमाल किया हुआ है, तो उसे न पहनें। ढीला-ढाला मास्क न पहनें जो आपके चेहरे पर अच्छी तरह फिट न बैठता हो।मास्क को सरकाकर नाक के नीचे न लाएं। इससे आप वायरस से नहीं बच पाएंगे और मास्क पहनने का भी कोई फायदा नहीं मिलेगा।अगर आप 1 मीटर से कम के दायरे में किसी से बात कर रहे हैं, तो अपना मास्क बिल्कुल भी न उतारें। ऐसे मास्क का इस्तेमाल न करें, जिसमें आपको सांस लेने में तकलीफ हो। गंदा या गीला मास्क कभी भी न पहनें। मास्क हमेशा साफ-सुथरा और सूखा हुआ होना चाहिए। अपना मास्क किसी और को इस्तेमाल के लिए न दें और न ही किसी और के मास्क का इस्तेमाल करें।
- जन्माष्टमी को भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन लोग बाल कृष्ण की नटखट लीलाओं को याद करते हैं और माखन-मिश्री का भोग लगाते हैं। माखन-मिश्री को बाल गोपाल का प्रिय भोजन माना जाता है। अगर बाल गोपाल के साथ-साथ आप भी रोजाना माखन-मिश्री खाते हैं, तो आपके शरीर को ढेर सारे स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं।दरअसल भारतीय रसोई में मक्खन का विशेष महत्व है। घर पर पारंपरिक रूप से तैयार क्रीमी मक्खन का स्वाद, बाजार के प्रॉसेस्ड मक्खन के मुकाबले बहुत अलग और स्वादिष्ट होता है। इसके साथ ही मिश्री का सेवन भी शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है। आइए इस जन्माष्टमी आपको बताते हैं मक्खन-मिश्री खाने के 7 जबरदस्त फायदे।शरीर के जोड़ों को रखता है स्वस्थघर पर बनाए गए मक्खन में ढेर सारे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और हड्डी रोगों से छुटकारा दिलाते हैं। माखन-मिश्री खाने से आपके जोड़ लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं।चेहरे पर लाए प्राकृतिक निखारमक्खन में मिश्री को पीसकर मिलाएं और फिर इसे फेसपैक की तरह चेहरे पर लगाएं। इससे आपके चेहरे पर तुरंत ग्लो आएगा और सप्ताह में 2 बार के प्रयोग से त्वचा पर प्राकृतिक निखार आने लगेगा।बच्चों का दिमागी विकास होता है बेहतरबच्चों को रोजाना माखन-मिश्री खिलाने से उनका दिमागी विकास बेहतर होता है और लंबाई भी अच्छी बढ़ती है। पुराने समय में छोटे बच्चों को मांएं इसीलिए माखन-मिश्री खिलाती थीं, ताकि उनकी बुद्धि तीव्र हो सके और याददाश्त तेज हो जाए।पाचन रहता है अच्छामिश्री को पेट के लिए अच्छा माना जाता है। खाने के 10 मिनट बाद थोड़ी मात्रा में मिश्री खाने से पाचन अच्छा रहता है और पेट की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा मक्खन भी पेट के लिए बहुत अच्छा होता है।बढ़ाता है आंखों की रोशनीमक्खन में विटामिन बी- कैरोटिन अच्छी मात्रा में होता है इसलिए मक्खन मिश्री खाने से आपकी आंखों की रोशनी तेज होती है। छोटे बच्चों को मक्खन-मिश्री खिलाने से उनकी आंख पर कभी चश्मा नहीं चढ़ता है।बवासीर की समस्या में आराममिश्री और मक्खन दोनों का सेवन एक साथ करने से बवासीर की समस्या दूर होती है। बवासीर के कारण मलद्वार में गाठें हो जाती हैं, जिसके कारण बैठने, लेटने और शौच के समय बहुत तेज दर्द होता है और मल के साथ खून आने की समस्या हो जाती है।बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमताघर पर बनाया हुआ शुद्ध और ताजा मक्खन खाने से शरीर को ढेर सारे एंटीऑक्सीडेंट्स मिलते हैं। इसलिए इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। अगर आप सप्ताह में 2-3 दिन भी मक्खन-मिश्री का सेवन करते हैं, तो आपको वायरल बीमारियों के होने की संभावना कम हो जाएगी।
- - हिसार में शुरू होने जा रही है डेयरीभारतीय बाजार में ऊंटनी के दूध के बाद अब गधी के दूध की मांग बढऩे लगी है। शोध में यह बात सामने आई है कि गुजरात की हलारी नस्ल की गधी का दूध औषधियों गुणों की भरमार है। यह बाजार में दो हजार से 7 हजार रुपए लीटर तक में बिकता है।गधी का दूध के बारे में सुनकर हम सभी को थोड़ा अजीब लग रहा हो, पर ये शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद है। गधी का दूध, बकरी और गाय के दूध जैसा ही प्राकृतिक दूध है। यह मिस्र के लोगों द्वारा लंबे समय से इस्तेमाल किया जा रहा है, जो कि त्वचा संबंधी बीमारियों के इलाज, पोषण और इम्यूनिटी को बढ़ावा देता है। इसलिए देश में पहली बार राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) हिसार में हलारी नस्ल की गधी के दूध की डेयरी शुरू होने जा रही है। इसके लिए एनआरसीई ने 10 हलारी नस्ल की गधियों को पहले ही मंगा लिया था। जिनकी मौजूदा समय में ब्रीडिंग की जा रही है।कितना सेहतमंद है गधी का दूधगधी का दूध विटामिन ई, अमीनो एसिड, विटामिन ए, बी 1, बी 6, सी, डी, ई, ओमेगा 3 और 6 से भरपूर है। इसमें कैल्शियम की उच्च मात्रा होती है और इसमें गाय के दूध की तुलना में चार गुना कम फैट होता है। इन सभी महान पोषक तत्वों को जोडऩे के लिए, इसके युवा रखने वाले गुण यानी कि रेटिनॉल भी पाया जाता है। ये गुण कॉस्मेटिक उत्पादों में इसे एक बहुत ही विशेष घटक बनाते हैं। वहीं इसके कई अन्य फायदे भी हैं।गधी का दूध पीने के फायदे1. इम्यूनिटी बूस्टर है गधी का दूधगधा दूध शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट और पोषक तत्वों से भरा होता है। इनमें विटामिन ए, बी 1, बी 2, बी 6, डी, सी, भी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, और जस्ता जैसे आवश्यक विटामिन शामिल हैं। गधा का दूध पीने से शरीर कई तरह के संक्रमणों के खिलाफ इम्यूनिटी विकसित कर लेता है, जिससे आप कई तरह की बीमारियों से हमेशा बचे रह सकते है।2. बच्चों के गधी के दूध से नहीं होती है एलर्जीएनआरसीई की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर अनुराधा भारद्वाज बताती हैं कि कई बार गाय या भैंस के दूध से छोटे बच्चों को एलर्जी हो जाती है, मगर हलारी नस्ल की गधी के दूध से कभी एलर्जी नहीं होती। इसके दूध में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी एजीन तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में कई गंभीर बीमारियों से लडऩे की क्षमता विकसित करते हैं।3. शक्तिशाली एंटी-एजिंग गुणों से है भरपूरगधा दूध में शक्तिशाली एंटी-एजिंग और हीलिंग गुण होते हैं, क्योंकि इसमें आवश्यक फैटी एसिड होते हैं। ये फैटी एसिड ठीक लाइनों और झुर्रियों की उपस्थिति को कम करते हैं और क्षतिग्रस्त त्वचा को पुन: उत्पन्न करने में मदद करते हैं। ये त्वचा से जुड़ी कई उपचारों में भी फायदेमंद है।4. मोटापा कम करने में भी मददगारदरअसल गुजरात की हलारी नस्ल की गधी का दूध औषधियों गुणों के लिए जाना जाता है। इसे पीने से शरीर को दूध से मिलने वाले सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं, जिसके बाद आपको गाय के दूध की जरूरत नहीं पड़ती है। ये आपके पेट को हमेशा भरा-भरा सा रखता है, जिससे आपको भूख नहीं लगती और वजन कम करने में आसानी होती है। साथ ही ये आपके पाचनतंत्र को भी ठीक रखता है, जिससे पेट में फैट जमा नहीं हो पाता है।इस तमाम के चीजों के बाद गधे का दूध त्वचा के लिए एक शक्तिशाली मॉइस्चराइजर, क्लीन्जर और सॉफ्टनर की तरह काम करता है। लगातार उपयोग करने से आपकी त्वचा हमेशा साफ, नरम और चिकनी रहेगी। यही वजह कि इसे बहुमुखी सौंदर्य उत्पादों को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।---
- गेहूं हमारे रोजमर्रा के भोजन का अभिन्न हिस्सा है। रोटियोंं के बिना भोजन की थाली अधूरी लगती है। गेहूं का दलियां, खीर, खिचिया भी पसंद किया जाता है। जवारा का रस तो आमतौर पर लोग पीना पसंद ही करते हैं, लेकिन अंकुरित गेहूं भी पौष्टिकता के मामले में कम नहीं है। आहार विशेषज्ञों के अनुसार अंकुरित गेहूं खाने से कई तरह की स्वास्थ्यगत समस्याओं से निजात पाया जा सकता है।इसके फायदेबाल और त्वचा के लिए फायदेमंद- अंकुरित गेहूं का सेवन करने से शरीर की त्वचा और बालों में प्राकृतिक चमक आ जाती है और इसके साथ ही बाल मजबूत भी होते है और त्वचा की रंगत साफ होने लगती है।पेट सम्बंधित समस्या के लिए फायदेमंद- इसका रोजाना सेवन करने से किडनी, ग्रंथियों और हमारा पाचन तंत्र मजबूत होता है तथा इसके साथ ही रक्त कोशिकाओं का निर्माण भी अच्छे से होने लगता है।टॉक्सिन बाहर निकाले- अंकुरित गेहूं खाने से शरीर के मेटाबॉलिज्म रेट में वृद्धि होती है। इसके साथ ही ये हमारे शरीर में बनने वाले विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मददगार है। इससे रक्त शुद्ध होता है।पाचन के लिए फायदेमंद- इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो पाचन क्रिया को सुचारु रखने में मदद करते हैं। जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं होती है उनके लिए अंकुरित गेहूं का सेवन काफी फायदेमंद होता है।- अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है।कैसे करें अंकुरित -गेहूं अंकुरित करने के लिए अच्छी गुणवत्ता का गेहूं लें। गेहूं को साफ करके 6-12 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। इन गेहूं को दिन में तीन बार पानी से धोएं। अब गेहूं को स्प्राउट मेकर में या कपड़े में बांधकर रख दें।अंकुरित होने पर मनचाहे तरीके से इनका प्रयोग करें। बच्चों के लिए भी आप इनसे पराठे, स्टफ्ड पूरी, सैंडविच जैसी चीजें बना सकती हैं। वहीं डाइट कांशियस लोग इसे सिंपल तरीके से नींबू तथा हल्के मसाले के साथ खा सकते हैं।---
