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ऐसा होता है कि खाने बनाते समय जिन चीजों का इस्तेमाल स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है, उनके गुणों के बारे में जानकारी नहीं होती। जैसे जीरा, धनिया, हींग, कस्तूरी मेथी का इस्तेमाल खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है लेकिन इन छोटी-छोटी चीजों के गुण बड़े होते हैं। साथ ही इनका रोजाना सेवन करने से इम्युनिटी पावर भी मजबूत होती है। मेथी के पत्तों को सुखाकर कस्तूरी मेथी बनाई जाती है। आज हम आपको कस्तूरी मेथी के फायदे बता रहे हैं-
पेट के लिए फायदेमंद
पीरियड्स से लेकर मेनोपॉज तक, महिला के शरीर को कई बदलावों का सामना करना पड़ता है। चूंकि, इनमें से अधिकांश पेट से संबंधित हैं, इसलिए यह पाचन स्वास्थ्य को गड़बड़ा देता है। अपने भोजन में मेथी के सूखे पत्तों को शामिल करना एक अच्छा विकल्प है। कब्ज से राहत पाने के लिए कस्तूरी मेथी को पांच मिनट के लिए उबाल लें। इसे बिना छाने ठंडा होने दें और फिर थोड़ा शहद मिला दें। कब्ज से छुटकारा पाना है तो मिश्रण का सेवन दिन में दो बार करें।
संक्रमणों से लड़ता है
जिन लोगों के पेट में इंफेक्शन रहता है, उन्हें हर दिन कस्तूरी मेथी का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा, कस्तूरी मेथी का रोजाना सेवन करने से दिल, गैस्ट्रिक और आंतों की समस्या नहीं होती है। अगर पेट की समस्या है, तो पत्तियों को सुखाकर पीस लें और इसमें कुछ बूंदें नींबू की मिलाएं। इसके बाद इसे उबले पानी के साथ लें।
एनीमिया का इलाज
भारत में हर 4 में से 3 महिलाएं एनीमिया से पीडि़त हैं। ऐसी स्थिति में महिलाओं के लिए मेथी का सेवन करना फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें बहुत अधिक मात्रा में आयरन होता है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है। इसलिए, यदि एनीमिया से जूझ रहे हैं, तो आहार में मेथी के पत्तों को जरूर शामिल करना चाहिए।
वजन घटाने में मददगार
कस्तूरी मेथी के पत्तों को चबाकर बहुत ही कम समय के अंदर वजन को कम कर सकते हैं। इसका खाली पेट सेवन करें। इसमें मौजूद घुलनशील फाइबर से पेट जल्दी भर जाता है और बार-बार भूख नहीं लगती है।
ब्लड शुगर को नियंत्रित करती है
डायबिटीज से पीडि़त लोगों को अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है। दिन के दौरान कुछ भी खाने से अक्सर शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। मेथी में एंटी-डायबिटीज गुण होते हैं जो कि ब्लड शुगर को नियंत्रित कर सकते हैं। यह टाइप-2 डायबिटीज होने की आशंका को भी कम करती है। यदि डायबिटीज के रोगी इसे नियमित रूप से खाते हैं, तो उनका ब्लड शुगर कंट्रोल में रहेगा। - अक्सर लोग करेला बनाते समय इसे ऊपर से छिल देते हैं और इसका बीज भी निकाल देते हैं। पर करेले के ये बीज असल में शरीर के लिए बहुत काम की चीज हैं। वहीं करेले के छिलके के अपने फायदे हैं।करेले में विटामिन ए, विटामिन-सी, जिंक और फोलेट आदि पाया जाता है। डायबिटीज की बीमारी से पीडि़त लोगों के लिए यह काफी फायदेमंद है क्योंकि यह ब्लड शुगर को आसानी से नियंत्रित करने में मदद करता है। करेले के बीज में भी ये गुण पाए जाते हैं, इसलिए करेला पकाते समय इसके बीच न फेेंके, बल्कि इसके साथ ही सब्जी पकाएं।करेले के बीज के फायदेडायबिटीज में कब्ज की परेशानी दूर करेजब करेले को इसके बीज समेत खाया जाता है तो ये शरीर में एक तरह के रफेज का काम करता है, इसके चलते हमारे मेटाबोलिज्म सही रहता है और शरीर की पाचन क्रिया सही से काम करती है। यही काम ये डायबिटीज के मरीज के लिए करता है, जिस वजह से डायबिटीज में होने वाली कब्ज की परेशानी कम हो जाती है।इंसुलिन बढ़ाता हैइंसुलिन की कमी से शरीर शुगर पचा नहीं पाता है, जिससे शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और ये खून में मिल कर पूरे शरीर में सर्कुलेट होने लगता है। करेला इसी प्रोसेस को सही करता है। दरअसल, डायबिटीज में करेले का बीज का सेवन करने से ये शरीर में ब्लड शर्करा को कम करने में मदद करता है। ऐसा इसलिए है करेले में इंसुलिन की तरह काम करने वाले गुण होते हैं, जो ऊर्जा के लिए कोशिकाओं में ग्लूकोज लाने में मदद करते हैं। फिर इसके बीज पाचनतंत्र को ठीक करके इंसुलिन के रिलीज को और बढ़ाते हैं, जो कुल मिला कर कोशिकाओं को ग्लूकोज का उपयोग करने और इसे आपके लिवर, मांसपेशियों और वसा में स्थानांतरित करने में मदद करते हैं।कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करेडायबिटीज के मरीज में कोलेस्ट्रोल की मात्रा ज्यादा होना दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ाता है। दरअसल, कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर धमनियों में फैटी पट्टिका का निर्माण कर सकता है, जिससे हृदय को ब्लड पंप करने में परेशानी आती है। करेले का बीज एलडीएल यानी कि खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर में कमी लाता है और गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है।वजन संतुलित रखेकरेले को बीज सहित खाने से वजन भी संतुलित रहता है।इम्यूनिटी बढ़ाएशरीर में यदि पाचन क्रिया सही होती है, तो ये शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करेगा। इसके अलावा करेले में आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन सी और फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो कि इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए जरूरी है।ऐसे करें करेले के बीज का इस्तेमाल-करेले को बीज समेत सूखा कर इसका पाउडर बना लें और इसका रोज गर्म पानी के साथ सेवन करें, इससे पेट साफ रहेगा।करेले के बीज और लहसुन को पीस कर इसकी प्यूरी तैयार करें। भरवा करेला बनाते समय इसे प्याज के साथ मिला दें और तल लें। ये सब्जी डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है।- करेला नमक उबालकर लें और इसके बीज समेत इसको पीस लें। फिर राई और कड़ी पत्ते के साथ इसका तड़का लगाएं। ऊपर से गुड़ डाल कर मिला लें और हो गई तैयार करेले की चटनी।इस तरह करेले के बीज को फेकें नहीं बल्कि इसका इन तरीकों से इस्तेमाल करें। कोशिश करें कि जब भी करेला बनाएं पूरा बनाएं ताकि डायबिटीज के मरीज को करेले का पूरा फायदा मिले और शुगर कंट्रोल रहे।
- अधिकांश लोग बैंगन को बेगुन मानकर उसकी सब्जी खाना पसंद नहीं करते हैं। जबकि ऐसा नहीं है, बैंगन हमारी सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी है। बैंगन की सब्जी या भरता तो हम सब ने खाया है लेकिन शायद ही किसी को मालूम हो कि बैंगन का स्वाद जितना अच्छा है उतना ही यह सेहत के लिए गुणकारी भी है। यह पेट के रोगों से लेकर बवासीर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में फायदा पहुंचाता है।बैंगन कटु, तिक्त, मधुर, उष्ण, लघु, तीक्ष्ण, स्निग्ध, क्षारीय, कफवातशामक, दीपन, शुक्रकारक, रुचिकारक, हृद्य, वृष्य, बृंहण, ग्राही, निद्राकर, चक्षुष्य, पित्तल तथा शोणितवर्धक होता है। यह ज्वर, कास, अरुचि, कृमि, अर्श, हृल्लास तथा श्वासनाशक है। अंगार में भुना हुआ बैंगन अत्यन्त लघु, अग्निदीपन तथा पित्तकारक होता है।तेल तथा नमक युक्त भुना बैंगन गुरु तथा स्निग्ध होता है। श्वेत बैंगन अर्श में हितकर तथा बैंगन की अपेक्षा हीन गुण वाला होता है। बैंगन का पक्व फल क्षार युक्त, गुरु, पित्तकारक तथा वातकोपक होता है। बैंगन की मूल श्वासकष्टरोधी, रेचक, वेदनाहर एवं हृद्य होती है। यह तत्रिकाशूल, हृद्दौर्बल्य, शोथ, नासागत व्रण, अजीर्ण, ज्वर, हृदयगत रोग, श्वासगतरोग, श्वासनलिकाशोथ, श्वासकष्ट, विसूचिका एवं मूत्रकृच्छ्र शामक होता है।कान के दर्द से राहत- अगर आप कान दर्द से परेशान हैं तो बैंगन का उपयोग करके आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बैंगन के जड़ के रस की 1-2 बूँद मात्रा कान में डालने से कान का दर्द और सूजन कम होता है।दांत दर्द से राहत-दांत में दर्द होना एक आम समस्या है, ठीक से दांतों की साफ-सफाई का ध्यान ना रखना इसका मुख्य कारण है। बैंगन की जड़ का पाउडर बना लें और इसे दांतों पर रगड़ें, इससे दांतों का दर्द दूर होता है। पेट के रोगों में उपयोगी है- पेट फूलना, अपच और भूख ना लगने जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए भी बैंगन का उपयोग किया जा सकता है। इन समस्याओं से राहत पाने के लिए कच्चे बैंगन की सब्जी बनाकर खाएं।उल्टी रोकने में मदद करता है -अगर आपको उल्टी हो रही है या जी मिचला रहा है तो इसे रोकने के लिए बैंगन का उपयोग करें। विशेषज्ञों के अनुसार, 5 मिली बैंगन की पत्तियों के रस में 5 मिली अदरक का रस मिलाकर पीने से उल्टी रुक जाती है।बवासीर के रोगियों के लिए उपयोगीखराब खानपान और गलत जीवनशैली के कारण कई लोग कब्ज की समस्या से परेशान रहते हैं और आगे चलकर बवासीर जैसी गंभीर बीमारी से पीडि़त हो जाते हैं। बवासीर के मरीज ब्लीडिंग और दर्द से राहत पाना चाहते हैं तो बैंगन का आगे बताए गए तरीके से उपयोग करें। इसके लिए बैंगन के पत्तों को महीन पीसकर उसमें जीरा और शक्कर मिलाकर सेवन करें। इसके सेवन से रक्तस्राव और दर्द दोनों से आराम मिलता है।पेशाब के समय होने वाले दर्द से राहत दिलाता है बैंगनकई लोग पेशाब करते समय जलन एवं दर्द की समस्या से परेशान रहते हैं। इसके लिए बैंगन के जड़ के रस की 5 मिली मात्रा का सेवन करें। इस समस्या से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।जोड़ों के दर्द से राहत दिलाएजाड़ों का मौसम आते ही कई लोग जोड़ों के दर्द से परेशान हो जाते हैं, खासतौर पर बुजुर्गों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। इसके लिए बैंगन को भूनकर उसे पीस लें और दर्द वाली जगह पर कपड़े में लपेटकर बांधें। इससे दर्द जल्दी दूर होता है।(नोट-कोई भी उपाय योग्य चिकित्सक की सलाह पर ही करें)
