नरक चतुर्दशी का क्या है महत्व, इस दिन क्यों होती है इन 6 देवों की पूजा?
नरक चतुर्दशी को रूप चौदस, काली चौदस और छोटी दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन 6 देवों की पूजा करने का विधान है। कहा जाता है कि रूप चौदस के दिन 6 देवों की पूजा करने से सारे कष्ट मिट जाते हैं।
आइए जानते हैं, इस दिन किनकी पूजा होती है...?
यम पूजा- नरक चतुर्दशी के दिन यम पूजा की जाती है। इस दिन रात में यम पूजा के लिए दीपक जलाए जाते हैं। इस दिन एक पुराने दीपक में सरसों का तेल और पांच अन्न के दाने डालकर इसे घर के कोने में जलाकर रखा जाता है। इसे यम दीपक भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है।
काली पूजा- नरक चतुर्दशी के दिन काली पूजा भी की जाती है। इसके लिए सुबह तेल से स्नान करने के बाद काली की पूजा करने का विधान है। ये पूजा नरक चतुर्दशी के दिन आधी रात में की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां काली की पूजा से जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है।
शिव पूजा- नरक चतुर्दशी के दिन के दिन शिव चतुर्दशी भी मनाई जाती है। इस दिन शंकर भगवान को पंचामृत अर्पित करने के साथ माता पार्वती की भी विशेष पूजा की जाती है।
श्रीकृष्ण पूजा- मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर राक्षस का वध कर उसके कारागार से 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था। इसीलिए इस दिन श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है।
वामन पूजा- दक्षिण भारत में नरक चतुर्दशी के दिन वामन पूजा का भी प्रचलन है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन राजा बलि को भगवान विष्णु ने वामन अवतार में हर साल उनके यहां पहुंचने का आशीर्वाद दिया था।
हनुमान पूजा- मान्यताओं के अनुसार इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमान पूजा करने से सभी तरह का संकट टल जाते हैं।
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