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 नवाचार की नई मिसाल- हरसिंह ओयामी का एकीकृत खेती मॉडल बना प्रेरणा

 दंतेवाड़ा, । ग्राम बिंजाम, विकासखंड गीदम के 57 वर्षीय प्रगतिशील किसान श्री हरसिंह ओयामी आज जिले में जैविक खेती के प्रेरणास्रोत के रूप में उभरकर सामने आए हैं। परंपरागत खेती से आगे बढ़ते हुए उन्होंने अपनी पूरी कृषि प्रणाली को जैविक, टिकाऊ और लाभदायक मॉडल में परिवर्तित किया है। परिवार के सहयोग, सतत प्रयास और वैज्ञानिक सोच ने उन्हें जिले के अग्रणी जैविक किसानों में शामिल कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि हरसिंग ओयामी को कृषि विभाग के मार्गदर्शन में पक्का पशु शेड, नाडेप टांका, वर्मी टांका और अन्य जैविक संरचनाओं का लाभ मिला। इसके अलावा देशी गायों के सुव्यवस्थित पशुपालन ने उनकी जैविक खेती को मजबूत आधार प्रदान किया। हरसिंग ओयामी जैविक कृषि में इतने प्रवीण हो गए है कि अपने खेत में वर्मी कम्पोस्ट, जीवामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र जैसे देशी जैविक कीटनाशक व उर्वरक स्वयं तैयार करते हैं। इससे न केवल कृषि लागत में कमी आई,बल्कि मिट्टी की उर्वरता बढ़ने के साथ-साथ फसलें अधिक गुणवत्तापूर्ण बनीं।
उनके कृषि क्षेत्र एवं कृषि पैदावार को को देखना एक सुखद अनुभव देता है। उनकी खेती की सबसे बड़ी विषेषता फसल विविधता है। वे श्री विधि, लाइन विधि और पारंपरिक विधि से देशी धान का उत्पादन करते हैं। साथ ही बैंगन, टमाटर, गोभी, मटर, मूली, गाजर, लाल भाजी, मेथी, दलहन, तिलहन सहित अनेक सब्जियों एवं फसलों की वर्षभर खेती करते हैं। इसके अलावा मिलेटस के तहत  रागी, कोदो-कुटकी, का उत्पादन, बागवानी के तहत आम, अमरूद और वाटर एप्पल जैसे फलों की खेती ने  उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है। इस तरह उनके जैविक उत्पादों की बढ़ती बाजार मांग ने उन्हें अलग पहचान दिलाने में अहम भूमिका अदा किया है।
हरसिंह ओयामी ने न केवल कृषि बल्कि मत्स्य उत्पादन में भी बढ़त हासिल कर चुके है। एग्री-फिशरी मॉडल अपनाकर उन्होंने आय के नए स्रोत बनाए। उन्हें डबरी एवं ओरनामेंटल फिश पद्धति से  मत्स्य उत्पादन कर लगभग 1,00,000 रूपये वार्षिक शुद्ध आय अर्जित किया है। जहां डबरी का पोषक जल उनकी जैविक खेती में अमृत समान सिद्ध हुआ। वहीं उनका फसल उत्पादन बढ़ा, कीटनाशक की आवश्यकता घटी और मिट्टी का स्वास्थ्य लगातार बेहतर हुआ।
आज उनकी जैविक खेती, फसल विविधता, पशुपालन और मछली पालन का एकीकृत मॉडल उन्हें लगभग 7,00,000 रूपये की वार्षिक आय प्रदान कर रहा है। उनका खेत अब केवल उत्पादन का केंद्र नहीं, बल्कि सीखने और प्रेरणा का मॉडल फार्म बन चुका है, जहाँ अन्य किसान जैविक कृषि और मत्स्य पालन की नई तकनीकें सीखने आते हैं। श्री हरसिंह ओयामी ने सिद्ध कर दिया है कि जैविक खेती न केवल परंपरा, बल्कि भविष्य की सतत व समृद्ध कृषि का मजबूत स्तंभ है। स्थानीय संसाधनों का बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग, मेहनत और नवाचार उन्हें दंतेवाड़ा के किसानों के लिए प्रेरणा का पथप्रदर्शक बनाते हैं।

 

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