- अपनी फिटनेस पर ध्यान देने वाले लोग चावल खाने से परहेज करते हैं क्योंकि चावल खाने से न सिर्फ शरीर का फैट बढ़ता है बल्कि इससे बार-बार भूख भी लगती है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर आप ब्राउन राइस खा रहे हैं, तो वजन बढऩे का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। ज्यादातर लोगों को ब्राउन और वाइट राइस में अंतर नहीं पता होता। आइए, जानते हैं ब्राउन राइस आखिर क्या है और इसके क्या-क्या फायदे हैं-ब्राउन राइस और वाइट राइस में क्या अंतर है?सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि ब्राउन राइस और सफेद चावल में क्या अंतर है। दरअसल, ब्राउन राइस का भूसा नहीं उतारा जाता, जिससे इसके पोषक तत्व साबुत अनाज जितने ही रहते हैं। सफेद चावल का भूसा उतार कर उसे प्रोसेसिंग करके सफेद पॉलिश युक्त कर दिया जाता है। इस प्रोसेसिंग के दौरान चावल में मौजूद कई पोषक तत्व कम हो जाते हैं। हालांकि, ब्राउन राइस को इसके स्वाद, पकने में ज्यादा समय लेने और ज्यादा समय तक न रख पाने की वजह से भारत में अकसर लोग इसे लेना पसंद नहीं करते, लेकिन अब बेहतर तकनीक की मदद से ब्राउन राइस को ज्यादा समय तक रखा जा सकता है। इसका स्वाद भी अब काफी लोगों को पसंद आने लगा है। ब्राउन राइस में भी नॉन बासमती फायदेमंद है। इसके दाने का आकार छोटा और जीआई (ग्लाइसेमिक इंडेक्स) कम होता है।नॉन बासमती ब्राउन राइस के फायदेसफेद चावल की तुलना में ब्राउन राइस के कई फायदे हैं। ब्राउन राइस में विटामिन, कुछ खनिज, लिगनान और फाइटो कैमिकल व एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर पोषक तत्व होते हैं। इनमें विटामिन ई, सिलेनियम, मैंगनीज होता है। इसे नियमित रूप से अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। ब्राउन राइस, साबुत अनाज के सबसे बेहतरीन रूपों में से एक है। इसमें शरीर के ऑक्सीडेटिव तनाव और बीमारियों को रोकने के लिए एंटी ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं।ब्राउन राइस के फायदेकोलेस्ट्रोल नियंत्रित करेशरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढऩे से ह्रदय रोग हो सकता है। कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने के लिए ब्राउन राइस जैसे साबुत अनाज खाने की सलाह दी जाती ह । ब्राउन राइस में कुछ मात्रा फाइबर की होती ह । फाइबर खाने को धीरे-धीरे पचाने में मदद करता है, जिससे भूख कम लगती है और कोलेस्ट्रोल को खून में धीरे-धीरे घुलने में मदद करता है। साथ ही एलडीएल कोलेस्ट्रोल यानी खराब कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करने में मदद करता है ।मधुमेह के लिए ब्राउन राइस के फायदेवैज्ञानिक शोध के अनुसार, ब्राउन राइस टाइप 2 मधुमेह को नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है। इसमें फाइबर, प्रोटीन, फाइटोकेमिकल्स और मिनरल्स की अच्छी मात्रा पाई जाती है। व्हाइट राइस की तुलना में ब्राउन राइस में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को कम रखता है।कैंसर विरोधी गुणब्राउन राइस के स्वास्थ लाभ की बात करें, तो यह कैंसर को रोकने में मदद कर सकता है। शोध के अनुसार, अंकुरित ब्राउन राइस में गामा-एमिनोब्यूटिरिक एसिड पाया जाता है, जो ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर) की कोशिकाओं को रोकने में मदद करता है ।हड्डियों के लिए ब्राउन राइस के फायदेहड्डियों को तंदुरुस्त रखने के लिए मैग्नीशियम बहुत फायदेमंद मिनरल है और यह ब्राउन राइस में भरपूर मात्रा में पाया जाता है । यह बोन मिनरल डेंसिटी को बढ़ाने में मदद करता है ।तंत्रिका तंत्र के लिए फायदेमंदतंत्रिका तंत्र के सही प्रकार से काम न करने पर अल्जाइमर, पार्किंसंस व माइग्रेन जैसी समस्या हो सकती है। इन बीमारियों से उबरने में मैग्नीशियम जरूरी तत्व साबित हो सकता है । वहीं, ब्राउन राइस में मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में होता है और इसका सेवन करने से तांत्रिक तंत्र को स्वस्थ बनाया जा सकता है ।रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएब्राउन राइस खाने के फायदे में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने का गुण भी शामिल है। इसमें विटामिन-ई मौजूद होता है, जो एंटी-ऑक्सीडेंट का काम करता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और विभिन्न बीमारियों से बचना आसान हो जाता है ।
- कलाई में दर्द होना लोगों की एक आम समस्या है, जिसके कारण अक्सर लोग परेशान रहते हैं। कई बार सूजन की समस्या भी हो जाती है। आज हम बता रहे हैं कुछ ऐसे उपाय, जिसे अपनाकर आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।हल्दीहल्दी स्वास्थ्य के लिए कितनी फायदेमंद होती है ये तो आप सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं हल्दी आपकी कलाई के दर्द और सूजन में भी बहुत अहम भूमिका निभाती है। जी हां, हल्दी में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो न सिर्फ बैक्टीरिया और संक्रमण से दूर रखते हैं बल्कि ये शरीर में आई सूजन को दूर करने के साथ दर्द को भी कम करने का काम करते हैं। इसके लिए हल्दी का सेवन किया जा सकता है या फिर हल्दी और शहद का लेप लगाकर भी दर्द से राहत पाई जा सकती है। कलाई में दर्द और सूजन हो तो हल्दी का लेप रात में अपनी कलाई पर लगाकर सो जाएं। वहीं, अगर हल्दी वाला दूध पीते हैं तो इससे भी शरीर में हो रही सूजन को आसानी से दूर किया जा सकता है।हीट थैरेपीहीट थैरेपी दर्द, सूजन और चोट का इलाज करने के लिए एक असरदार विकल्प है। जिन लोगों की कलाई में दर्द और सूजन लंबे समय से रहती है वे रोजाना हीट थैरेपी को अपना सकते हैं। हीटिंग पैड की मदद से कलाई को सेंक सकते हैं या फिर गर्म पानी के साथ इसका फायदा ले सकते हैं। नियमित रूप से ऐसा करने से कलाई से दर्द और सूजन को कम किया जा सकता है।बर्फ का सेंकबर्फ भी कलाई के दर्द को आसानी से कम करने के साथ उसे एक्टिव रखने में मदद कर सकती है। इसके लिए बर्फ को किसी एक तौलिये में लेकर लपेट लें इसके बाद उसे अच्छी तरह से कलाई के उस हिस्से पर रखें जहां दर्द और सूजन महसूस हो रही हो। करीब 15 से 20 मिनट तक बर्फ के सेंक लेने ले कलाई से सूजन कम हो जाती है। इस उपाय का इस्तेमाल रोजाना किया जा सकता है।अदरक का सेवन जरूर करेंअदरक भी हल्दी की तरह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है, इसका सेवन नियमित रूप से करने पर आप अपने शरीर के किसी भी हिस्से में हो रहे दर्द और सूजन से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। अदरक में भारी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो कलाई में हो रहे दर्द को आसानी से दूर कर सकते हैं। अपने भोजन में अदरक शामिल करें या फिर अदरक वाली चाय पी लें।चेरीचेरी में एंथोसियानिन, फाइटोनुट्रिएंट्स होते हैं जो बहुत प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट के रूप में जाने जाते हैं। इन गुणों की मदद से कलाई में होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है साथ ही ये आपकी सूजन को भी बढऩे से रोकते हैं। चेरी का जूस पीने से जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है।लहसुनआयुर्वेद में लहसुन को कई संक्रमण के खिलाफ प्रभावी माना जाता है जिसकी मदद से कई बैक्टीरिया और संक्रमण आपसे दूर रहते हैं। ऐसे ही कलाई के दर्द को दूर करने के लिए भी लहसुन काफी फायदेमंद तरीका है। गुनगुने सरसों के तेल में लहसुन को डालकर इससे प्रभावित क्षेत्र में मालिश करने से भी काफी राहत मिलती है।जैतून का तेलजैतून का तेल भी कलाई के दर्द और सूजन को कम करने में काफी मददगार साबित हो सकता है। इसके लिए जैतून के तेल से मसाज या मालिश करें।सेब का सिरकासेब के सिरके में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो शरीर में आई सूजन, जलन और दर्द को कम करने का काम करता है। आप इसके लिए गर्म पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं और उसमें शहद को शामिल करें और इसका सेवन कर लें।इन सब उपायों के अलावा नियमित व्यायाम करना न भूलें।
- इस कोरोना काल में इन्यूनिटी बढ़ाने के लिए गिलोय का इस्तेमाल बहुतायक लोगों ने किया है और कर रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों ने गिलोय के अत्यधिक सेवन पर सचेत किया है।गिलोय के फायदों को अगर विशेषज्ञ की नजरिए से देखें तो उनके मुताबिक यह 100 समस्याओं की एक दवा है। गिलोय के सेवन से पाचन शक्ति, फेफड़ों की कार्यक्षमता तो बेहतर होती ही है, साथ ही इससे इम्यून सिस्टम भी मजबूत बनता है। यही कारण है कि साल 2020 में कोरोना के दौरान गिलोय ने अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल कर ली। लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं जिनके बारे में लोग नहीं जानते।हाल ही में यूएस फूड एंड ड्रग विभाग ने भी गिलोय के सेवन करने की सलाह दी थी। आयुर्वेदिक विशेषज्ञ गिलोय के तने और जड़ों के इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। जबकि बाजार में गिलोय कैप्सूल, जूस और पाउडर के रूप में मौजूद है। इनमें से किसी का भी सेवन विशेषज्ञ की सलाह पर किया जा सकता है, लेकिन इसके कुछ ऐसे नुकसान हैं जिन्हें जान लेना बेहद जरूरी है।मधुमेह के मरीजों को सलाहगिलोय मधुमेह के मरीजों के लिए नुकसानदायक हो सकती है। दरअसल, गिलोय खून में मौजूद शुगर लेवल को कम करने का काम करती है। ऐसे में अगर किसी को मधुमेह की समस्या है, तो यह रक्त में शुगर को बहुत ज्यादा नीचे पहुंचा सकती है। इस स्थिति को हाइपोग्लाइकेमिया कहा जाता है। इसलिए डॉक्टर या आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह पर गिलोय का सेवन करें।पाचन शक्ति को फायदा भी नुकसान भीगिलोय को यूं तो पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए सबसे जबरदस्त माना जाता है, लेकिन कई मामलों में यह कब्ज की समस्या पैदा कर सकता है। ऐसे में अगर गिलोय का सेवन करते हैं, और मल से संबंधित या अन्य किसी प्रकार की समस्या हो सकती है।इम्यून सिस्टम पर पड़ता है असरगिलोय के सेवन से इम्यून सिस्टम बेहतर होता है। लेकिन कई बार यह इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं खड़ी कर सकता है। इसलिए गिलोय के सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले।सर्जरी से पहले बंद करें गिलोयसर्जरी कराने से पहले गिलोय का सेवन खतरनाक हो सकता है। दरअसल सर्जरी के दौरान यह जरूरी है कि ब्लड प्रेशर संतुलित रहे। लेकिन गिलोय ब्लड प्रेशर को प्रभावित कर सकता है। इसलिए सर्जरी से पहले इसका सेवन बंद कर दें। इसके अलावा डॉक्टर की सलाह पर ही इसे फिर से शुरू करें।गिलोय की तय मात्रा कितनीगिलोय के सेवन करने वाले अक्सर इसकी तय मात्रा को लेकर थोड़े चिंतित रहते हैं। हालांकि कैप्सूल और पाउडर के पैकेट या बॉक्स पर तय मात्रा दी गई होती है, लेकिन ज्यादा बेहतर होगा कि चिकित्सक की सलाह पर ही इसका सेवन किया जाए।-----
