चीन से आयात पर निर्भरता घटाने के लिए केमिकल फंड, सब्सिडी बंदरगाह क्लस्टर की जरूरत : नीति आयोग
नई दिल्ली। रसायन के क्षेत्र में भारत की आयात पर बहुत अधिक निर्भरता पर लगाम लगाने के लिए नीति आयोग ने गुरुवार को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए 8 प्रमुख बंदरगाह आधारित क्लस्टर बनाने, रसायन क्षेत्र में सहायता के लिए एक केमिकल फंड बनाने और विभिन्न सब्सिडी देने का सुझाव दिया है।
भारत रसायनों का प्रमुख निर्यातक है, लेकिन भारी आयात पर भी निर्भर है। केंद्र के नीति से जुड़े थिंक टैंक के मुताबिक इसकी वजह से 2023 में इस सेक्टर में 31 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ है।
इसमें यह भी कहा गया है कि भारत की केमिकल जीवीसी में मौजूदा हिस्सेदारी अभी 3.5 प्रतिशत है।
भारत के करीब 34 प्रतिशत रसायनों का आयात चीन से होता है, जिसका कुल व्यापार घाटा 29 अरब डॉलर है। नीति आयोग ने कहा कि राजकोषीय और गैर-राजकोषीय हस्तक्षेपों की एक व्यापक श्रृंखला वाले लक्षित सुधारों से भारत को 1 लाख करोड़ डॉलर का रासायनिक क्षेत्र बनाने और 2040 तक जीवीसी में 12 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने में मदद मिलेगी, जिससे वह एक वैश्विक रासायनिक महाशक्ति बन जाएगा। इसमें उम्मीद जताई गई है कि 2030 तक भारत का रसायन के क्षेत्र व्यापार घाटा शून्य हो जाएगा।
नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी और पूर्व वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, ‘दुनिया की आर्थिक और भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए भारत इस समय आदर्श स्थिति में है। भारत अच्छी स्थिति में है। हम बिल्कुल सही जगह पर हैं।’
नीति आयोग ने ‘रसायन उद्योग : वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी को सशक्त बनाना’ नाम से पेश रिपोर्ट में कहा, ‘रासायनिक केंद्र के भीतर बुनियादी ढांचे के विकास और अन्य प्रमुख पहलों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक जीवीसी केमिकल फंड की स्थापना की जा सकती है। यह फंड सुनिश्चित कर सकता है कि महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की जरूरतें पूरी करने के लिए आवश्यक निवेश किया जाए और पार्कों की दीर्घकालिक स्थिरता का समर्थन करने वाली परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा सकती है। राज्य सरकारें स्थानीय स्तर पर भूमि खरीद और विवाद समाधान में सहायता करें।’इसके अलावा नीति आयोग ने परिचालन व्यय के लिए सब्सिडी देने, पर्यावरण संबंधी मंजूरी में तेजी लाने के लिए समिति बनाने तथा कौशल विकास और अनुसंधान एवं विकास सहायता जैसे अन्य हस्तक्षेपों की भी सिफारिश की है।
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