पथरी, माइग्रेन, गठिया जैसे रोगों में लाभकारी भटकटैया
कटेरी, जिसे कंटकारी और भटकटैया भी कहते हैं। हिंदी में इसके कई नाम है जैसे- छोटी कटाई, भटकटैया, रेंगनी, रिगणी, कटाली, कटयाली आदि। यह कांटेदार एक पौधा है जो जमीन पर उगता है। कटेरी अक्सर जंगलों और झाडिय़ों में बहुतायत रूप से पाया जाता है। आमतौर पर कटेरी की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं- छोटी कटेरी , बड़ी कटेरी और श्वेत कंटकारी। जिनका प्रयोग रोगों को दूर करने के लिए औषधि के तौर पर किया जाता है।
कटेरी का प्रयोग पथरी, लिवर का बढऩा और माइग्रेन जैसे गंभीर रोगों में किया जाता है। इसके और भी कई लाभ हैं। यहां हम आपको कटेरी के फायदे बता रहे हैं।
कटेरी का प्रयोग और फायदे
1. कटेरी या कंटकरी कृमि, सर्दी-जुकाम, आवाज का बैठना, बुखार, बदहजमी, मांसपेशियों में दर्द, और मूत्राशय में पथरी के इलाज में उपयोगी है। पथरी के लिए कटेरी के जड़ का चूर्ण दही के साथ मिलाकर खाया जाता है।
2. माइग्रेन, और सिरदर्द में कंटकरी का प्रयोग काफी फायदेमंद है। इसके अलावा अस्थमा में छोटी कटेरी के 2-4 ग्राम कल्क में हींग औरशहद मिलाकर, सेवन करने से लाभ मिलता है।
3. गले की खराश को ठीक करने में इसके साथ जामुन के रस का उपयोग किया जाता है।
4. कंटकारी का प्रयोग खूनी बवासीर में सहायक है।
5. गठिया में दर्द और सूजन को कम करने के लिए कटेरी का पेस्ट जोड़ों पर लगाया जाता है।
5. इसकी जड़ और बीज को अस्थमा, खांसी और सीने में दर्द होने पर पयोग किया जाता है।
6. खांसी का इलाज करने के लिए कटेरी की जड़ का काढ़ा शहद के साथ दिया जाता है।
7. इसके तने, फूल और फल, कड़वे होने के कारण, पैरों में होने वाली जलन से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
8. यह जड़ी-बूटी एडिमा से जुड़ी हृदय रोगों के उपचार में फायदेमंद है, क्योंकि यह हृदय और रक्त शोधक के लिए उत्तेजक का काम करती है।
9. शारीरिक कमजोरी में दिन में दो बार कटेरी के ताजे पत्तों का रस पीना चाहिए। इसमें आप मिश्री मिलाकर उपयोग कर सकते हैं।
10. लिवर की समस्या में कटेरी का उपयोग किया जाता है। नियमित रूप से कटेरी के काढ़े का सेवन लिवर में मौजूद संक्रमण और सूजन को कम करने में मदद करता है।
(नोट: ये सभी प्रयोग एक बार विशेषज्ञ की राय लेकर ही किए जाने चाहिए )
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