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 लॉकडाउन : वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा राहत  दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम को मिली

नई दिल्ली। कोरोना संकट के कारण पिछले एक महीने से लागूू लॉकडाउन देश के 17 महानगरों के लिये वरदान साबित हुआ है जो पिछले कुछ सालों से वायु प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित थे।
 केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन लागू होने से पहले और लॉकडाउन के बाद इन शहरों में प्रदूषण के लिये जिम्मेदार कारक तत्वों के ग्राफ में खासी गिरावट दर्ज की गयी है। इनमें सबसे ज्यादा राहत एनसीआर के तीन शहरों दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम को मिली है। इन शहरों में लॉकडाउन के दौरान हवा की गुणवत्ता से जुड़े सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक जयपुर में पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा में 55 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गयी है। 
गौरतलब है कि सरकार ने कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर पूरे देश में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक पहली बार लॉकडाउन घोषित किया था। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत संस्था क्लाइमेट ट्रेंड्स  द्वारा सीपीसीबी के लॉकडाउन से पहले और बाद के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर तैयार रिपोर्ट के अनुसार, जयपुर में लॉकडाउन के दौरान 25 मार्च से छह अप्रैल के बीच पीएम 2.5 की मात्रा में 53.77 प्रतिशत और पीएम 10 की मात्रा में 55.13 प्रतिशत की गिरावट आयी है। यह रिपोर्ट हवा की गुणवत्ता को जहरीला बनाने वाले पार्टिकुलेट तत्वों पीएम 2.5 और पीएम 10, नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड एवं नाइट्रिक ऑक्साइड (एनओएक्स) तथा सल्फर डाइ ऑक्साइड (एसओ2) की इन शहरों में पायी गयी मात्रा के तुलनात्मक विश्लेषण के आधार पर तैयार की गयी है।
 उल्लेखनीय है कि वाहन जनित वायु प्रदूषण बढ़ाने में पीएम 2.5 की अहम भूमिका होती है, वहीं निर्माण कार्य एवं अन्य गतिविधियों के कारण हवा में धूल कणों की मात्रा बढऩे पर पीएम 10 का स्तर बढ़ता है। रिपोर्ट के अनुसार जिन शहरों में प्रदूषण के लिये जिम्मेदार तत्वों की मात्रा में 50 प्रतिशत से अधिक गिरावट आयी है, उनमें एनसीआर के दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम शामिल हैं। इसके अनुसार दिल्ली के सभी 35 वायु गुणवत्ता निगरानी केन्द्रों पर 10 से 23 मार्च के बीच पीएम 2.5 का औसत स्तर 68.80 दर्ज किया गया जबकि 25 मार्च से छह अप्रैल के बीच यह 43.59 प्रतिशत की गिरावट के साथ 38.81 हो गया। हालांकि इस अवधि में देश की वित्तीय राजधानी मुंबई के सभी 12 निगरानी केन्द्रों पर पीएम 2.5 की मात्रा में महज 22.86 प्रतिशत की ही गिरावट दर्ज की गयी जबकि नोएडा में इस गिरावट का स्तर 51.6 प्रतिशत और गुरुग्राम में 50.2 प्रतिशत रहा। रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के लिये जिम्मेदार इन चारों तत्वों की मात्रा में सभी 17 महानगरों में गिरावट दर्ज की गयी। सिर्फ असम के गुवाहाटी में लॉकडाउन के दौरान भी पीएम 2.5 का स्तर उम्मीद के मुताबिक कम नहीं हुआ। गुवाहाटी में लॉकडाउन से पहले, 10 से 23 मार्च के दौरान, पीएम 2.5 का औसत स्तर 92.27 था, जो कि लॉकडाउन में 25 मार्च से छह अप्रैल के बीच महज 1.97 प्रतिशत की गिरावट के साथ 90.45 हो गया। यह रिपोर्ट दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पुणे, नोएडा, गुरुग्राम, पटना, कानपुर, लखनऊ, बेंगलुरू, हैदराबाद, जयपुर, गुवाहाटी, चंडीगढ़, अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम और अहमदाबाद स्थित सीपीसीबी के 97 वायु गुणवत्ता निगरानी केन्द्रों के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर तैयार की गयी है। इसके अनुसार लॉकडाउन के दौरान पीएम 10 के स्तर में सर्वाधिक 56.48 प्रतिशत की गिरावट गुरुग्राम में दर्ज की गयी। जबकि पुणे में 55.68 प्रतिशत और नोएडा में 54.80 प्रतिशत कमी आयी । वहीं एनओएक्स की मात्रा में सबसे ज्यादा कमी कानपुर में (72.05 प्रतिशत) दर्ज की गयी, जबकि एसओ2 की मात्रा में सर्वाधिक गिरावट पुणे में (37.33 प्रतिशत) रही। 

 

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