- छुई-मुई की पत्तियों को स्पर्श करने से वे सिकुड़ जाते हैं। शायद इसीलिए इसका नाम लातवंती रखा गया होगा। यह एक औषधीय पौधा है जिसमें कई चमत्कारिक गुण होते हैं। इसका पौधा छोटा होता है। यह भारत में गर्म प्रदेशों में पाया जाता है। इसके पौधे जमीन पर रेंगते हुए बढ़ते हैं। इसकी पत्तियां चने की पत्तियों के समान नजर आती हैं, लेकिन आकार में छोटी होती हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनी होता है। बारिश के मौसम में इसमें फल आते हैं। इसकी अनेक प्रजातियां मिलती हैं।इस पौधे की खासियत है कि इसकी पत्तियों को छूने पर वे सिकुड़ जाती हंै , दरअसल इसकी पत्तियां बहुत संवेदनशील होती है, जब हम इसे छूते हैं, तो उस जगह की कोशिकाओं का पानी आस पास की कोशिकाओं में चला जाता है जिसके कारण पत्तियां सिकुड़ जाती हैं। कुछ सेकण्ड बाद पानी पुन: वापस कोशिकाओं में आ जाता है और पत्तियां पुन: फैलकर सामान्य हो जाती हैं।इसकी जड़ स्वाद में अम्लीय तथा कठोर होती है। चरक संहिता के संधानीय एवं पुरीषसंग्रहणीय महाकषाय में तथा सुश्रुत संहिता के प्रियंग्वादि व अम्बष्ठादि गणों में इसकी गणना की गई है। लाजवंती प्रकृति से ठंडे तासीर की और कड़वी होती है।विभिन्न भाषाओं में नाम- संस्कृत- लज्जालु, नमस्कारी, शमीपत्रा, हिन्दी-लजालु, छुई-मुई, अंग्रेजी- सेनमिसटिव प्लॉट, मराठी- लाजालु, बंगाली- लाजक, पंजाबी-लालवन्त, तैलुगू-अत्तापत्ती।इसका कई रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है, जैसे कि मधुमेह, अजीर्ण, कामला (पीलिया), पेशाब अधिक आना, नाड़ी का घाव, घाव में दर्द, गंडमाला, बवासीर, खूनी दस्त, खांसी, पित्त का बढऩा, प्लेग रोग, शिरास्फीति आदि।
- हम में से कई लोगों को चाय पीना बहुत पसंद होता है। ये या तो हमारे नाश्ते का हिस्सा है या हमारे शाम के स्नैक्स का पेय है। इस पेय की कई किस्में हैं, हालांकि, हम ज्यादातर कैफीनयुक्त पेय का सेवन करते हैं और स्वास्थ्यवर्धक विकल्पों को नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि, हर्बल और ग्रीन टी वजन घटाने के साथ-साथ इसके कई स्वास्थ्य लाभों से युक्त हैं। बेहतर प्रतिरक्षा उनमें से एक हैं। आज हम आपको त्रिफला चाय के बारे में बता रहे हैं, जो वजन घटाने और प्रतिरक्षा के लिए एक आयुर्वेदिक डाइट सप्लीमेंट है।जैसा कि नाम से पता चलता है, त्रिफला तीन फलों का मिश्रण है, यानी अमलाकी या आंवला, बिभीतकी या बहेड़ा, और हरिताकी या हरड़। त्रिफला चूर्ण आप किसी भी किराना और स्थानीय आयुर्वेदिक और जड़ी बूटी बेचने वाली दुकानों से खरीद सकते हैं और इससे चाय बना सकते हैं। आप पाउडर को पानी में मिलाकर सेवन करते हैं, या गर्म पानी के साथ चूरन का सेवन कर सकते हैं।त्रिफला चाय के स्वास्थ्य लाभ-यह चाय शरीर में जमा खराब वसा को तोडऩे और उन्हें जलाने का काम करती है।-यह हमारे चयापचय में सुधार करता है, इस प्रकार वजन घटाने में सहायता करती है।-त्रिफला चाय पाचन को ठीक करती है और कब्ज के लक्षणों को कम करती है क्योंकि यह एक हल्के रेचक के रूप में काम करता है। और बेहतर पाचन वजन घटाने की कुंजी में से एक है।-यह एंटीऑक्सिडेंट के साथ भी युक्त होती है, जो रेडिकल से लड़ती है और ऑक्सीकरण को रोकता है और इस प्रकार पेट में सूजन को कम करने और रोकता है।-यह शरीर को पोषक तत्वों को अच्छी तरह से अवशोषित करने और आत्मसात करने में भी मदद करता है।-यह बेहतर नींद को भी बढ़ावा देता है और फिर से बेहतर नींद की आदतों को बेहतर वजन घटाने से भी जोड़ा जाता है।-यह प्रतिरक्षा को बढ़ाता है और यह तनाव और चिंता को कम करने में भी मदद करता है!त्रिफला चाय कैसे बनाएंचाय तैयार करने के लिए, आपको त्रिफला चूर्ण और गर्म पानी की आवश्यकता होती है। आपको एक कप गर्म पानी में लगभग आधा चम्मच पाउडर डालना होगा। इसे अच्छी तरह से हिलाएं और गुनगुना होने के बाद पी लो। आप चाहें तो शहद, अलसी पाउडर भी डाल सकते हैं। आप रात के दौरान अक्सर पेशाब करने की आवश्यकता का अनुभव कर सकते हैं, क्योंकि त्रिफला मूत्रवर्धक होता है। चाय को सुबह खाली पेट पीना आपके लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकती है।इस चाय को पीएं, स्वस्थ भोजन की आदतों और उचित व्यायाम आहार का पालन करें और जल्द ही आपको वजन कम होता दिखाई देगा।नोट-- अपने आहार में इस चाय को शामिल करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर लें क्योंकि हर किसी के शरीर की तासीर अलग-अलग होती है।
- मंदिरों में साष्टांग प्रणाम करने का रिवाज खत्म सा हो रहा रहा है। हाल ही में अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रामलला के दर्शन के दौरान भगवान को साष्टांग प्रणाम करके एक बार फिर विस्मृत हो रही योग और धर्म से जुड़ी इस परंपरा और आस्था की याद ताजा कर दी है।सभी जानते हैं पीएम मोदी वेद-पुराणों और योग से जुड़े व्यक्ति हैं। सभी ने उन्हें कई बार योग करते हुए देखा है और योग को प्रोत्साहन देते हुए सुना भी है। हाल ही में उन्हें राम जन्म भूमि पूजन के दौरान प्रभु राम के सामने साष्टांग नमस्कार करते हुए देखा गया है। पर क्या आप जानते हैं कि साष्टांग नमस्कार एक प्रकार का योग है? जी हां, साष्टांग मुद्रा सूर्य नमस्कार आसन की अष्टांग मुद्रा है, जिसमें पूरे शरीर को एकजुट करके प्रणाम किया जाता है। इसे करने के शरीर को कई स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं, तो आइए आज हम इसी योगासन के बारे में विस्तार से जानते हैं।क्या है साष्टांग नमस्कार?साष्टांग नमस्कार एक प्रकार का नमस्कार है, जिसमें शरीर के सभी अंग जमीन को छूते हैं। इस प्रकार के नमस्कार को दंडवत प्रणाम, दंडकारक नमस्कारम और उदंड नमस्कार आदि भी कहा जाता है। साष्टांग नमस्कार भी एक ऐसी प्रक्रिया से संबंधित है, जहां शरीर की सारी शक्तियों को संयोजित करते हुए प्रणाम किया जाता है। सत्संग नमस्कार पूर्णता को दर्शाता है। ऐसा करके आप किसी को संदेश भेज रहे हैं कि आप उनके हैं और आपको उनके आशीर्वाद की आवश्यकता है। कुछ मायनों में, यह भी माना जाता है कि यह नमस्कार शरीर के सभी पंच तत्वों को मिलाने का आसान है। शास्त्रों के अनुसार स्त्रियों को यह आसन करने की मनाही है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार स्त्री का गर्भ और उसके वक्ष कभी जमीन से स्पर्श नहीं होने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि उसका गर्भ एक जीवन को सहेजकर रखता है और वक्ष उस जीवन को पोषण देते हैं। इसलिए यह आसन स्त्रियों को नहीं करना चाहिए।कैसे करें साष्टांग नमस्कार?साष्टांग वह स्थान है, जहां व्यक्ति पेट के बल सपाट होकर आठ अंग छाती, सिर, हाथ, पैर, घुटने, शरीर, मन और वाणी भूमि पर स्पर्श करता है। यह नमस्कार आमतौर पर पुरुषों द्वारा किया जाता है। इस साष्टांग मुद्रा को सूर्य नमस्कार आसन की अष्टांग मुद्रा से लिया गया है। सर्वस्व समर्पण करने के मनोभाव के साथ किए जाने वाले इस प्रणाम को साष्टांग कहा जाता है। इस स्थिति में हमारा मन शांत होता है और हम पृथ्वी की सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर पाते हैं।कैसे करें साष्टांग प्रणाम-एक प्लैंक स्थिति में आ जाइए और फर्श पर अपने घुटनों को एक दम सीधा रख दें।-अपनी छाती को आगे और नीचे इस तरह से लाएं कि आप अपनी छाती को अपने हाथों के बीच में रखें।-इस दौरान कूल्हे ऊंचे रहने चाहिए और आपकी कोहनी बाजू की ओर होनी चाहिए, जबकि आपके हाथ आपके सामने प्रार्थना की स्थिति में हों।-इस तरह पूरी तरह से लेटे हुए तरीके से आपको सूर्य नमस्कार की तरह इसे करना है।साष्टांग नमस्कार के फायदे-साष्टांग मुद्रा करते समय पेट पर एक अलग सा दबाव बनता है, जिससे पेट की मांपेशियां खिंचती हैं। इससे पाचनतंत्र को फायदा मिलता है और आपका मेटाबॉलिजम ठीक रहता है।-साष्टांग नमस्कार से आपके शरीर में संतुलन लाने में मदद मिलती है। जो लोग सूर्य नमस्कार के साथ लगातार तरीके से इसे करते हैं, उन्हें अपने बॉडी मास को संतुलित करने में ये बहुत सहायता करता है।-जिन लोगों को पीठ में दर्द और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी परेशानियां होती हैं, उनके लिए ये करना बहुत फायदेमंद है।-इनमें हमारा माथा, हाथ, कंधे, नाक, सीना, पेट, घुटने और पैर के अंगूठे समेत पूरे शरीर को सम्मिलित करता है, जो एक तरीके से पूर्ण योग है।- ये योग मुद्रा करने से आपके अंदर शांति की भावना आती है, जो आपके मानसिक तनाव को कम करता है।इस तरह साष्टांग नमस्कार सिर्फ पूजा करने का तरीका नहीं है, बल्कि असल में ये वो योग मुद्रा है, जो पूरे शरीर को सम्मिलित करती और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को फायदा पहुंचाती है। इसलिए इस साष्टांग मुद्रा को सूर्य नमस्कार आसन की अष्टांग मुद्रा के साथ जरूर करें।--
- खुद को हमेशा स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि आप अपनी डाइट को भी हेल्दी बनाए रखें। लेकिन लोगों के बीच अब भी अपनी डाइट को तैयार करने में कई तरह के सवाल आते हैं, ऐसे में साबूत अनाज को लेकर भी लोगों के मन में कई सवाल है। लोग सोचते हैं कि उनके पेट के स्वास्थ्य के लिए साबूत अनाज कितना फायदेमंद है और कितना नुकसानदायक? पोषण के साक्ष्य के आधार पर विशेषज्ञों के एक पैनल की ओर से अमेरिकियों के लिए आहार संबंधी दिशा निर्देश यूएसडीए के लिए बनाए गए हैं, जिसमें एक स्वस्थ आहार के हिस्से के रूप में लंबे समय तक साबूत अनाज का सेवन बढ़ाने की सिफारिश की गई है। जिसकी मदद से आप लंबे समय तक खुद को फिट और एक्टिव रख सकते हैं।कुछ साबुत अनाज काफी पौष्टिक होते हैंसाबुत अनाज फाइबर, बी विटामिन, मैग्नीशियम, लोहा, फास्फोरस, मैंगनीज और सेलेनियम समेत कई पोषक तत्वों का भरपूर मिश्रण होते हैं। लेकिन ये सभी अनाज में नहीं बल्कि यह अनाज के प्रकार पर भी निर्भर करता है। कुछ अनाज (जैसे जई और पूरे गेहूं) पोषक तत्वों से भारी मात्रा से भरे होते हैं, जबकि अन्य (जैसे चावल और मकई) बहुत पौष्टिक नहीं होते हैं जो कई मामलों में नुकसान भी दे सकते हैं।रिफाइंड अनाज सेहत के लिए होते हैं नुकसानदायकवैसे तो परिष्कृत अनाज पूरे अनाज की तरह होते हैं, लेकिन इसका ज्यादा सेवन करने से ये आपको नुकसान दे सकते हैं। रिफाइंड यानी परिष्कृत अनाज में स्टार्च और बहुत थोड़ी मात्रा में प्रोटीन के साथ उच्च कार्ब, उच्च कैलोरी एंडोस्पर्म के अलावा कुछ भी नहीं मौजूद होता है। इसके साथ ही इसमें से फाइबर और पोषक तत्वों को भी निकाल लिया जाता है, परिष्कृत अनाज इसलिए खाली कैलोरी के रूप में दिखाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि काब्र्स को फाइबर से अलग किया गया है, और शायद यहां तक कि आटे में भी। इस कारण से, वे तेजी से टूट जाते हैं, और भस्म होने पर रक्त शर्करा के स्तर भी तेजी से बढ़ते हैं।