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- कोरोना वायरस से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही मास्क पहनने और बार-बार साबुन से हाथ धोने तथा हैंड सेनेटाइजर का इस्तेमाल किए जाने की सलाह दी गई है। इसलिए लोग बाहर निकलते समय मास्क और हैंड सेनेटाइजर साथ में रखकर चल रहे हैं। हम अपने वाहन में सेनेटाइजर की बोतल रखकर अपने काम में लग जाते हैं, फिर वह चाहे बाइक की डिक्की हो या फिर कार, लेकिन यह काफी खतरनाक हो सकता है।कई लोगों का मानना है कि हैंड सैनिटाइजऱ का उपयोग करना या इसे सुरक्षा उपायों के रूप में कार में रखना एक अच्छा उपाय है। बहुत सारे लोग, यहां तक कि कोरोनो वायरस महामारी से पहले भी इस आदत का पालन करते थे और कार के डैशबोर्ड में सैनिटाइजऱ की बोतल रखते थे, कुछ लोग अपने बैग में रखते हैं। हालांकि, कार में सैनिटाइजर रखना जोखिम भरा हो सकता है। दरअसल सैनिटाइजर की बोतल में आसानी से आग पकड़ सकती है।हैंड सैनिटाइजर में होता है अल्कोहलहैंड सैनिटाइजर शक्तिशाली रासायनों से बने होते हैं । एक अच्छा और उच्च-ग्रेड का सैनिटाइजर में अल्कोहल की मात्रा अधिक होती। भले ही यह वायरस फैलने से रोकने के लिए अच्छा है लेकिन सैनिटाइजर में अल्कोहल की मात्रा ज्वलनशील हो सकती है, विशेष रूप से जब लंबे समय तक गाड़ी गर्म रहती है। ऐसा कुछ तब हो सकता है जब आप इसे कार में घंटों या दिनों तक स्टोर कर रखते हैं। जब आप रसोई में भी खाना बना रहे हों तो सैनिटाइजर का उपयोग करना उचित नहीं होता।कार में अपना हैंड सैनिटाइजर न छोड़ेंजैसा कि तापमान का स्तर लगातार बढ़ रहा है ऐसे में स्वास्थ्य अधिकारी भी लोगों को कार में या किसी भी स्थान पर हाथ सैनिटाइजऱ नहीं छोडऩे की चेतावनी दे रहे हैं जो गर्मी के संपर्क में आते हैं।रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, अल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर प्रकृति में ज्वलनशील होते हैं और गर्मी के संपर्क में आने पर कमरे के तापमान पर आसानी से वाष्पित हो सकते हैं। इसके अलावा, अधिकांश सेनेटाइजर प्लास्टिक की बोतलों में संग्रहीत या संरक्षित किए जाते हैं, जो फिर से जोखिम को बढ़ाते हैं। गर्मी में वाहन वास्तव में गर्म हो जाते हैं। वैसे सैनिटाइजर को आग की लपटों में दहन करने के लिए आदर्श रूप से 300 डिग्री या उससे ऊपर के तापमान तक पहुंचने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा कुुछ शोध कहते हैं कि कार में सैनिटाइजर रखने से इसकी प्रभावकारिता कम हो जाती है, विशेषकर जब ये सीधे ऊष्मा के संपर्क में आता है (विशेषकर जब सामने की ओर रखा जाता है)।सुरक्षित रूप से कैसे स्टोर करें सैनिटाइजरइसलिए बेहतर है कि आप आप अपने सैनिटाइजऱ की बोतल को सुरक्षित तरीके से रखें। इसे अच्छी तरह से स्टोर करें, ढक्कन को सील रखें और किसी भी गर्म क्षेत्र से दूर रखें। अल्कोहल विषाक्तता के जोखिम से बचने के लिए इसे बच्चों और पालतू जानवरों की पहुंच से दूर रखें।--
- सौंफ का उपयोग माउथ फ्रेशनर के रूप में किया जाता रहा है। पान में भी इसका उपयोग किया जाता है, लेकिन सौंफ में कई औधषीय गुण समाए हुए हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद है। आज हम आपका सौंफ की चाय के गुणों के बारे में बताने जा रहे हैं।सौंफ का पानी हो या सौंफ की चाय, यह दोनों ही आपके लिए कई फायदों से भरपूर है। यह एक कूलिंग एजेंट के रूप में काम करते हैं। इसके अलावा, सौंफ का सेवन ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने, वजन घटानें, डिहाइड्रेशन और आंखों के लिए अच्छा माना जाता है। वहीं यदि आप सौंफ की चाय का सेवन करते हैं, तो यह पाचन सबंधी समस्याओं से दूर रखने में मददगार है।सौंफ की चाय बनाने का तरीका - सौंफ की चाय बनाने के लिए आप सबसे पहले चाय के पैन में 2 कप पानी डाल लें। अब आप इसमें 2 चम्मच सौंफ डालें और इन बीजों को पानी के साथ उबलने दें। 3-4 मिनट तक पानी उबलने के बाद आप इसमें 3-4 पुदीने की पत्तियां डालें और 2-3 मिनट और उबालें। फिर इसे आप गैस से हटा लें और छलनी छे छान लें। इसमें स्वाद के लिए आप शहद और नींबू का रस मिलाएं और फिर इस चाय का आनंद लें।सौंफ की चाय पीने के अन्य फायदे1- वजन घटाने में मददगार- सौंफ की चाय का सेवन करना उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है, जो वजन घटाने की कोशिश में लगे हैं। क्योंकि सौंफ की चाय पाचन को बढ़ावा देती है और आपकी भूख को कम करती है।2- अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंद- सौंफ की चाय को अस्थमा रोगियों के लिए अच्छा माना जाता है। कुछ अध्ययनों से भी पता चलता है कि सौंफ के बीच या इससे बनी चाय का सेवन अस्थमा के लक्षणों को कम कर सकता है। सौंफ एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर है और इंफ्लेमेशन को कम करने में सहायक है।3- डिहाइड्रेशन के लिए- गर्मियों के दिनों में डिहाइड्रेशन से बचने के लिए सौंफ की चाय या सौंफ का पानी काफी मददगार हो सकता है। सौंफ में कूलिंग और हाइड्रेटिंग गुण होते हैं, जो शरीर को ठंडा रखने और हाइड्रेट रखने में मदद करते हैं।4- नींद में सुधार करे-सौंफ की गर्म चाय नींद में सुधार और अनिद्रा की समस्या को दूर करने में मददगार है। सौंफ की चाय में मैग्नीशियम की भी मात्रा होती है, जो बेहतर नींद में सहायक है।5- हाई ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर के लिए -सौंफ की चाय आपके ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखने में भी मददगार है। ऐसा इसलिए क्योंकि सौंफ में पोटैशियम होता है, जो बीपी को कंट्रोल करने में मदद करता है। वहीं अध्ययनों के अनुसार यह भी पाया गया है कि सौंफ आपके ब्लड शुगर को कंट्रोल कर सकती है।6- आंखों की रोशनी के लिए -सौंफ में विटामिन-ए पाया जाता है और विटामिन ए आपकी आंखों की रौशनी को बढ़ाने में मददगार पोषक तत्?व है। यदि आप सौंफ की चाय का रोजाना सेवन करते हैं, तो यह आंखों की रौशनी को कमजोर होने से बचा सकता है। इसके अलावा, आप आंखों की छोटी-मोटी समस्याओं के लिए जैसे आंखों में जलन या फिर खुजली हाने पर सौंफ की भाप आंखों पर ले सकते हैं।7- कॉलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करे -सौंफ की चाय फाइबर भी भरपूर है, जो कि कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में फायदेमंद है। सौंफ की चाय में मौजूद फाइबर, कोलेस्ट्रॉल को खून में घुलने से रोकता है। जिससे कि आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल रहता है और आप दिल की बीमारियों से भी दूर रहते हैं।----
- आयुर्वेद के अनुसार भोजन एक तरह की औषधि है जो जीवन के तत्वों, भोजन और शरीर के बीच तालमेल बिठाते हुए किसी को भी स्वस्थ कर सकता है। आयुर्वेद का मानना है कि उचित खाद्य चयन और उचित समय पर भोजन ग्रहण करने से शांत दिमाग के साथ संपूर्ण सेहत बनाए रखने में मदद मिलती है। भगवद्गीता और योग शास्त्रों ने भोजन को उनके गुणों के आधार पर तीन प्रकार का बताया है। वह हैं सत्व (सतोगुण), राजस (रजोगुण) और तामस (तमोगुण)। सात्विक भोजन का मतलब ऐसे भोजन और खाने की आदतों को अपनाना है जो प्राकृतिक, जीवंत और उर्जा से भरपूर हो और जो धीरज एवं शांति प्रदान करता हो और लंबी उम्र, सुबोध, ताकत, सेहत और आनंद बढ़ाता हो।राजसी भोजन वह है जो काफी मसालेदार, गर्म या तीखा, खट्टा एवं नमकीन स्वाद के साथ पकाया गया हो। राजसी भोजन नकारात्मकता, वासना और बेचैनी बढ़ाने वाले होते हैं। जड़ता का बोधक तामसिक भोजन वह है जो जरूरत से ज्यादा पकाया हुआ, बासी, फिर से गर्म किया हुआ, माइक्रोवेव में पकाया या ठंडा जमाया हुआ भोजन, मांस, मछली मांस-पक्षी, अंडे जैसे मृत भोजन, अल्कोहल, सिगरेट, और मादक दवाइयां इत्यादि हैं। तामसिक भोजन सुपाच्य नहीं होता है और निष्क्रियता एवं सुस्ती देता है तथा सोने को प्रेरित करता है। ऐसेे भोजन मोटापा, मधुमेह, हृदय एवं यकृत की बीमारियों के मुख्य कारण हैं। प्याज और लहसुन जैसे खाद्य पदार्थ दवाई के रूप में अच्छे हो सकते हैं लेकिन यह रोज खाने लायक नहीं है।भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के मौजूदा दिशा-निर्देश सुरक्षात्मक स्वास्थ्य उपायों और प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए स्वयं ध्यान रखने के दिशा निर्देश दिए हैं। इन दिशा निर्देशों में कोविड-19 के खिलाफ प्रतिरक्षा बढ़ाने के उपायों के रूप में हर्बल चाय और तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, सौंठ (सूखी अदरक) और मुनक्का का काढ़ा जिसमें स्वाद के लिए गुड़ और /या ताजा नींबू रस मिला हो, पीने की सलाह दी गई है।कभी-कभार खा सकते हैं- कम मसालेदार और तैलीय भोजन, लहसुन, प्याज, सीमित मात्रा में बेमौसम सब्जियां, पौल्ट्री , मांस, और मछली, ब्राउन ब्रेड, मक्खन, इडली, डोसा, ढोकला, पी- नट, बटर के साथ ब्राउन ब्रेड जैसे घर में बने कम वसा शर्करा वाले स्नैक्स, डिब्बाबंद भोजन अतिरिक्त चीनी और नमक हटाने के लिए धोने के बाद ही खाएंं,शर्करा की अधिकता वाले साफ्ट ड्रिंक, ब्राउन शुगर, आयोडिन युक्त नमक।क्या खाएं- कच्चे और ताजे फल, रेशेदार भोजन जिसमें विटामिन ए, सी और ई पाए जाते हों, साबुत अनाज, दलहन, जौ, ब्राउन पास्ता, बाजरा और चावल और गेहूं की ताजी रोटियां, कम वसा वाला दूध, दही, बिना नमक के नट्स और सूरजमुखी, कद्दू, अलसी के बीज, जो विटामिन ई, नियासिन, राइबोफ्लेविन, प्रोटीन, स्वस्थ वसा, ऑक्सीकरण रोधी और फाइबर के बड़े स्रोत हैं। ताजा फलों का रस, कम वसा वाली लस्सी, नींबू पानी, नारियल पानी/ गर्म पानी, हर्बल चाय पॉलीफेनॉल्स, फ्लेवोनॉयड्स और एंटी ऑक्सीडेंट जो फ्री रेडिकल्स को नष्ट कर देते हैं। शहद और गुड़, अंडे का पीला भाग और अनाज से भरपूर नाश्ता, भारतीय औषधियां- धनिया, हल्दी, मेथी, तुलसी, लोंग, काली मिर्च, दालचीनी, अदरक और कड़ी पत्ता। इन मसालों में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल, एंटी फ्लेमेट्री गुण होते हैं। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और शरीर से किसी भी पदार्थ को निकालने में मददगार होते हैं । रॉक साल्ट रोज 5 ग्राम (1 चम्मच के बराबर) लेना चाहिए ।
