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मोदी और मैक्रों ने वार्ता की, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाने पर सहमति

मारसेई.  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बुधवार को दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ाने का आह्वान करते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र और विभिन्न वैश्विक मंचों एवं पहलों में अपनी सहभागिता को और प्रगाढ़ करने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों नेताओं ने अपनी व्यापक बातचीत के बाद यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कार्रवाई करने की अपनी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया कि वैश्विक एआई क्षेत्र सार्वजनिक हित में लाभकारी सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरण संबंधी परिणाम प्रदान करे। दोनों नेताओं की यहां हुई बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि वार्ता में द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयामों के साथ-साथ प्रमुख वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों को शामिल किया गया। दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया और सुरक्षा परिषद के मामलों सहित विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर निकटता से समन्वय करने पर सहमति व्यक्त की। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए फ्रांस के दृढ़ समर्थन को दोहराया। दोनों नेताओं ने भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के लिए अपनी सुदृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई और इस बात पर गौर किया कि यह पिछले 25 वर्षों में क्रमिक तरीके से एक बहुआयामी संबंध में विकसित हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कल शाम फ्रांस के राष्ट्रपति के विमान में पेरिस से मारसेई के लिए उड़ान भरी थी। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयाम पर और प्रमुख वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर यहां चर्चा की। मारसेई में आगमन के बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई।
 दोनों नेताओं ने रक्षा, असैन्य परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष के रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग की समीक्षा की। उन्होंने प्रौद्योगिकी तथा नवाचार के क्षेत्रों में सहयोग मजबूत करने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया। एक बयान में कहा गया कि हाल में संपन्न एआई एक्शन समिट और 2026 में आगामी भारत-फ्रांस नवाचार वर्ष की पृष्ठभूमि में साझेदारी का यह क्षेत्र और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। दोनों नेताओं ने व्यापार एवं निवेश संबंधों के विस्तार की भी वकालत की।
 राष्ट्रपति मैक्रों ने मारसेई के निकट तटीय शहर कैसिस में प्रधानमंत्री के सम्मान में रात्रिभोज का भी आयोजन किया। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति मैक्रों को भारत आने का निमंत्रण दिया। वार्ता के 10 परिणामों की सूची में एआई पर भारत-फ्रांस घोषणा, भारत-फ्रांस नवाचार वर्ष 2026 के लिए लोगो जारी करना, और भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) तथा फ्रांस के इंस्टीट्यूट नेशनल डि रिसर्च एन इंफॉर्मेटिक एट एन ऑटोमैटिक (आईएनआरआईए) फ्रांस के बीच इंडो-फ्रेंच सेंटर फॉर द डिजिटल साइंसेज की स्थापना के लिए आशय पत्र शामिल हैं। फ्रांसीसी स्टार्ट-अप इनक्यूबेटर स्टेशन एफ में 10 भारतीय स्टार्टअप की मेजबानी के लिए एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए, जबकि उन्नत मॉड्यूलर रिएक्टरों और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों पर साझेदारी की स्थापना पर आशय की घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए। अन्य परिणामों में ग्लोबल सेंटर फॉर न्यूक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप (जीसीएनईपी) के साथ सहयोग के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) तथा फ्रांस के कमिसारिएट ए एल'एनर्जी एटॉमिक एट ऑक्स एनर्जीज अल्टरनेटिव्स (सीएई) के बीच समझौता ज्ञापन का नवीनीकरण शामिल है। त्रिकोणीय विकास सहयोग पर एक संयुक्त आशय घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए, जबकि दोनों नेताओं ने मारसेई में भारतीय वाणिज्य दूतावास का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया, और पर्यावरण के क्षेत्र में पारिस्थितिक संक्रमण, जैव विविधता, वन, समुद्री मामले और मत्स्य पालन मंत्रालय एवं पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के बीच आशय की घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए। मोदी सोमवार को फ्रांस पहुंचे और मैक्रों के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता भी की। यह मोदी की फ्रांस की छठी यात्रा है और मैक्रों की जनवरी 2024 में भारत के 75वें गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में भारत यात्रा करने के बाद हो रही है। दोनों नेताओं ने यहां अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर केंद्र का भी दौरा किया।
