ब्रेकिंग न्यूज़

ऑपरेशन सिंदूर एक विश्वसनीय ‘ऑर्केस्ट्रा' था जहां हर संगीतकार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई: सेना प्रमुख

नयी दिल्ली.  सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने शनिवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर एक ‘‘विश्वसनीय ऑर्केस्ट्रा'' था, जिसमें प्रत्येक संगीतकार (सशस्त्र बलों के पक्ष) ने ‘‘सटीकता और समन्वय'' के साथ भूमिका निभाई और इसी कारण केवल 22 मिनट में भारतीय सशस्त्र बल नौ आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर सके। दिल्ली स्थित एक प्रबंधन संस्थान के दीक्षांत समारोह में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यह सैन्य अभियान बदलती स्थिति का पूर्वानुमान लगाने की “दूरदर्शिता” को दर्शाता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रतिक्रिया उस क्षण में नहीं, बल्कि वर्षों की कल्पना के माध्यम से बनी थी कि किस प्रकार खुफिया जानकारी, सटीकता और प्रौद्योगिकी को कार्रवाई में परिवर्तित किया जा सकता है।'' भारत ने सात मई की सुबह सैन्य अभियान शुरू किया था और पाकिस्तान तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कई आतंकवादी ढांचों को नष्ट किया था। पाकिस्तान ने भी भारत के खिलाफ अभियान शुरू किया था और उसके बाद भारत द्वारा की गई सभी जवाबी कार्रवाई भी ‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत की गई। दोनों परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच लगभग 88 घंटे तक चला सैन्य संघर्ष 10 मई की शाम को सहमति बनने के बाद रुक गया था। सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर एक भरोसेमंद ऑर्केस्ट्रा की तरह था, जिसमें प्रत्येक संगीतकार (सशस्त्र बलों के पक्ष) ने ‘‘सटीकता और समन्वय'' के साथ भूमिका निभाई । इस तरह हम 22 मिनट में नौ आतंकवादी ठिकानों को तबाह कर सके और 80 घंटों में यह सुनिश्चित कर सके कि लड़ाई खत्म हो। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर हमने पूरी टीम पर भरोसा न किया होता, तो निर्णय लेने का समय ही नहीं मिलता।'' नयी दिल्ली प्रबंधन संस्थान (एनडीआईएम) द्वारा आयोजित समारोह में अपने संबोधन में जनरल द्विवेदी ने स्नातक छात्रों से कहा कि वे ‘‘बुद्धिमत्ता, विनम्रता और शक्ति'' के साथ नेतृत्व करें। उन्होंने कहा, ‘‘तो आज जब आप आगे बढ़ रहे हैं, याद रखें कि दुनिया कभी स्थिर नहीं रहती, बाजार बदलते रहेंगे, तकनीक विकसित होती रहेगी और आपकी खुद की महत्वाकांक्षाएं भी बदलेंगी। फिर भी, इन सब के बीच आपकी सबसे बड़ी ताकत छिपी है-सीखने का साहस, बदलने की क्षमता और उद्देश्य के साथ नेतृत्व करने का नजरिया। बदलाव वह नहीं है जो हमारे साथ होता है, बल्कि वह है जिसे हम इसके जरिए बनने का चुनाव करते हैं।'' जनरल के संबोधन का विषय था ‘परिवर्तन का मार्ग: वास्तविक स्थिरता'। उन्होंने उभरते वैश्विक गतिशीलता, विघटनकारी शक्ति के रूप में प्रौद्योगिकी और आगे की राह के लिए चिंतन पहलुओं पर बात की। उन्होंने कहा, ‘‘जैसे-जैसे 21वीं सदी आगे बढ़ी, दीर्घकालिक शांति प्रतिस्पर्धा, विरोध और संघर्ष के विवादास्पद परिदृश्य में बदल गई। आज दुनिया भर में 55 से अधिक संघर्ष जारी हैं, जिनमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 100 से अधिक देश शामिल हैं, जिससे शांति और संघर्ष के बीच की सीमा धुंधली होती जा रही है।'' सेना प्रमुख ने कहा कि जैसे-जैसे युद्धक्षेत्र धुंधले होते गए, वैसे-वैसे बाजार भी धुंधले होते गए।
उन्होंने कहा कि आज व्याकरण की किताब के छह अध्याय पारंपरिक रेन और मार्टिन की अंग्रेजी व्याकरण की किताब से अलग हैं। उन्होंने कहा कि इसमें ‘‘सहयोग (कोऑपरेशन), सहकारिता (कॉलेबोरेशन), सह-अस्तित्व (को-एक्सिस्टेंस), प्रतिस्पर्धा (कम्पीटिशन), प्रतिद्वंद्विता (कॉन्टेस्टेशन) और संघर्ष (कॉन्फ्लिक्ट) शामिल हैं। उन्होंने कहा,‘‘तो, ये ‘6सी' हैं, जिन्हें हमें एक साथ जानना होगा। क्योंकि, हमारे रणनीतिक आदान-प्रदान में भी, हम ‘6सी' से निपटते हैं और भविष्य में आप भी इनसे निपटेंगे।'' सेना प्रमुख ने सैन्य विकास में तकनीक के महत्व को रेखांकित किया।
जनरल द्विवेदी ने कहा कि आज वह ‘‘लगभग 1.3 करोड़ सैनिकों, सेवानिवृत्त सैनिकों और उनके परिवारों के समुदाय'' का नेतृत्व कर रहे हैं, जो भारतीय जनसंख्या का एक प्रतिशत है। उन्होंने अशांति के समय में अवसर तलाशने की भी बात कही।

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english