जब हम परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन खाते हैं, तो ये हमारा रक्त शर्करा को तेजी से बढ़ते हैं। फिर जल्दी से गिरा देते है। इसके बाद जब रक्त में शर्करा का स्तर कम हो जाता है, तो हम भूखे हो जाते हैं और कुछ न कुछ खाने की इच्छा होती है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि इस प्रकार के खाद्य पदार्थ खाने से पेट भर जाता है, और इसलिए इससे वजन बढ़ सकता है और मोटापा इससे आप मोटापे का शिकार भी हो सकते हैं। साफ तौर पर कहें तो इस तरह के रिफाइंड अनाज पोषण में काफी कम होते हैं।कुछ अनाज में ग्लूटेन के कारण होती है समस्याएंकुछ अनाज ऐसे होते हैं जिनमें ग्लूटेन नाम का एक प्रोटीन मौजूद होता है, जो गेहूं, मसाले, राई और जौ जैसे अनाज में भारी मात्रा में पाया जाता है। ये कई मामलों में आपके लिए समस्या खड़ी कर सकता है। बहुत से लोगों के लिए ये काफी नुकसानदायक भी साबित हो सकता है, जैसे सीलिएक रोग, एक गंभीर ऑटोइम्यून बीमारी के साथ-साथ ग्लूटेन संवेदनशीलता वाले व्यक्ति शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक, कुछ अनाज, विशेष रूप से गेहूं, ग्लूटेन में भी उच्च होते हैं, एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट जो कई लोगों में पाचन क्रिया को बाधित कर पेट में संकट पैदा कर सकता है। सिर्फ इसलिए कि ग्लूटेन प्रोटीन कई लोगों के लिए समस्या का कारण बनता है, इसका मतलब यह नहीं है कि अनाज आपकी सेहत के लिए खराब हैं। बल्कि ऐसे कई दूसरे साबूत अनाज मौजूद हैं जो ग्लूटेन से मुक्त होते हैं।पाचन के लिए कितने सही है साबूत अनाजएंटीन्यूट्रीएंट्स खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से पौधों में पदार्थ होते हैं, जो पाचन और अन्य पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा पैदा करते हैं। इसमें फाइटिक एसिड, लेक्टिंस और कई अन्य तत्व शामिल हैं। फाइटिक एसिड खनिजों को बांध सकता है और उन्हें अवशोषित होने से रोक सकता है, और लेक्टिन आंत में नुकसान पहुंचाता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एंटीन्यूट्रिएंट अनाज के लिए कोई खास नहीं हैं। वे नट्स, बीज, फलियां, कंद और यहां तक कि फलों और सब्जियों समेत सभी प्रकार के स्वस्थ खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त को अयोध्या में प्रभु श्रीराम चंद्र जी के भव्य मंदिर निर्माण की आधारशिला रख दी है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने हनुमानगढ़ी में पारिजात का पौधा लगाया। पारिजात वृक्ष का सनातन परंपरा में विशेष महत्व है। इसके अलावा, पारिजात वृक्ष में कई ऐसे औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो जीर्ण रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। इसमें समाए चमत्कारिक गुणों के कारण ही इसे देवलोक का वृक्ष कहा जाता है।पारिजात एक वृक्ष है, जिसे हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है। पारिजात का संदर्भ आपको वेदों और धार्मिक पुस्तकों में मिलेगा। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, हरसिंगार के वृक्ष में हनुमान जी का वास होता है। इसीलिए हिंदुओं में इस वृक्ष का खास महत्व है। हरसिंगार के पत्ते हरे, फूल सुगंधित और सफेद रंग के होते हैं। फूल में नारंगी रंग की लाइन होती है। इसे प्राजक्ता, परिजात, हरसिंगार, शेफालिका, शेफाली, शिउली भी कहा जाता है। उर्दू में इसे गुलज़ाफऱी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में इस वृक्ष को बहुत ही ख़ास स्थान प्राप्त है। पारिजात का वृक्ष बड़ा ही सुन्दर होता है, जिस पर आकर्षक व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग विविध प्रकार की औषधि आदि के रूप में भी किया जाता है। यह सारे भारत में पैदा होता है। यह माना जाता है कि पारिजात के वृक्ष को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकान मिट जाती है।पारिजात के फायदे-हरसिंगार से बीज का काढ़ा बालों की समस्या को दूर करने में सहायक होता है। हरसिंगार का काढ़ा बनाकर बालों को धोये इससे डैंड्रफ दूर करने तथा बालों को झडऩे से रोकने में मदद मिलती है।-गले के रोग में लाभप्रद- हरसिंगार की जड़ को चबाने से गलशुडी से जुड़े विकार ठीक होते हैं। गठिया रोग के इलाज के लिए भी इसके पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है।- खांसी में है फायदेमंद- खांसी के लिए पारिजात औषधि से कम नही है। पारिजात के छाल का चूर्ण खांसी में फायदेमंद होता है।- नाक से खून का बहना- जिन लोगों को नाक से खून बहने की समस्या का समाधान करने के लिए पारिजात की जड़ को चबाना चाहिए।-पेट के कीड़ों को मारे- पारिजात के पत्ते का रस में चीनी मिलाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। आंत भी स्वस्थ रहते हैं।डायबिटीज में फायदेमंद- पारिजात के पत्ते का काढ़ा नियमित रूप से सेवन करने पर ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है।- बार-बार पेशाब करने की समस्या- पारिजात के पत्ते, फूल और जड़ का काढ़ा पीने से बार-बार पेशाब आने की समस्या समाप्त हो जाती है।-तंत्रिका-तंत्र विकार में भी पारिजात के गुण से फायदा मिलता है।-पारिजात का पेड़ आंखों की बीमारी में भी लाभ देता है।- पारिजात की पत्तियों का काढ़ा बुखार ठीक करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।- हरसिंगार के बीज का प्रयोग बवासीर की समस्या को दूर करने में सहायक होते हैं।- हरसिंगार के तने की छाल को अर्जुन छाल के साथ वाह्य रूप से प्रयोग करने से अस्थि -भंग में फायदेमंद होता है।- पाचन शक्ति कमजोर है तो हरसिंगार का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि हरसिंगार का वीर्य उष्ण होने से पाचन शक्ति बेहतर करता है।- तनाव को दूर करने में हरसिंगार का सहायक हो सकता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार तनाव का मुख्य कारण वात का प्रकोप होना बताया गया है और हरसिंगार में वात को शांत करने का गुण होता है।
- शरीर का बायां हिस्सा आखिर क्यों होता है दाएं हिस्से से कमजोर? क्या आपको भी होता है ऐसा महसूस, जानें इसका कारण। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आपने जाने-अनजाने में कई बार ये महसूस किया होगा कि आपके शरीर का बायां हिस्सा दाईं ओर के मुकाबले कमजोर होता है। दिलचस्प बात ये है कि वे लोग, जो लेफ्टी होते हैं उन्हें ठीक ऐसे ही शरीर के दाहिने हिस्से के कमजोर होने की शिकायत रहती है। इसका एक स्पष्ट उदाहरण आपके सामने जिम में दिखाई देता है खासकर तब, जब आप बेंच प्रेस करने के लिए डम्बल को उठाते हैं और आपका बायां हाथ. दाएं हाथ के मुकाबले देर से उठता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बहुत ही सामान्य बात है कि लोगों के शरीर के दोनों हिस्सों में अंतर होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपको ऐसा महसूस किया होता है और आखिर इसके पीछे का क्या कारण है।आखिर क्यों होते हैं शरीर के दोनों हिस्से अलगवास्तव में, शरीर के इन दोनों अलग-अलग हिस्सों और हड्डियों का आकार व शक्ति समान होना अधिक असामान्य है। इसलिए आपके दोनों हाथों में शक्ति अलग-अलग होती है और यह आपकी गलती या आपके वर्कआउट का दोष नहीं है। आपने गौर किया होगा कि जिम में की जाने वाली हमारी अधिकांश एक्सरसाइज, शरीर के दोनों हिस्सों पर एक ही तरह से काम करती हैं। इतना ही नहीं हम जानबूझकर अपने शक्तिशाली हिस्से का उपयोग अपने कमजोर हिस्से की तुलना में कहीं अधिक करते हैं। इसमें दरवाजा खोलना, बिस्तर पर लुढ़कना, किराने का सामान लाना-ले जाना यहां तक की सीढिय़ों पर अपना पहला कदम रखने तक हम अपने शक्तिशाली हिस्से का उपयोग करते हैं।ज्यादातर लोग नहीं कर पाते इसका अनुभवआपने भले ही गौर न किया हो लेकिन जितनी अधिक बार हम एक हिस्से का उपयोग करते हैं, उतना ही कुशलता से हमारा मस्तिष्क उन मांसपेशियों का उपयोग करना सीखता है। इससे उस तरफ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और अक्सर मांसपेशियां बड़ी होती हैं। कभी-कभी पैर में लगी चोट भी दोनों हिस्सों के बीच असंतुलन पैदा कर सकती है। आमतौर पर, लोग इस अंतर को देखे बिना ही अपना जीवन गुजार देते हैं, लेकिन जो लोग नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, वे इस अंतर को काफी तेजी से समझ लेते हैं। जानें हाथों को मुलायम बनाने का तरीका।कैसे मजबूत बनाएं अपने कमजोर हिस्से कोअपने कमजोर हिस्से को मजबूत बनाने का सबसे अच्छा और आसान तरीका है एक ऐसी एक्सरसाइज को चुना जाए, जो आपके शरीर के दोनों हिस्सों का लोड अलग-अलग तरीके से झेल सके। इसके लिए आप डंबल एक्सरसाइज, शोल्डर प्रेस, चेस्ट प्रेस, लंग्स, बाइसेप कर्ल, डंबल रो, ट्राइसप एक्सटेंशन और डंबल स्क्वैट्स चुन सकते हैं।-अन्य एक्सरसाइज मशीनों और बारबेल के विपरीत डम्बल कमजोर हिस्से से आसानी से नहीं उठता है।-आप सिंगल-आर्म शोल्डर प्रेस, सिंगल-आर्म चेस्ट प्रेस, सिंगल-लेग स्क्वाट्स, सिंगल-लेग लंग्स और सिंगल लेग रो जैसी सिंगल हैंड एक्सरसाइज भी आजमा सकते हैं।ध्यान देने योग्य बातेंकमजोर हिस्से से अधिक रेप्स लगाना आपके दोनों हिस्सों को एक जैसा नहीं बना सकता है इसलिए ऐसा न करें। बस कोशिश करें और कमजोर साइड को उतना ही काम दें जितना आप शरीर की मजबूत साइड को देते हैं। इसके अलावा आप किराने का सामान उठाने और दरवाजे को खोलने जैसी अपनी दैनिक गतिविधियों को करने के लिए कमजोर हिस्से का उपयोग करने की कोशिश कर सकते हैं।
