अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले ISRO अंतरिक्ष यात्री बने शुभम शुक्ला
नई दिल्ली। भारत के लिए 26 जून अंतरिक्ष क्षेत्र में एक ऐतिहासिक दिन बन गया जब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखा। इसके साथ ही वह पहले भारतीय बने जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंचे और 41 साल बाद किसी भारतीय ने अंतरिक्ष की यात्रा की। इससे पहले 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के ‘Soyuz T-11’ से उड़ान भरी थी। शुभम शुक्ला एक्सिओम स्पेस के प्राइवेट मिशन Axiom-4 (Ax-4) के तहत अमेरिकी कंपनी SpaceX के ड्रैगन अंतरिक्ष यान ‘Grace’ में सवार होकर अंतरिक्ष पहुंचे। यह उड़ान अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से बुधवार को भारतीय समयानुसार दोपहर 12:00 बजे (2:31 AM ET) लॉन्च हुई और करीब 14 घंटे की यात्रा के बाद गुरुवार शाम 4:00 बजे (6:30 AM ET) अंतरिक्ष स्टेशन के ‘Harmony’ मॉड्यूल से जुड़ गई। SpaceX ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “डॉकिंग की पुष्टि हो गई!”
गौरतलब है कि शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में पहुंचने वाले भारत के दूसरे नागरिक हैं। उनसे पहले 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के Soyuz T-11 मिशन से अंतरिक्ष की यात्रा की थी। हालांकि, शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंच बनाई है। Ax-4 मिशन में उनके साथ तीन जिनमें मिशन कमांडर पेगी व्हिटसन, पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री स्लावोश उजनस्की-विस्निएवस्की, और हंगरी के पेलोड स्पेशलिस्ट तिबोर कापू शामिल हैं। अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद शुभांशु शुक्ला ने अपना पहला संदेश भेजा। उन्होंने कहा, “नमस्कार दोस्तों, मैं अंतरिक्ष से बोल रहा हूं। अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ यहां आकर बहुत अच्छा लग रहा है। लॉन्च के समय मुझे सीट में जोर से धक्का लगा और अब यहां सब कुछ भारहीन लग रहा है। मैं यहां बिल्कुल बच्चे की तरह चलना और खाना सीख रहा हूं।”
शुभांशु शुक्ला का जन्म उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 10 अक्टूबर 1985 को हुआ था। वह भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट हैं और ISRO के गगनयान मिशन के लिए चयनित चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं। ISS पर अपने दो सप्ताह के प्रवास के दौरान वह वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनका संबंध भोजन और पोषण से है। उनका प्रयोग खास तौर पर पोषक तत्वों से भरपूर सूक्ष्म शैवाल (microalgae) पर केंद्रित होगा, जिसे भविष्य की लंबी अंतरिक्ष यात्राओं के लिए एक संभावित खाद्य स्रोत माना जा रहा है।
यह शोध ISRO, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और NASA के सहयोग से तैयार किया गया है। इसमें यह अध्ययन किया जाएगा कि अंतरिक्ष की सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (microgravity) और विकिरण का प्रभाव शैवाल की जीन अभिव्यक्ति (gene expression), प्रोटीन उत्पादन (protein synthesis) और चयापचय क्रियाओं (metabolic activity) पर कैसे पड़ता है। अंतरिक्ष में उगाई गई शैवाल की तुलना पृथ्वी पर उगाई गई शैवाल से की जाएगी।
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन से पहले की एक अहम तैयारी मानी जा रही है। बता दें कि ISRO का गगनयान मिशन 2025 में लॉन्च होने की योजना है, जिसमें भारत स्वदेशी तकनीक से अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा।
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