- हम ज्यादातर पीले केले ही खाते हैं, लेकिन केले एक प्रजाति लाल भी होती है, जो केरल में ही ज्यादातर देखने को मिलती है। केरल कभी घूमने जाएं, तो आपको सड़क किनारे लगी छोटी-छोटी दुकानों में इस केले की पूरी घेर देखने को मिल जाएगी। लाल केलों को रेड डक्का के रूप में भी जाना जाता है। इसमें लाल रंग का बाहरी छिलका होता है । ये दक्षिण पूर्व एशिया से केले के एक उपसमूह में आता है। लाल केले पीले केले की तुलना में काफी छोटे और मीठे होते हैं, इसके साथ ही ये ज्यादा पोषक तत्व भरे भी होते हैं। लाल केले ब्लड शुगर के स्तर को कम करने, प्रतिरक्षा को बढ़ाने और पाचन में सहायता करते हैं। ऐसे ही इसके कई अन्य फायदे होते हैं, आइए जानते हैं लाल केलों के अन्य फायदों के बारे में।पोषक तत्वों से भरपूरएक सामान्य लाल केले करीब 100 ग्राम का होता है, इसमें काफी कम मात्रा में फैट होता है और भारी मात्रा में फाइबर होता है। लाल केले कार्बोहाइड्रेट का एक अच्छा स्रोत होता है, जैसे सुक्रोज और फ्रुक्टोज। यह आपको तुरंत ऊर्जा देने का काम करता है और इससे आपके रक्तप्रवाह में तेजी आती है। इसके अलावा लाल केलों में भारी मात्रा में विटामिन सी, थीआमिन, विटामिन बी-6 और फोलेट जैसे तत्व होते हैं।डायबिटीज को करता है कंट्रोललाल केलों का सेवन करने से ये आपके डायबिटीज को कंट्रोल करने का काम करता है, इसके साथ ही ये आपके ब्लड शुगर लेवल में अचानक स्पाइक को कम करता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि लाल केले की कम ग्लाइसेमिक प्रतिक्रिया डायबिटीज से पीडि़त लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है।मौजूद होते हैं एंटीऑक्सीडेंट तत्वलाल केले में भारी मात्रा में फेनॉल्स और विटामिन-सी होते हैं, इसके साथ ही इसमें काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट तत्व भी होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। मुक्त कणों की अधिकता से ऑक्सीडेटिव तनाव हो सकता है और ये मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसे चयापचय संबंधी समस्याओं के खतरे को कम कर सकता है।ब्लड प्रेशर को करता है कमनियमित रूप से लाल केलों का सेवन करने से ये आपके ब्लड प्रेशर को बढऩे से रोकता है और उसे नियंत्रित करने का काम करता है। लाल केलों में भरपूर मात्रा में पोटैशियम मौजूद होता हैं। रक्तचाप को बनाए रखने और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में पोटेशियम की भूमिका अच्छी तरह से स्थापित की गई है।आंखों के लिए फायदेमंद है लाल केलेलाल केले में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो हमारी आंखों के लिए काफी अच्छे होते हैं साथ ही ये हमारी आंखों की रोशनी को बढ़ाने का काम करते हैं। लाल केले ल्यूटिन और जेक्सैंथिन होते हैं। इसके साथ ही लाल केले में बीटा-कैरोटेनॉइड भी होता है। इसमें विटामिन ए की मात्रा भी पाई जाती है जो आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद होती है।----
- दाल हमारी थाली का एक अभिन्न हिस्सा है। दाल न सिर्फ हमारे शरीर में जरूरी विटामिन और मिनरल की आपूर्ति करती है बल्कि हमें तंदुरुस्त बनाए रखने में भी मदद करती है। सभी दालें हमारे लिए फायदेमंद हैं।आज हम आपको ऐसी 5 दालों के बारे में बता रहे हैं, जिनके अनूठे फायदे हैं।1. अरहर- यह दाल सबको पसंद है। अरहर दाल- चावल और घी बच्चों से लेकर बड़ों तक का पसंदीदा खाना रहा है। अरहर की दाल का सेवन न केवल आपके शरीर को तंदुरुस्त बनाए रखने में मदद करता है बल्कि हमें जरूरी विटामिन और मिनरल्स की भी आपूर्ति करती है। अरहर की दाल में प्रोटीन , पोटेशियम, सोडियम, विटामिन ए , बी 12 , कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं।अरहर की दल के दो अनूठे फायदे- अरहर की कच्ची दाल को पानी में पीसकर पिलाने से भांग का नशा उतारने में मदद मिलती है।-शरीर के किसी भी अंग पर लगा घाव अगर नहीं सूख रहा हो तो अरहर की दाल के पत्तों को पीसकर घाव पर लगा लें। ऐसा करने से घाव को सूखाने में मदद मिलती है।2. मूंग की दाल - मूंग की पीली दाल को धुली हुई मूंग दाल के नाम से भी जाना जाता है। मूंग दाल खाने में काफी हल्की होती है और इसे आपको पचाना बहुत ही ज्यादा आसान होता है। बीमार लोगों या मरीजों को खाने में मूंग दाल की खिचड़ी खाने की सलाह दी जाती है। ये न सिर्फ आपके पाचन को दुरुस्त बनाती है बल्कि आपके पेट को भी हल्का रखती है।मूंग की दाल के अनूठे फायदे- मूंग की दाल का सेवन गर्भवती महिलाओं में फाइबर, आयरन और प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है।- मूंग की दाल का सेवन शरीर में जमा एक्स्ट्रा कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद करता है।3. चने की दाल- चने की दाल में फाइबर और प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। चने की दाल आपके शरीर को तंदुरुस्त बनाएं रखने के साथ-साथ पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करने में मदद करती है। चने की दाल का सेवन युवाओं के लिए अधिक फायदेमंद माना जाता है क्योंकि ये शरीर में प्रोटीन की कमी को दूर करने में बहुत उपयोगी है।चने की दाल के अनूठे फायदे- चने की दाल का सेवन डायबिटीज और ह्रदय रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है क्योंकि इसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत कम पाई जाती है।-चने की दाल का सेवन एनिमिया , पीलिया , कब्ज जैसी परेशानी से जूझ रहे लोगों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है।4. मसूर दाल- लाल रंग की मसूर दाल फाइबर और प्रोटीन के खजाने से कम नहीं है। मसूर दाल का सेवन पेट और पाचन संबंधी सभी रोगों को दूर करने में मदद करता है। मसूर की दाल पेट संबंधी परेशानियों से भी राहत दिलाने में मदद करती है।मसूर की दाल के अनूठे फायदे- मसूर की दाल का सूप बना कर पीने से गले और आंत के रोगों को दूर करने में मदद करती है।- जिन लोगों में खून की कमी होती है उन्हें मसूर की दाल पीनी चाहिए क्योंकि ये शरीर में खून की कमी को पूरा करने का काम करती है।5. उड़द दाल- अरहर की दाल के बाद जिस दाल को लोग सबसे ज्यादा खाना पसंद करते हैं उसे उड़द दाल के नाम से जाना जाता है। इस दाल को लोगों की दूसरी सबसे ज्यादा पसंदीदा दाल के रूप में भी जाना जाता है। उड़द दाल न सिर्फ स्वाद में बल्कि कई पौष्टिक गुणों से भी भरपूर होती है।उड़द की दाल के अनूठे फायदे- उड़द दाल में आयरन की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जिसके सेवन से न पेशाब में जलन और अन्य समस्याएं दूर हो जाती हैं। शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ाने के लिए भी इस दाल का सेवन किया जाता है।- चेहरे पर निखार लाने के लिए उड़द की दाल की खीर का सेवन भी किया जा सकता है।
- गर्मियों का मौसम आते ही तरबूज, खरबूज , खीरा और ककड़ी जैसे ठंडे व पानी से भरे फूड्स का सेवन बढ़ जाता है और बाजार में इनकी मांग भी बहुत ज्यादा होने लगती है। तरबूज और खरबूज जहां फलों में शामिल किए जाते हैं वहीं खीरा और ककड़ी भोजन के साथ खाएं जाते हैं। खीरा और ककड़ी न सिर्फ भोजन के साथ बड़ी आसानी से खाएं जा सकते हैं बल्कि ये वजन कम करने की कोशिशों में जुटे लोगों के लिए ये भी काफी मददगार साबित होते हैं।खीरे में मौजूद पानी की मात्रा, विटामिन सी और कई आवश्यक पोषक तत्व इसे आपके लिए गर्मियों का एक बेहतरनी फूड बनाते हैं, जो आपको हाइड्रेट रखने के साथ-साथ आपका पेट भी फुल रखने में मदद करता है। दरअसल खीरा हमारे स्वास्थ्य के बहुत ही लाभदायक माना जाता है। अधिकतर लोग खीरे को सलाद के रूप में खाना पसंद करते हैं। खीरा के सेवन से न सिर्फ हमारे शरीर में फाइबर की आपूर्ति होती है बल्कि खीरा हमारी स्किन को ग्लोइंग स्किन बनाने में भी बहुत मदद करता है। गर्मियों में खीरा खाना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता है, जो शरीर को ठंडक देने के साथ-साथ स्वाद भी प्रदान करता है। लेकिन खीरे को अगर गलत ढंग से खाया जाए या फिर उचित सावधानियां न बरती जाएं तो यही खीरा हमारे लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।कुछ लोग खीरा खाने के तुरंत बाद ऐसे काम कर देते हैं, जिनसे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। दरअसल खीरा 95 फीसदी पानी से भरा होता है और यही कारण है कि खीरा खाने के बाद तुरंत हमें किसी भी प्रकार के पेय पदार्थों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। खीरा खाने के बाद कुछ चीजों के सेवन से न सिर्फ पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं बल्कि खीरे में मौजूद पोषक तत्वों की हानि भी होती है। अगर आप सोच रहे हैं कि ऐसी कौन सी चीजें हैं जिनका सेवन खीरे के बाद नहीं करना चाहिए तो हम आपको इस लेख में ऐसी 3 चीजों के बारे में बता रहे हैं, जिनका सेवन खीरे के तुरंत बाद करना आपको परेशानी में डाल सकता है।