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   सूचना आयोग को दस्तावेजी साक्ष्य के साथ जनसूचना अधिकारी जवाब प्रस्तुत करें - राज्य सूचना आयोग

-आयोग को पत्राचार करते समय प्रकरण क्रमांक, वर्ष और सुनवाई की तिथि का स्पष्ट उल्लेख करें
 रायपुर।  छत्तीसगढ राज्य सूचना आयोग ने सभी लोकप्राधिकारियों (कार्यालय प्रमुखों) को निर्देशित किया है कि अपने अधीनस्थ तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारियों को निर्देशित करें कि राज्य सूचना आयोग के द्वारा द्वितीय अपील की सुनवाई के लिए प्रेषित नोटिस का जवाब प्रथम सूचना पत्र प्राप्ति के पश्चात 30 दिवस के भीतर कंडिकावार मय दस्तावेज के साथ जवाब प्रस्तुत कर पंजीकृत डाक से राज्य सूचना आयोग को प्रेषित करना सुनिश्चित करें। जवाब प्रस्तुत करते समय तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारी का नाम पदनाम का स्पष्ट उल्लेख करें। उन्होंने यह भी कहा है कि तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारियों का नाम पदनाम, कार्यावधि तथा वर्तमान पदस्थापना स्थल की जानकारी आयोग को देना सुनिश्चित करें। 
    राज्य सूचना आयोग ने कहा है कि तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारियों के द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत द्वितीय अपील की सुनवाई के लिए प्रेषित नोटिस का जवाब तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारियों से प्राप्त नहीं होने के कारण प्रकरण की सुनवाई में अनावश्यक विलंब होता है। साथ ही तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारियों सुनवाई में प्रकरण से संबंधित समस्त अभिलेख एवं नस्ती के साथ उपस्थित रहें, यदि अपरिहार्य कारण से तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारी आयोग के द्वितीय अपील की नियत तिथि को सुनवाई में उपस्थित नहीं होने की स्थिति में अपने ऐसे प्रतिनिधि को सुनवाई के लिए भेजा जाए जिनको प्रकरण के संबंध में संपूर्ण जानकारी हो एवं संपूर्ण दस्तावेज और जानकारी के साथ आयोग के समक्ष सुनवाई के अवसर पर सूचना आयोग के द्वारा चाही गई जवाब प्रस्तुत कर सके। आयोग ने कहा कि आयोग की सुनवाई में तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारी के द्वारा प्रतिनिधि के रूप में प्राधिकार पत्र मान्य किया जाएगा और उनके द्वारा प्रस्तुत जवाब को तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारी का जवाब माना जाएगा। प्राधिकार पत्र के अभाव में प्रतिनिधि की उपस्थिति मान्य नहीं की जाएगी।
    राज्य सूचना आयोग ने सभी तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारियों को निर्देशित किया है कि आयोग/अपीलार्थी से पत्राचार करते समय प्रकरण क्रमांक, वर्ष और सुनवाई की तिथि के साथ-साथ अपना नाम, पदनाम, पदस्थापना स्थल का स्पष्ट उल्लेख करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा है कि आयोग के समक्ष सुनवाई के पूर्व तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारियों से पंजीकृत डाक से नियमानुसार प्रतिउत्तर प्राप्त नहीं होने पर एवं उक्त निर्देश का पालन नहीं होने की स्थिति में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20 (1) एवं धारा 20 (2) के तहत और शासन के द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुसार अर्थदण्ड एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है।

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