राधे नाम लेने से पूर्व राधे नाम का महत्व समझ लेना चाहिये कि यह राधे नाम क्या है?
-जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 113
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के 'श्रीराधा कौन हैं?' विषय पर दिये गये प्रवचन का एक अंश नीचे यहां प्रस्तुत है :::::::
...श्रीकृष्ण आत्मा की आत्मा हैं,
कृष्णमेनमवेहि त्वमात्मानखिलात्मनाम्।
जगद्धिताय सोप्यत्र देहीवाभाति मायया।।
(भागवत 10.14.55)
सब आत्माओं की आत्मा श्रीकृष्ण हैं। तो जैसे आत्मा के सर्वेन्ट (दास) हैं ये शरीरेन्द्रीय मन बुद्धि, ऐसे आत्मा सर्वेन्ट है, दास है श्रीकृष्ण का। नहीं मानते इसलिये रो रहे हैं, चौरासी लाख में घूम रहे हैं। माया को मान लिया स्वामिनी। तो श्रीकृष्ण हमारे स्वामी और आत्मा उनकी दास।
ऐसे ही श्रीकृष्ण की आत्मा हैं राधा और श्रीकृष्ण उनके दास हैं। आत्मा राधा, उनके शरीर के समान श्रीकृष्ण और श्रीकृष्ण आत्मा, इस (हमारी) आत्मा के और ये आत्मा इस (हमारे) शरीर की आत्मा। यानी ये शरीर की आत्मा की आत्मा श्रीकृष्ण की आत्मा राधा। इसलिये श्रीकृष्ण राधा की आराधना करते हैं। इस महत्व को हमेशा बुद्धि में रखकर अगर हम 'राधा नाम' लें तो रोम रोम में इतनी बड़ी फीलिंग हो कि हम वो नाम ले रहे हैं जो भगवान श्रीकृष्ण लेते हैं। उसका मूल्य उतना अधिक हो जायेगा और प्यार उतना अधिक हो जायेगा। अभी तो कम है लेकिन है।
इतना तो 'कृपालु' ने कर दिया है आप लोगों को कि अगर आप बस में जा रहे हों और कोई बगल वाला बोले 'राधे', ऐं राधे बोला!! आप कहाँ रहते हैं? आप किसी महात्मा के संपर्क में हैं? हाँ, हाँ वो। अच्छा अच्छा। अब बड़ी ममता हो गई, केवल 'राधे' बोला। यानी आपको 'राधे' नाम से इतना प्यार तो हमने करा ही दिया कि एक सुनकर के बगल वाले से और आप उसकी ओर मुखातिब हो गये, आकृष्ट हो गये ये भला आदमी है, 'राधे' बोल रहा है। और अगर पूरी पूरी योग्यता और समझदारी के साथ (महात्म्य समझकर) 'राधा' नाम उच्चारण करें तो कितना प्यार बढ़ जाय? और कितनी जल्दी आप श्यामा श्याम के पास पहुँच जायँ। इसका अभ्यास करना चाहिये।
(प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज)
00 सन्दर्भ ::: साधन साध्य पत्रिका, जुलाई 2017 अंक
00 सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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