खीरा खाने के बाद न पीएं पानीबहुत से लोग खीरा खाने के बाद तुरंत पानी पी लेते हैं या फिर सलाद के रूप में खीरे के सेवन के साथ पानी का सेवन करते हैं जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। खीरे में पानी की प्रचुर मात्रा होती है और खीरे के ऊपर पानी पीने से खांसी और पेट में गुडग़ुड़ का अहसास हो सकता है। खीरा खाने के तुरंत बाद पानी पीने से इसके पोषक तत्व भी कम हो जाते हैं और हमारा शरीर खीरे का संपूर्ण लाभ नहीं ले पाता। इसलिए खीरा खाने के तुरंत बाद भूलकर भी पानी नहीं पीना चाहिए।खीरे के ऊपर लस्सीगर्मियों में कुछ लोगों को भोजन के बाद लस्सी पीना बहुत ज्यादा पसंद होता है। लेकिन अगर आपने सलाद के रूप में खीरा खाया है तो आपको भोजन के साथ लस्सी पीने से बचना चाहिए । खीरे के ऊपर लस्सी आपका पेट खराब कर सकती है और आपको पेट संबंधी परेशानियों का शिकार बना सकती है।खीरा खाने के बाद न पीएं दूधखीरा खाने के बाद कभी भी आपको दूध नहीं पीना चाहिए क्योंकि दूध में मौजूद तत्व काफी गर्म होते हैं और खीरा खाने के बाद दूध पीने से कोई भी व्यक्ति ठंडा-गर्म का शिकार हो सकता है। ठंडा -गर्म का शिकार होने पर कोई भी व्यक्ति बुखार, खांसी और अन्य परेशानियों से जूझ सकता है। इसलिए खीरे के ऊपर दूध न पीएं ।
- छत्तीसगढ़ में इस समय वनोपज की खरीदी कार्य जारी है। प्रदेश के प्रमुख वनोपज में एक महुआ भी शामिल है। बचपन से हर गर्मी में इसके नए हरे फलों की सब्जी बनते देखा है। स्वाद अलग सा होता है जो सभी को पसंद आए, ऐसा नहीं है, लेकिन औषधीय गुणों पर जाएं, तो एक बार आप भी इसकी सब्जी जरूर खाना चाहेंगे। आयुर्वेद में महुआ के पेड़ के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, इसमें कई औषधीय गुण मौजूद हैं। महुआ कई तरह से सेहत के साथ त्वचा के लिए भी फायदेमंद है।सर्दी, खांसी व दर्द में राहतमहुआ के फूल कृमिनाशक और कफ से राहत देने वाले होते हैं। महुआ के फूल की तासीर ठंडी होती है। इसके फलों और फूलों को प्राकृतिक कूलिंग एजेंट व स्वास्थ्य वर्ध टॉनिक के रूप में उपयोग किया जाता हैं। लेकिन फिर भी इसके फूलों को सर्दी-जुखाम, खांसी ब्रोंकाइटिस और अन्य पेट व श्वसन संबंधी विकारों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।दस्त की समस्या दूर करेइसकी छाल से बने काढ़े को पीने से दस्त की समस्या दूर होती है। इसके अलावा इसके बीजों का इस्तेमाल दवा के तौर वर किया जाता है। इसका इस्तेमाल निमोनिया, त्वचा संबंधी समस्या के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसके पेड़ की छाल त्वचा को मुलायम बनाने में मदद करती है।डायबिटीज के लिएडायबिटीज की समस्या आम हो गई है। जिन लोगों को डायबिटीज यानि मधुमेह की समस्या है, उनके लिए महुआ एक औषधी के समान है। डायबिटीज के रोगियों के लिए महुआ की छाल से बना काढ़ा लाभदायक होता है। इसके औषधीय गुण शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मदद करते हैं। इसकी छाल से बनें काढ़े के नियमित सेवन से डायबिटीज के लक्षण को दूर किया जा सकता है।गठिया रोग के इलाज में मददमहुआ की छाल टॉन्सिलिटिस, डायबिटीज, अल्सर और गठिया के लिए इस्तेमाल की जाती है। आप महुआ के बीजों से निकाले गये तेल से भी मालिश कर सकते हैं। ऐसा करने से गठिया रोग के इलाज में मदद मिलेगी।दांतों के दर्द से छुटकारादांतों से संबंधित समस्याओं में आप महुआ का इस्तेमाल कर सकते हैं। महुआ की टहनी और छाल दांतों के दर्द में फायदेमंद है। यदि आपके दांतों में दर्द और मसूड़ो से खून निकल रहा हो, तो आप महुआ की छाल से निकलने वाले रस के साथ थोड़ा पानी मिलाएं और इस पानी से गरारे करें। इसके अलावा आप इसकी टहनी से मंजन भी कर सकते हैं। इससे मुंह के बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं और दांतों के दर्द में राहत मिलती है।बवासीर व आंखों संबंधी बीमारी के लिएमहुआ के फूल बवासीर में भी फायदेमंद हैं। इसके अलावा आंखों से पानी आने व आंखों में खुजली होने पर इलाज के तौर पर भी इससे बना शहद गुणकारी होता है।त्वचा संबंधी रोग एक्जिमा मेंमहुआ का उपयोग न केवल त्वचा को मुलायम करने के लिए किया जाता है, बल्कि त्वचा संबंधी रोग एक्जिमा के इलाज के रूप में भी किया जाता है।
- गिलोय कई पोषक तत्वों से भरी एक हेल्दी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसका प्रयोग कई स्वास्थ्य समस्याओं में किया जाता है। गिलोय में मौजूद गिलोइन नाम का ग्लूकोसाइड, टीनोस्पोरिन, पामेरिन और टीनोस्पोरिक एसिड जैसे यौगिक मौजूद होते हैं, जो आपके शरीर से कई रोगों को दूर करने में मदद करते हैं।इतना ही नहीं गिलोय में आयरन, फॉस्फोरस, कॉपर, कैल्शियम, जिंक, मैगनीज की मात्रा भी अधिक पाई जाती है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी पोषक तत्व होते हैं। ये सभी पोषक तत्व हमारे शरीर को कई रोगों से बचाने में मदद करते है। लेकिन जब आप कुछ स्वास्थ्य समस्याओं से पहले ही जूझ रहे हों तो आपको गिलोय के सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए। लेकिन खून की कमी वाले लोगों के लिए अमृत से कम नहीं है गिलोय।गर्मियों में सेवन करने से हो सकता है कब्जगिलोय को पाचन से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के उपचार में फायदेमंद माना जाता है हालांकि गर्मियों में ये पेट से जुड़ी कुछ समस्याओं को बढ़ा सकता है। गर्मियों में गिलोय के सेवन से आपको कब्ज जैसी परेशानी हो सकती है। कुछ स्थितियों में गिलोय का सेवन आपको पेट में जलन जैसा अनुभव भी प्रदान कर सकता है। इसलिए इस समस्या के परिणामस्वरूप आपको डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए। इसके अलावा गिलोय के सेवन से अपच की समस्या में इजाफा हो सकता है और नतीजन पेट में दर्द और मरोड़ की परेशानी भी हो सकती है।ब्लड शुगर लेवल होता है प्रभावितगिलोय का सेवन ब्लड शुगर से ग्रस्त लोगों के लिए नुकसानदाह होता है क्योंकि ये इस समस्या को बढ़ा सकता है। ब्लड शुगर से जूझ रहे लोगों को गिलोय के सेवन से पूरी तरह बचना चाहिए। गिलोय आपके ब्लड शुगर लेवल को और भी ज्यादा प्रभावित कर सकता है। दरअसल होता यूं है कि गिलोय ब्लड शुगर लेवल को काफी कम कर देता है, जिसके कारण आपको लो ब्लड शुगर लेवल से जुड़ी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार होना पड़ सकता है। इसलिए आपको डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही गिलोय का सेवन करना चाहिए।गिलोय के स्वास्थ्य लाभएनीमिया या खून की कमी से जूझ रहे लोगों के लिए गिलोय का सेवन बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है। गिलोय के पत्तों से बना जूस शरीर में खून की कमी जैसी गंभीर समस्या को दूर करने में फायदेमंद होता है। गिलोय के जूस में आधा चम्मच घी और एक छोटा चम्मच शहद मिलाकर पीने से भी शरीर में खून की कमी दूर होती है।पीलिया में फायदेमंदपीलिया जैसी बीमारी में गिलोय का सेवन फायदेमंद होता है। इस स्थिति से निपटने के लिए गिलोय की पत्तियों को सूखा लें और उसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण के सेवन से से आपको पीलिया दूर करने में मदद मिलती है।हाथ-पैरों में जलन की समस्या दूर करेहाथ-पैरों में झनझनाहट या जलन की समस्या में गिलोय का जूस आपको राहत प्रदान कर सकता है। अगर आपकी हथेलियां बहुत ज्यादा गर्म रहती हैं, तो गिलोय का रस पीना आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।
- गर्मी के दिनों में एक ग्लास बेल का शर्बत आपकी सारी परेशानी दूर कर देता है। इसका शीतल गुण शरीर को ठंडक प्रदान करता है। बेल गर्मी के लिए औषधि है, यह शरीर को हाइड्रेट रखने में हमारी मदद करता है। यह देशी फल पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर है।बेल का पोषण वैल्यू बहुत ज्यादा है। अध्ययन के अनुसार, बेल फल में पानी, शुगर, प्रोटीन, फाइबर, फैट, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, आयरन के अलावा विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी और राइबोफ्लेविन होते हैं। इसका शरबत आप सादे पानी या फिर दूध डालकर भी बना सकते हैं।बेल, हृदय और मस्तिष्क के लिए टॉनिक का काम करता है। यह हमारी आंतों या पेट के अनुकूल भी है और पारंपरिक रूप से कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने के लिए बेल का उपयोग किया जाता है। इसमें टैनिन, फ्लेवोनोइड्स और कैमारिन जैसे रसायन होते हैं, जो सूजन को कम करते हैं। जर्नल फार्मा इनोवेशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, बेल के पेड़ के सभी हिस्से उपयोगी होते हैं, लेकिन फल का औषधीय महत्व अधिक है। अध्ययन के मुताबिक, बेल एक सुगंधित, शीतल और रेचक होता है। यह स्राव या रक्तस्राव को रोकता है। कच्चा या आधपका फल भी पाचन के लिए अच्छा हो सकता है। गर्मी में पके बेल का शरबत बनाकर पीना फायदेमंद होता है। यह स्कर्वी को रोकने या ठीक करने में उपयोगी है। यह पेट को मजबूत करता है और पाचन क्रिया को बढ़ावा देता है। बेल में एंटी-फंगल और एंटीहेल्मिंटिक गुण भी होता है, जो शरीर से आंतरिक परजीवी को बाहर निकालता है।