प्रधानमंत्री मोदी ने जी20 में की अपील : मानव-केंद्रित तकनीक और वैश्विक एआई कॉम्पैक्ट की जरूरत
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को जी20 शिखर सम्मेलन के तीसरे सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया को उभरती और महत्वपूर्ण तकनीकों के निर्माण और उपयोग के तरीकों पर गहन पुनर्विचार करने की जरूरत है। यह सत्र “सभी के लिए न्यायसंगत भविष्य क्रिटिकल मिनरल्स, सम्मानजनक रोजगार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस” विषय पर आयोजित किया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि तकनीकी विकास का मॉडल मानव-केंद्रित होना चाहिए, न कि केवल वित्त-केंद्रित। उन्होंने बताया कि तकनीक वैश्विक होनी चाहिए, खुले स्रोत पर आधारित होनी चाहिए और सभी देशों को समान लाभ पहुंचाना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने इसी सोच को अपनाकर अंतरिक्ष, एआई और डिजिटल पेमेंट जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है।प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रणनीति पर जोर देते हुए कहा कि देश का ध्यान समान पहुंच, बड़े स्तर पर स्किलिंग और जिम्मेदार एआई उपयोग पर केंद्रित है। उन्होंने बताया कि भारत की एआई मिशन उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग क्षमता बढ़ा रहा है ताकि एआई का लाभ हर नागरिक तक पहुंच सके।
पीएम मोदी ने दुनिया से एक वैश्विक एआई कॉम्पैक्ट बनाने की अपील की, जिसमें पारदर्शिता, मानव निगरानी, सुरक्षा-आधारित डिजाइन और एआई के दुरुपयोग को रोकने जैसे सिद्धांत शामिल हों। उन्होंने कहा कि “एआई मानव क्षमताओं को बढ़ाए, लेकिन अन्तिम निर्णय हमेशा इंसानों के हाथ में होना चाहिए।”प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारत फरवरी 2026 में “एआई इम्पैक्ट समिट” की मेजबानी करेगा, जिसका विषय -‘सर्वजनहिताय, सर्वजनसुखाय’ होगा यानी ‘सभी के हित और सभी के सुख के लिए’। उन्होंने सभी जी20 देशों को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। तेजी से बदलती तकनीकों के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया को “आज की नौकरियों” से आगे बढ़कर “भविष्य की क्षमताओं” पर ध्यान देना होगा। उन्होंने प्रतिभा गतिशीलता पर भारत की अगुवाई में हुए प्रगति को आगे बढ़ाते हुए आने वाले वर्षों में एक ग्लोबल फ्रेमवर्क फॉर टैलेंट मोबिलिटी बनाने का प्रस्ताव रखा।अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत वैश्विक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। भारत हमेशा ऐसी विकास प्रणाली का समर्थन करता है जो टिकाऊ हो, ऐसा व्यापार जो विश्वास पर आधारित हो, ऐसी फाइनेंस प्रणाली जो न्यायपूर्ण हो और ऐसी प्रगति जो सभी को समृद्धि दे।










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