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 बिहार ने 'मुस्लिम लीग-माओवादी कांग्रेस', जातिवाद के जहर को नकार दिया: मोदी

सूरत. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि बिहार की जनता ने जातिवाद का जहर उगलने वाले विपक्ष और ‘‘मुस्लिम लीग-माओवादी'' गठजोड़ बन चुकी कांग्रेस को नकार दिया। राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के साथ काम कर चुके कांग्रेस के राष्ट्रवादी नेता "नामदार के कारनामों" से दुखी हैं। प्रधानमंत्री मोदी सूरत में रहने वाले बिहार के लोगों द्वारा आयोजित एक अभिनंदन समारोह में बोल रहे थे, जहां उन्होंने राज्य में विधानसभा चुनावों में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की भारी जीत पर उन्हें बधाई दी। मोदी ने कहा कि पिछले एक दशक में कांग्रेस की लगातार चुनावी हार उस पार्टी के लिए आत्ममंथन का विषय है। प्रधानमंत्री ने कहा, "देश ने 'मुस्लिम लीग-माओवादी कांग्रेस' को नकार दिया। इतना ही नहीं, उस पार्टी के वे राष्ट्रवादी नेता, जिन्होंने इंदिरा जी और राजीव जी के साथ काम किया था, 'नामदार' (राहुल गांधी) के हथकंडों से दुखी हैं।" प्रधानमंत्री ने कहा कि कई कांग्रेस नेता कहने लगे हैं कि अब पार्टी को बचाना मुश्किल है।
 राजग ने बिहार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और अन्य दलों के महागठबंधन का सफाया कर दिया और 243 सदस्यीय विधानसभा में 200 से ज़्यादा सीटें जीत लीं। कांग्रेस केवल छह सीटों पर जीत हासिल कर सकी। प्रधानमंत्री ने कहा, "जिन्होंने 50-60 वर्षों तक शासन किया, उनका एक या दो दशक में यह हाल हो गया, यह स्पष्ट रूप से उनके लिए आत्मनिरीक्षण का विषय है।" उन्होंने राजग की व्यापक जीत का श्रेय बिहार के "एमवाई" (महिला और युवा) मतदाताओं को दिया। बिना नाम लिए मोदी ने कहा कि कुछ नेता जो ज़मानत पर बाहर हैं, उन्होंने जाति-आधारित राजनीति के ज़रिए चुनाव जीतने की भरपूर कोशिश की। मोदी ने कहा, "बिहार में इन 'जमानती' नेताओं ने अपनी पूरी ताकत जातिवाद का जहर फैलाने में लगा दी। उन्हें लगा कि जीत हासिल करने के लिए यही काफी होगा। बिहार चुनाव ने जातिवाद के उस ज़हर को पूरी तरह से नकार दिया है। यह देश के लिए एक बहुत ही उज्ज्वल संकेत है।" प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार के सभी क्षेत्रों में समाज के सभी वर्गों ने राजग को जोरदार समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि बिहार में विजयी गठबंधन और विपक्ष के बीच वोट शेयर में 10 प्रतिशत का बड़ा अंतर है। मोदी ने कहा, ‘‘राजग ने दलित बहुल 38 सीटों में से 34 पर जीत हासिल की है। उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि दलितों ने भी कांग्रेस को नकार दिया है।'' उन्होंने दावा किया कि बिहार में जमीन पर अवैध कब्ज़ा करके और घरों पर कब्ज़ा करके 'वक्फ़' (इस्लामी क़ानून के अनुसार धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संपत्ति का स्थायी समर्पण) बनाए गए। प्रधानमंत्री ने कहा कि तमिलनाडु में हज़ारों साल पुराने गांवों को वक्फ़ संपत्ति घोषित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि चूंकि देश भर में चिंताएं जताई गई थीं, इसलिए केंद्र ने हाल ही में संसद में वक्फ कानून पारित किया। प्रधानमंत्री ने कहा, "बिहार चुनाव के दौरान, इन जमानती नेताओं और उनके साथियों ने सार्वजनिक रूप से वक्फ विधेयक की प्रति फाड़ दी और घोषणा की कि अगर वे जीत गए, तो वे इस कानून को लागू नहीं होने देंगे। बिहार की जनता ने भी इस सांप्रदायिक ज़हर को पूरी तरह से नकार दिया।'' मोदी ने कहा कि चूंकि कांग्रेस अपने सहयोगियों या अपनी पार्टी के सदस्यों को हार के कारणों की व्याख्या करने में असमर्थ है, इसलिए उन्होंने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन), निर्वाचन आयोग और मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को दोष देकर "आसान" रास्ता चुना है। प्रधानमंत्री ने कहा, "उन्हें बहाने बनाने का तरीका मिल गया है। यह बहाना उन्हें कुछ समय तक तो बचाए रख सकता है, लेकिन उनके कार्यकर्ता उन्हें ज़्यादा देर तक स्वीकार नहीं करेंगे।" उन्होंने कहा कि कांग्रेस की प्राथमिकता न तो यह देश है, न ही इसके लोग और न ही इसका भविष्य। कांग्रेस नेता राहुल गांधी राज्य चुनावों में "वोट चोरी" का आरोप लगा रहे हैं और निर्वाचन आयोग पर भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगा रहे हैं। मोदी ने दावा किया कि कुछ युवा कांग्रेसी सांसद या विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया' के लोग भी डरते हैं कि उनका करियर खत्म हो जाएगा क्योंकि उन्हें बोलने का मौका नहीं मिलता ऐसा इसलिए कि एक नेता "संसद को बंद करने" की बात करता रहता है। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का "अपमान" पसंद नहीं आया।
प्रधानमंत्री ने किसी का नाम लिए बिना कहा, "आपने पिछले दो-तीन सालों में बिहार विधानसभा के दृश्य देखे होंगे। नीतीश कुमार का अपमान करना एक चलन बन गया था। उनके लिए अभद्र शब्दों का इस्तेमाल किया गया, ठीक वैसे ही जैसे संसद में दूसरे 'नामदार' नेता सारी मर्यादाएं तोड़ते हुए करते थे।" 

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