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रिलायंस इंडस्ट्रीज ने किया रोसनेफ्ट के साथ करार, रूबल में करेगी रूसी तेल की खरीदारी

 नई दिल्ली।  दुनिया का सबसे बड़े रिफाइनिंग कॉम्प्लेक्स चलाने वाली भारत की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने रूस की कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) के साथ एक साल के लिए करार किया है। भारतीय कंपनी इस करार के तहत वित्त वर्ष 25 में कम से कम 3 मिलियन बैरल रूसी तेल का आयात करेगी। पेमेंट रूस की करेंसी रूबल (roubles) में किया जाएगा। यह जानकारी रॉयटर्स ने 4 सूत्रों के हवाले से दी।

 संभावना जताई जा रही है कि तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक+ (OPEC+) की तरफ से जून 2024 से आगे भी तेल सप्लाई में कटौती जारी रहेगी। ऐसे में रिलायंस इंडस्ट्रीज को Rosneft के साथ टर्म डील की वजह से रियायती कीमत पर तेल सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
 बता दें कि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) और रूस सहित अन्य सहयोगियों वाले देशों को मिलाकर OPEC+ ग्रुप बनाया गया है। OPEC+ 2 जून 2024 को एक ऑनलाइन बैठक में उत्पादन में कटौती पर करेगा।
 भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खऱीद पर बैन लगा दिया था। इसके बाद से भारत समुद्री रूसी कच्चे तेल (seaborne Russian crude) का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। भारत ने रूसी कच्चे तेल के लिए रुपये, दिरहम (dirhams) और चीन की करेंसी युआन (yuan) में भी भुगतान किया है। जब रोसवेल्ट से रिलायंस के साथ करार के बारे में पूछा गया तो उसने जवाब में कहा कि भारत रूसी तेल कंपनी का रणनीतिक भागीदार (strategic partner) है। वह भागीदारों के साथ गोपनीय समझौतों पर टिप्पणी नहीं करती है।
रोसवेल्ट ने कहा, ‘भारतीय कंपनियों के साथ सहयोग में उत्पादन, तेल शोधन (oil refining ) और ऑयल और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के व्यापार के क्षेत्र में परियोजनाएं शामिल हैं।’रोसनेफ्ट ने यह भी कहा कि बेचे गए कच्चे तेल का मूल्य निर्धारित करने के लिए कमर्शियल अप्रोच सभी कंपनियों के लिए बराबर है, चाहे वे प्राइवेट हों या सरकारी। रिलायंस ने रॉयटर्स की तरफ से टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया।
क्या है रिलायंस-रोसनेफ्ट के बीच सौदा
सौदे की शर्तों के तहत रिलायंस यूराल क्रूड (Urals crude) के करीब दस लाख बैरल के दो कार्गो खरीदेगा, जिसमें हर महीने 3 डॉलर की छूट पर चार और कार्गो खरीदने का विकल्प होगा। रिलायंस-रोसवेल्ट के बीच की यह डील 1 अप्रैल 2024 से यानी भारतीय वित्तीय वर्ष की शुरुआत में प्रभावी हुई। सूत्रों ने कहा कि बैरल मध्य पूर्व दुबई बेंचमार्क (Middle East Dubai benchmark) के बराबर है।
 सूत्रों ने कहा कि रिलायंस हर महीने एक से दो कार्गो लो-सल्फर क्रूड ऑयल की खरीद करेगी। इसमें मुख्य रूप से रूस के कोज़मिनो (Kozmino) के प्रशांत बंदरगाह से निर्यात किया जाने वाला ईएसपीओ ब्लेंड (ESPO Blend) होगा। यह दुबई से आने वाले तेल के मुकाबले 1 डॉलर प्रति बैरल के प्रीमियम पर होगा।
सूत्रों ने कहा कि रिलायंस भारत के एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank ) और रूस के गज़प्रॉमबैंक (Gazprombank) के माध्यम से रूस के रूबल का उपयोग करके तेल के लिए पेमेंट करने पर सहमत हो गया है। पेमेंट सिस्टम पर अधिक जानकारी तुरंत उपलब्ध नहीं हो पाई है।
 

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