ग्रामीण पुनर्निर्माण के लिए टैगोर के काम को रेखांकित करती है किताब ‘हिस्ट्री ऑफ श्रीनिकेतन'
नयी दिल्ली। नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर पर केंद्रित एक नयी किताब में शांतिनिकेतन में अपने विश्व भारती अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की एक इकाई के रूप में श्रीनिकेतन की स्थापना के जरिए ग्रामीण पुनर्निर्माण की खातिर उनके कार्य को रेखांकित किया गया है। ‘हिस्ट्री ऑफ श्रीनिकेतन: रवींद्रनाथ टैगोर्स पायनियरिंग वर्क इन रूरल कंस्ट्रक्शन' किताब को नियोगी बुक्स ने प्रकाशित किया है और यह इतिहासकार उमादास गुप्ता द्वारा लिखी गई है। लेखक ने पुस्तक के परिचय में लिखा है कि रवींद्रनाथ अपने ग्रामीण कार्यों को अपने 'जीवन का काम' के रूप में संदर्भित करते थे। श्रीनिकेतन के इतिहास पर इस अध्ययन का मकसद ग्रामीण पुनर्निर्माण के काम का दस्तावेजीकरण करना और एकीकृत विचार और कार्रवाई की अग्रणी विशेषताओं को उजागर करना है। श्रीनिकेतन में ग्राम पुनर्निर्माण के लिए टैगोर के काम को उस प्रकार से नहीं जाना जाता है, जिस तरह से शांतिनिकेतन में उनके काम को व्यापक रूप से जाना जाता है। शांतिनिकेतन आज एक विश्वविद्यालय शहर के रूप में जाना जाता है। उपेक्षित गांव को आगे लाने के लिए कुछ करने का विचार टैगोर के मन में उस समय आया जब वह पहली बार 1890 के दशक में पूर्वी बंगाल में अपने परिवार की जमीन पर रहने गए। उनका प्रयास था कि खेती के वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग कर किसानों की स्थिति में सुधार लाया जाए जिसमें विशेषज्ञ और किसान सामूहिक रूप से भाग लेते थे। गुप्ता इससे पहले टैगोर की जीवनी लिख चुके हैं।
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