विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा सितंबर के अंत में होगी
नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-यूजीसी ने परीक्षाओं से संबंधित दिशा-निर्देशों में संशोधन किया है। विद्यार्थियों की सुरक्षा, कॅरिअर प्रगति, प्लेसमेंट और व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए, यूजीसी ने तय किया है कि इंटरमीडिएट सेमेस्टर के विद्यार्थियों का मूल्यांकन पूर्व के दिशानिर्देशों के अनुसार आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर होगा।
यह फैसला भी किया गया है कि अंतिम सेमेस्टर के विद्यार्थियों का मूल्यांकन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के बाद इस वर्ष सितंबर के आखिर में होगा। दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि विद्यार्थियों के लिए स्वास्थ्य, सुरक्षा, निष्पक्ष और समान अवसर के सिद्धांत महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही शैक्षिक विश्वसनीयता, वैश्विक रूप से विद्यार्थियों के लिए करियऱ के अवसर और भावी प्रगति सुनिश्चित करना भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
दिशा-निर्देशों के अनुसार बैकलॉग वाले अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों का मूल्यांकन अनिवार्य रूप से ऑफलाईन, ऑनलाइन या उपयुक्त और व्यावहारिक रूप से मिली-जुली परीक्षा के आधार पर होगा। यदि अंतिम वर्ष का विद्यार्थी परीक्षा में शामिल नहीं हो पाता है तो उसे विशेष परीक्षा में बैठने का अवसर दिया जा सकता है। यह नियम इकलौते उपाय के रूप में 2019-2020 के मौजूदा शिक्षा सत्र के लिए ही लागू होगा।
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