लॉकडाउन में ढील के बाद भी सामाजिक वर्गों में महामारी के कारण अवसाद बरकरार
बोस्टन। कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान पाया गया है कि 2020 के बसंत और 2021 के बसंत में अमेरिका में हर पांच में से एक व्यक्ति संभावित रूप से अवसाद का शिकार हुआ। वित्तीय संपत्तियों ने अवसाद के लक्षणों को कम करने में सहायता की, लेकिन इनसे एक सीमा तक ही मदद मिली। हाल में प्रकाशित अनुसंधान में कोविड-19 के कारण अमेरिकी आबादी के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़े प्रभाव को रेखांकित किया गया है। इसके तहत मानसिक स्वास्थ्य एवं संपत्तियों का आकलन करने के लिए मार्च 2020 में एक राष्ट्रीय अध्ययन शुरू किया था। कोविड-19 एक राष्ट्रीय आपात स्थिति थी, क्योंकि मौत की संख्या बढ़ रही थी। स्कूल, कार्यस्थल एवं सरकारी कार्यालय बंद थे और अमेरिकियों को घर पर रहने को कहा गया था।
अनुसंधाकर्ताओं ने उस समय अपने अध्ययन में पाया कि 27.8 प्रतिशत अमेरिकी वयस्कों ने गतिविधियों में रुचि समाप्त होने या उदास एवं निराशावान महसूस करने जैसे अवसाद के लक्षणों की शिकायत की। अवसादग्रस्त वयस्कों की यह संख्या महामारी से पहले के समय की तुलना में तिगुनी थी। महामारी से पहले यह संख्या 8.5 प्रतिशत थी। अनुसंधाकर्ताओं के लिए सर्वाधिक हैरानी वाली बात यह है कि महामारी के एक साल बाद भी अवसाद की दर ऊंची है, जबकि संक्रमण और मौत की दर कम हुई है। सर्वेक्षण के अनुसार, अवसाद के लक्षणों की शिकायत करने वाले वयस्कों की संख्या बढ़कर 32.8 प्रतिशत हो गई है। इससे भी खराब बात यह है कि 2021 की संख्या में वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने अप्रैल 2020 और अप्रैल 2021 दोनों में अवसाद के लक्षणों की शिकायत की है। अनुसंधाकर्ता यह भी पता लगाना चाहते थे कि कौन सी संपत्तियां-वित्तीय, शारीरिक और सामाजिक- वैश्विक महामारी के दौरान लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। अनुसंधाकर्ताओं ने पहले सर्वेक्षण में पाया गया कि महामारी के दौरान जिनके पास अपेक्षाकृत कम संपत्तियां--खासकर कम वित्तीय संपत्तियां-- थीं, उनके कोविड-19 संबंधी तनाव से प्रभावित होने की अधिक आशंका थी।
अनुसंधाकर्ताओं अगला कदम अपेक्षाकृत कम संपत्तियों के साथ वैश्विक महामारी झेलने वाले और इस दौरान नौकरी खोने, रिश्तों से जुड़ी सम्पत्तियां या वित्तीय परेशानियों का सामना करने वाले लोगों संबंधी अन्य क्षेत्रों का अध्ययन करना है। संपत्तियां व्यक्ति को तनाव से निपटने में मदद कर सकती है, लेकिन वे भी महामारी के दौरान तनाव के नुकसानदेह प्रभावों से लोगों को नहीं बचा सकतीं। हमारा अनुसंधान दर्शाता है कि भले ही वैश्विक महामारी का असर कम होता प्रतीत होता है, लेकिन अमेरिकी अब भी इसका प्रभाव झेल रहे हैं और आगामी लंबे समय तक उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका दुष्प्रचार जारी रह सकता है।
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