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 कहीं आप भी कच्चा दूध तो नहीं पी रहे हैं.. जानें इसके नुकसान

 दूध को स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। दूध में प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए, विटामिन डी जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत फायदेमंद होते हैं। लेकिन उबले हुए दूध के मुकाबले कच्चे दूध (रॉ मिल्क) को प्राकृतिक और पोषण से भरपूर विकल्प माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि उबालने या पकाने से दूध के प्राकृतिक पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। यही कारण है कि कुछ लोग कच्चा दूध ही पीना पसंद करते हैं। अगर आप भी उन्हीं लोगों में से हैं, जो कच्चा दूध पीते हैं, तो सावधान हो जाइए, क्योंकि यह बीमारियों की वजह बन सकता है। हाल ही में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कच्चे दूध में लंबे समय तक फ्लू वायरस और संक्रमण का खतरा रहता है। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि इन्फ्लूएंजा वायरस कच्चे दूध में रेफ्रिजेरेटेड तापमान पर पांच दिनों तक सक्रिय रह सकता है।
 इन लोगों को नहीं पीना चाहिए कच्चा दूध- 
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह जांचने की कोशिश की, कि H1N1 PR8 इंफ्लुएंजा स्ट्रेन सामान्य रेफ्रिजेरेटेड तापमान पर कच्चे दूध में कितने समय तक सक्रिय रहता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह वायरस पांच दिनों तक संक्रामक बना रहता है। ऐसे में कोई व्यक्ति कच्चा दूध पीता है, तो उसे संक्रमण और कई विभिन्न प्रकार की बीमारियों का खतरा रहता है। शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि छोटे बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों को कच्चे दूध का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
 कच्चे दूध से जानवरों को भी है खतरा 
अध्ययन के सह-लेखक मेंगयांग झांग ने कहा, "कच्चे दूध में संक्रामक इंफ्लुएंजा वायरस कई दिनों तक सक्रिय रहने से चिंता और भी बढ़ गई है। दरअसल, यह संक्रमण सिर्फ कच्चे दूध को ही नहीं, बल्कि आसपास मौजूद अन्य डेयरी उत्पादों और वातावरण को भी दूषित करता है। इसकी वजह से कच्चे दूध के बैक्टीरिया से जानवरों में भी फ्लू फैलने का खतरा है।" अध्ययन में आगे यह भी देखा गया कि पाश्चुरीकरण की प्रक्रिया इंफ्लुएंजा वायरस को प्रभावी रूप से नष्ट कर देती है और वायरल RNA को लगभग 90% तक कम कर देती है।
 दूध के लिए पाश्चुरीकरण प्रक्रिया है जरूरी 
कच्चा दूध, जिसे बिना पास्चुरीकरण के रखा जाता है, अपने प्राकृतिक एंजाइम, पोषक तत्व और प्रोबायोटिक्स को बनाए रखता है। एक आंकड़े के मुताबिक, अमेरिका में हर साल 1.4 करोड़ लोग कच्चे दूध का सेवन करते हैं, यह मानते हुए कि यह पाश्चुरीकृत दूध की तुलना में अधिक फायदेमंद है।  हालांकि, कच्चे दूध को पास्चुरीकरण के अभाव में हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। पास्चुरीकरण वह प्रक्रिया है, जिसमें दूध को गर्म किया जाता है ताकि हानिकारक सूक्ष्मजीव नष्ट हो सकें।
 कच्चे दूध के लिए FDA ने भी दी चेतावनी-  
 इससे पहले फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) और सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) भी कच्चे दूध से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को लेकर चेतावनी देते आए हैं। सीडीसी के अनुसार, कच्चा दूध में ई. कोलाई और सैल्मोनेला जैसे खतरनाक बैक्टीरिया से जुड़ी 200 से अधिक बीमारी के कीटाणु पाए जाते हैं। ऐसे में कच्चे दूध का सेवन किया जाए, तो यह कई बीमारियों की वजह बन सकता है।
 कच्चा दूध पीने से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान 
कच्चा दूध पीने से स्वास्थ्य को कई प्रकार के नुकसान हो सकते हैं। आइए आगे जानते हैं इसके बारे में...
-कच्चे दूध में ई. कोलाई, सैल्मोनेला, लिस्टेरिया और कैंपिलोबैक्टर जैसे हानिकारक बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो पेट दर्द, डायरिया और उल्टी जैसी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
-कच्चे दूध में इन्फ्लूएंजा वायरस रेफ्रिजेरेटर तापमान पर पांच दिनों तक जीवित रह सकता है। इसकी वजह से फ्लू और अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा रहता है।
-कच्चा दूध, पाश्चुरीकरण के प्रोसेसिंग से नहीं गुजरता है, इसकी वजह से पेट में दर्द और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
-बच्चों में कच्चा दूध गंभीर डायरिया और डिहाइड्रेशन का कारण बन सकता है। 
 कच्चा दूध अपने प्राकृतिक एंजाइम और पोषक तत्वों के कारण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य एजेंसियां और डॉक्टर इसका सेवन करने से मना करते आए हैं। कोरोना के बाद जब नई महामारी का खतरा लगातार बढ़ रहा है, तब कच्चा दूध पीना स्वास्थ्य के लिए ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है।

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