किम मिन-सोक को आधिकारिक तौर पर दक्षिण कोरिया का प्रधानमंत्री नियुक्त किया
नई दिल्ली। किम मिन-सोक को गुरुवार को आधिकारिक तौर पर दक्षिण कोरिया का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने देश की नई सरकार के तहत इस पद के लिए सत्तारूढ़ पार्टी के चार बार के सांसद के नाम का चयन किया था, जिसके समर्थन में नेशनल असेंबली ने मतदान किया। इससे पहले दिन में नेशनल असेंबली ने पूर्ण सत्र के दौरान तीन अमान्य मतपत्रों के साथ 173-3 मतों से किम के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया।
मुख्य विपक्षी दल पीपुल्स पावर पार्टी (पीपीपी) ने उनकी संपत्ति और परिवार से जुड़े आरोपों के विरोध में इस प्रस्ताव का बहिष्कार किया।
किम ने पत्रकारों से बात करते हुए “लोगों की इच्छा को बनाए रखने” का संकल्प लिया और इस बात पर जोर दिया कि “अत्याचारी ताकतों” के कारण उत्पन्न “आर्थिक संकट पर काबू पाना” उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
राष्ट्रपति के प्रवक्ता कांग यू-जंग के अनुसार, ली ने संसदीय मतदान के बाद आधिकारिक तौर पर किम को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। किम की रिपोर्ट की गई संपत्ति और खर्च के बीच बड़े अंतर के बीच उनकी आय के स्रोत के साथ-साथ उनके बेटे के कॉलेज प्रवेश और चीन के त्सिंगुआ विश्वविद्यालय में उनकी खुद की पढ़ाई के बारे में आरोपों को मुद्दा बनाते हुए पीपीपी ने किम को अयोग्य उम्मीदवार कहा है।
डेमोक्रेटिक पार्टी ने पहले कहा था कि वह पुष्टिकरण को एकतरफा आगे बढ़ाएगी, भले ही पीपीपी असहमत हो। दक्षिण कोरिया में प्रधानमंत्री ही एकमात्र कैबिनेट पद है जिसके लिए संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
सत्र के दौरान नेशनल असेंबली ने वाणिज्यिक अधिनियम में संशोधन भी पारित किया, जो कॉर्पोरेट बोर्ड के सदस्यों के प्रत्ययी कर्तव्य को सभी शेयरधारकों तक विस्तारित करेगा। प्रतिद्वंद्वी दलों में उस नियम को लेकर टकराव हुआ था, जो ऑडिटर का चयन करते समय किसी कंपनी में सबसे बड़े शेयरधारक के मतदान अधिकार को तीन प्रतिशत तक सीमित कर देगा। लेकिन बुधवार को नियम में संशोधन करने के बाद विधेयक को मतदान के लिए रखने पर सहमति हुई।
उपस्थित 272 सांसदों में से 220 ने संशोधन को मंजूरी दी। 29 सदस्यों ने इसके विरोध में मत डाला, जबकि 23 ने मतदान में भाग नहीं लिया।वहीं, असेंबली ने मार्च में भी इसी तरह का विधेयक पारित किया था, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति यूं सुक योल ने इसे वीटो के जरिए रद्द कर दिया था। मार्शल लॉ अधिनियम में संशोधन भी गुरुवार के सत्र में पारित किया गया, जो मार्शल लॉ घोषित होने पर नेशनल असेंबली में सेना और पुलिस के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाता है।
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