- पौष्टिक तत्वों से भरपूर बींस खाने से बहुत से स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। इसका सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद है यह इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि 1 कप बींस में लगभग 74 प्रतिशत तांबा, 51 प्रतिशत जिंक 4 मि.ग्रा. आयरन, 15 मि.ग्रा. मैग्नीशियम, 230 मि.ग्रा. फॉस्फोरस, 16 ग्रा. प्रोटीन और 78 मि.ग्रा. कैल्शियम पाया जाता है।यानी कि सभी पौष्टिक तत्वों से भरपूर है बींस। बींस कई तरह की आती है। इनका सेवन किसी ना किसी रूप में मस्तिष्क और शरीर के विकास के लिए फायदेमंद है। बींस में मौजूद विटामिन बी लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक है। जिसका कार्य ऊर्जा प्रदान करना और मस्तिष्क के संकेतों को पढऩा है। यानी तंत्रिका तंत्र के लिए बींस बहुत फायदेमंद हैं। हमारा शरीर विटामिन बी स्टोर नहीं कर सकता, क्योंकि वह पानी में घुलनशील होते हैं। इसलिए बींस को अपनी डाइट का हिस्सा बना कर हम विटामिन बी ग्रहण कर सकते हैं। शाकाहारियों के लिए बींस विटामिन बी ग्रहण करने का रिच स्त्रोत है।बींस में उपस्थित जिंक थकान, अनिद्रा, मूड स्विंग्स, एकाग्रता में कमी और कमजोर मेटाबॉलिज्म को ठीक करता है। यही नहीं इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स हमारे शरीर को फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाली हानियों से भी बचाते हैं। अब जानते हैं किस तरह से बींस को हम अपने डाइट का हिस्सा बना सकते हैं। बींस में विटामिन बी6, पैंथोथेनिक एसिड , नियासिन और थाइमीन जैसे तत्व भी मौजूद हैं। यही नहीं विटामिन ई की जितनी मात्रा बदाम के सेवन से मिलती है उतनी ही बींस खाने से भी मिलती है। ये सभी तत्व दिमाग और तंत्रिका तंत्र संबंधी सभी समस्यायों को ख़त्म करने का काम करते हैं।बींस को कुछ ऐसे भी इस्तेमाल करें-बींस का सूपबींस से आप को गैस बन सकती है। तो यदि आप गैस बनने के डर से बींस नहीं खाते हैं, तो आप बींस की जगह मसूर की दाल को अपनी डाइट का हिस्सा बनायें। यह दाल बनने में भी आसान होती है और पचाने में भी। यदि आप बींस खाए बिना ही बींस को अपनी डाइट में एड करना चाहते हैं तो आप मसूर की दाल का सूप, बींस की सलाद आदि डाइट में ट्राई कर सकते हैं।सोया बींस पास्तायदि आपको पास्ता खाना पसंद है तो आप सोया बींस पास्ता खा सकते हैं। सोया बींस से बना पास्ता साधारण आटे से बने पास्ता से कहीं अधिक लाभदायक होता है क्योंकि उसमे फाइबर एवं प्रोटीन भी होते हैं। आप बींस को अपने खाद्य पदार्थो में शामिल कर सकते हैं। यदि आप बींस को रोजाना थोड़ी बहुत मात्रा में भी खाते हैं तो भी इससे आपका दिमाग तेज व आपकी याददाश्त तेज होती है।बैलेंस डाइटयदि आप अपने आप को स्वस्थ व फिट रखना चाहते हैं तो आपको अपनी डाइट पर मुख्य रूप से ध्यान देना होगा। आपकी डाइट में जंक फूड की बजाए ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन व विटामिन्स से भरपूर खाद्य होने चाहिए। आपको अपनी डाइट में जितना हो सके उतना विटामिन बी शामिल करना चाहिए। चिकित्सकों के मुताबिक आपको अपनी डाइट के दो तिहाई हिस्से में दाल एवं बींस लें और शेष हिस्से में फल व सब्जियां। यह आपके लिए एक संतुलित आहार है। आप चाहे तो अपनी डाइट में विटामिन बी12 भी शामिल कर सकते हैं।
- बादाम के बारे में तो हम सभी जानते हैं और इसके फायदों को देखते हुए रोजाना इसका सेवन भी करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि जंगली बादाम भी उतना ही फायदेमंद है? आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि जंगली बादाम की पत्तियों के रस से तैयार मलहम त्वचा और कुष्ठ रोगों के इलाज में बहुत कारगर है।जंगली बादाम क्या है?जंगली बादाम का पौधा समुद्र तटीय इलाकों में ऊंचाई पर पाया जाता है। जंगली बादाम के फल चपटे, नुकीले-अण्डाकार होते हैं और इनके किनारे लाल और बैगनी रंग के होते हैं। इसके प्रत्येक फल में एक बीज होता है। साल के हर सीजन में इसमें फल और फूल उगते रहते हैं।जंगली बादाम की छाल, पत्ते और तेल पसीना लाने वाले, अधिक पेशाब लाने वाला और पेट को साफ करने वाला होता है। जंगली बादाम पेट के रोगों और आमवात के रोगों में बहुत लाभकारी होता है। इसके अलावा खुजली , त्वचा के रोग में जंगली बादाम का लेप लगाने से लाभ मिलता है। इसका तेल पेट के कीड़ों का नाश करने वाला होता है।जंगली बादाम के औषधीय गुण --जंगली बादाम अम्ल, मधुर, कषाय, शीत तथा पित्तशामक होता है।-यह मलरोधक, कफ तथा शुक्रवर्धक होता है।-इसकी छाल, पत्र तथा कच्चे फल स्तम्भक, मृदुविरेचक, पाचक, मूत्रल, स्वेदल तथा पूयरोधी होते हैं।-इसके बीज पोषक, मधुर, तिक्त तथा स्तम्भक होते हैं।-इसके फल अम्ल, मधुर, पोषक, पाचक, तीक्ष्ण, शैत्यकारक, वाजीकर, पित्तशामक तथा आंतों के लिए हितकर होते हैं।-इसके फल मधुमेहनाशक क्रियाशीलता प्रदर्शित करते हैं।-आयुर्वेद के अनुसार जंगली बादाम पित्तशामक होता है अर्थात यह पित्त को कम करने में मदद करता है साथ ही यह आंतों के लिए भी बहुत उपयोगी है। आइये जानते हैं कि किन किन बीमारियों में जंगली बादाम का उपयोग करना लाभदायक है।- विशेषज्ञों का कहना है कि जंगली बादाम की पत्तियों का रस नाक में 1-2 बूँद डालने से या पीने से सिरदर्द में आराम मिलता है। इसके अलावा जंगली बादाम की गिरी को सरसों के तेल के साथ पीसकर सिर पर लगाने से भी सिर का दर्द दूर होता है।- आयुर्वेद के अनुसार जंगली बादाम की पत्तियों और छाल में टैनिन नामक तत्व पाया जाता है जो दस्त को रोकने में मदद करता है। खुराक संबंधी जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।- इसी तरह अगर आप पेट दर्द से परेशान हैं तो जंगली बादाम की पत्तियों के रस की 5 एमएल मात्रा लें और इसमें काला नमक मिलाकर इसका सेवन करें। इसे पीने से पेट दर्द से आराम मिलता है।- गठिया के दर्द में जंगली बादाम की पत्तियों को पीसकर जोड़ों पर लगाएं। इसे नियमित रूप से लगाने से गठिया के दर्द से आराम मिलता है।- विशेषज्ञों के अनुसार जंगली बादाम की पत्तियों और छाल को पीसकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी ठीक होते हैं। घाव के साथ साथ कुष्ठ रोगों में भी यह घरेलू उपाय कारगर है।- आयुर्वेद के अनुसार जंगली बादाम की तने की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से बुखार में आराम मिलता है। खुराक संबंधी अधिक जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।
- कोरोना वायरस की महामारी फैसले ही दुनिया भर में सैनिटाइजऱ की मांग बढ़ गई है। भारतीय बाजार में तरह-तरह के सैनिटाइजऱ उपलब्ध हंै। अब दुविधा ये है कि इनमें से कौन से हैंड सैनिटाइजऱ अच्छे हैं, इसका चुनाव कैसे करें। सैनिटाइजर की बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए कई छोटे व्यवसायियों ने भी हैंड सैनिटाइजर को बनाने का काम शुरू कर दिया है, जिसके कारण कई नुकसान भी सामने आ रहे हैं। देखने में आ रहा है कि कुछ कंपनियां अपने उत्पादों को बनाने के लिए मेथनॉल जैसे खतरनाक पदार्थों का उपयोग कर रही हैं, जो कई तरह से लोगों के लिए हानिकारक हो रहे हैं।हाल ही में यू.एस. फूड एंड ड्रग एडमिन्स्ट्रेशन (एफडीए) ने हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक करीब 77 हैंड सैनिटाइजऱ की पहचान की है। एजेंसी के अनुसार, इन सैनिटाइजर में मेथनॉल का खतरनाक स्तर मौजूद हैं। मेथनॉल को लकड़ी के शराब के रूप में भी जाना जाता है, जो एक विषाक्त पदार्थ है। अगर आप इन सैनिटाइजर का उपयोग करते हैं, तो आपको मतली, तंत्रिका क्षति जैसी समस्या हो सकती है। एजेंसी ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि मेथनॉल आपकी त्वचा के माध्यम से शरीर में अवशोषित हो सकता है। यह उन बच्चों के लिए विशेष रूप से खतरनाक है। इससे पहले, एफडीए ने नौ टेंटेड हैंड सैनिटाइजऱ के बारे में भी चेतावनी जारी की थी।हैंड सैनिटाइजर के प्रकारबाजार में 2 तरह के हैंड सैनिटाइजर बिक रहे हैं। पहला एल्कोहल बेस्ड और दूसरा एल्कोहल-मुक्त। कोविड -19 महामारी से लडऩे के लिए, आपको एल्कोहल-बेस्ड सैनिटाइजर का उपयोग करने की आवश्यकता है। यह एक चिकित्सा निस्संक्रामक के रूप में भी काम करता है। वहीं शराब मुक्त सैनिटाइजऱ में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो सूक्ष्मजीवों से छुटकारा पाने में आपकी मदद कर सकते हैं। इनमें एंटीमाइक्रोबियल एजेंट या बेंजालोनियम क्लोराइड होता है लेकिन ये वायरस को मारने में पूर्ण रूप से प्रभावी नहीं हैं।कैसे चुनें सही हैंड सैनिटाइजरएफडीए ने चेतावनी दी है कि ज्यादातर हैंड सैनिटाइजर में इथेनॉल को एक घटक के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, लेकिन जब जांच की गई तो उसमें मेथनॉल की हानिकारक मात्रा पाई गई। दुर्भाग्य से, यह बताना आसान नहीं है कि किसी उत्पाद में मेथनॉल है या नहीं। आप उत्पाद को भले ही सूंघने की कोशिश कर सकते हैं और ये पता लगाने की कोशिश कर सकते हैं कि उसमें कैसी महक आ रही है सिंथेटिक या रासायनिक। लेकिन परेशानी ये है कि कितने लोग मेथनॉल को सूंघ सकते हैं?क्या कहता है एफडीएभ्रामक दावों से सावधान रहें। सैनिटाइजर को बाजार में बेचने से पहले पहले एफडीए की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए,अगर लेबल पर एफडीए से स्वीकृति प्राप्त लिखा हुआ तो इससे दूर रहें।सस्ते और नए सैनिटाइजर से बचना ही बेहतर है क्योंकि इनमें मेथनॉल हो सकता है। हमेशा एक जाना पहचाना ही ब्रांड चुनें।ऐसा सैनिटाइजर चुनें जिसमें एल्कोहल की मात्रा कम से कम 60 फीसदी से 95 फीसदी तक हो। लेबल पर इथेनॉल, प्रोपेनोल और आइसोप्रोपानोल लिखा हो उसी सैनिटाइजर का चयन करें।
