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 तंजानिया की राष्ट्रपति हसन ने 97 प्रतिशत से अधिक मतों से चुनाव जीता: आधिकारिक परिणाम

 कंपाला। तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन ने देश के विवादित चुनाव में 97 प्रतिशत से अधिक मतों से जीत हासिल की है। शनिवार को आधिकारिक तौर पर चुनाव नतीजे की घोषणा की गई जिसमें हसन को विजेता घोषित किया गया।हसन, प्रशासनिक राजधानी डोडोमा में एक कार्यक्रम में चुनाव अधिकारियों से विजेता प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए पहुंचीं। उन्हें 97 प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बाद में कहा कि परिणाम दर्शाते हैं कि तंजानियावासियों ने एक महिला नेता के लिए पूरे जोर-शोर से मतदान किया। हसन ने चुनाव के बाद कहा, “यह हमारे देश को एकजुट करने का समय है न कि छह दशकों से भी अधिक समय में हमने जो बनाया है उसे नष्ट करने का।” उन्होंने कहा, “हम देश में शांति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे और सभी सुरक्षा एजेंसियों को इसमें शामिल करेंगे।” हसन 2021 में राष्ट्रपति बनी थीं।
 वर्ष 2021 में राष्ट्रपति जॉन पोम्बे मैगुफुली की अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के कुछ महीनों बाद ही मौत हो गई थी, जिसके बाद उपराष्ट्रपति के रूप में सेवाएं दे रहीं सामिया सुलुहू हसन पदोन्नत होकर राष्ट्रपति बन गई थीं। चुनाव के नतीजे से आलोचकों, विपक्षी दलों और अन्य लोगों की चिंताएं बढ़ने की संभावना है।
 विशेषज्ञों ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव कोई मुकाबला नहीं, सिर्फ और सिर्फ ताजपोशी है क्योंकि हसन के दो मुख्य प्रतिद्वंद्वियों को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था। उनके (हसन के) सामने बस छोटे दलों के 16 उम्मीदवार थे।देश में 29 अक्टूबर को मतदान हिंसा के कारण प्रभावित रहा।
 मतदान का विरोध करने एवं मतगणना रोकने के लिए प्रदर्शनकारी प्रमुख शहरों की सड़कों पर उतर आए।दंगों को शांत करने में पुलिस की मदद के लिए सेना को तैनात किया गया था।
 तंजानिया में इंटरनेट कनेक्टिविटी बार-बार बंद होती रही है, जिससे यात्रा और अन्य गतिविधियां बाधित हो रही हैं। तंजानियाई अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि हिंसा में कितने लोग मारे गए या घायल हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता सेफ मगांगो ने शुक्रवार को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र को केन्या से वीडियो के जरिए सूचना दी कि वाणिज्यिक राजधानी दार-ए-सलाम के साथ-साथ शिन्यांगा और मोरोगोरो कस्बों में 10 लोगों की मौत की खबर है। चाडेमा विपक्षी समूह के नेता टुंडू लिस्सू महीनों से जेल में बंद हैं। उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया है क्योंकि उन्होंने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए सुधारों की मांग की थी। वहीं, अन्य विपक्षी नेता, एसीटी-वज़ालेंडो समूह के लुहागा म्पिना को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया।  

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