 दोनों नेताओं ने न्यायसंगत और शांतिपूर्ण अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने, वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और तकनीकी और आर्थिक क्षेत्रों सहित उभरते विकास के लिए दुनिया को तैयार करने के लिए उन्नत एवं प्रभावी बहुपक्षवाद के लिए अपने आह्वान को दोहराया। दोनों नेताओं ने विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया और सुरक्षा परिषद के मामलों सहित बहुपक्षीय मंचों पर निकटता से समन्वय करने पर सहमति व्यक्त की। दोनों नेताओं ने सामूहिक अत्याचारों के मामले में वीटो के उपयोग के विनियमन पर बातचीत को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने दीर्घकालिक वैश्विक चुनौतियों और वर्तमान अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम पर व्यापक चर्चा की और बहुपक्षीय पहलों एवं संस्थानों के माध्यम से अपने वैश्विक और क्षेत्रीय जुड़ाव को विस्तार देने पर सहमति व्यक्त की। मोदी और मैक्रों ने 2024 में महत्वाकांक्षी रक्षा औद्योगिक रोडमैप की सहमति के अनुरूप वायु और समुद्री परिसंपत्तियों के सहयोग को जारी रखने का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने भारत में स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण में सहयोग में प्रगति की सराहना की, जिसमें स्वदेशीकरण भी शामिल है, और विशेष रूप से डीआरडीओ द्वारा विकसित एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) को पी75-स्कॉर्पीन पनडुब्बियों में एकीकृत करने तथा भविष्य की पी75-एएस पनडुब्बियों में एकीकृत लड़ाकू प्रणाली (आईसीएस) के संभावित एकीकरण के संबंध में किए गए विश्लेषणों की सराहना की। दोनों नेताओं ने 15 जनवरी 2025 को पी75 स्कॉर्पीन-श्रेणी परियोजना की छठी और अंतिम पनडुब्बी, आईएनएस वाघशीर के जलावतरण का भी स्वागत किया। दोनों पक्षों ने मिसाइल, हेलीकॉप्टर इंजन और जेट इंजन पर चल रही चर्चाओं का स्वागत किया। उन्होंने सफरान समूह में संबंधित संस्थाओं और उनके भारतीय समकक्षों के बीच उत्कृष्ट सहयोग का भी स्वागत किया। मोदी ने फ्रांसीसी सेना को पिनाक रॉकेट लांचर को करीब से देखने के लिए आमंत्रित किया और इस बात पर जोर दिया कि फ्रांस द्वारा इस प्रणाली का अधिग्रहण भारत-फ्रांस रक्षा संबंधों में एक और मील का पत्थर होगा। इसके अलावा, राष्ट्रपति मैक्रों ने ओसीसीएआर द्वारा प्रबंधित यूरोड्रोन मेल कार्यक्रम में भारत को पर्यवेक्षक के रूप में शामिल करने के निर्णय का स्वागत किया, जो रक्षा उपकरण कार्यक्रमों में हमारी साझेदारी की बढ़ती ताकत में एक और कदम है। बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने मध्य-पूर्व और यूक्रेन में युद्ध सहित अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तृत बातचीत की। वे समन्वय करने और नियमित रूप से निकटता से जुड़े रहने के अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए। दोनों नेताओं ने भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप कॉरिडोर (आईएमईसी) को लागू करने पर अधिक निकटता से मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की और भूमध्य सागर में मारसेई की रणनीतिक स्थिति को स्वीकार किया। उन्होंने नई दिल्ली में आगामी भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के मद्देनजर जल्द से जल्द यूरोपीय संघ-भारत संबंधों को मजबूत करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात के साथ त्रिपक्षीय प्रारूप में बढ़ते सहयोग की सराहना की। उन्होंने फ्रांस, भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हुए संयुक्त सैन्य अभ्यासों की सराहना की, साथ ही भारत, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया की एक-दूसरे के बहुपक्षीय सैन्य अभ्यासों में भागीदारी की भी सराहना की। दोनों नेताओं ने एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी, सुरक्षित तथा शांतिपूर्ण समाज के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को और प्रगाढ़ करने की अपनी इच्छा दोहराई।
 दोनों नेताओं ने सीमा पार आतंकवाद सहित सभी रूपों में आतंकवाद की स्पष्ट निंदा की। उन्होंने आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों को नष्ट करने का आह्वान किया। वे इस बात पर भी सहमत हुए कि किसी भी देश को उन लोगों को सुरक्षित पनाहगाह नहीं देनी चाहिए जो आतंकवादी कृत्यों को वित्तपोषित करते हैं, उनका षड्यंत्र रचते हैं, उन्हें समर्थन देते हैं और अंजाम देते हैं। दोनों नेताओं ने सभी आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का भी आह्वान किया।
 बयान में कहा गया कि उन्होंने नागरिक उड्डयन क्षेत्र में उन्नत द्विपक्षीय सहयोग के लिए एक व्यापक ढांचा बनाने के लिए चल रही चर्चाओं का स्वागत किया, जो कि उन्नत चरणों में है। साल 2024 में द्विपक्षीय व्यापार के रिकॉर्ड स्तर को देखते हुए, उन्होंने स्वीकार किया कि दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश की अपार संभावनाएं हैं। मोदी और मैक्रों ने फ्रांस और भारत में निवेश करने वाली कंपनियों के लिए मजबूत विश्वास बनाए रखने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस ओलंपिक और पैरालंपिक 2024 के सफल आयोजन के लिए राष्ट्रपति मैक्रों को बधाई दी और 2036 में ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की मेजबानी के लिए भारत के प्रयासों के संदर्भ में आयोजन और सुरक्षा के संबंध में फ्रांस के अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने की इच्छा के लिए राष्ट्रपति मैक्रों को धन्यवाद दिया।

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