- किसी भी बीमारी से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है खुद को फिट रखना और 84 साल की उम्र में दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र को एक जवां युवक के रूप में फिट देखना वास्तव में प्रेरणादायक है। धर्मेंद्र ने हाल ही में सोशल मीडिया पर उन तरीकों को साझा किया, जिनसे वे खुद को अपने घर की सीमाओं के भीतर रखते हुए लॉकडाउन में स्वस्थ और सुरक्षित रह रहे हैं। वे अपने फार्महाउस में रहकर आर्गनिक खेती कर रहे हैं।आमतौर पर देखा जाता है कि उम्र कुछ लोगों के लिए एक्सरसाइज को सीमित कर देती है और उनके लिए ऐसा कर पाना मुश्किल होता है, लेकिन धर्मेंद्र इस बात का सबूत है कि उम्र वास्तव में सिर्फ और सिर्फ एक नंबर है और सभी को एक्सरसाइज करनी चाहिए। फिल्मों में अपने अक्खड़ किरदार के लिए मशहूर धर्मेंद्र ने अपने फैंस के साथ अपना एक्सरसाइज रूटीन फॉलो किया है।धर्मेंद्र ने घर में ही एक स्थिर बाइक पर वर्कआउट करते हुए खुद का एक वीडियो शेयर किया है।एक्सरसाइज करना आपकी इम्यूनिटी के लिए अच्छाव्यायाम करने से आपका मेटाबॉलिज्म अच्छा रहता है और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को रिचार्ज होती है। अच्छी तरह से काम करने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण, बीमारियों को दूर रखने और उनसे उबरने के लिए महत्वपूर्ण है। इतना ही नहीं, अध्ययन बताते हैं कि व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों को नियमित रूप से करने पर शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, फेफड़ों और वायुमार्ग से बैक्टीरिया को साफ करने में मदद मिलती है। इतना ही नहीं एक्सरसाइज संक्रमण से लडऩे वाले एंटीबॉडी के उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ तनाव हार्मोन को रिलीज करने में धीमा कर सकता है, जिससे आप बीमार होने से बच जाते हैं।नियमित व्यायाम आपको फिट और स्वस्थ रहने में करता है मददचाहे आप जॉगिंग, योग, एरोबिक्स, कार्डियो या अन्य किसी भी तरह की एक्सरसाइज करें, ये सभी आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने में बेहद फायदेमंद हैं। हर दिन 40-50 मिनट तक शारीरिक रूप से सक्रिय रहना मदद कर सकता है। बहुत सारे होम वर्कआउट वीडियो और सेशन हैं जो आपको एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।स्टेशनरी बाइक होने के लाभधर्मेंद्र को वीडियो में एक स्टेशनरी बाइक पर वर्कआउट करते हुए देखा जा सकता है, जो उनके घर के जिम में है। घर पर इस तरह की बाइक होने से कई बार जिम न जाने की स्थिति में वर्कआउट करना आसान हो जाता है। स्टेशनरी बाइक पर वर्कआउट करना फिटनेस के प्रति उत्साही और सभी उम्र के लोगों के लिए अच्छा काम कर सकता है।क्या साइकिलिंग से वजन कम करने में मिलती है मदद?कैलोरी बर्न करने से लेकर वजन घटाने और इंडुरेंस बनाए रखने तक इस तरह के इनडोर जिम उपकरण के बहुत सारे लाभ होते हैं। अगर आप किसी एक का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं, तो यहां कुछ फायदे बताए गए हैं, जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए-साइकिलिंग एक अच्छी इंडुरेंस बिल्डिंग एक्सरसाइज है। 30-40 मिनट के लिए इनडोर साइकिलिंग करने से आप 80-100 कैलोरी तक बर्न कर सकते हैं। हालांकि ये आपके वर्कआउट तीव्रता के आधार पर निर्भर कर सकता है।यह एक्सरसाइज शरीर के निचले हिस्से की कोर मांसपेशियों को मजबूत बनाती है जिसमें क्वाड्स, हैमस्ट्रिंग, बछड़ों के साथ-साथ ग्लूट्स भी शामिल हैं। साइकिल चलाना आपके नितंबों के लिए एक अच्छी कसरत है क्योंकि इसमें कोर्डिनेशन की आवश्यकता होती है। यह मस्तिष्क, फेफड़े और हृदय स्वास्थ्य को बढ़ाता है। मधुमेह रोगी इस वर्कआउट को भी आजमा सकते हैं।वर्कआउट करते समय इन सुरक्षा टिप्स का रखें ध्यानइनडोर साइकिल पर साइकिल चलाना और वर्कआउट करना एक अच्छा वर्कआउट हो सकता है लेकिन कुछ ऐसे सेफ्टी टिप्स हैं जिनके बारे में किसी को भी जानकारी होनी चाहिए, खासकर अगर आपको हाई-इफेक्ट या इंटेंस एक्सरसाइज की आदत नहीं है तो। इंडोर साइकल से चोट का खतरा ज्यादा होता है। अगर सही तरीके से वर्कआउट नहीं किया जाए तो मांसपेशियों के फटने या मोच आने की संभावना बढ़ जाती है। सावधान रहें। उचित पोश्चर बनाए रखें और सुनिश्चित करें कि वर्कआउट करते समय आपकी स्थिति अच्छी हो। अगर आप इस एक्सरसाइज की शुरुआत कर रहे हैं या लंबे समय के बाद व्यायाम करने जा रहे हैं तो उत्तेजित न हों।
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किशमिश को सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है, मगर आमतौर पर 2 तरह की किशमिश खाने में ज्यादा प्रयोग की जाती है- हरी किशमिश, गोल्डेन किशमिश। इसके अलावा एक तीसरे तरह की किशमिश भी आती है, जिसे काली किशमिश कहा जाता है। ये काले अंगूरों को सुखाकर बनाई जाती है। काली किशमिश खाने के भी ढेर सारे स्वास्थ्य लाभ हैं, जिनके बारे में लोग अक्सर नहीं जानते हैं।
काली किशमिश कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स, कार्बोहाइड्रेट्स और कैल्शियम का भंडार है। हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए तो काली किशमिश वरदान है। इसी तरह कुछ अन्य बीमारियां और शारीरिक समस्याएं भी हैं, जिन्हें काली किशमिश को खाकर दूर किया जा सकता है। आइए आपको बताते हैं काली किशमिश खाने के 5 सेहत से जुड़े लाभ।ब्लड प्रेशर रोगियों के लिए वरदान है काली किशमिशकाली किशमिश में पोटैशियम की मात्रा बहुत अच्छी होती है। पोटैशियम वाले आहार ब्लड प्रेशर कम करते हैं। यही कारण है कि अगर कोई व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से परेशान है, तो उसे काली किशमिश का सेवन जरूर करना चाहिए। काली किशमिश के सेवन से शरीर में मौजूद सोडियम का असर कम होता है, जिससे ब्लड प्रेशर में तेजी से कमी आती है। इसे खाने के आसान तरीका है कि दिन में कई बार जब भी समय मिले थोड़ी सी काली किशमिश को मुंह में डालकर चबाकर खाएं।खून की सफाई और चेहरे पर चमककाली किशमिश एक तरह से नैचुरल ब्लड प्यूरिफायर का काम करता है। रोजाना काली किशमिश खाने से आपके खून में घुली अशुद्धियां और गंदगी बाहर निकल जाती हैं। इसलिए इसके सेवन से आपके चेहरे पर चमक आती है और त्वचा से संबंधित कई समस्याएं जैसे- कील-मुंहासे, झुर्रियां, धब्बे आदि दूर होते हैं। काली किशमिश के लगातार सेवन से आपका रंग भी निखरता है क्योंकि खून में घुली अशुद्धियों के साफ होने से त्वचा की रंगत पर भी असर पड़ता है।हड्डियों को रखती है मजबूतकाली किशमिश में पोटैशियम और कैल्शियम की मात्रा अच्छी होती है, जिसके कारण ये हड्डियों के लिए भी बहुत फायदेमंद मानी जाती है। रोजाना 10-15 काली किशमिश खाने से आपके शरीर के लिए जरूरी कैल्शियम आपको मिल जाता है। इससे हड्डियों के भुरभुरापन (ऑस्टियोपोरोसिस) की समस्या दूर होती है और हड्डियां मजबूत होती हैं। महिलाओं को काली किशमिश का सेवन जरूर करना चाहिए क्योंकि उनमें हड्डियों की कमजोरी की समस्या बहुत पाई जाती है।खून बढ़ाए, बालों को स्वस्थ रखेकाली किशमिश में एक और तत्व अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर के लिए बहुत जरूरी है। वो है आयरन। आयरन वाले आहार शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाते हैं, जिससे खून बढ़ता है। इसके अलावा आयरन उन लोगों के लिए भी फायदेमंद होता है, जिनके बाल कमजोर होते हैं। अगर आपके बाल झड़ते हैं या बहुत ज्यादा टूटने लगे हैं, तो आपको रोजाना आधी मु_ी काली किशमिश का सेवन जरूर करना चाहिए। एनीमिया से ग्रस्त महिलाओं और पुरुषों के लिए भी काली किशमिश का सेवन फायदेमंद होता है।कोलेस्ट्रॉल कम करेकोलेस्ट्रॉल भी एक गंभीर समस्या है, जिसके कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी समस्याओं का खतरा रहता है। कोलेस्ट्रॉल बढऩे पर व्यक्ति की आकस्मिक मौत की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को घटाना बेहद जरूरी है। कोलेस्ट्रॉल घटाने के लिए भी आप काली किशमिश का सेवन कर सकते हैं। काली किशमिश में घुलनशील फाइबर होता है, जो कि धमनियों में जमा प्लाक को धीरे-धीरे बाहर निकाल देता है। यही कारण है कि इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल कम होता है।--- - ज्यादातर भारतीय घरों में अगर थाली में अचार नहीं होता तो कई लोगों को भोजन अधूरा सा लगता है। ऐसे में घर पर बनने वाले अचार सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाते, बल्कि आपकी सेहत भी अच्छी रखते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ अचार इम्यून सिस्टम बढ़ाने में मददगार होते हैं। आइए, जानते हैं ऐसे ही कुछ अचार के बारे में...ताजा हल्दी का अचारहल्दी के बारे में सभी जानते हैं कि यह कितनी स्वास्थ्यवर्धक है। हल्दी का उपयोग भोजन में मसाले के रूप में और दवाइयों के अलावा सौंदर्य प्रसाधनों में होता है। आज हम इसके अचार के बारे में बता रहे हैं।इसके लिए सामग्री चाहिए- ताजा पीली हल्दी , ताजा नारंगी हल्दी , ताजा अदरक, नींबू और काली मिर्च के दाने।विधि- सबसे पहले नींबू सहित सभी सामग्री को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। इन सभी सामाग्रियों को मिलाकर एक जार में डालें। फिर इसे धूप में पांच से 10 दिनों के लिए छोड़ दें। हल्दी का अचार तैयार है। हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं। यह इम्यून को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्ट काम करता है। इसके अलावा पाचन में सहायता करता है। गठिया के दर्द से राहत देता है। कच्ची हल्दी को आप घर पर गमले में भी लगा सकते हैं और जब उपयोग करना हो, इसे निकालकर इसका अचार बना लें।आंवला अचारआंवला, जिसे अंग्रेजी में इंडियन गोज़बेरी भी कहा जाता हैं, विटामिन सी का एक सबसे बेहतरीन स्रोत है और इस प्रकार यह इम्यून को बढ़ाने वाले फलों में से एक है। पाचन सहायता से लेकर चमकती त्वचा तक, आंवले के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट इसे एक बेहतरीन इम्युनिटी बूस्टर बनाता है। इसका मुरब्बा बनाने के साथ ही आप इसे सुखाकर पाचक के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका अचार बनाने के लिए ये विधि अपनाएं-सामग्री-आंवला , नमक, सरसों तेल, सौंफ, सरसों, मेथी बीज (सौफ, सरसों और मेथी को सूखा थोड़ा भूनकर दरदरा कर लें)।