सेल के स्वदेशी इस्पात से सशक्त हुआ आईएनएस आन्द्रोत, भारतीय नौसेना को मिली नई मजबूती
- देश की समुद्री आत्मनिर्भरता को मिला नया आयाम, नौसेना के आधुनिकीकरण में सेल की अहम भूमिका
दुर्ग । देश की अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात निर्माता और महारत्न कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने एक बार फिर भारत की सामरिक शक्ति को मजबूती दी है। कंपनी ने भारतीय नौसेना के नवीनतम युद्धपोत आईएनएस आन्द्रोत के लिए विशेष ग्रेड के स्वदेशी स्टील की संपूर्ण आपूर्ति की है। यह उपलब्धि भारत की समुद्री आत्मनिर्भरता और नौसेना के आधुनिकीकरण अभियान में एक और सशक्त कदम है।
आईएनएस आन्द्रोत, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (एएसडब्ल्यू–एसडब्ल्यूसी) श्रृंखला का दूसरा युद्धपोत है, जिसे आज भारतीय नौसेना में विधिवत शामिल किया गया। इससे पहले इस श्रृंखला का पहला जहाज आईएनएस अर्नाला 18 जून 2025 को नौसेना बेड़े में शामिल किया गया था।
भारत के रक्षा निर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हुए, सेल ने गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) द्वारा निर्मित कुल आठ एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट युद्धपोतों के लिए आवश्यक विशेष ग्रेड स्टील की आपूर्ति की है। इनमें आईएनएस अर्नाला और आईएनएस आन्द्रोत सहित अन्य छह जहाज भी शामिल हैं, जो निर्माणाधीन हैं।
सेल द्वारा उपलब्ध कराए गए इस उच्च गुणवत्ता वाले इस्पात में हॉट-रोल्ड शीट्स और प्लेट्स शामिल हैं, जो युद्धपोतों की संरचनात्मक मजबूती और समुद्री प्रदर्शन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस इस्पात का उत्पादन सेल के भिलाई, बोकारो और राउरकेला इस्पात संयंत्रों में किया गया है, जो देश के प्रमुख स्टील उत्पादन केंद्र हैं।
सेल का यह योगदान न केवल नौसेना की सामरिक क्षमताओं को नई दिशा दे रहा है, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को भी साकार कर रहा है। आईएनएस आन्द्रोत का नौसेना में शामिल होना इस बात का प्रमाण है कि भारत अब रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है और विदेशी तकनीक पर निर्भरता घटा रहा है।
कंपनी ने कहा है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। स्वदेशी स्टील के उत्पादन के माध्यम से सेल देश की सामरिक जरूरतों को पूरा करते हुए भारत को ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में और अधिक सक्षम बना रहा है।
आईएनएस आन्द्रोत का कमीशनिंग भारतीय नौसेना की समुद्री शक्ति को नई ऊंचाई देगा और घरेलू इस्पात उद्योग की तकनीकी क्षमता को वैश्विक मंच पर स्थापित करेगा। यह उपलब्धि रक्षा निर्माण में सरकार और सार्वजनिक उपक्रमों के बीच सशक्त सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण है।












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