बेल अल्सर को ठीक करने में मदद करता हैशोध से पता चला है कि पेय के रूप में सेवन किए जाने पर बेल पेट के म्यूकोसा पर एक लेप बनाती है और अल्सर को ठीक करने में मदद करती है।बेल हैजा का इलाज करता हैबेल टैनिन का उच्च स्रोत है, जो हैजा के इलाज के लिए महत्वपूर्ण है। यह छिलके में लगभग 20 प्रतिशत और गूदे लगभग 9 प्रतिशत होता है। फल को हैजा का इलाज माना जाता है।बेल कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता हैबेल का रस लिपिड प्रोफाइल और ट्राइग्लिसराइड्स को नियंत्रित करता है, और रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। इसके सेवन से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले सकते हैं।बेल मधुमेह का प्रबंधन करता हैबेल रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखता है, जिससे मधुमेह का प्रबंधन करने में मदद मिलती है। हालांकि, अधिक मात्रा में सेवन नहीं किया जाना चाहिए। और कुछ सावधानी भी बरतनी चाहिए।बेल का शरबत बनाने में सावधानी जरूरीशरबत बनाने के लिए बेल का अच्छी तरह से पका होना जरूरी होता है। बेल में नैचुरल शुगर होता है इसलिए उसमें अतिरिक्त चीनी मिलाने से बचना चाहिए। क्योंकि इससे डायबिटीज रोगियों को नुकसान पहुंच सकता है। बेल का शरबत बनाने के लिए बर्फ का उपयोग बिल्कुल न करें। फ्रेश वाटर की मदद से शर्बत बनाना ज्यादा फायदेमंद होता है। सबसे जरूरी बात ये कि, इसका सेवन भी अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। अगर आप इसे किसी समस्या के इलाज के तौर पर उपयोग में लाना चाहते हैं तो विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
- क्या आप भी शिमला मिर्च को इस्तेमाल करते समय इसके बीजों को निकालकर फेंक देते हैं? अगर ऐसा है तो आप अनजाने में ही एक गलती कर रहे हैं। शिमला मिर्च को सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है और देश के लगभग सभी हिस्सों में इसका इस्तेमाल सब्जी, ग्रेवी बनाने से लेकर चाइनीज और इटैलियन फूड्स तक किया जाता है। शिमला मिर्च के बीज भी शिमला मिर्च की ही तरह ढेर सारे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। अगर आप इन्हें खाएं, तो आपको इससे भी कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं।आप भी इन फायदों को जान लें और अगली बार जब भी शिमला मिर्च का इस्तेमाल करें, तो इसके बीजों को निकालें नहीं, बल्कि शौक से खाएं, क्योंकि ये आपके लिए फायदेमंद साबित होंगे।विटामिन सी का है अच्छा स्रोतशिमला मिर्च और इसके बीज, दोनों ही विटामिन सी का बहुत अच्छा स्रोत हैं। इसलिए आपको शिमला मिर्च बीजों सहित जरूर खाना चाहिए। विटामिन सी आपके शरीर में आयरन को अवशोषित करने में मदद करता है और शरीर के लिए एक पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। इसके अलावा विटामिन सी शरीर की इम्युनिटी यानी रोगों से लडऩे की क्षमता बढ़ाता है और त्वचा को जवान बनाए रखता है।कैलोरीज बर्न करने में करता है मददअगर आपके शरीर में एक्सट्रा चर्बी जमा हो गई है, जिसके कारण आप चिंतित हैं, तो परेशान न हों। शिमला मिर्च खाएं क्योंकि ये लो-कैलोरी फूड है और फायदेमंद भी है। और साथ ही इसके बीजों को भी डिशेज में डाल दें, क्योंकि ये बीज आपकी कैलोरीज बर्न करने में मदद करेंगे। ये बीज फाइबर का बहुत अच्छा स्रोत होते हैं, साथ ही मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाते हैं, जिससे कैलोरीज बर्न करने में मदद मिलती है। अगर आप अपने लिए वेट लॉस सूप बना रहे हैं, तो उसमें शिमला मिर्च के बीज जरूर डालें।दिल की सेहत को रखेगा दुरुस्तआप जानते हैं कि हार्ट की बीमारियां कितनी खतरनाक होती हैं। दुनियाभर में सबसे ज्यादा लोग आज भी कार्डियोवस्कुलर रोगों से ही मरते हैं। हार्ट को स्वस्थ रखने के लिए बहुत सारे फूड्स डायटीशियन बताते हैं। शिमला मिर्च के बीज भी आपके दिल की सेहत को दुरुस्त रखने में बड़े फायदेमंद हो सकते हैं। हरे या ऑरेंज शिमला मिर्च के बीज साइटोकेमिकल्स और फ्लैवोनॉइड्स का बहुत अच्छा स्रोत होते हैं। इनके सेवन से शरीर में खून का थक्का (ब्लड क्लॉट) नहीं जमा होते हैं, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।कई बीमारियों से बचाएंगे शिमला मिर्च के बीजशिमला मिर्च या बेल पिपर किसी भी रंग के हों, आपके लिए बहुत फायदेमंद होते हैं क्योंकि इनके सेवन से कई तरह की बीमारियों से शरीर की रक्षा होती है। इसी तरह इनके बीज भी आपके लिए बहुत फायदेमंद हैं। शोध के अनुसार शिमला मिर्च के बीजों में पाए जाने वाले विटामिन ई और दूसरे एंटीऑक्सीडेंट्स के कारण ये डायबिटीज को कंट्रोल करता है, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करता है और दर्द में भी राहत पहुंचाता है। इसलिए आपको शिमला मिर्च और इसके बीजों, दोनों का ही सेवन करना चाहिए। े विटामिन ई झुर्रियों, झाइयों, डार्क सर्कल्स आदि को रोकने में बहुत फायदेमंद होता है। बहुत सारे ब्यूटी प्रोडक्ट्स में विटामिन ई का इस्तेममाल किया जाता है। यही नहीं विटामिन ई आपके बालों को भी हेल्दी, रेशमी और मजबूत बनाता है।
- लौकी का इस्तेमाल सब्जी के रूप में किया जाता है। भारत में प्राय: सभी क्षेत्रों में लौकी का उत्पादन बड़ी मात्रा में किया जाता है। लौकी में दूध के सभी गुण मौजूद रहते हैं। वास्तव में यह वनस्पति-जन्य दूध ही है। लौकी करीब-करीब बार महीने उपलब्ध रहती है। लौकी की अनेक किस्में होती हैं- लंबी, तुमड़ी, चिपटी, तूमरा आदि। सामान्यत: लौकी मीठी होती है और तुमड़ी कड़वी। लौकी की एक किस्म में तुमड़ी के आकार के फल लगते हैं । उसे मीठी तुमड़ी कहा जाता है और उसका उपयोग साग बनाने में किया जाता है। वहीं कड़वी तुमड़ी लौकी का उपयोग नदी में तैरने के लिए होता है।लौकी की एक किस्म मगिया लौकी के रूप में प्रसिद्ध है। इसका आकारा लंबी बोतल जैसा होता है इसलिए अंग्रेजी में इसे ड्ढशह्लह्लद्यद्ग द्दशह्वह्म्स्र कहते हैं। लौकी में चने की दाल मिलाकर बनाई हुई तरकारी स्वादिष्टï और गुणकारी होती है। लौकी का हलुआ खाने में स्वादिष्टï और शीतल होता है। लौकी गरिष्ठï , रेचक और बलप्रद है। अशक्त और रोगियों के लिए यह लाभकारी है। गर्म प्रकृति वालों के लिए लौकी का सेवन ठंडक और पोषण देने वाला होता है। सिर में डालने वाले तेल में लौकी का उपयोग ठंडक देने के लिए होता है। इसके बीज का उपयोग औषधि के रूप में होता है। कड़वी लौकी के फलों का उपयोग सख्त जुलाब देने के लिए होता है। लौकी हृदय के लिए लाभकारी, पित्त, कफ को नष्टï करने वाली, गरिष्ठï, वीर्यवर्धक, रुचि उत्पन्न करने वाली और धातुपुष्टिï को बढ़ाने वाली मानी जाती है। लौकी गर्भ की पोषक है। इसके सेवन से गर्भावस्था में कब्जियत दूर होती हैयूनानी मत के अनुसार लौकी के बीज मस्तिष्क की गर्मी को दूर करते हैं और मस्तिष्क को पुष्टï करते हैं। मस्तिष्क की गर्मी मिटाने के लिए और उसे तर करने के लिए हकीम लौकी के बीज के गर्भ का उपयोग करते हैं। इसके अलावा अन्य रोगों में भी लौकी का उपयोग प्रमुखता से किया जाता है।पानी से भरपूर ठंडी लौकी खासकर गर्मियों के मौसम में सेहत के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है। हरी सब्जियों में लौकी शायद सबसे जल्दी पकती है। लौकी में लगभग 96 प्रतिशत पानी होता है। यानी सलाद में जो काम खीरा करता है, सब्जी में वही काम लौकी करती है। लौकी ठंडी होती है। और यह हमारे लीवर को भी दुरुस्त रखती है। इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है, जिस वजह से इसे आसानी से पचाया जा सकता है।लौकी गर्मियों के मौसम में आपके पेट के लिए काफी अच्छी रहती है, और पेट में गैस बनने जैसी समस्या को दूर करती है। इसमें फाइबर होने की वजह से यह अल्सर, पाइल्स और गैस के रोगियों के लिए काफी फायदेमंद सब्जी है। क्योंकि फाइबर होने के कारण लौकी जल्दी पच जाती है, और शरीर में गैस की समस्या नहीं होती। केवल पर्याप्त मात्रा में लौकी क़ी सब्जी का सेवन कब्ज को भी दूर कर देता है और इससे पेट में गैस नहीं बनती। पेशाब से जुड़ी अनियमितताओं के ईलाज में लौकी फायदा करती है। अगर पेशाब करते समय किसी को जलन महसूस होती है तो डॉक्टर उसे लौकी खाने या उसका सूप पीने की सलाह देते हैं। लौकी हमारे लीवर को भी दुरुस्त रखती है। अगर किसी का लीवर संक्रमित है और ठीक से काम नहीं कर रहा है तो लौकी खाना उसके लिए फायदेमंद होता है।----
- यदि आप घर के बने कपड़े या कपड़े के फेस मास्क का उपयोग कर रहे हैं, तो आपको इसे नियमित रूप से साफ करना चाहिए। गंदा मास्क कोविड-19 वायरस के खतरे को ही नहीं बढ़ाते बल्कि अन्य संक्रमणों को भी बढ़ाते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से अपने मास्क को डिसइंफेक्ट करें और साफ करें और यह जांच लें कि आपका मास्क साफ हो। दुनिया भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ फैब्रिक मास्क या होममेड मास्क पहनने की सलाह दे रहे हैं। क्योंकि ये त्वचा पर कठोर नहीं होते और त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाते, जैसे कि सर्जिकल मास्क होते हैं। इसके अलावा, उन्हें साफ करना सर्जिकल मास्क या बाजार में मिलने वाले एन 95 मास्क की तुलना में आसान है।
कितनी बार हमें मास्क साफ करना चाहिए?