विधि- आंवले को अच्छी तरह धोएं और कांटे से आंवले को गोद दें। इसके बाद इन्हें एक घंटे के लिए पानी और नमक में भिगो दें।इसके बाद एक पैन लें और तेज आंच पर थोड़ा तेल गर्म करें। तेल गरम होने के बाद, गैस बंद कर दें और सौंफ के बीज, सरसों और मेथी डालें। एक मिनट के बाद, हल्दी और आंवला इसमें डालें। गैस चालू करें और मध्यम आंच में सामग्री को भूनें। थोड़ा नमक, लाल मिर्च पाउडर डालें। गैस बंद कर दें और अचार को ठंडा होने दें. अब अचार को कांच के एयरटाइट कंटेनर में रखकर 5-6 दिनों के लिए धूप दिखा दें।अदरक का अचारअदरक ऐसी चीज है, जो साल भर बाजार में उपलब्ध रहती है। इसका अचार भी स्वादिष्ट होता है। यह दो दिन में तैयार हो जाता है। अदरक का अचार खाने से पाचन दुरुस्त रहता है। अदरक में एंटी बैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों से बचाने में मददगार हैं। अदरक में विटामिन भी भरपूर पाया जाता है। जो शरीर को ऊर्जा देते हैं। अदरक का अचार कई तरह से बनाया जाता है। आप अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े कर उसे सिरका और नींबू के रस और स्वाद अनुसार हल्दी नमक डाकर तुरंत तैयार कर सकते हैं। लेकिन इसे एक हफ्ते से ज्यादा तक बनाकर न रखें।एक अन्य विधि है-सामग्री- अदरक, हरी मिर्च-, नींबू का रस, हींग, नमक, लाल मिर्च पाउडर, सौंफ (भुनी और कुटी हुई) सरसों दाल, सरसों का तेल।विधि- अदरक के लंबे-लंबे टुकड़े काट लें। अब इन टुकड़ों को सुखाने के लिए एक कपड़े पर फैलाकर कुछ देर के लिए रख दें, ताकि काटने के बाद इसमें आने वाली नमी दूर हो जाए। अब हरी मिर्च को अच्छे से धोकर साफ करके उसके बीच में चीरा लगा लें। इसके बाद सारे मसाले डालकर इसे अच्छे से मिला लें। फिर इसमें नींबू का रस और तेल डालकर अच्छी तरह मिला लें। इसे कांच की बर्नी में रखकर 2 दिन के लिए धूप में रखें। अदरक का अचार तैयार है।--------
- ताकत बढ़ाने वाले ड्राईफ्रूट्स की बात करें तो बादाम, अखरोट और मूंगफली शीर्ष पर हैं। जो लोग शारीरिक कमजोरी से जूझ रहे हैं वे इनमें से किसी एक का चुनाव करते हैं। मगर सेहत के लिहाज से कौन से नट्स ज्यादा फायदेमंद होते हैं, इसकी जानकारी हर किसी को नहीं होती है। तो आइए हम आपको बताते हैं कि बादाम, अखरोट और मूंगफली कौन ज्यादा फायदेमंद है और इनमें पाए जाने वाले पोषक तत्व कौन-कौन से हैं।बादाम -बादाम ड्राईफ्रूट्स का हिस्सा है। इसमें विटामिन, मिनरल्स, प्रोटीन और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए ये स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। लोग बादाम को कच्चे या रोस्ट कर के खा सकते हैं या उन्हें मीठे या नमकीन व्यंजनों में शामिल कर सकते हैं। बादाम को भिगाकर खाना ज्यादा फायदेमंद होता है। यह आमतौर पर मिडिल ईस्ट में पाया जाता है, मगर अमेरिका बादाम का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।बादाम के कई फायदे भी हैं। बादाम में हेल्दी फैट (असंतृप्त वसा) होता है, जो फायदेमंद है। बादाम बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) के खतरे को कम करता है। इसके अलावा, बादाम में कोलेस्ट्रॉल नहीं पाया जाता है। बादाम हृदय रोगियों के लिए भी फायदेमंद है। बादाम विटामिन ई का अच्?छा स्रोत होने के नाते यह एंटी-एजिंग होता है। यह अल्जाइमर्स की समस्?या को कम करता है। बादाम को ब्लड शुगर को कम करने, वजन कम करने और हड्डियों को मजबूत करने के लिए जाना जाता है।बादाम के पोषक तत्वबादाम (करीब 28 ग्राम) में काफी मात्रा में निम्न पोषक तत्व पाए जाते हैं-प्रोटीन 6 ग्रामफाइबर 3.5 ग्राममैग्नीशियम-आरडीआई का 20 प्रतिशतविटामिन ई- आरडीआई का 37 फीसदीमैंगनीज- आरडीआई का 32 प्रतिशतवसा- 14 ग्राम (जिनमें से 9 मोनोअनसैचुरेटेड हैं)अखरोट - अखरोट ओमेगा-3 से भरपूर होते हैं और इनमें अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में अधिक मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं। नियमित रूप से अखरोट खाने वालों का मस्तिष्क स्वास्थ्य में सुधार होता है। जबकि दिल के रोग और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों को रोका जा सकता है। अखरोट को कई तरह से खाया जा सकता है। इसे आप भिगाकर, कच्चा या किसी व्यंजन में शामिल कर खा सकते हैं। अखरोट फल का ऊपरी सतह काफी कठोर होता है मगर अंदर से नर्म होता है।अखरोट में करीब 65 प्रतिशत फैट होता है, जबकि 15 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है। अखरोट में और भी कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। अखरोट के फायदे भी कई हैं, यह मस्तिष्क स्वास्थ्य के साथ-साथ, कैंसर विरोधी और हृदय स्वास्थ्य को बरकरार रखने में मदद करता है।अखरोट के पोषक तत्वअखरोट (करीब 30 ग्राम) में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं-कैलोरी-185वाटर- 4 प्रतिशतप्रोटीन- 4.3 ग्रामफाइबर-1.9 ग्रामवसा-18.5 ग्रामकाब्र्स- 3.9 ग्रामचीनी- 0.7 ग्राममूंगफली - मूंगफली को गरीबों का बादाम कहा जाता है। मगर सही मायने में यह बादाम के समकक्ष या उससे कहीं ज्यादा फायदेमंद होते हैं। यह बाकी नट्स से सस्ते होते हैं। मूंगफली हेल्दी फैट और प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत होता है। अगर आप मसल्स बनाना चाहते हैं तो मूंगफली को भिगाकर खा सकते हैं। जिम करने वालों का ये पसंदीदा फूड है। मूंगफली के कई फायदे हैं, यह प्रोटीन की कमी को दूर करता है, पौरुष शक्ति बढ़ाता है, बालों और त्वचा के फायदेमंद होता है। यह हृदय रोगों के लिए भी फायदेमंद है।मूंगफली के पोषक तत्व100 ग्राम मूंगफली खाने से आपको काफी मात्रा पोषक तत्व मिल सकते हैं। -कैलोरी- 567पानी- 7 प्रतिशतफाइबर- 8.5 ग्रामप्रोटीन- 25.8 ग्रामकाब्र्स- 16.1 ग्रामसंतृप्त- 6.28 ग्रामवसा- 49.2 ग्रामचीनी- 4.7 ग्रामओमेगा-6- 15.56 ग्रामपॉलीअनसेचुरेटेड- 15.56 ग्राममोनोअनसैचुरेटेड- 24.43 ग्रामक्या है फायदेमंद- बादाम, अखरोट या मूंगफली?बादाम, अखरोट और मूंगफली तीनों ही फायदेमंद होते हैं। इन सभी के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं। कीमत की दृष्टि से बादाम और अखरोट एक ही श्रेणी में आते हैं, जबकि मूंगफली काफी सस्ती मिलती है और फायदेमंद होती है। अगर आयुर्वेद की मानें तो आपके आहार वो होने चाहिए जो आपके आसपास पैदा होते हैं। यानी आपके क्षेत्र में जिसकी पैदावार हो उसका सेवन करना चाहिए। मगर ध्यान रखें कि आपको इनमें से किसी भी नट्स को अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। यह आपको नुकसान भी पहुंचा सकती हैं।--
- मौसम में परिवर्तन के साथ ही कई तरह की बीमारी जोर पकडऩे लगती है। ऐसे में इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं और सर्दी - बुखार की दवाएं लोग घर पर रखते ही हैं। हालांकि, मेडिसिन तो तुरंत असर कर जाती है, लेकिन हम लोग अक्सर नेचुरल उपचार को अनदेखा कर देते हैं, जो हमारे रसोई घर में आसामी से मौजूद होता है। कुछ ऐसे घरेलू उपचार हैं, जिनका इस्तेमाल करके सर्दी, जुकाम और बुखार में राहत पाया जा सकता है।अदरक की चाय से लेकर हल्दी वाले दूध तक, बीमार होने पर हम सभी आजमाए हुए घरेलू नुस्खे इस्तेमाल करते हैं। एक और मसाला है जो फ्लू जैसे लक्षण होने पर बेहद लाभदाई होता है, वह है स्टार एनीज यानी चकराफूल। कहते हैं कि स्टार अनीस रसोई घर में गुप्त फ्लू सेनानी है जो आपके पास होना चाहिए। इसका उपयोग पुलाव, बिरयानी बनाने में खड़े मसाले के रूप में किया जाता है। इसे बहुत तरह के सूप में भी मिलाया जाता है। साथ ही इसका उपयोग जैम बनाने में भी किया जाता है।विटामिन से भरपूर है...स्टार एनीज़ को अक्सर प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में जाना जाता है। इसमें उच्च मात्रा में विटामिन ए और सी होते हैं, जो शरीर में संक्रमण को ठीक करने और लडऩे में बेहद मददगार होते हैं। बारिश में ठंडक होने के दौरान विटामिन सी विशेष रूप से सुखदायक होता है।स्टार एनीज़ के स्वास्थ्य लाभ...स्टार एनीज़ को लोकल भाषा में चकराफूल भी कहा जाता है। इसका स्वाद बेहद मसालेदार होता है। यह अजीबोगरीब मसाला आपके शरीर के लिए हेल्थ से भरपूर होता है और आपके इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है। बहुत सालों से इसे एशिया, यूरेसिया और चाइना के लोग खाने मे पसंद करते हैं। इसका उपयोग साउथ इंडियन व्यंजनों मे किया जाता है और चाइनीज डिशस तो इसके बिना अधूरी है।स्टार ऐनिज मे एनएथोल नाम का एक रसायन होता है जिसके कारण इसका टैस्ट मुलेठी के जैसा लगता है, सिर्फ स्वाद ही मुलेठी जैसा नहीं है बल्कि गुण मे भी यह उसी के जैसा है । इसमें ऐसे तत्व पाये जाते हंै जो बैक्टीरिया,फंगस को मात दे सकता है। स्टार ऐनिज मे हल्की मात्रा में विटामिन बी पाया जाता है। इसमे केल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए, विटामिन सी के साथ साथ बहुत तरह के मिनरल्स भी पाये जाते है। यह पाउडर और साबूत दोनों तरह से बाजार में उपलब्ध है। यह जल्दी खराब नहीं होता है।स्टार ऐनिज के फायदेस्टार ऐनिज के तेल की मालिश करने से शरीर की ऐठन दूर होती है, जोड़ो का दर्द हो या आर्तिरटिस या कोई भी हड्डियों का दर्द दूर होता है। सर्दी जुकाम से गले मे दर्द होता है और खांसी भी बहुत होती तो उस समय मे स्टार ऐनिज की चाय बहुत फायदेमंद होती है।-इसके तेल में एंटीसेप्टिक गुण पाये जाते हैं, जिससे घाव और चोट में राहत मिलती है। इसके तेल में पाये जाने वाले तत्व थायमोल, टेरपीनिल और एनिथोल के कारण फ्लू जैसे बीमारी मे भी उपयोगी है।- इसके उपयोग से बढ़ते उम्र की समस्या, चिंता, मोनोपोज की समस्या, ब्रोंकाइटिस और मधुमेह जेसी नसार बीमारियों को लडऩे मे ताक़त होती है।-इसकी खुशबू बहुत ही अच्छी होती है,जिससे मुंह की दुर्गंध भी कम होती है।- यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है और सूजन, गैस, अपच और कब्ज मे राहत मिलती है। बच्चों मे होने वाले पेट के दर्द को भी कम करता है।इसके सेवन से हमें कोई भी नुकसान नहीं है पर हमं े इसकी मात्रा को ध्यान में रखना होता है। आयुर्वेद में कहा गया है कि किसी भी चीज की अधिकता नुकसानदायक होती है।
