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निर्वाचन आयोग ने जनसभाओं, रोड शो पर रोक 22 जनवरी तक बढ़ाई

 नयी दिल्ली। कोविड-19 मामलों में वृद्धि के बीच, निर्वाचन आयोग ने शनिवार को उन पांच राज्यों में प्रत्यक्ष रैलियों और रोडशो पर रोक 22 जनवरी तक बढ़ा दी जहां विधानसभा चुनाव होने हैं। आयोग ने कहा कि वह बाद में स्थिति की समीक्षा करेगा और नया निर्देश जारी करेगा। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने हालांकि, राजनीतिक दलों को यह छूट दी कि अधिकतम 300 व्यक्तियों की भागीदारी या हॉल क्षमता के 50 प्रतिशत या राज्य आपदा प्रबंधन अधिकारियों द्वारा निर्धारित सीमा के तहत बंद स्थानों पर बैठकें आयोजित की जा सकती हैं। 
चुनाव आयोग ने कहा कि उसने वर्तमान स्थिति, तथ्यों और परिस्थितियों पर गौर करने के बाद निर्णय लिया। साथ ही शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, मुख्य सचिवों और स्वास्थ्य सचिवों और चुनाव वाले राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ हुई डिजिटल बैठकों में प्राप्त जानकारियों को ध्यान में रखा गया। बयान में कहा गया है, ''22 जनवरी, 2022 तक किसी भी रोडशो, पदयात्रा, साइकिल, बाइक, वाहन रैली और जुलूस की अनुमति नहीं दी जाएगी। आयोग बाद में स्थिति की समीक्षा करेगा और तदनुसार आगे निर्देश जारी करेगा।'' उसने कहा कि 22 जनवरी तक राजनीतिक दलों या संभावित उम्मीदवारों सहित उम्मीदवारों या चुनाव से संबंधित किसी अन्य समूह की किसी भी प्रत्यक्ष रैली को अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, आयोग ने कहा, ''अधिकतम 300 व्यक्तियों या हॉल की क्षमता का 50 प्रतिशत या राज्य आपदा प्रबंधन अधिकारियों (एसडीएमए) द्वारा निर्धारित सीमा के साथ बंद स्थान में बैठक को अनुमति दी जाएगी। आयोग ने राजनीतिक दलों को चुनाव संबंधित गतिविधियों के दौरान आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों और कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार और दिशानिर्देशों का पालन करने का भी निर्देश दिया। 
शुक्रवार को सपा ने कोविड नियमों की अवहेलना करते हुए लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय परिसर में एक बड़ी जनसभा का आयोजन किया था। लखनऊ में एक अधिकारी ने कहा था कि स्थानीय प्रशासन ''उल्लंघन'' की जांच कर रहा है। चुनाव आयोग ने राज्य और जिला प्रशासन को चुनाव आचार संहिता और महामारी नियंत्रण उपायों से संबंधित सभी निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। आठ जनवरी को चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब के लिए विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए, 15 जनवरी तक सार्वजनिक रैलियों, रोडशो और इसी तरह के प्रत्यक्ष प्रचार कार्यक्रमों पर रोक लगाने का एक अभूतपूर्व कदम उठाया था। विभिन्न क्षेत्रीय दलों ने चुनाव आयोग से प्रत्यक्ष रैलियों पर प्रतिबंध लगाने के मानदंडों में ढील देने का आग्रह करते हुए कहा था कि डिजिटल रैलियों से केवल उन अमीर पार्टियों को मदद मिलेगी जिनके पास आयोजन के लिए अधिक संसाधन हैं। आठ जनवरी को, आयोग ने चुनाव प्रचार के लिए 16-सूत्री दिशानिर्देशों को भी सूचीबद्ध किया था जब उसने सार्वजनिक सड़कों और गोल चक्करों पर 'नुक्कड़ सभाओं' पर प्रतिबंध लगा दिया था, घर-घर प्रचार अभियान के लिए लोगों की संख्या को उम्मीदवार सहित पांच तक सीमित कर दिया गया था तथा मतगणना के बाद प्रत्याशी और विजय जुलूसों पर रोक लगा दी थी। 
शनिवार की बैठकों के दौरान, मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्र ने चुनाव आयुक्तों राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडेय के साथ वर्तमान स्थिति और कोविड-19 महामारी के अनुमानित रुझानों की व्यापक समीक्षा की जिसमें विशेष जोर उन पांच राज्यों पर रहा जहां चुनाव होने वाले हैं। बयान में कहा गया, ''अग्रिम मोर्चे पर लगे कर्मियों और मतदान कर्मियों के बीच पात्र व्यक्तियों के लिए पहली, दूसरी और बूस्टर खुराक के लिए टीकाकरण को तेजी से पूरा करने के लिए टीकाकरण की स्थिति और कार्य योजना की भी समीक्षा की गई।'' 
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव 10 फरवरी से 7 मार्च के बीच होंगे और 10 मार्च को मतगणना होगी। उत्तर प्रदेश में सात चरणों में चुनाव होना है और पहले चरण के लिए मतदान 10 फरवरी को होगा।

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