आप हमेशा यह तय कर लें कि आप बिना मास्क पहने घर से बाहर न जाएं। यदि यह संभव है, तो आप अपने पूरे चेहरे को एक स्कार्फ के साथ कवर करें। मास्क पहनना घातक कोरोना वायरस बचाव के लिए जरूरी उपाय में से एक है। इस वैश्विक महामारी से बचने के लिए फिलहाल रोकथाम ही एकमात्र उपाय है। यह सुझाव दिया जाता है कि हमें हर एक बार उपयोग के बाद मास्क को साफ करना चाहिए। यदि एक बार उपयोग के बाद संभव नहीं है, तो आपको इसे दैनिक रूप से रोज साफ करना चाहिए। रोटेशन में उपयोग करने के लिए 2-3 मास्क रखें। यह न केवल आपको विकल्प देगा, बल्कि आपकी त्वचा के लिए भी अच्छा होगा।घर पर फैब्रिक मास्क की सफाई के तरीके
यहां आपके फैब्रिक मास्क को साफ और निष्फल करने के कुछ आसान और प्रभावी तरीके दिए गए हैं और इससे आप उन्हें पुन: उपयोग के लिए तैयार कर सकते हैं। ध्यान दें कि ये विधियां केवल कपड़े के मास्क के लिए हैं। सर्जिकल मास्क को इनसे साफ नहीं किया जाना चाहिए।उबालना- कपड़े के मास्क को साफ करने की सबसे आसान विधि उबालकर मास्क को साफ करना। एक बर्तन ले और उसमें पानी डालकर उसे उबालें, अब आप इसमें अपने गंदे मास्क को डाल दें। आप इसे 5-6 मिनट के लिए उबाल लें और फिर आप पानी को गिरा दें और मास्क हटा लें। बेहतर परिणाम के लिए आप डेटॉल की कुछ बूंदें या क्लिनिकल डिसइंफेक्टेंट को मिला सकते हैं।हालांकि, इस पद्धति का एक नकारात्मक पहलू यह है कि उबलने के कुछ राउंड के बाद, कपड़ा खराब होना शुरू हो सकता है। ठीक उसी तरह जैसे कपड़े को बार-बार धोने से कपड़े की गुणवत्ता प्रभावित होती है, इससे मास्क सिकुड़ सकता है। इसलिए 10-15 बार मास्क को उबालकर धोने के बाद फेंक देना बेहतर है।डिटर्जेंट गर्म पानी के साथ वायरस और बैक्टीरिया को मारने के लिए सबसे अच्छा काम करता है क्योंकि उनमें ये उच्च तापमान पर निष्क्रिय हो जाते हैं।गर्म पानी और ब्लीच- उबालने के अलावा, अपने मास्क को धोने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप मास्क को गर्म पानी में उबालें और फिर ब्लीच के घोल में डालें। 1: 4 के अनुपात में ब्लीचिंग पाउडर और गर्म पानी का घोल बनाएं। इस घोल में अपने गंदे फेस मास्क को 5 मिनट के लिए भिगोएं और फिर कपड़े पर बचे हुए ब्लीच से छुटकारा पाने के लिए सामान्य पानी से धो लें। अब धूप में मास्क को सुखा लें।--- - कैमोमाइल एक औषधीय पौधा है, जिसका इस्तेमाल काफी पुराने समय से किया जा रहा है। खास बात ये है कि इस पौधे के फूल बहुत खूबसूरत होते हैं, इसलिए ये आपके लिए सजावटी पौधे की तरह भी काम करेगा और कई तरह की समस्याओं में दवा का भी काम करेगा।जिन लोगों की हड्डियां कमजोर हो या जिन्हें ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो, उनके लिए भी कैमोमाइल की चाय बहुत फायदेमंद होती है। जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या, रात में देर से नींद आने की समस्या, थकान, तनाव और जल्दी-जल्दी बीमार होने की समस्या हो, उनके लिए भी इसकी चाय बड़ी फायदेमंद है। कैमोमाइल टी पीने से शरीर की पाचन क्षमता में सुधार होता है। चाय में एपिगेनिन होता है जो एक एंटीऑक्सीडेंट है।कैमोमाइल का पौधा घर में लगाने से तनाव, चिंता, डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं से छुटकारा मिलता हैं क्योंकि इस पौधों में रिलैक्सिंग के गुण होते हैं। कैमोमाइल का पौधा आपकी नव्र्स को रिलैक्स करता है, इसलिए घर में इसे लगाने से और इसकी खुशबू से ब्लड प्रेशर के रोगियों को बड़ा आराम मिलता है। इस पौधे की पत्तियों को आप त्वचा समस्याओं, जैसे- खुजली, रैशेज आदि में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा घावों को भरने में भी इसकी पत्तियां मदद करती हैं। कैमोमाइल के फूलों और पत्तियों को डालकर चाय बनाकर पीने से डायबिटीज कंट्रोल रहता है और ब्लड प्रेशर कम होता है। इसके अलावा ये आपके कोलेस्ट्रॉल को भी कम करती है। मुंह के छालों, डायरिया और बवासीर के रोगियों के लिए भी कैमोमाइल का पौधा बड़े काम का होता है।कैमोमाइल चाय में एपिगेनिन होता है जो एक एंटीऑक्सीडेंट है। यह इंसोम्निया, नींद आने में असमर्थता आदि से छुटकारा पाने में मदद करता है। यह अच्छी नींद पाने और अवसाद के संकेतों को कम करने में भी मदद करता है। सोने से पहले कैमोमाइल टी का सेवन अच्छी नींद लेने में मदद कर सकती है।एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण, रोजाना कैमोमाइल टी का सेवन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बूस्ट करता है। यह शरीर को सर्दी, बुखार, वायरल इंफेक्शन से बचाने में मदद करता है। रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में उतार-चढ़ाव को कम करता है जिससे हृदय से जुड़ी समस्याएं कम हो सकती हैं.(नोट-कैमोमाइल चाय का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें)
- हरीतकी (लैटिन भाषा में इसे Terminalia chebula कहते हैं। ) एक ऊंचा वृक्ष होता है एवं मूलत: निचले हिमालय क्षेत्र में रावी तट से लेकर पूर्व बंगाल-असम तक पांच हजार फीट की ऊंचाई पर पाया जाता है । हरड़ बाजार में दो प्रकार की पाई जाती है-बड़ी और छोटी । बड़ी में पत्थर के समान सख्त गुठली होती है, छोटी में कोई गुठली नहीं होती । वे फल जो पेड़ से गुठली पैदा होने से पहले ही गिर पड़ते हैं या तोड़कर सुखा लिया जाते हैं । उन्हें छोटी हरड़ कहते हैं । आयुर्वेद के जानकार छोटी हरड़ का उपयोग अधिक निरापद मानते हैं, क्योंकि आंतों पर उनका प्रभाव सौम्य होता है, तीव्र नहीं ।बवासीर, सभी उदर रोगों, संग्रहणी आदि रोगों में हरड़ बहुत लाभकारी होती है। आंतों की नियमित सफाई के लिए नियमित रूप से हरड़ का प्रयोग लाभकारी है। लंबे समय से चली आ रही पेचिश तथा दस्त आदि से छुटकारा पाने के लिए हरड़ का प्रयोग किया जाता है। सभी प्रकार के उदरस्थ कृमियों को नष्ट करने में भी हरड़ बहुत प्रभावकारी होती है।अतिसार में हरड़ विशेष रूप से लाभकारी है। यह आंतों को संकुचित कर रक्तस्राव को कम करती हैं वास्तव में यही रक्तस्राव अतिसार के रोगी को कमजोर बना देता है। हरड़ एक अच्छी जीवाणुरोधी भी होती है। अपने जीवाणुनाशी गुण के कारण ही हरड़ के एनिमा से अल्सरेरिक कोलाइटिस जैसे रोग भी ठीक हो जाते हैं। हरड़ बवासीर तथा खूनी पेचिश आदि बीमारी के उपचार में काम आती है। लीवर, स्पलीन बढऩे तथा उदरस्थ कृमि आदि रोगों की इलाज के लिए लगभग दो सप्ताह तक लगभग तीन ग्राम हरड़ के चूर्ण का सेवन करना चाहिए। हरड़ त्रिदोष नाशक है परन्तु फिर भी इसे विशेष रूप से वात शामक माना जाता है। अपने इसी वातशामक गुण के कारण हमारा संपूर्ण पाचन संस्थान इससे प्रभावित होता है। यह दुर्बल नाडिय़ों को मजबूत बनाती है तथा कोषीय तथा अंर्तकोषीय किसी भी प्रकार के शोध निवारण में प्रमुख भूमिका निभाती है।हालांकि हरड़ हमारे लिए बहुत उपयोगी है परन्तु फिर भी कमजोर शरीर वाले व्यक्ति, अवसादग्रस्त व्यक्ति तथा गर्भवती स्त्रियों को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। हरड़ में ग्राही (एस्ट्रिन्जेन्ट) पदार्थ हैं, टैनिक अम्ल (बीस से चालीस प्रतिशत) गैलिक अम्ल, चेबूलीनिक अम्ल और म्यूसीलेज । रेजक पदार्थ हैं एन्थ्राक्वीनिन जाति के ग्लाइको साइड्स । इनमें से एक की रासायनिक संरचना सनाय के ग्लाइको साइड्स सिनोसाइड ए से मिलती जुलती है । इसके अलावा हरड़ में दस प्रतिशत जल, 13.9 से 16.4 प्रतिशत नॉन टैनिन्स और शेष अघुलनशील पदार्थ होते हैं । वेल्थ ऑफ इण्डिया के वैज्ञानिकों के अनुसार ग्लूकोज, सार्बिटाल, फ्रूक्टोस, सुकोस, माल्टोस एवं अरेबिनोज हरड़ के प्रमुख कार्बोहाइड्रेट हैं । 18 प्रकार के मुक्तावस्था में अमीनो अम्ल पाए जाते हैं । फास्फोरिक तथा सक्सीनिक अम्ल भी उसमें होते हैं । फल जैसे पकता चला जाता है, उसका टैनिक एसिड घटता एवं अम्लता बढ़ती है । बीज मज्जा में एक तीव्र तेल होता है । हरड़ का उपयोग त्रिफला बनाने में किया जाता है , जो पेट के रोगों के लिए एक उत्तम औषधि है।---
- गर्मी का मौसम आते ही आम का सीजन शुरू हो जाता है और ज्यादातर लोगों को आम बहुत पसंद होता है। अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को कच्चा आम बहुत पसंद है और उन्होंने कच्चे आम के प्रति अपने प्यार को सोशल मीडिया पर भी शेयर किया है।दीपिका ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर हाल ही में एक तस्वीर शेयर की है, जिसमें कच्चे आम की कुछ कटी हुई फांकों पर नमक और मिर्च पाउडर डाला गया है। इस तस्वीर को देखकर किसी के भी मुंह से पानी आ सकता है। दीपिका ने फोटो शेयर करते हुए उसके कैप्शन में लिखा है, ये चीज बेहद शानदार है और बाकी सभी से बेहतर हैं। उन सब में से बेहतर, जिनसे मैं अभी तक मिली हूं।वैसे भी कच्चे आम का स्वाद किसी को भी दीवाना बना सकता है। कच्चे आम से बना आम पन्ना गर्मी के मौसम में शरीर को राहत देने का काम करता है। लेकिन एक कारण ये भी है कि हमारी माताएं हमेशा यह सुनिश्चित करती हैं कि गर्मियों के दौरान अचार या पेय के रूप में हम पर्याप्त मात्रा में कच्ची कैरी का सेवन करें क्योंकि ये बहुत हेल्दी होती है। इसे रोजाना अपने खाने में किसी न किसी रूप में इस्तेमाल करें। आइए जानते हैं कच्चे आम के फायदे....1. कच्चा आम अपच, दस्त जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं से पीडि़त लोगों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। यह पेट से जुड़ी समस्याओं में राहत दिलाने का काम करती है।2. आम का रस पीने से तेज गर्मी के प्रभाव को कम किया जा सकता है और डिहाइड्रेशन को रोका जा सकता है।3. कच्चा आम शरीर को ऊर्जा भी देता है, जो आपको उबासी से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है। इसलिए भोजन के बाद जिन लोगों को नींद आती है उन्हें अक्सर कच्चे आम का सेवन करना चाहिए। इससे उन्हें नींद नहीं आती।4. अमचूर या कच्चे आम का पाउडर विटामिन सी से भरपूर होता है, जो मसूड़ों से खून बहने, कमजोरी और थकान को दूर करने के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के विकास को भी बढ़ाता है। इसमें नियासिन नाम का तत्व होता है, जो इसे दिल के लिए एक हेल्दी फल बनाता है। यह रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सुधारने में भी मदद करता है।5. कच्चा आम में विटामिन सी होता है, जो कोलेजन बनाने के लिए आवश्यक विटामिन है। कोलेजन एक प्रोटीन है, जो त्वचा और बालों के स्वास्थ्य में सुधार करता है।6. कच्चा आम विटामिन ए से भी समृद्ध होता है, जो स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली यानी की इम्यून सिस्टम के लिए बेहद आवश्यक है। यह मजबूत प्रतिरक्षा संक्रमण को दूर करने में मदद करता है।---