- कटहल आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। कटहल में भारी मात्रा में विटामिन्स और पोटैशियम मौजूद होता है। इतना ही नहीं कटहल के बीज न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं बल्कि ये त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद हैं। कटहल का बीज त्वचा से दाग-धब्बों और कई समस्याओं को कम कर सकता है। कटहल के बीज में ऐसे गुण और तत्व पाए जाते हैं जो त्वचा से कई संक्रमणों और बैक्टीरिया को दूर करने का काम करता है। आइये जानें इसके फायदे....झुर्रियां होती है कमकटहल के बीज की मदद से झुर्रियों को कम किया जा सकता है। इसके लिए कटहल के बीज में थोड़ा सा दूध और शहद साथ में लेकर अच्छी तरह से पीस लें। इस मिश्रण को अपनी त्वचा पर लगा लें और कुछ देर बाद गुनगुने पानी के साथ धो लें।त्वचा बनी रहती है चमकदारत्वचा की रंगत खो जाने के कारण आमतौर पर लोग अलग-अलग तरह के तरीकें अपनाते हैं जिससे की उनकी खोई हुई त्वचा की रंगत वापस आ सके। इसके लिए कटहल के बीज फायदा पहुंचा सकते हैं। कटहल में मौजूद पोषण त्वचा को स्वस्थ रखने के साथ चमक लाने का भी काम करते हैं।दाग-धब्बों से मिलेगा छुटकारादाग-धब्बे भी झुर्रियों की तरह के आम समस्या है जिसके कारण लोग अक्सर परेशान रहते हैं और बाजार में मौजूद ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते रहते हैं। कटहल के बीज की मदद से त्वचा पर आए दाग-धब्बों को हल्का किया जा सकता है।त्वचा रहती है हाइड्रेडत्वचा में ज्यादातर समस्या शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी न होने के कारण होती है, जिसके कारण त्वचा पर कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती है। इन सभी तरह की समस्याओं से बचाव के लिए जरूरी है कि अपनी त्वचा या शरीर में पर्याप्त नमी बनाए रखें। ऐसे ही शरीर को पूर्ण रूप से हाइड्रेड रखने के लिए कटहल के बीज भी काफी फायदेमंद है। कटहल के बीज में मौजूद पोषक तत्व इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने के साथ शरीर में नमी को बनाए रखता है। जब आप अपने शरीर में पर्याप्त नमी को बनाए रखते हैं तो इससे आपक कई गंभीर बीमारियों को दूर रखते हैं और खुद को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं। त्वचा में पर्याप्त मात्रा में नमी से आपकी त्वचा लंबे समय तक स्वस्थ और चमकदार बनी रह सकती है जिसकी कमी को कटहल के बीज पूरा कर सकते हैं।इसके अलावा कटहल के बीजों में विटामिन ए की भरपूर मात्रा होती है। यह बालों को टूटने से रोकने में मदद करता है। इन बीजों में प्रोटीन की भरपूर मात्रा बालों के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी होती है। इसके बीज आयरन से परिपूर्ण होने के कारण, खोपड़ी के रक्त परिसंचरण को बढ़ाते हैं।- कटहल के बीज डायट्री फाइबर से भरपूर होते हैं और इसमें कैलोरी भी कम होती है, अत: ये वजन कम करने में आपकी मदद करते हैं।- कटहल के बीज मैग्नीशियम, मैग्नीज जैसे तत्वों से भरपूर होते हैं जो हड्डियों में कैल्शियम अवशोषण में मददगार होते हैं। ये रक्त क थक्का जमने से रोककर रक्तसंचार में भी मदद करता है। इसके बीजों में काफी मात्रा में स्टार्च पाया जाता है, जो आपके शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। यह ऊर्जा के लिए बेहतरीन स्त्रोत है जो कि स्वादिष्ट भी है।-कटहल के यह बीज एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं, जो बढ़ती उम्र की गति धीमी करने के साथ्स ही आपको तनाव से भी दूर रखने में मददगार होते हैं।- कटहल के बीज में लिग्नेंस, आइसोफलेवोन्स, सैपनिन्स एवं अन्य लाभारी फायइटोन्यूट्रीएन्स पाए जाते हैं जो मानसिक व शारीरिक सेहत के लिए लाभकारी हैं।
- आज हर दूसरा व्यक्ति अपने झड़ते रूखे बालों से परेशान है। जिसकी वजह स्ट्रेस, हानिकारक केमिकल युक्त शैंपू या फिर खान-पान की गलत आदत जिम्मेदार हो सकती है। अगर आप भी इसी तरह की किसी समस्या से परेशान हैं तो अब टेंशन भूल जाइए। बालों से जुड़ी आपकी परेशानी दूर करने के लिए बॉलिवुड अभिनेत्री रवीना टंडन ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है। रवीना ने अपने इस वीडियों में बताया है कि कैसे आंवला से जुड़ा यह घरेलू नुस्खा हेयर फॉल रोकने के साथ बालों को सीधा करके आपके बालों की खोई चमक भी चंद दिनों में वापस लौटा सकता है। आइए जानते हैं क्या है यह जादुई नुस्खा।रवीना ने अपने वीडियो में हेल्दी बालों के लिए आंवले के सेवन के साथ उसका बालों में इस्तेमाल भी जरूरी बताया है। रवीना का कहना है कि 'अगर आपके बाल पतले हैं या झड़ रहे हैं तो आपको रोजाना कुछ आंवलों का सेवन जरूर करना चाहिए।'आंवला के फायदे-आंवला बालों की कोशिकाओं को बाहरी नुकसान से बचाने के साथ डैमेज्ड हेयर को भी रिपेयर करने का काम करता है। आंवले में विटामिन सी, ई, टैनिंस, फॉस्फोरस, आयरन और कैल्शियम अधिक मात्रा में पाया जाता है। आंवले में मौजूद विटामिन ई हेयर ग्रोथ को बूस्ट करने का काम करता है। जबकि विटामिन सी और अन्य ऑक्सीडेंट्स स्कैल्प को हेल्दी बनाए रखते हैं।कैसे बनाएं आंवला हेयर पैक-आंवला हेयर पैक बनाने के लिए सामग्री--6 आंवला-1 कप दूधकैसे बनाएं आंवला हेयर पैक-आंवला हेयर पैक बनाने के लिए सबसे पहले आंवला और दूध को एक बर्तन में डालकर उबाल लें। आंवलों को तब तक दूध में उबालें जब तक आंवला पककर मुलायम न हो जाए। इसके बाद मिश्रण को आंच से उतारकर ठंडा होने दें। ठंडे आंवले को अच्छी तरह से मसलकर उसकी गुठली निकालकर फेंक दें।आंवला हेयर पैक बालों में लगाने के लिए तैयार है। इस मिश्रण को स्कैल्प में अच्छी तरह से लगाकर बालों की अच्छी तरह से मसाज करें। करीब 15 मिनट तक इस पैक को अपने बालों में लगा रहने दें। इसके बाद बालों को गुनगुने पानी से धो लें। इस हेयर पैक की सबसे अच्छी चीज है कि इस हेयर पैक को बालों में लगाने के बाद शैंपू इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ती है।आंवला का खट्टापन बालों में जमा धूल मिट्टी निकाल देता है। जबकि दूध बालों को मुलायम बनाने के साथ ही पोषण प्रदान करता है। इस हेयर पैक को हफ्ते में दो बार लगाना चाहिए।
- कई बार ऐसा होता है कि हमारे चेहरे पर ग्लो तो होता है, लेकिन दाग-धब्बे और झाईयां हमारे चेहरे की नेचुरल सुंदरता को कुछ कम कर देते हैं। वहीं, दाग-धब्बे दूर करने के लिए आप कई जतन करते हैं, लेकिन यह जिद्दी निशान आपके चेहरे से हटने का नाम ही नहीं लेते। आज हम आपको इस समस्या से निजात दिलाने के लिए एक ऐसा उपाय बता रहे हैं जिससे आपके चेहरे के दाग-धब्बे जरूर साफ हो जाएंगे। शहद सेहत के लिहाज से ही नहीं बल्कि ब्यूटी सीक्रेट्स में भी इस्तेमाल किया जाता है।इन गुणों से भरा होता है शहदशहद में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन ए, बी, सी, आयरन, मैगनीशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सोडियम आदि गुणकारी तत्व होते हैं। यह कार्बोहाइड्रेट का भी प्राकृतिक स्रोत है, इसलिए इसके सेवन से शरीर में शक्ति, स्फूर्ति और ऊर्जा आती है और यह रोगों से लडऩे के लिए शरीर को शक्ति देता है।पुराने दाग-धब्बों पर कारगरआप कच्चे शहद को जले हुए निशान पर लगा सकती हैं, क्योंकि शहद में एंटीसेप्टिक और हीलिंग गुण होते हैं। नियमित रूप से जले पर शहद लगाने से दाग जल्दी गायब हो जाते हैं। आप शहद को मलाई, चंदन और बेसन के साथ मिलाकर फेस पैक के रूप में भी इस्तेमाल कर सकती हैं। यह मास्क चेहरे की अशुद्धियों को हटाता है और त्वचा को मुलायम और चिकना भी बनाता है। आपके चेहरे पर अगर कोई पुराना दाग या झाईयां हैं, तो आप इस उपाय को फॉलो करके उनसे निजात पा सकते हैं। वहीं शहद में हल्दी मिलाकर लगाने से चेहरे में गजब का ग्लो आता है।
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बढ़ते वजन से छुटकारा पाने के लिए अगर आप योगा, एक्सरसाइज, वॉक और जॉगिंग जैसे सभी विकल्प अपनाकर थक चुके हैं तो अब एक्यूप्रेशर की मदद लेकर देखिए। मोटापा घटाने और बढ़ते वजन को कम करने में एक्यूप्रेशर बेहद कमाल की भूमिका निभाता है। दरअसल, व्यक्ति के शरीर में कुछ खास बिंदु होते हैं जिन्हें दबाने से बड़ी आसानी से कई किलो वजन कम किया जा सकता है। आइए जानते हैं कौन से हैं वो खास बिंदु।
नाभि के नीचे बिंदु-
नाभि के 1 इंच नीचे एक बिंदु होता है। इस बिंदु को दो अंगुलियों से 2 मिनट के लिए दबाएं या मालिश करें। ऐसा करने से न केवल गैस दूर होती है बल्कि पाचन शक्ति बेहतर होती है।
कोहनी के पास स्थित बिंदु-
कोहनी के पास स्थित बिंदु को अगर दबाया जाए तो न सिर्फ शरीर का तापमान नियंत्रित होता है बल्कि यह मोटापे को कम करने में भी मदद करता है। रोजाना 1 मिनट तक नियमित रूप से इस बिंदु को दबाने से शरीर की गर्मी और जरूरत से ज्यादा पानी निकालने में भी मदद मिलती है।
नाक और होंठ के बीच में बना बिंदु-
नाक और होंठ के बीच में स्थित बिंदु को दबाने से ना सिर्फ तनाव दूर होता है बल्कि इससे मोटापे की समस्या भी दूर होती है। इस बिंदु को दबाने से तनाव संबंधित हॉर्मोन भी संतुलित रहते हैं।
कान के बीच में स्थित बिंदु-
