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  महाभारत' सीरियल के 'भीम' ने सरकार से लगाई पेंशन की गुहार

मुंबई। दूरदर्शन का लोकप्रिय सीरियल 'महाभारत' को लोग आज भी याद करते हैं। कोरोना काल में इसका दोबारा प्रसारण किया गया और इसे लोगों ने फिर बहुत पसंद किया। सीरियल में भीम का रोल प्रवीण कुमार सोबती  ने निभाया था। वे 76 साल के हो गए हैं और उन्होंने  सरकार से पेंशन के लिए गुहार लगाई है। उन्होंने बताया कि उनको इस उम्र में सब भूल गए हैं और कोई उनके साथ नहीं है।
 प्रवीण कुमार सोबती ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा, ''मैं 76 साल का हो गया हूं। काफी समय से घर में ही हूं। तबीयत ठीक नहीं रहती है। खाने में भी कई तरह के परहेज हैं। स्पाइनल प्रॉब्लम है। घर में पत्नी वीना देखभाल करती है। एक बेटी की मुंबई में शादी हो चुकी है। उस दौर में भीम को सब जानते थे, लेकिन अब सब भूल गए हैं।''
 गौरतलब है कि प्रवीण कुमार सोबती को खेलों में भी महारत हासिल थी। प्रवीण दो बार ओलंपिक, फिर एशियन, कॉमनवेल्थ में कई गोल्ड, सिल्वर मेडल हासिल कर चुके हैं। 1967 में उन्हें 'अर्जुन अवॉर्ड' भी दिया गया था। इस सबके बाद भी उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रवीण कुमार बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट की नौकरी भी करते थे। उन्हें बीएसएफ से पेंशन मिल रही है, लेकिन यह उनके हर दिन के खर्चों के लिए काफी नहीं है।
प्रवीण कुमार सोबती पंजाब के अमृतसर के पास एक सरहली नामक गांव के रहने वाले हैं। उनका जन्म 6 सितंबर 1946 को हुआ था। बचपन से ही मां के हाथ से दूध, दही और देसी घी की हैवी डाइट मिली तो शरीर भी भारी-भरकम बन गया। उनकी मां जिस चक्की में अनाज पीसती थी, प्रवीण उसे उठाकर ही वर्जिश करते थे। जब स्कूल में हेडमास्टर ने उनकी बॉडी देखी तो उन्हें गेम्स में भेजना शुरू कर दिया। वो हर इवेंट जीतने लगे। साल 1966 की कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए डिस्कस थ्रो के लिए नाम आ गया। ये गेम्स जमैका के किंगस्टन में था। सिल्वर मेडल जीता। साल 1966 और 1970 के एशियन गेम्स, जो बैंकॉक में हुए। दोनों बार गोल्ड मेडल जीतकर लौटा। 56.76 मीटर दूरी पर चक्का फेंकने में उनका एशियन गेम्स का रिकॉर्ड था। इसके बाद अगली एशियन गेम्स 1974 में ईरान के तेहरान में हुईं, यहां सिल्वर मेडल मिला। करियर एकदम परफेक्ट चल रहा था, फिर अचानक पीठ में दर्द की शिकायत रहने लगा। प्रवीण कुमार ने बताया कि उन्हें बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट की नौकरी भी मिल गयी थी। एशियन गेम्स और ओलंपिक्स से इतना नाम हो गया था कि 1986 में एक दिन मैसेज मिला कि बीआर चोपड़ा महाभारत बना रहे हैं और वो भीम के किरदार के लिए चाहते हैं। उनसे मिला। देखते ही बोले भीम मिल गया। यहीं से बुलंदी का एक और रास्ता खुला। भीम का किरदार इतना पॉपुलर हुआ कि बॉलीवुड फिल्में भी मिलने लगीं। करीब 50 से ज्यादा फिल्मों में रोल मिले। उस समय पॉपुलर टीवी सीरीज चाचा चौधरी में साबू का रोल मिला।ऐक्टर का कहना है कि पंजाब की जितनी भी सरकारें आईं। सभी से उनकी शिकायत है। जितने भी एशियन गेम्स या मेडल जीतने वाले प्लेयर थे, उन सभी को पेंशन दी, लेकिन उन्हें वंचित रखा गया, जबकि सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल जीते। वो अकेले एथलीट थे, जिन्होंने कॉमनवेल्थ को रिप्रेजेंट किया। फिर भी पेंशन के मामले में उनके साथ सौतेला व्यवहार हुआ। हालांकि, अभी उन्हें बीएसएफ से पेंशन मिल रही है।  

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