तत्व ज्ञान का क्या महत्व है?
- जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा भगवद्विषयों संबंधी प्रश्नों का समाधान
प्रश्न- साधना भक्ति की परिपक्वता में तत्वज्ञान का क्या महत्व है?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा समाधान-
मैंने तत्वज्ञान के बारे में बार-बार बतलाया है लेकिन आप लोग चिंतन नहीं करते, अत: भूल जाते हैं।
यदि तत्वज्ञान साथ रहता है तो आप लोग अपराध नहीं कर सकते। कोई भी गन्दी बात सोच रहे हैं, तो ध्यान आयेगा अरे! श्यामसुन्दर नोट कर रहे हैं। इसी प्रकार गुरु के साथ भी आप लोग करते हैं। उनसे छल करके, छुप करके, प्राइवेसी रखकर ये अपराध किये जाते हैं परन्तु आपकी यह प्राइवेसी चल नहीं सकती। ये प्राइवेसी भक्तिमार्ग में बाधक है।
भगवान सर्वव्यापक है किंतु ये विश्वास आप लोगों में से किसी को नहीं है। जिस दिन ये विश्वास आपको हो जायेगा, तब आपको लक्ष्य की प्राप्ति हो जायेगी।
अतएव तत्वज्ञान परमावश्यक है। इसमें लापरवाही न करना, न इसके महत्व को कम करके आँकना। प्रकृति क्या है? महान क्या है? अहंकार क्या है? पंचतन्मात्रा क्या है? पंचमहाभूत क्या है? राग द्वेष, अभिनिवेश क्या है? इत्यादि अनेकों तत्वज्ञान के विषय हैं परन्तु तत्वज्ञान सिर्फ तीन का ही पर्याप्त है - संबंध, अभिधेय, प्रयोजन। श्रीकृष्ण से हमारा क्या संबंध है? और उस संबंध को पूरा करने के लिये हमें क्या करना चाहिये? और क्यों करना चाहिये, इनका उद्देश्य क्या है? इत्यादि जितना जितना तत्वज्ञान परिपक्व होगा, उतना ही उतना आप भगवान के समीप पहुंचते जायेंगे।
(यह प्रश्नोत्तर जगद्गुरु कृपालु परिषत द्वारा प्रकाशित साधन साध्य पत्रिका के जुलाई 2012 अंक से ली गई है।)
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