- बोनी कपूर और श्रीदेवी की एक्ट्रेस बेटी जान्हवी कपूर ने करीब दो साल पहले बॉलीवुड में अपनी दमदार शुरुआत की। जान्हवी कपूर ने अपनी खूबसूरती से सभी को लुभाया था। फिल्म में चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाकर उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपना लोहा मनवाया बल्कि अपनी साधारण ऑफ-ड्यूटी शैली और बहुत कम मेकअप प्रयोग कर लोगों को प्राकृतिक सुंदरता से भी रूबरू कराया। लेकिन बात जब ब्यूटी रूटीन की आती है, तो उन्हें खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए घरेलू नुस्खों को आजमाना बेहद पसंद है क्योंकि वे इसे प्राकृतिक मानती हैं।हाल ही में, जाहन्वी ने अपने ब्यूटी रूटीन के बारे में एक और राज का खुलासा किया, जिसमें रसोई में मौजूद एक बहुत ही सामान्य घटक शामिल है। उन्होंने अपनी एक सेल्फी शेयर की है, जिसमें उन्होंने ये खुलासा किया कि वह अपने चेहरे पर बचे हुए ओट्स को लगाना पसंद करती हंै। हैरानी की बात ये है कि आपकी त्वचा के लिए ओट्स क्या कर सकता है? यहां आपके लिए जानना आवश्यक है।ओट्स एक ऐसा अनाज है, जो अपने कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। जब आप इसे चेहरे पर लगाते हैं तो यह पौष्टिक अनाज कई सौंदर्य समस्याओं को हल करने में मदद कर सकता है। एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरा हुआ ओट्स रूखी और त्वचा पर होने वाली जलन और खुजली को शांत करने में मदद करता है। और अगर आप तैलीय त्वचा की समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो ओट्स आपके फेस मास्क व्यंजनों में आपका स्टार घटक होना चाहिए। यह तेल को अवशोषित करने और मुंहासों को दूर रखने में मदद करेगा! चाहे आपकी सूखी, तैलीय या संवेदनशील त्वचा हो, यह घटक त्वचा पर कठोर नहीं होता है और सभी प्रकार की त्वचा के अनुकूल है।अगर आप सोच रहे हैं कि ओट्स का इस्तेमाल सिर्फ खाने में ही किया जाता है तो आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ओट्स त्वचा की समस्याओं को दूर करने में भी काफी फायदेमंद हैं। ओट्स में विभिन्न प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट्स, प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन्स होते हैं, जो शरीर को पोषण देने के साथ-साथ आपके चेहरे को भी खूबसूरत बना सकता है। ये सारे पोषक तत्व शरीर को तंदरुस्त बनाने के साथ ही त्वचा को भी कई तरह से फायदा पहुंचाते हैं। आपके लिए ये जानना बहुत ही जरूरी है कि ओट्स कई तरह की स्किन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए बेहतरीन नैचुरल इंग्रीडिएंट है। अगर आपकी स्किन में रूखापन, खुजली, कील, मुंहासे और दाग-धब्बें हैं, तो ओट्स इन सभी समस्याओं का एक बेहतरीन इलाज है। जानिए क्यों त्वचा समस्याओं के लिए क्यों फायदेमंद है ओट्स।त्वचा समस्याओं में फायदेमंद है ओट्सओट्स में बी1, बी2, बी3, बी6 और बी9 जैसे विटामिन बी के कई रूप होते हैं। ये सभी विटामिन्स नई त्वचा कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करते हैं। ओट्स त्वचा में मौजूद अतिरिक्त तेल को सोख लेता है, जिससे ऑयली स्किन से जुड़ी समस्याएं ठीक हो जाती है। ओट्स में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स स्किन के भीतर जाकर हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने का काम करते हैं, जिसके कारण कील, मुंहासों और ब्लैकहेड्स की समस्या भी दूर हो जाती है।फाइबर से समृद्ध होने के कारण ओट्स डेड स्किन सेल्स को निकाल फेंकते हैं, जिससे त्वचा में निखार आता है।अगर आपके चेहरे पर मुंहासे, दाने, कील हो गए हैं, तो आप इसे ओट्स से बने फेस मास्क की मदद से बहुत आसानी से ठीक कर सकते हैं।
- हम में से बहुत से लोग अमरूद के फलों के फायदों के बारे में जानते हैं लेकिन हम इस तथ्य से अवगत नहीं हैं कि इसके पत्तों में भी कई औषधीय गुण होते हैं.जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। ताजी अमरूद की पत्तियों में एंटीऑक्सिडेंट, जीवाणुरोधी और विरोधी गुण पाए जाते हैं, इसलिए इसे प्राकृतिक दर्द निवारक भी माना जाता है। अमरूद की पत्तियों में मौजूद कैरोटिनॉयड्स, पॉलीफेनोल्स, फ्लेवोनोइड्स और टैनिन जैसे रसायन विभिन्न बीमारियों के इलाज में बहुत प्रभावी हैं।आजकल दवाओं के दुष्प्रभावों के कारण, विभिन्न रोगों के उपचार के लिए हर्बल पौधों का तेजी से उपयोग किया जा रहा है और अमरूद का पत्ता उनमें से एक है. इसके पत्तों से बनी खुराक कैप्सूल और चाय के रूप में उपलब्ध हैं। तो आज हम अमरूद के पत्तों के अद्भुत स्वास्थ्य लाभों पर एक नजर डालेंगे।कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता हैएक शोध के अनुसार, अगर आप तीन महीने तक अमरूद के पत्ते की चाय पीते हैं तो इससे एलडीएल / बुरे कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स में कमी आती है.जिससे आप कई प्रकार की बीमारियों के खतरे से बचे रहते हैं।मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा हैजापान के याकुल्ट सेंट्रल इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए शोध के अनुसार, अमरूद की पत्ती से बनी चाय अल्फा-ग्लूकोसिडेज एंजाइम गतिविधि को कम करके मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा को कम कर सकती है। यदि आप 10-12 सप्ताह के लिए अमरूद के पत्ते की चाय पीते हैं तो यह इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाए बिना रक्त शर्करा के स्तर को कम करेगा।त्वचा के लिए लाभदायकअमरूद की पत्तियों में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो फ्री रेडिकल्स को नष्ट करते हैं, जो आमतौर पर त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। इस तरह यह आपकी त्वचा को उम्र बढऩे से बचाता है और त्वचा की टोन और बनावट में भी सुधार करता है। त्वचा में कसावट लाने के लिए अमरूद के पत्तों का काढ़ा त्वचा पर लगाया जा सकता है।पाचन में सहायकअमरूद की पत्ती की चाय पाचन एंजाइम के उत्पादन को उत्तेजित करके पाचन में मदद करती है। मजबूत जीवाणुरोधी एजेंट आंत की परत में बैक्टीरिया को मारते हैं और बैक्टीरिया द्वारा विषाक्त एंजाइमों का प्रसार रोकते हैं। अमरूद के पत्ते मुख्य रूप से उल्टी और मतली की समस्या में उपयोग किए जाते हैं। इसके अलावा, पेट दर्द को कम करने के लिए, अमरूद के 6-7 पत्तों को 1.5 लीटर पानी में उबालें और दिन में दो या तीन बार पियें।डेंगू बुखार में सहायकडेंगू बुखार को ठीक करने में अमरूद की पत्तियां बहुत सहायक होती हैं। अमरूद की पत्ती का अर्क रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ा सकता है। अमरूद के पत्तों के 8-9 पत्तों को 5 कप पानी में तब तक उबालें जब तक यह आधा न हो जाए। फिर इसे ठंडा करें.एक दिन में तीन बार डेंगू के रोगियों को पिलाएं।बालों के लिए फायदेमंदअमरूद की पत्तियां में पोषक तत्वों के साथ-साथ एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा भी भरपूर होती है, जो कि बालों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. यदि आप अपने बालों पर अमरूद की पत्तियां का पेस्ट लगाते हैं तो यह उन्हें मुलायम और चमकदार बना देगा और लम्बे भी करेगा।
- जिस तेजी से दुनिया भर में कोरोनावायरस के मामलों की संख्या बढ़ रही है, संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए एहतियाती उपाय करना आवश्यक हो गया है। यही कारण है कि हमें एक स्वस्थ और मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली यानी की इम्यून सिस्टम की आवश्यकता है।हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली रक्षा की पहली पंक्ति है, जो रोग पैदा करने वाले रोगजनकों को हमसे दूर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे बीमार होने की संभावना कम हो जाती है। आपके इम्यून स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के विभिन्न तरीके हैं और उनमें से एक आयुर्वेद है। आयुर्वेदिक दवाओं को तैयार करने के लिए कई जड़ी बूटियों का उपयोग बरसों से होता आ रहा है, जो आपके इम्यून स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। जैसा कि वायरस हमारे गले और छाती को प्रभावित करता है, हमें संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए अपने ब्रोन्कियल स्वास्थ्य या कफ दोष को बढ़ावा देना चाहिए। इस लेख में हम आपको कुछ जड़ी-बूटियों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आप अपनी प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए उपयोग में ला सकते हैं।इम्यून बूस्टर 1सामग्री- 5 ग्राम नीम के पत्तेकैसे किया जाए उपयोग- 5 ग्राम नीम के पत्ते लें और ग्राइंडर का उपयोग कर इसे पीस लें और एक महीन पेस्ट बना लें। इसे अपने गले के पीछे की तरफ रखें और निगल लें जैसे आप दवाइयां खाते हैं। इसे खाली पेट लें और 1 घंटे तक कुछ भी न खाएं-पिएं।इससे होने वाले लाभ- नीम एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल है और एक मजबूत शुक्राणुनाशक एजेंट है। 15 दिनों से अधिक समय तक नीम का सेवन न करें। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को नीम के सेवन से बचना चाहिए।इम्यून बूस्टर 2सामग्री: 5 ग्राम भुंई आमलाकैसे किया जाए उपयोग - 5 ग्राम भुंई आमला के पत्ते लें और इसे ग्राइंडर का उपयोग कर पीस लें और इसका एक महीन पेस्ट बनाएं। इसे सुबह खाली पेट निगल लें।