- कटेरी, जिसे कंटकारी और भटकटैया भी कहते हैं। हिंदी में इसके कई नाम है जैसे- छोटी कटाई, भटकटैया, रेंगनी, रिगणी, कटाली, कटयाली आदि। यह कांटेदार एक पौधा है जो जमीन पर उगता है। कटेरी अक्सर जंगलों और झाडिय़ों में बहुतायत रूप से पाया जाता है। आमतौर पर कटेरी की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं- छोटी कटेरी , बड़ी कटेरी और श्वेत कंटकारी। जिनका प्रयोग रोगों को दूर करने के लिए औषधि के तौर पर किया जाता है।कटेरी का प्रयोग पथरी, लिवर का बढऩा और माइग्रेन जैसे गंभीर रोगों में किया जाता है। इसके और भी कई लाभ हैं। यहां हम आपको कटेरी के फायदे बता रहे हैं।कटेरी का प्रयोग और फायदे1. कटेरी या कंटकरी कृमि, सर्दी-जुकाम, आवाज का बैठना, बुखार, बदहजमी, मांसपेशियों में दर्द, और मूत्राशय में पथरी के इलाज में उपयोगी है। पथरी के लिए कटेरी के जड़ का चूर्ण दही के साथ मिलाकर खाया जाता है।2. माइग्रेन, और सिरदर्द में कंटकरी का प्रयोग काफी फायदेमंद है। इसके अलावा अस्थमा में छोटी कटेरी के 2-4 ग्राम कल्क में हींग औरशहद मिलाकर, सेवन करने से लाभ मिलता है।3. गले की खराश को ठीक करने में इसके साथ जामुन के रस का उपयोग किया जाता है।4. कंटकारी का प्रयोग खूनी बवासीर में सहायक है।5. गठिया में दर्द और सूजन को कम करने के लिए कटेरी का पेस्ट जोड़ों पर लगाया जाता है।5. इसकी जड़ और बीज को अस्थमा, खांसी और सीने में दर्द होने पर पयोग किया जाता है।6. खांसी का इलाज करने के लिए कटेरी की जड़ का काढ़ा शहद के साथ दिया जाता है।7. इसके तने, फूल और फल, कड़वे होने के कारण, पैरों में होने वाली जलन से राहत दिलाने में मदद करते हैं।8. यह जड़ी-बूटी एडिमा से जुड़ी हृदय रोगों के उपचार में फायदेमंद है, क्योंकि यह हृदय और रक्त शोधक के लिए उत्तेजक का काम करती है।9. शारीरिक कमजोरी में दिन में दो बार कटेरी के ताजे पत्तों का रस पीना चाहिए। इसमें आप मिश्री मिलाकर उपयोग कर सकते हैं।10. लिवर की समस्या में कटेरी का उपयोग किया जाता है। नियमित रूप से कटेरी के काढ़े का सेवन लिवर में मौजूद संक्रमण और सूजन को कम करने में मदद करता है।(नोट: ये सभी प्रयोग एक बार विशेषज्ञ की राय लेकर ही किए जाने चाहिए )---
- स्किनकेयर और हेयरकेयर के लिए ज्यादातर लोग अब प्राकृतिक अवयवों के उपयोग की तरफ मुड़ रहे हैं। बात चाहे छोटे-मोटे घरेलू नुस्खों की हो या स्किनकेयर और बालों की देखभाल की, लोग हर दिन अपने आस-पास मौजूद प्राकृतिक उपायों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हाल ही में अभिनेता शाहिद कपूर की पत्नी मीरा कपूर ने हिबिस्कस यानी कि गुड़हल के फूल से हेयर ऑयल और हेयर पैक की रेसिपी साझा की।इस रेसिपी को साझा करते हुए मीरा ने हिबिस्कस यानी गुड़हल के फूलों के कुछ खास फायदे भी बताए। दरअसल बालों के लिए गुड़हल के फूल का अर्क कई मायनों में फायदेमंद है। ये बालों के रोम में जाकर इसके विकास को एक गति देता है, जो गंजे पैच को कवर करने में मदद करता है और सूखापन और रुसी को भी कम करने में मददगार है।कैसे बनाएं गुड़़हल के फूल का तेलमीरा ने अपने पोस्ट में गुड़़हल के फूल से तेल बनाने और हेयर मास्क बनाना बताया है। जैसे कि-दो हिबिस्कस फूल यानी कि गुड़हल के फूल और कम से कम 7-8 इसी के ताजा हरे पत्ते भी ले लें।- अब नारियल तेल का एक चम्मच लें और इसमें मिलाकर एक पीस कर पेस्ट बना लें।- सुनिश्चित करें कि आप इसके पराग को छोड़कर पूरे फूल का उपयोग करें।-अब, मध्यम आंच पर एक पैन रखें और उसमें तीन चम्मच नारियल का तेल डालें। इसमें वो पेस्ट मिला लें।- अब आप इसमें कुछ मेथी के बीज, आंवला पाउडर और करी पत्ते भी मिला लें। साथ ही आप नीम की पत्तियों को भी इसमें मिला सकते हैं।-अब इसे अच्छे से गर्म कर लें। अब एक मलमल के कपड़े का उपयोग करके सामग्री पक तनाव डालते हुए इसे एक एयर-टाइट कंटेनर में छान कर स्टोर करें। अब इस तेल का इस्तेमाल अपने बालों के लिए करेंमीरा कपूर ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में उल्लेख किया है,यह वास्तव में उपलब्ध और सीजन पर निर्भर करता है। मीरा बताती हैं कि इस तेल को आप अपने बालों की जड़ों में लगाएं और आपको इसका फायदा नजर आएगा।बालों के लिए गुड़़हल के फूलों का लाभ-हिबिस्कस फूलों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले अमीनो एसिड बालों को पोषण प्रदान करने के साथ बालों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।- ये अमीनो एसिड केराटिन नामक एक विशेष प्रकार के संरचनात्मक प्रोटीन का उत्पादन करते हैं, जो बालों के लिए फायदेमंद है।-केराटिन बालों को बांधता है जिससे उनके टूटने की संभावना कम हो जाती है।-हिबिस्कस के फूलों और पत्तियों में अधिक मात्रा में पानी होता है, जो प्राकृतिक कंडीशनर के रूप में काम करता है।- ये डैंड्रफ और स्कैलप को हेल्दी बनाने में मदद करता है।-बालों के लिए हिबिस्कस की पत्तियों का उपयोग स्केल्प को ठंडा करता है और बालों के पीएच संतुलन को बनाए रखता है।-परंपरागत रूप से, हिबिस्कस का उपयोग ग्रे बालों काला करने के लिए एक प्राकृतिक डाई के रूप में किया जाता था।-इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन मेलेनिन का उत्पादन करने में मदद करते हैं, जो स्वाभाविक रूप से बालों को प्राकृतिक रंग देता है।
- गर्मियों के मौसम में तरबूज बड़े चाव से खाया जाता है। इसके फायदों के बारे में हम बता ही चुके हैं। आज हम इसके छिलकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे हम बेकार समझकर फेंक देते हैं।तरबूज का छिलका आपके दिल को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। यह रक्त परिसंचरण को प्रोत्साहित करता है, जो हृदय के लिए फायदेमंद है। इसके अलावा, इसमें मौजूद सिट्रुललाइन रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने और हार्ट फेल्योर, कोरोनरी आर्टरी डिजीज की बीमारियों में फायदेमंद है।स्वस्थ किडनी के लिएतरबूज के छिलके में पोटेशियम होता है, जो स्वस्थ किडनी के फायदेमंद है। तरबूज के छिलके में मूत्रवर्धक और हाइड्रेटिंग गुण हैं, जो यूटीआई में भी फायदेमंद है। यूटीआई की समस्या होने पर आप नियमित रूप से एक गिलास ताजा तरबूज का रस पियें।इंफ्लमेशन को कम करेतरबूज के छिलके में लाइकोपीन होता है, जो कि इंफ्लमेशन को कम करने में सहायक है। तरबूज का छिलका खाने से स्किन इंफ्लमेशन से लेकर गठिया के दर्द के लिए को कम करने में मदद मिलती है। यह आपके सूजन को कम करने मुंहासे के इलाज में भी प्रभावी है।ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने और वजन घटाने में मददतरबूज से लेकर तरबूज का छिलका आपके हाई बीपी को कम करने में मदद कर सकता है। तरबूज व इसके छिलके में सिट्रुललाइन होता है, जो रक्त वाहिकाओं को पतला करने में मदद करता है और बदले में ब्लड प्रेशर को कम करके नॉर्मल करने में मदद करता है। तरबूज के छिलके की सिट्रुललाइन सामग्री वजन घटाने में भी मदद करती है। वहीं इसके छिलके में फाइबर होता है, जो आपको अधिक समय तक भरा रहने में मदद करता है। इतना ही नहीं, तरबूज और उसका छिलका आपको बेहतर वर्कआउट परफॉर्मेंस में भी मददगार है।नींद में सुधारतरबूज के छिलके में मैग्नीशियम होता है। यह एक ऐसा खनिज है, जो आपको बेहतर नीं पाने में मदद कर सकता है। तरबूज आपके मेटाबॉलिज्म को विनियमित करने में भी मदद करता है, जो नींद की गड़बड़ी और अनिद्रा की समस्या को दूर करने में मदद करता है।कैसे करें इस्तेमाल?1. तरबूज के छिलके का जैम- तरबूज के हरे भाग को छीलें और छिलके के सफेद हिस्से का उपयोग जैम बनाने के लिए करें।2. तरबूज के छिलके का अचार-तरबूज के छिलके के सफेद भाग का अचार भी बनाया जा सकता है। यह सामान्य किसी भी अचार की तरह बनाया जा सकता है।3. तरबूज के छिलके की कढ़ी या सब्जी - तरबूज के छिलके में हरी स्किन को निकालकर आप इसकी तरबूज के छिलके की सब्जी या कढ़ी भी बना सकते है, जो काफी स्वादिष्ट होती है। इसके छिलके से बनी सब्जी आपको कई पोषक तत्व प्रदान करती है। यह सब्जी पाचन को बढ़ावा देने और हेल्थ को बूस्ट करने में मदद करती है।4. तरबूज की सब्जी आप लौकी की सब्जी की तरह सादे तरीके से भी बना सकते हैं या फिर इसमें प्याज और टमाटर की प्यूरी डालकर मसाले के साथ बना सकते हैं।