कान के बीच में स्थित बिंदु को एक्यूप्रेशर में केंद्र बिंदु भी कहा जाता है। इस बिंदु को अपनी अंगुली की मदद से 1 या 2 मिनट तक दबाने से आप अपने बढ़ते वजन को कम कर सकते हैं। इस बिंदु पर जब दबाव पड़ता है तो व्यक्ति की भूख भी नियंत्रित होती है। - आयुर्वेद में वसाका यानी अडूसा के पत्तों का इस्तेमाल कई बीमारियों के उपचार में किया जाता है। यह भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के कई देशों में होता है। यह एक द्विबीजपत्री झाड़ीदार पौधा है, जो एकेन्थेसिया परिवार का है। इसकी पत्तियां, फूल, जड़ और छाल सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। आयुर्वेद में ही नहीं, बल्कि यूनानी चिकित्सा में भी अडूसा के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। गठिया दर्द, सर्दी जुकाम और अल्सर जैसी समस्याओं में यह दवा कारगर साबित हो सकता है। इसकी पत्तियों का इस्तेमाल कई दवाइयों में किया जाता है। आइए जानते हैं अडूसा के पत्तों से होने वाले फायदे-गठिया दर्द में राहतअडूसा के पत्तों के इस्तेमाल से आप गठिया के पुराने से पुराने दर्द को ठीक कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल करने के लिए अडूसा के पत्तों को अच्छी तरह से पीस लें। इस पेस्ट को लेप की तरह अपने दर्द वाले हिस्से पर लगाएं। इससे आपको काफी राहत मिल सकता है। अडूसा के पत्तों में जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं, तो सूजन और दर्द को ठीक कर सकते हैं। यह गठिया के दर्द को ही नहीं, बल्कि यूरीक एसिड की समस्याओं को भी ठीक करने में गुणकारी होता है। इसके अलावा घाव होने पर भी आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।ब्रीथिंग प्रॉब्लम को करे दूरबढ़ते प्रदूषण की वजह से सांस से संबंधी समस्याएं भी काफी ज्यादा बढ़ रही हैं। ऐसे में आप नियमित रूप से अडूसा के पत्तों का सेवन करके सांस से संबंधी समस्याओं को ठीक कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल करने के लिए अडूसा के पत्तों से आधा चम्मच रस निकालें। इसमें थोड़ी सी मात्रा में शहद मिलाएं। इसके बाद इसका सेवन करें। इससे खांसी और सांस से जुड़ी समस्याएं ठीक हो जाएंगी।मुंह के छालों को करता है ठीकपेट की गड़बड़ी की वजह से मुंह में छालों की समस्या हो सकती है। अगर आपको अक्सर मुंह में छाले की शिकायत रहती है, तो अडूसा के पत्तों का इस्तेमाल करें। मुंह में छाले होने पर अडूसा के पत्तों को चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा मसूड़ों में दर्द और मुंह से आने वाली बदबू को भी ठीक करने में यह आपकी मदद कर सकता है। पत्तियों के अलावा आप इसकी टहनियों का इस्तेमाल दातुन के रूप में कर सकते हैं।सूखी खांसी से छुटकारासूखी खांसी में भी अडूसा के पत्तों का आप इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले अडूसा की कुछ पत्तियां लें, इसमें 5-6 मुन्ना और थोड़ी सी मात्रा में मिश्री मिलाकर इसका काढ़ा तैयार करें। इस काढ़े के सेवन से सूखी खांसी की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।सिर दर्द से छुटकाराअगर आप सिर दर्द की समस्या से काफी ज्यादा परेशान हैं, तो अडूसा आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए सबसे पहले अडूसा के 3-4 फूल लें। इसे सूखाकर इसका चूर्ण तैयार करें। इसमें थोड़ी सी मात्रा में गुड़ मिलाएं। दिन में 2 से 3 बार इसका सेवन करने से सिर दर्द की समस्या से राहत पाया जा सकता है।ब्लीडिंगनाक से ब्लीडिंग या फिर किसी अन्य आंतरिक रक्तस्त्राव की शिकायत होने पर आप अडूसा के पत्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले 5 ग्राम अडूसा की पत्तियां लें। इसमें 5 ग्राम हरतकी, और 5 ग्राम विटिस विनीफेरा मिलाएं। अब इन सभी चीजों को पानी में अच्छी तरह से उबालकर काढ़ा तैयार करें। इस पानी को तबतक उबालें, जब तक यह 100द्वद्य ना रहे जाए। इस काढ़े में 1 चम्मच शहद मिलाकर इसका दिन में 2 बार सेवन करें। इससे रक्त स्त्राव की शिकायत दूर हो जाएगी।शरीर से अपशिष्ट पदार्थ को करता है खत्मशरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में भी अडूसा की पत्तियां फायदेमंद हो सकती हैं। शरीर में नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट पदार्थों को दूर करने में यह गुणकारी होता है।अडूसा के नुकसानअगर आप किसी अन्य दवाइयों का सेवन कर रहे हैं, तो डॉक्टर्स की सलाह के बिना इसका सेवन ना करें।डायबिटीज रोगियों को इसका सेवन करने से पहले विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।1 वर्ष से छोटे बच्चों के लिए यह सुरक्षित नहीं होता है। गर्भवती महिलाओं को भी इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए।अगर आप अदरक के साथ अडूसा के पत्ते लेते हैं, तो आपको उल्टी, दस्त जैसी शिकायत हो सकती है।
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हम अक्सर मिश्री यूं ही खा लेते हैं। मिश्री का स्वाद अधिकतर लोगों को पसंद भी होता है क्योंकि यह मुंह में मिठास घोल देता है। मिश्री का सेवन बच्चों के साथ ही बड़े भी करते हैं। कई सारे लोग तो मिठाइयों में शक्कर की जगह मिश्री डालना ज्यादा उचित समझते हैं। मिश्री खाने के लिए कोई मना भी नहीं करता क्योंकि मिश्री में ओषधीय गुण पाए जाते हैं, जो कि कई सारी समस्याओं का उपचार करते हैं। मिश्री की तासीर शीतल होती है, शरीर में जब भी गर्मी महसूस हो तो इसका सेवन करने से शरीर का तापमान खुद-ब- खुद सामान्य हो जाता है। अगली स्लाइड्स से जानिए मिश्री खाने से होने वाले फायदों के बारे में।
डायरिया की समस्या में मिश्री खाना बहुत लाभकारी होता है। डायरिया की समस्या से यदि आप छुटकारा पाना चाहते हैं और सोचते हैं कि आगे भी आपको ये बार- बार न हो तो 10 ग्राम मिश्री लें, उसका पाउडर बना लें और उसमें 10 ग्राम धनिया पाउडर मिलाएं। फिर इन दोनों चीजों को एक ग्लास पाउडर में डाल दें। इस मिश्रण को दिन में 3 बार पानी में डाल-डालकर पिएं, जल्द ही आपकी समस्या जड़ से ठीक हो जाएगी।
कई सारे लोगों को नाक में से खून आता है। गर्मियों में तो ये समस्या बहुत ही बढ़ जाती है। इसलिए जब भी यह समस्या हो तो मिश्री का सेवन करें। मिश्री की तासीर शीतल होती है, जो कि इस समस्या में राहत दिलाने से सहायता करती है। इसलिए गर्मियों के आते ही मिश्री का सेवन शुरू कर दें। भले ही पाउडर बनाकर पानी में लें या ऐसे ही खा लें। धीरे- धीरे आपके शरीर में खुद- ब- खुद ठंडक आ जाएगी।
मानसिक सेहत को अच्छा रखने के लिए गर्म दूध में मिश्री का सेवन करें। यदि आपकी याद्दाश्त कमजोर है तो हर रात मिश्री को गर्म दूध में डालकर पिएं। मानसिक सेहत को बेहतर बनाने के लिए जो गिनी- चुनी औषधियां हैं, उनमें से मिश्री एक है। पढऩे वाले बच्चों को नियमित रूप से मिश्री का सेवन करना चाहिए। अवसाद की स्थिति में भी इसका सेवन करते रहना चाहिए। परिणाम आप खुद देख सकेंगे।
यदि आप बहुत अधिक कंप्यूचर पर काम करते हैं, तब तो बहुत जरूरी है कि आप मिश्री का सेवन भी नियमित रूप से करें। मिश्री खाने से आंखों की रोशनी खराब नहीं होती है। कहा जाता है कि मोतियाबिंद जैसी समस्याओं में भी मिश्री खाना लाभदायक है। मिश्री खाने से आंखें न तो कमजोर होती है और न ही चश्मा लगने की नौबत आती है। इसलिए दिन में दो से तीन बार इसका सेवन अवश्य करें।
- कुश एक प्रकार की घास है। कुश का प्रयोग प्राचीन काल से चिकित्सा एवं धार्मिक कार्य में किया जा रहा है। प्राचीन आयुर्वेदिक संहिताओं तथा निघंटुओं में इसका वर्णन प्राप्त होता है। चरक-संहिता के मूत्रविरेचनीय तथा स्तन्यजनन आदि महाकषायों में इसकी गणना की गयी है। इसके अतिरिक्त सुश्रुत-संहिता में भी कई स्थानों में कुश का वर्णन मिलता है।कुश मीठा, कड़वा, ठंडे तासीर का, छोटा, स्निग्ध, वात, पित्त कम करने वाला, पवित्र, तथा मूत्रविरेचक होता है। यह मूत्रकृच्छ्र मूत्र संबंधी बीमारी, अश्मरी या पथरी, तृष्णा या प्यास, प्रदर, रक्तपित्त , शर्करा, मूत्राघात या मूत्र करने में रुकावट, रक्तदोष, मूत्ररोग, विष का प्रभाव, विसर्प या हर्पिज़, दाह या जलन, श्वास या सांस लेने में असुविधा, कामला या पीलिया, छर्दि या उल्टी, मूच्र्छा या बेहोशी तथा बुखार कम करने में मदद करता है। कुश की जड़ शीतल प्रकृति की होती है।कुश के फायदेकुश घास के अनगिनत गुणों के आधार पर इसको आयुर्वेद में कई बीमारियों के लिए औषधि के रुप में प्रयोग किया जाता रहा है।प्यास लगने की परेशानी करे कमकभी-कभी किसी बीमारी के लक्षण के तौर पर प्यास की अनुभूति ज्यादा होती है। कुश का इस तरह से सेवन करने पर मदद मिलती है। समान भाग में बरगद के पत्ते, बिजौरा नींबू का पत्ता, वेतस का पत्ता, कुश का जड़, काश का जड़ तथा मुलेठी से सिद्ध जल में चीनी अथवा अमृतवल्ली का रस डालकर, पकाकर, ठंडा हो जाने पर पीने से तृष्णा रोग या प्यास लगने की बीमारी से राहत मिलती है।पेचिश रोके कुशअगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का नाम ही नहीं ले रहा तो ये घरेलू उपाय बहुत काम आयेगा। दो चम्मच कुश के जड़ के रस को दिन में तीन बार पीने से प्रवाहिका तथा उल्टी से आराम मिलता है।दस्त से आरामडायट में गड़बड़ी हुई कि नहीं दस्त की समस्या शुरु हो गई। कुश का औषधीय गुण दस्त को रोकने में मदद करता है।बवासीर के परेशानी से दिलाये आरामअगर ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने की आदत है तो पाइल्स के बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। उसमें कुश का घरेलू उपाय बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। 2-4 ग्राम बला तथा कुश के जड़ के काढ़ा (2-4 ग्राम) को चावल के धोवन के साथ सेवन करने से अर्श या पाइल्स तथा प्रदर (लिकोरिया) रोग जन्य , रक्तस्राव या ब्लीडिंग से जल्दी आराम मिलता है। कुशा का महत्व औषधी के रूप में बहुत काम आता है।किडनी स्टोन को निकालने में करे मददआजकल के प्रदूषित खाद्द पदार्थ के कारण किडनी में स्टोन होने के खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। कुश का सेवन पथरी को निकालने में सहायता करता है। 5 ग्राम कुशाद्य घी का सेवन करने से अश्मरी या स्टोन टूट कर बाहर निकल जाता है। वहीं कुश आदि वीरतरवादि गण की औषधियों के काढ़े (10-20 मिली) तथा रस (5 मिली) आदि का सेवन करने से अश्मरी, मूत्रकृच्छ्र (मूत्र संबंधी रोग) तथा मूत्राघात की वेदनाओं तथा वात से बीमारियों से राहत मिलती है।मूत्र संबंधी परेशानियों से दिलाये छुटकारा कुशमूत्र संबंधी बीमारी में बहुत तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे- मूत्र करते वक्त दर्द या जलन होना, मूत्र रुक-रुक कर आना, मूत्र कम होना आदि। कुश इस बीमारी में बहुत ही लाभकारी साबित होता है। कुश, कास, गुन्द्रा, इत्कट आदि दस मूत्रविरेचनीय महाकषाय की औषधियों के जड़ से बने काढ़े (10-20 मिली) का सेवन करने से मूत्रकृच्छ्र में लाभ होता है।मोटापा घटाने में करे मदद कुशआजकल के असंतुलित जीवनशैली के कारण वजन बढऩे की समस्या आम हो गई है। कुश की जड़ आँवला का काढ़ा और साँवा के चावलों से निर्मित जूस का सेवन करने से शरीर का रूखापन तथा मोटापा कम होता है।
