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भारत में बोझिल प्रमाणन आवश्यकताएं, जिससे अमेरिकी कंपनियों के लिए वहां कारोबार मुश्किल: व्हाइट हाउस

न्यूयॉर्क/वाशिंगटन.  अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘व्हाइट हाउस' ने कहा कि भारत रसायन, दूरसंचार उत्पादों व चिकित्सकीय उपकरणों जैसे क्षेत्रों में अपनी ‘बोझिल' परीक्षण व प्रमाणन आवश्यकताओं को लागू करता है, जिससे अमेरिकी कंपनियों के लिए वहां अपने उत्पाद बेचना ‘कठिन या महंगा' हो जाता है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी वस्तुओं पर ‘ऊंचा' शुल्क लगाने वाले देशों पर व्यापक जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा के बाद जारी किए गए तथ्य पत्र में व्हाइट हाउस ने कहा कि गैर-शुल्क बाधाएं जिनका उद्देश्य आयात/निर्यात की मात्रा को सीमित करना और घरेलू उद्योगों की रक्षा करना है अमेरिकी विनिर्माताओं को दुनिया भर के बाजारों तक पारस्परिक पहुंच से भी वंचित करती हैं। भारत का उदाहरण देते हुए व्हाइट हाउस की तथ्य-पत्रिका में कहा गया, “भारत रसायन, दूरसंचार उत्पादों व चिकित्सकीय उपकरणों जैसे क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट रूप से बोझिल और/या दोहरावपूर्ण परीक्षण व प्रमाणन आवश्यकताओं को लागू करता है, जिससे अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में अपने उत्पाद बेचना मुश्किल या महंगा हो जाता है। यदि इन बाधाओं को हटा दिया जाए, तो अनुमान है कि अमेरिकी निर्यात में सालाना कम से कम 5.3 अरब डॉलर की वृद्धि होगी।” ट्रंप ने भारत पर 27 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की, जो अमेरिकी वस्तुओं पर भारत द्वारा लगाए गए 52 प्रतिशत शुल्क का आधा है। तथ्य पत्रिका का शीर्षक ‘राष्ट्रपति डोनाल्ड जे ट्रंप ने हमारी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त बढ़ाने, हमारी संप्रभुता की रक्षा करने और हमारी राष्ट्रीय व आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय आपात की घोषणा की' है। इसमें कहा गया कि ट्रंप ने घोषणा की है कि विदेशी व्यापार तथा आर्थिक प्रक्रियाओं ने राष्ट्रीय स्तर पर आपात स्थिति उत्पन्न कर दी है और उनके आदेश ने अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और अमेरिकी श्रमिकों की सुरक्षा के लिए जवाबी शुल्क लगाए हैं। व्यापार असंतुलन के मुद्दे पर, व्हाइट हाउस ने कहा कि ट्रंप अन्य देशों द्वारा लगाए गए अनुचित शुल्क असमानताओं और गैर-शुल्क बाधाओं का सामना करके अमेरिकी व्यवसायों व श्रमिकों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहे हैं। इसमें कहा गया, ‘‘पीढ़ियों से, देश अमेरिका का फायदा उठाते रहे हैं। हम पर ऊंची दरों पर शुल्क लगाते रहे हैं।'' इसमें कहा गया कि अमेरिका यात्री वाहनों (आंतरिक दहन इंजन के साथ) के आयात पर 2.5 प्रतिशत शुल्क लगाता है, जबकि यूरोपीय संघ (10 प्रतिशत) और भारत (70 प्रतिशत) उसी उत्पाद पर बहुत अधिक शुल्क लगाते हैं। नेटवर्किंग स्विच और राउटर के लिए अमेरिका 0 प्रतिशत शुल्क लगाता है, लेकिन भारत (10-20 प्रतिशत) उच्च दर लगाता है। छिलके वाले चावल के लिए अमेरिका 2.7 प्रतिशत का शुल्क लगाता है, जबकि भारत (80 प्रतिशत), मलेशिया (40 प्रतिशत) और तुर्किये (31 प्रतिशत) उच्च दर लगाते हैं। सेब अमेरिका में शुल्क मुक्त प्रवेश करते हैं, लेकिन तुर्किये (60.3 प्रतिशत) और भारत (50 प्रतिशत) में ऐसा नहीं है।

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