भारत से इस साल 10 लाख कुशल श्रमिकों को अपने औद्योगिक क्षेत्रों में रोजगार के लिए बुलाएगा रूस
मॉस्को. रूस अपने औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों की कमी को दूर करने के लिए इस साल के अंततक भारत से करीब 10 लाख कुशल कार्यबल को अपने यहां काम करने का मौका देगा। रूस के एक दिग्गज कारोबारी ने यह जानकारी दी है। रूसी उद्योग मंडल ‘यूराल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री' के प्रमुख आंद्रेई बेसेदिन ने समाचार एजेंसी रॉसबिजनेसकंसल्टिंग (आरबीसी) के साथ बातचीत में भारत से कुशल कामगारों को मंगाने की योजना की जानकारी दी। बेसेदिन ने कहा, ‘‘जहां तक मुझे पता है, साल के अंततक भारत से 10 लाख विशेषज्ञ कामगार रूस आएंगे। इनमें रूस का स्वेर्दलोव्स्क क्षेत्र भी शामिल है। इससे संबंधित मामलों को देखने के लिए येकातेरिनबर्ग में एक नया महावाणिज्य दूतावास खुल रहा है।'' बेसेदिन ने कहा कि भारतीय पेशेवरों के आने से स्वेर्दलोव्स्क क्षेत्र में बेहद काबिल कार्यबल की कमी पूरी हो जाएगी। यूराल पर्वत में स्थित स्वेर्दलोव्स्क क्षेत्र भारी उद्योग एवं सैन्य-औद्योगिक परिसरों का केंद्र है। इसमें विश्व प्रसिद्ध यूरालमाश और टी-90 शृंखला के टैंक बनाने वाली कंपनी यूराल वैगन जावोद भी शामिल हैं। बेसेदिन ने कहा कि इस क्षेत्र में स्थित औद्योगिक उद्यमों को उत्पादन की मात्रा बढ़ाने की ज़रूरत है, लेकिन यहां पर समुचित मात्रा में कुशल श्रमिकों की कमी है। उन्होंने इसके पीछे कुछ श्रमिकों के यूक्रेन में जारी रूसी सैन्य अभियान में तैनात होने और रूसी युवाओं के कारखानों में नहीं जाने की प्रवृत्ति को अहम कारण बताया। उन्होंने कहा कि रूस, श्रीलंका और उत्तर कोरिया से भी श्रमिकों को बुलाने पर विचार कर रहा है, लेकिन यह एक जटिल मुद्दा है। रूसी क्षेत्रों के उद्यमों में भारत से श्रमिकों के आने का सिलसिला 2024 में ही शुरू हो गया था। इन श्रमिकों को कैलिनिनग्राद मछली प्रसंस्करण परिसर ‘जा रोदिनू' ने आमंत्रित किया था। आरबीसी समाचार एजेंसी के मुताबिक, रूसी श्रम मंत्रालय ने वर्ष 2030 तक कार्यबल में 31 लाख लोगों की कमी का अनुमान लगाया है। इसने 2025 में योग्य विदेशी श्रमिकों के आमंत्रण का कोटा 1.5 गुना बढ़ाकर 2.3 लाख लोगों तक करने का प्रस्ताव रखा है। रूसी श्रम मंत्रालय का अनुमान है कि रूसी औद्योगिक उद्यमों ने 2024 में गैर-राष्ट्रकुल देशों से 47,000 योग्य प्रवासियों को आकर्षित किया। आर्थिक विकास मंत्रालय ने भी अन्य देशों से श्रमिकों को आकर्षित करने का दायरा बढ़ाने की बात कही है। हालांकि, पिछले साल 22 मार्च को मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल में हुए आतंकवादी हमले के बाद रूसी अधिकारियों ने पूर्व सोवियत गणराज्यों से प्रवासियों के आगमन को रोकने के लिए प्रवासन कानून को कड़ा कर दिया।
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