- पेट के लिए दही बहुत लाभकारी माना जाता है।। सुबह और दोपहर में दही खाने से शरीर को बहुत से लाभ मिलते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि दही जमाने से पहले यदि इसमें किशमिश डाल दिया जाए, तो शरीर को क्या -क्या लाभ मिलता है। सबसे पहले जाने दही-किशमिश जमाने का तरीका....सामग्री- 1 कटोरी फ्रेश और शुद्ध दूध, जामन के लिए थोड़ी सी दही और किशमिशविधि- एक कटोरी हल्का गर्म दूध लें। इसमें 4-5 किशमिश मिलाएं। अब इसमें दही के पानी की कुछ बूंदें डालें। चाहे को इसमेंं छाछ मिला दें। अब इसे अच्छी तरह से मिक्स कर लें। अब इसे ढंककर करीब 8-12 घंटे के लिए सेट होने के लिए छोड़ दें। जब ऊपरी परत मोटी दिखाई देती है, तो समझ लें कि आपकी दही तैयार है। इसे दोपहर के भोजन के करीब 2-3 मिनट बाद लें।किशमिश दही खाने के फायदेसभी जानते हैं कि दही स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है। यह हमारे शरीर के लिए प्रोबायोटिक के रूप में कार्य करता है। वहीं इसमें यदि किशमिश मिला दिया जाए तो इसके फायदे बढ़ जाते हैं क्योंकि किशमिश में घुलनशील फाइबर की उच्च मात्रा होती है। दही के साथ मिलकर यह एक प्रीबायोटिक के रूप में कार्य करता है। दही-किशमिश खाने से मिलते हैं ये फायदे...-शरीर में खराब बैक्टीरिया को करता है बेअसर।-गुड बैक्टीरिया का शरीर में करता है विकास-आंतों में सूजन को करता है कम-दांतों और मसूड़ों को रखता है स्वस्थ-हड्डियों और जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए होता है बेहतर-कोलेस्ट्रॉल का स्तर कंट्रोल में रहता है।-बल्ड प्रेशर को कम करने में होता है मददगार।- वजन घटाने में है असरदार-कब्ज की समस्या नहीं रहती।इसलिए जब कभी आप दही जमाएं तो इसमें किशमिश अवश्य डाल दें और नये स्वाद के साथ सेहतमंद दही खाएं।---
- मेथी के दानों में कई लाभकारी गुण छिपे होते हैं। यह खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ सेहत को भी दुरुस्त रखने में हमारी मदद करता है। झड़ते बालों से लेकर पेट की चर्बी को कम करने में मेथी बहुत ही असरकारी होता है। आयुर्वेद में भी इसका इस्तेमाल काफी सालों से किया जा रहा है। मेथी का इस्तेमाल हम मेथी के बीज, मेथी के पत्ते और अंकुरित मैथी के रूप में कर सकते हैं। यह हर एक रूप में हमारे लिए गुणकारी हो सकता है। अंकुरित मेथी का उपयोग खासतौर पर डायबिटीज, मोटापा, दिल से संबंधित बीमारी, थायराइड, ब्लड प्रेशर इत्यादि बीमारी को कंट्रोल करने के काम आता है।सर्दियों में बालों में होने वाले डैंड्रफ से छुटारा दिलाने में मेथी बहुत ही मददगार साबित हो सकता है। यह आपकी बालों से जुड़ी तमाम समस्याओं और स्किन की खूबसूरती को बढ़ाने में मददगार होता है। मेथी को अंकुरित फार्म में खाने से इसके गुण काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं। अंकुरित मेथी में फाइबर, विटामिन ए और कैल्शियम काफी ज्यादा हाई हो जाता है, जो शरीर के लिए फायदेमंद है। इतना ही नहीं अंकुरित मेथी में फोटोकेमिकल्स नामक तत्व बढ़ जाता है, जो पोषक तत्वों के गुणों को हाई करने में आपकी मदद करता है। अंकुरित मेथी का सेवन ज्यादा गुणकारी साबित हो सकता है। पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।डायबिटीज करे कंट्रोलअंकुरित मेथी के सेवन से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। इसके सेवन से शरीर में इंसुलिन का उत्पादन बढ़ता है। कई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि अंकुरित मेथी के सेवन से ब्लड में अतिरिक्त शुगर लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है। मेथी में भरपूर रूप से एमिनो एसिड होता है, जो मधुमेह रोगियों के शरीर में इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाता है।वजन करे कंट्रोलअंकुरित मेथी के सेवन से आप अपना वजन कंट्रोल कर सकते हैं। मेथी में गैलेक्टोमैनन नामक पॉलिसाक्साइड भरपूर रूप से होता है, जो भूख को कंट्रोल करने में शरीर की मदद कर सकता है। इसके अलावा मेथी में लगभग 75 फीसदी घुलनशील फाइबर होता है, जो आपके डायजेशन सिस्टम को ठीक करने में आपकी मदद करता है। साथ ही शरीर से अतिरिक्त वसा को कम करने में मददगार होता है। सुबह खाली पेट अंकुरित मेथी खाएं, इससे पेट की चर्बी तेजी से कम होगी। इसके अलावा डिनर के करीब आधे घंटे बाद अंकुरित मेथी खाएं। यह आपके लिए गुणकारी साबित हो सकता है।दिल संबंधी समस्याओं के लिए सुरक्षितमेथी कार्डियोवैस्कुलर लाभ दिलाने में मददगार होता है। अंकुरित मेथी के सेवन से कोलेस्ट्रॉल लेवल संतुलित रहता है, जो हार्ट अटैक के खतरे को कम करने में मददगार साबित होता है। यह शरीर के ब्लड से ट्राइग्लिसराइड्स नामक फैट के लेवल को कम करने में मददगार होता है, जो दिल से संबंधित समस्याओं को बढ़ाने में कारगर होता है। इसमें पोटेशियम नामक तत्व मौजूद होता है, जो शरीर में उपस्थित सोडियम लेवल को नियंत्रित करता है। इससे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जा सकता है।पाचन शक्ति को दुरुस्त करेपाचन शक्ति को दुरुस्त करने में अंकुरित मेथी मददगार साबित हो सकता है। अंकुरित मेथी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो पेट के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम को ठीक करने में मददगास होता है। इसके साथ ही इससे इम्युन सिस्टम भी मजबूत रहता है। मेथी और अंकुरित मैथी के दाने में सैपोनिन नामक तत्व होता है, जो आंत और पेट के लिए सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है। यह पेट को हानिकारण बैक्टीरिया से बचाव करता है। अंकुरित मेथी में बी कॉम्पलेक्स हाई हो जाता है, जो पेट से जुड़ी समसस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है। इसके सेवन से पेट फूलना, दस्त, गैस की समस्या इत्यादि परेशानियों से राहत मिलती है।डैंड्रफ की समस्या करे दूरकामिनी ने बताया कि सर्दियों में हेयर फॉल और डैंड्रफ की समस्या काफी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में अंकुरित मेथी के सेवन से डैंड्रफ की परेशानी को दूर कर सकते हैं।आयरन की कमी करे दूरअंकुरित मेथी के दाने में आयरन की मात्रा काफी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में अगर आप अंकुरित मेथी के दानों का सेवन करते हैं, तो शरीर में आयरन की कमी दूर होगी। ऐसे में आप नियमित रूप से अंकुरित मेथी के दानों का सेवन सलाद के रूप में करें।
- संतरे का सेवन हमारे स्वस्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता है। लेकिन इससे सेहत को कुछ नुकसान भी होते हैं। आइए जानते हैं संतरा खाने के नुकसान....सर्दियों के मौसम में संतरा का स्वाद लेना बहुत ही आम बात है। संतरा विटामिन सी का प्रमुख स्त्रोत होता है। इसके सेवन से सेहत को कई फायदे होते हैं। कोरोनाकाल में इम्यून सिस्टम को बेहतर करने के लिए विटामिन सी लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे में संतरा हमारे लिए फायदेमंद साबित होता है। इसके साथ ही संतरे में कैलोरी भी काफी कम होता है, जो वजन को कम करने में मददगार है। एक और जहां संतरा खाने से सेहत को कई फायदे होते हैं, वहीं यदि इसका जरूरत से ज्यादा सेवन किया जाए तो यह सेहत को नुकसान भी पहुंचाता है।इन बातों का रखें खयाल-संतरे को हमेशा दिन में खाएं। शाम के वक्त या फिर रात के समय संतरा खाने से परेशानी हो सकती है। दरअसल, संतरे की तासीर ठंडी होती है। ऐसे में अगर रात में या शाम में संतरा खाया जाता है तो सर्दी-जुकाम जैसी परेशानी हो सकती है। विटामिन सी के साथ-साथ संतरे में फाइबर, , कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस इत्यादि पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये सभी तत्व फायदेमंद होते हैैं, लेकिन संतरा खाने से कुछ नुकसान भी होते हैं। आइए जानते हैं इस बारे में-पाचन क्रिया से संबंधित परेशानी होने परपाचन संबंधी परेशानी होने पर संतरा का सेवन ना करें। इसके साथ ही संतरा का अधिक सेवन करने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। दरअसल, संतरे में फाइबर की अधिकता होती है। फाइबर हमारे शरीर के लिए काफी अच्छा होता है, लेकिन अगर ज्यादा संतरा खाया जाए तो यही फाइबर पेट संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकता है। संतरा के अधिक सेवन से पेट में ऐंठन, दस्त, अपच जैसी परेशानी हो सकती है। अधिक फाइबर के सेवन से डायरिया की शिकायत हो सकती है।दांत हो सकते हैं खराबअधिक संतरा खाने से दांतों से संबंधित परेशानी हो सकती है। दरअसल, संतरे में एसिड होता है, जो दांतों के इनेमल में मौजूद कैल्शियम के साथ मिलता है, तो वैक्टीरियल इंफेक्शन कर सकता है। इसकी वजह से दांतों में कैविटी की परेशानी हो सकती है। इससे दांत धीरे-धीरे खराब होने लगते हैं।बढ़ा सकती है एसिडिटी समस्याएंसंतरा में एसिड होता है। अगर अधिक मात्रा में संतरे का सेवन किया जाए तो एसिडिटी की परेशानी हो सकती है। एसिडिटी होने से सीने और पेट में जलन की परेशानी बढ़ सकती है।छोटे बच्चों को हो सकता है पेट दर्दशिशुओं को संतरा का सेवन नहीं कराना चाहिए क्योंकि संतरे में मौजूद एसिड से उनको पेट से संबधित परेशानी हो सकती है।इसके अलावा हार्ट अटैक के मरीजों को भी संतरा का सेवन कम करना चाहिए।खाली पेट सेवन न करेंविशेषज्ञों के अनुसार खाली पेट संतरा का सेवन नहीं करना चाहिए, इससे पेट से संबंधित कई परेशानियां हो सकती हैं। दरअसल, संतरे में अमिनो एसिड होता है, जिसका खाली पेट सेवन करने से पेट में काफी ज्यादा गैस बनने लगती है।
