राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया, कहा - देश ने कोरोना संक्रमण से निपटने में अभूतपूर्व प्रतिबद्धता दर्शायी
नयी दिल्ली। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा है कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत आज बेहतर स्थिति में है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी जलवायु परिवर्तन के युग में बदल रही है और भारत ने इस संबंध में राह दिखाने के लिए विश्व का नेतृत्व किया है और विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा को बढावा देने के लिए साहसिक और महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं।देश के 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि व्यक्तिगत स्तर पर हम में से प्रत्येक नागरिक गांधीजी की सलाह का स्मरण कर सकता है और अपने आसपास की दुनिया को सुधारने में सहायता कर सकता है।राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि सार्वभौमिक भाइचारे की भावना से प्रेरणा लेकर भारत और सम्पूर्ण वैश्विक समुदाय अधिक समतापूर्ण और समृद्ध भविष्य की दिशा में आगे बढेगा।कोविड महामारी की चुनौती के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि देश ने कोरोना वायरस से निपटने में अतुलनीय दृढ निश्चय का प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि देश में टीकाकरण अभियान अच्छी प्रगति कर रहा है और महामारी के दौरान भारत ने कई देशों में वैक्सीन और अन्य चिकित्सा सहायता पहुंचाई। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी भारत के योगदान की सराहना की है।
श्री कोविंद ने कहा कि दुर्भाग्य से वायरस नए रूप बदलकर फिर से फैल रहा है। उन्होंने सचेत किया कि महामारी अभी गई नहीं है इसलिए लोगों को सावधान रहना चाहिए तथा कोताही नहीं बरतनी चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि कोविड महामारी से लडाई में प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य बन गया है कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के सुझावों का पालन करे तथा इस संकट से निपटने के लिए अपना कर्तव्य निभाए।राष्ट्रपति ने समय पर हस्तक्षेप करने के लिए केंद्र और राज्य स्तरों पर नेताओं, नीति निर्माताओं, प्रशासकों और अन्य लोगों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था ने एक बार तेजी पकडी है। उन्होंने कहा कि यह विपरीत स्थिति का सामना करने की भारत की क्षमता का प्रमाण है कि पिछले वर्ष के संकुचन के उपरांत इस वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण वृद्धि की संभावना है। उन्होंने कहा कि इससे पिछले वर्ष शुरू किए गए आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता का पता चलता है।राष्ट्रपति ने कहा कि लघु और मध्यम उद्यमियों ने लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने और अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि हमारे नवाचारी युवा उद्यमियों ने स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी का प्रभावी उपयोग करके नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि देश की युवा जनसंख्या का लाभ उठाने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ सही वातावरण बनाया है। यह पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक कौशल का आदर्श संगम है। श्री कोविंद ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि भारत विश्व की 50 शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले वर्ष देश के खिलाडियों ने ओलिम्पिक खेलों में देश का गौरव बढाया। उन युवाओं के आत्मविश्वास ने आज लाखों लोगों को प्रेरित किया है।राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जब लोगों ने अपनी प्रतिबद्धता और जीवन के विविध क्षेत्रों में कार्यों के माध्यम से देश और समाज को मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि नौसेना और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड की समर्पित टीम ने स्वदेशी अत्याधुनिक विमानवाहक पोत आईएसी विक्रांत का निर्माण किया है जिसे नौसेना में शामिल किया जाना है। उन्होंने कहा कि इन आधुनिक सैन्य क्षमताओं के कारण भारत अब विश्व की अग्रणी नौसैनिक शक्ति बन गया है। यह रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढने का प्रभावशाली उदाहरण है। राष्ट्रपति ने हरियाणा के भिवानी जिले के सुई गांव के उदाहरण को मर्मस्पर्शी बताया जिसमें कुछ प्रबुद्ध नागरिकों ने स्व-प्रेरित आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव का कायाकल्प किया और संवेदनशीलता तथा कृतज्ञता दिखाई। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नया- सशक्त और संवदेनशील भारत उभर रहा है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यदि भारत के सभी सफल लोग अपने-अपने जन्म-स्थान का विकास करें तो ऐसे स्थानीय विकास का लाभ पूरे देश को होगा।राष्ट्रपति ने कहा कि आज हमारे सैनिक और सुरक्षाकर्मी देशाभिमान की विरासत को आगे बढा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब साहसिक सैनिक कर्तव्य निभाते हुए शहीद होते हैं तो समूचा देश दुखी होता है। पिछले महीने दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में देश के जांबाज कमांडर जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और कई सैनिक शहीद हो गए। उस दुर्घटना से पूरे देश को गहरा सदमा लगा।राष्ट्रपति ने कहा कि देशप्रेम की भावना देशवासियों की कर्तव्यनिष्ठा को और मजबूत बनाती है। उन्होंने कहा कि आप डॉक्टर हों या वकील, दुकानदार हों या ऑफिस-वर्कर, सफाई कर्मचारी हों या मजदूर, अपने कर्तव्य का निर्वहन निष्ठा और कुशलता से करना देश के लिए आपका प्राथमिक और सबसे महत्वपूर्ण योगदान है।राष्ट्रपति ने सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में यह उल्लेख करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की कि यह वर्ष सशस्त्र बलों में महिला सशक्तिकरण की दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण रहा है।श्री कोविंद ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होंगे तो हम अपने राष्ट्रीय इतिहास का महत्वपूर्ण पडाव पार करेंगे। इस अवसर को हम आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह न केवल अगली पीढी के लिए बल्कि हम सभी के लिए अपने अतीत के साथ पुन: जुडने का शानदार अवसर है। राष्ट्रपति ने कहा कि स्वाधीनता का यह 75वां वर्ष उन जीवन मूल्यों को पुन: जागृत करने का समय है जिनसे हमारे महान राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरणा मिली थी।राष्ट्रपति ने कहा कि दो दिन पहले 23 जनवरी को हम सभी देशवासियों ने जय-हिंद का उदघोष करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर उनका पुण्य स्मरण किया है। स्वाधीनता के लिए उनकी ललक और भारत को गौरवशाली बनाने की महत्वाकांक्षा हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संविधान का कलेवर विस्तृत है क्योंकि उसमें राज्य के कामकाज की व्यवस्था का भी विवरण है। लेकिन संविधान की संक्षिप्त प्रस्तावना में लोकतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मार्गदर्शक सिद्धांत, सार गर्भित रूप से उल्लिखित हैं। उन्होंने कहा कि इन आदर्शों से उस ठोस आधारशिला का निर्माण हुआ है जिस पर हमारा भव्य गणतंत्र मजबूती से खडा है। इन्हीं जीवन-मूल्यों में हमारी सामूहिक विरासत भी परिलक्षित होती है।राष्ट्रपति ने कहा कि जब देश को स्वतंत्रता मिली तो औपनिवेशिक शासन के कारण लोग गरीब थे लेकिन इन 75 वर्षों में हमने शानदार प्रगति की है और नई पीढी के लिए नए अवसर प्रतीक्षा कर रहे हैं। श्री कोविंद ने विश्वास व्यक्त किया कि इस ऊर्जा, आत्मविश्वास और उद्यमशीलता के साथ हमारा देश प्रगति पथ पर आगे बढता रहेगा तथा अपनी क्षमताओं के अनुरूप विश्व समुदाय में अपना अग्रणी स्थान अवश्य प्राप्त करेगा।भारत और विदेश में रह रहे नागरिकों को बधाई देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे विविधतापूर्ण और सफल लोकतंत्र की सराहना पूरी दुनिया में की जाती है। उन्होंने कहा कि हर साल हम गणतंत्र दिवस के दिन अपने गतिशील लोकतंत्र तथा राष्ट्रीय एकता की भावना का उत्सव मनाते हैं। महामारी के कारण इस वर्ष के उत्सव में धूम-धाम भले ही कुछ कम हो परंतु हमारी भावना हमेशा की तरह सशक्त है।
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