भगवान के नाम का महत्व
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज भगवान के नाम संबंधी रहस्य को प्रकट करते हुये साधक समुदाय से उस रहस्य पर गहराई से विचार करते हुये, दृढ़ विश्वासपूर्वक भगवन्नाम लेने का आग्रह करते हैं। उनके श्रीमुखारविन्द से नि:सृत शब्द इस प्रकार हैं-
...जिस दिन किसी जीव को यह दृढ़ विश्वास हो जायेगा कि भगवान और भगवान का नाम एक ही है, दोनों में एक सी शक्तियां हैं, एक से गुण हैं, उसी क्षण उसको भगवत्प्राप्ति हो जायेगी। स्वर्ण अक्षरों में लिख लो।
भगवान की इतनी बड़ी कृपा है कि वे कहते हैं कि मैं सर्वव्यापक हूँ, तू इसको मानता नहीं है, मैं गोलोक में रहता हूँ, वहाँ तुम आ नहीं सकते, मैं तुम्हारे अंत:करण में तुम्हारे साथ बैठा हूँ, इसका तुम्हें ज्ञान नहीं है, इसलिये लो मैं अपने नाम में अपने आपको बैठा देता हूँ।
नाम में मैं मूर्तिमान बैठा हुआ हूँ, जिस दिन यह बात तुम्हारे मन में बैठ जायेगी, उस दिन फिर एक नाम भी जब लोगे, जब एक बार राधे कहोगे तो कहा नहीं जायेगा, वाणी रुक जायेगी, मन डूब जायेगा, कंठ गदगद हो जायेगा। फिर भगवत्प्राप्ति में क्या देर होगी? गुरुकृपा में क्या देर होगी? केवल इसी वचन पर विश्वास कर लो। (तुम्हारा कृपालु)...
(स्त्रोत- साधन साध्य पत्रिका, शरतपूर्णिमा अंक, अक्टूबर 2010)
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