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जैतून का तेल सेहत के लिए अच्छा है। इससे न केवल औषधियां बनाई जाती हैं बल्कि यह भारतीय रसोई में खाने में भी प्रयोग किया जाता है। इससे कई सौंदर्य प्रोडक्ट्स भी बनाए जाते हैं। इसमें विटामिंस, फैटी एसिड आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह न केवल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है बल्कि इससे मधुमेह, हड्डियों में मजबूती, कैंसर आदि को भी दूर रखा जा सकता है। जैतून का तेल शरीर को ठंडक पहुंचाता है। चूंकि इसकी तासीर ठंडी होती है इसलिए इसका ज्यादातर प्रयोग गर्मियों में किया जाता है।
जैतून के तेल के फायदेकोलेस्ट्रोल को कम करेंशरीर में पाए जाने वाले एलडीएल, कोलेस्ट्रॉल को कम करने में जैतून का तेल बेहद सहायक है। एलडीएल धमनी में संकुचन पैदा करता है। ऐसे में जैतून का तेल एचडीएल यानि उच्च लिपॉप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और स्ट्रोक, दिल का दौरा आदि को रोकता है।मधुमेह के रोगियों के जैतून का तेलजैतून के तेल से मधुमेह रोगियों को फायदा मिलता है। यह शुगर की शुरुआत को रोक देता है साथ ही जैतून के तेल से ट्राइग्लिसराइड का स्थर बना रहता है। अगर आप टाइप टू डायबिटीज के रोगी हैं तो आप अपने डाइट में जैतून के तेल के 2 बड़े चम्मच को शामिल करें इससे खतरा दूर हो सकता है।हड्डियों के लिए फायदेमंद है जैतून का तेलजो लोग जैतून के तेल से बना भोजन खाते हैं उनकी हड्डियां स्वस्थ रहती हैं और मजबूत होती हैं। जैतून का तेल ऑस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियों के कमजोर होने की समस्या को भी दूर रखता है। ऐसे में आप जैतून के तेल से हड्डी की मालिश भी कर सकते हैं और अपने खाने में जैतून के तेल को जोड़ सकते हैं।वजन घटाने में जैतून के तेल है मददगारअगर जैतून के तेल को सही मात्रा में लिया जाए तो वजन घटाने में आपके काम आ सकता है। वजन और पेट की चर्बी को कम करने के लिए मोनोसैचुरेटेड फैट जरूरी होता है। ऐसे में अगर आप जैतून के तेल का प्रयोग करते हैं तो इसकी पेट जल्दी भर जाता है और आपको भूख कम लगती है।चेहरे के लिए फायदेमंद है जैतून का तेलजैतून का तेल मॉइश्चराइजर का काम भी करता है। इसके अंदर विटामिन ए और विटामिन ई भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही ये फैटी एसिड का स्रोत है ऐसे में यह त्वचा को चिकना और नरम बनाए रखने में मददगार है। जैतून के तेल से न केवल त्वचा की बढ़ती उम्र रुक जाती है बल्कि यह झुर्रिर्यों और फाइन लाइंस को कम करने में मददगार है। अगर आप स्ट्रेच माक्र्स से परेशान हैं तो जैतून के तेल से छुटकारा मिल जाता है।बालों को सुंदर बनाए जैतून का तेलजैतून के तेल के अंदर फैटी एसिड पाया जाता है। इसके अलावा उसके अंदर विटामिन और कई एंटीऑक्सीडेंट तत्व मौजूद हैं जो डैमेज बालों और रूखे बालों में नमी बनाए रखने के लिए बेहद मददगार हैं। जैतून के तेल से दो मुहें बाल, घुंघराले बालों की समस्या भी दूर हो जाती है। यह बालों की जड़ों को मजबूत बनाए रखता है।उच्च रक्तचाप में फायदेमंद है जैतून का तेलजो लोग हाई बीपी से परेशान रहते हैं या उसके लिए तरह-तरह की दवाइयों का सेवन करते हैं उन्हें बता दें कि वह जैतून के तेल को आजमाएं। जैतून के अंदर मौजूद ओलिक एसिड रक्तचाप को कम करने में बेहद मददगार है।जैतून के तेल से सेहत को नुकसान-अगर त्वचा पर जैतून का तेल अधिक मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है तो इससे त्वचा पर मुहांसे की समस्या की शिकायत हो सकती है। अगर आपकी त्वचा ऑयली है तो इससे चेहरे पर चिपचिपाहट और जलन, लालिमा आदि समस्याएं हो सकती हैं। जिन लोगों की त्वचा ज्यादा रूखी है तो उनके लिए भी जैतून का तेल फायदेमंद नहीं है क्योंकि यह प्राकृतिक नमी को खत्म कर सकता है।-जैतून का तेल ब्लड प्रेशर को कम कर सकता है। ऐसे में यह पूरे शरीर के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। - - जानिए पालक की कढ़ी बनाने की स्वादिष्ट और हेल्दी रेसिपीबूंदी और बेसन के पकोड़े की कढ़ी तो आपने बहुत खाई होगी, लेकिन आज हम आपको पालक की कढ़ी के फायदे बताने जा रहे हैं। यह स्वादिष्ट होने के साथ ही स्वास्थ्यवर्धक भी है। ठंड के मौसम में आपको पालक बहुत ही आसानी से मिल जाती है। ऐसे में कई लोग सर्दियों में पालक का सूप काफी ज्यादा पीते हैं, लेकिन आज हम आप को पालक की कढ़ी के फायदे बताने जा रहे हैं।कई गुणों से भरी है पालक की कढ़ीपालक कई गुणों से भरपूर होती है। पालक में विटामिन-ए, विटामिन बी 2, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के, सेलेनियम, कैल्शियम, प्रोटीन फास्फोरस, मैग्नीशियम, जस्ता, मैंगनीज, फाइबर और फोलेट जैसे तत्व भरपूर होते हैं। पालक के सेवन से हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम बेहतर होता है। इसके साथ ही पालक कढ़ी में बेसन होता है। बेसन के सेवन से आपका वजन कंट्रोल में रहता है। साथ ही इसमें मैग्नीशियम, फोलेट, जिंक और मैग्नीज जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके साथ ही आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम और पोटेशियम भी बेसन में होता है। कढ़ी में दही को मिक्स किया जाता है। दही भी हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। इसमें प्रोटीन, राइबोफ्लेविन, कैल्शियम, विटामिन बी 6 और विटामिन बी 12 जैसे पोषक तत्वों होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहतर होते हैं।वजन नियंत्रित करेपालक से तैयार कढ़ी में कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है। यह एक ऐसा आहार है, जिससे वजन घटाने में सहायता मिलती है या फिर वजन नियंत्रित रहता है।कैंसर से बचाव में फायदेमंदकैंसर से बचाव में पालक की कढ़ी फायदेमंद हो सकती है। पालक में बीटा कैरोटीन और विटामिन-सी समृद्ध रूप से होता है, ये दोनों पोषक तत्व शरीर में विकसित हो रही कैंसर की कोशिकाओं से शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है।बढ़ती है आंखों की रोशनीपालक का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता है। पालक में विटामिन ए भरपूर रूप से होता है, जो आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद है।आयरन की कमी होगी दूरपालक की कढ़ी का सेवन करने से शरीर में आयरन की कमी दूर होती है।कैसे तैयार करें पालक की कढ़ीसामग्री- 2 कप कटी हुई पालक, हरी मिर्च- 3 से 4, 2 कप छाछ या दही, आधा कप बेसन, जीरा - आधा चम्मच, मेथी दाना - 1 चुटकी, हल्दी पाउडर - आधा चम्मच, लाल मिर्च स्वादानुसार हींग - 1 चुटकी, नमक स्वादानुसार, तेलविधि -सबसे पहले पालक को अच्छी तरह धो लें। अगर आप कढ़ी में दही डाल रहे हैं, तो इसे अच्छी तरह फेंटें। फेटी हुई दही या छाछ में बेसन मिलाएं। अब एक कड़ाही में तेल को गर्म करें। इसमें जीरा और मेथी डालें और फिर इसमें हरी मिर्च, हींग, हल्दी पाउडर डालकर कुछ सेकंड के लिए पकाएं। अब कड़ाही में पालक डालकर अच्छी तरह मिलाएं। अब पानी डालकर इसे कुछ समय के लिए पकाएं। अब घोले हुए छाछ और दही में नमक और लाल मिर्च पाउडर डालें। सब्जी पकने के बाद इसमें फेटी हुई दही मिलाकर अच्छे से उबलने दें। कढ़ी अच्छी तरह पकने पर आंच से उतार लें और सर्व करें।--
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हमारे देश में पीपल के पेड़ का बहुत ही महत्व होता है। कई लोग इस पेड़ की पूजा करते हैं। वहीं, वनस्पति विज्ञान और आयुर्वेदिक क्षेत्रों में भी इसका महत्व है। पीपल के पेड़ को सबसे अधिक ऑक्सीजन देने वाला पेड़ माना जाता है। इसकी पत्तियों में कई ऐसे गुण छिपे हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। पीपल की पत्तियां और फल का सेवन कई लोग करते हैं।