इससे होने वाला लाभ- भुंई आमला के पत्ते गुर्दे और पित्ताशय की पथरी को तोडऩे और शरीर से बाहर निकालने करने में मदद करते हैं। यह आपके लिवर को मजबूत करते हैं, प्रतिरक्षा को बढ़ाता है और हेपेटाइटिस बी से लडऩे में मदद करते हैं। आप कैप्सूल के रूप में भी इस जड़ी बूटी को ले सकते हैं।इम्यून बूस्टर 3सामग्री- 1/2 इंच छिलके वाली अदरककैसे किया जाए उपयोग- अपने भोजन से पहले 1/2 इंच ताजा छिलके वाली अदरक चबा लें।इससे होने वाले लाभ- अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं। ये जड़ी बूटी आपके मेटाबॉलिज्म को उत्तेजित करती है और आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करती है।इम्यून बूस्टर 4सामग्री- 1 आंवलाकैसे किया जाए उपयोग: खाली पेट रोजाना एक आंवला लें।इससे होने वाले लाभ- आंवला विटामिन सी, बीटा-कैरोटीन के लाभों से भरा हुआ है और एंटीऑक्सिडेंट का एक समृद्ध स्रोत है, जो प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करता है। 1 आंवला 20 सिट्रिक फलों के बराबर होता है।इम्यून बूस्टर 5सामग्री-गिलोय और ब्राह्मीकैसे किया जाए उपयोग -आपके पास गिलोय और ब्राह्मी का रस हो सकता है, जो बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। आप उन्हें कैप्सूल के रूप में भी ले सकते हैं।इससे होने वाले लाभ- अपनी प्रतिरक्षा, स्मृति शक्ति, शक्ति और बुद्धि को बढ़ावा देने के लिए इन जड़ी बूटियों को अपने डेली रूटीन में शामिल करें। याद रखें कि ये जड़ी-बूटियां शरीर में गर्मी पैदा करती हैं और इसके प्रभाव को कम करने के लिए दोपहर के भोजन के बाद छाछ पीएं।
- अभिनेत्री भूमि पेडनेकर आज अपना 31 वां जन्मदिन मना रही हैं। भूमि स्टनिंग लुक और अपनी वेट लॉस जर्नी के लिए जानी जाती हैं। सोशल मीडिया पर भूमि इन सब के अलावा एक और चीज के लिए भी बहुत पसंद की जाती हैं, वो है वेट-लॉस टिप्स के लिए। दरअसल भूमि लोगों को अपने वेट-लॉस जर्नी से मोटिवेट करती हैं। इतना ही नहीं भूमि अपने इंस्टाग्राम पर लगातार वेट लॉस, हेल्दी लाइफस्टाइल और अपने ब्यूटी सीक्रेट्स को शेयर करती रहती हैं। तो अगर आप इस बारे में नहीं जानते हैं, तो आपको उनके इंस्टा पोस्ट पर कुछ नजर डालनी चाहिए!भूमि पेडनेकर के इंस्टाग्राम पर 2 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं, जिन्हें वो हमेशा अपने हेल्थ से जुड़े पोस्ट से प्रोत्साहित करती रहती हैं। गौर करने वाली बात ये है कि बॉलीवुड की अपनी पहली फिल्म दम लगा के हईशा के लिए उन्होंने अपना वजन 90 किलो कर लिया था और फिर अपनी जीवनशैली में आसानी से बदलाव करके उन्होंने चार महीने में 21 किलो वजन कम किया। भूमि अपने वजन घटाने की जर्नी को लेकर कभी भी चिंतित नहीं थीं और समय-समय पर उन्होंने अपने फॉ़लोवर्स को वजन घटाने के सरल टिप्स दिएं हैं।भूमि का वेट-लॉस डाइट प्लानस्वस्थ भोजन एक जीवन शैली है, का हिस्सा है। भूमि पेडनेकर स्वस्थ रहने के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली फॉलो करती हैं, जिसका अभिन्न हिस्सा है एक हेल्दी डाइट। अपने एक इंटरव्यू में भूमि ने अपनी डाइट सीक्रेट्स का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि वे अपने दिन की शुरुआत सुबह दौडऩे जाना, बैडमिंडन खेलना और वॉक करने से शुरू करती हैं और उसके वो दिन भर अपने डाइट प्लान का बड़ी सख्ती से पालन करती हैं। जैसे कि--नाश्ते में वो ऑमलेट, ग्लूटेन फ्री ब्रेड और कुछ डेयरी फ्री ड्रिंक्स जैसे बादान का दूध आदि लेती हैं। साथ ही वो नाश्ते में मूसली और दूध का सेवन भी करती हैं-लंच में भूमि एक ज्वार की रोटी, सब्जी और डाल लेती हैं।-डिनर में वो चिकन और ग्रील्ड फिश आदि लेती हैं।साथ ही भूमि पहले भी बताती रही हैं कि वो घर से बना खाना ज्यादा पसंद करती हैं। उन्होंने कुछ दिनों पहले इट राइट मूवमेट में भाग लेते हुए बताया था कि आखिर उनके दिन भर के लंचबॉक्स में क्या होता है। इसके साथ ही भूमि अपने घर में चौलाई के साग आदि की खेती करती हैं, जिससे पता चलता है कि आर्गेनिक सब्जियों में कितना भरोसा करती हैं।वर्कआउट टिप्सभूमि बिलकुल देसी हैं। उनका मानना है कि बोरिंग वर्कआउट कोई मतलब को नहीं है। आपको वजन घटाने के लिए अपने वर्कआउट कोल थोड़ा क्रिएटिव बनाना चाहिए। इसके लिए आप -20 स्केव्ट्स लगाएं, डांस करें, स्विमिंग करें, खाने से 30 मिनट पहले 20 बार एक ही जगह पर खड़े होकर जंप करें, फिर पिलेट्स करें, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करें और वेट-लिफ्टिंग रेगुलर करें।भूमि का कहना है कि जो आप खाते हो, वैसे ही आप दिखते हो। ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी है खूब सारा पानी पिएं। जब आप एक वजन घटा रहे होते हैं, तो पानी पीना भी बहुत जरूरी है। वहीं ये आपके स्किन के लिए भी बहुत फायदेमंद है। तो आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपने आप को हाइड्रेटेड रखें। उसके बाद आप अपने अपने चेहरे की देखभाल के लिए तीन चीजों का खास ध्यान रखना चाहिए--क्लींजिंग, टोनिंग और मॉइश्चराइजिंग।इन तीनों के साथ अपने चेहरे की सफाई का खास ध्यान रखें। भूमि को मेकअप करना बहुत पसंद है और वो मसकारा और अपने लिप बाम से बहुत प्यार करती हैं। पर इस सबसे के अलावा वो अपने फिटनेस रूटीन से बिलकुल भी चीटिंग नहीं करती और हर दिन खुद को स्वस्थ और खूबसूरत बनाएं रखने के लिए मेहनत करती हैं।
- रोजमर्रा रसोई में काम आने वाली धनिया एक जड़ी बूटी है, जिसे खाने में (धनिया पत्ती) और मसाले (धनिया बीज या पाउडर) दोनों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय खाना धनिया पाउडर के बिना अधूरा है और ताजा धनिया पत्ती खाने को एक अच्छी गार्निंशिंग और स्वाद देने में मदद करती है। लेकिन आपने धनिया के तेल के बारे में सुना है? यह इसका तीसरा पाहिया है, जिसे बारे में कम लोग ही जानते हैं।धनिये का तेल या धनिये का एसेंशियल ऑयल भी सेहत के लिए कई फायदों से भरा है। इस सुगंधित तेल को धनिया के बीजों से निकाला जाता है और इसके कई आश्चर्यचकित कर देने वाले स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह आंतरिक और बाहरी स्वास्थ्य दोनों के इलाज में मददगार है। धनिये का तेल आपको वजन कम करने, गैस्ट्रिक की समस्या, मांसपेशियों में ऐंठन, फंगल इंफेक्शन आदि में मददगार है। आइए यहां धनिए के तेल के उपयोग और फायदे जानें।धनिये का तेल एक बहुमुखी एसेंशियल ऑयल है। आइये जाने इसके उपयोग के बारे में1. खाने में स्वाद बढ़ाने के रूप में2. माउथ फ्रेशनर के रूप में3. अरोमाथेरेपी तेल के रूप में4. डियोड्रेंट के रूप में5. दर्द से राहत देने वाले बाम के रूप मेंधनिये के तेल के फायदेधनिए का तेल प्राकृतिक तेल दर्दनाशक , कामोत्तेजक, पेट की परेशानी, कार्मिनिटिव, डिप्यूरेटिव, पाचन संबंधी, डियोड्रेंट, कवकनाशी, पेट और प्रकृति में उत्तेजक है।वजन घटाने के लिएवजन घटाना हम सबके लिए एक आम समस्या बन गई है। हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं, जो अपने बढ़ते वजन की वजह से परेशान हैं और वजन कम करने के लिए बहुत सी चीजें और तरीके आजमाते हैं लेकिन परिणाम बहुत धीमे नजर आते हैं। जबकि धनिये केतेल में लिपोलाइटिक है, जो वजन कम करने के लिए शरीर में फैट और कोलेस्ट्रॉल के हाइड्रोलिसिस को किकस्टार्ट करता है।गैस्ट्रिक संबंधी समस्याओं के लिएपेट में गैस काफी परेशान कर सकती है। यह पूरे शरीर की समस्याओं को ट्रिगर कर सकती है। इससे पहले कि गैस स्वास्थ्य को परेशान करे, धनिये का तेल की मदद से अपनी इस समस्या का समाधान पाया जा सकता है। यह पाचन क्रिया से गैस को खत्म कर देता है। यदि नियमित रूप से धनिया और धनिया के तेल का सेवन किया जाए तो शरीर में गैस्ट्रिक की समस्या होने की संभावना नहीं रहती है।मांसपेशियों के दर्द से छुटकारा मिलेगाधनिया के तेल के साथ तिल के तेल को मिलाकर मालिश करने से मांसपेशियों में दर्द, अपच, पाचन समस्याओं और पेट फूलने में मदद मिलेगी। आप पाचन या गैस्ट्रिक की समस्याओं में धनिया तेल की कुछ बूंदे पानी के गिलास में डालकर और एक चम्मच शहद डालकर पी सकते हैं।धनिये के तेल में टेर्पिनॉल और टेरपिनोलीन होते हैं, जो दर्द को कम करने के लिए में मदद करते हैं। प्रभावित जगह पर धनिये का एसेंशियल ऑयल लगाकर मसाज करें। यह जल्द ही दर्द को दूर करने में मदद करेगा, जिसमें सिरदर्द, मांसपेशियों का दर्द, जोड़ों में दर्द और यहां तक दांत दर्द भी शामिल है।ऐंठन का इलाजदर्द से राहत की तरह, धनिया तेल में ऐंठन से राहत देने में भी मदद करता है। इसमें एंटीस्पास्मोडिक गुण भी होते हैं, जो अंगों, खांसी और आंतों से संबंधित होते हैं। यह मन और शरीर को आराम देता है।खून को साफ करने के लिएधनिया के तेल में अद्भुत डिटॉक्सीफाईंग गुण होते हैं, जो इसे भारी धातुओं, यूरिक एसिड और अन्य हानिकारक सामग्रियों जैसे विषाक्त तत्वों को समाप्त करके शरीर को डिटॉक्ट कर खून को साफ करने में मदद करतेबैड ब्रीदिंग या मुंह से आने वाली बदबू के लिए धनिए के तेल को पानी के साथ मिलाकर और माउथवॉश के रूप में इसका उपयोग करने से इस समस्या से आराम मिलता है। यह खराब और बदबूदार सांस को दूर करने में मदद करेगा।क्या धनिया तेल के कोई दुष्प्रभाव हैं?धनिया तेल एक प्राकृतिक तेल है, जिसका शरीर पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होता है। लेकिन ठीक से देखभाल न करने पर अच्छी चीजें भी खराब हो सकती हैं। वहीं धनिये के तेल को एसेंशियल ऑयल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जिसके उपयोग की कुछ सीमाएं हैं। जैसे-- गर्भवती महिला द्वारा इसका सेवन सुरक्षित नहीं है।- संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को पैच टेस्ट करने के बाद ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए।---