हरे आलू क्यों होते हैं खतरनाक
आलू सभी का पसंदीदा होता है जिसे सब्जी, चिप्स आदि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसमें पाये जाने वाला एक पदार्थ सोलेनाइन काफी विषैला होता है और यह पदार्थ केवल हरे आलू में पाया जाता है।
आलू नाइटशैड (धतूरा) की फैमिली में आता है। इस फैमिली के पौधे अपने में टॉक्सिक कंपाउंड सोलेनाइन जमा करते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इतिहास में बेलाडोना आलू को लोगों की जान लेने के लिए याद किया जाता है। दरअसल इसके बारे में प्रसिद्ध है कि स्कॉटिश के राजा मेकबेथ ने अपने दुश्मनों को जान से मारने के लिए बेलाडोना आलू का इस्तेमाल किया था। आलू में सोलेनाइन इसके तना और अंकुर में जमा होता है। सोलेनाइन खासतौर पर हरा आलू में पाया जाता है। इसी तरह से आलू के अंकुरित हिस्से का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।
आलू में विटामिन सी, बी कॉम्पलेक्स तथा आयरन , कैल्शियम, मैंगनीज, फास्फोरस तत्व होते हैं। आलू के प्रति 100 ग्राम में 1.6 प्रतिशत प्रोटीन, 22.6 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 0.1 प्रतिशत वसा, 0.4 प्रतिशत खनिज और 97 प्रतिशत कैलोरी पाई जाती है। आलू खाते रहने से रक्त वाहिनियां बड़ी आयु तक लचकदार बनी रहती हैं तथा कठोर नहीं होने पातीं।
यदि दो-तीन आलू उबालकर छिलके सहित थोड़े से दही के साथ खा लिए जाएं तो ये एक संपूर्ण आहार का काम करते हैं। आलू मोटापा नहीं बढ़ाता है। आलू को तलकर तीखे मसाले घी आदि लगाकर खाने से जो चिकनाई पेट में जाती है, वह चिकनाई ही मोटापा बढ़ाती है। आलू को उबालकर या गर्म रेत अथवा गर्म राख में भूनकर खाना लाभकारी है। सूखे आलू में 8.5 प्रतिशत प्रोटीन होता है जबकि सूखे चावलों में 6 - 7 प्रतिशत प्रोटीन होता है। इस प्रकार आलू में अधिक प्रोटीन पाया जाता है। आलू में मुर्गियों के चूजों जैसी प्रोटीन होती है। बड़ी आयु वालों के लिए प्रोटीन आवश्यक है। आलू की प्रोटीन बूढ़ों के लिए बहुत ही शक्ति देने वाली और वृद्धावस्था की कमजोरी दूर करने वाली होती है। आलू रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है क्योंकि आलू में मैग्निशियम पाया जाता है।
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