आंखों के दर्द से मिलेगी राहतअगर आपके आंखों में जलन और दर्द की परेशानी है, तो आप पीपल की पत्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। पीपल की पत्तियों से आंखों को आराम मिलेगा। आंखों की समस्या से राहत पाने के लिए आप पीपल की पत्तियों को दूध में मिलाएं और इसे उबालें। इस दूध को पीने से आंखों की समस्या से आपको काफी राहत मिलेगा। इसके अलावा आप पीपल की पत्तियों को पीसकर आंखों में लगाएं। इससे आपकी आंखों को ठंडक मिलेगी।अस्थमा की समस्याओं को करे कंट्रोलअस्थमा रोगियों के लिए भी पीपल की पत्तियां काफी फायदेमंद हो सकती हैं। इसके लिए कुछ पत्तियां लें। इसे अच्छी तरह सुखा लें। अब इन सूखी पत्तियों को पीसकर पाउडर तैयार कर लें। इस पाउडर को दूध में उबाल कर पिएं। इसमें आप शहद या चीनी मिक्स कर सकते हैं। अस्थमा की परेशानी बढऩे पर दिन में दो बार इसका सेवन करें।पेट दर्द में दर्द से मिलेगी राहतअगर आपके पेट में काफी ज्यादा दर्द हो रहा है, तो पीपल की पत्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल, पीपल में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक के गुण पाए जाते हैं, जो दर्द निवारण गुण हैं। इसके साथ ही शरीर में होने वाले विभिन्न तरह के दर्द और सूजन से भी आपको राहत मिल सकती है। पेट में किसी तरह की परेशानी होने पर पीपल की पत्तियों को पानी में उबाल लें। इस पानी को दिन में दो बार पिएं। इससे पेट की परेशानी से राहत मिलेगी।दांतों के दर्द से मिलेगी राहतदांतों में दर्द की परेशानी होने पर आप पीपल की पत्तियों का इस्तेमाल करें। अगर आपके दांत में काफी दर्द हो रहा है, तो पीपल के तने से ब्रश करें। वहीं, अगर आपके दांतों में कीड़ें हैं या फिर मुंह से बदबू आती है, तो पीपल की कच्ची जड़ का इस्तेमाल करें। इन जड़ों को अपने दांतों में रगडें। इससे दांतों में कीड़े की परेशानी दूर होगी।फटी एडिय़ांसर्दियों में एडिय़ां फटने की शिकायत काफी लोगों को होती है। अगर आपकी भी एडिय़ां सर्दियों में फट रही हैं, तो पीपल की पत्तियां आपके काम आ सकती हैं। इसकी पत्तियों को पीस लें और फूट क्रीम की तरह अपने पैरों की एडिय़ों में लगाएं । इसमें एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं, जो फटी एडिय़ों की परेशानी को दूर करने में गुणकारी साबित होते हैं।बुखार को करे ठीकतेज बुखार को ठीक करने में पीपल की पत्तियां फायदेमंद हो सकती हैं। अगर किसी को तेज बुखार है, तो कुछ पीपल की पत्तियां लें। इन पत्तियों को 1 गिलास दूध में डालें और इसे अच्छी तरह उबालें। दूध का स्वाद ठीक करने के लिए आप इसमें थोड़ी सी चीनी मिलाएं। अगर तेज बुखार है, तो इसे दिन में दो बार पीएं। इससे बुखार से राहत मिलेगा।(नोट: कृपया किसी योग्य चिकित्सक की सलाह पर ही उन उपायों का प्रयोग करें। हम यहां केवल जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। ) - रेड पाम ऑयल (ताड़ का तेल) अभी बहुत ज्यादा लोकप्रिय नहीं हुआ है इसलिए लोग इसके बारे में बहुत कम जानते हैं। हालांकि सुपर मार्केट्स और ऑनलाइन स्टोर्स पर रेड पाम ऑयल आसानी से मिल सकता है। ये एक खास कुकिंग ऑयल है, जो पाम (ताड़) के पेड़ से निकलने वाले फल से बनाया जाता है। इस पेड़ को सबसे ज्यादा इंडोनेशिया और मलेशिया में उगाया जाता है। रेड पाम ऑयल भले ही कम पॉपुलर हो, लेकिन इसके ढेर सारे स्वास्थ्य लाभ हैं, जिसके कारण दुनिया के कुछ हिस्सों में लोग खाना बनाने के लिए इस तेल का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि इस तेल के इस्तेमाल को पर्यावरण के लिए थोड़ा नुकसानदायक माना जाता है।कैसे बनता है रेड पाम ऑयल?पाम ऑयल पाम के फलों से बनाता है। पाम का पेड़ बहुत लंबा लेकिन कम पत्तों वाला होता है। लगभग 20 मीटर लंबे इस पेड़ में 20-30 पत्तियां ही होती हैं। इसके अलावा इस पेड़ में खास फल होते हैं, जिनसे पाम ऑयल निकाला जाता है। इस तेल की खास बात ये है कि इसका स्मोक प्वाइंट ज्यादा होता है, जिसके कारण खाना बनाने के लिए खासकर फ्राइंग और रोस्टिंग के लिए इस ऑयल का इस्तेमाल अच्छा होता है। वैसे तो पाम ऑयल का इस्तेमाल काफी समय से दुनिया के कई हिस्सों में होता रहा है, लेकिन इसके फायदों के बारे में थोड़े समय पहले ही वैज्ञानिक शोधों से पता चला है।बिना प्रॉसेसिंग के रेड पाम ऑयल गहरे लाल रंग का होता है। इसका कारण है इसमें मौजूद खास बीटा-कैरोटीन, जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। बीटा कैरोटीन गाजर और कद्दू जैसी सब्जियों में भी पाया जाता है। शुद्ध पाम ऑयल के स्वाद और सुगंध में थोड़ा कड़वापन होता है, इसलिए मार्केट में मिलने वाले ज्यादातर पाम ऑयल रिफाइंड, ब्लीच किए हुए और सेंट डालकर बेचे जाते हैं।क्यों फायदेमंद माना जाता है रेड पाम ऑयल?रेड पाम ऑयल में 50 प्रतिशत सैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं, 40त्न अनसैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं और 10 प्रतिशत पॉलीसैचुरेटेड फैटी एसिड्स होते हैं। यही कारण है कि इस तेल में कैलोरीज थोड़ी ज्यादा होती हैं लेकिन ये सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। 1 चम्मच रेड पाम ऑयल (लगभग 14 ग्राम) में 126 कैलोरीज होती हैं। इसके बाद भी इस तेल को फायदेमंद माना जाता है क्योंकि इसमें अल्फा कैरोटीन, बीटा कैरोटीन और लाइकोपीन होता है। इसके अलावा इस तेल में स्टेरॉल्स और विटामिन ई की मात्रा भी अच्छी होती है। विटामिन ई के कारण इसे कुकिंग के साथ-साथ स्किन केयर के लिए भी अच्छा माना जाता है।रेड पाम ऑयल सेहत के लिए किस तरह है फायदेमंद?-इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल घटता है।-हार्ट की बीमारियों का खतरा कम होता है।-मस्तिष्क के लिए फायदेमंद है और ब्रेन फंक्शन को बढ़ाता है।-बीटा-कैरोटीन होने के कारण शरीर में विटामिन ्र के अवशोषण को बढ़ाता है।-ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस कम करता है, जिससे व्यक्ति को कई गंभीर बीमारियों से बचाव मिलता है।-त्वचा और बालों के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि इसमें विटामिन ई होता है।रेड पाम ऑयल के नुकसानरेड पाम ऑयल के फायदे तो हैं ही, साथ ही इससे जुड़े कुछ नुकसान भी हैं, जिन्हें प्रयोग से पहले आपको जरूर जानना चाहिए।कुछ अध्ययन बताते हैं कि रेड पाम ऑयल कोलेस्ट्रॉल घटाता है। लेकिन इन अध्ययनों पर कोकोनट ऑयल की तरह विवाद चल रहा है। कुछ हेल्थ एक्सपट्र्स का मानना है कि रेड पाम ऑयल के अधिक सेवन से नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए बेहतर यही होगा कि अगर आप इसका सेवन कर रहे हैं, तो साथ में कुछ अन्य हेल्दी फैट्स का कॉम्बिनेशन बनाएं। दूसरा नुकसान यह है कि मार्केट में बिकने वाले ज्यादातर रेड पाम ऑयल्स की बहुत ज्यादा प्रॉसेसिंग होती है। इस प्रॉसेसिंग के दौरान इसमें कुछ केमिकल्स का प्रयोग करके इसी ब्लीच किया जाता है। इसलिए रिफाइंड रेड पाम ऑयल का इस्तेमाल करना बहुत सेहतमंद नहीं है, जबकि कोल्ड प्रेस्ड रेड पाम ऑयल का प्रयोग ज्यादा फायदेमंद और सुरक्षित है।तीसरी सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि रेड पाम ऑयल अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। दरअसल इस तेल को बनाने के लिए जंगल को काटना पड़ता है। अगर पाम ऑयल का इस्तेमाल लोगों में बढ़ गया तो उसका नुकसान जंगलों और पर्यावरण को उठाना पड़ेगा। इसलिए बहुत सारे पर्यावरणविद् इस तेल के कुकिंग के उद्देश्य से इस्तेमाल को ठीक नहीं ठहराते हैं।
- छोटी सी दिखने वाली मिर्च खाने में तीखी होती है। लेकिन ये स्वाद को बढ़ा देती है। हरी मिर्च जितनी तीखी होती है उतनी ही सेहत के लिए फायदेमंद भी, क्योंकि इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, आयरन, पोटेशियम, प्रोटीन, कॉपर, कार्बोहाइड्रेट जैसे गुण जो पाए जाते हैं। इसके साथ ही हरी मिर्च शरीर को कई बीमारियों से बचाती है। इसलिए इसे खाने में जरूर डालना चाहिए ये आपको सेहतमंद रखने में मदद करेगी।शरीर के बैक्टीरिया से दूर रखे हरी मिर्चअक्सर जिन लोगों का इम्यून सिस्टन कमजोर होता है वह लोग बहुत ही जल्दी बीमार भी हो जाते हैं। इसके बाद वह डॉक्टर के चक्कर काटते रहते हैं। लेकिन अगर आप पहले से अपनी सेहत और खाने पीने का ख्याल रखेंगे तो आपको न तो डॉक्टर के पास जाने की जरूरत होगी और न ही आप बार-बार बीमार होंगे इसलिए आप इस छोटी सी दिखने वाली हरी मिर्च को अपने खाने में शामिल करें, ये हरी मिर्च आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में आपकी मदद करेगी।तनाव दूर करेआज के समय में लोग अक्सर तनाव में रहते है, जिसका असर उनकी सेहत पर देखने को मिलता है। तनाव कई बीमारियों की चपेट में ले सकता है। इसलिए जितना हो सके कोशिश करें कि तनाव से दूरी बनाकर ही रखें। हरी मिर्च को अपनी डाइट में शामिल करने से ये दिमाग में एंडोर्फिन रिलाज करती है, जो किसी भी व्यक्ति के मूड को प्रभावित करता है। इसके साथ ही हरी मिर्च शरीर में नई उर्जा पैदा करती है।कैंसर से बचाती है रही मिर्चहरी मिर्च में अच्छी मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाय जाते हैं जो शरीर को कैंसर जैसे बीमारी से बचाने का काम करते हैं। इसके साथ ही कैलोरी नही होती। जिसकी वजह से शरीर में इसे खाने से मेटाबॉलिज्म में भी तेजी आती है।-हरी मिर्च में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में होता है।-हरी मिर्च एंटी-ऑक्सीडेंट का एक अच्छा माध्यम है ।- विटामिन ए से भरपूर हरी मिर्च आंखों और त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद है।-हाल में हुई कुछ स्टडीज के अनुसार, हरी मिर्च ब्लड शुगर को कम करने में कारगर होती है।- हरी मिर्च को मूड बूस्टर के रूप में भी जाना जाता है।लाल मिर्च से रखें दूरीअगर आप भी अपने खाने में लाल मिर्च का इस्तेमाल करते हैं तो आज इस अपनी इस आदत को बदल डालें और हरी मिर्च का इस्तेमाल करना शूरू कर दें क्योंकि लाल मिर्च बीमारियों की ओर लेकर जाती है और हरी मिर्च बीमारियों से बचाने का काम करती है।
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आमतौर पर मूली के पत्तों को कई लोग फेंक देते हैं लेकिन आपको बता दें कि मूली के पत्तों में मूली से भी ज्यादा पोषण होता है। ऐसे में आपको मूली के पत्ते खाने के फायदे जान लेने चाहिए, जिससे कि आप मूली की तरह ही इसके पत्तों का सेवन कर सकें। मूली के पत्ते विटामिन ए, विटामिन बी, सी के साथ ही क्लोरीन, फास्फोरस, सोडियम, आयरन, मैग्नीशियम और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और पेट के लिए फायदेमंद होने के साथ ही मूत्र विकारों में भी बेहद लाभकारी होते हैं।
क्या हैं फायदे
-मूली के पत्ते विटामिन ए, विटामिन बी, सी के साथ ही क्लोरीन, फास्फोरस, सोडियम, आयरन, मैग्नीशियम और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं जो आपके पेट के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।
-मूली के पत्तों का प्रयोग आप सब्जी या पराठे बनाने में कर सकते हैं। इसका सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है और थकान महसूस नहीं होती।
-पाइल्स यानि बवासीर के रोगियों के लिए मूली एवं इसके पत्तों की सब्जी खाना बेहद फायदेमंद होता है। रोजाना इसके प्रयोग से आपकी समस्या समाप्त हो सकती है।
