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 रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के मजबूत स्तंभ के रूप में काम कर रहे हैं सभी 16 डीपीएसयू: राजनाथ

नयी दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत ने 2024-25 में 1.51 लाख करोड़ रुपये मूल्य का रक्षा उत्पादन किया है और रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (डीपीएसयू) का योगदान इसकी कुल राशि में 71.6 प्रतिशत रहा। सिंह ने यह टिप्पणी यहां एक उच्च स्तरीय बैठक में 16 डीपीएसयू के प्रदर्शन की व्यापक समीक्षा करते हुए की। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सभी 16 डीपीएसयू देश की आत्मनिर्भरता के मजबूत स्तंभ के रूप में काम कर रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में उनका उत्कृष्ट प्रदर्शन हमारे स्वदेशी प्लेटफार्म की विश्वसनीयता और क्षमता का प्रमाण है।'' सिंह ने दक्षिण दिल्ली के नौरोजी नगर स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में नये रक्षा उद्यम (डीपीएसयू) भवन का उद्घाटन भी किया। 
रक्षा मंत्री ने भारत के रक्षा विनिर्माण परिवेशी तंत्र को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में डीपीएसयू के निरंतर योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 में, भारत ने 1.51 लाख करोड़ रुपये का रक्षा उत्पादन हासिल किया, जिसमें रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (डीपीएसयू) का योगदान कुल उत्पादन का 71.6 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि रक्षा निर्यात 6,695 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो भारत की स्वदेशी प्रणालियों में वैश्विक विश्वास को दर्शाता है। उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि 'मेड इन इंडिया' रक्षा उत्पाद वैश्विक सम्मान प्राप्त कर रहे हैं।" सिंह ने इस गति को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए सभी रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) से महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के त्वरित स्वदेशीकरण, समग्र अनुसंधान एवं विकास, उत्पाद गुणवत्ता, समय पर आपूर्ति और निर्यात बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने डीपीएसयू को निर्देश दिया कि वे स्वदेशीकरण और अनुसंधान एवं विकास के स्पष्ट रोडमैप तैयार करें, जिनमें मापनीय प्रगति हों, जिन्हें अगली समीक्षा बैठक में प्रस्तुत किया जाना है। 
उन्होंने कहा, "सरकार की ओर से, मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि जहां भी विशेष हस्तक्षेप या सहायता की आवश्यकता होगी, उसे तुरंत प्रदान किया जाएगा।'' रक्षा मंत्री ने अनुसंधान एवं विकास पहलों की एक श्रृंखला का भी अनावरण किया, जिसमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के लिए एक मैनुअल भी शामिल है, जिसका उद्देश्य डिजिटलीकरण, बौद्धिक संपदा सृजन और भारतीय शिक्षा जगत के साथ सहयोग के माध्यम से एयरोस्पेस क्षेत्र की इस प्रमुख कंपनी के अनुसंधान एवं विकास परिवेशी तंत्र को मजबूत करना है। अधिकारियों ने बताया कि रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (डीपीएसयू) का अनुसंधान एवं विकास रोडमैप मौजूदा पहलों और भविष्य की रणनीतियों को एकीकृत करेगा, जो लाइसेंस प्राप्त उत्पादन से स्वदेशी डिजाइन और विकास की ओर बदलाव का प्रतीक है। इस कार्यक्रम के दौरान, कुछ रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (डीपीएसयू) के बीच तीन प्रमुख समझौता ज्ञापनों (एमओयू) का आदान-प्रदान किया गया। एचएएल और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने यंत्र इंडिया लिमिटेड (वाईआईएल) के आधुनिकीकरण प्रयासों में सहयोग के लिए उसके साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। एचएएल ने वाईआईएल को 435 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त अग्रिम देने का वादा किया है। 
तीसरा समझौता ज्ञापन राष्ट्रीय महत्व की रक्षा परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण कच्चे माल की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु एमआईडीएचएएनआई (मिश्र धातु निगम लिमिटेड) में एक 'धातु बैंक' के निर्माण के लिए हस्ताक्षरित किया गया। एमआईडीएचएएनआई रक्षा प्लेटफार्म में उपयोग के लिए विभिन्न सुपर मिश्र धातुओं, विशेष इस्पातों और मृदु चुंबकीय मिश्र धातुओं के उत्पादन और आपूर्ति में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने पर केंद्रित है। सतत रक्षा विनिर्माण की दिशा में एक कदम बढ़ाते हुए, सिंह ने ‘एसडब्ल्यूएवाईएएम' (सतत और हरित रक्षा विनिर्माण) नामक एक कार्यक्रम का शुभारंभ किया, जो रक्षा क्षेत्र के विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों (डीपीएसयू) में हरित परिवर्तन को दर्शाता एक सार-संग्रह है। यह ऊर्जा दक्षता बढ़ाने, नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने का विस्तार करने और रक्षा उत्पादन परिवेशी तंत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों का विवरण देता है।
 

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