छत्तीसगढ़ में ऑटो सेक्टर पार्क स्थापना की योजना: अरुण प्रसाद
- छत्तीसगढ़ में स्टील, एल्यूमीनियम, कोयला, सीमेंट का अथाह भंडार, बिजली-पानी भी पर्याप्त, निवेशकों के लिए अनुकूल जगह- प्रदीप टंडन
रायपुर। छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (सीएसआईडीसी) के प्रबंध निदेशक अरुण प्रसाद ने कहा कि सरकार ऑटो सेक्टर पार्क स्थापित करने की योजना बना रही है, क्योंकि हमारा प्रदेश निवेश के लिए ऑटो व्यवसायियों की पसंदीदा जगह है।
छत्तीसगढ़ में इंजीनियरिंग एवं ऑटो कंपोनेंट सेक्टर में निवेश के अवसर विषय पर आयोजित फिक्की के वेबिनार में श्री प्रसाद ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में हमने एक मजबूत एवं निवेशकों के अनुकूल औद्योगिक नीति तैयार की है। छत्तीसगढ़ की मौजूदा बिजली उत्पादन क्षमता 23 हजार 800 मेगावाट है, जिसे 36 हजार मेगावाट करने की सरकार की योजना है। गौर करने योग्य तथ्य यह है कि कुल उत्पादित बिजली में से मात्र 1/6 हिस्सा हमारे प्रदेश में उपयोग होता है। छत्तीसगढ़ में बिजली शुल्क बहुत प्रतिस्पर्धात्मक है। रहन-सहन पर खर्च कम होता है और सस्ते श्रमिक भी उपलब्ध हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे औद्योगिक क्षेत्र कोलकाता और मुंबई जैसे महत्वपूर्ण व्यावसायिक केंद्रों से रेल और सड़क नेटवर्क के जरिये जुड़े हैं। गर्व की बात है कि छत्तीसगढ़ पहला ऐसा राज्य है, जो खनिज पदार्थों की नीलामी कर रहा है।
निर्यात तैयारी सूचकांक में चारों ओर भूमि से घिरे छत्तीसगढ़ प्रदेश को चौथा स्थान प्राप्त होने का उल्लेख करते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि हम दुर्ग में रेल पार्क स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं, जो रेल निर्माण आवश्यकताओं की पूर्ति पर ध्यान केंद्रित करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार जैव इथेनॉल नीति पर विशेष जोर दे रही है, क्योंकि हमें उम्मीद है कि यह भविष्य का ईंधन होगा।
इस अवसर पर फिक्की छत्तीसगढ़ राज्य परिषद के चेयरमैन प्रदीप टंडन ने कहा कि उद्योगपति कंपोनेंट व ढांचागत निर्माण समेत तमाम वस्तुओं के उत्पादन के लिए न्यूनतम खर्चे में बेहतरीन निर्माण सुविधाएं स्थापित करने के वास्ते निवेश-अवसर की तलाश में हैं, जो अपने-आप में छत्तीसगढ़ को पसंदीदा निवेश स्थल बनाए जाने का स्वागत योग्य संकेत है। श्री टंडन ने कहा कि छत्तीसगढ़ को स्टील, एल्यूमीनियम, कोयला, सीमेंट जैसे कच्चे माल के भंडार के रूप में जाना जाता है और यहां उद्योगों के विकास के लायक मित्रवत वातावरण है, भरपूर बिजली और पानी भी है।
इलेक्ट्रिकल उपकरण उद्योग और दूरसंचार उपकरणों के लिए इंजीनियरिंग निर्यात में जबरदस्त वृद्धि हुई है और बुनियादी ढांचे, बिजली, खनन, तेल एवं गैस, रिफाइनरी, स्टील, मोटर वाहन, और उपभोक्ता उत्पाद जैसे क्षेत्रों में क्षमता वृद्धि से भी इंजीनियरिंग उत्पादों की मांग में तेजी से इजाफा हो रहा है।
श्री टंडन ने कहा कि वाणिज्य एवं उद्योग और रेल मंत्रालय, यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रयासरत हैं कि वर्ष 2030 तक इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात 200 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाए। देश भर में विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) की संख्या का अनुमोदन और सात राज्यों में दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (DMIC) के विकास से इंजीनियरिंग क्षेत्र को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि ऑटोमैटिक रूट से 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और मेक इन इंडिया जैसी पहल के जरिये प्रमुख अंतरराष्ट्रीय निवेशकों ने भारतीय इंजीनियरिंग क्षेत्र में प्रवेश किया है , क्योंकि इस क्षेत्र के विकास के अभूतपूर्व अवसर उपलब्ध हैं।
हेल्ला इंडिया लाइटिंग लिमिटेड के प्रबंध निदेशक रामशंकर पांडेय ने कहा कि राज्य में स्थानीय ब्रांडों के कारण समृद्धि आई है इसलिए हमें वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देना चाहिए और छत्तीसगढ़ में एक ब्रांड विकसित करना चाहिए। ऑटो उद्योग प्रति वर्ष सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 50 अरब का योगदान कर रहा है और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से 30 लाख लोगों को रोजगार दे रहा है। उन्होंने उल्लेख किया कि मौलिक उपकरण उत्पादक (OEM) पारिस्थितिकी तंत्र का एक हिस्सा है और वही इंजन के रूप में पूरे सिस्टम को खींच रहा है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ खनन और निर्माण क्षेत्र में निवेश आकर्षित कर सकता है, क्योंकि यह क्षेत्र आगे बढ़ रहा है और समृद्ध हो रहा है। हमें ऑटो सेक्टर के लिए एक उचित पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता है, जो अनिवार्य रूप से मांगों का सृजन सुनिश्चित करे।
केस न्यू हॉलैंड कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के प्लांट हेड सतेंद्र तिवारी ने कहा कि वैश्विक परिचालन के एक पहलू के रूप में हम सप्लाई चेन की उन जटिलताओं की पहचान कर सकते हैं जो कोविड-19 के कारण भारतीय बाजार में आई है।
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