दशहरा में शमी -अपराजिता पूजन और नीलकंठ के दर्शन का क्या है महत्व?
आज पूरे देशभर में विजयादशमी का त्योहार मनाया जा रहा है। यह त्योहार असत्य पर सत्य के जीत के प्रतीक के रूप में हर वर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर भगवान राम ने लंका नरेश और महान ज्ञानी रावण को युद्ध में परास्त करके वध किया था। इसके अलावा इसी तिथि पर मां दुर्गा ने महिषासुर नाम के दैत्य का संहार किया था। इसी कारण से विजयादशमी का त्योहार हर वर्ष रावण,मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले का दहन करके मनाया जाता है। दशहरे के दिन पंडालों में स्थापित मां दु्र्गा की पूजा का समापन हो जाता है। आइए जानते हैं दशहरे का महत्व और पूजा मुहूर्त।
दशहरा के दिन शमी और देवी अपराजिता की पूजा जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही नीलकंठ के दर्शन करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में खुशहाली बनी रहती है और धनलाभ होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में पांडवों ने शमी के पेड़ के ऊपर अपने अस्त्र शस्त्र छिपाए थे,जिसके बाद युद्ध में उन्होंने कौरवों पर जीत हासिल की थी। इस दिन घर की पूर्व दिशा में शमी की टहनी प्रतिष्ठित करके उसका विधिपूर्वक पूजन करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है,महिलाओं को अखंड सौभग्य की प्राप्ति होती है एवं इस वृक्ष की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
ऐसे करें अपराजिता की पूजा
विजयदशमी के दिन अपराजिता की पूजा करने का विधान है। अपराजिता की पूजा से सालभर तक कार्यों में जीत हासिल होती है और किसी भी काम में रूकावट नहीं आती। इस दिन दोपहर बाद घर के ईशान कोण, यानी उत्तर-पूर्व दिशा को अच्छे से साफ करके, उसे गोबर से लीपकर, उसके ऊपर चंदन से आठ पत्तियों वाला कमल का फूल बनाना चाहिए और संकल्प करना चाहिए-मम सकुटुम्बस्य क्षेम सिद्धयर्थे अपराजिता पूजनं करिष्ये”
अगर आप ये मंत्र न पढ़ पाएं तो आपको इस प्रकार कहना चाहिए कि हे देवी ! मैं अपने परिवार के साथ अपने कार्य को सिद्ध करने के लिये और विजय पाने के लिये आपकी पूजा कर रहा हूं। इस प्रकार कहकर उस कमल की आकृति के बीच में अपराजिता का पौधा रखना चाहिए।
विजय का सूचक है पान
दशहरा के दिन रावण,कुम्भकर्ण और मेघनाद दहन के पश्चात पान का बीड़ा खाना सत्य की जीत की ख़ुशी को व्यक्त करता है। इस दिन हनुमानजी को मीठी बूंदी का भोग लगाने बाद उन्हें पान अर्पित करके उनका आशीर्वाद लेने का महत्वहै। विजयादशमी पर पान खाना, खिलाना मान-सम्मान,प्रेम एवं विजय का सूचक माना जाता है।
नीलकंठ के दर्शन है शुभ
लंकापति रावण पर विजय पाने की कामना से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने पहले नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे। नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतिनिधि माना गया है। दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन और भगवान शिव से शुभफल की कामना करने से जीवन में भाग्योदय,धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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