- नाशपाती के समान दिखनेवाले रूचिरा या एवोकाडो के बारे में लोगों को भ्रम है कि यह सब्जी की प्रजाति का है। लेकिन सच्चाई यह नहीं है। एवोकाडो फल की श्रेणी में ही आता है और स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी फायदेमंद है। इस फल में प्रोटीन, रेशे, नियासिन, थाइमिन, राइबोफ्लेविन, फोलिक एसिड और जिंक जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।एवोकाडो में काफी मात्रा में कैलोरी पाई जाती है, जो हृदय के रोगों से हमें बचाती है। इसमें कोलेस्ट्रोल की मात्रा बिल्कुल नहीं पाई जाती। आजकल युवाओं में अपने वजन को लेकर बहुत चिन्ता रहती है। इसके लिए एन एप्पलस ए डे...वाली कहावत को बदल देना चाहिए। इसकी बजाय एवोकाडो ए डे...कर दें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। इसमें पाई जाने वाली कैलोरी की अत्यधिक मात्रा बढ़ते बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद है। लेकिन कैलोरी की मात्रा इसके अलग-अलग किस्मों में अलग-अलग मात्रा में होती है। जैसे कि फ्लोरिडा में पाए जाने वाले एवोकाडो में उसके गूदे का आधे से अधिक भाग कैलोरीयुक्त होता है, वहीं कैलीफोर्निया में पाए जाने वाले एवोकाडो में यह दो-तिहाई ही पाया जाता है।पाचन के लिए बेहतरऐसा कहा जाता है कि एवोकाडो पेट की आंतों के लिए बहुत अच्छे होते हैं। इसलिए ये पाचन को बेहतर बनाए रखने में सहायक होते हैं। इसमें घुलनशील और अघुलनशील फाइबर होते हैं, जो पाचन तंत्र की मदद करते हैं। इसके अलावा गैस्ट्रिक और पाचन के रस को उत्तेजित करते हैं। ताकि पोषक तत्वों को सबसे कुशल और तेज तरीके से अवशोषित किया जा सके। कब्ज और दस्त जैसी समस्याओं के लक्षण भी ये कम करते हैं।लिवर के लिएएवोकाडो को लिवर क्षति को कम करने में बहुत अच्छा पाया गया है। इशमें कुछ आर्गेनिक यौगिक होते हैं, जो लिवर के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं।दृष्टि बढ़ाने में सहायकएवोकाडो आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसमें लुटेइन और जैकैक्टीन जैसे कैरोटीनॉइड होते हैं, जो मोतियाबिंद, उम्र से संबंधित आंखों के रोगों को दूर करने में सहायक होते हैं।इसके अलावा एवोकाडो गठिया रोगों में भी फायदेमंद हैं। एवोकाडो का इस्तेमाल गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।जैसे ही एवोकाडो को तोड़ते हैं वह पकने लगता है। जब वह पकने के क्रम में होता है तो उसका बाहरी हिस्सा कुछ सख्त जरूर होता है, लेकिन वह पूरी तरह से कड़ा नहीं होता। अगर आप कुछ कच्चे एवोकाडो खरीदें तो उसे कमरे में ही तीन-चार दिनों के लिए छोड़ दें जब तक उसका ऊपरी हिस्सा मुलायम न हो जाए। अगर उसे जल्दी खाना है तो उसे पेपर में लपेटकर दो-तीन दिनों के लिए कमरे में ही रखें। वह पक जाता है।
- स्टेविया या स्टीविया माने मीठी तुलसी , सूरजमुखी परिवार (एस्टरेसिया) के झाड़ी और जड़ी बूटी के लगभग 240 प्रजातियों में पाया जाने वाला एक जीनस है, जो पश्चमी उत्तर अमेरिका से लेकर दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। स्टेविया रेबउडियाना प्रजातियां, जिन्हें आमतौर पर स्वीटलीफ, स्वीट लीफ, सुगरलीफ या सिर्फ स्टेविया के नाम से जाना जाता है, मीठी पत्तियों के लिए वृहत मात्रा में उगाया जाता है।स्टीविया की पत्तियों में चीनी से तीन सौ गुना अधिक मीठा होता है। इसी मिठास के कारण इसे हनी प्लांट भी कहा जाता है। स्टीविया जिसे मधुरगुणा के नाम से भी जाना जाता है। इसमें डायबिटीज को दूर करने के गुण होते हंै। स्टेविया नाम की जड़ी बूटी चीनी का स्थान ले सकती है और खास बात ये कि इसे घर की बगिया में भी उगाया जा सकता है। यह शून्य कैलोरी स्वीटनर है और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इसे हर जगह चीनी के बदले इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे तैयार उत्पाद न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि दिल के रोग और मोटापे से पीडि़त लोगों के लिए भी फायदेमंद हैं। स्टीविया न केवल शुगर बल्कि ब्लड प्रेशर, हाईपरटेंशन, दांतों, वजन कम करने, गैस, पेट की जलन, त्वचा रोग और सुंदरता बढ़ाने के लिए भी उपयोगी होती है। यही नहीं इसके पौधे में कई औषधीय व जीवाणुरोधी गुण भी होते हैं।वैसे स्टीविया मूल रूप से जापान का पौधा है किंतु जैसे-जैसे इसकी खूबियों के बारे में पता चलता गया। वैसे ही वैसे इसकी व्यवसायिक खेती को बढ़ावा मिला। वहीं भारतवर्ष में भी कई राज्यों में इसकी खेती प्रारंभ हो चुकी है। स्टीविया शाकीय पौधा है। इसको खेत में उगाया जाता है और इसकी पत्तियों का उपयोग होता है। यह चीनी से तीन सौ गुना अधिक मीठा होता है, इसे पचाने से शरीर में एंजाइम नहीं होता और न ही ग्लूकोस की मात्रा बढ़ती है। आज के समय में स्टीविया का कई शुगर फ्री पदार्थो को बनाने के लिए भी प्रयोग किया जाने लगा है।स्टीविया एक छरहरा सदाबहार शाकीय पौधा है। इसकी मिठास के कारण इसे हनी प्लांट भी कहा जाता है। इसका उपयोग हर्बल औषधि में डायबिटीज रोगियों के लिए टॉनिक के रूप में भी किया जाता है। स्टीविया पैंक्रियाज से इंसुलिन को रिलीज करने में अहम भूमिका निभाता है। यह इंसुलिन प्रतिरोध में वृद्धि, ग्लूकोज के अवशोषण को रोककर और अग्न्याश के स्वास्थ्य को बढ़ावा देकर ब्लड शुगर को स्थिर करता है।आयुर्वेद चिकित्सकों के अनुसार स्टीविया से शुगर के अलावा मोटापे से भी निजात पाई जा सकती है। मोटापे के शिकार व्यक्तियों के लिए भी यह पौधा किसी वरदान से कम नहीं है। ब्राजील में जर्नल एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, स्टीविया से हाइपरटेंशन से पीडि़त लोगों में रक्तचाप के स्तर को कम किया जा सकता है। एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी इंफ्लेमेंटरी गुणों से भरपूर होने के कारण, स्टीविया मुंहासों और रूसी की समस्या से छुटकारा पाने में मदद करता है। इसके अलावा यह ड्राई और डैमेज बालों को ठीक करने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। स्टीविया में विशिष्ट संयंत्र ग्लाइकोसाइड की उपस्थिति, पेट के अस्तर में होने वाली जलन को दूर करने में मदद करता है। इस तरह से अपच और हार्टबर्न के उपचार में मदद करता है।------
- दूध और केला , दोनों ही सेहत के लिए फायदेमंद है। कई लोगों को सुबह नाश्ते में दूध-केला साथ लेना पसंद है । कुछ लोगों को बनाना-मिल्क शेक पीना पसंद है। एक्सपट्र्स कहते हैं कि दूध और केले को अलग-अलग लेना ज्यादा फायदेमंद है, लेकिन इसे एक साथ लेना सही नहीं है।आयुर्वेद की नजर से देखें, तो ऐसे बहुत सारे फूड्स कॉम्बिनेशन बताए गए हैं, जिन्हें एक साथ नहीं खाना चाहिए। गलत आहार समूह के चुनाव से आप बीमार पड़ सकते हैं और आपको पेट दर्द, कब्ज, अपच, गैस, फूड पॉइजनिंग आदि की समस्या हो सकती है।जैसे कि तरबूज के साथ दूध- दूध लैक्सेटिव स्वभाव का होता है, जबकि तरबूज ड्यूरेटिक होता है। दूध को पचने में ज्यादा समय लगता है और तरबूज को पचने में कम समय लगता है। इसी तरह तरबूज को पचाने के लिए आपकी आंतें जो एसिड बनाती हैं, वो दूध को पचने से रोकता है। इसलिए आयुर्वेद में दूध और तरबूज को भी गलत फूड कॉम्बिनेशन बताया गया है।उसी तरह से दूध के साथ केला है। दूध के साथ केला खाने से हो सकती है अपच और बदहजमी की समस्या। इससे आंतों के बैक्टीरिया पर बुरा असर पड़ता है और वो टॉक्सिन्स बनाने लगते हैं, जिससे साइनस, जुकाम, खांसी और एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। केले और दूध का स्वभाव अलग है। एक्सपर्ट के अनुसार इस तरह के कॉम्बिनेशन से बचना चाहिए। दूध प्रोटीन, विटामिन्स, राइबोफ्लेविन और विटामिन बी 12 जैसे मिनरल्स का खजाना है। सौ ग्राम दूध में करीब 42 कैलोरी होती है, वहीं सौ ग्राम केले में 89 कैलोरी। इसी वजह से केला खाने से पेट भरा-भरा लगता है और दिन भर स्फूर्ति बनी रहती है।दूध और केला एक साथ खाने से हो सकते हैं ये नुकसान-पाचन क्रिया प्रभावित हो सकती है।-दस्त, उल्टी की शिकायत हो सकती है। हो सकता है कि यह परेशानी लंबे समय तक बनी रहे।- यह कॉम्बिनेशन से साइनस, सर्दी, कफ और एलर्जी की शिकायत हो सकती है।-आयुर्वेद के अनुसार फलों और लिक्विड के कॉम्बिनेशन से दूर रहने में ही भलाई है। इससे शरीर में भारीपन आ सकता है।
- अनानास यानी पाइन एप्पल, अपने खट- मधुर स्वाद के कारण काफी पसंद किया जाता है। इसके छिलकों को लोग बेकार समझकर फेंक देते हैं लेकिन ये शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।अनानास खाना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है क्योंकि यह एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। अनानास में प्रोटीन, काब्र्स, फाइबर, विटामिन सी, मैंगनीज, विटामिन बी6, कॉपर, थाइमिन,फॉलेट, पौटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन आदि पोषक तत्व भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। अनानास का गूदा पीले रंग का और बेहद स्वादिष्ट होता है लेकिन इसके छिलके सख्त और थोड़े कड़वे होते हैं, ऐसे में लोग अक्सर अनानास के छिलकों को बेकार समझकर फेंक देते हैं।अनानास का छिलका सख्त और थोड़ा कड़वा होता है इसलिए आप उसे थोड़ा-थोड़ा करके खा सकते हैं या फिर इसके मीठे पल्प के साथ भी खा सकते हैं ताकि आपको कड़वाहट महसूस ना हो। आज हम आपको पाइनएप्पल के छिलकों के फायदे बताने जा रहे हैं।आइए जाने अनानास के छिलके के फायदे...एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से होते हैं भरपूरपाइनएप्पल के तने और छिलके में ब्रोमालाइन नामक एक एंजाइम पाया जाता है जो रक्त का थक्का बनाने में काफी मददगार होता है। पाइनएप्पल का छिलका शरीर में सूजन को कम करने में मददगार होता है। किसी भी चोट या सर्जरी के बाद की सूजन को कम करने में ये मदद करता है।पाचन के लिए फायदेमंद होता हैअनानास का छिलका भले ही सख्त होता है लेकिन ये फाइबर का एक बहुत अच्छा स्रोत होता है। हालांकि अनानास एक ऐसा फल है जिसमें कैलोरी ज्यादा होती है लेकिन इसके छिलके में कैलोरी की बजाय फाइबर ज्यादा होता है। फाइबर से भरपूर होने के कारण ये डाइजेस्टिव सिस्टम यानि की पाचन तंत्र के लिए बेहद फायदेमंद होता है। पेट के लिए इसे उपयोगी माना जाता है।विटामिन सी से होता है भरपूरपाइनएप्पल में भरपूर मात्रा में विटामिन सी होता है, इसके छिलके में भी ये ही ऑक्सीडेंट यानि की विटामिन सी पाया जाता है। विटामिन ष्ट शरीर को इंफेक्शन से बचाता है। विटामिन सी और ब्रोमालाइन की मौजूदगी के कारण पाइनएप्पल के ये छिलके बैक्टीरिया से लडऩे में शरीर की मदद करते हैं, कफ और खांसी को ठीक करते हैं साथ ही घावों को भी ठीक करने में मदद करते हैं। कुल-मिलाकर इम्यून सिस्टम बूस्ट करने के लिए ये काफी कारगर होते हैं।दांतों और हड्डियों को मजबूत करता हैमसूड़ों और टिशू की सूजन को कम करने के साथ-साथ ही पाइनएप्पल के छिलके दांतों और हड्डियों को भी मजबूत बनाने में काफी सहायक होते हैं। अनानास के छिलकों में मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है जो हड्डियों और दांतों को मजबूती प्रदान करता है। ये ही कारण है कि दांतों और हड्डियों के लिए भी इसे फायदेमंद माना जाता है।आंखों के लिए भी होता है फायदेमंदपाइनएप्पल में भरपूर मात्रा में बीटा कैरोटीन और विटामिन सी मौजूद होता है। अनानास के पूरे पौधे में ही ये पाए जाते हैं इस वजह से अनानास का छिलका आंखों के लिए भी फायदेमंद होता है। ये ग्लूकोमा जैसी बीमारियों से शरीर की रक्षा करता है।----
