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निर्यात जून में 35.14 अरब डॉलर पर स्थिर, व्यापार घाटा चार महीने के निचले स्तर पर

नयी दिल्ली.  देश का वस्तु निर्यात जून महीने में 35.14 अरब डॉलर पर स्थिर रहा। वहीं व्यापार घाटा चार महीने के निचले स्तर 18.78 अरब डॉलर रहा। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। पिछले साल जून में निर्यात 35.16 अरब डॉलर था।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य महीने में आयात 3.71 प्रतिशत घटकर 53.92 अरब डॉलर रहा। एक साल पहले जून माह में यह 56 अरब डॉलर था। पेट्रोलियम, कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, चमड़ा, लौह अयस्क, तिलहन, काजू, मसाले, तंबाकू और कॉफी सहित प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में आलोच्य महीने के दौरान गिरावट दर्ज की गई। पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात जून में 15.92 प्रतिशत घटकर 4.61 अरब डॉलर और पहली तिमाही के दौरान 15.63 प्रतिशत कम होकर 17.4 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। हालांकि, इंजीनियरिंग, चाय, चावल, सभी प्रकार के सिलेसिलाए परिधान, रसायन, समुद्री उत्पाद और औषधि के निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई है। इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्यात जून में 46.93 प्रतिशत बढ़कर 4.14 अरब डॉलर हो गया। वहीं अप्रैल-जून तिमाही के दौरान यह 47.11 प्रतिशत बढ़कर 12.4 अरब डॉलर हो गया। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जून तिमाही के दौरान निर्यात 1.92 प्रतिशत बढ़कर 112.17 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि आयात 4.24 प्रतिशत बढ़कर 179.44 अरब डॉलर रहा। अप्रैल-जून, 2025 के दौरान वस्तु व्यापार घाटा बढ़कर 67.26 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह 62.10 अरब डॉलर था। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि 2025-26 की पहली तिमाही के दौरान देश का वस्तु एवं सेवा निर्यात 210 अरब डॉलर रहने का अनुमान है, जो सालाना आधार पर लगभग छह प्रतिशत की वृद्धि है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर वृद्धि इसी तरह जारी रही, तो हम पिछले साल के निर्यात के आंकड़े को पार कर जाएंगे।'' वित्त वर्ष 2024-25 में, भारत का वस्तु एवं सेवा निर्यात 825 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर रहा था।

आयात के मोर्चे पर, कच्चे तेल और सोने का आयात क्रमशः 8.37 प्रतिशत और 25.73 प्रतिशत घटकर 13.8 अरब अमेरिकी डॉलर और 1.9 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। इसके अलावा, जून में सेवा निर्यात का अनुमानित मूल्य 32.84 अरब डॉलर है, जबकि पिछले वर्ष इसी महीने यह 28.67 अरब डॉलर था। जून में सेवाओं का आयात 17.58 अरब डॉलर रहने का अनुमान है, जबकि बीते वर्ष इसी महीने में यह 15.14 अरब डॉलर था। भारतीय निर्यातकों के शीर्ष निकाय फियो के अध्यक्ष एस. सी. रल्हन ने सरकार से, विशेष रूप से सेवाओं के क्षेत्र में, एक स्पष्ट, क्षेत्र-केंद्रित निर्यात रणनीति बनाए रखने का आग्रह किया। रल्हन ने कहा, ‘‘भारत की डिजिटल क्षमताओं और कुशल कार्यबल के साथ, सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने की काफी संभावनाएं हैं। डिजिटल बुनियादी ढांचे, प्रतिभा विकास और लक्षित अंतरराष्ट्रीय प्रोत्साहन में निवेश इस बढ़ती हुई गति को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होगा।''

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