-इसमें सोडियम होता है और यह शरीर में नमक की कमी को पूरा करता है, इसलिए लो ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए भी यह बेहद फायदेमंद है। इसके अलावा इसमें मौजूद एंथेकाइनिन दिल के लिए फायदेमंद होता है।
-इसमें फाइबर भरपूर होता है इसलिए यह कब्ज से राहत देता है। वहीं इसके रस को पानी और मिश्री के साथ पीने पर पीलिया रोग में लाभ मिलता है। इतना ही नहीं यह बालों का झडऩा भी कम करता है। -
महिलाएं तो अपनी त्वचा की देखभाल के लिए बहुत सारे जतन करती हैं। जिससे कि उनकी त्वचा सुंदर और वो खूबसूरत नजर आएं। लेकिन क्या आप अंदाजा लगा सकती हैं कि महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को अपनी चेहरे की त्वचा की देखभाल की जरूरत होती है। क्योंकि पुरुष ज्यादातर फील्ड वर्क करते हैं। जिसकी वजह से उनके चेहरे पर धूल-मिट्टी और गंदगी जमा होने लगती है। वहीं चेहरे पर प्रदूषण के प्रभाव की वजह से धीरे-धीरे उनका चेहरा डल पडऩे लगता है। अगर चाहते हैं कि आपका चेहरा भी चांद की तरह चमके तो त्वचा की देखभाल से जुड़ी इन बातों को भी भी नजरअंदाज ना करें। लड़का हो या लड़की हर किसी के लिए सुबह उठकर चेहरा धोना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि रातभर में आपकी स्किन पर ऑयल आ जाता है, जिसके लिए अच्छा होगा कि आप अपनी स्किन के अनुसार फेस क्लींजर से चेहरा साफ करें। दफ्तर से घर आकर फेसवॉश से एक बार अपना चेहरा जरूर धोएं। दिनभर धूप और गंदगी की वजह से आपकी त्वचा के रोमछिद्र बंद हो जाते हैं। इसके लिए घर आकर अच्छे से जरूर फेसवॉश करें। जब आप घर से बाहर हो और आपके शरीर पर जबरदस्त पसीना टपक रहा हो ऐसे में फेस वाइप्स आपके काम आएंगी। हमेशा अपने बैग में स्किन वाइप्स जरूर रखें। इसे खरीदते वक्त अपनी स्किन टाइप को ध्यान में रखते हुए इसका चयन करें। ये आपको तुरंत फ्रेश फील कराने के साथ आपके चेहरे से गंदगी दूर करने का काम करती है। त्वचा पर नमी खोने लगती है तो ऐसे में स्किन पर हमेशा मॉइश्चराइज का इस्तेमाल करें। इससे आपकी स्किन पर नमी बनी रहेगी और समय से पहले चेहरे पर दिखने वाली एजिंग भी कम होगी। आखिर में घर से निकलते समय सूर्य की हानिकारक किरणों से बचने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूर करें। समस्क्रीन सूरज की किरणों से स्किन डैमेज होने के खतरे को कम करता है। सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से आप टैनिंग, डार्क स्पॉट्स और एजिंग के इफेक्ट्स से बचे रहेंगे। - नसों में दर्द और खिंचाव बहुत ही आम समस्या है जिसके कारण लोगों को चलने-फिरने और उठने-बैठने में काफी तकलीफ का सामना करना पड़ता है। जरूरी नहीं कि नसों में दर्द सिर्फ बुजुर्ग या ज्यादा उम्र वालों को ही हो, बल्कि नसों का दर्द कम उम्र वाले लोगों को भी परेशान कर सकते हैं। हालांकि, हर किसी के लिए नसों में दर्द के कारण अलग-अलग हो सकते हैं। आइये जाने किन कारणों से नसों में दर्द या खिंचाव होता है और इससे राहत का क्या तरीका है।नसों में खिंचाव और हल्का दर्द एक्सरसाइज के कारण होता है, जिसकी वजह से काफी समय तक दर्द और खिंचाव महसूस हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब किसी एक्सरसाइज को करने के लिए शुरुआत की जाती है। इस दौरान नसें काफी हद तक खिंचती हैं जिसके कारण वो पूरी तरह खुलती है। यही वजह है कि जब बहुत दिनों तक शारीरिक गतिविधियां या एक्सरसाइज नहीं की जाती और अचानक से एक्सरसाइज को करने की चाहत होती है, इससे नसों पर खिंचाव पड़ता है जिससे दर्द का अनुभव हो सकता है। ये दर्द या खिंचाव ज्यादा समय तक परेशान नहीं करता और ना ही इस दौरान घबराने की जरूरत है। ये अपने आप ही कुछ ही दिनों में खत्म हो जाता है।खून का खराब संचारखून का संचार अगर शरीर में सही तरीके से नहीं होता तो इससे कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर बहुत दिनों तक ये समस्या रहती है तो इससे हृदय और मानसिक स्वास्थ्य के साथ अन्य स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है। ऐसे ही जब शरीर में रक्त प्रवाह सही से नहीं होता तो नसों में खून की आपूर्ति नहीं हो पाती जिसके कारण ये दर्द और सूजन का शिकार हो जाती है। इस कारण जकडऩ वाला दर्द का अनुभव हो सकता है। ये स्थिति डाइट, एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल के तरीकों पर निर्भर करती है।विटामिन बी-12 की कमीशरीर में वैसे तो सभी तरह के पोषक तत्व जरूरी होते हैं जिसकी मदद से लंबे समय तक खुद को स्वस्थ रखा जा सकता है, लेकिन जब शरीर में किसी विटामिन्स की कमी या पोषण की कमी होने लगती है तो इससे शरीर में कई समस्याएं पैदा हो सकती है। ऐसे ही नसों में दर्द का कारण है विटामिन बी-12 की कमी, जिसके कारण नसों में दर्द होने लगता है। विटामिन बी-12 शरीर की नसों को स्वस्थ रखने और नसों के कार्य को बढ़ावा देने का काम करता है।चोट के कारणचोट के कारण होने वाला दर्द बच्चों से लेकर बड़ों तक किसी को भी हो सकता है, कई बार जब चोट लगती है तो वो मांसपेशियों के साथ नसों पर प्रभाव डालती है। जिसके कारण मांसपेशियों के साथ-साथ नसों में भी सूजन पैदा होने लगती है जिससे दर्द महसूस होता है। ऐसे में जरूरी है कि जब भी किसी को चोट लगे तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।कुछ स्थितियों के कारणस्ट्रोक, डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर जैसी गंभीर स्थितियों के कारण भी शरीर के किसी हिस्से में नसों का दर्द हो सकाता है। इस दौरान लोगों को इन नसों के दर्द का अनुभव होता है और इसके लिए संबंधित डॉक्टर इस दर्द को कम करने के लिए दवाओं का इस्तेमाल भी करते हैं।कैसे करें बचाव-पूर्ण स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि अपनी डाइट को हेल्दी बनाए रखें जिसकी मदद से खुद को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है। डाइट में शामिल पौष्टिक आहार शरीर को कई बीमारियों और स्थितियों से बचाने का काम करता है। इसलिए अपनी डाइट में सभी पोषण से युक्त भोजन को शामिल करें और नियमित रूप से इसका पालन करें।-व्यायाम या एक्सरसाइज शरीर को स्वस्थ रखने का एक बेहतरीन तरीका है, जिसके कारण शरीर में रक्त का संचार सही तरीके से होता है साथ ही कई बीमारियों से बचा जा सकता है। सभी को खुद को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि रोजाना 30 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें।-आजकल ज्यादातर बीमारियां तनाव के कारण बढ़ रही है, ऐसे ही नसों में दर्द का एक कारण तनाव भी है जो सिर की नसों को दर्द दे सकता है। इसके लिए जरूरी है कि खुद को ज्यादा से ज्यादा तनावमुक्त रखें, इसके लिए रोजाना व्यायाम, योगा और मेडिटेशन को अपना सकते हैं।-लंबे समय तक नसों में दर्द का अनुभव होने पर आप डॉक्टर से संपर्क जरूर करें, इससे आप जांच के जरिए सही वजह को जान सकते हैं।------
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खाने-पीने का जैसा मजा सर्दियों में है, वैसा दूसरे मौसम में कहां! एक तरफ जहां फल-सब्जियों की भरमार होती है, वहीं दूसरी ओर लड्डू, पिन्नी, गुड़-मूंगफली, गजक, रेवड़ी जैसे मिठाई के तौर पर खाए जाने वाले खाद्य-पदार्थों की ढेरों वैराइटी मिलती हैं। सर्दी में अपने शरीर को गर्म रखने के चक्कर में हम कई बार बैलेंस डाइट को नजरअंदाज कर देते हैं और मोटापे और इससे जुड़ी समस्याओं की गिरफ्त में आ जाते हैं,ऐसेे ऐसे में स्वस्थ रहने के लिए डाइट का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। ठंड के मौसम में फलों का सेवन सबसे ज्यादा लाभदायक है।
सेब
सेब पेक्टिन फाइबर, विटामिन, मिनरल्स, फाइटोन्यूट्रिएंट्स और एंटी ऑक्सीडेंट जैसे तत्वों से भरा है, जो हमारे शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल या संतृप्त वसा के स्तर को नियंत्रित करते हैं, हानिकारक मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) के प्रभाव से बचाते हैं, संक्रमण फैलाने वाले एजेंटों को दूर रखते हैं और चयापचय क्षमता को बढ़ाते हैं। सेब शरीर में हीमोग्लोबिन और आयरन के स्तर को बढमता है और रक्त की कमी को दूर करता है।
अनार
अपने अनोखे खट्टे-मीठे स्वाद और गुणों के कारण अनार 'एक अनार सौ बीमार' की उक्ति को चरितार्थ करता है। फाइटोकैमिकल्स, पॉली-फिनॉल, एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर, आयरन, विटामिन से भरपूर अनार उच्च कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, दिल के दौरे या फ्री रेडिकल्स से बचाव कर हृदय के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। खून की कमी के रोगियों के लिए अनार का सेवन उपयोगी है।
अमरूद
सर्दियों में अमरूद को फलों का राजा कहा जाता है। इसमें मौजूद पौष्टिक तत्व शरीर को फिट, स्वस्थ रखने के साथ-साथ इम्यूनिटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह हाइपोग्लीसेमिक ब्लडप्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में फायदेमंद है। इसमें मौजूद पेक्टिन फाइबर पाचन बढ़ाने और भूख में सुधार करने में मदद करता है।
सिट्रस फल
सर्दियों में मिलने वाले संतरा, कीनू जैसे खट्टे जूसी साइट्रस फल अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करें। विटामिन सी, पेक्टिन फाइबर, लाइमोनीन, फाइटोकैमिकल्स से भरपूर ये फल जूस से भरपूर हैं। इनके नियमित सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में बढोतरी होती है, जिससे वायरल संक्रमण से होने वाले जुकाम-खांसी, फ्लू, वायरल जैसे रोगों से बचाव होता है।
अंगूर
अंगूर विटामिन, मिनरल्स, काबरेहाइड्रेट, ग्लूकोज जैसे पौष्टिक तत्वों और पोली-फिनॉल, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल, फाइटोन्यूट्रिएंट्स गुणों से लबरेज है। इसमें मौजूद शर्करा रक्त में आसानी से अवशोषित हो जाती है और थकान दूर कर शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है। कोलेस्ट्रॉल कम करने में सक्षम अंगूर के सेवन से हृदय रोग का खतरा कम रहता है। यह रक्त विकारों को दूर कर क्लींजर का काम करते हैं।