- अमरूद, बीही या छत्तीसगढ़ी में जाम, एक बहुत ही लोकप्रिय फल है। इसका फल जितना फायदेमंद है, उतना ही इसके पत्ते शरीर को फायदा पहुंचाते हैं।अमरूद की चाय प्राचीन समय से काफी प्रचलित है। यह चाय अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है। यही वजह है कि इसे हर्बल चाय की श्रेणी में गिना जाता है। अमरूद की चाय को अमरूद की पत्तियों द्वारा तैयार किया जाता है, जो एंटीऑक्सिडेंट के साथ-साथ फ्लेवोनोइड और क्वेरसेटिन जैसे पोषक तत्वों से भरी होती हैं। यह चाय उष्णकटिबंधीय देशों में बहुत लोकप्रिय है और अब दुनिया के अन्य हिस्सों में भी लोकप्रिय हो रही है।यदि आपके पास अमरूद की पत्तियां हैं, तो आप इस चाय को जरूर आजमाएं। सबसे पहले एक बर्तन में एक कप पानी डालें और इसे उबाल लें। अब इसमें कुछ ताज़े अमरूद के पत्ते डालें। इन्हें पानी में 10-15 मिनट तक रखें। अब आप इस मिश्रण को थोड़ा देर छोड़ दें और उसके बाद एक कप में चाय सर्व करें। आप इसमें स्वाद के लिए नींबू, दालचीनी या शहद जोड़ सकते हैं।बल्ड शुगर कंट्रोल करेअमरूद चाय के एक नहीं अनेक स्वास्थ्य लाभ है। यह चाय डायबिटीज को कंट्रोल करने से लेकर पाचन को बढ़ाने तक और वजन घटाने में भी सहायक है। हेल्थ एक्सपर्ट और कुछ कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि अमरूद की पत्तियों में शरीर में ब्लड शुगर कंट्रोल करने वाले गुण होते हैं। अमरूद और उसकी पत्तियां पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, इसमें पोटेशियम, विटामिन्स और एंटीऑक्सीडेंट्स की अच्छी मात्रा है, जिस कारण यह आपके ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मददगार है। आप रोजाना एक कप चाय से अपने ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल में रख सकते हैं। ॉदस्त से राहत देसंवेदनशील पेट वाले लोगों को नियमित रूप से अमरूद की पत्ती वाली चाय पीनी चाहिए। यह आपके पेट को स्वस्थ और साथ ही, यह दस्त से पीडि़त लोगों को राहत दे सकती है। यह चाय दस्त के लक्षणों को कम करने में मदद करेगी क्योंकि यह एंटी बैक्टीरियल है और इस प्रकार पेट से विषाक्त तत्वों को खत्म करने में मददगार है।दिल और दिमाग दोनों को ताजा रखेअमरूद के पत्ते शरीर में ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए पाए जाते हैं। इसके अलावा, ये ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करते हैं जो स्ट्रोक, दिल के दौरे, एथेरोस्क्लेरोसिस और कोरोनरी हार्ट डिजीज से बचा सकते हंै। रोजाना एक कप अमरूद की चाय दिल के स्वास्थ रखने में मदद करेगी। इतना ही नहीं इस चाय को पीने से दिमाग भी शांत रहेगा।वजन घटाने के लिए है बेस्टअमरूद की पत्तियों से बनी ये गुणकारी चाय वजन कम करने में भी मदद कर सकती है। यह शरीर के मेटाबॉलिल्म को बढ़ाती है और जिससे शरीर की अधिक कैलोरी बर्न करने के साथ पूरे दिन एक्टिव रहने में मदद मिलती है।हेल्दी स्किन के लिएअमरूद की पत्तियों में एंटीऑक्सिडेंट फ़ेनोलिक यौगिक होते हैं, जो प्रभावी रूप से ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करते हैं और फ्री रेडिकल्स से मुकाबला करते हैं। जिससे कि आपकी त्वचा हेल्दी और ग्लोइंग बनी रहती है। यह झुर्रियों और फाइन लाइन्स के साथ अन्य उम्र बढऩे के संकेतों को भी कम करता है, जिससे आप समय से पहले बूढ़ा नहीं दिखते।
- तरबूज यानी कलिंदर एक ऐसा फल है जो गर्मियों के दिनों में आम के साथ मिलता है। इस फल में पानी की मात्रा अधिक होती है जो शरीर को हाइड्रेटेड रहने में मदद करता है। इसमें पोटेशियम प्रचुर मात्रा में होता है। तरबूज उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जो वजन कम करना चाहते हैं और स्वाद से समझौता नहीं करने के मूड में नहीं होते हैं। तरबूज में 97 प्रतिशत पानी होता है। यह शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को पूरा करता है कुछ स्रोतों के अनुसार तरबूज़ रक्तचाप को संतुलित रखता है और कई बीमारियां दूर करता है। हिन्दी की उपभाषाओं में इसे मतीरा (राजस्थान के कुछ भागों में) और हदवाना (हरियाणा के कुछ भागों में) भी कहा जाता है।तरबूज फायदेमंद होता है ये हम सभी जानते हैं। मगर तरबूज को खाने का सही तरीका क्या है और तरबूत खाने का सही समय क्या है? यह हमें जानने की आवश्यकता है। अन्यथा यह शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकता है।- रात में तरबूज खाने से बचें। रात में तरबूज को पचाना मुश्किल है और इससे आंतों में जलन पैदा हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि रात में हमारी पाचन क्रिया दिन की तुलना में धीमी हो जाती है। रात में तरबूज खाने से पेट की समस्याएं जैसे गैस्ट्रिक की समस्या हो सकती है।-तरबूज में पानी की मात्रा अधिक होती है जो आपको रात में लगातार बाथरूम जाने के लिए मजबूर कर सकता है। और सबसे खराब स्थिति, यह ओवर डिहाइड्रेशन का कारण बन सकता है! यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में पानी की मात्रा बढ़ जाती है और यह पानी बाहर नहीं निकलता है। अधिक पानी की स्थिति से पैरों में सूजन, कमजोर गुर्दे और सोडियम की हानि हो सकती है।- मगर रात में तरबूज का सेवन करना उचित नहीं है। यह आपको नुकसान पहुंचाए, इसलिए सुनिश्चित करें कि आप अपने ग्रीष्मकालीन आहार जैसे तरबूज आदि फल और सब्जियों को दिन में खाएं। और खुद को हाइड्रेट रखें।तरबूज खाने के अनूठे फायदे1. तरबूज में लाइकोपिन पाया जाता है जो त्वचा की चमक को बरकरार रखता है.2. हृदय संबंधी बीमारियों को रोकने में भी तरबूज एक रामबाण उपाय है। ये दिल संबंधी बीमारियों को दूर रखता है. दरअसल ये कोलस्ट्रॉल के लेवल को नियंत्रित करता है जिससे इन बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।3. विटामिन और की प्रचुर मात्रा होने के कारण ये शरीर के इम्यून सिस्टम को भी अच्छा रखता है। वहीं विटामिन ए आंखों के लिए अच्छा है।4. तरबूज खाने से दिमाग शांत रहता है और गुस्सा कम आता है। असल में तरबूज की तासीर ठंडी होती है इसलिए ये दिमाग को शांत रखता है।5. तरबूज के बीज भी कम उपयोगी नहीं होती हैं। बीजों को पीसकर चेहरे पर लगाने से निखार आता है। साथ ही इसका लेप सिर दर्द में भी आराम पहुंचाता है।6. तरबूज के नियमित सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। साथ ही खून की कमी होने पर इसका जूस फायदेमंद साबित होता है।7. तरबूज को चेहरे पर रगडऩे से निखार तो आता है ही साथ ही ब्लैकहेड्स भी हट जाते हैं।8. दिन में खाना खाने के उपरांत तरबूज़ का रस पीने से भोजन शीघ्र पचना। लू लगने का अंदेशा कम होता है।9. तपती गर्मी में सिरदर्द होने पर आधा-गिलास रस सेवन से लाभ।10. पेशाब में जलन पर ओस या बर्फ़ में रखे हुए तरबूज़ के रस का सुबह शक्कर मिलाकर पीने से लाभ।11. तरबूज़ की फाँकों पर काली मिर्च पाउडर, सेंधा व काला नमक बुरककर खाने से खट्टी डकारें आनी बंद हो जाती है।12. तरबूज़ में विटामिन ए, बी, सी तथा लौहा भी प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिससे रक्त सुर्ख़ व शुद्ध होता है।----
- नई दिल्ली। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्लांट्स (सीमैप), लखनऊ के शोधकर्ताओं ने वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित दो नये हर्बल उत्पाद विकसित किए हैं। ये हर्बल उत्पाद रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने के साथ-साथ सूखी खांसी के लक्षणों को कम करने में भी मददगार हो सकते हैं, जिसका संबंध आमतौर पर कोविड-19 संक्रमण में देखा गया है।सीमैप, जो वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की एक घटक प्रयोगशाला है, ने अपने हर्बल उत्पादों सिम-पोषक और हर्बल कफ सिरप की तकनीक को उद्यमियों और स्टार्ट-अप कंपनियों को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया है। ये दोनों उत्पाद प्रतिरक्षा को बढ़ाने में प्रभावी पाए गए हैं। इन उत्पादों में पुनर्नवा, अश्वगंधा, मुलेठी, हरड़, बहेडा और सतावर सहित 12 मूल्यवान जड़ी बूटियों का उपयोग किया गया है।सीमैप के निदेशक डॉ प्रबोध के. त्रिवेदी ने कहा, इन हर्बल उत्पादों के निर्माण के लिए संस्थान स्टार्ट-अप कंपनियों एवं उद्यमियों से करार के बाद उन्हें पायलट सुविधा प्रदान करेगा। सीमैप में स्थित यह पायलट प्लांट अत्याधुनिक सुविधाओं और गुणवत्ता नियंत्रण सेल से लैस है।सीमैप के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. डीएन मणि ने कहा है कि वैज्ञानिक अध्ययनों में सिम-पोषक को बाजार में उपलब्ध दूसरे प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले उत्पादों की तुलना में बेहतर पाया गया है। यह अन्य उत्पादों के मुकाबले सस्ता भी है तथा इसे जैविक परीक्षणों में सुरक्षित और प्रभावी पाया गया है। इसी तरह, हर्बल कफ सिरप को आयुष मंत्रालय के नवीनतम दिशा-निर्देशों के आधार पर विकसित किया गया है, और इसे आयुर्वेद के त्रिदोष सिद्धांत के आधार पर तैयार किया गया है।स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सीमित कर देता है। यह भी देखा गया है कि इस महामारी ने ज्यादातर कम प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को प्रभावित किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार संक्रमण के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है और कोविड-19 से लडऩे में कारगर साबित हो सकता है।---