गरियाबंद में 120 वैद्यराजों को औषधीय पौधों के संरक्षण हेतु प्रशिक्षण
गरियाबंद । गरियाबंद जिले में विलुप्त हो रही औषधीय पौधों की प्रजातियों को बचाने और उनके संरक्षण व संवर्धन के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। वन विभाग और ग्रीन कैनोपी इंडिया नामक संस्था के संयुक्त तत्वावधान में जिले के 120 से अधिक वैद्यराजों को एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य औषधीय पौधों के विनाश-विहीन उपयोग को बढ़ावा देना और नई पीढ़ी को इस पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान से जोड़ना रहा। कार्यक्रम में सुदूर अंचलों से पहुंचे वेद राज्यों ने अपने क्षेत्र से लाएं औषधि पौधों का रोपण वन विभाग की नर्सरी में किया, तो वहां उगाई जा रही 50 से अधिक औषधि पौधों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की उन्हे भूतेश्वर नाथ हर्बल औषधि केंद्र में बनाई जा रही औषधीय का निरीक्षण करवाया गया।
.प्रशिक्षण के दौरान विषय विशेषज्ञ डॉ. राजेंद्र प्रसाद मिश्र ने जंगल में जड़ी-बूटियों की पहचान, उनके रखरखाव और उपयोग की मात्रा के बारे में विस्तृत जानकारी दी, ताकि इन पौधों की उपलब्धता जंगलों में बनी रहे। वरिष्ठ वैद्यराजों ने भी अपने अनुभव साझा किए, जिसमें यह बताया गया कि किस पौधे के किस हिस्से का उपयोग किन बीमारियों के इलाज में किया जाता है और जड़ी-बूटी निर्माण की विधि क्या है।
कार्यक्रम में वैद्यराजों के पारंपरिक ज्ञान का दस्तावेजीकरण करने और इसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने पर जोर दिया गया। साथ ही, कुछ वैद्यराजों ने उन बीमारियों के इलाज पर भी चर्चा की, जिनका उपचार एलोपैथी में संभव नहीं है, और इसके लिए जड़ी-बूटियों पर शोध और अनुसंधान की आवश्यकता पर बल दिया।इस अवसर पर उदंती-सीता नदी टाइगर प्रोजेक्ट के उपसंचालक वरुण जैन, गरियाबंद उपवन मंडल अधिकारी मनोज चंद्राकर और ग्रीन कैनोपी इंडिया की देवयानी शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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